Vivekabhāskarah - April 2019

Page 1

वववव क भभसकरर सससककतववभभगगयवभततपवतकभ

रभमककष्णवमशनन-ववववकभनन्द-शशैक्षवणक-शशोधसससथभनमन, बवललुड़मठर उदभटकर - सवभमग वशवपपूणभर्णानन्दर वनदरशकर - ड. शगववङ्कटरमणभटर, सहभयकपभध्यभपकर सससककतववभभगगयर सम्पभदकर - ककष्णपद-रुइदभसर, आचभयर्णा वद्वितगयवरर्षीयर व्यभकरणच्छभतर आलङ्कभररकर - शगसशोमनभथवमर्णा नर, सनभतकवद्वितगयवरर्षीयर छभतर। वरर्णा मन - ०५, ववरयर - वभग्मग हनलुमभनन पकभशनवदनभङ्कर -२०/४/१८, वभसरर - शवनवभसरर

1/11


सपूच गपतमन ॥सम्पभदककीयमन॥...........................................................................................................3 ॥हनलुमत्पञ्चकमन॥...........................................................................................................4 ॥हनलुमज्जन्मवकतभन्तर॥...................................................................................................5 ॥हनलुमभन्चभलगसभ इत्यसय सससककतभथर्णा र॥................................................................................7 ॥हनलुमतशोकभवन वचतभवन सलुभभवरतभवन॥...............................................................................10

2/11


सम्पपादककीयमम ववद्यन्तव मभनवसय बहह नगष्टसभधनशोपकरणभवन। मलुख्यस तत आत्मगतस करणतयमन - शरगरस, वभकन, मनश्चववत। वभकन तत अन्यतममन अत्यलुपयलुकस सभधनमन। भगवतभ भभष्यकभरवणभवप अभभवण - “एकर शब्दर सम्यग्जभतर सलुषलु पयलुकर सवगर लशोकव कभमधलुग्भववत”। अतर शवयसकभमशैर वभकन अनवरतमनलुसन्धवयभ। यथशोवचतवककणभमन अत्यलुतमवनदशर्णा नत्ववन आञ्जनवयस मभरुवतमन उपसथभपयभमभस आवदकववर। सगतभन्ववरणभथर गतर पवमभनतनयर अशशोकववनकभयभस तभस ददशर्णा । अवलशोक्य तभस पभजर स आत्मन्यववभनवकशर तकर्णायभमभस। सगतभवभभभरणस कतर्णा व्यमन उत न, वभकन चवतन पयशोकव्यभ सससककतवन उत मभनलुरवगरभ इत्यववमभदयर मभरुवतर बहह धभ वशैचक्षण्यवन ववचभरयभमभस। वभग्व्यवहभरमववभन्तव व्यवसय – “रभजभ दशरथशो नभम ...” इवत सगतभशवणसलुखस सलुखदस वभक्यमकथयतन। अतर पत्ययशोत्पभदकवन रभमभन्वयसतशोतवण वभगभरब्धभ धगमतभ। इत्थस वह सवर्णा त स महभमवतर यथभपसङस यथशोदवशस वनष्ककष्टस वचर पयलुयज लु व। आञ्जनवयसय वचशोभङ्ग्यभ पभपूतस पभभववतशो भगवभनन पलुरुरशोतमर रभमचन्दर मलुकमनसभ तद्विचसभस पशससभस चकभर नभनकग्ववदववनगतसय नभयजलुवरदधभररणर। नभसभमववदववदरलु र शक्यमववस पभभवरतलुमन॥ नपूनस व्यभकरणस ककत्सनमनवन बहह धभ शलुतमन। बहह व्यभहरतभऽनवन न वकतञ्चदपशबब्दतमन॥(वभ.रभ. ४.३.२८-२९) एवस वह न कववलस चतलुरर्णा लु ववदवरलु अवप च रट्सलु ववदभङव रलु ककतभपूररपररशमस, सववचशोवशैदष्लु यवण रभमभयणसय शलुवतमभधलुयभर्णापभदकस, वशैयभकरणभनभस गलुरुकल्पमन अमलुस मभरुवतस सवगककत्य वयस वभततपवतकभवनमभर्णाणभय यतभमहव। इयस पचवष्टभ भवतभस सलुतधयभस मन आककष्यत एव इत्यसमभकस पवतकभलवखकभनभस ववश्वभसर इवत शमन। सम्पभदकर।

