जीएसटी :- सफ़र एक वर्ष का
- सुधीर हालाखंडी भारतवर्ष में जीएसटी को अब एक वर्ष पूरा हो रहा है . एक जुलाई 2017 को जीएसटी लगाया गया था और इस कर से इससे सम्बंधधत सभी पक्षों यथा सरकार , व्यापार एवं उद्योग एवं जीएसटी पर कायष कर रहे प्रोफे शनल्स को जहां कई उम्मीदें थी वहीं इस कर को लेकर कई आशंकाएं भी थी . आइये देखें एक वर्ष पूरा पूरा होने पर कै सा रहा यह जीएसटी का एक वर्ष का सफ़र इन सभी पक्षों के धलए . जीएसटी सरकार की और से उठाया गया एक “साहधसक और प्रशंसनीय” कदम था क्यों कक वर्ष 2006 से चर्चषत जीएसटी कभी ना कभी तो भारत में लगना ही था और जब भी लगता तो व्यवहाररक परे शाधनयां जो अभी आ रही है वह भी आती ही. धजस तैयारी के साथ सरकार ने जीएसटी लगाया वे भी ना धसफष अपने आप में सरकार की क्षमता के अनुसार पयाषप्त थी बधल्क ईमानदार और मेहनत के साथ भी की गई थी लेककन सबसे प्रशंसनीय बात यह थी कक क्यों कक इतने बड़े देश में एक नई कर प्रणाली में आने वाली भधवष्य व्यवहाररक करठनाइयों के आकलन की कोई मशीनरी पहले से धवकधसत नहीं की जा सकती है इसधलए जैसे जैसे करठनाइयां आती गई उन्हे सुधारने की बहुत ही सटीक प्रयास ककये गए चाहे इसके धलए उन्हें प्रकियाओं में बार –बार पररवतषन करने पड़े हों. सरकार का यही रुख जीएसटी के भधवष्य के प्रधत हमें अच्छे संकेत देता है . लेककन यहााँ हमें एक बात जरुर हमारे कानून धनमाषताओं के ध्यान में लानी चाधहए कक जब उन्होंने यह मान ही धलया है कक जीएसटी ररटनष प्रकिया में सरलीकरण की आवश्यकता है तो कफर इस सम्बन्ध में अब तक चल रही धीमी गधत को तेज कर तुरंत यह सुधार लागू कर देने चाधहए और ररटनष भरने की अवधध को बढाते हुए उनकी संख्या में कमी करनी चाधहए . जीएसटी की अभी तक के सफ़र में हमें आभार ब्यक्त करना चाधहए भारत के व्यापार एवं उद्योग जगत का धजसमें लाखों की संख्या में छोटे और मझोले दजे के लाखों करदाता शाधमल थे उन्होंने प्रकिया संबंधी समस्त जरटलताओं को झेलते हुए इस कर को धजतनी भी सफलता धमली उसमें भरपूर योगदान कदया .