MURDER MYSTERY -3 BY SUDHIR HALAKHNADI

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1 ह िंदी में -मर्डर ममस्ट्री -3 एक राजनैतिक ह्त्या
Murder Mystery by
2 MURDER MYSTERY
SUDHIR HALAKHANDI POLITICAL MURDER – A MYSTERY राजनैतिक ह्त्या – एक र स्ट्य बलराम जी राजधानी की और जा रही ट्रेन क फर्स् एसी कम्पा्म् म स्ल हो चक थ ट्रन चल हए 30 ममनन् स अधधक हो चक थ विधान सभा का अधधिेशन कल स शरू होन िाला था और इसीमलय बलराम जी राजधानी जाने के मलए इस ट्रेन में बैठे थे. बलराम जी अपने शहर के एररया - G से 7 बार के विधायक थे और इस समय उनका दल सता में नहीीं था इसमलए िे विपक्ष के नेता थे लेककन उनके सता में नहीीं होने पर भी उनका रूतबा मख्यमत्री स कम नही था . वपछली बार और उसके पहले जब उनकी पा्ी सता में थी तब िह दो ्मट तक राज्य क गहमत्री रह चक थ इसी ट्रन म उनका पसटनल सेक्रे्री राजेश दसर डिब्बे में उनके एक ननजी नौकर सोम के साथ था बलराम जी बाहर का कछ नही खात थे इसमलए सोम हमेशा उनके साथ ही रह्ता था . सात बार विधान सभा के सदर्सय रहने के अलािा िे एक बार लोकसभा क सदर्सय भी रह चक थ लककन उन्हें केंद्र की राजनीनत रास नहीीं आई तो िे शीघ्र ही राज्य की राजनीनत में लौ् आये थे. बलराम जी की उम्र 65 िर् हो चकी थी और उनका एक पत्र अननल अपनी पढ़ाई के मलए अमेररका गया था और िहीीँ एमबीए करन क बाद एक बहराष्ट्ट्रीय कम्पनी में जॉब करने लगा और अब िहीीँ अपना बबजनेस करने लगा था जो अब बहत बड़ा बबजनस हो गया था . भारत की राजनीनत में उसे कोई रूधच नहीीं थी लेककन इसके मलए उसके अपने व्यक्ततगत कारण थे. बलराम जी को भी पता था कक उन्होंने जब राजनीनत की शरुआत की थी तब और अब की राजनीनत बहत बदल चकी थी और ि चाहत भी नही थ कक उनका पत्र इस और रुख कर. लककन ि खद राजनीनत छोड़ने की क्र्सतधथ में नहीीं थे ना तो अपने मन से ना ही अपने दल की क्र्सतधथ को देखते हए अब उनक मलए यह सभि था वपछली बार जब उनका दल जब सता में था तब ि राज्य क गहमत्री थ और उस ितत उनके भी सीननयर नारायण प्रसाद मख्यमत्री थ इस चनाि म उनकी पा्ी कोई अच्छा नहीीं कर पाई और बरी तरह से हार गई . सता अब उनके प्रनतद्िींदी दल के पास थी लेककन ख़ास बात यह थी कक पि मख्य मत्री नारायण प्रासाद भी अब दल बदल कर सताधारी दल में चले गए थे और उन्हें केंद्र में जगह दे दी गई थी . दल बदल की यह राजनीनत बलराम जी को कई बार बहत दखी कर दती थी अब साल भर बाद राज्य म चनाि आन िाल थ िो चनाि राज्य म बलराम जी क
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Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 3 नतत्ि म ही लि जान थ ि ही अपन दल का मख्य चहरा था. इस विधान सभा सत्र क समाप्त होन क बाद ि पर राज्य का एक 90 ददन का दौरा करने िाले थे क्जसकी तैयारी भी राजधानी जाकर उन्हें करनी थी. उन्होंने अपने दल को राज्य में खिा करन क मलए बहत महनत की थी और क्जसके पररणाम अब आने लगे थे. वपछले एक साल से राज्य की विधान सभा क जो उपचनाि हए ि तीनों उनक दल न जीत मलए थे. सताधारी दल से जनता का मोह भींग हो रहा था . ट्रन चल 1 घ्ा हो चका था. बलराम जी का कप का दरिाजा बद था ट्रन एक र्स्शन पर रुकी हई थी और बलराम जी का नौकर सोम उनके मलए थरमस में कॉफ़ी लेकर आया था . उस शहर के उनके दल के कई कायटकताट भी बलराम जी से ममलने आये थे. और साथ में उनका सेक्रे्री भी था. सोम ने धीरे से दरिाजा खोला जो कक एक र्सलाइडिींग िोर था ... बलराम जी घर से कॉफ़ी पीकर चले थे लेककन उन्हें हर दो घीं्े में कॉफ़ी पीने की आदत थी . उसने और सेक्रे्री ने देखा की बलराम जी अपनी सी् पर सो रहे है और उन्होंने ट्रेन के डिब्बे की दीिार की और करि् ले रखी थी . सोम ने आिाज दीसाहेब ! उदठए कॉफ़ी ले लीक्जये . कोई हलचल नही हई तो बलराम जी क सक्र्री ने उन्हें हाथ लगाकर आिाज दी और उसके बाद उन्हें उठाने की कोमशश की लेककन बलराम जी का शरीर ननश्चेत था . बलराम जी के सेक्रे्री के चेहरे पर धचींता की रेखाएीं उभरने लगी उसने बलराम की दखी लककन कही कछ नही था –बलराम जी मर चक थ......... राजश और सोम र्सतब्ध थ उन्होंन तरत बाहर खड़े कायटकताटओीं और उस डिब्बे के रलि अधधकारी को सधचत ककया . खबर आग की तरह फ़ल गई ... रलि पमलस आ चकी थी और उस डिब्ब को ट्रन स अलग कर ददया गया था . उस डिब्बे के शेर् याबत्रयों को ट्रन क दसर डिब्ब म मशफ्् कर ददया गया था. रलि पमलस भी आ चकी थी और उनक साथ रेलिे का एक िॉत्र भी था . ट्रेन का िह डिब्बा एक अलग खाली ट्रेक पर खिा कर ददया गया था और उसके बाहर बलराम जी के कायटकताटओीं की भीड़ बढ़ती जा रही थी उनके साथ र्सथानीय नेता भी थे . रेलिे के िॉत्र ने बलराम जी की लाश को अच्छी तरह देखा और कफर बोला तया उम्र थी इनकी ? राजेश बोला- िॉत्र साब ! 65 िर्ट .... िॉत्र – लगता है अचानक हा्ट ने काम करना बींद कर ददया ... साथ में कौन था उस समय .. राजेश – अकेले ही थ . हम दोनों तो दसर डिब्ब म थ. िॉत्र- लगता है इनका ितत आ गया था.. िो ध्यान से उनके चेहरे की तरफ देख रहा था .. अचानक बोल पिा – अरे !
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 4 इनके होंठ पर पर पीछे की तरफ ये नील ननशान कैसा है ? ओह ! यह ह्त्या है .. इन्हें जहर ददया गया है .. कप म िॉत्र और राजश ही थ उसन कप का दरिाजा बींद कर मलया और िॉत्र को बैठने का इशारा ककया. राजेश र्सतब्ध रह गया ... उसने एक नम्बर िायल ककया फोन पर मख्मत्री का सधचि अक्श्िन था . राजेश ने उसे सारी बात बताई और मख्यमत्री ज्िाला प्रसाद क सधचि अक्श्िन न सारी बात सनन क बाद कहा – राजेश तम िही रहो अभी िॉत्र को बोला कक ह्त्या की बात अभी कम्पा्टमें् के बाहर नही जाए. तम कायकताओ पर काब रखना . बलराम जी क पत्र स म अभी बात कर लता ह िो आय तब तक तम्ह ही सम्हालना ह अभी मख्मत्री तमस बात करेंगे . मख्यमत्री ज्िाला प्रासाद और बलराम जी अलग- अलग दल से थे लेककन दोनों दल एक दसरे के प्रनतद्िींदी थे लेककन दोनों परान नता थ और उनक व्यक्ततगत सम्बन्ध बहत ही मधर ही नही थ बक्कक ज्िाला प्रासाद जी की पत्री अनाममका बलराम जी क पत्र अननल की पत्नी थी राजनीनत ऐसे ही होती है विधानसभा में बलराम जी अपनी कठोर तीरों से विपक्ष की भममका ननभात हए मख्मत्री ज्िाला प्रासाद का जीना हराम कर देते थे और रात को कई बार दोनों साथ ही डिनर करते थे. उनके सींबींधों का ही यह पररणाम था कक पक्ष विपक्ष के सभी विधायकों और लोगों के काम बराबर होते थे. ये भारत का एक अनोखा राज्य था क्जसम दश म कछ भी हो इस राज्य में कभी राजनैनतक अशाींनत कभी नही रह्र्ती थी. ज्िाला प्रासाद जी भी जानते थे कक अगली सरकार बलराम जी की ही आने िाली है. ठीक 10 ममनन् बाद बलराम जी के सेक्रे्री का फोन घनघनाया ... लाईन पर मख्यमत्री थ. उन्होंन राजश स सारी बात पछी और कफर मख्मत्री ज्िाला प्रसाद गींभीर आिाज में बोले – राजेश देखो रेलिे पमलस को बोलो जो जहा ह उस ज्यादा छड़ नही मन पमलस कमीश्नर को बोल ददया है िो आते ही होंगे और इसी शहर में कैप््ेन कवपल भी है म उन्ह भज रहा ह. परी सरक्षा का इतजाम नही हो जाए तब तक तम इस खबर को दबा कर रखना तम बस अपन कायकताओ पर काब रखना म भी बस रिाना हो ही रहा ह हाूँ एक बात और – बलराम जी की ह्त्या की खबर ककन -ककन लोगों को है . राजेश ने बोला- सर ! केिल िॉत्र को िो जब चेक कर रहा था तब मै ही साथ था. रलि पमलस िाल भी बाहर ही थ. मख्यमत्री – इस िॉत्र को रोक लो और इसका फोन भी ले लो. कमीश्नर को मैं भज रहा ह . तब तक तम ध्यान रखना ..
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 5 पर राज्य की कानन व्यिर्सथा का सिाल है. आधे घीं्े में र्सथानीय पमलस की एक बस आकर रुकी और उसमें से 50 जिानों का एक जत्था उतारा क्जसन सरक्षा की परी क्जम्मेदारी ले ली थी. राजेश ने कम्पा्टमें् को अन्दर से बींद कर ददया था और जो रलि पमलस क जिान और िॉत्र अन्दर थे उन्हें अन्दर ही रहने को कहा गया कम्पा्टमें् के बाहर र्सथानीय पमलस का पहरा था और बलराम जी की मत्य की बात तो बाहर फ़ल चकी थी और बाहर भीड़ बढ़ती जा रही थी लककन उनकी मत्य र्सिाभाविक नहीीं है बक्कक यह एक ह्त्या है यह बात की बात अभी तक भीड़ तक नही पहच पाई थी सोम भी इस घ्ना से र्सतब्ध था लेककन राजेश को तो सोचने का ही समय नहीीं ममला था. 15 ममनन् बाद कम्पा्टमें् में पमलस कमीशनर िी.के. चौहान ने प्रिेश ककया उनके साथ इींर्सपेत्र यादि और सब इींर्सपेत्र रािल भी थे. कमीशनर ने 5 ममनन् राजेश से बात की उसके बाद िे इींर्सपेत्र यादि से बोले – यादि अभी बस कैप््ेन कवपल आने िाले हैं और इस केस म तम्ह उनक साथ ही रहना ह और हा रािल ! बाहर देखो , इस शहर के बलराम जी के दल के विधायक होंगे . शायद उनका नाम गोपाल प्रसाद है .. उन्हें अन्दर कम्पा्टमें् में ले आओ. शहर के विधायक गोपाल प्रासाद ने कम्पा्टमें् में प्रिेश ककया . अन्दर आते ही यादि उन्ह कम्पा्म् क दसरी तरफ ले गया जहाूँ एक और कमीशनर िी.के. चौहान खड़े थे . उन्होंने विधायक से हाथ ममलाया और बोला- आपके नेता बलराम जी की मत्य एक बहत ही दखद खबर ह . आप धैयट रखें . हम इनका शि इनके शहर ले जा रहे हैं .. आप अपने कायटकताटओीं को भी धैयट ददलाये और इन सबको अपने पा्ी कायाटलय ले जाएूँ . दाह सींर्सकार तो अब इसके शहर में ही होगा िो भी इनके बे्े के आने के बाद .. आप समझदार हैं यहाूँ रलिे र्स्ेशन पर इतनी भीड़ ठीक नहीीं है .. आप कह तो म सीएम साहब स बात करिा द िस आप खद भी सक्षम ह . विधायक गोपाल प्रसाद ने कमीश्नर साहब की बात पर सहमती दी और उनसे हाथ ममलात हए कम्पा्म् स बाहर ननकल गए. यादि प्रशींसात्मक नजरों से कमीश्नर साहब की और दख रहा था अनभि आखखर अनभि ही होता ह यादि न कमीश्नर की और दखत हए पछा – सर ! अब बलराम जी का शि उनक गह नगर ले जाया जाएगा . पोर्स् मा्टम हमारे शहर में नहीीं होगा . सर ! हमारा शहर बड़ा है और हॉक्र्सप्ल भी उन्नत है . कमीश्नर चौहान ने यादि से कहा – अभी तो यही प्रोग्राम ह चलो तम मर साथ आ जाओ कम्पा्टमें् के बाहर भीड़ बढ़ती जा रही थी. भीड़ बलराम जी अमर रहे के नारे
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 6 लगा रही थी. यादि ने सोचा – यदद इस भीड़ को पता चल जाये कक उनके नेता की मत्य र्सिाभाविक नही बक्कक एक मिर ह तो कफर ... िो ककपना कर काींप गया . कम्पामें् के बाहर विधायक गोपाल प्रसाद न भीड़ को अपना उद्बोधन शरू कर ददया था. सबसे पहले उन्होंने बलराम जी को श्रद्धाींजली दी और उसके बाद उन्होंने सभी कायटकताटओीं को पा्ी के र्सथानीय कायाटलय की और प्रर्सथान करने के ननदेश ददए. लगभग 15 ममनन् म परा प्ल्फाम खाली हो गया और कमीशनर चौहान ने चैन की साींस ली. केप््न कवपल अपने अमसर्स्ें् रोब्ट के साथ आ चका था. कमीश्नर चौहान और यादि उन्ह उस कप म ल गए जहा बलराम जी सेके्री राजेश और रेलिे िॉत्र बैठे थे . कवपल ने िॉत्र से बात की और उसके बाद बलराम जी के शि का ननररक्षण ककया और कफर िॉत्र से बोला – िॉत्र साब ! आपकी जाच बबलकल ठीक है . इन्हें जहर ददया गया है और कौनसा जहर था और इसका असर कब बलराम जी क शरीर पर हआ और कब इनकी मत्य हई इसक मलए पोर्स् मा्म जकदी से जकदी जरुरी है . उसके बाद कैप््ेन कवपल ने कमीश्नर से बात की और दोनों अकेले लगभग 15 ममनन् बात की और उसके बाद कमीश्नर चौहान लगातार फोन पर बात कर रहे थे. रेलिे िॉत्र को भी समझा ददया था कक उस कब तक चप रहना पड़ेगा और यदद िह अपने आप ऐसा कर सके तो िे बस अब यहाूँ से जा सकते हैं . रेलिे िॉत्र क्जसका नाम अममत कमार था ने बड़ी ही शालीनता से कहासर ! आप कोई ररर्सक ना लें . मै जब तक आप खद डितलअर ना कर द कक यह ह्त्या है मैं आपके इर्सपेत्र के साथ ही रहगा. आप ननक्श्चन्त रहें . बलराम जी का शि सफ़ेद कपिे में लपे् कर कम्पा्टमें् के बाहर ले जाया जा रहा था . रलि पमलस और र्सथानीय पमलस क मसपाही बाहर उनके सम्मान में बाहर प्ले्फामट पर खड़े थे. बलराम जी के शि के साथ बलराम जी के सेक्रे्री राजेश , उनका नौकर सोम और इींर्सपेत्र यादि और रलि िॉत्र एम्बलस म बलराम जी क शि क साथ थ. उसके साथ एक और एम्बलस थी क्जसम भी 3 पमलस िाल थ . इस काकफले में दो एम्बलस थी . महात्मा गाूँधी मागट से यह काकफला ननकला और यादि को पता था की यह रार्सता बलराम जी के शहर की तरफ जा रहा था और सबसे आगे की गािी में कमीश्नर खद गािी चला रह थ और अचानक रार्सते में मसविल हॉक्र्सप्ल का मेन गे् आया और कमीश्नर ने गािी उसके दरिाजे की और मोड़ दी और बाकी का काकफला आगे की और बढ़ गया .. लककन बीच स बलराम जी की एम्बलस भी अर्सपताल की और बढ़ गई जहा सरक्षा का परा इतजाम था परा काकफला और