3/11


॥हननम त्पञ्चकमम॥ शगशलुभ दगपदभसर , सनभतकतकत गयवरर्षीयर। वमतस पचण्डस रघलुनभथवमतशो वववचन्त्य ससपक्वफलस बलुभलुक्षलुर। उपभरुणस बभहह बलशो गतशो यसतसमशै नमशो मभरुतनन्दनभय॥१॥ अशभन्ततसन्धशोर सतललस ववशभलमलुल्लवङ्घितस यवन सलगलमवतलुस सगतभकलङ्कभस च सलुवणर्णा लङ्कभस तसमशै नमशो मभरुतनन्दनभय॥२॥ रणव च बभणभहतलक्ष्मणभय यर पभरगशो भवरजससग्रहववप हसतवन नवतभ सलुववशभलशशैलस तसमशै नमशो मभरुतनन्दनभय॥३॥ पसभयर्णा मभगर वनजदगघर्णा पलुच्छस मध्यववनस वभनरववरधभरग यशोनभशयतन पभण्डवदपर्णा वकक्षस तसमशै नमशो मभरुतनन्दनभय॥४॥ दरलु खपदभतभवप सलुखपदभयग पकभण्डदवहशोवप च सपूक्ष्मदवहग कपगशभकवशरमवशनभथर नरवशभकर खललु वभनरवशर॥५॥



