Kalayatra Magazine | Maharashtra | Special Edition | July - August 2022 Issue

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वर्ष : 2, अंक : 2 3 संपादक मंडल सचिन ितुववेदी संस्ापक (नई ददल्ी) डॉ. तरुणा माथुर मुख्य संपाददका (गुजरात) ववनीता पुंढीर ननदवेशक, अनुराग्यम(नई ददल्ी) मीनू बाला संपाददका (पंजाब) 3 दूरभार : +91 - 9999920037 पता : मालवीय नगर, नई ददल्ी (110017) वेबसाइट : www.anuragym.wordpress.com ईमेल : anuragyam.kalayatra@gmail.com अनुराग्यम् के सोशल मीडडया प्टफोम्ष से जुड़ने के नलए नीि ददए गए आइकॉन पर क्लिक कर के जुड़ सकते है | उपरोक्त सभी पद मानद तथा अवैतननक हैं। पवरिका डडजाइनर : सचिन ितुववेदी मुख्य पृष्ठ आवरण : सचिन ितुववेदी कॉपीराइट : अनुराग्यम् (संपादक मंडल) **पवरिका में बहुत सी इमेजजस गूगल से ली गई है. MSME Reg. No. : UDYAM-DL-08-9070 माि्ष 2022 होली ववशेरांक वर्ष 1 अंक 11 अप्ल 2022 धानमक स्ल ववशेरांक वर्ष 1 अंक 12 मई - जून 2022 गुजरात ववशेरांक वर्ष २ अंक 1

34 12. सना्न ्मणा म प्रदक्षिरा - डॉ. ज्यप्रकाश नागला, नांदेड, महाराष्ट्र 42 13. सागर ककनारे िसा एक अ्थाह शहर : मिई - कमला मलानी, सी्परर 48 • कवव्ाएँ

1. ज्य महाराष्ट्र - ज्य श्ी कां्, दंदेली, कराणाटक 11

2. ग़ज़ल : रह गए कछ लफज़, प्ररव सन्वन, लशमला, दहमािल प्रदेश 13

3. म अकेला - अरुर गप्ा, िदा्य, उत्तर प्रदेश 21

4. ्ो उपकार हमारा हो्ा - िजेश आनंद, मफ्ीगंज, जौनपर 23

5. हनर - गोलडी लमश्ा, गाजज़्यािाद, उत्तर प्रदेश 29

6. घटने टेके रजवाड़ो ने - गोपाल गप्ा, नई ददलली 31 7. संकलप - रुचि असीजा, मैनपरी, उत्तर प्रदेश 33 8. वक् की िा् - लोकना्थ र्थ, मतनदे िी कटीर,

वर्ष : 2, अंक : 2 4 • महाराष्ट्र राज्य पर आलेख प सं.
-
शेफाली
की
की राजनीत् - रेखा मलहार,
24 9. कांत् ज्योत् माँ साववत्रीिाई फले -
शमाणा,
11. महाराष्ट्र के दशणानी्य स्थल - अलम्ा
1. मेरा महाराष्ट्र
डॉ
गप्ा, कराणाटक 8 2. महाराष्ट्र
जनजात् : वारली चित्रकला - नेहा जैन अजीज़, ललल्पर, उत्तर प्रदेश 10 3. चिखलदरा एक प्यणाटन स्थल, मकेश बिससा, जैसलमेर, राजस्थान 12 4. शतन लशगरापर गांव - हरप्री् कौर, कानपर, उत्तरप्रदेश 14 5. वीर ववना्यक दामोदर सावरकर - स्यणाकां् स्ार ‘स्याणा’ 16 6. महाराष्टी्यन संसमरर - मंजषा ककजवडेकर, नागपर, महाराष्ट्र 20 7. मिई मेरी जान - संगी्ा जांचगड़ आतममग्ा, ठारे, महाराष्ट्र 22 8. महाराष्ट्र
दवारका, ददलली
मंजषा ककजवेडकर, नागपर, महाराष्ट्र 28 10. सवररणाम ्रोहर महाराष्ट्र के लोकगी् - नंदद्ा मांजी
मिई, महाराष्ट्र 30
कदम, ठाने, महाराष्ट्र
कटक
9. दोहे : महाराष्ट्र ववशेष - ज्यश्ीकां् 46 10. मनहरर घनाषिरी माना िा मजरा - ज्यश्ीकां् 46 11. व्यंजग्यका : प्रदशणान - अनपमा अनश्ी, भोपाल, मध्यप्रदेश 47 12. ठहरा सा िाँद - अनपमा अनश्ी, भोपाल, मध्यप्रदेश 47 13. मिई नगरी - कमला मलानी, सी्पर, जजला पाटर 50 • आलेख 1. प्रकत् का अजस्तव, पथवी पर मानव से पहले - सनन नेगी, िमोली, उत्तराखंड 32 2. सेकस वकणासणा पर सप्रीम कोटणा का ऐत्हालसक फैसला - केशी गप्ा, ददलली 38 3. सोि ओर लमठाई - शी्ल माहेशवरी, खराड़ी, परे, महाराष्ट्र 41 • रे लसपी 1. मिई : भेलपरी - कमला मलानी, सी्पर 26 2. मिई : वड़ा पाव - कमला मलानी, सी्पर 27 अनुक्रमणिका
40
नसतम्बर 2021 गोवा ववशेरांक वर्ष 1 अंक 5 अगस्त 2021 ददल्ी ववशेरांक वर्ष 1 अंक 4 जुलाई 2021 वबहार ववशेरांक वर्ष 1 अंक 3 जून 2021 मध्यप्देश ववशेरांक वर्ष 1 अंक 2 मई 2021 राजस्ान ववशेरांक वर्ष 1 अंक 1 अक्बर 2021 छत्ीसगढ़ ववशेरांक वर्ष 1 अंक 6 नवंबर 2021 पंजाब ववशेरांक वर्ष 1 अंक 7 ददसंबर 2021 यारिा वृरिांत ववशेरांक वर्ष 1 अंक 8 वपछले संस्करण जनवरी 2022 हडरयाणा ववशेरांक वर्ष 1 अंक 9 फरवरी 2022 दहमािल प्देश ववशेरांक वर्ष 1 अंक 10
वर्ष : 2, अंक : 2 6 डॉ. तरुणा माथुर, मुख्य संपाददका कभी खद को ककसी दैवी्य िमतकार के िीि म खड़े होने की इचछा हो ्ो महाराष्ट्र के औरंगािाद शहर के पास एलोरा की 16वीं गफा के दवार पर खड़े हो जाइए, सि मातनए जैसे-जैसे आपका शरीर और आपकी आँख वहां के दृश्य से रूिरू होंगी आपकी आतमा ककसी अलौककक शजक् की परमानभत् से सरािोर हो जाएगी। ऐसा ही मने महसस कक्या ्था जि 2019 म अजं्ा एलोरा की ्यात्रा की ्थी। कई िार वैज्ातनक्ा के और ्य्था्थणा से िह् आगे ्या कदहए िह् पीछे ककसी पारलौककक शजक् को मानना ही पड़्ा है। एलोरा की सोलवीं गफा म जस्थ् है एक ऐसा अववशवसनी्य ववशाल कैलाश मंददर जजसे देख आप अिलभ् रह जा् ह ,जि ्यह जान् ह कक इस गफा म िनाए गए वास्लशलप आम से वास्कारों -मत्कारों ने एक पहाड़ को छैनी ह्थौड़े के प्रहार से ऊपर से ्ोड़् हए नीि ्क काटकर िना्या है ।और वहाँ जो संसार स्थावप् कक्या वह ऐसी अदभ् संसार है जजसे देखकर ही ्यह ्यकीन करना पड़्ा है कक एक आम मनष््य बिना ककसी दैवी्य मदद के इसे कैसे अंजाम दे सक्ा है जि हजारों साल पहले पहाड़ को काटने के ललए छेनी ह्थौड़ी के अलावा लसफणा उनकी अदभ् इचछाशजक् की रही होगी और प्रा्थणाना प्रभ से की होगी कक वे उनकी मदद कर । एलोरा म दहंद ्मणा जैन ्मणा और िौद् ्मणा संिच्् ववशाल मत्णा्य ां और चित्रकला है जो आपकोअिलभ् कर्ी ह । आज का महाराष्ट्र भार् के सिसे िड़े वाररजज्यक और औद्योचगक कद्ों म से एक है कक् महाराष्ट्र को प्रािीन काल की अदभ् सांसकत्क ववरास् से भी उ्नी ही गररमा और प्रलसदच् लमली
स्थलों पर आ् रह् ह । जि िा् कर मिई की ्ो आप जान् ही ह लाखों की संख्या म नौजवान अपना भाग्य आजमाने मिई िले आ् ह, कछ हार जा् ह पर कछ अपना मकाम िना ही ले् ह। इसके अलावा “मिई एकसिज” जहां पल म अरिपत् ्ो पल म कौडड़्यों पर उ्र आ्ा है जीवन, कमाल की मा्या नगरी है मिई। सिसे ज्यादा राजनीत्क दलों का महाराष्ट्र राज्य भार् की सपर पावर का गढ़ भी रह्ा है। मराठा संसकत् की वीर्ा और देशभजक् ने आज़ादी की लड़ाई म भी महतवपर ्योगदान दद्या है। सा्थ ही दहंद संसकत् का परजोर आवाज भी ्यहां से उठ्ी रही है। मदहलाओं की आवाज साववत्रीिाई फले ने महाराष्ट्र का मस्क गवणा से ऊं िा ्ो कक्या ही है महाराष्ट्र के आददवासी कला वलली ववशव प्रलसद् है, ्ो ्यहाँ का खानपान, लोकगी्, लावरी नत्य, मन मोह ले् ह। “अनराग्यम - कला्यात्रा” भार् के इस महतवपर राज्य के परो्ाओं को सलाम कर्ी है, और सभी लेरखकाओं और लेखकों का ्न्यवाद भी कर्ी है कक अपनी लेखनी से महाराष्ट्र की महतवपर जानकारी को आप सिके समषि लाने म मह्ी भलमका तनभा रहे ह। इष अंक म कछ कहातन्यां, कवव्ाएं, वैददक ज्ान की िा् आपको पढ़ने को लमलेंगी। समस् पाठकों का भी म ववशेष ्न्यवाद करूं गी जो सम्य तनकालकर कला ्यात्रा से जड़े रह् ह सभी को सा्वाद। सम्ादकीय
है जि सैकड़ों की संख्या म देशी-ववदेशी प्यणाटक हररोज़ अजं्ा- एलोरा, औरंगािाद, खल्ािाद, िीिी का मकिरा छत्रपत् लशवाजी महल, जनवाडी डेम महािलेशवर, पंिगनी, लवासा, लशरडी, शतन लशगरापर, लोनावला, अलीिाग, खंडाला, नालसक नागपर, कोलहापर, रतनाचगरी जैसे प्यणाटक
मीनू बाला, संपाददका वक्ंड महाका्य स्यणा कोदट समप्रभ तनववणाघनम करु मे देव सवणाका्यष सवणादा भार् ही नहीं िजलक ववदेशों म भी गरेश ि््थथी का त्योहार िड़ी ्म्ाम से मना्या जा्ा है भाद्पद के शकल पषि की ि््थथी को गरेश जी का आहवान कक्या जा्ा है।इस ददन लोग गरेश जी की प्रत्मा घर लाकर स्थावप् कर् ह। दस ददन लगा्ार पजा अिणाना करके ्तपशिा् उनका ववसजणान कर् ह।भक्ों की आस्था है कक ववघन ववनाशक गरपत् उनकी सभी समस्याओं का समा्ान करगे। वैसे ्ो हर राज्य म गरेश उतसव िह् ्म्ाम से मना्या जा्ा है लेककन महाराष्ट्र का गरेश महोतसव ववशव भर म प्रलसद् है जहां ्क इस त्यौहार के इत्हास की िा् है माना जा्ा है कक सन 1630 - 1680 म महाराष्ट्र पर म लशवाजी ने इस त्यौहार को मनाना शरू कक्या ्था।इसके अत्ररक् 18वीं सदी के दौरान पेशवा भी अपनी गरेश भजक् के कारर इस त्यौहार को भाद्पद के महीने म िड़ी ्म्ाम से मना् ्थ लेककन जैसे बरिदटश शासन शरू हआ इस त्यौहार को मनाने पर प्रत्ि् लगा दद्या ग्या ्था उनका ्यह मानना ्था कक इस त्यौहार के दौरान लोग एक सा्थ एकत्र होकर उनके रखलाफ कोई कोई मदहम ना िला दे। सरकार की ओर से लमलने वाले अनदान को भी िंद कर दद्या ग्या ्था। ऐसे सम्य म सव्ंत्र्ा सेनानी िाल गंगा्र त्लक त्योहार को ििाने की जजममेदारी अपने कं ्ों पर ली। उनहे लगा ्यही वह त्यौहार है जहां पर लोगों को एक सा्थ एकत्र कक्या जा सक्ा है लोगों म देशभजक् एवं राष्ट्री्य एक्ा की भावना को जाग् कक्या जा सक्ा है उनहोंने इसके ललए प्र्यास करना शरू कर दद्या। इस आंदोलन का जो पररराम तनकला वह आप सिके सामने है। गरपत् जी के आशीवाणाद सवरुप आज हम सभी सव्ंत्र भार् के नागररक ह। गरेश ि््थथी हमारी राष्ट्री्य्ा के सा्थ-सा्थ लोक संसकत् का भी आ्ार है। कफलमी लस्ारे भी गरेश महोतसव िड़ी ्म्ाम से मना् ह। इस महोतसव के दौरान िह् सी सामदहक कक्याएं हो्ी है ्य्था लोक नत्य,लोक संगी्, नाटक ,भाषर ,भजक्गी् गा्यन आदद। इस महोतसव की अषिुर्ा सदैव इसी ्रह िनी रहे। गरेश महोतसव के अवसर पर मेरी गरपत् िपपा से ्यह प्रा्थणाना है कक वह समस् जनों का कल्यार कर , सि की कदठनाइ्यों एवं समस्याओं का तनवारर कर एवं सिम नवजीवन ,नव उतसाह एवं नव उमंग का संिार कर। गरपत् िपपा मोर्या अगले िरस ् जलदी आना.. एक अटट आस्ा : महाराष्ट्र का गणेश महोत्सव
वर्ष : 2, अंक : 2 8 मेरा महाराष्ट्र डॉ. शेफाली गप्ा कराणाटक महाराष्ट्र भार् के प्रमख राज्यों म से एक है। इसकी स्थापना 1 मई 1960 को हई ्थी। सव्ंत्र्ा की प्राजप् के िाद भाषाई आ्ार पर ककए गए राज्यों के पनगणाठन के आ्ार पर मिई राज्य को दो भागों म ववभाजज् कर 1 मई 1960 को गजरा् ््था महाराष्ट्र नवीन राज्यों का गठन कक्या ग्या इसललए 1 मई को महाराष्ट्र ददवस मना्या जा्ा है.महाराष्ट्र भार् के अन्य राज्यों म सिसे ्नी राज्य है। षिेत्रफल के दहसाि से महाराष्ट्र ्ीसरा सिसे िड़ा राज्य है।
महाराष् का कुल क्षेत्रफल 307713 वर्ग ककलोमीटर है जो दश कषे कुल क्षेत्रफल का 9.36% भार है.यह भारत का सबसषे अधिक औद्ोरीकत राज्य है। महाराष् शब्द संस्त का है जो दो शब्ददों द्ारा ममलकर बना है महा तथा राष् इसका अथ्ग होता है महान दश। यह नाम यहाँ कषे संतदों की दन है। महाराष् भारत का एक राज्य है जो भारत कषे दक्क्ि मध्य में स्थित है। इसकी गरनती भारत कषे सबसषे िनी एवं समद्ध राज्यदों में की जाती है। महाराष् बाल ररािर मतलक दादा भाई नौरोजी वीर सावरकर रांिी जी कषे रुरु रोपाल कष्ण रोखलषे की जन्मभूमम रही है । महाराष् को िनी तथा संपन्न राज्यदों में शाममल ककया जाता है महाराष् की राजिानी मुंबई है. जो यहाँ का सबसषे सुन्दर शहर है. मुंबई भारत का दसरा सबसषे बड़ा शहर है जो दश की आधथथिक राजिानी होनषे कषे साथ ही सबसषे बड़ा शहर भी है महाराष् उद्ोर कषे क्षेत्र में अग्रिी राज्य है भारत कषे कुल औद्ोगरक उत्ादन का लरभर एक चौथाई भार यहां उत्ाददत होता है । महाराष् की उत्तरी भौरोक्लक सीमा सतपुड़ा पव्गत बनाता है तथा पक्चिम में अरब सारर स्थित है महाराष् कषे अधिकांश भार का मनममाि बसाल्ट खंडको सषे हआ है । राज्य की सबसषे ऊंची पव्गत चोटी कलसूबाई है क्जसकी ऊंचाई 1646 मीटर है महाराष् कषे पड़ोसी राज्य रोवा कनमाटक तलंराना रुजरात मध्य प्रदश तथा छत्तीसरढ़ है । महाराष् की प्रमुख नददयदों में ताप्ी नम्गदा तथा रोदावरी है ताप्ी तथा नम्गदा मवशाल घाकटयदों का मनममाि करती है । अन्य नददयदों में भीमा पैनररा मुला पूिमा तथा पंचररा है राज्य कषे पक्चिम में स्थित पक्चिमी घाट जैव मवमविता की दृकष् सषे महत्वपूि्ग है भारत की एकमात्र उल्ा कपंड कषे गररनषे सषे मनममथित झील लोनार झील महाराष् में स्थित है । राज्य का औसत तापमान 25 सषे 28 कडग्री सेंटीग्रषेड रहता है तथा औसत वाक्क व्मा 400 सषे 600 मीमी होती है राज्य की प्रमुख फसलदों में मक्ा चावल ज्ार तथा बाजरा प्रमुख है । महाराष् में दद्सदनीय मविागयका है । क्जसमें मविानसभा कषे 288 सदस्य तथा मविान परर्द कषे 78 सदस्य हैं महाराष् में 36 क्जलषे हैं महाराष् मषे लोकसभा क्षेत्रदों की संख्ा 48 है तथा राज्यसभा कषे क्लए 19 सदस्यदों का मनवमाचन ककया जाता है राज्य की प्रमुख भा्ाएं
तथा कोकिी है । महाराष् में तीन राष्ीय
महाराष् का राज्य पशु भारतीय मवशाल गरलहरी तथा राज्य पक्ी पीलषे पैरदों वाला हरा कबूतर है वही आम को राज्य वक् तथा जरूल को राज्य फूल का दजमा ददया रया है। मुंबई में उद्ोरदों की थिापना हई l भारत की पहली रल 16 अप्रैल 1853 को मुंबई सषे ठािषे कषे बीच में चलाई रई । कफल्म उद्ोर रषेटवषे ऑफ इं कडया मरीन डट्राइव जुह बीच मणि भवन तथा क्सणद्धमवनायक भ्रमि योग्य थिल है इसकषे अलावा पुिषे शहर में भी कई द श्गनीय थिल है महाराष् भारत का एकमात्र वह राज्य है जहां दो शहरदों मुंबई तथा पुिषे मषे मटट्रो संचाक्लत है । औरं राबाद की अजंता एलोरा की रुफाएं कई सारषे दहल स्शन दौलताबाद मुंबई तथा प्रतापरढ़ जैसषे ककलषे और प्रमुख स्ारकदों में चांद मीनार लाल महल तथा कसरीवाडा अपनषे ऐमतहाक्सक महत्व व कलाकमत कषे क्लए प्रक्सद्ध है । भारत की सबसषे बड़ी प्ाज मंडी नाक्सक में स्थित है महाराष् कषे नारपुर में भारतीय ररजव्ग बैंक की शाखा है यह एकमात्र शाखा है जो कक सी राज्य की राजिानी में स्थित नहीं है । महाराष् में प्रमुख त्ोहारदों में रिषेश चतुथथी बड़षे िूमिाम सषे मनाई जाती है । इसकषे अलावा होली दीपावली दशहरा ईद कक्र समस तथा रुंडदों पड़वा नारली पूणिथिमा तथा महाक्शवराकत्र पववों का राज्य की संस्मत में मवशषे् महत्व इनकषे अलावा महाराष् कषे औरं राबाद का अजंता एलोरा महोत्सव तथा एक्लफेंटा महोत्सव मवश्व प्रक्सद्ध है । राज्य की संस्मत की झलक यहां कषे लोक नत्दों में दखी जा सकती है प्रमुख लोक नत्दों में िनररी लाविी पोवादास तमाशा व कोली है इसकषे अलावा कला तथा कडंडी प्रमुख िाममथिक नत् है ।
मराठी अंग्रषेजी
उद्ान स्थित है ताडोबा राष्ीय उद्ान नारजीरा राष्ीय उद्ान तथा ररामल राष्ीय उद्ान
वर्ष : 2, अंक : 2 10 महाराष्ट्र की जनजात् कला “ वारली चित्रकला “ नेहा जैन अजीज़ ललल्पर, उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र शबद दो शबदों के मेल से िना है महा और राष्ट्र जजसका अ्थणा है महान देश। िालगंगा्र त्लक, दादा भाई नौरोजी, गोपाल कष्र गोखले, वीर सावरकर जैसी महान ववभत््यों की जनम भलम रही है। महाराष्ट्र राज्य जो कक भार् का ्ीसरा िड़ा राज्य है मराठी संसकत् का गढ़ है जजसकी राज्ानी मिई है जजसे हम मा्या नगरी भी कह् है न जाने कक्ने लोग रोज अपने ददल म सपने सजाकर आ् है और कक्ने लोग अपने टटे हए सपनों के टकड़ ललए लौट जा् है।

