
सधीर हालाखडी SEASON 2 शीर्षक -ब्यटी पालर म ह्त्या का रहस्य कल पज -30 A LONG MUDER MYSTERY IN 20 PAGES ONLY A MURDER MYSTERY BY SUDHIR HALAKHANDI रागिनी शहर क सबस बड़ ब्यटी पार्लर के वेटटिंि एररया में बैठी थी. उसेवहािं आये आधा घिंटे से ज्यादा का समय हो चका था . आज उस अपने पतितनखिर् के साथ शाम को शादी के ररसेप्शन में जाना था . शादी उसके पति के ख़ास दोस्ि की थी. उसके पति तनखिर् ने उसे ववशेष तनदेश टदया था कक वो ठीक से िैयार हो जाये और शाम 7 बजे उस परी िरह स रडी ममर् िाकक वे 8 बज पहर् ररसप्शन हार् म पहच सके. तनखिर् इसी शहर में एक आईटी कपनी म एग्जीक्यटटव था और उसी किंपनी में काम कर रहे उसके दोस्ि मशिर की आज शादी थी. तनखिर् ने रागिनी के मर्ए िीन टदन पहर्े से ही इस ब्यटी पार्र म बककि करवा दी थी र्ककन आज शाटदयाुँ बहि थी इसमर्ए वटटि टाइम बढ़िा जा रहा था. रागिनी बड़ी बैचेनी से वेटटिंि एररया अपने नम्बर का इन्िजार कर रही थी. रागिनी और ननखखल की शादी हए अभी 1 वष ही हआ था और यह एक अरेंज मेररज थी और वह भी उसी शहर की रहने वार्ी थी जजस शहर में तनखिर् के मम्मी पापा रहिे थे और तनखिर् के पापा उसके पापा के दोस्ि थे. शादी के बाद वह इस शहर में आ िई थी और अब उस फ्र्ैट में तनखिर् के साथ रहिी थी जो कक रागिनी के पापा ने िरीद कर रागिनी को टदया था . अभी वह अपने नम्बर का इन्िजार कर ही रही थी कक एक र्ड़का उसे पानी का ग्र्ास दे िया जो उसने िरि िार्ी कर टदया उसके बाद
उसने देिा कक एक र्डकी उसे अपने साथ चर्ने को कह रही थी . उस र्ड़की ने मह पर मास्क र्िा रिा था जो कक कोरोना के बाद अब आम हो िया था और उसके सर पर उसके एक केप थी. वो रागिनी को वामशि एररया में र्े िई और उसके बार् धर्वान र्िी . बार् शम्प करने के बाद उसने उन्हें हेयर ड्रायर से सिा टदया . रागिनी फिर से वेटटिंि एररया में आ िई थी . वो र्डकी जो उसे हेयर वाश के मर्ए र्े िई थी उसे बोर् कर िई थी बस ! मेम 5 ममतनट में आपका नम्बर आने वार्ा है और वह चर्ी िई. रागिनी ने देिा कक वहीीँ ररसप्शन पर एक कम्प्र्ट बक रिी थी और साथ में एक पेन भी था. वो अपनी जिह से उठी और ररसेप्शन िक िई और उसन कम्प्र्ट बक म मर्िा आपन वामशि एररया म बहि मच्छर है और आप इस पर ध्यान द और अपना बककि नम्बर और नाम मर्ि कर दस्ििि कर टदए. इस शहर से रागिनी ज्यादा पररगचि नही थी . शादी के बाद ही वो पहर्ी बार ही इस शहर में आई थी . पति क ड्यटी आवस बहि अगधक थ इसमर्ए वो अगधकिर घर में ही रहिी थी और पर एक सार् म िीन या चार बार ही शाम के समय घर से बाहर िभी िई थी जब वे दोनों ककसी बाहर िाना िाने िए थे. शहर अभी उसके मर्ए नया था . इस ब्यटी पार्र म भी वो पहर्ी बार आई थी और इसकी चमक दमक देिकर उसकी आुँिों में प्रशिंसा के भाव थे . उसे र्िा उसके पति का टेस्ट काफी हाई क्र्ास है . रागिनी अभी भी अपनी बारी का इन्िजार कर ही रही थी कक उसका फोन बज उठा .... र्ाइन पर उसका पति तनखिर् था .. बोर्ा रागिनी , पहच िई रागिनी न कहा- हाुँ अभी वही ह ... मरी बारी बस अब आन ही वार्ी है . तनखिर् ने बोर्ा ठीक है . शाम के समय का ध्यान रिना .. मैं समय से पहर्े आ जाऊिंिा.....िम ियार ममर्ना . रागिनी ने कहा ठीक है . मैं पहर्े यहाुँ से िो फ्री होऊिं . आज बड़ी भीड़ है यहाुँ . देिें ककिनी बजे फ्री होिी ह . वस अभी समय बहि ह
इसमर्ए िम गचिा मि करो म समय पर घर पहच जाऊुँिी .. और फोन डडसकनेक्ट हो िया. रागिनी के पापा रोशन र्ार् जी अपने शहर के एक बड़े बबजनेसमेन थे . उनका सीमेंट , र्ोहे समेि बबज्डिंि मटेररयर् का बड़ा बबजनेस था और अपने शहर में उनकी कई ब्ािंच थी और शादी के पहर्े रागिनी भी उसी शहर में रहिी थी .तनखिर् भी मर् रूप स उसी शहर स था इसके अर्ावा रागिनी के वपिा की फमल किंस्रक्शन र्ाइन में भी बड़े पैमाने पर काम कर रही थी .रागिनी उनकी एक ही सिंिान थी. रोशन र्ार् के इस बबजनेस में एक और पाटलनर थे जो कक उनके साथ ही ककसी समय में सेठ इर्ाचिंद के यहाुँ नौकरी करिे थे और यह बरसों परानी बाि थी और बाद में उन्होंने एक साथ बबजनस शरू ककया जो पहर्े िो बहि छोट पमान पर था र्ेककन धीरे धीरे वो काफी बढिा िया . रागिनी के पापा रोशनर्ार् क पाटनर का नाम था मोहन कमार और रोहन मोहन कमार का एकर्ौिा बेटा था और अब वह भी बबजनेस में उन र्ोिों की मदद करिा था. इस समय यही उसका काम था और इसे ही वह अपना कररयर बना चका था रागिनी के पापा के एक और दोस्ि थ जजनका नाम था महश कमार और उनसे रागिनी के पापा रोशन र्ार् और उनक पाटनर मोहन कमार के घतनष्ट सम्बन्ध थे और वे िीनों शरू स ही ममत्र थ. उनकी पत्नी अथालि रागिनी की मम्मी शीर्ा जी की मत्य क बाद रोशनर्ार् न अपन ममत्र के बेटे तनखिर् से रागिनी के ररश्िे का प्रस्िाव ककया िाकक ये ममत्रिा अब ररश्िेदारी में बदर् सके और रागिनी के पापा भी अब गचिंिा मक्ि हो सक. यह प्रस्िाव भी रोशन र्ार् जी की ममत्रमिंडर्ी का ही एक ववचार था जजसे बाद में रोशन र्ार् जी ने आिे बढाया .इस िरह रागिनी और तनखिर् की शादी हो िई और रागिनी अपने पति तनखिर् के साथ इस शहर में आ िई. ब्यटी पार्र क ररसप्शन स रागिनी का नाम पकारा जा रहा था र्ककन वह कोई जवाब नहीिं दे रही थी िभी
ररसेप्शन पर बैठी र्ड़की उठी और रागिनी के पास जाकर बोर्ी मेम ! आपको िो शायद नीिंद आ िई है ... उटठए .. आपका नम्बर आ िया है ज्दी कीजजये आज कस्टमस बहि ज्यादा है र्ेककन जब उसने नहीिं सना िो उस र्ड़की न रागिनी का किंधा पकड़ कर आवाज दी ... र्ेककन रागिनी एक और र्ढ़क िई और उस र्ड़की की चीिंि तनकर् िई . रागिनी मर चकी थी........... वेटटिंि एररया से चीिंि की आवाज सनि ही साथ ही र्ि ऑकफस क कमर स ब्यटी पार्र की मामर्क ममसेज सीमा अजग्नहोत्री बाहर तनकर् कर आई और साथ में था उनका मेनेजर अरुण कमार . वेटटिंि एररया में जैसे एक हिंिामा सा िडा हो िया पार्र म काम करन वार्ी बहि सी र्डककया भी अब वहा आ चकी थी और रागिनी की र्ाश वेटटिंि एररया क सोफ पर र्ढकी पड़ी थी. ममसेज अजग्नहोत्री ने सभी र्ड़ककयों को अपनी अपनी जिह जाने को कहा और अरुण को पमर्स को फोन करने के मर्ए बोर् कर उन्होंने वेटटिंि एररया में मौजद सभी ग्राहकों के मर्ए ऊपर का कमरा िोर्ने के मर्ए बोर् कर सभी का इस एररया से बाहर जाने का इन्िजार करने र्िी. मैनेजर अरुण कमार पमर्स को फोन कर चका था . ममसेज अजग्नहोत्री ने मैनेजर को वेटटिंि एररया दोनों िरफ से बिंद करने का तनदश टदया और वो िद बाहर चर्ी िई पमर्स का इन्िजार करन. पललस इस्पक्टर चेतन प्रकाश यादव न ब्यटी पार्र म प्रवश ककया . एक जीप में यादव और सब इन्स्पेक्टर रावर् थे और उनका अपना अमर्ा था और दसरी जीप म फोरेंमसक टीम थी . अचानक मौि यटद स्वाभाववक मौि भी हो िो भी पमर्स की कायलवाही िो होिी ही है और पहर्े ककसे पिा होिा है कक मौि स्वाभाववक है . इिंस्पेक्टर यादव का यही िरीका था काम करने का . ममसेज सीमा अजग्नहोत्री के पति भी एक ररटायडल फौजी थे और वो िद भी एक मममर्री फॅममर्ी से ही थी