4/11


॥हननम ज्जन्मवव त पान्ततः॥ शगमनमयमभनभ , सनभतकशोतरवद्वितगयवरर्षीयर। कपगन्दर, महभबलर, हररशवषर, भकवरलु अन्यतमर हनलुमभनन आवदकभव्यसय रभमभयणसय मलुख्यमवकस चररतमन। ऐवतहभतसकभनभस सभधभरणजनभनभञ्च ववसमयसय कभरणभपूतर अयमन। न कववलस वयमवव ववबसमतभर अवप तलु सवयस मयभर्णादभपलुरुरशोतमर शगरभमचन्दर ववबसमतर सनन अगसतमलुवनस पकष्टवभनन आवदकभव्यव यतन एतन्मव भगवन्सवर हनपूमवत महभमलुनव। ववसतरवण यथभतत्त्वस कथयभमरपपूतजत॥(उ.कभ.३५.१३) भभरतवरर्णा सय दवक्षणवदवश यत सन्ध्यभयभस ववश्ववदववभर मरुद्गणश्च सलुयर्णासय उपभसनस कलुवर्णा बन्त सम तसय सलुमवरुपदवशसय रभजभ आसगतन वभनरपमलुखर कवशरगवत। अञ्जनभ तसयशैव पत्नग आसगतन। अञ्जनभकवशररणशोर पलुतर असमभकस हनलुमभनन। यद्यवप कवशरग हनलुमतर क्षवतजवपतभ। अञ्जनभयभर अतलुलनगयशैर रूपगलुणशैर मलुग्धर सनन वभयलुर तसयभर आतलङनस ककतवभनन। ततर अयस कपगशवषर वभयलुपलुतर इत्यलुच्यतव। असय जन्मनर परमन अञ्जनभ फलवभ्यशो वनस गतवतग। परन्तलु क्षलुधभतर्णा र आञ्जनवयर सपूयर सलुपक्वस फलवमवत वचबन्ततवभनन। तसय ग्रहणभय सर सपूयर पवत वभयलुववगवन धभववतवभनन। वशशलुर इवत मत्वभ वदवभकरर न तस दग्धवभनन। परन्तलु तबसमनवव क्षणव सपूयर्णाभक्षणशोद्यतर रभहह र सपूयर्णासय रथव सवनवहतर आसगतन। आञ्जनवयर सपूयर त्यक्त्वभ तदभ रभहह मन आक्रमवत सम। भयभतर्णा र रभहह र इन्दसय शरणभपनशो बभपूव। ऐरभवतभरूढर इन्दर रभहशोर रक्षणभय हनलुमत्समगपमभगतवभनन। परन्तलु बभलर आञ्जनवयर ऐरभवतस फलवमवत मत्वभ तसय ग्रसनभय चववष्टतवभनन। तदभ इन्दर क्रदर सनन हनलुमन्तस पवत वज्रसय पहभरस ककतवभनन। वज्रभहतर सनन पवनपलुतर धरभयभस ससससव। वज्रवण असय वभमभ हनलुर भगभ जभतभ। तदभ पवनर सवपलुतस क्रशोडव सससथभप्य गलुहभमवकभस पववष्टवभनन। सवपलुतसय दशभवममस लक्षवयत्वभ शशोकभतलुरर वभयलुर सवररभस पभवणनभस पभणभनन अवष्टम्भयवत सम। ततर पकतथव्यभस सवर जगवभर मकतभर बभपूवलुर। भगतभर दववभर ब्रह्मणर समगपस सवतधतवन्तर, सवर जभवपतवन्तश्च। दववशैर सह पजभपवतर वभयलुस पवत गच्छवत सम, सवहसतवन च हनलुमन्तस पलुनजर्षीवयवत सम। तदभ वभयलुर सवररलु जगववरलु सवगवतमपसभरयतन। सवर दववभर आनबन्दतभर हनलुमतव वरस दतवन्तर। इन्दर कपगन्दभय वरस दतवभनन यतन वज्रवण कदभवप तसय मकत्यलुनर्णा भववष्यतगवत वकञ्च वज्रवणभसय वभमभ हनलुर भगभ अतर असय नभम भववत हनलुमभवनवत। सपूयर्णार सवकलभनभस शतस दतवन्तर। ततर एव सवर्णा शभस्त्रववदन अभपूदयमन। मकत्यलुर महभदववश्च असमशै अमरत्वस दतवन्ततौ। अनन्तरस यदभ रभमरभवणयशोर यलुदमभरब्धस तदभ रभमचन्दसय ववजयसय कभरणमभवतदयमन 5/11


कवपशवषर। सवयस रभमचन्दर उकवभनन यतनएतसय बभहह वगयरण लङ्कभ सगतभ च लक्ष्मणर। पभपभ मयभ जयश्चशैव रभज्यस वमतभवण बभन्धवभर॥(उ.कभ.३५.९)