ककया जाता है उसकषे बाद चावल को पीसकर उसका घोल बनाकर उससषे दीवारदों पर चचत्रि ककया जाता है इसमें वत, वर्ग, कत्रकोि ज्याममतीय आकमत का प्रयोर ककया जाता है। सीिी रखा का प्रयोर नही होता है वारली जनजामत इन चचत्रदों में अपनषे सामाक्जक जीवन का चचत्रि करती है चचत्रदों में फ़सल चक्र, मववाह, जन्म, आखट, मानवीय कक्रयाओ जैसषे ढ़ोल

, महान। हम सब कषे ही आद श्ग, नायक, स्वामी समथ्ग, क्शवाजी रिवान। सबकी श्रद्धा कषे केंद्र यहां, नाक्सक, पंढर पुर, क्शरडी थिान। मुंबई, पुिषे सषे रौरव पूि्ग नरर, जहां होता, सबका समुचचत उत्ान। आक््गि कषे केंद्र अजंता एलोरा, खंडाला, लोनावला, प्रकमत वरदान। हृदय बड़ा महाराष् प्रांत का, हर जामत , िम्ग का समान सम्ान।

कुछ भी हो लककन यषे हमारषे दश की आधथथिक राजिानी भी कहलाती है और भारत का दसरा बड़ा शहर है, भारत कषे ह्रदय में महाराष् की अपनी जरह है। वाणिज्यक रूप सषे यषे दश की रीढ़ है, यहाँ कषे लोर अपनी संस्मत कषे क्लए कु बमान होनषे कषे क्लए तैयार रहतषे है। कोली, लाविी, तमाशा यहाँ कषे लोक नत् है भरोड़, भलरी
हल्ा , वारली आदद। वारली जनजामत जो महाराष् कषे ठािषे क्जलषे में मनवास करती है उनकी कला ही वारली चचत्रकला कहलाती है जो आज महाराष् राज्य सषे मनकलकर सारषे दश में लोककप्रय हो रईं है। आददवासी पथ्ी कषे मूल मनवासी है संमविान में इन्षे अनुसूचचत जनजामत कहा रया है हम इन्षे वनवासी, गरररजन नामदों सषे भी पुकारतषे है। यषे भोलषे भाल , प्रकमत प्रषेमी होतषे है। वारली जनजामत अपनी झोपदड़यो की दीवारदों पर वारली चचत्रकला बनाती है दीवारदों पर पहलषे लाल ममट्ी का लप ककया जाता है कफ र रोबर का लप
कथाओं का चचत्रि नही होता है। माश नषे वारली चचत्रकला को महाराष् सषे मनकलकर व्यवहाररक रूप में प्रयोर ककया और उसमषे पौराणिक कथाओं का भी चचत्रि ककया है वारली चचत्रकारदों में क्शवराम रोजर , शरत वालघनी नषे वारली कला को आज मवश्वव्यापी बना ददया। वारली चचत्रकला मववाह कषे अवसर पर मनायी जाती थी मववाह कषे अवसर पर इनका चचत्रि शुभ माना जाता था। आज वारली चचत्रकला दीवारदों सषे कैनवास पर उतर रही है इसका प्रक्शक्ि ददया जा रहा है लोर शौक में भी इसषे सीख रहषे हैं आज कारज, कपड़षे पर भी वारली पेंकटर की जा रहीहै। महाराष् की आिमनकता सषे दर यषे जनजामत आज भी प्रकमत की रोद में पयमावरि संरक्क बनकर अपना जीवन भोलपन और सामूदहकता कषे भाव कषे साथ रुजार रही हैं। ज्य महाराष्ट्र भारत राष् में स्थित महाराष् , ज्यदों प्रािदों कषे मध्य महाप्राि। मद भा्ा मराठी, भलषे मानु् , सबका समन्वय, सहयोर , मान। स्वतंत्रता संघ््ग कषे नायक रह , सांवरकर, मतलक, रोखल
जहां, आजीमवका,
वीर मराठा,
सब महाराष् कषे आत्ा प्राि। जय भवानी क्शवाजी महाराष् , सब मनवाक्सयदों का एक ही रान। रमाकां् शमाणा दंदेली, कराणाटक
यहाँ कषे लोक रीत है। यहाँ कई जनजामतयां मनवास करती है जैसषे भील, कोली, चोिरा, ओरोन,
बजाना, चक्ी पीसना, नत् करना, पशुओं को चराना आदद का चचत्रि होता है। इनमषे पौरदोंणिक
दश की आधथथिक राजिानी, मुंबई,
संर कला का मान।
ब्ाह्मि , दक्लत, बौद्ध,
वर्ष : 2, अंक : 2 12 चिखलदरा एक प्यणाटन स्थल मकेश बिससा जैसलमेर, राजस्थान अमराव्ी जजले म ववश्ाम कर् हए, चिखलदरा ने महाभार् के महाकाव्य पाठ म इसका उललेख कक्या है, जो कक इसी स्थान पर कीिक पर भीम के गौरवशाली उत्तराच्कार का वरन कर्ा है। इस प्रकार चिखलदरा को कीिक से नाम ववरास् म लमला और ्यह महाराष्ट्र के लोकवप्र्य दहल सटे शनों म से एक है। एक ददलिसप जगह पर जस्थ् है जहां मध्य प्रदेश शरू हो्ा है और महाराष्ट्र समाप् हो्ा है, चिखलदरा का शां् दहल सटे शन समद् ्ल से 1, 088 मीटर की ऊं िाई पर जस्थ् है और ववशाल मेलघाट परर्योजना से तघरे होने के अलावा ववलभनन प्रकार के जीवों और वनसपत््यों से समद् है।
बाघ क्षेत्र। बाघदों की बहतायत का घर, क्जनकी गरनती व्वों में बढ़ी है, चचखलदरा कषे साथ मलघाट प्रोजक्ट टाइरर कषे घमनष्ठ संबंि कषे क्लए िन्यवाद, मुंबई कषे पास का यह दहल स्शन यहां तक कक बाककर दहरि , चौक्संघा, सांभर सदहत दल्गभ वन्यजीव प्रजामतयदों की एक बड़ी संख्ा को आश्रय दता है। नारनला और रामवलरढ़ नाम कषे ककलदों कषे रहस्यवाद को उजारर करना, जो कुछ लोरदों कषे क्लए कररश्ाई थिापत् और पुरातात्त्वक मवक्शष्ता का घर है, रमिीय पय्गटन रमतमवधियदों में सषे एक है। महाराष् में एकमात्र कॉफी उत्ादक थिान होनषे पर रव्ग है, चचखलदरा कुछ आनंददायक थिानदों की यात्रा करनषे की पशकश करता है। शुरुआत में अमनर ककला, कलामखर कषे सुंदर रांव कषे बहत दर स्थित है, जो जली हई ईंटदों सषे बना है और 100 फीट की ऊंचाई सषे सबसषे मनोरम पररवश प्रदान करता है। पौराणिक युर में अपनषे महत्व को पीछषे छोड़तषे हए, 3500 फीट रहरा भीम कुंड ककचक कषे साथ भीम की लड़ाई कषे क्लए खल थिल कषे क्लए सभी आध्यात्त्क महत्व अक्जथित करता है। पूि्ग शांमत कषे क्लए जाना जाता है, बीर झील 1890 कषे व््ग में अंग्रषेजदों की लराम को दखनषे और इसकी उत्धत्त कषे क्लए प्रक्सद्ध थिानदों में सषे एक है। इस झील का उपयोर शुरू में मब्कटश सैमनकदों द्ारा ककया जाता था और पूरषे चचखलदरा को पानी की आपूमतथि करता था। शक् र झील कषे साथ मनकटता साझा करतषे हए, दवी पॉइंट दवी की पत्र की मूमतथि कषे क्लए सबसषे महत्वपूि्ग पय्गटन थिल है, क्जसमें यह स्थित है और एक मवशाल झरनषे कषे समान शक् र झील कषे अमतप्रवाह सषे सुशोधभत है। बड़षे दधिया झरनषे और मानसून कषे दौरान सुंदर झरनषे की सुंदरता कषे क्लए जाना जाता है, िारकुरा, रामवलरढ़ कषे ऐमतहाक्सक ककलषे कषे अलावा ददलचस्प सप्ाहांत रषेटवषे में सषे एक है, जो 12 वीं शताब्दी में अपनी थिापना को पीछषे छोड़ दता है। अब तक बनाए रए सबसषे मजबूत ककलषे में सषे एक कषे रूप में संदधभथित, रामवलरढ़ यादवदों कषे वंशज द्ारा थिाकपत ककया रया था। चारदों ओर प्रचुर मात्रा में पषेड़दों कषे घनषे पत्तदों को दखतषे हए, सरकारी उद्ान क्जसषे पहलषे कंपनी राड्गन कषे रूप में जाना जाता था, शुरू में मवदषेक्शयदों द्ारा बनाया रया था, यह मवधभन्न प्रकार कषे जीवदों और वनस्पमतयदों कषे क्लए एक रोमांचक टन की सवारी कषे साथ साथ यात्रा करनषे कषे अलावा एक चीज है। महाराष् वन रेंजर कॉलज में संग्रहालय क्जसमें पौिदों की जंरली प्रजामतयदों कषे नमूनषे हैं। जादई उल्ास कषे क्लए प्रक्सद्ध, पंचबोल पॉइंट रममथियदों कषे दौरान आपकषे छोटषे सषे दौरषे कषे योग्य है, जो पय्गटकदों को यहां आनंददत करनषे वाली ध्वमनयदों की रूंज कषे अलावा आपको प्रदान करता है। मवराट की पहादड़यदों में स्थित, सनसट पॉइंट आपको सूरज ढलनषे कषे सुंदर दृश्य कषे अलावा कई पहादड़यदों कषे साथ जरह प्रदान करता है। रह रए कुछ लफ्ज़ दहली्ज़ ए लब पर आतषे आत , वरना बज़म ए सुख़न में कुछ हम भी ्ज़रूर सुनात मैं तो ह ख़ामोक्शयदों का मबखरा हआ साया कोई, अक्सर लफ़्दों कषे मानी मुझषे कुछ रास नहीं आतषे कुछ तो मरा ्ज़ब्त था और कुछ वो असीर ए दयार, ममलना हम अरर चाहतषे तो भी कहाँ तक ममल पातषे ? यूँ तो बहत उफान पर था एक समंदर मरषे भी अंदर, मरर कुछ जज़बात हैं जो सबको ददखाए नहीं जातषे कक सी रो्ज़ जीत लूँरा उन्ें बस एक खूबी सषे अपनी, कफ़ र भी वो थकें रषे नहीं मरी ख़ाममयाँ गरनातषे गरनातषे प्ररव सन्वन लशमला, दहमािल प्रदेश ग़ज़ल रह गए कछ लफज़
वर्ष : 2, अंक : 2 14 शतन लशगरापर गाँव हरप्री् कौर कानपर, उत्तरप्रदेश जहाँ नहीं हो्ी कभी िोरी - वैसे जो भार्भर म शतनदेव के कई पीठ है कक् ्ीन ही प्रािीन और िमतकाररक पीठ है, जजनका िह् महतव है। शतन लशगरापर (महाराष्ट्र), शतनशिरा मजनदर (गवालल्यर मध्यप्रदेश), लसद् शतनदेव (कशीवन, उत्तर प्रदेश)। इनम से शतन लशगरापर को भगवान शतनदेव का जनम स्थान माना जा्ा है। जनश्त् है कक उक् स्थान पर जाकर ही लोग शतन के दंड से िि सक् ह, ककसी अन्य स्थान पर नहीं। जनश्त् और मान्य्ा अनसार ्यह शतन देव का जनम स्थान है।
1. रांव में नहीं होती चोरी : क्शरिापुर रांव में शमनदव का अद्त चमत्ार है। इस रांव कषे बारषे में कहा जाता है कक यहां रहनषे वालषे लोर अपनषे घरदों में ताला नहीं लरातषे हैं और आज तक कषे इमतहास में यहां कक सी नषे चोरी नहीं की है। ऐसी मान्यता है कक बाहरी या थिानीय लोरदों नषे यदद यहां कक सी कषे भी घर सषे चोरी करनषे का प्रयास ककया तो वह रांव की सीमा सषे पार नहीं जा पाता है उससषे पूव्ग ही शमनदव का प्रकोप उस पर हावी हो जाता है। उक्त चोर को अपनी चोरी कबूल भी करना पड़ती है और शमन भरवान कषे समक् उसषे माफी भी मांरना होती है अन्यथा उसका जीवन नक्ग बन जाता है। 2. छाया पुत्र को नहीं जरूरत छाया की : यहां शमन दव मूमतथि रूप में नहीं एक कालषे लंबषे पत्र कषे रूप में मवराज मान हैं, लककन यहां उनका को मंददर नहीं है। न उनकषे उपर कोई छत्र है। शमन भरवान की स्वयंभू मूमतथि कालषे रं र की है। 5 फुट 9 इंच ऊंची व 1 फुट 6 इंच चौड़ी यह मूमतथि संरमरमर कषे एक चबूतरषे पर िूप में ही मवराजमान है। यहां शमनदव अष् प्रहर िूप हो, आंिी हो, तूफान हो या जाड़ा हो, सभी ऋतुओं में मबना छत्र िारि ककए खड़षे हैं। वक् है लककन छाया नहीं। 3. हर शमन अमावस्या पर होता है मवशषे् पूजन : शमनवार कषे ददन आनषे वाली अमावस को तथा प्रत्क शमनवार को यहां शमन भरवान की मवशषे् पूजा और अधभ्षेक होता है। प्रमतददनप्रातः 4 बजषे एवं सायंकाल 5 बजषे यहां आरती होती है। शमन जयंती पर जरह जरह सषे प्रक्सद्ध ब्ाह्मिदों को बुलाकर ‘लघुरुद्राधभ्षेक’ कराया जाता है। यह काय्गक्रम प्रातः 7 सषे सायं 6 बजषे तक चलता है। 4. मामा भांजषे साथ ममलकर करतषे हैं द श्गन तो लाभ : जनश्रुमत कषे अनुसार एक बार क्शरिापुर में बाढ़ आई। सबकछ बह रया। तभी एक आदमी नषे दखा की एक बड़ा और लंबा सा पत्र झाड़ पर अटका हआ है। उसनषे जैसषे तैसषे उस पत्र को नीचषे उतारा वह अद्त पत्र था। उसनषे उस पत्र को तोड़नषे का प्रयास ककया तो उसमें सषे खून मनकलनषे लरा यह दखकर वह घबराकर वहां सषे भार रया और रांव में जाकर उसनषे यह घटना बताई। यह सुनकर कई लोर उस पत्र पास रए और उसषे उठानषे का प्रयास करनषे लरषे लककन वह कक सी सषे भी नहीं उठा। तब एक रात उसी आदमी को शमन दव नषे स्वप्न में आकर कहा कक मैं उस पत्र कषे रूप में साक्ात शमन हं। मामा भांजषे ममलकर मुझषे उठाए तो उठ जाऊं रा। यह स्वप्न उस आदमी नषे रांव वालदों को सुनाया। तब रांव कषे ही एक मामा मांजषे नषे उस पत्र को उठाकर ठाकर एक बड़षे सषे मैदान में सूय्ग की रोशनी कषे तलषे थिाकपत कर ददया। तभी सषे यह मान्यता है कक इस मंददर में यदद मामा - भांजा द श्गन करनषे जाएं तो अधिक फायदा होता है। 5. रडररयषे को ममली थी क्शला : एक अन्य प्रचक्लत कथा कषे अनुसार भरवान शमन दव कषे रूप में यह क्शला एक रडररयषे को ममली थी। स्वयं शमन दव नषे उस रडररयषे सषे कहा कक इस क्शला कषे क्लए मबना कोई मंददर बनाए इसषे खुलषे थिान थिाकपत करें और इस क्शला पर तल का अधभ्षेक शुरू करें। तब सषे ही यहां एक चबूतरषे पर शमन कषे पूजन और तल अधभ्षेक की परंपरा जारी है। 6. पीछषे मुड़कर ना दखें : जनश्रुमत कषे अनुसार कहा जाता है कक जो कोई भी शमन भरावन कषे द श्गन कषे क्लए प्रांरि में प्रवश करता है उसषे तब तक पीछषे मुड़कर नहीं दखना चादहए जब तक की वह द श्गन करकषे पुन: बाहर न मनकल जाए। यह वह ऐसा करता है तो उस पर शमन की कपा दृकष् नहीं होती है। उसका यहां आना मनष्फल हो जाता है।
वर्ष : 2, अंक : 2 16 वीर ववना्यक दामोदर सावरकर स्यणाकां् स्ार ‘स्याणा’ ्यह ्रा मेरी ्यह गगन मेरा, इसके वास् शरीर का कर - कर मेरा । इन पंजक््यों को िरर्ा्थणा करने वाले कांत्कारर्यों के आराध्य देव ह्ातमा सवा्ंत््य वीर सावरकर जी ने भार्भलम को सव्ंत्र कराने म अपने जीवन को न्योछावर कक्या ्था। जजनकी पण्य त्च्थ के अवसर पर आज म उनको श् - श् नमन कर्ा ह. कांत्कारर्यों के मकटमरर और दहंद तव के प्रर्ा वीर सावरकर का जनम २८ मई, १८८३ म महाराष्ट्र के नालसक जजले के भागर गांव म हआ ्था। उनकी मा्ा का नाम रा्ािाई सावरकर और वप्ा दामोदर पं् सावरकर ्थे। महान काजन्कारी, चिन्क, लसद्हस् लेखक, कवव, ओजसवी वक्ा ््था दरदशथी राजने्ा - वीर ववना्यक दामोदर सावरकर