इसमर्ए इस घटना के बाद भी उन्होंने अपना आत्मववशवास बरकरार रिा और वे जजिना वो जानिी थी वो सब उन्होंने इिंस्पेक्टर यादव को बिा टदया और वेटटिंि एररया की और इशारा ककया . ममसेज अजग्नहोत्री उसके बाद बोर्ी –सर ! इस मौि से हमारा कोई सम्बन्ध नहीिं है र्ेककन वे हमारी कस्टमर थी और उनकी मत्य हमार ब्यटी पार्र म हई ह इसमर्ए दुःि बहि ह र्ककन सर ! आज यहाुँ भीड़ बहि ह और मन वटटि एररया दोनों िरफ से बिंद कर टदया है . हमारा मैनेजर अरुण हमेशा आपके साथ ही रहेिा . इिंस्पेक्टर यादव ने कहा मेडम ! ठीक है आप अपनी बाि ज्दी ख़त्म कीजजये .. हमें अपना काम शरू करन दीजजय. 25 साल की सर्वषस वाले सीतनयर ऑकफसर यादव के मर्ए इस िरह के हार्ाि कोई नए नहीिं थे . उसने सब इिंस्पेक्टर रावर् को बोर्ा चर्ो ! रावर् िम अपना काम शरु करो .. फॉरेंमसक टीम को भी अपने साथ र्े जाओ . सीसीटीवी भी देि र्ेना . र्ेककन इसी बीच ममसेज अजग्नहोत्री बोर्ी सर ! पहर्े मेरी बाि िो सन र्ीजजये .. इिंस्पेक्टर यादव ने कहा मडम ! आप कह िो चकी .. हम अपना काम शरु करन दीजजय ममसेज अजग्नहोत्री ने कहा सर ! आपकी बाि ठीक है .. सर ! आज शाटदया बहि ह क्या हम अपना काम जारी रि सकिे हैं .. बस यही कह रही ह म .आप इजाजि द िो वरना आज ग्राहकों को बहि िकर्ीफ हो जायिी. इस्पक्टर यादव न ब्यटी पार्लर को चारों िरफ से देिा. वो एक आमर्शान बबज्डिंि थी और र्ििा था कक एक सफर् व्यवासय की मार्ककन के सामने िडा है वो बोर्ा आप अपनी आज की आपनी कमाई के बारे में सोच रहीिं है वो भी आपकी एक कस्टमर की आकजस्मक मौि के बाद ? ममसेज अजग्नहोत्री ने ििंभीर आवाज में कहा इिंस्पेक्टर साब ! ये मेरा इिना बड़ा व्यापार है कक एक टदन की आय से मेरे क्या ही फकल पडेिा र्ेककन आप उन र्ोिों की सोगचये जजन्हें आज यहाुँ िैयार होना ह जजनम कछ िो द्हन ह जजनकी आज शाटदयाुँ है ..... आप
सोगचये . इिंस्पेक्टर यादव ने कहा ह ... मडम ! आप ठीक कह रही ह . आप अपना काम जारी रखिये . देििे हैं मैं ककिनी इसमें छट दे सकिा ह .... र्ेककन जैसे भी हो आप अपना काम तनपटाइए ! चमर्ए अब म अपना काम शरू करिा ह . ऐसा ही था इिंस्पेक्टर यादव का काम करने का िरीका . वो हर वाजजब बाि को बहि ही िाककलक दृष्टी से देििा था वो लमसेज अग्ननहोत्री ने अपनी एक और ऑकफस अमसस्टेंट को मार्िी को बर्ाया और उस र्ड़ककयों को काम जारी रिने का तनदेश टदया और वो िद अपन ऑकफस की और मड िई. ब्यटी पार्र का मनजर अरुण बोर्ा चमर्ए इिंस्पेक्टर साब ! वे दोनों वटटि एररया की और पहच चक थ. वहा सब इस्पक्टर रावर् न पर वेटटिंि एररया का तनरीक्षण कर चका था. र्ाश के फोटो िीचें जा चक थ. रागिनी के पसल से एक काडल ममर्ा जो रागिनी के पति तनखिर् का था .. रावर् तनखिर् को फोन करने र्िा . फॉरेंमसक टीम भी अपना काम कर चकी थी और इसमें करीब आधा घिंटे का समय र्िा . रागिनी की र्ाश को पोस्टमाटलम के मर्ए र्े जाने की िैयारी हो रही थी िभी रागिनी का पति तनखिर् आ िया . उसके चेहरे पर हवाइयािं उड रही थी .. रागिनी की र्ाश दिि हए वो घटनों क बर् बैठ िया और उसकी आुँिे बरसने वार्ी ही था . इिंस्पेक्टर यादव उसे ध्यान से देि रहे थे. यादव ने उसे सम्हार्ा और बोर्ा – बटा बहि दिद ह यह ! िम िम्हार घर और ररश्िेदारों के नम्बर दो रावर् को . वो सबको सगचि कर दिा. िम्ह धैयल रिना होिा. तनखिर् वहीीँ जमीन पर बैठ िया . वो र्िािार रागिनी के चेहरे हो देि रहा था. सब इंस्पेक्टर रावल ने कहा- सर ! ये नामलर् मौि का मामर्ा र्ििा है . इिंस्पेक्टर यादव ने तनखिर् को पछा इन्हें कोई ििंभीर बीमारी थी क्या ? तनखिर् बड़ ही मायस स्वर में बोर्ा- नहीिं सर ! मेरी जानकारी म िो ऐसा कछ नही ह इस्पक्टर यादव ने कहा- मौि िो नामलर् ही र्ििी है र्ेककन .. पोस्ट माटलम में
क्या आिा हैं देििे हैं ररपोटल क्या कहिी है .. इिंस्पेक्टर यादव िड़ा हआ और अचानक उसकी तनिाह एक रजजस्टर पर पड़ी और वो उसके पन्ने पर्टने र्िा जजसकी आखिरी एिंरी पर मर्िा था आपन वामशि एररया में बहि मच्छर ह कपया इस पर ध्यान दें रागिनी . इिंस्पेक्टर यादव न वामशि एररया की और कदम बढ़ाये और देिा कक वो साफ़ सथरा एररया था वो थोड़ी देर वहािं िडा रहा और अचानक उसके होंठ िोर् हो िये ... वो बाहर आया और रावर् से बोर्ा इस वेटटिंि एररया और वामशि एररया सीज कर दो.... रावर् न पछा क्या हआ सर ! इिंस्पेक्टर यादव ने कहा रावर् ! यह शि प्रतिशि स्वाभाववक मौि हो अब मझ ऐसा नही र्ििा है !यह कछ और भी हो सकिा है .... और वह िेजी से ब्यटी पार्र की मार्ककन ममसेज सीमा अजन्िहोत्री के ऑकफस की और मड िया . इंस्पेक्टर यादव ममसेज अजन्िहोत्री के ऑकफस में ध्यान से सीसीटीवी के फटज दि रहा था . अब मिका रागिनी वेटटिंि एररया में बैठी टदिाई दे रही थी .... िभी एक र्डकी केप और मास्क र्िाए उससे बाि कर रही थी और वह र्डकी उस वामशि एररया की और र्े जािी टदि रही थी . वामशि एररया म िो केमरे होने का सवार् ही नही था .. सीमा अजन्िहोत्री भी एकटक मॉतनटर की और देि रही थी और इिंस्पेक्टर यादव क िवर दिि हए वो समझ िई थी कक मामर्ा अब उिना आसान नहीिं है जजिना वो समझ रही थी . सीसीटीवी की फटज म जैसे ही वो र्डकी मास्क और केप में नजर आई उसे बार बार देििे हए उसने इिंटरकॉम पर अपनी सपरवाईजर को बर्ाया और आि ही उसने मॉतनटर पर उस र्डकी का फोटो दिि हए पछा – मनीषा, देिो िो यह र्डकी कौन है ? अपने स्टाफ में कब से है मैंने िो कभी देिा नहीिं और यह केप िो हमारे ड्रेस का टहस्सा भी नहीिं है . मनीषा ने अच्छी िरह से देिा और बोर्ी मेम यह िो हमारे स्टाफ में से नहीिं है ... इिंस्पेक्टर यादव ने आश्चयल से कहा – क्या !!!! कफर ये कौन हैं ....