॥हननम पान्चपाललीसपा इत्यस्य सस स् कव तपाररतः ॥ शगववश्वरूपबव ज र , सनभतकशोतरवद्वितगयवरर्षीयर। ॥दशोहभ॥ वदव्यगलुरशोर पभदकमलसय रजर सपकष्टभ मम मनशोदपर्णा णस सवच्छस करशोवम अवप च भगवतर रभमसय गलुणककीतर्णा नस करशोवम॥ हव पवनपलुत हनलुमनन! अववद्यभग्रसतशोऽहवमवत जभत्वभवप भवच्छरणस गच्छनबसम। ककपयभ महस शवकस बलुवदस जभनञ्च पयच्छनन मम रशोगक्लवशभदगनन वनवभरयतलु॥ ॥चतौपभई॥ हव भगवनन हनलुमनन! भवभनन तलु जभनगलुणयशोर सभगरर, जयतलु। यर सवतवजशोवभर तगनन लशोकभनन पकभवशतवभनन सर बभनरशवषनकपर भगवभनन जयतलु॥१॥ सर असजनगदवव्यभर पवनदववसय च पलुतर भगवतर रभमसय वपयद त पू र अनसतशकवर सवभमग चभबसत॥२॥ भवभनन तलु महभवगरर पतभपशभलग बलशभतलदवहधभरग चभबसत। मभमन ववनभशभत्मकववचभरसङभतन सलुववचभरवरलु वनयशोजयतलु॥३॥ भवभनन सलुवणर्णा कभन्त्यभ रतञ्जतदवहयलुकर रमणगयवस्त्रपररवहतर कलुण्डलभपूवरतकणर्णा र चभबसत। भवतर मनशोहरकवशभर वभयलुनभ आन्दशोतलतभर भवबन्त॥४॥ भवतर हसततौ वज्रशवकसम्पनगदयभ ध्वजयभ च ववशशोवभततौ। भवतर सकसधर पववतमलुसजतकणवनवमर्णा तबन्धन सलुसबज्जतर अबसत॥५॥ भवभनन भगवबच्छवसय अवतभररूपर रभजर कवसररणर पलुतर चभबसत। भवतर पतभपवशभतन तवजबसवतभयभर कभरणभच्च भवभनन सवर्णा त पपूतजतशो भववत॥६॥ 6/11


भवभनन महवद्विद्यभयभर महच्चतलुरतभयभर महद्गलुणभनभञ्चभतधकभरग। भवभनन सवर्णा दभ महदत्लु सभहपपूवर्णाकतयभ भगवतर शगरभमसय कभयर्णा सम्पभदनभय उत्सलुकर वतषवत॥७॥ भवतर मनतस सवर्णा दभ भगवतर शगरभमसय लक्ष्मणसय तथभ सगतभदवव्यभर समरणस चलवत। तसमभतन यदशैव यत क्वभवप पभशोर भगवतर शगरभमसय कथभ पचलवत तदशैव तत भवतर मनर रमतव॥८॥ सपूक्ष्मरूपस धकत्वभ मभतभ सगतयभ सह सभक्षभत्कभरस ककतवभनन। पलुनर बकहदपूपस धकत्वभ लसकभस भसमगककतवभनन॥९॥ एकदभ भयभनकभगमरूपस धकत्वभ रभक्षसससहभरस ककत्वभ सहजतयभ भगवतर शगरभमचन्दसय कमर्णा वण सहभयकर अभवतन॥१०॥ भवभनन मरणभसनस लक्ष्मणस जगवनपदभनभय ससजगवनगमन आनगतवभनन। तत्कभरणभतन शगरघलुवगरर तथभ शगरभमचन्दर आनन्दवन भवतर आतलसगनस ककतवभनन॥११॥ भगवभनन शगरभमचन्दर भवतर भपूयशो भपूयशो पशससनस ककत्वभ सवसनवहभभग्भरतसमवपयर भभतभ अबसत भवभनन इवत उदशोवरतवभनन॥१२॥ शवरनभगर सवर्णा दभ सवसय सहसमलुखशैर भवतर यशसककीतर्णा नस कररष्यवत। लक्ष्मगदवव्यभर पवतर भगवभनन ववष्णलुर यर अवतभरपलुरुरर रभमचन्दर सर भवन्तस आतलसगनस कररष्यवत॥ १३॥ भगवभनन ब्रह्मभ नभरदमलुवनर सनकभवदमलुनयर दववग सरसवतग इतशोवप अन्यव ऋरयश्च सभदरवण भवतर गलुणककीतर्णा नस कररष्यबन्त॥१४॥ भगवभनन यमर, भगवभनन कलुबवरर वववभनवदक्पभलभर च सभदरवण भवतर गलुणककीतर्णा नस कररष्यबन्त। अवप च यव कवयर गभयकभश्च तवऽवप भवतर मवहमभवणर्णा नस कररष्यबन्त॥१५॥ भवभनन रभजभ सलुग्रगववण सह भगवतर शगरभमचन्दसय सभक्षभत्कभरस कभरवयत्वभ सलुग्रगवसय एकमलुपकभरस ककतवभनन यवन सर सवरभज्यस पलुनर पभपवभनन॥१६॥ रभवणसय भभतभ ववभगरणर भवतर वभक्यसय पररपभलनस ककत्वभ लसकभयभर रभजभ अभवतन तदपूपवणशैव सर ववभगरणर सवर्णा त पतसदशोऽभपूतन॥१७॥ पकतथव्यभर बहह दरपू बसथतस सपूयर्णामवप भवभनन आकभशबसथतस वकतञ्चबन्मष्टस फलवमवत मत्त्वभ अबभधवन तस वगतलतवभनन॥१८॥