‘माझ्ा

‘तजस्वी

कषे रूप में उनकषे उपन्यास ‘कालषे पानी’ और उपन्यास ‘मोपल्ाचषे बैंड’ करल कषे मालाबार क्जलषे की घटनाओं का समकालीन मववरि है। सावरकर नषे ‘ रोमांतक’, ‘सप्क् ’, ‘रिफुल ’, ‘सावरकर की कमवता’, ‘कमला’, ‘अगनिजा’, ‘मूमतथि दजी ती’, ‘सावरकर की अज्ात कमवता’, ‘अगनिनत् ’, ‘कुसुमासंचय’ आदद कमवताएं क्लखी। उन्दोंनषे कमवता कषे माध्यम सषे भव्य मवचार प्रस्त ककए। सावरकर का ‘ िन्य क्शवाजी तो रं राजी िन्य तो तानाजी’ क्संह

उनकषे माता कपता रािाबाई और दामोदर पंत की चार संतानें थीं। वीर सावरकर कषे तीन भाई और एक बहन भी थी। उनकी प्रारं धभक क्शक्ा नाक्सक कषे क्शवाजी स्ल सषे हयी थी। मात्र ९ साल की उम्र में हैजा बीमारी सषे उनकी मां का दहांत होरया। उसकषे कुछ व््ग उपरांत उनकषे कपता का भी व््ग १८९९ में प्षेर की महामारी में स्वर्गवास हो रया। इसकषे बाद उनकषे बड़षे भाई नषे पररवार कषे भरि पो्ि का भार संभाला। सावरकर बचपन सषे ही बारी प्रमवधत्त कषे थ। जब वषे ग्यारह व््ग कषे थषे तभी उन्दोंनषे ̔वानरसना̔ नाम का समूह बनाया था। व््ग १९०१ माच्ग में उनका मववाह ̔यमुनाबाई̔ सषे हो रया। व््ग १९०२ में उन्दोंनषे स्ातक कषे क्लए पुिषे कषे ̔फग्रसन कॉलज में दाखखला क्लया। आधथथिक स्थिमत अच्ी न होनषे कषे कारि उनकषे स्ातक की क्शक्ा का खच्ग उनकषे ससुर यानी यमुनाबाई कषे कपता नषे उठाया। वीर मवनायक दामोदर सावरकर कषे हृदय में छात्र जीवन सषे ही मब्कटश सत्ता कषे खखलाफ मवद्रोह कषे मवचार उत्न्न हो रए थ | हाई स्ल कषे दौरान बाल ररािर मतलक द्ारा शुरू ककए रए ̔क्शवाजी उत्सव ̔और ̔रिषेशउत्सव̔ आयोक्जत ककया करतषे थ। वीर सावरकर नषे लोकमान्य मतलक
की घो्िा
उन्ीं
मदन लाल िींररा की मदद सषे सर लॉड्ग कज्गन की हत्ा करकषे प्रमतशोि क्लया. लन्दन में ही वीर सावरकर नषे अपनी अमर कमत १८५७ का स्वातंत्र्य समर की रचना की. मवनायक दामोदर सावरकर नषे कई अमर रचनाओं का लखन ककया है क्जनमें सषे प्रमुख हैं दहंद त्व, उत्तर कक्रया, १८५७ का स्वातंत्र्य समर आदद . एक लखक कषे रूप में सावरकर नषे कई चीजदों को संभाला। उन्दोंनषे कमव , नाटककार, उपन्यासकार, मनबंिकार, पत्र लखक, चररत्र लखक, आत्कथाकार, व्याकरि लखक, इमतहासकार, पत्रकार जैसी मवधभन्न भूममकाओं में अपनी सादहत्त्क संपदा का मनममाि ककया। उन्दोंनषे मराठी भा्ा में १०, ००० सषे अधिक पष्ठ और अंग्रषेजी में १५०० सषे अधिक पष्ठ क्लख। एक भा्ा शुणद्धकरि आंदोलन बनाया। उन्दोंनषे मराठी भा्ा को कई नए शब्द ददए। नारपुर और पुिषे मवश्वमवद्ालयदों नषे उन्ें डी.क्लट सषे सम्ामनत ककया। सादहत् सम्लन की अध्यक्ता की। रत्ागररी कषे जल में रहतषे हए, सावरकर
‘कमला’ अंडमान कषे जल में रचचत एक महाकाव्य भी है। एक नाटककार कषे रूप में ‘उ:शाप’ सावरकर का पहला नाटक है। इस नाटक का मूल और मव्य छुआछूत का उन्मूलन, दक्लत वर्ग की मुगक्त, जामतयदों का उन्मूलन, एक सामंजस्यपूि्ग समाज का मनममाि था। दसरा नाटक ‘संन्यास खडरा’ सावरकर द्ारा भरवान रौतम बुद्ध कषे जीवन की पष्ठभूमम पर क्लखा रया है। इसकषे बाद ‘उत्तरकक्रया’ पानीपत कषे युद्ध कषे बाद मराठी इमतहास पर क्लखा रया तीसरा नाटक है। तीनदों नाटक संरीतमय हैं, जैसा कक उस समय प्रचक्लत प्रथा थी। एक उपन्यासकार
रढ़ का एक लोककप्रय रीत है। एक लखक और दरद शथी मवचारक कषे रूप में उनकषे ‘ ररमा ररम चचवड़ा ’, ‘मराठी सादहत् द श्गन’, ‘रिक्शर ’, ‘मवजन आणि समाज’, ‘ रांिी रदोंिळ’ आदद लख प्रकाक्शत हो चुकषे हैं। अपनषे मनबंि ‘दो संस्मतयदों में दो शब्ददों’ में, उन्दोंनषे दहंद ओं कषे शब्द प्रमाि , श्रुमतस्मतपुरानोक्त की कड़ी आलोचना की है। यदद दहन्द राष् को समय कषे कहर सषे बचना है तो श्रुमतस्मतपुरािोक्त की इस बषेदड़यदों को तोड़ दना चादहए और दहन्द िम्ग को व्यावहाररक, प्रायोगरक और वैज्ामनक रूप दना चादहए। उन्दोंनषे ‘सत्तवंचषे स्वातंत्र्यसमर’ क्लखकर राष्वादी इमतहास कषे लखन में महत्वपूि्ग योरदान ददया। दहंद त्व कषे दाश्गमनक क्सद्धांत को पश करनषे कषे बाद सावरकर नषे इसकषे राजनीमतक कायमान्वयन की ओर रुख ककया। इसकषे क्लए उन्ें मराठदों कषे इमतहास को कफ र सषे क्लखना पड़ा। वह है उनकी पुस्क ‘दहंद पादपशाही’। उन्दोंनषे ‘क्सक्स रोल्डन
कषे नतत्व में पूना में मवदशी वस्तदों कक होली जलाकर मवदशी वस्ओं कषे बदहष्ार
की.
की प्रषेरिा सषे लन्दन रए. और क्रांमतकारी
नषे पुस्क का मनममाि ककया। उन्दोंनषे ‘माझी जन्मथप’,
अठावनी’,
तार ’, ‘छत्रपमत की जयजयकार’, ‘शत्रु क्शमवर’ आदद पुस्कदों का संग्रह बनाया।
वर्ष : 2, अंक : 2 18 लीव स ’ पुस्क क्लखी। उन्दोंनषे अम्डकर कषे इस कथन का प्रमतकार करनषे कषे क्लए क्लखा कक ‘दहंद ओं का इमतहास हार का इमतहास है’। उनका ‘लंदन न्यूजलटर’ यूरोप कषे घटनाक्रम पर जानकारी प्रदान करता है। उनकषे लघुकथाओं का संग्रह ‘सवकारच्ा रोष्ठी ’ और ‘समाजचचत्र’ पठनीय हैं। रहन राष्वाद और उसकी अधभव्यगक्त सावरकर कषे सादहत् कषे केंद्र में है। सावरकर स्वयं अज्यवादी थ। उनका राजनीमतक द श्गन उपयोगरतावाद, तक्ग वाद, मानवतावाद, सव्गदशीयवाद, प्ररमतवाद और यथाथ्गवाद का संरम है। उनकषे संघ््ग, उनकषे बदलतषे मवचार उनकषे लखन में पररलक्क्त होतषे हैं। दहन्द राष् की राजनीमतक मवचारिारा को मवकक्सत करनषे का बहत बडा श्रषेय सावरकर को जाता है। वषे न कवल स्वािीनता संग्राम कषे एक तजस्वी सनानी थषे अकपतु महान क्रात्तिकारी, चचतिक, क्सद्धहस् लखक, कमव , ओजस्वी वक्ता तथा दरद शथी राजनता भी थ। वषे एक ऐसषे इमतहासकार भी हैं क्जन्दोंनषे दहन्द राष् की मवजय कषे इमतहास को प्रामाणिक ढं र सषे क्लकपबद्ध ककया है। इसी दौरान जून, १९०८ में उनकी पुस्क ̔द इं कडयन वार ऑफ़ इं कडपेंडेंस १८५७’ तैयार हो चुकी थी परंतु मब्कटश सरकार नषे मब्टन और भारत में उसकषे प्रकाक्शत होनषे पर रोक लरा दी। कुछ समय बाद उनकी रचना मैडम भीकाजी कामा की मदद सषे हॉलैंड में रुपचुप तरीकषे सषे प्रकाक्शत हयी और इसकी प्रमतयां फ्ांस पहँची और कफ र भारत भी पहंचा दी रयीं। सावरकर नषे इस पुस्क में १८५७ कषे क्सपाही मवद्रोह’ को मब्कटश सरकार कषे खखलाफ स्वतंत्रता की पहली लड़ाई बताया था। उनकषे दश भगक्त सषे ओप - प्रोत भा्ि और स्वतंत्रता आंदोलन कषे रमतमवधियदों कषे कारि अंग्रषेज सरकार नषे उनकी स्ातक की कडग्री ्ज़ब्त कर ली थी। व््ग १९०६ जून में बैररस्र बननषे कषे क्लए वषे इंग्ड चलषे रए वहीं पर आजाद भारत सोसाइटी का रठन ककया। सावरकर द्ारा क्लखषे रए लख इं कडयन सोक्शयोलाक्जस् ’ और तलवार’̔ नामक पकत्रका में प्रकाक्शत होतषे थ। जो बाद में कलकत्ता कषे युरातिर पत्र में भी छप। वषे ऐसषे लखक थषे क्जनकी रचना कषे प्रकाक्शत होनषे कषे पहलषे ही प्रमतबंि लरा ददया रया था।1 जुलाई १९०९ को मवक्लयम हट कज्गन वायली को रोली मार ददयषे जानषे कषे बाद उन्दोंनषे लन्दन टाइम्स में एक लख भी क्लखा था। १३ मई १९१० को पैररस सषे लन्दन पहँचनषे पर उन्ें गररफ़ार कर क्लया रया परतिु ८ जुलाई १९१० को एस०एस० मोररया नामक जहाज सषे भारत लषे जातषे हए सीवर होल कषे रास्षे यषे भार मनकल। उसी दौरान सावरकर को १३ माच्ग १९१० को लंदन में कैद कर क्लया रया। अदालत में उनपर रंभीर आरोप लरायषे रए, और ५० साल की सजा सुनाई रयी। उनको काला पानी की स्ज़ा दकर अंडमान कषे सलुलर जलभज ददया रया और लरभर १४ साल कषे बाद ररहा कर ददया रया। वहां पर उन्दोंनषे कील और कोयलषे सषे कमवताएं क्लखी और उनको याद कर क्लया था। दस हजार पंगक्तयदों की कमवता को जल सषे छूटनषे कषे बाद उन्दोंनषे दोबारा क्लखा। सावरकर को मब्कटश सरकार नषे क्रात्ति कायवों कषे क्लए दो दो आजन्म कारावास की सजा दी, जो मवश्व कषे इमतहास की पहली एवं अनोखी सजा
थी। १९५५ में रोआ को पुत्गराक्लयदों कषे मनयंत्रि सषे मुक्त करानषे का उद घो् सबसषे पहलषे वीर सावरकर नषे ही ककया था। सावरकर ४ जुलाई, १९११ सषे २१ मई, १९२१ तक पोट्ग ब्यर की जल में रह। १९२१ में मुक्त होनषे पर वषे स्वदश लौटषे और कफ र ३ साल जल भोरी। जल में उन्दोंनषे दहंद त्व पर शोि ग्रन्थ क्लखा। रत्ागररी जल में उन्दोंनषे ̔दहंद त्व पुस्क ̔की रचना की। ररहा होनषे कषे बाद उन्दोंनषे २३ जनवरी १९२४ को ̔रत्ागररी दहंद सभा’ का रठन ककया। १५ अप्रैल १९३८ को उन्ें मराठी सादहत् सम्लन का अध्यक् चुना रया। सावरकर जीवन भर अखण्ड भारत कषे पक् में रह। स्वतन्त्रता प्राप्प् कषे माध्यमदों कषे बारषे में रान्ी और सावरकर का एकदम अलर दृकष्कोि था। सावरकर नषे पाकक स्ान मनममाि का मवरोि ककया और रांिीजी को ऐसा ना करनषे कषे क्लए मनवदन ककया। नाथूराम रोडसषे नषे उसी दौरान महात्ा रांिी की हत्ा कर दी क्जसमें सावरकर का भी नाम आया। सावरकर को एक बार कफ र जल जाना पड़ा परंतु साक्षदों कषे अभाव में उन्ें ररहा कर ददया रया। अपनषे जीवनकाल में सावरकर एक मात्र ऐसषे व्यगक्त थषे क्जनको दो बार आजीवन कारावास की स्ज़ा सुनाई रयी थी। अप्रैल १९४६ में बम्ई सरकार नषे सावरकर कषे क्लखषे सादहत् पर सषे प्रमतबन् हटा क्लया। १५ अरस् १९४७ को उन्दोंनषे सावरकर सदातिो में भारतीय मतरं रा एवं भरवा, दो दो ध्वजारोहि ककय। इस अवसर पर प्रमतकक्रया व्यक्त करतषे हए उन्दोंनषे पत्रकारदों सषे कहा कक मुझषे स्वराज्य प्राप्प् की खुशी है, परतिु वह खण्ण्डत है, इसका द :ख है। उनकषे द्ारा ही मतरं रषे कषे बीच में िम्ग चक्र लरानषे का सुझाव सव्गप्रथम ददया रया था। आजादी कषे बाद उनको ८ अक्टू बर १९५१ में उनको पुिषे मवश्वमवद्ालयन नषे डी.क्लट की उपाधि दी। १९५८ में एक दहन्दी कफल्म काला पानी बनी थी। क्जसमें मुख् भूममकाएं दव आनन्द और मिुबाला नषे की थीं। इस कफल्म को १९५९ में दो कफ़ल्मफ़षे यर पुरस्ार भी ममलषे थ। इनकषे नाम पर ही पोट्ग ब्यर कषे मवमानक्षेत्र का नाम वीर सावरकर अंतरमाष्ीय हवाई अड्ा रखा रया है। ८ नवम्र १९६३ को इनकी पत्ी यमुनाबाई
बसीं। क्सतम्र १९६६ सषे उन्ें तज ज्र नषे आ घरा, क्जसकषे बाद इनका स्वास्थ्य गररनषे लरा। १ फ़ रवरी १९६६ को उन्दोंनषे मत्पय्गति उपवास करनषे का मनि्गय क्लया। २६ फ़ रवरी १९६६ को बम्ई में भारतीय समयानुसार प्रातः १० बजषे उन्दोंनषे पाधथथिव शरीर छोड़कर परमिाम को प्रथिान ककया। वीर सावरकर जी कषे अंतःथिल में एक ही ध्यषेय बसा था…. “बस तरषे क्लए जीयषे माँ और तरषे क्लयषे मरषे हम, ककतनी ही मवपदायें - बािायें आई, पर नही डरषे हम”। वषे संस्तमनष्ठ दहंदी कषे प्रबल समथ्गक और अंग्रषे्ज़ी कषे घोर मवरोिी थ। उनका मानना था कक भा्ा राष्ीयता का प्रमुख अंर होती है और हमारी संस्मत , सभ्यता, इमतहास व द श्गन आदद सभी इसी भा्ा में है और यह हमारषे पूव्गजदों की अनमोल दन है।
चल
वर्ष : 2, अंक : 2 20 संसमरर मंजषा ककजवडेकर नागपर, महाराष्ट्र एक महाराष्टी्यन पररवार म जनम और कफर महाराष्ट्र की पण्यवान ्र्ी पर रह् रह् कक्नी ही संदर ्यादे जीवन प्थ को सवालस् कर हृद्य म सखद अहसास िन कर सा्थ म िल रही है। ददवाली से जडी ििपन की ्यादों के सा्थ मझे वो कात्क सनान करके िआ जी के सा्थ भोर म मंददर जाना िह् पसंद ्था, आस्था कक्नी ्थी ि्ा नही सक्ी पर मन उलहालस् रह्ा ्था, कछ अचछा कर रहे ऐसा लग्ा ्था, कफर मंददर म ्ाजे संदर पाररजा्, शंखपष्पी, गोकर कोरंटी, िाँदनी, जासवंद के लाल पीले जामनी नीले सफ़ेद पष्पो से भगवान का श्गार देख मन प्रसनन हो जा्ा ्था।
कोजागररी आक्श्वन पौणिथिमा सषे कामतथिक की पौणिथिमा तक सुबह मनयममत सभी स्ान करकषे मंददर जातषे थ।साथ में रं रमबरँ रषे फूल और कपास की बनी फुलवात या बत्ती हआ करती थी। मंददर में भजन अभंर झांझ मंजीरषे बजा कर रातषे रातषे एक घण्ा मनकल जाता था हम कभी क्सफ्ग द श्गन कर घर आ जातषे थ। कामतथिकी दवउठनी एकादशी तो मवशषे् पसंद आती है, कामतथिक स्ान सषे अपनी आतिररक शगक्त का जारर हो जाता है, यह समझ अब आ रही है। यहाँ महाराष् में पंढरपुर तीथ्ग क्षेत्र माना जाता है, मवट्ठल रुक्मिी पांडुरं र भरवान का अमत पावन क्सद्ध मंददर है। पंढरपूर की चंद्रभारा नदी में स्ान करकषे भक्त कषे सारषे पाप समाप् हो जातषे है दवशयनी और दवउठनी एकादशी को यहां लाखो की संख्ा में वारकरी पैदल आतषे है, रलषे में तुलसी की माला पहनषे यह पंढरपुर की वारी करतषे है। मरषे भी मन में उत्ठा है कभी तो वहाँ जानषे ममलषेरा।प्रमतव््ग एकादशी कषे 7 ददन पहलषे भारवत सप्ाह होता है, कफ र एकादशी को शोभायात्रा मनकलती है, क्जसका स्वारत जरह जरह बड़ी बड़ी सुंदर सुंदर रांरोली, पुष्पव्मा सषे होता
मंददर सषे मनकल कफ र मंददर वापस आती है। एकादशी का उपवास महाराष्ीयन पररवार में सभी बच्षे बड़षे लोरो द्ारा ककया जाता है, हा उसमषे फलाहार भी मवष्णु कप्रय भरपूर भोर होता है। तरह तरह कषे फलाहारी व्यंजन बनतषे है। बच्षे इस ददन की राह दखतषे रहतषे है। भजन पूजन सषे पररपूि्ग यह कामतथिक एकादशी सबकषे मन को बहत भाती है। तुलसी मववाह की तैयारी में सब जुट जातषे है। आंरन को मववाह मंडप बना ददया जाता, तुलसी माता को खूब सजाया जाता, रन्ना या ईख का मंडप मंरलकारी लरता है। घर आस पड़ोस में भी मंरल रीत रा कर तुलसी शाक्लग्राम मववाह संपन्न कराया जाता है। महीनषे भर चलनषे वालषे कामतथिक स्ान की समाप्प् पौणिथिमा को दीपदान कषे साथ संपन्न होती है। उत्सव उत्साह उल्ास का दसरा नाम है इसकी अनुभूमत प्रचचती आज कषे कोरोना समय में मवशषे् रूप सषे हो रही है। म अकेला शाम हई और वो डरनषे लरा अंिरषे सषे वो गघरनषे लरा बोला जाऊँ रा कहाँ मरा तो घर ही नहीं इस दमनयाँ में कोई कक सी का नहीं जब रोशनी थी सब मरषे अपनषे थषे अँिषेरा हआ तो कोई पहचानता नहीं यह दमनयाँ है बहत मतलबी कोई मबना काम कषे काम आता नहीं मानवता क्ससककयाँ है भर रही आँख में है नींद, लककन सोनषे को जरह नहीं सुना है वो भी जार रहषे जो नोटदों कषे मबस्र पर है लटषे खा कर नींद की रोली, कफ र भी नींद नहीं आ रही क्दों नहीं बाँट दत , उसषे कुछ रूपए क्जसकषे पास खानषे को नहीं रूपए अजीब खल है चल रहा कोई खाना पचानषे को मीलदों चल रहा कोई खाना ढूं ढ़नषे को दर दर भटक रहा कोई आयषे और समाज को संतुक्लत करषे एक ददन हो ऐसा की हर चहरषे पर मुस्ान ददख अरुर गप्ा िदा्य, उत्तर प्रदेश
है, साथ में चल रहषे सभी लोरो को प्रसाद रूप में धभन्न धभन्न पकवान, मसाला दि , शरबत, आदद ममलता है। इस में सभी मदहलायषे और पुरु् पारम्पररक पररिान में बड़षे ही सुंदर मनमोहक ददखाई पड़तषे है । तुलसी माता कषे रमलषे को क्सर पर रखकर नाचतषे रातषे झांकी
वर्ष : 2, अंक : 2 22 िॉमिे मेरी जान संगी्ा जाँचगड़ “आतममग्ा” ठारे, महाराष्ट्र िॉमिे ्यातन की आज की ममिई। इस शहर के िारे म क्या कह ! सपनो की नगरी, मा्या नगरी के नाम से जाना जाने वाला ्यह शहर सि म एक सवपन लोक जैसा ही है। न जाने कक्ने लोगों के सपनों को अपने भी्र समा्य िैठा है ्यह शहर। अनचगन् खवािों को संजो कक्नी जोड़ी आँखे इस शहर को ्लाश्ी हई आ्ी है और अपने सपनों को पंख पसार् देख्ी है। कह् है कक ममिई ककसी को भखा नहीं रहने दे ्ी शा्यद ्यही वजह है कक ्य जमीं सिको अपनी ओर रखि्ी है। देश की आच्थणाक राज्ानी कहे जाने वाले इस शहर को सही मा्यनो म अ्थणा दे ् है ्यहाँ रहने वाले लभनन लभनन संसकत् के लोग।

बात पूछती, तो उपकार हमारा होता ।।

ददन जो साथ कभी था, अब इक ददन भी पास न आए, कहाँ रया वह मनष्ठर होकर, कहाँ भाग्य नषे खल ददखाए, कभी कभी जो द श्गन होता, तो संसार हमारा होता...! कप्रय , कभी जो बात पूछती, तो उपकार हमारा होता।। जब सषे मुझसषे दर हई तुम, मैं एकांत सषे मनकल न पाया, तरी द श्गन को उर तरस , मन व्याकुल होकर बौराया, संर व्यतीत की याद न आती, तो भी रुजर हमारा होता...! कप्रय , कभी जो बात पूछती, तो उपकार हमारा होता।। सावन बरसा, कजरी आई, तुमको कब मरी सुधि आई, हम तो जरषे बरषे भादौ में, तुझषे क्ार की बात न भाई, चौमासषे की