देखिये अच्छी िरह से मार्म कीजजये ... इिंस्पेक्टर यादव ने कहा यटद यह र्ड़की आपके स्टाफ में से नहीिं है इसी र्डकी की मदद से रागिनी का मडलर ककया िया है ... यह आपके ब्यटी पार्र क मर्ए भी बड़ी बदनामी की बाि है कक कोई बाहर से आया और यहाुँ आपके एक ग्राहक का मडलर कर िया .... देखिये अब आपको भी हमारी जािंच में मदद करनी होिी ...... रागिनी की र्ाश पोस्ट माटलम के मर्ए भजी जा चकी थ सब इिंस्पेक्टर रावर् रागिनी के पति तनखिर् को सम्हार्े हए था और उससे फोन नम्बर र्ेकर उसके पररवार को सचना द चका था और अब दोनों इिंस्पेक्टर यादव के साथ बठा था . पमर्स का बाकी अमर्ा अपना काम कर रहा था . इिंस्पेक्टर यादव न ब्यटी पार्र की मामर्क सीमा अजग्नहोत्री की और दिि हए बोर्ा मडम ! म आपका वामशि एररया, ररसेप्शन और वेटटिंि एररया सीर् कर रहा ह. बाकी म आपकी मज़बरी समझिा ह इसमर्ए अब आप बाकी जिह का इस्िेमार् कर अपना काम जारी रिें . सीमा अजग्नहोत्री ने कहा जी सर ! र्ेककन अब उसकी बाि में पहर्े जैसा उत्साह और आत्मववश्वास नहीिं था . आिों में गचिंिा झर्क रही थी और उसे यह ववशवास ही नहीिं हो रहा था कक उसक इस मशहर और शहर क सबस बड़ ब्यटी पार्लर में मडलर भी हो सकिा ह . उसन बहि ही धीमी आवाज में कहा – इिंस्पेक्टर साहब ! अब िो हम हमारी बदनामी होनी ही है . आप अपना काम जारी रिें और आपको जरुरि हो िो बिा दीजजएिा अिर जरुरि होिी िो मैं पार्ेर का आज का काम भी बद करवा दिी और उसके बाद उसने अपनी दराज से अपना मोबाइर् तनकार्ा और अपने पति मेजर रवव अजग्नहोत्री को फोन करने र्िी. इिंस्पेक्टर यादव ने कमीश्नर ऑकफस फोन कर कमीश्नर वी.के. चोहान को परी ररपोट दी और उनसे तनदेश मर्ए . उसने वेटटिंि एररया , ररसप्शन और वामशि एररया का एक बार कफर अच्छी िरह से तनररक्षण ककया और रावर् को कहा कक
वामशि एररया क फोटो अच्छी िरह स र् र्ना और अिमर्यों क तनशान भी. कम्प्र्ेंट रजजस्टर भी उसने अपने कब्जे में र्े मर्या था. इिंस्पेक्टर यादव ने रावर् से कहा –रावर् एक बार कफर वामशि एररया ढिंि देिो . कहीिं कोई मच्छर नजर आये िो बिाना . यह सनकर ब्यटी पार्लर की मामर्क सीमा अजग्नहोत्री बोर्ी इिंस्पेक्टर साहब ! हमारे इस ब्यटी पार्र म कही भी मच्छर या मख्िी होने का िो कोई प्रश्न ही नहीिं उठिा है . सीमा अजग्नहोत्री ने अपने अमसस्टेंट को इशारा ककया और चार कप कॉफ़ी और पानी रि िया था और उसने इिंस्पेक्टर यादव को कहा सर ! आप कॉफ़ी र्ीजजये .. िब िक सब इिंस्पेक्टर रावर् भी आ चका था और उसने बोर्ा सर ! वामशि एररया िो बबर्कर् साफ़ ह और कही कोई मच्छर नहीिं टदि रहा है. जजस िरह से ये जिह बनाई िई है और जजिनी सफाई रिी िई है उसे देििे हए यहा मख्िी या मच्छर होने का कोई सवार् ही नहीिं है. सीमा अजग्नहोत्री के ऑकफस में सभी ने अभी कॉफ़ी ख़त्म ही की थी कक ऑकफस में एक रौबदार व्यजक्ि ने प्रवेश ककया और आिे ही इिंस्पेक्टर यादव स हाथ ममर्ाि हए कहा –इिंस्पेक्टर साब ! मैं रवव अजग्नहोत्री ... फ़ौज स ररटायड मजर ह और यह ब्यटी पार्र मरी पत्नी सीमा का है . िभी पीछे से केप्टन कवपर् ने प्रवश करि हए कहा यादव ! कफर एक मौि !!! ये भी मडलर ही है क्या ? इिंस्पेक्टर यादव ने कहा- केप्टन साब ! अिर स्वाभाववक मौि होिी िो मैं इिनी देर नहीिं रुकिा यहाुँ और शायद आप भी नहीिं आिे ... केप्टन कवपर् ने कहा नहीिं यादव मझ कछ ज्यादा पिा नहीिं है मैं िो मेजर साब के साथ िो्फ क्र्ब में था िभी इन्होन मझ बताया कक यहा कोई दघटना हो िई ह इसमर्ए मझ इनके साथ आना पडा. ये हमारे अच्छ ममत्र ह और म इनका जतनयर भी रह चका ह . इिंस्पेक्टर यादव ने जजिनी बािें उसे पिा थी वो केप्टन को बिाई और अपना अिंदेशा केप्टन के सामने जिाया और बोर्ा केप्टन साब !
दखिय बहि सी चीजें िो अब मैं आपसे सीि ही रहा ह. इसमर्ए आइये मैं आपको मसर्मसर्ेवार समझािा ह कप्टन कवपर् और इिंस्पेक्टर यादव कई केसेस में एक साथ काम ककया था और उनकी आपसी समझ भी काफी थी और इिंस्पेक्टर यादव केप्टन कवपर् की होमशयारी और समझदारी की हमेशा इज्जि करिा था और वो यह भी जानिा कक केप्टन कवपर् मसफल एक प्राइवेट डडटेजक्टव एजेंसी का मामर्क ही नही बज्क पमर्स डडपाटमट म भी उच्च अगधकारीयों िक भी उसकी पहच थी. अब डडपाटमट म कप्टन कवपर् की हैमसयि क्या थी यह इिंस्पेक्टर यादव के मर्ए एक रहस्य था र्ेककन अभी वपछर्े ही केस में जहाुँ ऑनर्ाइन िाना सप्र्ाई करने वार्ी किंपनी का र्ड़का ववकास एक मडलर केस में व्यथल ही फिंस िया था वहािं जजस िरह से इिंस्पेक्टर यादव के थाने में ही उस र्ड़के के मडलर का प्रयास ककया िया था और उस मसीबि स जजस िरह कप्टन कवपर् ने उसे तनकार्ा था उससे इिंस्पेक्टर यादव समझ िया था कक केप्टन कवपर् मसफल एक प्राइवेट डडटेजक्टव ही नहीिं है बज्क डडपाटलमेंट में भी उनकी कोई ऊुँची जिह है. इिंस्पेक्टर यादव बोर्ा देखिये केप्टन साब ! मेरा सन्देह मसफल एक ही बाि पर है और वह है कक मिका न ब्यटी पार्र की कम्प्र्ेंट बक म मर्िा ह कक वामशि एररया म मच्छर बहि ह और मन वामशि एररया को अच्छी िरह स दिा ह .. वहा और इस ब्यटी पार्र में कहीिं भी मच्छर और मक्िी का कोई नामोतनशान भी नही ह . मझ र्ििा ह कक मिका न वामशि एररया म महसस ककया होिा कक उस कछ चभा ह इसमर्ए उसन कम्र्ट बक म ऐसा मर्िा ह .. य मेरा सिंदेह है देिें पोस्ट माटलम ररपोटल में क्या आिा है और हाुँ मेडम अजग्नहोत्री ने भी बिाया है कक जो र्ड़की मिका को वामशि एररया िक र्े िई है वो उनकी कमलचारी नहीिं थी और उसने मास्क और केप र्िा रिा था जो उनकी ड्रेस कोड का टहस्सा भी नही है . इसमर्ए अब यह स्वाभाववक मौि िो नहीिं ही है .