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 7 दसरी एम्बलस बलराम जी क शहर की तरफ बढ़ गई. मसविल हॉक्र्सप्ल म परी सरक्षा थी और मख्य दरिाज स प्रिेश कर कमीशनर चौहान की गािी हॉक्र्सप्ल की बबक्किींग के पीछ स परा चतकर लगात हए हॉक्र्सप्ल क वपछल ग् पर पहच गई और उनक पीछ एबलस थी और पर सरक्षा इतजामों के बीच उनका शि पोर्स् मा्टम रूम में ले मलया गया. कमीश्नर चौहान न मख्यमत्री ज्िाला प्रसाद जी को फोन ममलाया और उसके बाद फोन कप्तान कवपल को दे ददया ... कवपल ने मख्य मत्री को परी बात समझा दी की ककस तरह उन्होंने अभी तक बल राम जी की ह्त्या की खबर को गप्त रखा ह . मख्यमत्री ज्िालाप्रसाद न कहा- आज रात तक तम इस खबर को गप्त रखो तब तक पर राज्य म सरक्षा का इतजाम परा करना पिगा. बलराम जी एक बहत ही लोकवप्रय नेता थे इसमलए उनके पा्ी के कायटकताटओीं का उत्तेक्जत होकर होने की आशींका से इनकार नहीीं ककया जा सकता था. प्रशासन को परी तरह सतक रखना जरुरी था कप््न कवपल न परी बात समझ कर कहा ठीक ह सर ! और उसक बाद मख्यमत्री न उसे आगे कैसे करना है समझा ददया उसके बाद उन्होंने कमीश्नर से बात की. इसके बाद उन्होंने कमीश्नर को फोन र्सपीकर पर लेने को कहा और कफर िे िोले -– कैप््ेन साब ! आपको इस केस पर काम करना है और बलराम जी के हत्यारे का पता लगाना ह.... तम जानत हो कक मर बलराम जी स तया सम्बन्ध थे .. बस आप आप अपना काम शरू कर दो कप््न कवपल न कहा –जी सर ! एक ददन बाद यानी बलराम की मत्य क बाद िाले ददन को छोिकर उनका अींनतम सर्सकार था उनका ब्ा अननल आ चका था अपन पररिार क साथ मख्य मत्री ज्िाला प्रासाद भी आ चक थ. उनम मींत्रीमींिल के लगभग सभी सदर्सय , बलराम जी के दल के राज्य और केंद्र के सभी बड़े नेता भी शहर म मौजद थ सरक्षा क बहत ही कड़ इतजाम थ यों तो सरक्षा क इतजाम पर राज्य म ही कड़ थ एक ददन पहले बलराम जी के शि का पोर्स्मा्म हो चका था और यह भी कन्फमट थे कक उन्हें जहर ददया गया था जो की उनकी मत्य क 3 स 4 घ् पहल ददया गया था. यह खबर सबह 8 बज लीक की गई कक पोर्स् मा्टम में यह शींका व्यतत की गई है कक यह शायद र्सिाभाविक मौत नहीीं है . यह खबर फैलते ही बलराम जी के कायटकताटओीं में एक क्रोध की लहर दौड़ गई और जगह -जगह प्रदशन होन लग लककन तब तक सरक्षा और पमलस का इतना इतजाम ककया जा चका था कक एक दो जगह को छोड़कर कोई बड़ी घ्ना नही हई और जहा भी कछ बड़ी घ्ना हई िहा भी कफ्य लगाकर
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 8 क्र्सतधथ को काब पा मलया गया था बलराम जी क शहर म क्र्सतधथ अभी भी तनािपण थी लककन ननयत्रण म थी बाकी पर शहर में कमोबेश शाींनत थी . बलराम जी के दाह सींर्सकार के ददन उनके शहर में चप्पे –चप्प पर पमलस का इतजाम था हजारों की भीड़ थी. . बलराम जी का दाह सर्सकार हो चका था उनके कायटकताटओीं में रोर् था लेककन शहर की जनता म काफी दुःख था उनका दाह सर्सकार शानत पिक हो चका था लककन अभी भी सरक्षा कड़ी थी. सकक् हाउस म मख्य मत्री न सरक्षा इतजाम क मलए सभी अधधकाररयों को बला रखा था शहर के अधधकाररयों के मलए यह एक आश्चयट की बात थी कक इस काम क मलए मख्यमत्री खद तयों मीद्ग ल रह ह. मीद्ग क मलए शाम को मख्य मत्री न पमलस कमीश्नर चौहान को फोन ककया और उन्हें उनके अच्छे और सफल काम जो चौहान ने बलराम जी की मौत की रात ककया था उसके मलए बधाई और धन्यिाद ददया और उन्ह इस मीद्ग की सचना दी जो कक उन्होंन सकक् हाउस म बलाई थी मख्य मत्री न कहा- म चाहता ह कक कैप््ेन कवपल भी इस मीद्ींग में आ जाए. तया िो इस शहर आ सकेंगे. कमीशनर िी .के. चौहान ने कहा -सर ! कप््न कवपल और मख्यमत्री जी क पत्र अननल एक साथ पढ़ हए ह जब दोनों राजधानी में पढ़ते थे और िे ममत्र भी थे. कल ही कप््न साब न मझ बताया ह . ि भी आज िहीीँ आये हैं . मैं उन्हें रुकने को बोल दता ह शाम के 8 बजे सककट् हाउस में मीद्ींग शरू हो चकी थी. मीद्ग म मख्यमींत्री ज्िाला प्रासाद जी, पमलस कमीश्नर िी.क. चौहान , क्जला कलत्र , शहर क पमलस एसपी और भी बहत स अधधकारी थ मख्य मत्री न बोलना शरू ककया – बलराम जी एक बड़े नेता थे और उनकी हत्या बहत ही दखद ह र्सथानीय पमलस अपना काम शरू कर चकी होगी लककन म चाहता ह हत्यारा जकदी स जकदी पकड़ा जाए और इसक मलए म एक ्ीम गदठत कर रहा ह क्जसमें कमीश्नर िी.के.चौहान और कैप््ेन कवपल होगें और इनके साथ इनकी अपनी ्ीम होगी. इसके मलए मैं अभी राजधानी स आिर ननकलिा रहा ह इस शहर की र्सथानीय पमलस इस ्ीम को परा सहयोग दे. इसके बाद िे बोले- मेरी भार्ा में सहयोग का मतलब आप समझते ही होंगे नहीीं तो मेरा कहने का अथट यह है कक इस मसले की जाूँच में इस शहर का सारा प्रशासन और पमलस महकमा इस ्ीम क मातहत होगा. कमीश्नर से िे बोले – बलराम जी की मत्य की रात जो अधधकारी आपक साथ थे उन सभी का नाम अभी आप मेरे
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 9 सक्र्री को नो् करिा द ताकक परी ्ीम के मलए सरकारी आिटर ननकल सके. अगल ददन पमलस कमीश्नर िीकचौहान क नतत्ि म एक जाच ऑकफस की र्सथापना की गई . इींर्सपेत्र यादि और सब इींर्सपेत्र रािल को भी इस ऑकफस में एक कमरा मय फनीचर के दे ददया गया था. उसी ऑकफस म एक कम्प्र रूम भी था क्जसमें दो ऑपरे्र हमेशा रहते थे. चार काींर्स्ेबल हमेशा के मलए उस ऑकफस म लगा ददए गए थ एक मख्य ऑकफस था क्जसमें कैप््ेन कवपल और कमीश्नर चौहान को बैठना था. कमीशनर चौहान का मख्य काम पर इस जाच अमभयान को मनज करना था लककन मख्य काम तो हत्या के इस र्ड्यींत्र की तह में जाना था और यह काम कप्तान कवपल को करना था. इस प्रकार व्यिहाररक रूप से तो इस अमभयान का नतत्ि तो कप््न कवपल क पास ही था और उस इसक मलए मख्य मींत्री ज्िाला प्रसाद क्जनके पास राज्य का गह मत्रालय भी था का परा विशिास हामसल था तो इस प्रकार पर पमलस विभाग को कप््न कवपल क नतत्ि म काम करना था और कमीश्नर चौहान को भी इसमें कोई एतराज नहीीं था तयों कक िे भी कैप््ेन कवपल की हैमसयत और इस मामले की गींभीरता को अच्छी तरह से जानते थे. बलराम जी की पोर्स्मा्टम ररपो्ट में उन्हें जहर कॉफ़ी में देना बताया गया था और इसके अलािा जो कॉफ़ी का थमटस जो मत्य स पि उन्ह ट्रन म उनक नौकर सोम के द्िारा ददया जाना था िह भी जब्त कर मलया गया था उसमें भी जहर क तत्ि मौजद थ. सोम को दहरासत म ल मलया गया था. इसी बारे में आज अपने ऑकफस में कैप््ेन कवपल और इींर्सपेत्र यादि बात कर रहे थे. कैप््ेन कवपल – यादि , तया कहता है सोम ! इींर्सपेत्र यादि – सर ! िो कछ कहता कहाूँ है . िो तो मसफट रोता है . बलराम जी का 25 साल पराना नौकर ह . कवपल – पर कॉफ़ी तो िही बनाता था और खाना भी . यादि- हाूँ कैप््ेन साब ! लेककन उनका सेक्रे्री राजेश कहता है खाना तो उन्होंने उस शाम खाया ही नहीीं था हाूँ कॉफ़ी जरुर पी थी . कवपल – और उसी कॉफ़ी में जहर था . यादि – हाूँ और यह जहर 2 से 3 घीं्े बाद असर करता है . कवपल – यादि एक बात समझ नहीीं आई कक जब उन्हें जहर तो घर से ननकलते समय ही दे ददया गया था कफर ट्रेन में जो कॉफ़ी उन्हें दी जाने िाली थी उसमें जहर तयों था ? तया घर पर बनाई कॉफ़ी जो
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 10 बलराम जी को दी थी िही ट्रेन के मलए थमटस में भर दी थी. यादि – नहीीं कैप््ेन साब ! सोम कह रहा था कक बलराम जी को घर पर कॉफ़ी पर रेलिे र्स्ेशन पर ननकलने के आधे घीं्े पहले दी थी और ट्रेन के मलए तो उसने कॉफ़ी र्स्ेशन के मलए ननकलने के 10 ममनन् पहले अलग से बनाई थी. इसमलए ये तो अभी रहर्सय ही है . कैप््ेन कवपल – यादि यही रहर्सय है ! सोम उन्हें जहर दे इसका विशिास तो बलराम जी के पत्र अननल को भी नही ह लेककन इस ितत तो उसे दहरासत में ही रखो. ितत ही ऐसा है कक हम ककसी पर भरोसा नही कर सकते लेककन अननल ने कहा है सोम को अभी ज्यादा तींग मत करना . यदद है भी तो िह इस र्ड्यींत्र का मात्र एक मोहरा है या कफर अनजाने में उसे इर्सतेमाल ककया गया है . यादि- जी !कैप््ेन कैप््ेन कवपल – बाकी नौकर तया कहते हैं . यादि- कोई ख़ास नही िो कल 6 है लककन चकक बलराम जी उस ददन जा रह थे इसमलए शाम को ही उन्ह छट््ी द दी गई लेककन िे सभी रहे इसी बींगले के अहाते में है . सिें् तिा्सट बने है . केिल चोकीदार था उसस भी पछताछ कर ली ह पर मर दहसाब स कछ ख़ास नही ह . कैप््ेन कवपल – बलराम जी सेक्रे्री राजेश पर भी नजर रखो. यादि- जी सर ! कैप््ेन कवपल – चलो ! कल स काम शरू करते हैं . यादि- बताइए कल तया करना है ? कैप््ेन कवपल – कल हम बलराम जी के घर चलग . सबह तो सब िही ममल जायेंगे लककन तम ककसी को सधचत मत करना . अननल को भी नहीीं . यादि -जी ! कैप््ेन साब ! कैप््ेन कवपल – कल सबह 6 बज ठीक ! इर्सपेत्र यादि – जी सर ! सबह 6 बज थ.कप््न कवपल,इर्सपत्र यादि और सब इर्सपत्र रािल सबह सबह बलराम जी क बगल पर पहच गए िो एक बड़ा बगला था क्जसका मन गे् ही बहत बड़ा था ग् पर पमलस का पहरा था उनक मलए मख्य दरिाजा खोल ददया गया उसके बाद एक एक ड्राइि िे था क्जसे पार करते हए ि बगल तक पहच . पास ही एक बड़ा लॉन था . जीप से उतर कर उन्होंने देखा कक लॉन में अननल िक्जटश कर रहा था. लॉन में एक राउींि ्ेबल थी क्जसक साथ बहत सी चयस लगी थी. केप््न कवपल को देखकर अननल ने हाथ से इशारा ककया और िे तीनों उसी और चल पड़े.
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 11 अब िे चारों उस ्ेबल के साथ लगी चेयेसट पर बैठे थे. घर का एक और नौकर चाय रख गया था. लेककन अभी उन लोगों के बीच ख़ामोशी थी . अननल अपने वपता बलराम जी का एकमात्र िाररस था . उसका और कोई भाई बदहन नहीीं था और बलराम जी क खद क भी कोई भाई और बदहन नहीीं थे इसमलए अननल के कोई चाचा या बआ नही थ. उसी समय घर क अन्दर स सफद करत पायजाम म एक िद्ध सज्जन लॉन की और आ रहे थे. िे ्ेबल के पास पहच तो अननल न खड़ होकर उनक पर छत हए कवपल की और मखानतब होत हए कहा- कवपल , ये मेरे मामा है . बस अब मेरा यही पररिार बचा है . कवपल, यादि और रािल ने उन्हें नमर्सते की . अननल के मामा भी िहीीँ बैठ गए . इींर्सपेत्र यादि कैप््ेन कवपल की और देख रहा था और कैप््ेन कवपल ने उसे धीरे से शाींत रहने का इशारा ककया . कप््न कवपल न बोलना शरु ककया –अननल , बहत दुःख की बात ह कक तम्हार वपता की दखद मत्य हो गई . तम्हार मलए तो यह एक बहत बड़ा सदमा ह . अभी तम ककतन ददन यहा हो ? अननल – अभी तो म यही ह मामाजी स पछ कर बहत सी रर्सम परी करनी ह . िस म वपछल 10 साल स अमररका ह. दखता ह आग तया होता ह िस यह मान लो कक कम से कम अगले 15 ददन तो म यहा ह कवपल- तम्हार वपता की तम राजननतक विरासत हो . अननल – नहीीं कवपल , इसमें मेरी कोई रूधच नहीीं है . हमारे पररिार का राजनैनतक सफ़र बस पापा स ही शरू हआ था और उन्ही स ख़त्म समझ लो तम . कवपल – कफर तो अब तम अमररका ही रहोगे. अननल – नहीीं यार ! इसी में एक समर्सया ह पापा की बहत सी सामाक्जक सर्सथाए थी जो गाींिों में काम करती है और उसकी फींडिींग भी हम हमारी अमरीका से करते थे. बहत स लोग हम पर डिपि ह . अभी तक तो पापा की पा्ी पर उनका कींट्रोल था तो पा्ी के लोग इन्हें भी सम्हाल लेते थे और कफर पापा का कींट्रोल था तो लेककन अब शायद इनको सम्हालन क मलए मझ ही कछ करना होगा. य काम म बद नही कर सकता . कवपल – कफर ... अननल – कवपल , मेरे ये जो मामा जी है उनका लड़का ननखखल भी मेरे साथ अमेररका में ही है िो मेरा बबजनेस पा्टनर है िो परसों आ रहा है कफर देखते हैं हम ककस तरह मेनेज करते हैं. अब मेरे मलए बबजनेस से ज्यादा पापा के सामक्जक कायट मायने रखते हैं कमा तो बहत मलया मन और कफर मेरा बबजनेस अब हम इींडिया में भी शरु करन िाल थ. दखत ह.