यहाँ की दौड़ती भारती क्जंद री को ठहरनषे की फु स्गत नहीं। सूरज भी जैसषे उदय होकर दौड़ पड़ता है अस् होनषे कषे क्लय। कुछ खास चीजदों कषे क्लयषे मुम्ई बहत प्रक्सद्ध है क्जनमषे सषे एक है मुम्ई की लोकल टन जो कभी थमती नहीं, अलसुबह सषे लकर रात तक न जानषे ककतनषे लोरो को अपनषे मुकाम तक पहँचाती है । मुम्ई एक ऐसा शहर है जो रात को सोता नहीं है. इसकी रातषे दधिया रोशनी सषे चकाचौंि रहती है । कभी कोई शाम मरीन डट्राइव पर रुजार कर दख। क्जंदाद दल लोरो सषे आबाद यषे शहर आपका मन मोह लषेरा। रानी कषे हार कषे नाम सषे जाना जानषे वाला मरीन लाइंस सुबह सषे लकर पुरी रात तक रुलजार रहता है । मानसून में इसकी खूबसूरती परवान पर होती है। जब समुद्र की लहरषे चट्ानदों सषे टकरा कर मरीन की चचकनी चौड़ी सड़क सषे ममलनषे को आतुर होती है तो बड़ा मवहं रम दृश्य बन पड़ता है। समुद्र ककनारषे बैठकर अरर आपनषे चना जोर ररम या भलपुरी नहीं खायी तो मजा आिा अिुरा है । समंदर का ककनारा और आती जाती लहरें आपको बड़ी अपनी सी लरषेरी। वषे आपको ऊजमा , उत्साह और उल्ास सषे भर देंरी...ऐसा मैं अपनषे मनजी अनुभवदों सषे कह रही ह । यहाँ का जर प्रक्सद्ध नाश्ा है...सस्ा , स्वाददष् वड़ा पाव, जो लाखदों लोरो कषे ददल पर राज करता है । अरर बाररश की झड़ी लरी है और आपकषे एक हाथ में वड़ा पाव है और दसरषे में टपरी वाली चाय है तो यकीन मामनयषे आपका मन तप् हो जायषेरा। इसकषे अलावा पाव भाजी और ममसल पाव भी मुम्ईकरदों का पसंदीदा नाश्ा है। वैसषे तो लोकल भा्ा मराठी है, अंग्रषेजी का यहां बोलबाला है, बहत बड़ी तादात यहां दहंदी भाक्यदों की है और यहां बोलषे जानषे वाली दहंदी को हम मुंबईया दहंदी कहतषे है। यहां हर त्ौहार िुमिाम सषे और मबना भदभाव कषे मनाया जाता है लककन यहां कषे रिषेशोत्सव की िूम सषे पूरी दमनया रुंजती है। कष्ण जन्म पर जब रोमवंदा की फौज माखन भरी दही हांडी फोड़ती है तो जैसषे कष्ण खुद हक्त हो जातषे हदोंरषे । ऐसषे ही न जानषे ककतनषे मंददरदों , त्ौहारदों , खानपान, व्यापार को समटषे मुम्ई की संस्मत सबका खुली बाहदों सषे स्वारत करती है। मुम्ई जानती है कक अरर आपकषे हौसलदों में दम है तो मुम्ई की कफतरत नहीं मनराश करनषे की। इसीक्लए हम इसषे प्ार सषे कभी ‘आमची मुम्ई’ कहतषे है तो कभी ‘बॉम्षे मरी जान’ । यहाँ रहनषे वाला हर इंसान खुद को मुम्ईकर समझकर रौरवात्न्वत होता है । ्ो उपकार हमारा हो्ा कुछ हम कहत , कुछ तुम सुनती, ककतना सरल सहारा होता... कप्रय , कभी जो
कतकी पूनो, रात अजोरी, तुमको तब प्ारी थी रोरी, माघा मला, फ रुआ चैती, तुम ककतना रसरं र थी भोरी, जठ बैसाखी उत्सव भूली, मन को कहाँ ककनारा होता...! कप्रयषे कभी जो बात पूछती, तो उपकार हमारा होता।। िजेश आननद रा्य मफ्ीगंज, जौनपर
तीसो
बूंँद मबसारी, तन मन जाए प्ासा रोता...! कप्रय , कभी जो बात पूछती, तो उपकार हमारा होता।।
वर्ष : 2, अंक : 2 24 महाराष्ट्र की राजनीत् रेखा मलहान दवारका सैकटर 19, नई ददलली महाराष्ट्र भार् के पजशिम षिेत्र का राज्य है। और षिेत्रफल की दृजष्ट से भार् का ्ीसरा सिसे िड़ा राज्य है। इसकी आिादी लगभग 112 लमलल्यन है। ््था महाराष्ट्र की राज्ानी केवल मिई म ही लगभग 18 लमलल्यन लोग तनवास कर् ह। सददणा्यों म महाराष्ट्र की राज्ानी नागपर िन जा्ी। राजनीत् दल : महाराष्ट्र म सिसे ज्यादा राजनीत्क दल है। इसम कल 244 दल ह। इनके पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र की राज्ानी राजनीत्क दलों म काफी पीछे ह। राज्य म लोकसभा वव्ानसभा व वव्ान पररषद िनाव के अलावा भी िनाव हो् ह। महाराष्ट्र म 26 अप्रैल 1994 म राज्य िनाव आ्योग की स्थापना की गई ्थी। राज्य िनाव आ्योग : नगर पाललका, महानगरपाललका और ग्ाम पंिा्य् िनाव की जजममेदारी राज्य िनाव आ्योग पर हो्ी है।
वर्ष : 2, अंक : 2 26 सी्पर, जजला पाटर 2०० gm कुरमुरा ( लईया) दो तीन उबलषे मसलषे आलू एक बारीक कटा प्ाज ,एक बारीक कटा टमाटर थोड़ी भुनी चना दाल या भुना चना, भुनी मूंरफली कषे दान , थोड़ी सूखी तली पूरी ( सवपूरी वाली) टुकड़षे करकषे सभी चीजदों को एक चौड़षे मुंह कषे बरतन में ममक्स कर लें इसमें खट्ी मीठी चटनी हरी चटनी और लहसुन की चटनी नींबू का रस अच्ी तरह ममक्स कर लें समवर प्ट में यषे भल डालें बारीक सव सषे रामनथिश करें हरा िमनया डालें ऊपर सषे थोड़ा सा चाट मसाला चछड़क दें । ककनारदों पर दो सव पूरी लरा दें । लीक्जए तैयार है आपकषे मुंह में पानी लानषे वाली मुंबई भलपूरी । सव पूरी -- आठ सषे दस सूखी पूररयां एक प्ट में फैलाकर रख दें मसलषे उबलषे आलू थोड़षे थोड़षे रख दें हर एक पूरी पर अब इस पर कटा बारीक प्ाज डालें टमाटर बारीक कटा रखकर मीठी तीखी चटमनयां डालें बारीक सव सषे रामनथिश करें हरा िमनया डालकर थोड़ा सा चाट मसाला बुरक दें लीक्जए तैयार है मुंबई सवपूरी।। कमला मलानी सामग्री बनानषे की मवधि मुंबई भलपूरी
रे लसपी एक कढ़ाई में दो चम्च तल ररम करें राई डालें चटखनषे पर हींर ममलाएं,बारीक कटी हरी ममच्ग करी पत्ता डालें ममक्स कर लें अब इसमें उबलषे आलू ममलाकर हल्ा सा भून लें ।हल्ी लाल ममच्ग पाउडर नमक डाल कर भली भांमत भून लें हरा कटा िमनया ममलाएं और ठण्डा होनषे दें। बसन में हल्ी नमक सोडा ममलाकर पानी डालकर राढ़ा घोल ( जैसषे पकौड़षे कषे क्लए होता है) बना लें , अब आलू ममक्स कषे साथ सषे रोलषे बनाकर इस घोल में कडप कर लें रम्ग तल में िीमी आंच पर सुनहरा भूरा होनषे तक तल कर मनकाल लीक्जए । पाव को बीच सषे कट लराकर एक तरफ लहसुन चटनी लराइयषे एक तरफ हरी चटनी बीच में वड़ा रखकर तली हरी ममच्ग कषे साथ रम्ग रम्ग परोक्सए ।।खाकर मन तप् हो जाएरा । रम्ग तल में हरी ममच्ग डालकर फ्ाई कर लें और थोड़ा सा नमक डालकर ममक्स कर लें। लहसुन की चटनी -- १०० ग्राम कटा सूखा नाररयल,१०-१२ कली लहसुन चछलकषे कषे साथ दो तीन सूखी लाल ममच्ग और नमक ममलाकर ममक्सर में ग्राइंड कर एक कटोरषे में रख लें। हरी चटनी हरा िमनया थोड़ा सा पुदीना कुछ कली लहसुन एक टुकड़ा अदरक दो तीन हरी ममच्ग थोड़ा सा मूंरफली दाना या सूखी भुनी चना दाल (इच्ानुसार) ममलाकर पीस लें नमक और नींबू रस ममलाकर रख लें । ६-८ पाव, आिा ककलो उबला मैशड आलू , २ चम्च तल, 1 चम्च राई, चुटकी भर हींर , बारीक कटी दो हरी ममच्ग, बारीक टुकड़दों में थोड़ा करी पत्ता , हरा िमनया, १/२ चम्च हल्ी पाउडर, १/२ लाल ममच्ग पाउडर, स्वादानुसार नमक। ऊपरी कवर कषे क्लए घोल डढ़ कप क्जतना बसन, १/४ चम्च हल्ी २ चुटकी मीठा खानषे वाला सोडा नमक स्वादानुसार, तलनषे कषे क्लए तल। सामग्री बनानषे की मवधि वड़ा पाव
वर्ष : 2, अंक : 2 28 कांत् ज्योत् माँ साववत्री िाई फले मंजषा ककजवडेकर नागपर, महाराष्ट्र महाराष्ट्र की ्र्ी सं् महातमा समाजस्ारकों से उवणारर् और गौरवाजनव् है। साववत्री िाई अ्थाणा् मदहला लशषिा की आ्ारलशला, वव्वा वववाह की जरूर् को समझ कर पहल करने वाली मदहला ्थी। सलशक्षि् होने के सा्थ सा्थ प्रलसद् कवत्यत्री भी ्थी । देवगरों से समपनन एक आदशणा मदहला ्थी। आज मदहलाओं के सवाांगीर ववकास की आ्ारलशला इत्हास म माँ साववत्री िाई फले, रमा िाई रानडे, आनंदीिाई जोशी के व्यजक्तव कत्तव के रूप म सवरअषिरों म अंकक् है।

ममला

कोई बना महारानी, कोई है उभरता क्सतारा, कोई मबखरा है बन कर टूटता तारा, कुछ अदा कुछ हनर यही रं रमंच है, क््ज़न्दरी कषे रं र ह्ज़ार क््ज़ंदरी एक रं रमंच है, ददखावा है यहां हर मोड़ पर, ठ र ममलतषे है यहां हर मोड़ पर, धथरक कर रं रमंंच पर छालषे पैरो पर

बहत बड़ी समाजसुिारक थी, जीवन का उद्दषेश्य अपनषे क्लयषे ही जीना नही है, मौक्लक अधिकार और कत्गव्य का अप्रमतम समायोजन उनकषे जीवन में ददखाई दता है। भारत की प्रथम मदहला क्शक्क्का सामवत्री बाई फुलषे का जन्म महाराष् में 3 जनवरी 1831 को सातारा क्जलषे में हआ । इनकी शादी मात्र 9 व््ग की उम्र में क्रांमतकारी समाजसुिारक ज्योमतबा फुलषे कषे साथ हआ। उस समय ज्योमतबा फुलषे 13 व््ग कषे थ। सहजीवन ककतना सुंदर साथ्गक हो सकता है इसका अनुपम उदाहरि ज्योमतबा और सामवत्री बाई का जीवन है। ज्योमतबा फुलषे नषे सामवत्री बाई को भी पढ़ाया और 1848 में इन्दोंनषे मदहलाओं कषे क्लयषे पहला मवद्ालय पुिषे में खोला, तब लड़ककयदों को लोर पढ़नषे नही भजतषे थ , उन्ें मवद्ालय में पढ़ानषे कषे क्लयषे क्शक्क्काएं नही ममल रही थी तो सामवत्री बाई को पढ़ा कर पढ़ानषे कषे क्लयषे भजा। मवद्ालय जातषे समय वषे दो साड़ी लषे कर जाती थी क्दोंकक लोर रोबर ममट्ी कचरा फेंकतषे थ , पाठशाला जा कर वषे साड़ी बदलती थी। इतनषे मवरोि कषे बाद भी उन्दोंनषे एक दो नही 18 शालाएं खोली मदहला क्शक्ा की अखण्ड ज्योत ज्योमतबा और सामवत्री बाई नषे प्रज्क्लत की।यह दखकर हम कह सकतषे है कक... संकल्प का न कोई मवकल्प हो । संकल्प स्वयं प्रकल्प हो।। चतना का उच्तम स्र हो । जीवन यह सफल तम हो।। ज्योमतबा फुलषे कषे महाप्रयाि कषे बाद भी इनकी कम्ग यात्रा थमी नही, वो समाजसुिार, दक्लतदों कषे उद्धार, स्ती भ्रूि हत्ा का मवरोि , मदहला सशक्तीकरि की दद शा में काय्ग करती रही। वो एक प्रमतभाशाली कवगयत्री भी थी। काव्यफुल , बावनकशी सुबोिरत्ाकर में उनकी काव्यरचनायषे पढ़ सकतषे है। मब्कटश सरकार नषे 1852 में उनका रौरव ककया था। भारत सरकार और राज्य सरकार नषे उनकषे नाम सषे कई सम्ान जारी ककयषे । उनकषे सम्ानाथ्ग डाक कटककट भी मनकाला रया है। समय को व्यथ्ग नही करना चादहयषे यह उनकी सोच थी, और उन्दोंनषे इसको साथ्गक करतषे हयषे जीवन की अंमतम श्वास तक काय्ग ककया, प्षेर ग्रस् बच्ो की सवा करतषे करतषे 10 माच्ग 1897 को उन्दोंनषे इस जीवन की अपनी यात्रा समाप् की । हनर कुछ अदा कुछ हनर यही रं रमंच है, क््ज़न्दरी कषे रं र ह्ज़ार क््ज़ंदरी एक रं रमंच है, जहां पहना है हर कक सी नषे एक कक रदार का चोला, कोई बन बैठा इस भीड़ में मस्मौला, अपनी नई पहचान बनानषे कोई आया इस माया नररी में, सब कुछ रंवा कर कुछ पानषे आया कोई इस महानररी में, कुछ अदा कुछ हनर यही रं रमंच है, क््ज़न्दरी कषे रं र ह्ज़ार क््ज़ंदरी एक रं रमंच है, काग़्ज़ पर उतरी एक नए नाटक की कहानी, कक सी को
कुछ अदा कुछ हनर यही रं रमंच है, क््ज़न्दरी कषे रं र ह्ज़ार क््ज़ंदरी एक रं रमंच है, कक सी नषे बन कर अधभनता रं रमंच पर तारीफें लूटी, ददलदों पर छाई है अदाकारी उसकी क्जसनषे िड़कन लूटी, कोई छाया मनराहदों में, कोई रुम हो रया अंिषेरदों में, गोलडी लमश्ा गाजज़्यािाद, उत्तर प्रदेश
है कक रदार रंक का
ममलषे हैं, चकाचौंि सषे भरी महकफ़ल में हमें मह्ज़ अंिषेरषे ममलषे है,
वर्ष : 2, अंक : 2 30 सवररणाम ्रोहर महाराष्ट्र के लोकगी् नंदद्ा माजी शमाणा मिई, महाराष्ट्र साहसी शरवीरों, अदम्य कला, और संसकत् की भलम है महाराष्ट्र जहां छत्रपत् लशवाजी महाराज, समभाजी महाराज, ्ानाजी मालसरे, लोकमान्य िाल गंगा्र त्लक, ल्ा मंगेशकर, सचिन ्दलकर, जैसे महान ववभत््यों ने जनम लल्या और संपर ववशव म परिम लहरा्या है और सा्थ ही ्यहां के लोक संगी् ने भी देश ववदेश म अपना लसकका जमा्या है, संपर महाराष्ट्र लभनन लभनन अवसरों पर गनगनाए जाने वाले ववलभनन प्रकार के सप्रलसद् लोकसंगी् िह् प्रिलल् ह । िान कूटतषे हए, खत खक्लयानदों में काम करतषे हए, नई फसल आनषे पर, मंरल अवसरदों पर रो्ज़मरमा कषे सभी कायवों को करतषे समय तथा अलर
हैं, क्जसमें सबसषे ज्यादा प्रचक्लत मंरला रौरी रीत, नारपंचमी रीत, मछुआरषे व जनजामत रीत, ढप व डाण्ण्डया रीत आदद है, यह सभी रीत उत्साहवि्गक और ज्ानवि्गक होतषे है इनमें लोक कल्ाि कषे क्लए संदश भी चछपा होता है, महाराष् की ण्स्तयाँ श्रावि कषे महीनषे में मंरलारौरी का पूजन करती हई यह रीत राती है । नारपंचमी कषे पव्ग पर नारराज को दि कपलाकर एवं उनकी पूजा करतषे समय यह रीत राया जाता है। नाररयल पूणिथिमा महाराष् का एक सुप्रक्सद्ध त्ौहार है, क्जसषे मछुआरषे मवशषे् रूप सषे ह्षोल्ास मनातषे हैं, समुद्र दवता की पूजा करतषे हैं तथा मछली पकड़नषे का शुभारंभ होता हैं, मछुआरषे समुदाय कषे लोर इस ददन पूजन कषे साथ लोक रीतदों का रायन कर समुद्र दवता को श्रद्धा सुमन अकपथित करतषे हैं। होली पूणिथिमा कषे अवसर पर ढप कषे साथ लोर रीत व नत् का चलन है, रोलाकार नत् भी करतषे हैं, क्जनमें लोक रीत भी राए जातषे हैं । कोई भी शुभ काय्ग करनषे सषे पूव्ग भरवान रिषेश की पूजा की जाती है तथा उन्ें मवशषे् रूप सषे मनमत्न्त्रत ददया जाता है। महाराष् कषे त्ौहारदों में दव पूजा अथमात पौराणिक दवी – दवताओं की पूजा का मवशषे् महत्त्व है क्जसमें सभी खासकर ण्स्तयां सोलह श्रंरार कर पूजा अच्गना कषे साथ लोर रीत राकर त्ौहार मनाती है।
अलर ऋतुओं में जैसषे श्रावि माह में झूलषे झूलतषे हए यषे रीत रुनरुनाएं जातषे