7/11


भवभनन मलुखवन भगवतर शगरभमचन्दसय असगल लु गयकसय भभरस सवगककत्य सभरल्यवनशैव समलुदलसघनस ककत्वभ लसकभस पववष्टवभनन इत्यत आश्चयर्णा सय लवशर नभबसत॥१९॥ जगतगतलव यभवबन्त जवटलकभयभर्णावण सबन्त तभवन सवभर्णावण भवदनलुग्रहवण सरलतभस पभप्नलुवबन्त॥२०॥ भवभनन तसय द्विभरसय ससरक्षकर यवन मभगरण भगवन्तस शगरभमचन्दस पवत गच्छवत। भवतर अनलुमवतस ववनभ कशोऽवप अनवन द्विभरवण गन्तलुस न पभरयवत॥२१॥ यव भवच्छरणस आगच्छबन्त तव सवर भवतभ ससरवक्षतभर सन्तर वनभर्णा यवण सलुखमनलुभवन्तर जगवबन्त॥२२॥ कववलस भवभनवव एकशोबसत यर तभवतगमपूजभर वनयसतवयतलुस शक्नशोवत यसयभर पतभपवन लशोकतयस भगत्यभ कम्पतव॥२३॥ यव भवतर नभमग्रहणस कलुवर्णा बन्त तवरभस समगपस दष्टलु भपूतपवतभदयर गन्तलुस न शक्नलुवबन्त॥२४॥ यव भवतर वगरहनलुमतर नभमगलुणस जपबन्त तवरभस रशोगभर कष्टभवन च दरपू गभवबन्त॥२५॥ तव सवर्णा दभ सङ्कटभतन रवक्षतभर भवबन्त यव पवतक्षणस भगवतर हनलुमतर मनसभ कभवयकवन वभचभ च ध्यभनस कलुवर्णा बन्त॥२६॥ भगवभनन शगरभमचन्दर न कववलस सवररभस रभजभस रभजभ अवप तलु तपसवगनभमवप तपसवग असगतन तसय महभपलुरुरसय सवर्णा सयभवप कभयर्णा सय ध्यभनस भवभनन कतलुर्णाम पभरयवत तसमभदवश्यमवव हव भगवनन हनलुमनन भवभनन शवषर॥२७॥ यर कशोऽवप भवतर समगपव सवमनशोरथस पकटयवत सर सवजगवनव तत्सवर तथभ अनसतफलस पभप्नलुवबन्त॥ २८॥ भवतर मवहमभ पतसवदर यशश्च यलुगचतलुष्टयवरलु समग्रव जगवत च ऊजभर्णारूपवण व्यभपशोबसत॥२९॥ भवभनन सज्जनभनभस तपसवगनभञ्च रक्षकर रभक्षसभनभमसलुरभणभञ्च नभशकर भगवतर शगरभमचन्दसय परमवपयर च अबसत॥३०॥ मभतलुर जभनक्यभर अभशगवभर्णादवन भवभनन अलतौवककशककीनभस तथभ अणलुत्वमहत्वभद्यष्टतसदगनभमतधकभरग नवपकभरवण ववभकसय सम्पतवर पदभतभ च अबसत॥३१॥ भगवन्तस शगरभमचन्दस पवत भवकरहसयस भवतर पभश्वर एवभबसत यतशो वह भवभनन एव सवर्णा दभ तसय सववभकभयर वनयलुकर वतषवत॥३२॥ भवतर ककतभ यभवन पशससभवभक्यभवन उच्यन्तव तभवन सवभर्णावण भगवन्तस शगरभमचन्दस पवत हरर्णा पदभयकस भवबन्त। तत्पसभदवन पशससभकतकर्णाणभस बहह जन्मककतपभपनभशर सम्भववत॥३३॥