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 12 तभी अननल का मोबाइल घनघनाया ..... िो दर ह्कर फोन पर बात कर रहा था . उसन अपन मामाजी को भी िही बला मलया. तब यादि को बोलने का मौक़ा ममला – कप््न साब ! आप शायद भल रह हैं यहाूँ हम एक मिटर की तफ्तीश करने आय ह. अब आप शरू कर. कैप््ेन कवपल ने कहा- यादि , ये आम मिटर नहीीं है ये राजनैनतक ह्त्या है और ये एक बड़े नेता का घर है इसकी तफ्तीश सीध ही घर म घस कर नही की जा सकती है और कफर अननल मेरा दोर्सत है . देखो मलींक तो बात से बात में ही ननकलेगा अभी तम इन्तजार करो तभी अननल लौ् आया . कवपल ने सीधे ही अननल से सिाल ककया – अननल ककसी पर तम्ह शक ह . अननल – नहीीं कवपल . पापा का इस तरह से तो ककसी से सम्बन्ध नही था कक उनका मिटर हो जाए. कवपल – सोम और राजेश के बारे में तया ख्याल ह तम्हारा ? अननल – सोम काका तो 25 साल से पापा के साथ है और राजेश जी को भी 15 साल हो गए हैं. कवपल – सोम का तो िायरेत् इन्िोकमें् लग रहा है. अननल – हाूँ िो तो दहरासत में है ही . दखो कवपल ! म तम्हार इन्िर्स्ीगशन म कोई हर्सतकक्षेप नहीीं करूींगा. हाूँ पापा की कॉफ़ी तो सोम ने ही बनाई थी . अब मैं तया बताऊ ? तम दखो तया और कस करना है . मेरे फादर-इन-लॉ भी मझ तम्ह कॉपरे् करने को कहा है . सो नो एिेधथिंग इज ओन य कवपल आइ विल अमसर्स् य . कवपल- थैंतस अननल ! अननल – मेरे पापा के हत्यारों को पकड़ना तो तम्ह ह ही. सरकार तम्ह क्जतन भी साधन द तम इर्सतमाल कर ही रह होग लककन इसक बाद भी तम्ह कोई और मदद या साधन चादहए तम बधड़क मझ बोल देना . पापा जैसे व्यक्ततत्ि की ह्त्या ..... उसकी आिाज भराट गई ... और ऑींखें गीली हो गई. बड़ी मक्श्कल स िो बोला –कवपल तम मर दोर्सत हो इींर्सपेत्र यादि समाझ रहा था कक ककस तरह धीरे -धीरे कैप््ेन कवपल बातों को इन्िेर्स्ीगेशन तक ले गए हैं. अननल की बातों से भी उसे लगा उसमें हमारे राजनीनतज्ञों के बे्ों की तरह कोई अकड़ नहीीं थी . िो 10 साल से अमेररका में रह रहा था. िो विपक्षी दल के नता का पत्र तो था ही लककन इस समय क मख्य मत्री का दामाद भी था. यादि कई छो्े -छो्े नेताओ क ब्ों का व्यिहार दख चका था और अननल उसके मलए आश्चयट था. हो सकता है ये उसके अमेररका में रहने का असर हो या कफर र्सिगीय बलराम जी के
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 13 सींर्सकारों का असर था . उसका सर र्सिगीय नता की याद म श्रद्धा स झक गया. कवपल ने कहा- चलो ! अब हम इस केस पर काम शरू करें. तब तक अननल के मामा भी आ गए. िो बोला -कवपल ! अब मझ तो जाना होगा लोग ममलने आते हैं . मेरे मामा का छो्ा लड़का है अममत िो मेरे पापा का और इस घर का परा राजदार ह और अतसर यही रहता है . पापा का कमरा , उनका ऑकफस , घर के सब नौकर और व्यिर्सथा इसी के अींिर में है . हम दोनों को तो अब जाना पिेगा लेककन बस मैं अन्दर जाते ही अममत को भजता ह . ठीक ह . कवपल ने कहा – ठीक ! कैप््ेन कवपल ने यादि और रािल की तरफ ध्यान दकर बोलना शरू ककया –रािल , इस जाच म म जो भी करू तम जहाूँ जरुरी समझों िहाीं अपने मोबाइल से िीडियो बना लेना . देखो यह एक महत्िपण कस ह और हम पर दबाि भी बहत ह . चलो सामन स िो नौजिान आ रहा है शायद िही अममत है . तभी एक 6 फी् लींबा एक र्समा्ट सा यिक आ खड़ा हआ और कप््न कवपल की और देख नमर्सते कर बोला- आइये कैप््ेन कवपल! भैया ने बता ददया होगा मै ही अममत ह चमलए कहा स शरू करग कैप््ेन कवपल – अममत ! तम तो बलराम जी के साथ ही होते थे कई बार . ऐसा मझ अननल न बताया ह . तम्ह ककसी पर शक है ? अममत – सर! बाबजी का तो कोई दश्मन ही नहीीं था . कप््न कवपल = बाबजी ? अममत – सर ! मै तो कई िर्ो से बलराम जी क पास ही था बआ थी तब भी मै अतसर यही रहता था बआ की मत्य क बाद तो मरी क्जम्मदारी बहत बढ़ गई थी. अननल भैया तो अमेररका थे और अब में बलराम जी को अकेला नहीीं छोड़ सकता था म शरू स ही उन्ह बाबजी ही कहता ह कैप््ेन कवपल – अच्छा ! िस तम यहा तया करते हो ? राजनीनत में आने का इरादा है . अममत- नहीीं सर ! राजनीनत में मसफट बाबजी थ और ि भी कई बार कहत थे मैं गलती से राजनीनत में आ गया . उनका कोई इीं्रेर्स् नही था कक हममें से कोई भी राजनीती में आये. मैं एक सॉफ््िेयर इजीनीयर ह और एक सॉफ््ियर कपनी यहा चलाता ह . हमारा बहत सा काम भैया की अमेररकन कम्पनी से आता है . िैसे लोकल भी हमारे तलाइींट्स है . कवपल – क्जस ददन बलराम जी की मौत हई उस ददन त्तम घर पर थ ?
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 14 अममत- नही सर ! म रोज बाबजी क पास आता तो था लककन म यहा नही रहता ह . मेरा अपना मकान पास में ही है जहाूँ मै रहता ह अपन पररिार और मर पापा क साथ . मेरे पापा अननल भैया के मामा है . कवपल- चलो, पहले बलराम जी का घर देख लेते हैं. सभी अन्दर की और चल पड़े. िो एक बहत बड़ा घर था क्जसम 6 कमर थ और एक बहत बड़ा हॉल था. ड्राइग रूम अन्दर प्रिेश करते ही था . उसपर चारों तरफ दीिार से लगे सोफे थे. इससे लगा पहला कमरा ही बलराम जी का ऑकफस था और उससे लगा उनका बेिरूम था. आगे के चार कमरों में से एक र्स्िी था और बाकी के तीन गेर्स् रूम थे. नेता जी का मकान था और िो भी बलराम जी जैसे लोकवप्रय नेता का घर था तो सविधाए भी उसी प्रकार स थी. मेहमानों के मलए भी खासा इींतजाम था . कैप््ेन कवपल और उनकी ्ीम ने पहले बलराम जी के बेि रूम की और रुख ककया . यह एक बड़ा कमरा था और उसमें एक बेि लगा था और कमरे में एक तरफ अ्ेच ले्-बाथ थे. दो दीिार में ही बनी अलमाररयाीं थी क्जनमें बलराम जी के कपिे थ कप््न कवपल न पर कमर को बहत अच्छी तरह से देखा. दोनों अलमाररयों को भी खोल कर देखा . कमरे की एक दीिार पर दो खखड़ककयाूँ थी जो बींद थी और दीिार पर एसी लगा हआ था कमरा बहत ही साफ था और सब कछ करीन स लगा था. कवपल ने एक -एक कर बाकी सारे कमरे भी खलिा कर दख . अममत खद ही सब दरिाजे खोल रहा था और िही उन्हें बींद भी कर रहा था. कवपल – सब कछ बहत ही साफ़ और करीने से लगा है . अममत – हा सर ! मीन ह ना यहा कयर ्ेकर . उसी के क्जम्मे यह सब व्यिर्सथा है . कैप््ेन कवपल – मीन !!!! य कौन ह अममत . अममत – य परा मकान मीन क अिर म ही है . िही यहाूँ की व्यिर्सथा देखती है . िो हमारे चोकीदार लक्ष्मण जी की लिकी है . यहीीं सिें् तिा्टर में रहती है . अभी आती ही होगी. कैप््ेन कवपल – ह !!! अभी चलो र्स्िी म . अब िे सभी र्स्िी में थे. िहाीं एक बड़ी ्ेबल थी और उसके पीछे एक ररिाक्किींग चेयर थी और सामने 4 कमसया लगी थी . दीिार से स्े सौफे लगे थे. एक सें्र ्ेबल भी थी. अगली दीिार पर अलमाररया थी क्जनमें कई फाइकस थी . ये सभी फाइकस भी करीने से लगी थी.
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 15 कवपल न एक अलमारी स कछ फाइकस ननकाल कर दखना शरू ककया और उसक मलए िे ऑकफस ्ेबल के सामने लगी विक्ज्र चेयर पर बैठ गया . कैप््ेन कवपल – इन फाइलों के क्रम के बार म मझ कोई समझा सकता ह ? अममत – हा ! म अभी मीन को बलाता ह . थोड़ी देर बाद एक लड़की ने प्रिेश ककया जो ककसी र्सकल की छात्रा लग रही थी उसने जीींस और ्ॉप पहन रखा था . अममत न मीन का पररचय करात हए कहा – कप््न साब ! य मीन ह और यह हमार चोकीदार लक्ष्मण जी की बे्ी है. इस समय ये एम.ए. कर चकी ह और बाबजी का परा घर नौकर चाकर इसी क क्जम्म ह मीन न सभी को नमर्सत की और अममत की और मखनतब होत हई बोली – हाूँ भैया ! बोमलए. अममत- मीन ! य कप््न साब ह . इन्ह बाबजी की फाइकस म स कछ खास फाइकस चादहए. कप््न साब बाबजी की ह्त्या की जाूँच कर रहे है . कैप््ेन कवपल – अर ! तम तो र्सकली छात्रा लगती हो . मीन – जी सर ! मेरी कद काठी ऐसी ही है . आप बताइये कौनसी फाइल ननकाल द . िो सीध मद्द पर आत हए बोली कैप््ेन कवपल – ये फाइकस ककस आिटर में जमी हई ह . मीन – सर ! ये कोई सब्जेत् िाइज नहीीं है . साहब के पास एक फाइल किर रहता था क्जसमें हर रोज के कागज रखते जाते थे क्जनमें अधधकतर तो उन ले्सट की कॉपी होती थी जो िे मलखिाते थे. बाकी उन अखबारी खबरों की कद्ींग होती थी जो राजेश अींकल को िो का्कर अपने फाइल किर में रखने को कहते थे. कैप््ेन कवपल- कफर तम्ह तया करना होता था . मीन- म दसर ददन उन्ह एक बॉतस फाइल में लगा देती थी. एक फाइल तब तक चलती थी जब तक िह भर नहीीं जाती थी. इस तरह ये फाइकस िे् िाइज है . कैप््ेन कवपल – ओक ! अब तम मझ वपछले 6 महीने िाली फाइकस ननकाल दो और उनको मींथ िाइज इस ्ेबल पर जमा दो . मीन – जी ! सर . मीन और अममत न ममलकर फाइकस अलमारी स ननकालनी शरू कर दी . 6 माह की उन्होंन कल 12 फाइकस ननकाली और ये फाइकस उन्होंने ्ेबल पर जमा कर रख दी . कैप््ेन कवपल – यादि ! तम और रािल इन फाइकस को अच्छी तरह से देखो और कोई काम की खबर या पत्र हो उसे मेरे
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 16 मलए अलग स रख दना तम्ह ज़रा सा भी महत्िपण लग उसको अलग कर लो. ककतना महत्िपण ह इसका दहसाब तम मत लगाना . ये मेरे ऊपर छोड़ देना . इसक बाद िो अममत की और मिा और बोला – घर के सभी नोकर , चोकीदार और जो भी यहाूँ होते है उन सभी को बलराम जी के ऑकफस में ले आओ. सबको एक साथ लाना कोई छ् नही अममत ने बोला- मीन , 5 ममनन् म सभी को ऑकफस में ले आओ . मै अभी पहच रहा ह कैप््ेन कवपल – देखो उनके सेक्रे्री राजेश को मत लाना . अममत- िो िैसे भी भैया के साथ है . अममत के साथ कवपल अब बलराम जी के ऑकफस में आ गया था और िे दोनों िहाीं लगी ्बल की पीछ लगी कमसयों पर बठ गए. कप्तान कवपल ऑकफस की हर चीज को बड़े ध्यान स दख रहा था तभी मीन ने प्रिेश ककया . उसके साथ घर कर सभी नौकर और उसक खद क वपता लक्षमण भी थे जो कक इस बींगले के चोकीदार थे . कैप््ेन कवपल – सभी आ गए मीन ? मीन – जी सर ! बस गोपाल काका नहीीं है . मै गई थी िहाीं लेककन िे सख्त नीींद में थे. िो बीमार है दो तीन ददन से . आप उनके मलए थोड़ा इन्तजार कर लें सर ! मैं काकी को बोल कर आई ह कैप््ेन कवपल – अरे ! कोई बात नहीीं , जरुरत हई तो हम उनस उनक तिा्र पर ही ममल लेंगे. अममत ने सबको सामन लगी कमसयों और सोफे पर बैठने का इशारा ककया लेककन मीन और लक्ष्मण जी खड़ ही रह और बाकी थोड़ा सींकोच के साथ बैठ गए. कैप््ेन कवपल- देखखये ! आप सभी भी दखी होंग बलराम जी की मौत पर और ख़ास तौर पर जब उनकी ह्त्या की गई है. आप मझ याद कर क बताइय कक वपछल 3 या 4 ददनों म तमम स ककसी न भी कछ ख़ास दखा ह कछ भी जो आम ददनों और आम घ्नाओीं से अलग हो. कोई व्यक्तत जो बलराम जी से ममलने आया हो और उससे साथ की ख़ास घ्ना हई हो मीन न कहा – सर मैंने कल ही इन सब स पछा ह जब स मझ य पता लगा की साहब की ह्त्या हई ह म भी सतक हो गई थी . य सब परान लोग ह यहा . पर इनक दहसाब स कछ ऐसा नही हआ. कैप््ेन कवपल- आप सब याद कर. कछ भी . उनम स एक खिा हआ और बोला – सर! एक बात है . कैप््ेन कवपल – तया नाम ह तम्हारा . उसने बोला – जी , गोरधन . मैं बता रहा ह पर िह बात आपक काम की ह या नही , मझ पता नही कैप््ेन कवपल – तम बोलो गोरधन
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 17 गोरधन – सर ! इस घर में एक बबकली थी लेककन अभी िह कहीीं नहीीं है . दो -तीन ददन से नजर ही नही आ रही है. मैंने एक दो बार सोचा ककसी स पछ लककन अभी की इस घ्ना से सब इतने व्यर्सत और दखी थ कक म पछ नही सका कैप््ेन कवपल – अरे ! बबकली कहाूँ गई होगी . शायद इतनी भीड़ देख कर कहीीं जाकर नछप गई होगी. तभी लक्ष्मण बोला- अरे ! िो बबकली तो उसी ददन मर गई थी क्जस रात साहब की मत्य की खबर आई थी िो तो बरामदे में मरी हई ममली थी और मन उस पीछ खाली जमीन में खोद कर गाड़ ददया. कैप््ेन कवपल – अरे ! बबकली अचानक कैसे मर गई ? मीन – सर ! पता नहीीं लेककन रात को हर ददन की तरह मैंने रात को उसको एक बतन म दध ददया था कफर म तो सोन चली गई थी . कैप््ेन कवपल – अच्छा मीन ! िो दध कहा स ममला था तम्ह . मीन - िो तो मैं रात को सब बींद कर रही थी और सोम काका थे नहीीं तो किज में एक छो्े ग्लास म थोड़ा दध रखा था िही ददया था. कैप््ेन कवपल – ओके . अममत अब इन लोगों स ज्यादा कछ नही पछना ह . इन्ह अपन काम पर भज दो बस मीन तम थोिा रुक जाओ मझ तमस कछ जानकारी और लेनी है लेककन अब िो सब र्स्िी में होगा तम िही चलो . कैप््ेन कवपल इींर्सपेत्र रािल को र्स्िी में एक और ले गए और बोले- तम कमीश्नर स बात करो और तरत सोम को पमलस कर्स्िी से यहाूँ लाने का इींतजाम करो और उसके बाद फाइकस का अध्ययन जारी रखो. मीन और अममत भी अन्दर आ चक थ कप््न कवपल न पछा – य शाम को दध कहाूँ से आता था. आसपास ककसी िेरी से .. या कोई दे जाता था. मीन – सर ! बाकी सब और मेहमानों के मलए तो सोम काक ही पास की िेयरी से लाते थे लेककन साहब के मलए यहीीं एक गाय पाली हई थी क्जसका थोड़ा सा दध साहब की काफी और दध पीन के मलए सबह शाम आता था तयों कक साहब को बाहर का दध पसद नही था. बस उनका दध िही स गोपाल काका दे जाते थे और बाकी का उस गाय का दध उनक पररिार के ही काम आता था. कैप््ेन कवपल – िही गोपाल जो बीमार है ? मीन – हाूँ सर ! अच्छा चलो मझ उसस ममलना ह . मीन – लेककन िो तो सो रहे हैं . अममत – अरे ! आप चलो सर ! अभी उन्हें उठा दत ह सभी यहा क परान लोग ह