घटने

टेके रजवाड़ो ने

ही ्र्ी पर जि ख़द,

हो कर जीने

सनदे शा कक्नी ही िार,

तनज सवामी के प्रार ििा कर, ग्या सवगणा ्तकाल लस्ार, दहलकी भर कर रो्या रारा, ददल दःख ्था आज अपार, ककन् रुक्ा काल कहाँ है, कि रह्ा इजस्थर संसार, त्याग दद्या है ्यश वैभव सि, त्याग दद्या अपना घर दवार, िसे जंगलों म है जाकर, लेकर के अपना पररवार, जो सवराज की अलख जगा् झकना कि कर् सवीकार, घास की रोटी दी िचिो को, उस को भी ले उड़ा बिलाि, देख दसा अपने स् की, दहदणा्य करने लगा ववलाप, भारी मन से रारा ने ददलली को भेजी पा्ी है, ककन् होनी भी ्ो ्यहाँ पर, अपना खेल ददखा्ी है, पा्ी पढ़ कर पथवी िोला, अक़िर से सतनए सला्न, झठी ्य पा्ी लग्ी है, ऐसा है मेरा अनमान, सरज पवणा म न डिे, सरवर वप्य न अपना नीर, सजन् रारा न कर सक्ा, िाहे जज्ना होए अ्ीर, ्याद ददला्या है पथवी ने, रारा को उस का सममान, दानवीर भामा ने दीनी, अपनी समपवत्त सि दान, राष्ट्र दह् मे दे आहत्, िढ़ा दद्या ितन्यो का मान, करी ससजजज् कफर है सेना, जी् लल्या मेवाड़ को, ्याद सदा इत्हास रखेगा, ्ेरे इस उपकार को, िला ्यद् िारह वषषों ्क, कोई न माने अपनी हार, िले सम्य भी अपनी िाल सत्य वीर महारारा भी है आज सवगणा

गोपाल गप्ा नई ददलली घटने टेके रजवाड़ो ने,
िनद् की इस
की
ककन् गलामी महारारा
नहीं ककसी की ्थी सवीकार,
िज ग्या संख नाद ्था, हलदी के मैदानों म, मिी खलिली अि है देखो, ददलली ्क सल्ानों मे, ढेर हई अक़िर की फौजे, ्यद् हआ आसमानो म, देख वीर्ा महाररा की, दहश् मग़ल पठानो म, इ् वार करे उ् वार करे, गज मस्क िढ़ प्रहार करे, रारा का घोड़ा भी रर म, है ववज्य श्ी हंकार करे, रारा पंजा, झाला, हाकक़म, मिा रहे ्थ भारी मार, महाररा ने भाले से है, मानलसंह पर क क्या प्रहार, तछपा लल्या ख़द को हौदे मै, ििा ललए है अपने प्रार, ककन् जंगी गज से घा्यले, ्क हआ वीर िलवान, सामने लेककन
कफ़र भी कछ न ख़ास हआ, राम को ग्या लस्ार, जि ्यह ख़िर सनी अक़िर ने, इक पल को वो मौन हआ, हरा सके जो महाररा को, कोई न जग म वीर हआ, ्न्य है ्य भार् की भलम, जजसमे उस का जनम हआ..
भलम पर मानव्ा का हास हआ, भार्
पावन भलम पर,
ह मगलों का राज हआ, अपनी
अपना ही उपहास हआ, पवणास
को, जि सना्नी लािार हआ, मेवाड़ी ्र्ी पर ्ि, महारारा का जनम हआ, चिंगारी जो ््क रही ्थी, आज िनी वो शोला है, िोली हर हर महादेव की, िचिा िचिा िोला है, देश की ख़ात्र जाग उठे ह, अि ्र्ी के लाल सनो, मेवाड़ की लमटटी िोली, महारारा की शान सनो, सैन्य घेरना दगणा ्ोड़ना, और िनाना नए हच्थ्यार, िड़ िहादर ककका सा ्थे, अदभ् ्थ उन के रखलवाड़, देख िकक् मेवाड़ सव्य भी, उन की ्लवारो के वार, नागफ़नी दो दो ्लवारे, घोड़ा काटे म्य असवार, ्मणा परा्यर महाररा ्थे, सव्य वीर्ा का अव्ार, देख भील भी पजलक् हो्े, उन की ्लवारो के वार, उद्यलसंह की म ज़थी से, जि जगमल का है त्लक हआ, वन जा कर जीवन जीने का, ्ि प्र्ाप वविार कक्या, ककन् सामन्ो की इचछा, और प्रजा की ्थी ्य पकार, गददी जगमल त्याग करे, प्र्ाप िने अगले सरदार, जन ना्यक प्र्ाप ने अपनी, जजममेदारी करी सवीकार, भावी राजा ्था गददी पर, और प्रजा हषणा अपार, भेजा अक़िर ने संच् का,
को,
वग़ल
नाला आ्या, ्यह ्था संकट ववषम अपार, लेकर महारारा को देखो, ि्क हआ है नाले के पार,

संसा्न, पानी, मदा, पत्थर, सभी प्रकार के जीव - जं्, अनेकानेक वनसपत््याँ, समस् पाररजस्थत्की