केप्टन कवपर् प्रशिंसात्मक नजरों से इिंस्पेक्टर यादव की और देिा और बोर्ा सही जा रहे हो यादव ... िम्हारी सभी बाि ठीक हो सकिी हैं ... चर्ो मेरे साथ एक बार सारी जिह अच्छी िरह से देि र्ेिे हैं और उसक बाद िम मझ सीसीटीवी फटज भी टदिा देना. केप्टन कवपर् न पर एररया को दिा और अपन मोबाइर् म कछ फोटो मर्ए .. कफर सीसीटीवी फटज दि और यादव को कहा य फटज भी अपन साथ र्े र्ो. इस्पक्टर यादव न मिका क पति से प्राप्ि उनके पररवार और मिका क वपिा की जानकारी भी केप्टन कवपर् की दी जो उसे सब इिंस्पेक्टर रावर् ने उसे दी थी . सारी बािे केप्टन कवपर् बड़ी ििंभीरिा से सन रहा था . इस बीच रावर् को बोर्ा- िम ज्दी से ज्दी मिका रागिनी और उसके पति तनखिर् और उनके पररवार की सारी टहस्री िैयार करने की कोमशश करो. मिका क पति के ऑकफस और उसक दोस्िों क बार म मार्म कर. इसक अर्ावा मिका क वपिा और इनके काम के बारे में मार्म करो. यह सब एकत्र कर आज शाम 7 बजे िक मेरे ऑकफस र्े आओ. इसके अर्ावा उन सब र्ोिों को कर् मेरे ऑकफस 12 बजे र्ाना है जजनके बारे में आज शाम को िम्ह बिाऊिंिा . केप्टन कवपर् ने आिे कहा मैं आज शाम 7 बजे िम्ह और भी िैयारी करने क बाकी तनदश दिा इस बीच मेरा अमसस्टेंट रोबटल भी िम र्ोिों की मदद करिा . य कस मझे ज्द से ज्द हर् करना है क्यों कक अभी रास्िे में मैंने मेजर रवव सर से वादा ककया है कक उनके इस ब्यटी पार्र को इस बदनामी स ज्द स ज्द छटकारा टदर्वाऊिा िभी मेजर रवव अजग्नहोत्री अपनी पत्नी के साथ आ िए ..... और मेजर बोर्े केप्टन ! हम ये बदनामी ज्यादा नहीिं झेर् पायेंिे ... मेरी पत्नी सीमा बहि भावक ह और हमारे बबज़नेस के इस टहस्से से भावनात्मक रूप स बहि अगधक जडी ह ... हमन इस बबजनस स बहि सी र्ड़ककयों को अपन परों पर िड़ा ककया है .... ये मडलर ..... इसकी बदनामी स ज्दी छटकारा
नहीिं ममर्ा िो ..... उन्होंन भावक होि हए कप्टन क हाथ पकड़ मर्ए ... कप्टन िम्ह य काम ज्द स ज्द करना होिा क्यों कक जजिना र्िंबा केस चर्ेिा उिनी ही हमारी बदनामी ज्यादा होिी . केप्टन कवपर् ने कहा मेजर साब ! ये केस हर् करन क मर्ए मझ आप थोड़ा सा समय दीजजये .. और कफर वो इिंस्पेक्टर यादव को कछ अन्य तनदेश देकर वहािं से चर्ा िया . शाम हो चकी थी . केप्टन कवपर् के ऑकफस में सब-इिंस्पेक्टर रावर् उनके सामन बठा था और दसरी कसी पर केप्टन का अमसस्टेंट रॉबटल था . रॉबटल एक िठीर्े बदन का एथर्ेटटक बदन का शजक्िशार्ी बन्दा था और इस डडटेजक्टव एजेंसी में केप्टन कवपर् का नम्बर 2 था . फ़टबार् उसका शौक था और सप्िाह में कम से कम दो मैच िो उसे िेर्ने ही होिे थे और इस शौक के पीछे कई बार वो जरुरी काम के बीच में दो घिंटे िायब हो जािा था और कफर कप्टन कवपर् स बहि कछ उस सनना पड़िा था ... र्ककन अब यह उसकी आदि हो िई थी . उसी के कारण आज केप्टन कवपर् और सब इिंस्पेक्टर रावर् को आधा घिंटा इन्िजार करना पडा था. सब इस्पक्टर रावर् न आज की परी ररपोट कप्टन कवपर् दी ... मिका के पति तनखिर् , उसके वपिा , उनके पाटलनर मोहन कमार और उनके र्ड़के रोहन और उनके बबजनस की परी ररपोट उसन बिा दी . पोस्ट माटलम ररपोटल में जहर की आशिंका व्यक्ि की िई थी र्ेककन स्पष्ट रूप से यह नहीिं कहा िया था कक मौि का कारण जहर ही था . मिका क िदन पर एक ह्का र्ार् तनशान था जो कक काफी ह्का था . इस्पक्टर रावर् क अनसार मिका के वपिा का व्यवसाय बहि बड़ा था और उनके और उनके पाटलनर मोहन कमार के बीच केवर् सम्हार्ने वार्ा एक ही र्ड़का था जो कक रागिनी के वपिा मोहनकमार का इकर्ौिा र्ड़का था . इस व्यवसाय की कर् सम्पति भी 50 करोड़ रूपये से कम नही थी जजसम मिका का टहस्सा 25 करोड़ रूपये के करीब था . मिका रागिनी का पति तनखिर्
एक आई.टी इन्जीनीयर था जो कक एक बड़ी किंपनी में काम करिा था और इन दोनों की शादी को अभी एक ही सार् हआ था रागिनी क वपिा उसे कई बार नौकरी छोड़ उनका व्यापार ज्वाइन करने को कह चक थ र्ेककन वो इसके मर्ए हर बार मना कर चका था . आखिर उनक बाद सब कछ रागिनी और उसके पति का ही था पर वो कहिा था कक म एक इजीनीयर ह और मझ अभी नौकरी ही करनी ह . इस्पक्टर रावर् न कहा रागिनी िद भी इस व्यवसाय में 50 प्रतिशि की टहस्सेदार थी . केप्टन कवपर् ने पछा- ऐसा कैसे ? सब इिंस्पेक्टर रावर् ने कहा रागिनी के वपिा , उनके पाटलनर और उनके पाटलनर का र्ड़का यहा आ चक ह और यही सब मन उनस और तनखिर् स मार्म ककया है . केप्टन कवपर् ने कहा –ये सब िो ठीक है र्ेककन रागिनी 50 प्रतिशि की टहस्सदार कस हई ? पाटलनर िो उसके वपिा रोशन र्ार् हैं ना ? सब इिंस्पेक्टर रावर् ने कहा अभी िीन माह पव ही रागिनी क वपिा ने अपनी जिह रागिनी को पाटलनर बना टदया था इस िरह अब वो पर व्यवसाय म 50 प्रतिशि की भािीदार थी .. अब रागिनी के वपिा र्ीिर् रूप स इस फम म कछ नही थे और उनका टहस्सा रागिनी के नाम हो चका था अब सब कछ रागिनी का था . केप्टन कवपर् अच्छा ! िभी मिका क वपिा न तनखिर् को अब नौकरी छोड़ व्यापार ज्वाइन करने को कहा था. सब इिंस्पेक्टर रावर् – हाुँ , केप्टन साब ऐसा ही है . मैंने रागिनी के वपिा से आज र्म्बी बाि की और वो बहि दिी ह और कहिे हैं कक उनकी िो दतनया ही र्ट िई ह . केप्टन यादव रावर् िम िो सभी से ममर्े हो . ये बिाओ कक ये रागिनी के पति या वपिा की कोई दश्मनी थी ककसी स . सब इिंस्पेक्टर रावर् नहीिं सर ! उन दोनों क अनसार िो नही और रागिनी के वपिा की िो हो भी नहीिं सकिी क्यों कक रागिनी की मािाजी की मत्य क बाद िो उनका मन बबजनस म बबर्कर् भी नही र्ििा
था ... और ऐसा र्ििा है वो सब कछ छोड़न अपन आपको बबजनस के झिंझट से अर्ि करन क मड म थे. र्ेककन रोहन ने उन्हें बार- बार समझा कर रोक रिा था . केप्टन यादव रावर् , ये बिाओ ये रागिनी के वपिा के पाटलनर और उनका र्ड़का ककस िरह के र्ोि है सब इिंस्पेक्टर रावर् सर ! वे दोनों िो र्िािार रागिनी के वपिा रोशन र्ार् क साथ बन हए ह और ववशेष िौर पर पाटलनर मोहन कमार का र्ड़का रोहन ..... वो िो एक ही बाि कहिा है मेरे कोई बटहन नहीिं थी और एक थी रागिनी के रूप म थी वो भी भिवान न छीन र्ी . बहि भावक र्ििा ह र्ड़का सर या कह सकिे हैं सर कक अभी िो ऐसा ही र्ि रहा है या वो ऐसा ही अमभनय कर रहा है ! केप्टन कवपर् – बस ! रावर् कोई िास बाि ? सब इिंस्पेक्टर रावर् हाुँ एक बाि और है केप्टन साब ! क्या पिा इस केस में इसका कोई रोर् है भी या नहीिं . केप्टन कवपर् – क्या ह रावर् . िम बिा दो . काम की है या नहीिं ये मझपर छोड़ दो . सब इिंस्पेक्टर रावर् – रागिनी के वपिा रोशन र्ार् ने कहा कक यटद उनके पाटलनर मोहनकमार का र्ड़का रोहन उनकी बाि मान र्ेिा िो रागिनी की मौि ही नहीिं होिी आज और वो उनक शहर म सरक्षक्षि रहिी . केप्टन कवपर् अच्छा !!!!! ऐसी क्या बाि थी ? सब इिंस्पेक्टर रावर् रागिनी की मािाजी की मौि के बाद रागिनी के वपिा ने अपने पाटलनर मोहन कमार को प्रस्िाव रिा कक उनके बेटे रोहन और रागिनी की शादी कर दी जाये िाकक परा बबजनस एक ही घर म चर्ा जाए और उन्हें भी ज्यादा गचिंिा नहीिं रहे क्यों कक मोहन कमार जी और रोहन उनके वषों से देिे भार्े थे . सब िैयार थे यहाुँ िक की रागिनी भी ... र्ेककन रोहन ने मना कर टदया .. उसका कहना था कक