8/11


यव भवन्तमलुवदश्य पशससभवभक्यस गभनस वभ कलुवर्णा बन्त तव सवजगवनसय अबन्तमव भगवतर शगरभमचन्दसय वनवभसव शरणस पभप्नलुवबन्त। तत जन्मलब्धवन्तस पभवणनस भगवद्भकरूपवण जभनबन्त सवर॥३४॥ यवद कवरभमवप अन्यदववभनभस पपूजभस न करशोवत। अवप च कववलस भगवतर हनलुमत एव सववभस करशोवत सशोऽवप सवर्णा सलुखस पभप्नशोवत॥३५॥ बलवतर हनलुमतर वनरन्तरध्यभनवन सवररभमन आपदभनभस दरलु खभनभस च नभशर भववत॥३६॥ हव भगवनन हनलुमनन भवभनन जयतलु।ककपयभ गलुरुदवववन्मदपलु रर दयभस करशोतलु॥३७॥ यर कशोऽवप भवतर पभथर्णा नभस शतबभरस पवठष्यवत सर सवर्णा बसधनभतन ववमलुच्य महभसलुखवन जगववत॥३८॥ यर कशोऽवप हनलुमभन्चभलगसभस पवठष्यवत तसय तसवदपभवपर भववष्यवत। गतौरगदवव्यभर पवतर भगवभनन वशवर तसयशोपरर ककपभवभनन भववष्यवत॥३९॥ सदशैव रभमभकर तलुलसगदभसर वनववदनस करशोवत यतन भवभनन तसय हृदयव वनवसतलु॥४०॥ ॥दशोहभ॥ हव भगवनन हनलुमनन, पवनपलुत, आपदतर्णा र, अत्यन्तशलुभवदव्यरूपवनन भगवतभ शगरभमचन्दवण लक्ष्मणवन मभतभ सगतयभ च सह ककपयभ मम हृवद वनवस॥



॥हननम ततोकपानन चचतपानन सनभ पाषषितपानन॥ शगरभहह लमभइवतर , सनभतकशोतरवद्वितगयवरर्षीयर। शभबन्तस सलुखस च इच्छबन्त मभनवभर। अभध्यभबत्मकतभ वह शभश्ववतककी शभबन्तर समकवदश्च। सभ च सदभचभरमपूलभ धमर्णा कभमभद्यभतशतभ। आचभरशो परमशो धमर्णा र इवत खललु आरर्णा वचनमन। अत एव आचभरपवणभर एव वशष्टशब्दवन अवभवहतभर। तव वशष्टभर महन्तर एव लशोकस समलुदतलुर भपूयर पसभदयबन्त। तदभचभर ससरक्षणशोपभयववधभसलु अन्यतमभ सलुभभवरतपरप्मरभ। सलुभभवरतभवन तदवकवकत्त्यभ कभव्यभवदरलु आनलुरवङकवकत्त्यभ च 9/11