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 18 गोपाल काका तो शरू स ही यही ह िही तो बाबजी की गाय की दखभाल करत ह. कैप््ेन कवपल – थोड़ा रुको ! अभी सोम को आ जाने दो . मीन और अममत एक साथ बोल पड़ –सोम काका आ रहें है !!!!!!! थोड़ी दर म एक पमलस इर्सपत्र और दो काींर्स्ेबल के साथ सोम भी आ गया . इींर्सपेत्र ने उसे अच्छी तरह से पकड़ा था. िो इर्सपत्र शतला था . कप््न कवपल न कहा – शतला इसे छोड़ दो . कहीीं नहीीं जाएगा यह . िस इसन कछ नही ककया ह . यों भी यह आज छ् जाएगा. इर्सपत्र शतला न कहा- कैप््ेन साब ! लीक्जय इस आपक हिाल कर रहा ह . हम लोग बाहर बैठे हैं . कैप््ेन कवपल ने सोम की और रुख ककया दो ददन म ही िो काफी थका हआ और कमजोर लग रहा था . कैप््ेन कवपल ने उसे कहा- सोम ! ये बताओ कक उस ददन बलराम जी क मलए जो काफी तमन बनाई थी उसक मलए दध कहा स आया था . सोम- सर ! दो तीन ददन से गोपाल बीमार था तो उसकी पत्नी दध तो ननकाल दती थी लेककन लेकर अब मै ही अता था . उस ददन भी मैं जाने ही िाला था कक एक मैया दध द गया था बोला गोपाल जी ने भेजा है . मै उसे कहने ही िाला था की भाई मैं लन आ रहा था तभी िह जा चका था िही उस ददन दध दकर चला गया कैप््ेन कवपल – तम्ह उस लड़क की शतल याद है या ये पता है िो कौन था. सोम- नहीीं सर ! मैंने एक ममनन् सर भी कम समय उसको देखा था. कैप््ेन कवपल – िो दध द गया कफर तया हआ ? सोम- मैंने दो बार साहब के मलए कॉफ़ी बनाई थी . एक तो मैंने वपला दी थे और उसके बाद मैंने एक बार कफर थमटस में भरने के मलए बनाई थी. कैप््ेन कवपल- कछ दध बचा था तया ? सोम – हाूँ सर ! थोड़ा सा आधा ग्लास . एक बार तो मैंने सोचा की मैं पी जाऊीं पर मझ साहब क साथ सफ़र पर जाना था तो मैंने इरादा बदल मलया था और उस ग्लास को किज में रख ददया . कैप््ेन कवपल- ओह माय गॉि ! भगिान न तम्ह बचा मलया उस दध म ही जहर था और मीन न उस बबकली को वपला ददया और िो मर गई. सोम क रोंग् खड़ हो गय. दो ददन पमलस र्स्शन म बबतान का गम उसको अब बहत छो्ा लग रहा था और उसका चेहरा और कछ ज्यादा ही दयनीय लग रहा था. मौत का िर िाकई उसके चेहरे का रींग उिा चका था . कैप््ेन कवपल ने कहा चलो ! सोम और मीन . तम मर साथ गोपाल क पास चलो. अममत चलो कहाूँ रहता है िो बताओ. घर से बाहर ननकल कर उन्होंने दालान पार ककया और कफर अममत उन्हें पीछे की
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 19 और ले गया. िहाीं चार -पाींच छो्े -छो्े तिा्र बन हए थ. अममत न बताया इनम से चार में तो ये लोग रहते हैं. एक खाली है . तिा्र में दो छो्े -छो्े कमरे और एक छो्ा से बरामदा था . बरामदे में ही रसोई और पीछे की तरफ ले् बाथ थे. कल ममलाकर उन्ह बहत अच्छा ननमाण कह सकते थे. कैप््ेन कवपल- सिें् तिा्र हमारे यहाूँ इतने अच्छी तरह से डिजाइन नहीीं ककये जात ह तया शरू स ही य इसी तरह स बने हैं. अममत- नहीीं सर ! ये अननल भैया का शौक है . उन्होंने ही यह सब 5 साल पहले बनािाया था . घर क नौकरों को सविधा दन क प्रनत ि बहत सतक ह. तब तक ि एक तिा्र क पास पहच गए जो बाकक सभी से थोड़ा बड़ा था और उसके अहाते में एक सफ़ेद गाय और बछड़ा बनधा हआ था . अममत पहल उस घर क अन्दर गया एयर कफर उसने आिाज लगाईं – गोपाल काका ! लेककन कोई जिाब नहीीं आया तो उसने कफर से आिाज लगाईं और दरिाजा ख्ख्ाया लेककन कोई उत्तर नहीीं आया. अममत बाहर आ गया और बोला- सर ! कोई खोल नहीीं रहा है . शायद गोपाल काका सो रहे हैं और अींदर कोई और नहीीं है. उनकी पत्नी शायद ककसी काम से बाहर गई हई ह तभी सोम बोला- अममत भैया ! मै ऊपर छत पर से अन्दर जाकर दरिाजा खोला दता ह और िह दीिार पर लगी खखड़की क सहारे ऊपर चढ़ने लगा. छत पर जाकर िह अन्दर से सीदढ़यों के जररये नीचे घर के अन्दर पहचा और उसन दरिाजा खोल ददया. तभी एक मदहला भी िही पहच गई उसक हाथ म दिा की कछ गोमलया थी जो उसने पौमलधथन के एक छो्े बेग में रख रखी थी. उसन आत ही पछा – मीन ! तया हआ ? तम इतन लोग !!! अममत भया भी ह !!! तम्हार काका तो ठीक है ? अभी थोड़ी दर पहल ही तो म उन्ह सोता हआ छोड़कर गई थी . मीन अर काकी ! काका को कछ नही हआ ह. बहत दर स दरिाजा नही खल रहा था तो सोम काका ने ऊपर जाकर दरिाजा खोल ददया है . सभी अन्दर चले गए . िहाीं देखा गोपाल गहरी नीींद में सो रहा था . कैप््ेन कवपल ने उसे ठीक से देखा . िो ठीक ठाक था लककन नीद बहत गहरी थी. अभी उसस पछताछ करन का कोई अथ नही था. लककन िो य तो समझ गया कछ तो गड़बड़ है . कैप््ेन कवपल ने गोपाल की पत्नी की और मखानतब होकर बोला – ये कब से सो रहें हैं ? उसकी पत्नी ने कहा – ददन में तीन बार इन्हें दिा देनी होती है लेककन ये लगभग हमेशा सोते ही रहते हैं. कैप््ेन कवपल – तया हआ था इन्ह ? गोपाल की
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 20 पत्नी के कहा – कछ ख़ास नही किल एक ददन जकाम और खासी थी . तब भया न इन्हें यह गोली बताई और ये ठीक तो हो गए लेककन अब हमेशा सोते ही रहते है. कैप््ेन कवपल – लाइए मझ गोमलया बताइए . गोपाल की पत्नी ने – अभी लाई गोमलयाीं ददखाई और उन्हें देख कर कवपल के होठ आश्चयट से गोल हो गए. इन दिाइयों नीद की बहत ही र्सट्रोंग दिा थी जो उन्हें ददन में तीन बार दी गयी थी. जब की सामान्य तौर से यह दिा एक ही बार काफी होती ह और इस जकाम ठीक हो जाता है . िे सभी बाहर आ गए. कैप््ेन कवपल ने अममत की और दखत हए कहा -अममत ! जकद स जकद ककसी िॉत्र को बलाओ . इसका जकदी से जकदी होश में आना जरुरी है . और इसको अब कोई दिा मत देना . अममत मै अब इींर्सपेत्र यादि के पास र्स्िी म जा रहा ह , तम जकदी स जकदी इस होश म लाकर र्स्िी म ल आओ. मीन ! तम इसकी पत्नी का ध्यान रखो और य भी ध्यान रखना कक ये दोनों ककसी से बात नहीीं कर सके. मोबाइल पर भी नहीीं. यह कहकर कैप््ेन कवपल िहाीं से ननकल गया और पीछे छोड़ गया मीन और अममत को आश्चयचककत . मीन न पछा – भैया ! आपने ये गोमलयाीं गोपाल काका को देने के मलए तयों बोला ? अममत ने बोला- अरे! मीन ! त भी कप््न कवपल क दखकर जासस होती जा रही ह तया ? म कोई िॉत्र ह तया जो दिा मलखगा !!!!! मीन –अभी तो काकी ने कहा है भैया ने दिा मलखी थी . अममत – अर बिकफ ! दननया म म कोई अकला भया ह तया !!! चल काकी स ही पछत ह मीन और अममत घर क अदर पहच काकी गोपाल काका के पलींग के पास धचींनतत बैठी थी . िो अनपढ़ थी लेककन सब की बात सनकर समझ गई थी य दिाइया काका की क्जींदगी पर भारी पड़ने िाली थी और उसका चहरा बबलकल सफ़द हो गया था मीन न पहचत ही पछा – काकी ! तमन कहा िो दिाइया तम्ह भया न मलखकर दी !! ऐसा तयों कहा तमन .. काकी – िो काका बीमार लग रहे तो भैया ने .... कहकर िो बेहोश हो गई. अममत ने कहा – मीन , तम यही रहो िॉत्र आ रहा है . काकी को भी ददखा देना काका ठीक हो जाए तो इन दोनों को कैप््ेन कवपल के पास र्स्िी में ले जाना . मीन न सहमत हए कहा – भैया आप कहाूँ जा रहे हो. अममत – अननल भैया को दो दोर्सत अमेररका से आ रहे हैं मैं एअरपो्ट उन्हें लन जा रहा ह मीन- अचानक आपको कैसे याद आ गया . लककन अममत न कछ सना ही नहीीं और िो तेजी से िहाीं से बाहर ननकल गया. मीन सोचती रह गई कक अममत भया !!!!!!! एक बार तो उसक ददल म आया कक तरत
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 21 कैप््ेन कवपल के पास जाए और बताये कक िे अममत भैया को राकें. लेककन कफर उसे अपना और अममत का बचपन से अभी तक का ररश्ता याद आ गया कक कैसे िे दोनों इसी बगल म रहकर बड़ हए ह अममत और बलराम की पत्नी यानी अममत की बआ न भी कभी उनम भद नहीीं ककया . अममत का दजाट हमेशा बड़े भाई का रहा है . अननल स तो िो बहत कम बोल पाती थी लेककन उसकी पढ़ाई और अब उसकी पीएचिी शरू करन भी अममत न परा सहयोग ददया था. िह तो मसफट इस बींगले के एक चोकीदार की बे्ी थी लेककन उसका दजाट इस समय इस घर के एक सदर्सय से भी ज्यादा था. िह गहर सोच म िब गई की अममत भैया ने ऐसा तयों ककया . तया इसी समय उसे अननल भैया से बात करनी चादहए जो कई बार कह चक थ मीन ! तर यहा होन स मझ पापा की कोई धचता नही रहती ह . मीन का सोचा गहरा होता जा रहा था और धचींता की रेखाएीं भी उसके चेहरे पर गहरी होती जा रही थी और उसका असमींजस भी बढ़ता जा रहा था. तभी उसने एक फैसला ककया और अपनी जीींस की जेब से अपना मोबाइल ननकाल कर एक नम्बर िायल के लगी ... यह नम्बर बलराम की पत्र अननल का था जो इस समय बबजी आ रहा था. मीन न दो ममनन् इन्तजार ककया और कफर िावपस मोबाइल िायल कर ही रही थी तभी एक कार िहाीं आकर रुकी और उसमें से िॉत्र मनोहर और उनके साथ एक नस ननकल और मीन न अपना मोबाइल जब में रखा और उन्हें लेकर गोपाल काका के घर के अन्दर चली गई. िॉत्र ने गोपाल काका को देखा और कफर उन गोमलयों की और देखा और कफर नसट को एक इींजेतशन लगाने को कहा . िॉत्र ने कहा – मेिम ! ये जकदी ही नीींद से उठ जायींगे तयों की इन्हें इस दिा की एक खराक तो रात को दी गई होगी इसका असर अभी थोड़ी देर में िैसे ही ख़त्म हो जाएगा . मैंने एक इींजेतशन भी लगा ददया है . अब आप इन्हें यह दिा नहीीं दें . ये दिा ददन में एक बार िो भी सोने से पहले दी जाती है और आप ददन में तीन बार दे रहे थे. अब इसे बींद कर दे बाकी सब ठीक है . गोपाल काका के बाद उन्होंने काकी को देखा . नसट ने उन्हें उठाया और िे धीरे –धीरे आींख खोलने लगी . िॉत्र ने उन्हें चेक ककया और बोला- ये तो ठीक है कोई सदमा लगा होगा इसमलए बेहोश हो गई. हा्ट बी् तेज हैं पर ऐसे हालात में ऐसा हो जाता है . नसट उसे पानी वपला रही थी और िे धीरे -धीरे होश में आ रही थी . िॉत्र ने कहा- य पर होश म आ जाय तो इन्ह यह गोली दध क साथ द दना . बाकी सब ठीक है . मीन न कहा – िॉत्र साहब ! आपकी फीस ? और िो अपने जेब से पसट
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 22 ननकालने लगी. इस घर के लगभग सारे खचों का भगतान और दहसाब उस ही करना होता था. िॉत्र ने कहा- मेिम ! आप शायद जानती नहीीं है हम साहब की सींर्सथाओीं में रहकर ही बड़ हए ह और य डिग्री भी बलराम सर की ही दें है . चमलए मैं एक बार और अननल भया स और ममल लता ह . कहाूँ है िो ? मीन – सर ! िो ड्राइींग रूम में हैं . बलराम जी के बारे में इस तरह की कहाननया िो कई बार सन चकी थी और ये उसके मलए नई बात नहीीं थी लेककन इस उसकी आूँखें भर आई. िॉत्र जा चका था . तभी मीन न दखा काकी परी तरह होश म आ चकी थी उसन रसोई म जाकर तरत दध गरम ककया और उन्ह दध का ग्लास और एक गोली दत हए बोली – काकी तम ननक्श्चत हो जाओ काका बबलकल ठीक ह . िॉत्र उन्ह दख चक ह और इजतशन द ददया है . अभी थोड़ी दे में नीींद से उठ जायेंगे. आप उन्हें अब कोई दिाई मत देना . काकी धीरे – धीरे अपना ग्लास ख़त्म कर रही थी और िो गोली भी ल चकी थी और अब थोड़ी र्सिर्सथ नजर आ रही थी लेककन उनकी ऑख अभी भी आसओ स भरी थी और लाल हो रही थी. मीन धीर – धीरे उनकी पीठ पर हाथ फर रही थी मीन का बचपन इन्ही लोगों क साथ गजरा था . काकी थोड़ी र्सिर्सथ हई तो मीन न पछा –य अममत भया न तम्ह दिाइया कब मलख कर दी जो तम काका को द रही थी ? काकी न आश्चय स मीन को दखत हए कहा – अममत भैया ? अममत भैया ने तयों दिाइया मलखी !!! य तन्ह ककसन कहा मीन ? मीन- काकी ! तया मजाक कर रही हो !! अभी तमन ही तो कहा था कक काक बीमार थे तो भैया ने दिाइयाीं लाकर दी थी काकी- अर ! बिकफ मैंने भैया कहा था . अममत भया नही . तरा ददमाग भी फालत में ककताना तेज चलता है मीन . मीन – तो कफर कौनसे भैया ? काकी- अरे ! िो तो तेरे काका के ककसी ममलने िाले का लड़का था जो ककसी काम से इस शहर में आया था िही उस समय ममलने आया था . मीन न बोला – अरे ! बाप रे ! आज तो बच गए.... हे भगिान ! उसके चेहरे पर पसीने आ गए . िो रसोई में गई और दो ग्लास पानी लगातार पी गई तब उसे थोड़ा चैन आया. उसन तम्हार काका को बीमार दखा तो एक पची पर यह दिा मलख दी और कहा ये ददन में तीन बार दे देना तम्हार काका उस समय सो रहे थे . उस समय म दध ननकाल रही थी तो उसन अपनी