बचपन से उसने रागिनी को अपनी बटहन की िरह माना है अब केवर् जायदाद के मर्ए वह उससे शादी कर र्े यह उसके मर्ए सिंभव नहीिं होिा . उस दोनों भािीदारों न बहि समझाया र्ेककन वो ककसी िरह से िैयार नहीिं था. केप्टन कवपर् रॉबट ! िम कर् ज्दी सबह ही रागिनी क शहर चर् जाओ और इस र्ड़क रोहन का परा बेक ग्राउिंड चेक करो. याद रिो कक िम्ह 11 बज िक र्ौट आना ह और हा रावर् मझ सबह ज्दी तनखिर् और रागिनी का फ्र्ैट दिना ह िम ज्दी मर घर आ जाना और हाुँ इसकी िबर ककसी को नहीिं होनी ह . हा वस सबह वहा कौन कौन ममर्ेिा. इिंस्पेक्टर रावर् - शायद सबह या टदन में उन्हें र्ाश ममर् जायेिी और वे सब हॉजस्पटर् से ही अपने शहर जायि िो शायद सबह घर पर मजश्कर् ही कोई होिा. र्ककन आपके तनररक्षण की व्यवस्था िो हो ही जायिी . वैसे वे सभी इस समय हॉजस्पटर् के पास होटर् में ठहरे हैं . केप्टन कवपर् चर्ो ठीक है ... सबह ज्दी िम दोनों अपना काम शरू कर दो. अिर्ी सबह कप्टन कवपर् अपन र्ॉन में िैयार होकर चाय पी ही रहा था और उसका किा ड्रिन वही बठा धप िा रहा था कक सब इिंस्पेक्टर रावर् आ िया . बोर्ा सर ! चमर्ए ... मैं उधर से ही होकर आ रहा ह ... फ्र्ट पर िार्ा ह इसमर्ए आप ज्दी चर् र्ीजजये .. िाकक ढिंि से देि सके. वहािं अभी कोई नहीिं है . कप्टन कवपर् न अपन बट सशाि को एक चाय और बनाने को कहा और उसक हाथ स कप र्ि हए कहा रावर् , पहर्े चाय र्े र्ो कफर चर्िे है . अिर्े आधे घिंटे में वे रागिनी और तनखिर् के फ्र्ैट के बाहर िड़े थे और फ्र्ैट के बाहर एक सादा वदी में आदमी भी था जो कक सामने वार्ी सीटढ़यों में बैठा था . रावर् ने उसे आवाज दी िारेश , ज्दी करो . वो व्यजक्ि जजसका आम रावर् ने िारेश मर्या था अपनी जिह से उठा
और अपन बि स कछ चाबबया तनकार्ी और कछ ही ममनटों म िार्ा िोर् टदया . रावर् ने उसे कहा- िम अभी यही रहो और दिना कोई भी अन्दर नहीिं आये और हाुँ केप्टन साब को अन्दर भी ककसी और िार्े को िोर्ने की जरुरि हो सकिी है . रावर् और केप्टन कवपर् दोनों को मार्म था कक यह कोई काननी काम नही था र्ककन इस समय यह उनकी मज़बरी थी कोई और रास्िा इस समय नहीिं था . केप्टन कवपर् ने अन्दर जाकर देिा कक वह एक आमर्शान फ्र्ैट था जजसमें दो बड़े बेडरूम थे और एक ड्राइिंि रूम था. इसके साथ ही एक छोटा कमरा और था जजसमें एक बड़ी टेबर् र्िी थी जजस पर एक र्ैपटॉप रिा था और साथ ही एक टेबर् र्ैंप भी रिा था. ये शायद तनखिर् या रागिनी का या दोनों का स्टडी रूम था. दो में से एक बेड रूम शायद तनखिर् के वपिा का था उसमे रि सामन को दिि हए ऐसा ही र्ििा था . कप्टन कवपर् न पर फ्र्ट का मआयना ककया और उसन बड रूम की कछ अर्माररयों और ड्रावसल को भी ध्यान से देिा . उसे उनम कछ ख़ास नही ममर्ा. इसक बाद वो स्टडी रूम में िया . सब इिंस्पेक्टर रावर् र्िािार उसके साथ ही था और वो बड़े ध्यान से केप्टन कवपर् की कायलवाही को देि रहा था . उसके मर्ए केप्टन कवपर् का दजाल एक सेर्ीबब्टी ववशेषज्ञ का था जजसस उस बहि कछ सीिना था . स्टडी में एक ककिाबों की अर्मारी थी जो कक बहि ही करीन से जमाई ियी थी . केप्टन ने उन ककिाबों की और देिा . आईटी इजीनीयररि स जडी बहि सी ककिाबे थी . कछ ककिाबें केममकर् साइस स जडी थी इसक अर्ावा कछ ववमभन्न रसायनों स जडी ककिाब थी . उसके अर्ावा हार् ही के वषों में मशहर हए भारि क इजग्र्श म मर्िने वार्े र्ेिकों की ककिाबें र्ाइन से र्िी थी जजनमें चेिन भिि , अमीश , तनककिा मसिंह , दजोय दत्ता, रवविंदर मसिंह सभी थे . इसक साथ ही टहदी क जाससी र्ेिक वेद प्रकाश शमाल , वेद प्रकाश काम्बोज , सरन्र मोहन पाठक की ककिाबें थी जो हार् ही में कफर से
प्रकामशि होना शरू हई थी . अर्मारी म एक िरफ मशी प्रमचद , कमर्ेश्वर , धमलवीर भारिी , मशवानी , मन्न भडारी , मार्िी जोशी और ममिा कामर्या जैसे टहन्दी के कार्जयी र्ेिकों का कर्ेक्शन था . इसी क साथ िर्शन नदा की ककिाबों का एक पराना सिंग्रह भी था . केप्टन कवपर् एक बार िो भर् ही िया कक वो एक मडलर की िफ्िीश कर रहा है . वो इस कर्ेक्शन को देिकर िो सा िया. अजीब टेस्ट है इस पढने वार्े का ....... और बहि स दशी ववदशी र्िकों की ककिाब थी .. एक परा रेक जेम्स हैडर्ी चेस और अिाथा किस्टी की मर्िी ककिाबों से भरा था और कप्टन कवपर् क मह स तनकर्ा – वाह ! क्या िजब का कर्ेक्शन है ... केप्टन कवपर् बड़े ही ध्यान से सभी ककिाबों को देि रहा था .. सब इिंस्पेक्टर रावर् सोच रहा था केप्टन साब भी पढन क बहि शौक़ीन ह और इसी चक्कर म व कही मर् मद्द को िो नही भटक िए ह. केप्टन कवपर् ने केममकर् और रसायन सम्बन्धी कछ ककिाब अपन हाथ में र्ी और वहािं रिी टेबर् पर बठ कर उनक कछ पज की फोटो अपने मोबाइर् में र्ेने र्िे. रावर् को मामर्ा और भी टदर्चस्प र्िने र्िा . वो देि रहा था कक केप्टन कछ ख़ास चप्टर अपन मोबाइर् स्केनर से कॉपी कर रहे हैं. इसके बाद उन्होंने वे ककिाबें वावपस रि दी और परी अर्मारी की अर्ि अर्ि से्फ की िीन – चार फोटो और र्ी. इस अर्मारी में रिी एक ककिाब देििे ही केप्टन कवपर् के होंठ िोर् हो िए और उसने वह ककिाब उठा कर अपने जैकेट की जेब में रि र्ी. सब इिंस्पेक्टर रावर् उस ककिाब का शीषलक देि रहा था “भारत म र्वरासत क कानन” पर उस कछ समझ नही आया कक यह ककिाब क्यों केप्टन साहब ने अपने जैकेट में क्यों रिी है. इसके बाद उसने रावर् को कहा चर्ो रावर् , हो िया यहाुँ का काम . रावर् ने कहा कछ ममर्ा क्या केप्टन साब !
केप्टन कवपर् नहीिं यार रावर् ! इिना आसान नही ह . म िो कछ सभावनाओ पर काम कर रहा ह. देिें क्या होिा है . चर्ो मेरे ऑकफस चर्ि ह वहा स म िम्ह एक मर्स्ट दिा कक ककस ककस को आज मर ऑकफस र्ेकर आना है . ठीक 9 बजे रावर् और केप्टन कवपर् ऑकफस में बैठे थे. केप्टन कवपर् ने रागिनी और तनखिर् के फ्र्ैट से मर्ए सारे फोटो अपने र्ैपटॉप पर रान्सफर कर मर्ए थे और वो उन्हें बड़े ही िौर से देि रहा था . पहर्े उसने केममकर् इन्जीनीररिंि और रसायन स जडी ककिाबों क कछ पज दि और अि में वो ककिाबों की अर्मारी के फोटो देिने र्िा . उसकी टेबर् पर वो ककिाब भी पड़ी थी जो वो तनखिर् और रागिनी के फ्र्ैट से र्ाया था . उसने उसकी भी एक फोटो अपने फोन में िीिंच र्ी थी. उसन अपन कम्पटर अमसस्टट को बर्ाया और अपन र्पटॉप पर कछ फोटोज टदिाि हए अर्ि- अर्ि फोटो म स कछ फोटो अर्ि स हटा कर एक जक्र्प बनाने को कहा.... इसके बाद उसने रावर् को कहा कक िम्हार स्टाफ आटटस्ट को िरि यहा बर्ाओ दिो थोड़ा अजट रावर् ने कहा .. जी केप्टन साब . केप्टन रावर् ने कहा – उसके आने िक मैं कछ जरुरी काम कर र्िा ह .. र्िभि 30 ममतनट बाद ही ररसेप्शन से फोन आया कक स्टाफ आटटलस्ट आ चका ह ...... कप्टन कवपर् न उस अन्दर बर्ाया और उस अपन र्पटॉप पर ब्यटी पार्र स आई हई सीसीटीवी की जक्र्प टदिाई .. और बोर्ा – इस र्ड़की की ध्यान से देिो... और अब इसके बबना केप और बबना मास्क क कछ स्कच बनान की कोमशश करो...... िम्ह ढि स समझ नही आय िो भी कछ अपनी क्पना से इसके हाव भाव और बाकी का िर्ा चहरा दिकर बना दो . कर् 8-10 अर्ि -अर्ि िरीके की फोटोज तनकार् दो. कोई िो ठीक बन जाएिी या कफर आसपास िो बन ही सकिी है . देिो चािंस र्ेिे हैं.