वर्ष : 2, अंक : 2 32 प्रकत् का अजस्तव, पथवी पर मानव से पहले सनन नेगी गौिर, िमोली, उत्तराखंड प्रकत्, इस ्र्ी को ईशवर का अनमोल उपहार है। प्रकत् हमारे आस - पास के भौगोललक वा्ावरर म उपजस्थ् जीवन के सभी आ्याम जलवा्य, प्रकत्क
्ंत्र को अपने म समादह् कर अपना सवरूप िना्ी है। प्रकत् का अजस्तव, पथवी पर मानव से पहले से है अ्थाणा् जि मानव नही ्था पथवी पर प्रकत् ्ि भी ववद्यमान ्थी। इसके तनमाणार म मनष््यों की कोई भलमका नही है। पथवी पर मानव के जनम से लेकर व्णामान सम्य ्क मनष््य सदैव प्रकत् पर ककसी न ककसी रूप म तनभणार रहा है, रह्ा है और सदा रहेगा।प्रकत् मानव के ललए सदैव माँ रही है। मानव ने प्रकत् की गोद म जीवन जीने के समपर आ्यामों का तनमाणार कर उनको कक्याजनव् कक्या है। अ्ः बिना प्रकत् के जीवन भी नही की जा सक्ी है।
इस नीलषे ग्रह पर प्रकमत ही एक ऐसा आयाम है जो इसमें जीवन बनायषे रखनषे की अनुममत दती है। मबना प्रकमत कषे इस िरा का कोई भी अस्स्त्व नही है। प्रकमत , सभी जीव जतिुओ का पालन पो्ि करती है।प्रकमत का हर आयाम पड़ पौिषे , हवा, पानी, व्वों , नदी नाल , फल सार सब्ी , िूप आदद यानी सम्पूि्ग प्रकमत पयमावरि है। मबना पयमावरि जीवन की कक सी भी प्रकार की कल्पना भी नही की जा सकती है।प्रकमत कषे कारि ही पथ्ी सभी ग्रहदों में अनोखा ग्रह है। पथ्ी में 71% जलहोनषे कषे कारि पथ्ी अंतररक् सषे नीली ददखाई दती है।जो प्रकमत का ही भार है।इसक्लए पथ्ी नीलषे ग्रह कषे रूप में भी जानी जाती है। प्रकमत मानव कषे साथ साथ सम्पूि्ग जीव जरत कषे क्लयषे प्राि दायनी है।कक सी भी सजीव प्रािी को जीमवत रहनषे कषे क्लए मुख् हवा, पानी व भोजन की प्रथम अवश्यकता होती है, क्जसकी स्ोत मात्र प्रकमत है। सही मायनदों में प्रकमत जीवन है। भौमतक तत्व जल, वायु, आकाश, पथ्ी , अगनि भी प्रकती पर मनभ्गर है। सोचनीय मव्य यह है कक पथ्ी पर प्राकमतक संसािन सीममत है। मनुष्य नषे अपनषे मवकास व वच्गस्व कषे चरम को पानषे कषे क्लयषे प्रकमत का आवश्यता सषे अधिक दोहन ककया
कषे मवधभन्न आयामदों पर मवपरीत प्रभाव पड़ रहा है। ग्ोबल वॉममथिर क्जसका ज्लति उदाहरि है। मानव को चादहए कक, इस पथ्ी पर जीवन सदा फलता फूलता रह , तो प्रकमत का संरक्ि एवं संवि्गन अमत आवश्यक है। प्रकमत हमारी जननी है। इसकी सुरक्ा इसका, सम्ान करना हमारा दागयत्व है।तभी प्रकमत हमें अपनषे सम्पूि्ग संसािनदों सषे पररपूि्ग करषेरी।और इसमें सदैव जीवन फलतषे फूलतषे रहेंरषे। िरती कषे अस्स्त्व को बचानषे कषे क्लए, प्रकमत का उसकषे प्राकमतक स्वरूप में रहना अमत आवश्यक है। इसकषे क्लए हमें चादहय कक प्राकमतक संसािनदों सुमनयोक्जत व समुचचत प्रयोर करें, पयमावरि को स्वच् बनानषे कषे मवधभन्न तौर तरीकदों को अपनाएँ।इसकषे क्लए वक्ारोपि सबसषे सरल व सबल तरीका जो इस िरा को अनति अनति कालदों तक जीमवत रख सकती है। संकलप मानवता खंकडत हो रही, अस्स्त्व अपना खो रही व्यगक्त की दक्त प्रवधत्त , व्यगक्तत्व अपना खो रही। कल्ाि की हो भावना, प्रयास का व्रत लीक्जए संकल्प ऐसषे लीक्जयषे अवरि न बढ़नषे दीक्जय। संकल्प सच्ा न अरर हो, सफलता ममलती नहीं हो कमी दृढ़ता की ग़र तो, स्वथिता ममलती नहीं मवश्वास और अभ्यास स , उद्दषेश्य पूरषे कीक्जय संकल्प ऐसषे लीक्जए, अवरि न बढ़नषे दीक्जए। स्वभाव है चंचल अरर तो, व्यथ्ग भा्ि छोड़ दें चाहो दव्य्गसनदों सषे बचना, कुसंरमत सषे मुँह मोड़ लें वफ़ादारी स्वयं सषे करक , ख़ुद को मवक्जत कर लीक्जए। संकल्प ऐसषे लीक्जय , अवरि न बढ़नषे दीक्जए। स्वीकार हो वो हर चुनौती, जो मनुज को जोड़ दें अखखल अवमन हो अखंकडत, रूकढ़यदों को तोड़ दें स्वाथ्गपरता को ममटा, समत्व का प्रि लीक्जए संकल्प ऐसषे लीक्जय , अवरि न बढ़नषे दीक्जए। रुचि असीजा मैनपरी, उत्तर प्रदेश
है क्जससषे मानव जामत कषे अस्स्त्व पर मनरतिर खतरा मंडरा रहा है। िरती पर प्रकमत
वर्ष : 2, अंक : 2 34 महाराष्ट्र के दशणानी्य स्थल अलम्ा कदम लेरखका/पत्रकार, ठारे, महाराष्ट्र महाराष्ट्र भार् के सिसे प्रमख राज्यों म से एक है | महाराष्ट्र म घमने की जगह िह् ही खिसर् है | भार् के दक्षिर मध्य म जस्थ् महाराष्ट्र अपने खप खिसर् दशणानी्य स्थलों की वजह से हर साल दतन्या भर के लाखों प्यणाटन को अपनी और आकवषणा् कर्ा है | ववदेशी प्यणाटकों दवारा भार् म सिसे ज्यादा पसंद कक्य जाने वाले राज्यों म से महाराष्ट्र राज्य एक है | महाराष्ट्र म कई ऐत्हालसक महलों, ककलो,गफाओं प्राकत्क प्यणाटन स्थलों और मंददरों से भरा हआ है | ्यह भार् का दसरा सिसे ज्यादा आिादी वाला राज्य है | महाराष्ट्र की राज्ानी मिई है | मिई के अलावा महाराष्ट्र का पर शहर भी भार् के िडे शहर मे से एक है | षिेत्रफल के दृजष्ट से भार् के त्सरे िड़े इस राज्य म आप को कई ऐसे आकषणार दशणानी्य स्थलों का नजारा देखने को लमलेगा| महाराष्ट्र को गेटवे ऑफ द हाटणा ऑफ इंडड्या के नाम से भी जाना जा्ा है |
महाराष् का इमतहास बहोत पुराना है| छत्रपती क्शवाजी महाराज, बाजीराव पशवा ,सातवांत, राष्कूठा जैसषे महान लोरदों नषे महाराष् का नाम दमनया भर में रोशन कर ददया हैं| मुंबई, पुिषे ,नाक्शक, लोनावळा और महाबलश्वर महाराष् कषे सबसषे प्रमुख द श्गनीय थिलदों में सषे है| हम महाराष् कषे कुछ महत्त्वपूि्ग द श्गनीय थिलदों की जानकारी लतषे है| १) मुंबई मुंबई महाराष् का सबसषे बडा और प्रमुख शहर है और यह महाराष् की राजिानी है| सपनदों कषे शहर कषे नाम सषे मुंबई बॉलीवुड की वजह सषे दमनया भर में मशहर है | रषेट ऑफ इं कडया, मरीन डट्राईव् , क्सणद्धमवनायक मंददर, हाजी अली दरमा , एक्लफंटा की रुफाएं यह मुंबई कषे द श्गनीय थिल है | इसकषे अलावा अरर आप खानषे पीनषे कषे शौकीन है तो आप मुंबई कषे प्रक्सद्ध थिानीय स्ट्रीट वडापाव, पानीपुरी, पावभाजी, भल, दहीपूरी, कालाखट्ा जैसषे व्यंजन का आस्वाद भी लषे सकतषे हैं| मुंबई में शानदार समुद्र तट भी पय्गटकदों को आकक्त करता है| २) पुिषे पुिषे महाराष् का दसरा सबसषे बडा शहर होनषे कषे साथ साथ महाराष् कषे सबसषे प्रक्सद्ध द श्गनीय थिल मषे सषे एक है| पुिषे मषे घूमनषे की जरह आप को कही ऐमतहाक्सक और प्राकमतक द श्गनीय थिल दखनषे को ममलेंरषे | क्जसमें ऐमतहाक्सक ककल् , झरन , खूबसूरत कपकमनक स्पॉट आदद द श्गनीय थिल है| पुिषे को “क्ीन ऑफ द डषेक् न” कषे नाम सषे भी जाना जाता है| सह्ाद्री नामक पहाडो सषे गररा हआ यह शहर भारी मात्र में अपनी और आकक्त करता है| ३) महाबलश्वर - महाराष् कषे सातारा क्जल्ा स्थित महाबलश्वर एक पहाडी शहर है| जो एक खूबसूरत जाना माना दहल स्शन है| यह थिान स्ट्रॉबरी कषे अलावा झरनदों , नददयदों , झीलदों और खूबसूरत प्राकमतक दृश्यदों कषे क्लयषे पय्गटकदों का बहतरीन पसंदीदा द श्गनीय थिल है| वषेन्ना झील, कष्णा भाई मंददर, क्लरमाला वॉटर फॉल, मवलसन पाॅइंट, तीन मंकी पॉईंट यहा कषे प्रक्सद्ध द श्गनीय थिल है | यह दहल स्शन अपनी प्राकमतक सुंदरता सषे यहाँ पर आनषे वालषे पय्गटकदों का मनमोहन लता है| ४) नाक्सक महाराष् में रोदावरी नदी कषे तट पर स्थित यह शहर दहदओं की िाममथिक आथिा का बहत प्रक्सद्ध केंद्र है | यहाँ पर दहंद ओं का सबसषे पमवत्र और मवशाल हर 12 साल में होनषे वालषे कुंभ मलषे का आयोजन होता है| १२ ज्योमतक्लरो में सषे एक त्र्यंबकश्वर मंददर भी यहाँ पर है | नाक्सक में घूमनषे की जरह में आप को कई मंददरदों कषे अलावा ककलषे और झरनषे भी दखनषे को ममलेंरषे | कहा जाता है की लक्ष्मिजीनषे रावि की बहन सूप्गनखा की नाक इसी जरह काटी थी| इसीक्लए यह थिान नाक्सक कषे नाम सषे जाना जाता है| ५) पंचरनी - पंचरनी महाराष् का एक बहद लोककप्रय दहल स्शन है जो की समुद्रतल सषे १३३४ मीटर की उंचाई पर स्थित है| यह थिान
प्रस्त करता है| शांत और हरभरा वातावरि यहाँ आनवालषे पय्गटकदों को रोमांचचत का दता है| पंचरनी की ऊंचाई सषे आप कमलरढ़ दर्ग और िाम डैम झील कषे शानदार दखनषे का आनंद उठा सकतषे है| ६) क्शरडी महाराष् कषे अहमदनरर क्जलषे में स्थित क्शरडी एक छोटासा शहर है| क्शरडी महान संत साईबाबा का घर है जहाँ पर साईबाबा का मंददर बना हआ है| इस ऐमतहाक्सक जरह पर आप को कई मंददर दखनषे को ममल जायेंरषे , जहाँ पर आप अपनषे पररवार कषे साथ द श्गन करनषे जा सकतषे है| यहाॅ पर लोक भारी मात्र में साईबाबा कषे द श्गन करनषे आतषे है| कहा जाता है कक जो भी यहाँ पर साईबाबा कषे द श्गन करनषे जाता है साईबाबा उनकी हर मनोकामना पूरी करतषे है| ७) लोनावाला - लोनावला महाराष् काफी पसंद ककयषे जानषे वाला दहल स्शन है जो की समुदतल सषे
महाराष् कषे सबसषे ठंडषे इलाको में सषे एक बहत ही खूबसूरत और मनोरम प्राकमतक दृश्यदों को