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 23 जेब से एक पची ननकाल कर उस पर ये दिा मलख कर दी. मैंने बोला – मैं अभी साहब क घर दध दकर दिा ल आउगी . िो मझ बोला- आीं्ी आप दिा ले आओ . दध नताजी क घर म द आता ह मैं तो दिा लेकर आ गई थी और मेरे आने क पहल िो जा चका था और दध िो साहब के घर देकर आ गया था लेककन िो ना तो यहाूँ रुका और ना ही िो काका से ममला. तब तक काकी चाय बनाने रसोई में आ गई मीन बाहर जाकर काका क पास बठ गई तभी काका नीद खलन लगी थी काकी चाय ले आई और चाय का एक ग्लास मीन की और ि दसरा ग्लास मीन को द ददया और िो खद भी एक ग्लास लेकर आ गई . अब गोपाल काका और काकी नामटल हो चक थ और मीन उन्ह लकर र्स्िी की और बढ़ चली . र्स्िी में इींर्सपेत्र यादि , सब इींर्सपेत्र रािल और कैप््ेन कवपल बैठे थे. यादि और रािल अभी भी िही फाइकस देख रहे थे जो िो छोड़कर गयी थी कछ कागज उन्होंन उन फाइकस स अलग ननकल कर एक ट्रे में रख ददए थे. यादि न मीन स कहा- आप इन ट्रे में रखे कागज की फो्ो कॉपी कर दें और इनकी एक अलग फाइल बना दें . ऑकफस में एक कौने में लगी ्ेबल पर एक वप्रीं्र रखा था जसम फो्ो कॉपी की सविधा भी थी जो कक इर्सपत्र यादि दख चका था सोम र्स्िी में ही एक अलग कानटर में लगे सोफे पर बबठा था और उसका बाहर जाना मना था लेककन उसने र्स्िी में लगे इ्रकोम स बाहर एक दसर नौकर स बात कर उनके मलए नाश्ते और चाय का इींतजाम पहले ही कर ददया था और अब िो भी अपनी चाय पी रहा था. चेहरे से अब िो ननक्श्चन्त नजर आ रहा था लेककन काननन तो िो दहरासत म ही था. कमीश्नर चोहान ने कागजी कायटिाही कर इर्सपत्र शतला स सोम को इर्सपत्र यादि की कर्स्िी में दे ददया था इसमलए अब इर्सपत्र शतला अपनी ्ीम क साथ जा चका था. गोपाल काका और काकी एक सोफे पर आ बैठे थे . तभी अममत ने र्स्िी में प्रिेश ककया . आते ही िह कवपल के सामने जा पहचा और मीन जो अपन काम म लग गई थी की और मर्सकरात हए बोला- सर ! आपका प्रभाि अब हम पर भी पड़ने लगा ह . आपको ककसी फीमल जासस की सेिाएीं चादहए तो बताइए. कैप््ेन कवपल भी इतनी देर की जाींच और ्ेंशन से थोड़ा परेशान हो गया था इसमलए उसने भी सोचा अममत तया कह रहा ह सन ल ताकक थोड़ा ब्रक हो जाएगा. उसने इींर्सपेत्र यादि और रािल को भी कहा – भाई लोगों थोड़ा ब्रेक ले लो. अममत तम थोड़ा एक बार कफर चाय क मलए बोलो नौजिान ! और अब सनाओ तम्हारी कहानी
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 24 अममत न सनाया कक कस मीन न सारी बात सनन क बाद यह मान मलया कक गोपाल काका को नीींद लाने िाली गोमलयाीं मैंने ही मलख कर दी थी और कफर इसके और भी मजे के मलए मैं िहाीं से ऐसे ननकाल जस म अब भाग रहा ह िस जाना तो मझ एअरपो् ही था पर मरा िहाीं से जाने के तरीके ने इसका शक और भी पका कर ददया और िो जोर- जोर से हींसन लगा. मीन जो अब तक धचनतत थी की उसकी इस हरकत का अममत भैया पर तया असर पिगा िो भी मर्सकरान लगी यह सब सनकर सभी क चहर पर हसी आ गई . गोपाल काका को तो शायद ज्यादा कछ समझ नही आया लककन काकी की तो हसी रुक ही नही रही थी हसत -हसत काकी को खाींसी आ गई तो सोम पानी ले आया और मीन उनकी पीठ पर हाथ फर रही थी. कैप््ेन कवपल ये देख कर अमभभत हो रहा था कक य लोग ककतन एक दसर स जड़ ह और अममत का व्यिहार देख कर उन्हें यह लग रहा था कक यह बलराम जी जैसे नेता के ददए सींर्सकार है कक नौकर और मामलक में कोई फकट नहीीं था. तभी र्स्िी में अननल भी आ गया िो थोड़ी दर आन िालों स िी हआ था इसमलए कैप््ेन कवपल से ममलने आ गया था. बोला- कवपल माफ़ करना म तम्ह समय नही द रहा ह िासी अममत तो ह ना कैप््ेन कवपल ने कहा – भाई ! ये इन सब बातों का समय नही ह तम अपनी क्जम्मदारी परी करो और म अपनी परी कर रहा ह अननल – अरे हाूँ ! मै अभी अन्दर आ रहा था तो जोरदार हींसी की आिाज आ रही थी तया हो गया ? अममत न सारा ककर्ससा सनाया तो अननल भी मर्सकराए बबना नही रहा सका . िो बोला -य हम सब क मलए अब मीन नही मीन दीदी ह और इसी स लगता है कक पापा के बाद भी यह घर अभी भी इसके अिर म सरक्षक्षत रहगा यह सन कर सभी कफर एक बार मर्सकरा उठे. अननल न पछा – जब अममत भाग ही गया था तो कफर तमन मझ या अननल को यह बात बताने से रोका कैसे ? मीन न शमात हए कहा- रोका कहाूँ सर ! मैंने भैया के जाते ही दो ममनन् सोचा और कफर अननल भैया आपको को फोन लगाया . िो बबजी आ रहा था . मैं दो ममनन् बाद एक बार कफर लगाने िाली थी . मैंने अपना फोन ननकाला भी था लेककन मेरी ककर्समत ठीक थी कक उसी ितत िॉत्र साब आ गए और कफर तो काकी न मझ सब बता ददया था. अब िो अपनी सी् से खिी हो गई और अममत के सामने खड़ी होकर बड़े ही दयनीय भाि से बोली – मया ! मख माफ़ कर दो ! अममत ने उसके सर पर हाथ
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 25 रखत हए कहा अर ! मीन इसकी कोई जरुरत नही ह . तम तम्हारा काम कर रही थी और मन भी तम्हार शक को बढान म कोई कमी नहीीं रखी. उन दोनों की बात सनकर सभी मसकरा उठे. अननल ने सोम को भी िहाीं देखा तो बोलाअर ! सोम काका पमलस न आपको छोड़ ददया . अब आप इन सभी के खाने का इींतजाम यही करिा दो. इींर्सपेत्र यादि ने कहा- सर ! अभी इन्हें छोड़ा नहीीं है . अभी ये यहीीं हमारी कर्स्िी में है. अननल – कोई बात नहीीं ऑकफसर ! ये देखना यही से सब इींतजाम करिा देंगे. तयों सोम काका ? सोम- अरे भैया ! सब हो जाएगा . अननल ने उसके विदा ली और कफर िो चला गया . सोम ने िहीीँ से फोन पर बात कर सभी के मलए खाने की व्यिर्सथा करिा दी और अममत ने भी उनके साथ ही खाना खाया . खाना समाप्त होते ही कैप््ेन कवपल ने कहा – चलो अब गोपाल से बात कर लें . अब तो िे ठीक हो गए होंगे और िो गोपाल के पास जाकर उसके सामने िाले सोफे पर बैठ गया . िहाीं उसकी पत्नी भी थी . मीन , इर्सपत्र यादि और रािल अपना काम कर रहे थे . अममत अब अपने मोबाइल पर बात कर रहा था और सोम िहाीं सफाई ि बतटन ह्िाने का काम कर रहा था . कप््न कवपल न गोपाल स पछा –आपको म बता द कक नताजी की जो ह्त्या हई ह िो उस दध में जहर होने के कारण हई ह जो आपक घर स गया था और कफर उसने उसे सारी कहानी क्जसमें बबकली का मरना भी था सना दी . उसकी पत्नी भी ध्यान स सन रही थी . आपको कछ समझ आया गोपाल मैंने अभी जो कहा . गोपाल अब बबलकल ठीक नजर आ रहा था बोला- जी सर ! मै समझ गया लेककन मर य समझ नही आ रहा ह कक य हआ कैसे ? कैप््ेन कवपल – दखो ! हआ ऐस कक एक आदमी जो तम्हार ककसी ममलन िाल का पत्र था तम्हार घर आया उसन तम्हारी पत्नी को तम्हार मलए दिा लान भजा और कफर दध म जहर ममला कर नताजी क घर दे आया. मेरी समझ में यह सब एक योजना क अधीन ही हआ ह क्जसम सब चीज का समय उस पहल स मालम था और तम्हारी बीमारी की सचना भी उस थी. गोपाल – अरे ! लेककन िो था कौन ? मेरे ककस ममलने िाले का बे्ा था और उसने साहब को जहर देने की योजना तयों बनाई . मझ ऐसा तया हआ था कक मर मलए इतनी अजें् दिा की जरुरत पड़ गई . उसने अपनी पत्नी की तरफ देखा . उसका चेहरा क्रोध से लाल हो रहा था.
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 26 कैप््ेन कवपल बोला- गोपाल , मीन न मझ सारी बात बताई ह उसस मझ बहत कछ समझ आ गया ह . िो एक योजना थी क्जसम तम्हारा पररिार फस गया और अगर तम बीमार नहीीं होते तो भी उनके पास और कोई प्लान जरुर होगा. इसमलए क्रोध की जगह शानत पिक सह्तोग दो . अब गोपाल कछ शात हआ और सोम न उसे पानी वपलाया . कैप््ेन कवपल ने गोपाल की पत्नी स पछा – गोपाल ने तो उस आदमी को नहीीं देखा , आपने देखा है आपको कछ याद ह ? िो बोली- नहीीं मै तो उस ददन पहले ही इनके बीमार होने से परेशान थी और कफर सब कछ उसन इतना तजी स ककया कक मझ ना तो कछ् याद रहा ना ही कछ समझ आया . बस िो दिा मलख कर दे गया और उसने एक छो्ा सा कागज कैप््ेन कवपल की और बढ़ा ददया और कह गया यह दिा क्जतनी जकदी हो सके ले आओ और ददन में तीन बार दे देना. कैप््ेन कवपल ने िो क्र्सलप देखी जो कक एक बस का द्कक् था क्जसके पीछे दिा मलखी थी तो उसको देखते ही उसके होठ गोल हो गए उसने िो क्र्सलप अपनी जैके् की जब में रख ली और मीन को बलात हए कहा – तम इन्ह अपन घर भज दो और इन्हें आराम करने दो . गोपाल तो बहत ही कमजोर हो गया ह दिा का ओिरिोज जो था . चलो ये अब ज्यादा बता भी नहीीं पायेंगे. लेककन इन्होने मेरा कछ काम तो कर ही ददया है . इसके बाद कैप््ेन कवपल ने अममत और सोम को बलाया और उन्ह पास बठा कर बोला- सोम उस आदमी की शतल तो तम्ह भी याद नही होगी लेककन उस ितत का सीसी्ीिी कमरा की फ्ज दखो जो तम्हार घर क ग् पर लगा ह और जहा स तमन उसस दध मलया था. अममत िो तम्ह ददखा दगा. अममत तम इसक साथ जाओ और तम उस आदमी की फो्ो ननकाल कर मेरे पास ज्यादा से ज्यादा आधे घीं्े में आ जाओ. अब कैप््ेन कवपल ने उस फाइल की और रुख ककया जो मीन न उसक मलए बनाई थी . इींर्सपेत्र यादि और रािल भी अपना काम समाप्त कर चक थ इस बीच कप््न कवपल ने रोब्ट को फोन ककया – रोब्ट तम यहाूँ अभी इस शहर में आ जाओ . लोकशन तम्ह यादि समझा दगा. आपन साथ कम स कम तीन मजबत आदमी फीकि र्स्ाफ और बाकी जरुरी र्स्ाफ भी साथ लेकर आना . कैप््ेन कवपल ने िो फाइल पढना शरू ककया क्जसमें उसके मलए कागज लगे थे क्जसम कछ पत्र और पपर कद्ग थी. य सभी वपछले 6 माह के कागज़ थे जो इींर्सपेत्र यादि और सब इींर्सपेत्र रािल न जरुरी समझत हए कप््न कवपल क मलए अलग से ननकाल कर रखे थे.
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 27 कैप््ेन कवपल एक एक कागज और अखबार की कद्ींग ध्यान से देख रहा था . कछ जगह उस कछ ऐसा ददखता कक िो गींभीर हो जाता और उसकी फो्ो अपने मोबाइल पर खीच लेता था. कैप््ेन कवपल की नजर एक पत्र पर गई जो बलराम जी को उनके दल के हाईकमान ने मलखा था . उसके साथ ही एक पत्र ऐसा था जो उन्हें राज्य क पि मख्य मत्री नारायण प्रसाद ने उन्हें मलखा था जो कक उस लै्र पेड़ पर था क्जसम उन्ह विधायक और पि मख्यमींत्री बताया गया था जहाीं िो रहते थे और क्जस शहर से विधायक थे उस शहर का नाम एिीं पता मलखा था . बलराम जी की पा्ी चनाि हार गई थी और उनक जो उस समय मख्मत्री नारायण प्रसाद थे उन्होंने दल बदल मलया था और िो दल ज्याइन कर मलया था क्जसकी इस समय राज्य में सत्ता थी . लेककन इस समय तो उस दल का अपना मख्मत्री था इसमलए उनकी उस दल में भी कोई ख़ास हैमसयत नहीीं बन पाई थी. अब उनके पत्र स यह पता लगा था कक ि अपन परान दल में लौ् कर आना चाहते थे. कैप््ेन कवपल के अपनी जेब से िो पची ननकाली क्जस पर गोपाल के मलए हत्यारा दिा मलख कर गया था और िो हत्यारा कहाूँ था िो तो मात्र एक मोहरा था और उसस गलती य हई कक िो एक बस द्कक् के पीछे िो दिा मलख गया था और इस तरह से िो अपने शहर की जानकारी छोड़ गया था . उसकी तकदीर खराब थी कक गोपाल की पत्नी िो पची दिाई की दकान पर छोड़ कर नही आई बक्कक यह पची उसक पास सरक्षक्षत रह गया इर्सपत्र यादि और रािल अब कछ आराम कर रहे थे और इसके मलए िो एक सोफे पर आराम से बैठे थे . मीन अपना काम ख़त्म कर जा चकी थी और िो बोल कर गई थी कक जरुरत हो तो उस बला ल अममत और सोम अब आ चक थ उनक हाथ में एक फो्ो थी क्जसकी िो 5 कॉपी ननकाल कर लाये थे. िो फो्ो ज्यादा साफ़ तो नही लककन बरी भी नही थी . यह एक 25 से 30 साल के बीच का आदमी था क्जसक मछ थी और उसन अपन कध पर एक गमछा या मफरल लपे् रखा था. चेहरा साफ़ नहीीं था लककन बहत ज्यादा खराब भी नहीीं था. कैप््ेन कवपल ने कहा – चलो ! मै रॉब्ट क आन का इन्तजार करता ह और आप सब अब आज के मलए जा सकते हैं. इींर्सपेत्र यादि ने बोला- सर ! इस सोम का तया करना है ? कैप््ेन कवपल – अभी तो इसको तम ल जाओ . य तम्हारा महमान ह . शाम तक म इसकी ररहाई का इतजाम करता ह हा यादि तम्हारी रोब् स बात हो गई होगी अब तम उसकी ्ीम क अन्दर मर पास तक आने का इींतजाम करके जाना .