उसके बाद केप्टन कवपर् ने रावर् को कहा िम ऐसा इिजाम करो कक हॉजस्पटर् से रागिनी की र्ाश आज शाम िक ररर्ीज नही हो िम जानिे हो कक कैसे करना है नहीिं िो मैं कमीश्नर से बाि करूुँ . सब इिंस्पेक्टर रावर् ने कहा – केप्टन साहब . प्लीज सर ! डोंट अंडर एस्टीमेट दा पॉवर ऑफ़ ग्राउंड लेवल पललस . केप्टन कवपर् ने कहा अब िम्हारी डायर्ोि बाजी हो िई हो िो नोट कर र्ो कक आज 12 बज िम्ह मर ऑकफस म ककस ककस को र्कर आना ह . िम और इिंस्पेक्टर यादव िो होंिे ही और साथ ही अपने अमर्े के दो िीन र्ोि बाहर िड़े कर देना . सबइस्पक्टर रावर् मस्करा टदया और अपनी नोट बक म नाम नोट करने र्िा . केप्टन कवपर् अपने ऑकफस में रॉबटल का इन्िजार कर रहा था और उसी समय पमर्स क स्टाफ आटटस्ट ने उसके सामने 10 स्केच अर्िअर्ि रि टदए और वो केप्टन कवपर् की इजाजि र्ेकर चर्ा िया कप्टन कवपर् न अपन कम्पटर ऑपरेटर को बर्ाया और इन सभी स्कच की कप्यटर इमज बनान को कहा और इन्हें कैसे इस्िेमार् करना है यह भी बिा टदया . रॉबट आ चका था . कप्टन कवपर् ने उसे रागिनी के वपिा के पाटलनर मोहन कमार और उनके र्ड़के रोहन क बार म मार्म करन उनक शहर भेजा था. रॉबट न कछ पपस केप्टन कवपर् के सामने रिे और उनके तनदेश का इन्िजार करने र्िा. केप्टन कवपर् ने रॉबटल से कहा रोबटल कािंफ्रेंस रूम को एक क्र्ास का फॉमेट दे दो और सामने एक बडा टीवी स्िीन र्िा कर उस कम्पटर स जोड़ दो और वो कम्पटर मर सामने रि देना या इन सब को मेरे र्ैपटॉप से जोड़ दो . िम और इिंस्पेक्टर यादव मेरे साथ बैठना और सब इिंस्पेक्टर रावर् कािंफ्रेंस रूम क िट क पास रहिा अब िम सारी व्यवस्था देि र्ो िब िक मैं कछ और जरुरी काम तनपटा र्िा ह. टदन के ठीक 12 बजे थे . केप्टन कवपर् की डडटेजक्टव एजेंसी का
कािंफ्रेंस रूम िैयार था . सामने की िरफ एक काउिंटर टाइप टेबर् थी जजसक पीछ िीन कमसया थी जजन पर रॉबटल , केप्टन कवपर् और इिंस्पेक्टर यादव बैठे थे . केप्टन कवपर् के सामने एक र्ैपटॉप रिा था और पीछे दीवार पर एक बड़ा टीवी स्िीन र्िा था . सामने करीब 10 चेयसल र्िी थी जजन पर रागिनी का पति तनखिर् , तनखिर् के वपिा महश कमार, रागिनी के वपिा रोशन र्ार् , रागिनी के वपिा के पाटलनर मोहन कमार और मोहन कमार का बटा रोहन बठ थ . उनक बाद ब्यटी पार्र जजसम रागिनी की मत्य हई थी की मार्ककन सीमा अजग्नहोत्री बैठी थी और साथ में उनके पति और केप्टन कवपर् के ममत्र मेजर रवव म्होत्रा थे . दरवाजे के पास र्िी कसी पर सब इस्पक्टर रावर् था और इसी दरवाजे के बाहर दो पमर्स क मसपाही िड़ थ. केप्टन कवपर् के ऑकफस का कािंफ्रेंस रूम का माहौर् ििंभीर था ग़मिीन भी ... रागिनी के वपिा के चेहरे से दुःि और िम साफ़ झर्क रहा था और उनके पाटलनर का बेटा रोहन उन्हें बार बार टदर्ासा दे रहा था . तनखिर् और महश कमार के चेहरे भी ग़मिीन नजर आ रहे थे. केप्टन कवपर् के तनदेश पर रोबटल ने सब के मोबाइर् बाहर ही रिवा मर्ए थे. कप्टन कवपर् न कहना शरू ककया रोशन र्ार् जी , आपकी बेटी की मत्य का मझ बहि दि ह र्ककन आप सबको मैंने कष्ट इसमर्ए टदया ह कक यह एक स्वाभाववक मत्य नही है बज्क एक ह्तत्या है और आपको यह जानकर आश्चयल होिा कक मझ पिा है कक हत्या का प्र्ानर कौन है र्ेककन मै आप सभी के सामने उसे पकड़ना चाहिा ह और साथ ही हत्यारे को भी चमर्ए म शरू करना ह ..... कप्टन कवपर् न कहना शरू ककया –दखिय ! म कछ सवार् रोहन स पछिा ... रोहन रागिनी क मरन क बाद िो अब परा बबजनस िम्ह ही चर्ाना है .. रोहन बोर्ा केप्टन साब ! मैं आपको अच्छी िरह से जानिा ह र्ेककन मझ ककसी बाि का कोई डर नहीिं है . मैं भी आपकी जिह होिा िो शायद पहर्ा शक
मझपर ही करिा ... र्ककन आपकी जानकारी के मर्ए हमारा बबजनेस इिना बड़ा है कक इसके आसानी से दो टहस्से हो सकिे हैं और जो भी होना है वो िो रोशन अिंकर् के फसर् पर ही होिा रागिनी को िद की जिह पाटलनर भी इन्ही का फैसर्ा था . मैं िो उस समय भी िश था कक अब रागिनी पाटनर होिी िो कफर तनखिर् भी बबजनेस में आ जाएिा और तनखिर् िो मेरा साथ पढ़ा हआ पराना दोस्ि ह ... अभी भी रोशन अिंकर् ही बिाएुँिे कक बबजनेस में रागिनी के टहस्से का क्या होना है और बबजनेस कैसे चर्ना है . रोशन अिंकर् हमेशा ही इस फमल के सीतनयर पाटलनर रहें है और सारे फैसर्े वही करिे हैं. केप्टन कवपर् ने कहा रोहन ! िम एक िर्ि फहमी में हो कक अब रोशन अिंकर् बिाएुँिे कक इिने बड़े बबजनेस में रागिनी के टहस्से क्या होिा. िमन शायद भारि के ववरासि कानन क बार म नही सना ह अब ये सारे फैसर्े रािनी के पति तनखिर् को करने हैं . रोहन ने कहा केप्टन साब ! रागिनी और तनखिर् में क्या फकल है. तनखिर् भी जो फसर्ा र्िा वो मझ मजर होिा रागिनी को िो बबजनस में कोई इिंटरेस्ट पहर्े भी नहीिं था . मझ िो िकर्ीफ ह कक मरी बटहन रागिनी इिनी ज्दी चर्ी िई और कफर आप इसे ह्तत्या कह रहें है िो कफर यह ह्तत्या कौन कर सकिा है ... केप्टन कवपर् िम भी िो करवा सकिे हों .. तनखिर् िो वैसे भी बबजनस म आन स मना कर चका है . इस िरह अब व्यवहाररक रूप से सारा बबजनस िम्हार कब्ज म ह और जजसके कब्जे में बबजनेस होिा है वह ही धीरे-धीरे उसका मामर्क भी बन जािा है .. और जजसका केवर् र्ीिर् कब्जा होिा है वह िो देििा ही रह जािा है ... यह सब कछ ही वषों म हो सकिा ह इिंस्पेक्टर यादव रोहन के चेहरे के उिार चढाव को िौर से देिा रहा था और उसे र्िा कक रोहन बस अब भािने की िैयारी में ही होिा उसने सब इिंस्पेक्टर रावर् को सिकल रहने का इशारा ककया .. र्ेककन रोहन