वर्ष : 2, अंक : 2 36 ६२५ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है| यह थिान मुंबई कषे करीब स्थित है| झीलदों , झरनदों और खूबसूरत प्राकमतक आक््गक नजारषे आप को यहाँ पर दखनषे को ममल जायेंरषे | प्रकमत की रोद में स्थित यह थिान प्रकमत प्रषेममयदों कषे क्लए स्वर्ग सषे कम नही है| ८) औरं राबाद अजंता और एलोरा की मवश्व प्रक्सद्ध बौद्ध रुफाओं कषे क्लए औरं राबाद जाना जाता है| इन रुफाओं को वल्ड्ग हररटज की क्लस् मषे शाममल ककया रया है | इसकषे अलावा इस शहर में आप को कई छोट बड मंददर भी दखनषे को ममल जाएं रषे | चारदों और पहाडो सषे गघरा हआ यह शहर हर साल लाखदों की संख्ा मषे पय्गटकदों को अपनी और खींच लता है| ९) खंडाला महाराष् कषे बहतरीन पय्गटन थिलदों में सषे एक खंडाला अपनषे खूबसूरत प्राकमतक दृश्यदों , झीलदों , झरनदों और पहाकडयदों सषे यहाँ आनषे वालषे सैलामनयदों को बहद रोमांचचत कर ददया करता है| शहर कषे भीड़ भाड़ भरषे शांत प्राकमतक वातावरि में कुछ समय सुकून कषे मबतानषे कषे क्लए यह थिान बहतरीन है| १०) रत्ागररी महाराष् कषे दक्क्ि पक्चिम भार में स्थित रत्ागररी अरब सारर समुद्र तट सषे गघरा बहद खूबसूरत बंदरराह शहर है | कदोंकि क्षेत्र कषे इस भार में आप को कई बंदर1 राह दखनषे को ममल जाएं रषे | समुद्रतट, झरनषे और प्राचीन ककलषे यहाँ कषे प्रमुख आक््गि है| सह्ादद्र पव्गतदों सषे गररा हआ यह थिान लोकमान्य बाल ररािर मतलक का जन्म थिान है| मांडवी बीच, भाटषे बीच और पवस बीच रत्ागररी कषे आसपास कषे लोककप्रय बीच है| ११) अमरावती महाराष् कषे उत्तर पूव्ग दद शा मषे स्थित अमरावती अभ्यारिदों और प्राचीन मंददरदों को क्लए जाना जाता है | कहा जाता है की अमरावती दवताओं कषे राजा भरवान इंद्र का शहर हआ करता है| भरवान कष्ण, दवी अंबा और वेंकटेंश्वर मंददर यहाँ कषे सबसषे प्रक्सद्ध मंददर है| इसकषे अलावा शक् र झील और बीर झील भी यहाँ कषे खुबसूरत पय्गटन थिल है| चचकलिरा और िरनी तहसील में स्थित टायरर ररझव्ग १५९७ वर्ग ककलोमीटर क्षेत्र में फैला हआ अमरावती यह शहर बहोत खुबसूरत है| १२) दौलताबाद - दवगररी कषे नाम सषे मशहर महाराष् कषे औरं राबाद क्जलषे में स्थित है| अपनी ऐमतहाक्सक
है| इमतहास प्रषेममयदों कषे क्लए यह थिान काफी पसंद ककया जाता है| १३) माथरान - महाराष् कषे रायरढ़ क्जलषे में स्थित माथरान छोटा सा दहल स्शन है| समुद्र तल सषे लरभर ३०० मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह थिान मुंबई सषे लरभर ७९ ककलोमीटर की दरी पर स्थित है| रामबार , चारलोटी झील, मंकी पॉईंट और वन टट्री दहल पाॅइंट यहाँ पर दखनषे जैसी जरह है| यहाँ का शांत वातावरि और खुबसूरत प्राकमतक दृश्य पय्गटकदों को बहद आनंददत कर दता है| रममथियदों कषे मौसम में पय्गटक यहाँ पर सबसषे ज्यादा घूमना पसंद करतषे है| १४) नारपूर महाराष् का नारपूर शहर मनोरम दृश्यदों और समद्ध सांस्मतक मवरासत कषे क्लए महाराष् ही नहीं बस्ल् पूरषे भारत में लोककप्रय है | फुटाला झील, अंबाझरी झील,दीक् भूमम , रामटक ककला और बोहरा
इमारतदों सषे यह थिान पूरषे महाराष् में काफी प्रक्सद्ध है| चांद ममनार ,जामा मस्जिद, दौलताबाद का ककला और चीनी महल यहाँ कषे सबसषे प्रक्सद्ध और आक््गक द श्गनीय थिल
मस्जिद नारपूर कषे सबसषे प्रक्सद्ध और खूबसूरत पय्गटन थिल है क्जनको आप नारपूर में दखनषे जरुर जाएं| इसकषे अलावा नारपूर नारं री बारो कषे क्लए भी जाना जाता है| १५) कोल्ापूर - पंचररा नदी कषे तट पर बसा कोल्ापूर महाराष् कषे खूबसूरत द श्गनीय थिलदों में सषे एक है | यहाँ का महालक्ष्मी मंददर िाममथिक आथिा का बहत प्रक्सद्ध केंद्र है| इसकषे अलावा यहाँ पर तरह तरह कषे स्वाददष् व्यंजन पय्गटकदों को बहद लुभातषे है| कोल्ापूर का नाम कोल्ासूर की एक पौराणिक कथा सषे क्लया रया है| कोल्ासूर एक राक्स था क्जसका वि दवी लक्ष्मी जी नषे ककया था| १६) अलीबार ममनी रोवा कषे नाम सषे मशहर अलीबार महाराष् कषे कोकि क्षेत्र में बसा एक छोटा सा समुद्र तटीय शहर है| मुंबई सषे लरभर ११०ककमी दरी पर स्थित अलीबार मवकेंड पर पररवार कषे साथ छु दट्यां मनानषे कषे क्लए बहत अच्ा मवकल्प है| रतीलषे समुद्र तटदों , मंददरदों और ऐमतहाक्सक ककलो कषे क्लए पय्गटकदों का बहद पसंदीदा द श्गनीय थिल है| १७) सोलापूर मुंबई सषे लरभर ४५० ककमी की दरी पर स्थित सोलापूर महाराष् कषे आक््गक द श्गनीय थिलदों में सषे एक है| प्राचीन समय में सोलापूर जैन िम्ग कषे अनुयायीयदों का आध्यात्त्क केंद्र हआ करता था| यहाँ पर कई मंददर और ककलषे प्रक्सद्ध द श्गनीय थिल है| क्जसमें अक्लकोट मंददर, श्री . क्सद्धषे श्वर मंददर, सोलापूर ककला, मोती बार झील और पंढरपूर मंददर आदद शामील है| १८) ताडोबा राष्ीय उद्ान ताडोबा राष्ीय उद्ान भारत कषे सबसषे प्रक्सद्ध उद्ानदों में गरना जानषे वाला बहद लोककप्रय उद्ान है जो कक सव्गश्रषेष्ठ टाइरर ररजव्ग में सषे एक है| महाराष् में सबसषे ज्यादा बाघ आप को यहाँ पर दखनषे को ममल जाएं रषे | महाराष् कषे चंद्रपूर क्जलषे में स्थित इस उद्ान को जो भी दखनषे जाता है तो इसकी तारीफ जरुर करता है| प्राकमतक हररयाली और यहाँ कषे वन्य जीव लोरदों का मन मोह लतषे है| १९) चचखलदरा महाराष् कषे अमरावती क्जलषे में स्थित काफी पसंद ककया जानषे वाला द श्गनीय थिल है| यह थिान भीड़भाड सषे मुक्त एक एकदम
इमतहास और िाममथिक थिलदों
रोमांचचत कर दता है| यहाँ पर आप अपनषे पररवार कषे साथ कुछ समय बीता सकतषे हैं| २०) रायरढ महाराष् में कोकि क्षेत्र में स्थित रायरढ़ ऐमतहाक्सक दृष्ी सषे समद्ध क्जला है| छत्रपती क्शवाजी महाराज नषे १६५६ में जीतकर अपनषे कब्षे में क्लया था| अरब सारर सषे गररा हआ यह थिान महाराष् कषे प्रमुख द श्गनीय थिलदों में सषे एक है| समुद्र तल सषे अत्ाधिक ऊंचाई पर स्थित रायरढ़ ककला यहाँ का सबसषे प्रक्सद्ध आक््गि केंद्र है| इस ककलषे में क्शवाजी महाराज की समाधि को रखा रया है| महाराष् में ३६ क्जलषे है उसमें सषे पय्गटकदों कषे सबसषे ज्यादा पसंदीदा कषे द श्गनीय थिल की जानकारी दी रयी है| महाराष् की यात्रा कर रहषे है तो इन जरह को अपनी मवक्जकटर
शांत जरह है| खूबसूरत झील, प्राचीन
कषे क्लए पय्गटकदों द्ारा काफी पसंद ककया जानषे वाला थिान है| यहाँ का मनोरम दृश्य पय्गटकदों को बहद
वर्ष : 2, अंक : 2 38 केशी गप्ा लेरखका समाज सेववका, दवारका ददलली सेकस वकणासणा पर सप्रीम कोटणा का ऐत्हालसक फैसला
हाल ही म 26 मई 2022 को सप्रीम कोटणा दवारा सेकस वकणा रस को लेकर एक ऐत्हालसक फैसला दद्या ग्या है। एक लंिी जददोजहद और लड़ाई के िाद आरखरकार सेकस वकणासणा को राइट ट ललव आदटणा कल 21 के अं्गणा् सममान के सा्थ जजंदगी िसर करने का हक दद्या ग्या है। जजसके ्ह् पललस अच्कारर्यों को तनदश ददए गए ह कक वह उनह ककसी भी ्रह ्ंग ना कर । उनह भी सरषिा का अच्कार है। मीडड्या को भी दहदा्य् दी गई है कक वे ककसी भी कारवाई के अं्गणा् ककसी भी सेकस वकणा र की आइडदटटी को सावणाजतनक ना कर । हैर् की िा् ्यह है कक इसे काननी अच्कार देने म एक लंिा सम्य तनकल ग्या। संसार के िह् से देशों म सेकस वकणासणा को काननी मान्य्ा प्राप् है। वेश्याववत्त भार्ी्य समाज के ललए कोई न्या मददा नहीं है। भार्ी्य संसकत् के ्ह् सेकस जैसे शबद को िोलना भी गल् समझा जा्ा है । दसरी ्रफ वही हम समाज म प्रािीन्म काल से वेश्याववत्त की प्रववत्त को पा् ह । आरखर क्यों और कैसे इस प्रववत्त का आरंभ हआ ्यह अपने आप म एक गहन ववष्य है । पश पषिी से लेकर मानव को जजंदगी के सजन के ललए सेकस /संभोग की प्रकक्या से गजरना हो्ा है । सजष्ट की संरिना म शरीर की संरिना कछ इस प्रकार की गई है कक संभोग इसकी एक संभावव् जरूर् है। और् के मकािले म मदणा संभोग को ले कर अत् उत्तेजक प्रववत्त का हो्ा है । हालांकक ऐसा नहीं है कक शारीररक रूप से और् को जरूर् नहीं हो्ी । परं ् समाज के दा्यरे म और् को इस पर खलकर िा् करने की इजाज् ्क नहीं है । कहना गल् नहीं होगा कक उसी सभ्य समाज की देन वेश्याववत्त है । कोई भी और् अपनी खशी से इस पेशे म नहीं उ्र्ी है। इसी म उ्रने की वजह अकसर एक ददणा नाक कहानी को पा्या ग्या है । हवस की लशकार, और्ों की खरीद िि जैसे तघनौने अपरा् भी कहीं ना कहीं इसके ललए जजममेदार है । हाल ही म आई कफलम गंगिाई म भी इस मददे को िह् खिसर्ी से दशाणा्या ग्या है। 50 के दशक म गंगिाई प्र्ानमंत्री पंडड् नेहरू से इस पेशे को काननी अच्कार देने की िा् कर्ी ददखाई गई है। लाइव ट ललव और समान्ा के अच्कार के ्ह् एक नागररक को सममान से जीवन जीने का अच्कार है । जजसके अं्गणा् ककसी भी ्रह के भेदभाव से परे ्यह अच्कार प्रत्येक व्यजक् के ललए मान्य है । िाहे वह ककसी भी ्मणा जात् ललंग ्या का्यणा से संिच्् हो । आज आ्तनक सम्य म लसफणा और् ही नहीं िजलक मदणा भी इस ्रह के पेशे म उ्र् ददखाई दे ् ह। सोिने के िा् ्यह है कक ्यदद ्यह पेशा गल् है ्ो समाज म इसकी जरूर् क्यों है ? अि ्क इसको समाज से पर रूप से खतम क्यों नहीं कक्या जा सका ? ऐसे कई सवाल ह जो समाज पर प्रशनचिनह लगा् ह । सप्रीम कोटणा के ऑडणार से मानव्ा के अं्गणा् सेकस वकणा र को सरषिा और सममान से जीने का हक दी्या जाना अपने आप म एक िड़ा कदम है ।