लशोकवहतभय सवद्भर उपवदष्टभवन। इत्थमवव शतशर सलुभभवरतवचनभवन वनगवदतभवन आवदकववनभ वभल्मगवकनभ। तत वभल्मगवकरभमभयणव सलुन्दरकभण्डव हनलुमतभ उकभवन कभवनचनन सलुभभवरतभवन अत वण्यर्णा न्तव। धन्यभर खललु महभत्मभनशो मलुनयर सत्यससम्मतभर। तजतभत्मभनतौ महभभभगभर यवरभर न सतर वपयभवपयव॥(सलुन्दरकभण्डव-२६.४५) अबसमनन श्लशोकव कवपवरर कव तभवतन धन्यभर इवत कथयवत। अबसमनन जगवत बहवर पभवणनर पवतवनयतमन आववभर्णा वबन्त वतरशोहबन्त च। तवरलु कवचन एव तथभववधस कभयर सम्पभद्य सवजगवनमन अववसमरणगयस कलुवर्णा बन्त। तव एव वसतलुतर धन्यभर। तदवव आह कवपवरर ब्रह्मससमतमभत्मत्ववन यवरभस तव सत्यससमतभर सससभरसभगरस ततलुर समथभर्णार तजतभन्तरकरणर तजतभत्मभनर पपूवर्णाजन्मभद्यतजर्णा तवनष्कभमधमर्णा रूपमहभभभग्यवन्तर ध्यभनशगलभर मननशगलभश्च यव मलुनयर तव एव धन्यभर। तवरभस धन्यत्वव हवतलुर कर इवत चवद च्लु यतव - यवरभस कमर्णा जन्यव वपयभवपयव न सतर। अथभर्णातन महभत्मभनर इदस मम वपयकभयर्णा वमदञ्चभवपयस कभयर्णा वमवत पक्षपभतस नभचरबन्त। सवकमर्णा सलु वनरतभर सन्तर सवधमर्णा मभचरबन्त। कमर्णा वण आसवकश्चवदवव फललभभव औत्सलुकतभ उत्पद्यतव , फलव च लब्धव लशोभर जभयतव। लशोभभच्च ववनभशर। अत एव कमर्णा ण्यनभसकभर सन्तर मभनवभर धन्यभर भवबन्त। वपयभन ससभववदरलु खमवपयभदतधकस भववतन। तभभ्यभस वह तव ववयलुज्यन्तव नमसतवरभस महभत्मनभमन॥(सलुन्दरकभण्डव-२६.४६) कव तभवतन धन्यभर इवत पश्नव उतरमभह - यवरभस वपयभवपयव न सतर इवत। अबसमनन श्लशोकव वपयभवपयभभभवस वववकणशोवत। अबसमल्लशोकव सभधभरणमभनवभर वपयवसतलुनर ववयशोगव अवपयवसतलुनर ससयशोगव च महदरलु खमनलुभवबन्त। अतर इष्टपभप्त्यशै अवनष्टपररहभरभय सततस पवतर्णा न्तव जनभर। परन्तलु अन्ततशो गत्वभ इष्टवसतलुनर ववयशोगव दरलु खमववभनलुभवबन्त। एतत्सवर पररशगल्य वपयभवपयववरयव नशैव वचन्तयबन्त। यवरभस मलुकभनभस महभत्मभनभस वपयभवद्वियलुज्यमभनभदरलु खस न ससभववतन अवपयभत्ससयलुज्यमभनभदतधकस दरलु खस च न भववतन तव एव ककतकभरभर। वपयववयशोगजदरलु खभवपयससयशोगजदरलु खभभ्यभस यव ववयलुज्यन्तव तव धन्यभर तवभ्यर मभवमकभ नमबसक्रयभ असतलु। तवरभस नमसकभरवण ममभवप ततलुल्यतभ सयभवदवत आशयर। कभयर कमर्णा वण वनवकतव यशो बहह न्यवप सभधयवतन। पपूवर्णाकभयभर्णाववरशोधवन स कभयर कतलुर्णामहर्णा वत॥(सलुन्दरकभण्डव-४१.५) अबसमनन श्लशोकव कर कभयर कतलुर्णामहर्णा वत इवत ववरयव आलशोच्यतव। आवदष्टभवतररककभयभर्णावण फलदभयकभवन न वववत ववरयर अत ववचभयर्णा तव।