शािंति स अपनी कसी पर बठा रहा र्ेककन उसके वपिा जरुर परेशान नजर आ रहे थे...... र्ेककन इसी बीच रागिनी के वपिा रोशन र्ार् जी के चेहरे पर िम की जिह एक सख्िी ने र्े र्ी थी और उन्होंने िड़े होि हए कहा – कप्टन कवपर् िम अभी रागिनी और रोहन के ररश्िे के बारे में नहीिं पिा ... अिर बबजनेस हडपने की ही बाि है िो यह ऑफर िो इसको म पहर् ही द चका था इसके मर्ए उसको रागिनी की ह्तत्या की क्या जरुरि थी . केप्टन साब इस दुःि न हम कमजोर जरुर कर टदया है र्ेककन कम से कम हमारे ररश्िों का िो मजाक मि बनाओ. रागिनी की हत्या के इ्जाम में ककसी को भी फिंसा कर आप यह कस हर् करन की वाह वाही र्टना चाहिे हो िो चर्ो मेरा ही नाम र्े दो .... मझ मजर ह ..पर इसे िो मि फसाओ अपनी झठी क्पनाओ के जररये. केप्टन समझ िया कक हत्यारे को बेकफि करने के मर्ए उसका चार्ाया यह िीर िर्ि चर्ा िया है........ र्ेककन अभी भावना में बहने का समय नहीिं था उसने सख्िी से सब इिंस्पेक्टर रावर् को कहा रावर् , िम इन सबको शाि करो और मझ मरा काम करन दो हत्यारा आज बच कर नहीिं जा सकेिा. रोशन र्ार् जी आप शािंि हो कर बैटठये. ये एक मडलर का केस है ... आपकी भावनाओिं पर मैं काम नहीिं कर सकिा .... मझ अपना काम करन दीजजये . रोशन र्ार् जी िस्स म थ र्ेककन रोहन ने उन्हें समझा कर बबठा टदया . उसके बाद केप्टन कवपर् ने अपने कम्पटर स एक िस्वीर मोतनटर पर डार्ी ... यह उसकी र्डकी की िस्वीर थी जजसन रािनी को ब्यटी पार्र क वामशि एररया म उसकी िदलन पर इिंजेक्शन र्िा कर जहर टदया था जजसे रागिनी मच्छर का काटना समझी थी . इस समझने का कारण यह भी था कक उसकी िदलन और बार् उस समय पर िीर् थ इसमर्ए उसे पिा ही नहीिं र्िा कक उस हआ क्या ह . इस िस्वीर में वो र्ड़की केप और मास्क में थी इसमर्ए स्पष्ट पिा नहीिं र्ि रहा था र्ेककन अब िस्वीर आिे की और
बढ़िी िई और कफर एक स्केच में उसका मास्क नहीिं था और आिे के स्केच में उसका केप भी हट िया था..... र्ेककन यह िस्वीर असर्ी नहीिं थी यह एक आटटलस्ट का प्रयास था जजसने यह स्केच बनाये थे . इस िस्वीर के अर्ि -अर्ि 10 रूप थे जो स्िीन पर बारी बारी से आ रहे थे. इिंस्पेक्टर यादव ने पछा आप जानिे हैं इस र्ड़की को ? आप में से कोई भी इसे जानिा है ... इस पर रोहन उठ िडा हआ और बोर्ा केप्टन साब ये स्केच थोड़े अजीब िरीके से बने हैं ... आप इन्हें एक बार और टदिा दें ... केप्टन के सारे स्केच एक बार और चर्ा टदए इसके बाद रोहन के कहा अब इसकी असर्ी िस्वीर टदिाइए वो जो मास्क और केप में है .. उस िस्वीर को दिि हए रोहन बोर्ा- अरे सर ! यह िो रोशनी र्ििी है ... हमारे शहर में रहिी थी और मेरे और तनखिर् के साथ कॉर्ेज में थी .. एक ममतनट यह िो रागिनी की शादी में भी आई थी और इस वक्ि िो यह इसी शहर में रहिी है . एक ममतनट मेरे मोबाइर् में रागिनी की शादी की कछ िस्वीर ह उसम भी इसकी िस्वीर ममर् सकिी है . इसका यहाुँ का पिा भी मेरे पास है जो मैंने उससे रागिनी की शादी में हमारे द्वारा उसे टदए िये उपहार भेजने के मर्या था . एक ममतनट आप मेरा मोबाईर् मिंिवा दीजजये सर. मैं आपको इसकी िस्वीर देिा ह और अपने मैनेजर से इसका यहाुँ का पिा भी मिवा दिा ह रोबटल उसे बाहर र्े िया और ररसेप्शन से रोहन ने अपना फोन र्े मर्या और वह अपने मोबाइर् से एक फोन करने र्िा. रोहन अन्दर आ िया और रॉबटल भी अब अपनी जिह पर बठ चका था . केप्टन कवपर् ने कहा र्ाओ फोटो और पिा दो ... रोहन ने केप्टन की िरफ अपना मोबाईर् बढ़ा टदया और पिा भी बिा टदया जजसे इिंस्पेक्टर यादव ने र्े मर्या और उनसे रावर् को बर्ा कर कहा – रावर् िम िो यहीिं रहो र्ेककन इस र्डकी को पकड़ने के मर्ए स्टाफ को भेजो और नहीिं िो कमीश्नर ऑकफस से बाि करो ... देिो समझदारी से .. रावर्
अपने मोबाइर् पर नम्बर डायर् करने र्िा... यहाुँ से कोई िबर बाहर नहीिं जाए. केप्टन कवपर् ने अपने फोन से र्ड़की की फोटो और पिा सब इिंस्पेक्टर रावर् को रान्सफर कर टदया. इसके बाद केप्टन कवपर् ने भी र्डकी का फोटो और पिा अपने मोबाइर् में र्ेकर रॉबटल को रान्सफर ककया और फोटो भी भेज दी और एक मेसेज मर्िा और उसे भी रॉबटल को भेज टदया ........ रोबटल ने मेसेज देििे ही कहा केप्टन साब ! मेरे कछ कािज आपक कबबन म रह िए ह म अभी र्कर आिा ह इस बीच रोहन ने कहा इस र्ड़की की िो रागिनी से कोई जान पहचान भी नहीिं थी कफर इसने क्यों ह्तत्या की है ... रागिनी ने िो शादी में भी इस र्ड़की को बहि ज्यादा नही देिा था. िभी तनखिर् उठा और बोर्ा – सर ! म थोड़ा बाथरूम होकर आिा ह . इिंस्पेक्टर यादव ने सख्िी से कहा आप सबन सना नही ह कप्टन साब ने क्या कहा ... कोई भी यहाुँ से टहर्ेिा नहीिं..... कप्टन कवपर् न बोर्ना शरू ककया –चमर्ए आपको कछ और िस्वीर टदिािे हैं और उसने तनखिर् और रागिनी के फ्र्ैट में रिी अर्मारी की ककिाबो की िस्वीरें चर्ाना शरू कर टदया और अब उसमें अिंि में एक ककिाब ऐसी टदिाई दी जजसे देि कर एका -एक तनखिर् के चेहरे का रिंि बदर् िया .. केप्टन कवपर् न तनखिर् की और दिि हए कहा क्यों भाई इन्जीनीयर साब ! आपका साटहजत्यक टस्ट िो बहि अच्छा ह पहर् ममर् जाि िो म िम्हारा परा कर्क्शन पढ़ डार्िा िारीफ़ करनी पड़िी िम्हार टस्ट की र्ेककन यह ववरासि कानन की ककिाब िम्हार ककस काम की ह जो िमन अभी दो मटहने पहर्े ही ख़रीदी हैं चर्ो अब िम शरू हो जाओ कक जब सब कछ ही िम्हारा था िो कफर िम्ह क्या जरुरि थी रागिनी की ह्तत्या करन की .... वस दिो मझ मार्म ह कक िम्हारा शरू स ही यह प्र्ान था र्ककन अब िम िद ही
बिा दो कक कहानी क्या है .... चर्ो शरू हो जाओ !!!!!!! रागिनी के वपिा रोशन र्ार् का चेहरा कफर एक बार सख्ि हो िया र्ेककन उन्होंने अपने आपको इस बाि जब्ि कर मर्या ... र्ेककन उन्हें यह बाि भी हजम नही हई .. केप्टन कवपर् ने कहा रोशन र्ार् जी ! वो पहर्े वार्ी िो मसफल एक एजक्टिंि थी मेरी और मैं तनखिर् के चेहरे के उिार चढाव र्िािार देि रहा था . आइय अब य िद ही आपको सारी कहानी समझायेिा. तनखिर् शरू हो जाओ वरना िम शायद मझ और इस्पक्टर यादव क िरीके देिोिे...... तनखिर् - केप्टन साब ! पहर्े िो आपने रोहन को दोषी बिाने की कोमशश की और अब आप मझ र्पेट रहें है .. इसके बाद ककसका नम्बर र्ेंिे मेरे वपिाजी का और कफर रागिनी के वपिाजी का .. मैं िो बहि सी ककिाब पढिा ह .. एक ववरासि की ककिाब मेरी अर्मारी से ममर्ने पर म कस िनाहिार हो जािा ह. केप्टन कवपर् ने कहा हाुँ तनखिर् ! िम्हारा ककिाबों का टस्ट िो बहि िजब ह र्ककन िमन कममकर् इन्जीनीररिंि और रसायन की कछ ककिाबें भी पढ़ी है और जजनम बहि िरह क जहर क बार म भी बहि सा पढ़ा है . तनखिर् ने कहा हाुँ पढ़ी है .. र्ेककन इन सबका कोई मिर्ब नहीिं ह . मझ पढन का शौक ह िो म कछ भी पढ़ र्िा ह . मन मशी प्रेमचिंद से र्ेकर मशवानी जी िक और सरन्र मोहन पाठक स र्कर चेिन भिि िक सबको पढ़ा है .. मझ बबना पढ़ नीद ही नही आिी ह केप्टन कवपर् ने कहा- अच्छा ! अभी पमर्स उस र्ड़की रोशनी को र्कर आ रही ह जजसन िम्हारी पत्नी रागिनी को जहर टदया है . वही बिाएिी कक असमर्यि क्या है ... कोई बाि नहीिं हमें िो असर्ी हत्यारे से मिर्ब है . तनखिर् के वपिा के चेहरे पर गचिंिा की रेिाएिं िहरी हो िई थी .