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 28 इस तरह अब र्स्िी में मसफट कैप््ेन कवपल ही रह गया था. िो कफर सर िह फाइल दख रहा था और खाली नो्पि पर कछ नोट्स बना रहा था. उसके बाद उसने मख्यमत्री क सधचि का नम्बर िायल ककया और उसस बात की और उसक तरत बाद ही मख्यमत्री खद कॉल पर थ . कैप््ेन कवपल ने उन्हें अब तक की प्रगनत बता दी लेककन यह नहीीं बताया कक िो आगे तया करने िाला है . इसके बाद उसन कमीशनर को फोन ककया और कछ जरुरी तैयाररयों के बारे में बात की. उसने कमीश्नर को िो बात बताई जो मख्यमत्री को भी नहीीं बताई थी . कैप््ेन कवपल बोला- चौहान साब ! हत्यार क बहत करीब पहच गया ह मामला हाई प्रोफाइल मिर का है आप तैयार रदहएगा. कमीश्नर चौहान ने कहा – बधाई कैप््ेन कवपल ! कौन है िो ? कमीश्नर चौहान जिाब का इन्तजार करते रह गए पर दसरी साइि स फोन क् चका था. कप््न कवपल का एक उसल था –भरोसा ककसी पर मत करो !!! जब तक सब कछ हाथ म ना आ जाए तब तक मख्य बात अपने तक रखो. रोब् अदर आ चका था और िो अकला था आते ही बोला -मार्स्र! सब तैयारी है . य तम्हारा मजबत आदमी िाला कोि भी जोरदार है . सब बाहर है गािी में .चलो मार्स्र ! बोलो तया करना है . आपने बोला उसस ज्यादा तयारी क साथ आया ह मैं. रॉब्ट कैप््ेन कवपल का विश्िसनीय अमसर्स्् था इक मजबत कद काठी का आदमी ! एथलेद्क बॉिी और लींबा कद ! हाथ की पकड़ उसकी इतनी मजबत थी कक जो उसे जानते थे िे उससे हाथ कभी नही ममलाते थे. कैप््ेन कवपल का नम्बर -2 था िो फ़्बाल का बड़ा शौक़ीन इस ितत िकि कप फ़्बाल चल रहा था और कवपल को पता था कक इस समय रॉब्ट को काम पर लगाना उसके साथ ज्यादती थी पर इस समय तो मज़बरी थी. कप््न कवपल न रॉब् को परी अब तक की कहानी सनाई और अपनी अब तक की छानबीन के बारे में बताया. राब्ट ध्यान से सनता रहा अब कप््न कवपल न उस एक फो्ो हाथ में दी और बताया यही िो आदमी है क्जसको जहर ममलाने के काम पर लगाया गया था. ये कोई पेशेिर मजररम नही लगता है. अब शाम तक तम्ह इस पकड़ कर लाना ह मर पास. रॉब्ट ने कहा- मार्स्र ! इसका कोई अता पता तो बताओ कोई तल ? कछ तो बताओ आप इस परी दननया म म इस कहाूँ से पकड़ पाउूँगा . कैप््ेन कवपल ने एक पेपर पर एक शहर का नाम मलख कर ददया और कहा – रॉब्ट ! इसका तल इस शहर म ममल जाएगा इस शहर में एक प्राइिे् डि्ेक्त्ि है चन्दन मसींह . िो मेरा ख़ास आदमी है लेककन एक बात है कक मैं चन्दन मसींह के
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 29 जररय इसका पता तो मालम कर लगा लककन जब तक तम लोग इसको पकड़न पहचोग इसको भी खबर लग लग सकती ह और य भाग सकता ह , बहत ही सेंमसद्ि मामला है इसका पता लगने और इसको पकड़ने के बीच समय का अींतर बहत कम रहना चादहए . रोब्ट – पर मार्स्र ! चन्दन मसींह तो आपका ख़ास आदमी है . कैप््ेन कवपल- िो तो ठीक है पर िो इसे पकड़ थोड़े ही पायेगा. और इसका पता मालम करन म भी िो ककसी की मदद लेगा ही ! समझ नहीीं आ रहा है तया करू ? रॉब्ट – मार्स्र अब ये आप मेरे ऊपर छोड़ दो ! आपका काम हो जाएगा. कैप््ेन कवपल - रॉब्ट थोिा ध्यान से . बहत ही हाई प्रोफाइल मिर ह ! कही कोई चक ना हो चलो तम शरू करो म बाकी इतजाम करता ह. रोब्ट और उसकी ्ीम कप्तान कवपल के बताय हए शहर पहच गई थी . उसकी ्ीम पीछे जीप में थी और रोब्ट अब एक मो्र साइककल पर था. मो्र साइककल उसने चन्दन मसींह से हामसल की थी और अपने र्सतर पर उसकी नम्बर पल् भी बदल दी थी. रॉब्ट ने चन्दन मसह को बताया की उस शहर से 15 ककलो मी्र दर क्र्सतथ गाि म उसका कोई ररलद्ि रहता है सो उससे ममलने के मलए उसे मो्र साइककल चादहए . यहाूँ तक तो िो बस से आ गया था . मो्र साइककल ममलने के बाद उसने अपनी ्ीम को बोला- तम लोग मझस कम स कम 200 मी्र दर स मर पीछ आते रहो. और अब उसने एक विग लगा कर अपने बाल लम्बे कर मलए और कींधे की पीछे एक धग्ार ल्का मलया था . अमभयान शरु हो चका था . रॉब्ट ने मो्र साइककल एक चाय की दकान पर रोक दी जहा बहत स लोग बठ थ . िो सब गपशप मारत हए चाय पी रहे थे. रोब्ट भी िहाीं जाकर बैठ गया और उसने अपना धग्ार एक ्ेबल पर रखा तो एक बच्चा उसके पास आकर खिा हो गया और बोला – साहब ! चाय ले आऊ !! रोब्ट बोला – हा ! छो् चाय और बबक्र्सक् ले आ . थोड़ी दे में िो बच्चा चाय और एक पैके् बबक्र्सक् रख गया . रॉब् बहत आराम स चाय पी रहा था जैसे कोई जकदी नहीीं हो. उसने धीरे – धीरे चाय और बबक्र्सक् ख़त्म ककये तब तक िो लड़का आ गया और उसने खाली कप उठा मलया और रोब्ट ने उसको 500 रूपय का एक नो् दत हए कहा – एक चाय और ले आओ और बाकी पस तम रख लना. िो लड़का आश्चय स रोब्ट को देखता रहा . थोड़ी देर बाद रोब्ट ने देखा कक िो लड़का क्जसको उसन छो् कहा था िो काउ्र पर जा बैठा और उसकी चाय एक 19-20 साल का लड़का ला रहा है और िो लड़का चाय उसकी ्ेबल पर रख कर सामने लगी चेयर पर बैठ गया और बोला – साहब ! आपने उसको इतने पैसे ददए है तयों ? रोब्ट –
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 30 ऐसे ही , मझ लगता ह छो् बच्च ऐस काम करत ह तो म उन्ह कछ ना कछ हर जगह दता रहता ह. मरी खद की क्जदगी भी ऐस ही शरू हई थी. िो लड़का बोला- आपकी भािना बहत अच्छी है सर !लेककन इसकी क्जन्दगी िैसी नही ह य हमारा 50 साल पराना कारोबार ह म खद कॉलज म पढ़ता ह और य मरा भाई र्सकल म ह ददनभर यह काम हमारे पापा और नोकर आ जाते हैं लेककन हाीं दोनों भाई दो -तीन घीं्े यह यहाूँ आ जाते हैं ताकक पापा थोड़ा आराम कर लें और इस समय हम नोकर को भी छट््ी द दत ह. आपन जो पस ददए ह उसमें से मैं बबल के पैसे का्कर हमारे नौकर रघ को द दगा या कफर आप िावपस ले लें. रोब्ट ने कहा – ठीक ह जसा तम्ह ठीक लग कर लना . िस तम्हारा नाम तया ह ? - जी मेरा नाम रूपेश है और ये मेरा भाई है देिेश . देिेश – भैया ! चलें ! रुपेश – अरे! देिेश चलते है . आ बैठ थोड़ी देर ! कफर उसन रघ को आिाज दी – रघ साब के मलए एक प्ले् पोहे ले आ . साहब य हमार यहा की र्सपमशमल्ी ह पर शहर म मशहर ह . देिेश – साहब ! म आपका धग्ार दख ल आजकल मैं भी सीख रहा ह रोब्ट – अरे ! हाूँ आराम से ! तब तक रघ पोह की प्ल् रख गया और रोब् न खाना शरू कर ददया . सही म बहत ही र्सिाददष्ट्् थ पोह. उसम नमकीन और प्याज भी बहत ही अलग तरीक स ममलाये गए थे. रोब्ट की समर्सया ये थी कक िो कैप््ेन कवपल के फोन के बाद तरत ही व्यिर्सथा म लग गया थी तो िह कछ खा नहीीं पाया था इसमलए उसके मलए यह जरुरी भी था. उसन आराम स नाश्ता ककया तब तक रघ उसके मलए एक चाय भी ले आया और रुपेश अपने पापा को भी रोब्ट से ममलाने ल आया. सब कछ बहत ही सोहादपण िातािरण में हो रहा था और यही रोब्ट चाहता भी था . छो्ा शहर था और यहाूँ के लोग शायद ऐसे ही थे या उन लोगों को रोब् का व्यिहार कछ ज्यादा ही लभािना लगा था. रुपेश – सर ! तया आप ्ररर्स् ह . रोब्ट – हाूँ रुपेश ! मै मो्र साइककल पर दहन्दर्सतान क ्र पर ननकला ह ! रुपेश – सर ! य तो बहत छो्ा शहर ह यहा तो दखन को कछ ह नहीीं. रोब्ट – अरे ! हाूँ यार तया है कक मैं जब मशमला था तब यहा का एक आदमी मझ ममला था और िो दो ददन मेरे साथ ही घमा था िह इसी शहर का था . अब इस शहर के पास से ननकल रहा था तो सोचा उसस ममल ल लककन एक समर्सया ह . रुपेश – अरे ! आप बताओीं तया समर्सया है म ह ना सर !
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 31 रोब्ट – रुपेश समर्सया यह है कक उसने मझ फोन नम्बर तो ददया था लककन िो मझस खो गया तो कफर अब ना तो मझ उसका नाम याद है ना ही नम्बर है . बस शहर याद है . रुपेश – सर ! तया मजाक कर रहे हो कफर आप कैसे ममलोगे उससे . आप भी मजाक कर रहे हैं सर ! आप हम से ममल मलए यही काफी है. रोब्ट हींस ददया और बोला- रुपेश उसने मझ अपना एक फो्ो भेजा था िो मेरे मोबाइल में है और कफर उसने अपने मोबाइल पर एक फो्ो ददखा ददया . रुपेश और देिेश उस फो्ो को ध्यान से देखने लगे . फोन लेकर रुपेश अपने पापा के पास गया और कफर उसके पापा रोब्ट के पास आये और बोले – अरे ! साब ये तो कैलाश है और इसका एक शहर के बाहर हाई-िे से पहले जनरल र्स्ोर है और यहाूँ भी आता रहता है .िो अतसर रात को आता है इसमलए ये बच्चे इसको नहीीं जानते हैं. ये आपका दोर्सत है. रोब्ट – नही दोर्सत तो तया है इसने मेरी मशमला म मदद की थी म इधर स गजर रहा था तो सोचा ममलता चल चलो ! अब छोड़ो यहा ही इतनी दर हो चकी ह देिेश ने कहा – म समझ गया ह पापा कौनसी जगह बता रहे हैं. आप आगे जायेंगे तो हाई िे से पहले ये शॉप आ आएगी . आपको जाना तो उधर से ही है . म आपको नक़्श म समझा दता ह और िो एक पपर पर कछ नतशा सा बनान लगा . रोब्ट – चमलये ! अच्छा लगा आपसे ममलकर. अब चलते हैं. धग्ार अभी भी देिेश के हाथ में था . रोब्ट ने कहा –देिेश यार ! मेरी एक बात मान लो . ये धग्ार तम रख लो ! मरी तरफ स धगफ्् मेरा शौक अब ख़त्म हो गया और इसको साथ रख कर अब म थक गया ह देिेश ने रुपेश की और देखा तो रुपेश बोला- अर ! दिश तझ मन कहा था ना अगल सप्ताह म तझ ददला दगा सब्र रख मेरे भाई. रोब्ट अरे ! लेने दे यार ! िैसे भी मैं इसे अब आग ल जान क मि म नही ह. रुपेश – चल ल ल भाई ! त भी तया याद रखेगा. रोब्ट ने मो्र साइककल र्स्ा्ट की और िो तेजी से ननकल गया . आगे जाकर सनसान जगह दखकर उसन एक पड़ क नीचे मो्र साइककल रोक दी और जीप को रुकने का इशारा ककया. जीप में से उसका एक आदमी ननकला और उसने मो्र साइककल की असली नम्बर प्ले् कफर से लगा दी और मो्र साइककल रोब्ट से ले ली . रोब् जीप पर सिार हो चका था जीप में उसने अपना विग ह्ा ददया और सबको अपना अपना काम समझा ददया . उसने साथ र्स्ाफ की दो लिककया थी क्जनमें से चाींदनी भी थी. जीप आगे बढ़ चकी थी आग एक लोकल बस र्स्ि था और मो्र साइककल सिार ने
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 32 मो्रसाइककल बस र्स्ैंि के व्हीकल र्स्ैंि पर रख दी और िह भी जीप में सिार हो गया . रोब्ट चन्दन मसींह को फोन कर रहा था उसने चन्दन मसह से कहा – सर ! नमर्सते , आपका धन्यिाद ! मार्स्र का फोन आ गया था और म जा रहा ह . मो्र साइककल मैंने बस र्स्ैंि पर खड़ी की है आप मींगिा लेंगे तया ? चन्दन मसींह ने कहा – अर! रोब् तम जाओ ! म मगिा लगा कप््न कवपल को मेरा नमर्सते कह देना. रोब्ट – जी सर . जीप आगे बढ़ती जा रही थी कक आगे हाईिे नजर आया और उसके पहले ही सड़क पर एक जनरल र्स्ोर था . रार्सता लगभग खाली था. रोब् न पछा – सब तैयार हो ! आिाज आई- यस ! रोब्ट सर ! जीप हाइिे पर रुकी . जनरल र्स्ोर के सामने . कैलाश र्स्ोर पर अकेला बैठा मोबाइल पर कछ कर रहा था. जीप किल 5 फी् की दरी पर रुकी थी . चादनी जीप से ननकली और जनरल र्स्ोर पर रुकीभैया ! 5 ली्र पानी के केन हैं तया आपके पास. कैलाश ने गौर से उसे देखा और बोला – हाूँ मेिम है. चाींदनी- 5 केन दे दो. कैलाश अपनी जगह से उठा और केन ननकलने लगा . चाींदनी बोली – भैया जीप में रखिा देंगे. कैलाश – हाीं मेिम . तयों नही. और इसने एक केन उठाया और जीप की और बढ़ा और जीप का दरिाजा खला और िो कन रख रहा था कक दो लोंगो ने उसे अन्दर खीच मलया और चादनी दसर दरिाज स जीप म अन्दर आ चकी थी . जीप में कलाश क मह पर ्प लगा ददया गया था और रोब्ट उसकी गदटन के पीछे की एक नस दबा कर उस बहोश कर चका था. जीप हाई-िे पर 5 ककलोमी्र चली ही थी कक जीप रोक दी गई. जीप से ननलेश और चाींदनी उतरे और उनके हाथ में क्र्स्कसट के कछ रोकस थ कछ ही ममनन्ों में उन्होंने जीप पर इस तरह क्र्स्कसट लगा ददये कक िो एक एन्म्बलस का रूप ल चकी थी. अब ड्राइविींग सी् पर रोब्ट था. उसके ऊपर एक लाई् भी लगा दी गई थी. जीप हाई-िे पर दौड़ रही थी . र्सपीि अब 150 के बाहर थी. कैलाश के हाथ पैर बाींध
लगाया और उससे ननदेश लेने लगा. जीप की लागातर र्सपीि बढ़ती जा रही थी और िो अब बलराम जी के शहर की और बढ़ रही थी और लागातार चलने के बाद एक जगह रॉब्ट ने जीप रोकी और ननलेश से बोला – कैलाश को चेक कर लो . ठीक तो है . ननलेश ने चेक ककया और बोलारॉब् अभी तक तो बबलकल ठीक ह पर अब तम थोड़ा जकदी कर लो रॉब् न जीप र्स्ा्ट की उर आगे बढ़ा दी . अब उसकी र्सपीि और भी बढ़ चकी थी इींर्सपेत्र यादि और रािल शहर की सीमा पर जीप का इन्तजार कर रहे थे और िे एक पमलस जीप म थ जस ही उन्ह रॉब् की एम्बलस जीप नजर आई उसन अपनी
ददए गए थे. रूबे्ट र्सपीि बढ़ाता जा रहा था. ननलेश ने फोन ननकाला और कैप््ेन कवपल को फोन