10/11


सवभवमनभ

आवदष्टस

कभयर्णा मभदतौ

कतर्णा व्यमन।

एव

भकत्यसय

धमर्णा र।

सवभवमससवदष्टकभयभर्णावतररककभयरकरणवन वह दशोरर। परन्तलु तदवव अवतररककभयर यवद सवभवमनर उपकभरभय भववतवहर्णा तदवश्यस सभधनगयमन। इदमवप अवधवयस यतन सवत पधभनकभयर वनवकततौ एव अवतररककभयभर्णावण कतर्णा व्यभवन। सर एव अवतररककभयर्णा सभधनव समथर्णा र यर आदतौ सवभवमससवदष्टकभयर वनववर्णा घ्नवन समभपयवतन। असय श्लशोकसयभशयसतभवतन-सवभम्यभजभपकतर्णा व्यव तसदव सवत यशो बहह वन ककतकभयर्योपभयतयभ ववपलुलकभयभर्णावण सभधवयतलुवमच्छव तन सरसभतधतकभयर्णा पभवतकपूल्यरभवहत्यवन कभयर कतलुर्णामहर्णा वत। नहवकर सभधकशो हवतलुर सवल्पसयभपगह कमर्णा णर। यशो हथर बहह धभ ववद स समथर्योऽथर्णा सभधनव॥(सलुन्दरकभण्डव-४१.६) कबसमबन्श्चतन कमर्णा वण कतर्णा व्यव तत्कमर्णा णर मलुख्यहवतलुजभनमभतवणशैव कभयर न तसद्ध्यवत अवप तलु तदभनलुरवङकतयभ पधभनहवत्वन्तरभनभमवप जभनमवप अपववक्षतस भववत। यतशो वह सवल्पसयभवप कमर्णा णर न वह एकर एव सभधकर हवतलुभर्णाववत। तद्यथभ घटवनमभर्णाणव मकततकभमभतसय न हवतलुत्वमन। उपभदभनकभरणत्ववन घटवनमभर्णाणव मकततकभयभर एव मलुख्यत्वव अवप नभन्तरगयकतयभ कलु ललभदगनभमवप अपवक्षभ वतर्णा तव। अत एव अबन्तमपभदव उकस - यर बहह धभ हवतलुनन ववद स एव अथर्णा सभधनव समथर्णा र । ससक्षवपवण असयभयमभशयर- कभयर सभधनगयस चवतन कभयर्योपकरणभनभस सवररभमवव जभनमपववक्षतस मलुख्यहवतशोर जभनमभतवण न कभयर्णा तसवदर। धन्यभर खललु महभत्मभनर यव बलुद्ध्यभ कशोपमलुबत्थतमन। वनरून्धबन्त महभत्मभनशो दगपमवगवमवभम्भसभ॥(सलुन्दरकभण्डव-५५.३) सम्मशोहनभवददशोरभणभस जननव हवतलुर क्रशोधर। वसतलुतर मभनवभनभस दरलु खसय पधभनस कभरणमवव क्रशोधर। न शक्नलुवबन्त सवर क्रशोधस सहतलुर्णामन। तव खललु धन्यभर यव सवबलुद्ध्यभ सववच्छयभ उबत्थमवप कशोपस पशमवयतलुमहर्णा बन्त। अवगस समवयतलुस यथभ जलमवव क्षमस भववत तद्वितन क्रशोधस नभशवयतलुस शभन्तमनसकभर धगरभर महभत्मभनर एव शक्नलुवबन्त। अथभर्णातन जगवनवऽबसमनन सलुखस पभपव्यस चवतन क्रशोधर ससवरणगयर।



11/11


Issuu converts static files into: digital portfolios, online yearbooks, online catalogs, digital photo albums and more. Sign up and create your flipbook.