केप्टन कवपर् ने बाहर फोन ककया और सबके मर्ए चाय भेजने के मर्ए कहा ... िभी इिंस्पेक्टर यादव के फोन की घिंटी बजी ... उसने फोन उठाया और कछ सनन क बाद गचिंतिि स्वर में बोर्ा – केप्टन साब ! इस्पक्टर शक्र्ा र्ाइन पर था ... उस र्ड़की रोशनी के फ्र्ैट पर िार्ा र्िा है और उस बबज्डिंि के चोकीदार का कहना है वह वहािं से जा चकी ह तनखिर् के चेहरे पर िनाव कम हो िया था . उसके वपिा भी अब थोड़े तनजश्चन्ि नजर आ रहे थे. तनखिर् ने कहा- केप्टन साब ! अब आप इजाजि दें िो हम यहाुँ से हॉजस्पटर् चर्े जाएुँ . हमें रागिनी का र्ेकर अिंतिम सिंस्कार भी करना है . केप्टन कवपर् ने कहा – ठीक है भाई ! आप र्ोि भी थक िए होंिे . चाय आ रही है और अब मेरे पास कोई पक्का सबि ही नही ह िो कफर म आपको रोक भी नहीिं पाऊुँिा . चमर्ए बस चाय िो र्े र्ीजजये. कवपर् ने ररसेप्शन पर फोन ककया और कहा – भाई चाय ज्दी भेज दो . इिंस्पेक्टर यादव के चेहरे पर िनाव साफ़ नजर आ रहा था. अब सब इस्पक्टर रावर् भी एक कसी र्कर उनके पास आ बैठा था. रोहन और तनखिर् आपस में बाि कर रहे थे. रोशन र्ार् जी अपनी सीट पर बैठे कछ सोच रह थ. चाय आ चकी थी सभी धीर -धीरे चाय पी रहे थे और इस बीच र्िभि 15 ममतनट बीि चके थे कक िभी केप्टन कवपर् का अमसस्टेंट रॉबट काफ्रस रूम म प्रववष्ट हआ और उसके पीछे आ रही थी .... बहद थकी हई और टटी हई र्डकी रोशनी ... आिे ही रॉबटल बोर्ा- सर ! थोड़ा र्ेट हो जािा िो यह शहर छोड़ कर जा चकी होिी और कहा जािी य इस भी नही मार्म था अभी ! यह मझ ममर्ी थी शहर क सेंरर् बस स्टेंड पर. आपके कहे अनसार मन एअरपोट और रर्व स्टेशन पर िो अपने र्ोि भेज ही टदए थ र्ककन मझ िद को शरू से ऐसा र्िा कक एअरपोटल और रेर्वे स्टेशन िो ऐसी हार्ि में आम जिह है र्ेककन आजकर् बस स्टैंड कोई नहीिं देििा है इसमर्ए म िद अपन
दो स्टाफ र्ेकर बस स्टैंड िया और य मडम मझ वही ममर्ी . इनके अनसार जो बस इन्ह ममर्िी उस ही इन्हें पकडनी थी र्ेककन जरुरी सामान एकत्र करने में रास्िे में इनका एक घिंटा बेकार चर्ा िया. इन्हें यह उम्मीद भी नहीिं थी कक इिनी ज्दी इनकी िर्ाश शरु हो जाएिी ...... वो भी बस स्टैंड पर .. आजकर् बस से कौन भाििा है . केप्टन कवपर् ने कहा क्या कहिी ह मडम ! िमन कछ पछा ? और य इनक चहर का हमर्या कस बबिड़ िया है . रॉबटल ने कहा सर मैं आधे घिंटे िक इसस पछ चका ह. इसने थोड़ी हीर् हज्जि की र्ककन मेरे पास अपने िरीके है और कफर रीिा और चािंदनी भी हमारे स्टाफ से हमारे साथ आ िई थी उन्होंने इसके साथ थोड़ी बॉजक्सिंि की प्रेजक्टस की िो इसका चेहरा थोड़ा बबिड़ िया और इसके बाद इसने सारी कहानी हमको बिा दी है . रोबटल आिे बोर्िा िया तनखिर् और रौशनी एक सार् पहर्े मर्व इन ररर्ेशन में थे और वे शादी करने वार्े थे . ये सभी बािें तनखिर् के वपिा को भी पिा थी र्ेककन कफर बीच में रागिनी का ररश्िा आ िया और यह सारी साजजश तनखिर् के वपिा महश कमार की थी और उन्होंने यह सब रागिनी की शादी के पहर्े ही रोशनी को बिा टदया था . ख़ास बाि यह है कक योजना तनखिर् के वपिा महश कमार की थी और उन्होंने ही तनखिर् और रोशनी को इस प्र्ान में फिंसा मर्या था. तनखिर् पैसे के र्ार्च में और अपने वपिा के प्रभाव में और रोशनी तनखिर् क प्यार की मज़बरी म इस योजना के टहस्से बनिे िए. वो जो ककिाब आपन सबह दिी थी वो सब अकेर्े तनखिर् की नहीिं थी बज्क वो उसक कछ ककिाब िो उसक वपिाजी महश कमार के प्र्ान के मर्ए र्ाई िई थी . महश कमार का मर्ार् यह था कक रोशन र्ार् , महश कमार और मोहन कमार न जजन्दिी एक साथ ही शरू की थी र्ककन रोशन र्ार् और मोहनकमार न बबजनस शरू कर एक हैमसयि बना र्ी थी जबकक
सबस िज टदमाि होि हए भी महश कमार बहि पीछ रह िए थ ... और महश कमार का यही मर्ार् जब उन्हें मौक़ा ममर्ा िो उन्हें हैवातनयि की और र्े िया था. र्ेककन समस्या यह थी कक तनखिर् और रौशनी अर्ि होने को िैयार नहीिं थे वरना दौर्ि िो उनके पास तनखिर् की रागिनी से शादी के बाद ममर्नी ही थी र्ेककन इसके मर्ए तनखिर् और रौशनी िैयार नहीिं थे . रोशनी िो ठीक है र्ेककन तनखिर् के बबना महशकमार का काम कस चर्िा .. बस यही स महशकमार का िज टदमाि शातिर टदमाि में बदर् िया जो अब उन्हें..... रॉबटल आिे बोर्िा चर्ा िया प्रारम्भ में इस योजना में रौशनी के सीधे शाममर् होने का कोई प्र्ान नहीिं था या था भी िो उसे कभी बिाया नहीिं िया कक इस पर षड्यत्र में उसका डायरेक्ट कोई रोर् होिा और अभी अिंि में उसे यह कह कर शाममर् कर मर्या िया बाि यटद हम िीन के बीच ही रहे िो ठीक रहिा और उस मज़बरी म यह काम करना पडा . रागिनी की मत्य क 6 माह िक रौशनी और तनखिर् को शादी करनी थी और ववरासि कानन के अनसार रागिनी को ममर्न वार्ी सारी सम्पति उसके पति तनखिर् की हो जािी और इस िरह से तनखिर् क वपिा महश कमार की योजना थी जो अब उन सब को जेर् और फािंसी के फिंदे िक र्े जा रही थी . इिंस्पेक्टर यादव ने रावर् को इशारा ककया और बाहर िड़े कािंस्टेबर् तनखिर् और उसके वपिाजी को पकड़ कर बाहर र्े िये और मटहर्ा पमर्स कमी रोशनी को भी र्े िई . इस्पक्टर यादव न पछा – केप्टन साब ! ये रॉबटल ने रोशनी को कहाुँ से पकड़ा .. और... केप्टन कवपर् ने कहा यादव मझ अदशा िो था कक मेरी तनखिर् के फ्र्ैट पर ववजजट की जानकारी िो यहाुँ आने के पहर्े तनखिर् को कहीिं ना कहीिं से िबर जरुर र्िी होिी और उसने रोशनी को िायब होने की िबर जरुर दी होिी . ऐसा अिंदेशा हर अपराधी को होिा ही है .िमन जब रावर् को रोशनी की फोटो भेजी उसी वक्ि मैंने रॉबटल को भी फोटो के साथ
मेसेज कर टदया था और बस !!! कहानी ख़त्म !!!!!! दो टदन बाद केप्टन कवपर् अपने िाडलन में वजजलश कर रहा था . उसका पार्ि किा ड्रिन वाही घम रहा था . केप्टन कवपर् का बेटा सशाि और उसका दोस्ि ववकास बेडममन्टन िेर् रहे थे. र्ॉन में केप्टन की पत्नी एक राउिंड टेबर् के पास बैठी अिबार पढ़ रही थी िभी उनका सवट रघ चाय रि िया . सभी चाय पी रहे थे िभी दरवाजे पर एक कार आकर रुकी . उसमें से मेजर रवव अजग्नहोत्री और उनकी पत्नी सीमा बाहर तनकर् कर बाहर आये. केप्टन कवपर् ने उन्हें दरवाजे पर जाकर ररसीव ककया और टेबर् िक र्ाि हए रघ को चाय क मर्ए आवाज दी. सशाि का ममत्र ववकास अपने घर जा चका था और शामर्नी जी और सशाि ने मेजर रवव और उनकी पत्नी को नमस्िे कर अन्दर की और चर् िए थ. रघ सबक मर्ए चाय र्िा चका था सीमा अजग्नहोत्री ने बोर्ा- केप्टन साब ! आपके ककये ये केस भी हर् हो िया और दो टदन से जो अिाबरों में पमर्स न जो ख़बर दी ह उससे र्ोिों का ध्यान हमार ब्यटी पार्र की िरफ से ध्यान काफी हट िया है य सब आपक कारण हआ ह , य केस र्िंबा चर्िा िो हमारी भी रोज ही बदनामी होिी . आपका धन्यवाद ! मेजर रवव ने भी धन्यवाद टदया !! केप्टन कवपर् ने कहा मेजर साब! ये सब िो मेरा फजल था. मेजर रवव ने अपनी जेब से एक मर्फाफा तनकार्ा और उसमें से एक चेक तनकार्ि हए कप्टन की और बढ़ि हए कहा कप्टन ! इसम िम अपनी फीस भर र्ना प्र्ीज ! मझ िो अदाजा नही ह पर िम्हारा काम हमार मर्ए िो अनमोर् ह िम जो भी इसम मर्िोि वो िम्हार द्वारा हमारे मर्ए ककये िए काम से िो कम ही होिा. केप्टन कवपर् ने वो चक मजर की जब म रिि हए कहा मेजर साब ! या िो दोस्िी कर र्ो या कफर फीस दे दो. जजसमें आपको फायदा र्िे वो कर र्ो . सीमा अजग्नहोत्री ने कहा- केप्टन

साब ! कफर आपकी इस केस में फीस का क्या होिा. कप्टन कवपर् न मस्कराि हए अपना मोबाइर् तनकार्ा और एक टदन पहर् आया एसएमएस टदिाया केप्टन कवपर् के िािे में 20 र्ाि रूपय नट बककि स रान्सफर हए थ और रान्सफर करन वार् का नाम था रोशन र्ार्. केप्टन कवपर् ने एक व्हाट्स एप्प मेसेज भी टदिाया जजसमें मर्िा था मैं अपनी बेटी के मर्ए एक िर्ि घर चनन क मर्ए शममन्दा ह . एक छोटी सी भेंट आपके मर्ए आपके बक म भज रहा ह कपया आप स्वीकार करें ये मेरी बेटी को मेरी अिंतिम ववदाई होिी. मै जजसे दोस्ि समझिा था वो आस्िीन का सािंप तनकर्ा और उसके षड्यिंत्र में मेरी बेटी की जान चर्ी िई . ज्दी ही मैं और रोहन आपसे ममर्ने आयेंिे. मेरी बेटी के कातिर्ों को पकड़ने के मर्ए आपका धन्यवाद ! अब उनको फासी क फद िक पहचान का काम भी आपको करना है रोशन र्ार् . ***** सधीर हालाखडी वप्रय ममत्रों! य मरी दसरी कति ह . आप पढ़ . जसा भी र्ि आप मझ sudhirhalakhandi@gmail.com पर भेजें . आदर सटहि सधीर हार्ािडी