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 33 जीप एर्सको्ट के रूप में लगा दी और अब िे बलराम जी के बींगले की और बढ़ रहे थे. बलराम जी के बींगले के पीछे के दरिाजे पर कैप््ेन कवपल , एक िॉत्र और दो नसट खड़े थे. उनके साथ दो आदमी और थे क्जनके पास एक र्सट्रेचर था. जैसे ही रॉब्ट की जीप न अन्दर प्रिश ककया पमलस की जीप ने उसे वपछले दरिाजे की और एर्सकॉ्ट ककया और उनके साथ िहीीँ से पमलस की एक और गािी न ज्िाइन ककया और िो भी उनके पीछे आ गई क्जसमें पमलस क सशत्र जिान थ और पीछ क दरिाज पर पहचत ही उन जिानो न अपनी पोजीशन लत हए उस बगल को घर मलया. उस बगल पर पहल ही सरक्षा का इतजाम था लककन अब उस पर बगल क पीछ क दहर्ससे को घेर मलया गया था. ये सारा इतजाम कप््न कवपल क कहन पर पमलस कमीश्नर चौहान ने ककया था और कमीश्नर को आईजी और मख्यमत्री क र्सपष्ट्् ननदेश थे कक उन्हें िो सब करना था जो कैप््ेन कवपल ने कहा है . लेककन खास बात यह थी कक उनमें से ककसी को यह पता नहीीं था कक कैप््ेन कवपल चाहता तया है और यहाूँ तया हो रहा है . जैसे ही रोब्ट ने जीप रोकी एक र्सट्रेचर जीप के पास लगा ददया गया और उसमें से कैलाश को ननकाल कर मल्ा ददया गया और तेजी से बींगले के वपछले दरिाजे से अन्दर ले मलया गया . अब कैप््ेन कवपल ने िॉत्र , नसट , इींर्सपेत्र यादि सब इींर्सपेत्र रािल और रोब्ट को अन्दर आने को कहा और बाकी सभी बाहर ही रह गए. अब िे सब एक इस बींगले के सभी कमरों में से सबसे बड़े कमरे में थे. कैप््ेन कवपल के इशारे पर इींर्सपेत्र यादि ने िो कमरा अन्दर से बींद कर मलया . अब िो एक अर्सथायी ऑपरेशन रूम था जहाीं आगे की पछताछ की परी तैयारी थी. कमरे और ररकॉडिग की परी व्यिर्सथा पहल ही हो चकी थी और सब इर्सपत्र रािल इस सार इींतजाम को समझ रहा था ताकक िो उसे कींट्रोल कर सके. रोब् न कलाश क मह स ्प ह्ा ददया और िॉत्र ने उसे एक इींजेतशन ददया और उसके बाद दोनों नसट उसके हाथ पाूँि को एक मशीन से मसाज दे रही थी. कैप््ेन कवपल ने कहा- िॉत्र फार्स्, इसे तरत होश म लाना जरुरी ह . कलाश न आख खोली और अपन मह पर हाथ फरा और उसके ऐसा करते ही एक नसट ने पानी की बोतल उसक मह स लगा दी थोड़ा पानी पीने के बाद िो हलके से उठा और बोला – य म कहा ह और आप लोग कौन है ? रािल ने लाइट्स और तेज कर दी और तज लाई् स घबरात हए कलाश उठ बैठा. नसट ने उसे और पानी पीने को ददया और एक थमटस से कॉफ़ी ननकालते हए कहा – सब ठीक ह तम इस पी जाओ कलाश कछ समझ तो नही पाया लककन िह धीरे – धीरे कॉफ़ी पीने लगा और अब िो लगभग आध घ् बाद पर होश म था और ऐसा होते ही कैप््ेन कवपल ने उसके
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 34 सामन आत हए बोलना शरू ककया –तम्हारा नाम कलाश ह. कैलाश ने कहा- हाूँ पर आप लोग जानते नही हो म कौन ह आप मझे ककसी गलतफहमी में पकड़ लाये हो . मेरा मोबाइल दो मझ यह सब गर काननी ह आपन मझ पकड़ा तयों ह और यह जगह तया है . मैंने ऐसा तया ककया है . कैप््ेन कवपल बोला- अब जब तम यहा आ ही चक हो तो सीध – सीधे बता दो कक कौन था बलराम जी के मिटर के पीछे !!!!! तयों ककया तमन ऐसा और ककसक कहन पर ? कैलाश बोला – आप कौन है ? बलराम जी का मिटर ? लेककन तब तक उसे इींर्सपेत्र यादि और रािल भी नजर आ गए . रािल ने खखड़की खोल दी और बोला- देखो ! बाहर का नजारा ... चप्पे -चप्प पर पमलस है . अच्छी तरह से देख लो . और अब शरू हो जाओ जो कप््न कवपल पछ रह ह कैलाश बोला – तया शरू हो जाऊ . हआ तया है ? मन ककया तया ह ? तम लोग ककसी और क चतकर म तो मझ नही पकड़ लाये हो . कैप््ेन कवपल बोला- यादि , इसको पास के कमरे में ले जाओ . ये ऐसे नहीीं मानेगा. तभी रोब्ट बोला- यादि साब ! थोड़ा ठहरो म अपन साथ दो पहलिान भी लाया ह इसक शहर म तो सब कछ शाींती से ननप् गया था इसमलए उनका आना कोई काम ही नही आया म अभी बलाता ह उसन एक मोबाइल कॉल ककया . थोड़ी देर बाद दरिाजे पर एक अजीब तरीक स ख्ख् हई और रोब् न दरिाजा थोिा सा खोला और दो जनों को अन्दर ल मलया दोनों मजबत कद काठी के 6 फी् से लम्बे आदमी थे जीने मसकस भी जबरदर्सत थे . रोब्ट ने कहा चमलए यादि साहब ! यादि ने कहा – रोब् म चक कर चका ह अन्दर िाला कमरा साउि प्रफ ह तम इस ल जाओ तमस नही ननप्ा तो म आ ही रहा ह उन दोनों बॉिी बबकिसट ने कैलास को ऐसे उठाया जैसे िो कोई बच्चा हो और उसका लेकर िो एक कमरे की और बढ़ गए. रोबे्ट भी उनके साथ था. बींगले के बाहर किा पहरा था और इसके अलािा नीरि शाींनत थी. ककसी को यह नहीीं पता था कक अन्दर तया हो रहा है. घर के अन्दर भी बाकी सब शात था मीन और सोम बाकी नोकारों से खाना बनिा रहे थे और ड्राइींग रूम में अननल और अममत सामान्य रूप से आने िाले लोगों से ममल रहे थे. अममत का भाई जो अननल का पा्टनर था िो भी कल आने िाला था यह अननल ने अममत को बता ददया था और उस सबह जकदी एअरपो्ट पर लेने जाना था. आज की ख़ास बात यह थी कक पि मख्य मींत्री नारायण प्रसाद भी अननल से ममलने आये थे और िे इस समय यही थे. नारायण प्रासाद पहले बलराम जी के दल
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 35 म ही थ और ि मख्मत्री थ तब बलराम जी गह मत्री थ लककन वपछल चनाि म उनका दल बरी तरह स चनाि हार गया था और इसी के चलते नारायण प्रसाद ने िो दल ही छोड़ ददया और उस दल में चले गए थे क्जसकी इस समय राज्य में सरकार थी. बलराम जी और नारायण प्रसाद जी के सम्बन्ध म बहत ही मधर थ लककन नारायण प्रसाद जी ने बताया कक उनकी पत्नी की बीमार होने के कारण दाह सींर्सकार में िो आ नहीीं पाए थे . िे बड़ी ही आत्मीयता से अननल से और उसके मामाजी से ममले. अननल ने उन्हें कहाअींकल ! खाना अब तैयार ही है . आप आगे खाना खाकर ही जाइए. मामाजी आप देखखये अींकल को कोई ददतकत नहीीं हो इधर कैप््ेन कवपल का काम जारी था. कैलाश रोब्ट के दोनों आदममयों के साथ बाहर आया तो िह बहत ही ््ा फ्ा था उस चलन म भी बहत तकलीफ हो रही थी . रोब्ट ने बाहर आकर बोला- मार्स्र ! ये तो बहत सख्त जान ह . ना तो अपना अपराध मान रहा ह और ना ही कछ और मह खोल रहा ह . अब तो यादब साब ही इसे देख्नेगे. कैप््ेन कवपल ने कहा- नहीीं रोब्ट , अभी यादि का नहीीं मेरा काम है थोड़ा जकदी ननप्ाना है . इसे कमरे में ले जाकर बठाओ . म इस दखता ह. दोनों बॉिी बबकिसट ने कैलाश को उठाया और िावपस अपने कमरे में ले गए. रोब्ट भी उनके पीछे था . उसे ले जाकर एक कसी पर बठा ददया कलाश न बोला – तम लोग तयों मझ तग कर रह हो . पता नही तम्ह ककसकी तलाश ह !!!! जबरदर्सती मझ पकड़ मलया है . रोब्ट – कोई बात नहीीं . अब इतना बदाटश्त ककया है और थोिी देर और सही. कैलाश – भाई ! थोिा पानी तो वपला दो . प्यास स म मरा जा रहा ह. रोब्ट – भाई ! पानी तो तया यहाूँ तो साींस भी अब तम मार्स्र क इजाजत क बबना नही ल पाओग. हम तो खद ही मार्स्र की इजाजत के बबना पानी नहीीं पी सकते तम्हारी तो तया बात ह. कैलाश – भाई ! बड़े र्सिामी भतत हो मामलक के प्रनत . तभी कैप््ेन कवपल ने अन्दर प्रिेश करते हए कहा- र्सिामी भतत तो तम हो कलाश और िो भी बहत बड़ !!!! तम य बताओ कक हमन तम्हारा शहर, तम्हारा र्स्ोर य सब कस मालम कर मलया तम तो यहा कोई सबत छोड़ कर ही नही गए थ कैलाश – सर ! मैंने तया ककया है ? आपको पता भी ह म कौन ह ? कैप््ेन कवपल- तम्हार मामलक न सब कछ बता ददया उसी न तम्हारी फो्ो दी ह और पता भी बता ददया और ये भी बता ददया कक तम्हारी तया खदक थी मरहम बलराम स क्जसक मलए तमन उन्ह लम्बी नीद म सला ददया. तभी तो मरी ्ीम तम तक पहच पाई िरना तम तो बड़ी सफाई से केिल पाींच ममनन् में अपना काम कर
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 36 जा चक थ दध म जहर ममलाया और उस बलराम जी क बगल तक पहचाया . कैलाश – तया कहानी बनाई है आपने ? मेरा भी कोई मामलक है !!!! गजब सर ! ये तो मझ भी पता नही बस आप थोड़ा पानी वपलिा दो . पता नहीीं आपके आदममयों न ककतनी दर मझ बहोश रखा था . कैप््ेन कवपल – कैलाश ! बस एक बात बता दो तमन गोपाल को िह दिा तयों दी उसस तम्ह तया फायदा हआ कैलाश – कौन गोपाल ? मैं ककसी को तया दिा दगा ? म कोई िॉत्र तो नही ह. कैप््ेन कवपल – भाई हमने मान मलया तम्ह गलती स उठा मलया गया ह और अभी तम्ह पानी वपला कर और तम्हारा इलाज करा कर तम्ह भज दग तम कस जाना पसद करोग पमलस की गाड़ी स या कफर अपना इतजाम खद कर लो ग कलाश थोड़ा आश्िर्सत हआ और बोलाआप तो मझ छोड़ दीक्जय म अपना इतजाम खद कर लगा म मर भाई को फोन करूगा िो मझ लेने आ जायेगा. आप मेरा फोन ददलिा दीक्जये. कैप््ेन कवपल- हाूँ बस अभी देते हैं लेककन तम्हारा भाई कस आयगा ? तम तो अभी इस शहर म हो जो तम्हार शहर स 3 घ् की दरी पर ह. कैलाश - कौनसा शहर है यह ? कैप््ेन कवपल- अभी तम बाहर जाओग तम्ह अपन आप मालम हो जाएगा रोब् पहले इसे पानी वपलाओ और कफर इसके मलए चाय लाओ . तम भी यार बचार को यों ही पकड़ लाये. रोब्ट ने बोला- सॉरी मार्स्र ! मै अभी सब इतजाम करता ह और उसन अपन मोबाइल पर एक नम्बर घमाया और पानी और चाय मींगिाने के मलए रािल से बात की. कैलाश अब काफी ननक्श्चत नजर आ रहा था . कैप््ेन कवपल- कैलाश ! तया है हमारा काम ही ऐसा है कक कभी कभी गलती हो जाती ह . जस तमन भी एक ददन म एक ली जाने िाली दिा को ददन में तीन बार मलख कर दे ददया . कैलाश – अरे ! मैंने तो तीन गोली मलखी थी लककन जकद बाजी म मर मह स ददन म तीन बार ननकल गया िो मझ अभी वपछले हफ्त ही िॉत्र ने .. तभी उसे लगा कक उसके जबड़े पर कोई हथोिा धगरा हो और उसके सामने के दो दात उसक हाथ म आ गय और चहरा खन से भर गया था. कैलाश को अब अहसास हआ कक यह शतस क्जतना चालाक और होमशयार है उतना ही ताकतिर भी. लेककन अब उसकी जबान कफसल चकी थी . कैप््ेन कवपल- रोब्ट इसे इींर्सपेत्र यादि के हिाले कर दो . अब इसमें अतल होगी तो यह हत्यारा बन फाींसी पर चढ़ जाएगा या सब कछ सच उगल कर सरकारी गिाह
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 37 बनकर सजा कम करिा सकते हो . मेरा काम ख़त्म . आग तम्हारी मजी. तम्हारी जानकारी क मलए बता द कक तम्हार आका क बार म मझ तो पता ह लककन पमलस को तो तम ही बताओग . चलो रोब् ... इसे बाहर ले चलो. कैलाश के सामने खाने का सामान , पानी और चाय रखे थे. सब इींर्सपेत्र रािल ने कहा- तम आराम स चाय पी लो और नाश्ता कर लो . रािल ररकॉडििंग का सारा इतजाम कर चका था और यों भी उस कमरे को छोड़ कर जहाीं पहले कैलाश को ले गए थे उसके अलािा सब ररकॉिट हो ही रहा था. कलाश का मह अच्छी तरह स साफ़ कर ददया गया था और उसे दिा भी दे दी गई थी. इसके अलािा उसे गरम पानी में एीं्ीसेक्प््क मलक्तिि ममला कर उस अच्छ स ककल करिा ददए गए थ . इर्सपत्र यादि आ चका था .यादि न कलाश को दखत हए कहा – अर ! तम्हार दात कहा गए ? शरू स ऐस ही ह या कैप््ेन साब ने तोड़ ददए ? भाई ! मै तो उसने हाथ ममलात भी िरता ह . कैलाश ने कहा- ये कैप््ेन है कौन ? याद्ि – 1983 का कक्रके् िकिट कप भारत न जीता था , तमन सना होगा ना ? उस समय कैप््ेन कौन था कैलाश – कैप््ेन कवपल यादि- ये भी कैप््ेन कवपल ही हैं . उस कैप््ेन कवपल की बॉमलींग बहत घातक थी और हमारे इन कैप््ेन कवपल का ददमाग अब तम पकि गए हो तो फ़्ाफ़् उगल दो िरना दखो दसरा य ह कक या तो तम फासी पर चढोग या कफर तम्हारा आका तम्ह मरिा दगा. मर दहसाब से तो तम्ह मरिान का प्लान एक दो ददन में ही से् था ये तो कैप््ेन साब की ्ीम की महरबानी मानो कक तम्ह उठा मलया . अब तम्हार मलए यही ठीक ह कक तम सरकारी गिाह बन जाओ . कम के कम क्ज़ींदा तो रहोगे और कछ साल बाद जेल से बाहर आ जाओगे . कैलाश – ठीक है सर ! बता तो रहा ह .मर पास और रार्सता तया है . एक तो साले न मझस य नघनोना काम करिाया और कफर मझ मरिा भी दता. म य तो नही मान सकता सर ! िो तो मझ राजधानी म कहीीं से् करने िाले थे. म उनका पराना कायटकताट था . य तो मझ बलराम जी की मौत के बाद पता लगा कक मझ कहा इर्सतेमाल ककया गया है . इसक बाद कलाश न बताना शरू ककया तो िो 15 ममनन् तक धाराप्रिह बोलता रहा . सब कछ ररकॉि हो रहा था. ह्त्या की साक्जश रचन िाल का नाम उसन पर बयान में तीन बार मलया लेककन यादि को कोई आश्चय नही हआ तयों कक कप््न कवपल उसको पहले ही इसका एक इशारा कर चका था. यादि न पछा – तम इस तरह इकलौते राजदार थ और यदद हम तम्ह पकड़ कर यहा नही लात तो समझ लो तम्हारा क्ज़दा रहना ककतना खतरनाक हो जाता तम्हार इस तथाकधथत आका के मलए.
