आई.जी.एस. टी- सुधीर हालाखंडी

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जी.एस.टी. – सध ु ीर हाऱाखॊडी आई.जी.एस.टी. – आइये समझे कि दो राज्यों िे बीच होने वाऱे व्याऩार ऩर ऱगने वाऱे इस िर िा स्वरुऩ

जीिे दौरान .टी.एस. केन्द्रीम बफक्री कय अर्थात सी कथ ऩूर्ा रूऩ से अंत .टी.एस. रेककन एक . हो जथएगथ एवं सी पॉभा एकत्र कयने की कोई सभस्मथ बी नहीं यहे गी प्रश्न कपय बी उठतथ है कक तफ एक यथज्म से दस ू ये यथज्म के फीच होने वथरे व्मथऩथय

को ककस प्रकथय से ननममभत एवं ननमंबत्रत ककमथ जथएगथ

. इसके मरए केंर द्वथयथ

“आईमॉडऱ.टी.एस.जी.” जो कक संसद द्वथयथ ऩथस ककमे जथने वथरे

एक

आई.जी.एस.टी. कथनून (IGST ACT) के द्वथयथ संचथमरत होगथ, ववकमसत ककमथ गमथ है

. इस कथनन ू कथ प्रथरूऩ बी जी.एस.टी. कौंमसर द्वथयथ जथयी ककमथ जथ

चक ु थ है औय मही प्रथरूऩ ही अंनतभ कथनन ू कुछ संशोधनों के सथर् फनेगथ .

आई.टी.एस.जी. यथज्मों भें रगने वथरे जी.एस.टी. अर्थात केर द्वथयथ रगथमे जथने वथरे जी.एस.टी. अर्थात

“एस.टी.एस.जी.” औय

“सी.टी.एस.जी.” के फथद

जी के दौयथन रगथने वथरथ कोई .टी.एस.“तीसरा िर” नहीं है फल्कक मह केवर एक

प्रकक्रमथ भथत्र है ल्जससे अंतयप्रथंतीम व्मथऩथय को ननममभत एवं ननमंबत्रत ककमथ जथएगथ औय

इस आई. जी.एस.टी. के ऩूये तंत्र को इस तयह से फनथमथ गमथ है ल्जसके

द्वथयथ यथज्म को मभरने वथरथ कय

“एस.टी.एस.जी.” केवर उसी यथज्म को मभरे

ल्जसभे फेचे गए भथर मथ सेवथ कथ

अॊततम उऩभोग होगथ

एवं कय कथ दस ू यथ

हहस्सथ केंर को मभरे. इस ऩयू ी व्मवस्र्थ भें दो यथज्मों के फीच होने वथरे व्मथऩथय के दौयथन जो यथज्म भथर फेचेगथ उसे कोई कय नहीं मभरेगथ महद इस भथर कथ अंनतभ उऩबोग उस यथज्म भें नहीं होतथ है . 1


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