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 38 कैलाश – जी सर ! यादि – कोई सबत ? कैलाश – य तो मझ बला कर मसफ एक बार समझाया था कक मझ तया करतना ह . शायद हम दोनों के बीच कोई और नहीीं था . हाूँ एक बात है सर ! कक इस शहर पहचन क बाद उन्होंन मझ एक फोन ककया था कक मझ कब उनक नौकर क यहाूँ जाना है . िो फोन मेरे मोबाइल में ररकॉिट हो गया था. आप देख लो. मोबाइल तो आपके पास ही है. कैलाश को दहरासत में ले मलया गया था. कप््न कवपल को यादि न परा बयान सना ददया था और उसक मोबबइल की ररकॉडििंग भी क्जसमें कैलाश को एक धीर गींभीर आिाज में समय और जगह अच्छी तरह से समझाई जा रही थी .िो बात बस 65 सेकेण्ि की थी. कैप््ेन कवपल कवपल ने अब सीधा मख्यमत्री को फोन लगाया और सारी क्र्सतधथ उन्ह बता दी. मख्यमत्री की बहत ही गींभीर आिाज उनके फोन पर थीकैप््ेन साब ! कहीीं कोई गलती तो नहीीं हो रही है. बड़ा बिाल खिा हो जाएगा यदद यह सब गलत हआ तो . कैप््ेन कवपल उनसे लगभग 15 ममनन् बात करत रह अत म मख्यमत्री न सतष्ट्् होकर कहा – अब तो उन्हें धगरफ़्तार करना ही होगा. लेककन यार ! िो तो बलराम जी का पराना ममत्र था. कैप््ेन कवपल- सर ! राजनीनत और कसी की भख जो ना करिाए िो कम ह. लककन आपको अब तरत कदम उठान पड़ग. मख्मत्री न कहा- हाूँ , मैं आई .जी. बात कर उनकी लोकशन ननकलिाता ह कैप््ेन कवपल- सर ! आप कमीश्नर चौहान को सारी पॉिर दें दे और िो यींही है बस आप उन्हें कहें कक आप उनसे सककट् हाउस में ममलना चाहते हैं . बस इतना आप कर द तो सब कछ शाती स ननप् जाएगा. मख्मत्री न कहा – हा म दखता ह . अननल के घर के अन्दर खाना चल रहा था. अननल , अममत , मामाजी और नारायण प्रसाद जी िाइननींग ्ेबल पर थे. नारायण प्रसाद जी अपने ममत्र बलराम जी की ममत्रता क ककर्सस सना रह थ ि बोलबहत ही दखद ह मरा तो एक परम ममत्र चला गया. अननल ने कहा – जी ! अींकल और उसका गला भी भर आया . कफर िो बोला – अींकल आपकी और पापा की जोड़ी तो बममसाल थी. जब आप मख्यमत्री थ तो पापा गहमत्री थ . नारायण प्रासाद जी – हाूँ भाई ! उसके पहल और बाद भी म तम्हार इस घर म कई बार आया ह मामाजी न कहा- सही है भाई साब ! य तो आप हालात िश दसर दल में चले गए लेककन आपका सम्बन्ध हमशा मधर रह. अभी 10 ददन पहल तो आप यहाूँ उनके साथ रहे थे इसी बींगले में दो ददन के मलए ..... नारायण प्रसाद जी –अब राजनीनत में तो कई बार फैसले करने
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 39 ही पड़ते हैं . अब हमारा दल हार गया और आलाकमान मरी बात ही नही सनता था उस ितत ... तो मझ रार्सता बदलना पिा. नारायण प्रसाद जी का फोन भी बीच –बीच में आ रहा था और िो बातचीत करते हए बीच -बीच में फोन पर बात भी कर रहे थे. अननल का फोन बींद था उसका एक उसल था कक खान क बीच कोई फोन नही सब कछ ननप् गया तो अननल बोलाअींकल आप आये अच्छा लगा और मझ बड़ा सकन ममला और नारायण प्रसाद जी ने उन्हें गले लगा मलया. नारायण प्रसाद जी न पछा – और अननल पापा की राजनैनतक विरासत के बारे में तम्हारा तया विचार ह अननल- अींकल , राजनीनत पापा के साथ ख़त्म हो गई है . मेरी कोई रूधच नहीीं है इसम आप ह ना सना ह आप कफर स इस दल में आ रहे हैं . नारायण प्रसाद मर्सकरा कर रह गए और बोले – देखें भविष्ट्य में तया होता है . सभी लोग उन्हें बाहर छोड़ने आये . नारायण प्रसाद जी ने देखा कक उनकी गािी दरिाजे पर लगी थे और िे सबको नमर्सते कर बैठ गए. गािी बींगले के बाहर ननकल कर एक चौराह तक पहची और लाल बत्ती पर रुक गई. तभी क पमलस इींर्सपेत्र आया और गािी की खखड़की ख्ख्ाई और ड्राइिर को बाहर आने को कहा और उसके आते ही इींर्सपेत्र ड्राइविींग सी् पर बठ गया और तरत फल र्सपीि पर आगे बढ़ा दी लेककन बत्ती अभी भी लाल थी और उस गािी के आगे और पीछे पमलस की तीन जीप और लग गई और एक पमलस क मसपादहयों स भरी एक बस भी लग गई थी . सारा काकफला सकक् हाउस क और मि गई और िहा पहचन पर कमीशनर चौहान ने एक कागज नारायण प्रसाद जी की और बढात हए कहा- सर ! बलराम जी की हत्या के र्ड्यींत्र के आरोप में आपको धगरफ्तार ककया जाता है . नारायण प्रसाद जी का चेहरा र्सयाह हो गया और बिी मक्श्कल स गािी स बाहर ननकल और कफर पमलस क काकफल क साथ सकक् हाउस की और चले गए जहा उनका सामना हआ पमलस की एक ्ीम क साथ बठ कलाश स और बस उसक बाद िो ््त चल गए. रात को 11 बजे कैप््ेन कवपल और कमीश्नर चौहान एक प्रेस काींिेंस में थे. सार अखबारों और चनल को पमलस विभाग की और से एक लाइन का मेसेज भेजा गया था- बलराम जी की ह्त्या के र्ड्यींत्र म पि मख्मत्री नारायण प्रसाद धगरफ्तार. पमलस प्रेस काींिेंस आज रात 11 बजे. परा हॉल खचाखच भरा था. कमीश्नर चौहान न बोलना शरू ककया तो िहा एक दम सन्ना्ा था. खबर यों तो पर दश और पर राज्य म फ़ल गई थी. सभी अखबारों और चेनकस के प्रनतननधी उपक्र्सतथ थे लककन उत्सकता यह थी कक राजननतक
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 40 रूप से हमेशा शाींत रहने िाले इस राज्य में यह सब कस हआ और तयों ? कमीश्नर चौहान न बोलना शरू ककयाकैप््ेन कवपल आपके सामने हैं और आप सभी इन्हें जानते ही है . इन्होने ही पदाटपाश ककया है इस राजनैनतक हत्या काण्ि के नघनोने र्ड्यींत्र का अब कैप््ेन कवपल ही आपको मसमसलेिार बताएूँगे कक आखखर तया हआ , तयों हआ और कैसे हआ ..... कैप््ेन कवपल ने माईक सम्हालत हए कहा – रात बहत हो चकी ह इसमलए म आपको सक्षप म बता दता ह कक यह तया कहानी है. अभी बताना इस मलए जरुरी है तयों कक रात भर म बहत सी अफिाह फ़ल जाएगी और कानन और व्यिर्सथा का मामला खिा हो जाएगा. कैप््ेन कवपल ने गला साफ़ ककया और बोलना शरू ककया- यह एक राजनैनतक र्ड्यत्र , कसी का लोभ , दल बदल और विश्िासघात की नघनोनी और अनोखी कहानी है. बलराम जी और नारायण प्रसाद जी ममत्र थे और पहले एक ही दल में थे और जब नारायण प्रसाद जी मख्यमत्री थ तो बलराम जी गहमत्री थ दोनों की अच्छी जोड़ी थी लेककन वपछली बार यह दल चनाि हार गया और नारायण प्रसाद जी ने दल बदल कर जो दल यहाूँ सत्ता में आया था उसे ज्िाइन कर मलया. साल भार बाद कफर स राज्य म चनाि हो रहें है और हाल ही में जो सिे आये है उसक अनसार अगली सरकार बलराम जी के दल की आ रही है . अब बलराम जी इस दल के सबसे बड़े नेता थे . नारायण प्रसाद जी तो दल बदल चक थ. मन जो बलराम जी के ररकॉिट में जो वपछले दो तीन माह का पत्र व्यिहार देखा उसमें यह तथ्य सामने आया िह यह था कक नारायण प्रसाद जी अपन परान दल में लौ्ना चाहते थे और उन्होंने इसके मलए बलराम जी की सहमती भी ले ली थी . आज की राजनीनत में यह एक आम बात है लेककन उसी फाइल में पा्ी के राष्ट्ट्रीय अध्यक्ष का पत्र भी था क्जसमें उन्होंने बलराम जी को सधचत ककया था कक नारायण प्रसाद जी हमारे दल में शाममल होना चाहते
जी पा्ी क एक परान नता ह तो हम उन्ह सम्माननत पद ही देंगे लेककन इस समय राज्य म अपनी पा्ी की जीत की परी सम्भािना है जो आपक नतत्ि म ही सींभि हो पाया है और आपने एक कदठन समय म चनाि हारन क बाद कफर स पा्ी को राज्य में खिा ककया है. अत: आपको यह सधचत रह कक इस राज्य क मख्यमत्री का चहरा आप ही होंग और चनाि जीतन क बाद भी आप ही मख्यमत्री होंग इसके मलए केन्द्रीय काररणी को आपकी सहमती की कोई आिश्यकता नही ह इसकी सचना नारायण प्रसाद जी को भी दे दी गई है . बस यही स र्ड्यत्र की शरुआत हई. नारायण प्रसाद जी बलराम जी के घर भी
हैं आशा है आपको इसमें कोई एतराज नहीीं होगा और इससे केन्द्रीय कायटकाररणी का ननणटय यह है कक यदद आपको एतराज नहीीं है तो उन्हें दल में कफर से ले मलया जाए. नारायण प्रासाद
Murder Mystery by Sudhir Halakhandi 41 आये थे और दो ददन िहीीँ रहे थे . आखखर परान ममत्र जो ठहर. उन्होंन यह परा र्ड्यत्र खद ही रचा और क्जस आदमी के जररये उन्होंने बलराम जी को जहर देने का इींतजाम करिाया उसे भी आगे पीछे िो मरिा ही देते तयों कक केिल िही तो एक सबत था लककन उनकी तकदीर न ही इनका साथ नही ददया और कई सींयोग ऐसे हए कक उनकी पोल खल गई अब इस र्ड्यत्र म कई अजीब सयोग हए जो नारायण प्रसाद जी के र्ड्यींत्र की पोल खोल गए. बाकी उन्होंन योजना बहत ही सोच समझ कर बनाई थी उन्हें यह भी मालम था कक गोपाल के पास से जो गाय का जो दध आता था िह मसफ बलराम जी के काम ही आता था बाकक सब तो ियरी का दध इर्सतमाल करत थ . जहर कॉफ़ी में ममला था इसमलए इस दध में ममलाया गया है यह तो पकड़ में नहीीं आ सकता था तयों की जादहर तौर पर तय यही था कक जहर कॉफ़ी में था लेककन उस ददन बलराम जी को राजधानी में जाना था इस मलए कॉफ़ी क बाद कछ दध बचा गया क्जसे उनके नौकर ने किज में रख ददया और िही दध बलराम जी क घर की कयर ्कर न उनकी पालत बबकली को वपला ददया और िह बबकली उसी रात मर गई तो इसी से यह पता लगा कक जहर कॉफ़ी म नही दध म ममलाया गया था . अब एक और घ्ना हई क्जस आदमी कलाश को नारायण प्रसाद जी न दध म जहर ममलाने भेजा था उसने अनजाने में अपने शहर से इस शहर के बस के द्कक् पर दिा मलख दी और उस द्कक् से पता लग गया कक िह क्जस शहर से था िही नारायण प्रसाद जी का शहर है. इसका पता मझ नारायण प्रसाद जी बलराम जी को मलखे पत्र से भी लग गया . बस मझ शक हआ और उसक बाद बलराम जी के ररकोिट से जो अन्य पत्र ममले उसके बाद मझ लगा कक नारायण प्रसाद जी का कोई रोल हो सकता ह लककन यह बहत दर की कौड़ी थी लककन कफर कड़ी स कड़ी जिती गई और कलाश न भी कबल मलया कक ह्त्या का यह र्ड्यींत्र नारायण प्रसाद जी ने ही रचा था उसके पास एक मोबाइल ररकॉडिग भी थी दोनों
ककतना भी चालाक तयों नहीीं हो कभी कभी तकदीर भी उसे धोका दे देती है और कफर स मख्यमत्री का सपना दखन िाले की बाकी की क्जन्दगी अब जेल में ही ननकलनी है और हो सकता है फाींसी के फींदे तक भी ले जाये उन्हें. बस प्रस कािस समाप्त हो गई और दसर ददन के अखबार भरे पड़े थे .... इस राजनैनतक विश्िासघात, कसी क लालच और नघनोने र्ड्यींत्र की कहानी से.
का सामना हआ तो अब तो नारायण प्रसाद जी के पास मानने के अलािा कोई चारा ही नहीीं था . हत्यारा
Murder
42 हर बार की तरह आपको इन्तजार होगा कक इस बार कैप््ेन कवपल कवपल को इस केस से तया ममलेगा तो कफर यह कफर कभी बताएूँगे अभी तो यह बताइए की यह मिटर ममर्सट्री कैसी लगी आपको – मेरा ई मेल है sudhirhalakhandi@gmail.com - समाप्त- सधीर हालाखिी To Sudhir Halakhandi Sudhirhalakhandi@gmail.com SUDHIR HALAKHANDI
Mystery by Sudhir Halakhandi

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MURDER MYSTERY -3 BY SUDHIR HALAKHNADI by CA Sudhir Halakhandi - Issuu