सा्थ होगा, जो पहले भी ्महारे सा्थ ्था, म वक़् ह और मेरा काम है, ्मह सही रास्ा ददखाना, मेरा कोई रूप नहीं हो्ा, मेरा कोई दठकाना नहीं हो्ा, म लसफणा िल्ा रह्ा हं, जि ्म अपने आप को िदलोगे, ्ि मझे भी िदल् हए पाओगे, क्योंकक ्महारी सोि िदल जाएगा, ्महारा नज़रर्या कछ अलग होगा, पहले भी म वक़् ्था, अभी भी म वक़् हं, और आगे भी म वक़् रहगा, ्य मेरी िा् जरा ्याद रखना, और ्य वक़् की िा् सिको सनाना |

वर्ष : 2, अंक : 2 40 लोकना्थ र्थ मतनदे िी कटीर, कटक ्य वक़् भी िड़ा अजीि है, कभी क्या कर्ा करवा्ा, वो ही जान्ा है, जि कोई वक़् के सा्थ िल्ा है, वो उसे सा्थी िना ले्ा है, उसके हर खशी और गम के सा्थ वक़् अपना नाम जोड़ ले्ा है, कोई उसे कोस्ा
रह्ा है, क्योंकक उनकी नाकाम कोलशश और सोि पर वक़् ्रस खा्ा है, वो बिन िोले कह्ा है, हे इनसान, अपना मंजजल ्मने िना है, उसे ्मह ही हालसल करना है, जजंदगी का ्य सफर आसान नहीं है, पर उसे आसान िनाना है, अपनी लगन और मेहन् से, अपने ववशवास और जजिे से, ्ि ्म मंजजल ्क पहि जाओगे, कालम्यािी भी हालसल करोगे, वक़् की िा् और खद को भी िदल पाओगे, ्ि ्यही वक़् ्महारे
रह्ा है, कोई उसके गर गान कर्ा है, कोई उस से भागने की कोलशश कर्ा है, पर वक़् ्य करने नहीं दे ्ा है, कोई कफर वक़् को िदलने की कोलशश कर्ा है, वक़् ्य देख्ा है, मसकरा् हए िल्ा
शी्ल माहेशवरी, खराड़ी, परे, महाराष्ट्र सिह सिह अन के मोिाइल पर उसकी कामवाली िाई नीरा का फोन आ्या “दीदी दो ददन म नहीं आ पाऊंगी काम पर” अन: क्यों? क्या हआ? और अन नीरा पर अपनी खीज तनकालने लगी। नीरा: अरे दीदी! नाराज म् होइए मेरी िेटी की ्िी्य् अिानक से खराि हो गई उसे उजलट्यां हो रही ह, डॉकटर ने उसे असप्ाल म एक ददन रखने को कहा है” नीरा : ्म लोगों का ्ो िस.... और िड़िड़ा् हए उसने फोन रख दद्या और काम पर लग गई । डाइतनंग टे िल पर आ् ही उसकी नजर पलेट म रखी काज की क्ली पर पड़ी जजस पर फफंद लगी हई ्थी। उसे अिानक ्याद आ्या कक इसम से एक काज क्ली उसने कल नीरा की िेटी को रखला दद्या ्था । उसे अपने ऊपर िड़ी शलमांदगी हई की आज उसकी फफंद जैसी सोि की वजह से ही नीरा की िेटी हॉजसपटल म ्थी। सोि और लमठाई
वर्ष : 2, अंक : 2 42 सना्न ्मणा म प्रदक्षिरा डॉ. ज्यप्रकाश नागला नांदेड, महाराष्ट्र सना्न ्मणा म प्रदक्षिरा का अनन्य महतव है । इसका इत्हास िह् प्रािीन होगा, इसम कोई दो रा्य नहीं हो सक्ी । महाराष्ट्र प्रदेश म वारकरी संप्रदा्य व प्रदक्षिरा को सांसकत्क व ्ालमणाक मान्य्ा है । ्मणा म प्रदक्षिरा मात्र मंददर की ्या भी्र स्थावप् मत् की ही नहीं हो्ी । ्लसी का गमला, वषि, नदी, ्ालाि, पोखर, जलस्ो्, धवज स्मभ, ववज्य स्मभ, समा्ी, ्यज्कणड, गौ मा्ा, दीप ्या दीप स्मभ, म् शरीर, चि्ा, ्मणा ग्न्थ, ्ालमणाक प्रत्मा, शहीद की मत् ्या प्रत्मा, ककसी सन् ्या महातमा की मत् ्या प्रत्मा ककसी महान आतमा ्या सन्, महातमा की पादका आदद की पजा अिणाना व प्रदक्षिरा ्यानी पररकमा की जा्ी है ।

कषे अनुसार माता पाव्गती नषे अपनषे दोनदों पुत्र रिषेश व पाव्गती को ब्ह्माण्ड की पररक्रमा करनषे कषे आदश ददए थषे । इसमें कौन प्रथम पररक्रमा करषेरा वह प्रमतभा में सव्ग श्रषेष् माना जायषेरा, इस तरह की घो्िा माता पाव्गती नषे की थी । कामतथिक नषे मोर

प्रदक्क्िा ककतनी की जाती है यह उस व्यगक्त की इच्ा या की रई मन्नत पर मनभ्गर होता है । प्रदक्क्िा का आंकड़ा 11, 51, 105 या ज्यादा भी हो सकता है । अब प्रश्न उभरता है कक प्रदक्क्िा सषे मनुष्य को क्ा लाभ होता है । इस सन्दभ्ग में इतना अवश्य कहता ह कक कोई भी िाममथिक परम्परा सनातन िम्ग की संस्मत में तभी शुरू हई जब उस परम्परा का मनुष्य तथा समाज को लाभ हआ है तथा हो रहा है । प्रदक्क्िा दहन्द िम्ग व पंथ में बहत असािारि महत्व है । साथ ही क्सख, जैन, बौद्ध िम्ग में भी पररक्रमा का िाममथिक महत्व अवश्य है । दहन्द पूजा अच्गना कषे बाद मंददर प्रदक्क्िा करतषे है । उसकषे क्लए मंददर कषे चारदों और प्रशस् मार्ग की व्यवथिा होती है । हर थिान पर पररक्रमा दक्क्िावत्ग की जाती है । मंददर कषे मुख् द्ार शुरू होकर मुख् द्ार पर ही पररक्रमा का समापन होता है । वैसषे तो शास्तदों कषे अनुसार पररक्रमा श्री रिषेश
कषे साथ ही आत् शांमत कषे क्लए अपनी इच्ा अनुसार भक्त प्रदक्क्िा करतषे है । सबसषे पहलषे प्रदक्क्िा मनुष्य कषे स्वाथि में बहत लाभ दायक होती है । दसरा महत्व पूि्ग लाभ हमारी मानक्सक रूप सषे भी मनुष्य स्वथि रहता है । शरीर व ददमार दोनदों को स्वथि रखनषे में प्रदक्क्िा बहत ही लाभ दायक होती है । सबसषे ज्यादा इसका लाभ मववादहत मदहला को होता है । भारत की सनातनी परम्परा का महत्वपूि्ग व अटूट अंर है प्रदक्क्िा । यह मवरासत हर सास अपनी बह को अवश्य दती है । घर पररवार की बहओं को ही नहीं बषेकटयदों को भी प्रदक्क्िा संस्मत का मनवमाह करना पड़ता है । मैंनषे बचपन में अपनी माँ को तुलसी कषे रमलषे की पूजा -अच्गना कर प्रदक्क्िा करतषे दखा है । साथ ही सूय्ग को अध्य्ग दकर माँ स्वयं कषे गरद्ग भी घूमती थी पथ्ी की तरह । इसी तरह प्रदक्क्िा संस्मत सनातन िम्ग में रच बस रयी है कक पूजा अच्गना कषे पशच्ात प्रदक्क्िा एक आवश्यक परम्परा बन रयी । इसी कारि यह स्पष् हो जाता है कक प्रदक्क्िा का बहत ही प्राचीन इमतहास माना जाता है । ब्ह्माण्ड में क्जस तरह मवधभन्न ग्रह, तार , कपंड आदद अपनषे सूय्ग, चंद्र की पररक्रमा करतषे है व अपनषे स्वयं की भी पररक्रमा करतषे है उस तरह ही मनुष्य भी कई शमतयदों सषे प्रदक्क्िा करता आया है व करता है। मरषे मवचारदों सषे प्रदक्क्िा कषे प्रमत सकारात्क सोच ही सव्ग प्रथम सबसषे बड़ा कारि हो सकता है । यदद मवज्ानं की दृकष् सषे दखा जायषे तो हर रोल घूमनषे वाली वस् ु आक््गि व सकारात्क ऊजमा को जन्म दती है । इसक्लए मनुष्य प्रभामवत हआ होरा व होता है । पौराणिक कथन
पर सवार होकर ब्ह्माण्ड कषे चक् र लराना शुरू ककया । लककन रिषेशजी नषे अपनी माता कषे चक् र लराया । सारा ब्ह्माण्ड माँ कषे भीतर समादहत होता है इस बात की अनुभूमत उनकषे द्ारा द शमायी रयी । तबसषे रिषेशजी को बुणद्ध कषे दवता माना जाता है तथा उस समय सषे प्रदक्क्िा का महत्व और भी बढ़ रया । हमारषे दश मषे मवधभन्न िाममथिक थिानदों व मंददरो में प्रदक्क्िा मार्ग बनायषे रए है, जो अब िाममथिक परम्परा में कई व्षो सषे समादहत हो रए है । अयोध्या पररक्रमा, गररनार पररक्रमा, रोवि्गन पररक्रमा, वज्गमण्डल पररक्रमा, वन्दावन िाम पररक्रमा, नम्गदा पररक्रमा, 84 कोस पररक्रमा आदद िाममथिक थिानदों की पररक्रमा को अनन्य महत्व प्राप् है । यहाँ जब प्रदक्क्िा कषे मव्य में एक बात का
कषे क्लए एक, सूय्ग कषे क्लए दो, क्शव कषे क्लए तीन,मवष्णु कषे क्लए चार, अश्वथवक् कषे क्लए सात का प्राविान बताया रया है, अकपतु िाममथिक श्रद्धा व मवश्वास
वर्ष : 2, अंक : 2 44 संज्ान लना बहत आवश्यक है कक महाराष् में पंढरपुर में स्थित मवट्ठल मंददर का राज्य कषे वारकरी साम्प्रदाय में अनन्य महत्व है । वारकरी सषे तात्य्ग यात्री या यात्रा करनवाला । वारकरी साम्प्रदाय ही भगक्त साम्प्रदाय है । इस सम्प्रदाय में सैकड़ो व्षो सषे प्रदक्क्िा को भगक्त का एक मवशषे् स्वरूप माना जाता है । वास्व में प्रदक्क्िा कषे दो प्रकार है । भगक्त व आथिा पर अटूट मवश्वास रखनवालषे लोर अपनषे आराध्य कषे द श्गन तथा उपासना कषे क्लए पैदल यात्रा करतषे है । यात्रा कषे क्लए आठ ददन सषे लकर एक या दो माह का समय भी लरता है । ईश्वर आरािना कषे क्लए पैदल चलकर जाना भी एक प्रकार की प्रदक्क्िा ही मानी जा सकता है । वारकरी पंढरपुर की पैदल यात्रा को बहत क्शरोिाय्ग रखतषे है । जब याकत्रयदों
व भजन रातषे हए रोल घूमकर कदम ताल करतषे है क्जसषे रररि यानी ररर कहा जाता है । यह एक प्रदक्क्िा का ही स्वरूप है । पंढरपुर की इस यात्रा व वारकरी साम्प्रदाय की इस प्रदक्क्िा का मवस्त अवलोकन करनषे पर इस बात को पुख्ा रूप सषे कहा जा सकता है कक भगक्त व आथिा का यह समारम लोक प्रथा बन जाता है । महाराष् का भगक्त सम्प्रदाय ही सव्ग सािारि लोरदों में वारकरी सम्प्रदाय कषे नाम सषे सव्ग मवददत है । पंढरपुर तीथ्ग थिान श्री मवट्ठल की आथिा सषे जुड़ा है समुचचत वारकरी सम्प्रदाय । प्रदश की समस् जनजामतयदों कषे आराध्य मवठोबा रुस्क्मिी को लोकदवता ही नहीं बस्ल् भरवान मवष्णु कषे एक अवतार कषे रूप में मान्यता है । मवट्ठल सषे ज्यादा कक सी भी दवता की उपासना इतनषे अधिक रूप सषे प्रदश में नहीं होती । पंढरपुर में व््ग में चार बार मला लरता है क्जसषे वारी या यात्रा कहतषे है । ईश्वर आरािना व आथिा का यह समारम हर ददन श्रद्धालुओं कषे आनषे सषे बना ही रहता है, अकपतु आ्ाढ़ व कामतथिक माह की एकादशी सषे पूणिथिमा तक बहत बड़ी संख्ा में श्रद्धालुओं व वारकरी सम्प्रदाय की पालखखयदों का सारर पंढरपुर में उमड़ता है । आ्ाढ़ व कामतथिक माह की दो यात्राओं को बहत ही महत्वपूि्ग माना जाता है । वारकरी सम्प्रदाय सषे जुड़षे भक्त व््ग में एक बार क्दों न हो पंढरपुर अवश्य आतषे ही है । वारकरी सम्प्रदाय में भी जो श्रद्धालु मालकरी होतषे है वषे व््ग की चारदों समय की यात्रा में आना अमनवाय्ग मानतषे है । मालकरी सषे तातपय्ग तुलसी की माला िारि करनषे वालषे श्रद्धालु । तुलसी कषे 108 मनको की माला
का जत्ा पंढरपुर कषे क्लए मनकलता है तब अपनषे पड़ाव पर मवट्ठल की आरािना करतषे समय रोल घूमकर ढोलक, मंजीरषे बजाकर जय हरी मवट्ठल का उद घो् करतषे हए तथा मराठी अभंर
का वारकरी सम्प्रदाय में अनन्य महत्त्व है । इस माला को क्समरिी भी कहा जाता है, पर वारकरी सम्प्रदाय में इस माला का महत्व क्समरन तक ही क्सममत नहीं है । इस माला को िारि ककयषे मबना कोई भी वारकरी सम्प्रदाय का अनुयायी नहीं बनता । वारकरी सम्प्रदाय में प्रदश की समुचचत जामत जनजामतयदों को मबना कक सी भद भाव तथा सम्ामनत रूप सषे सत्म्क्लत ककया जाता है । वारकरी सम्प्रदाय मवट्ठल भगक्त व उपासना कषे अनुशासन का व मनयमो का पालन बहत ही तन्मयता सषे करतषे है । वारकरी सम्प्रदाय वास्व में भारवत िम्ग का पालन करता है । सनातन िम्ग सषे जुडी मवचारिारा कषे साथ ही भारवत िम्ग को वैष्णव सम्प्रदाय भी कहतषे है जो भरवान मवष्णु तथा कष्ण अवतार का उपासक माना जाता है तथा मवट्ठल को भी मवष्णु कषे अवतार की मान्यता है । इसक्लए पंढरपुर को दक्क्ि की द्ारका भी कहतषे है । आचिय्ग इस बात का भी है कक वारकरी सम्प्रदाय कषे परम आराध्य मवठोबा का कोई उल्ख श्रुमतस्मतपुराि में नहीं है या मवष्णु कषे चोबीस अवतार में भी मनदक्शत नहीं है, इसकषे मवपरीत मवट्ठल को ईस्वी व््ग ग्यारह व बारहवी शती सषे वैष्णव की प्रमतष्ठा प्राप् है । मवष्णु का ही अपभ्रंश मवट्ठल माना जाता है । यहा प्रदक्क्िा संस्मत का महत्व इसक्लए भी बढ जाता है की, ब्म्ांड में दषेमव दवतां द्ारा भी प्रदक्क्िा ककए जानषे का उल्ख पुरातन ग्रंथदों में ममलता है । वारकरी संप्रदाय में यह परंपरा लरभर एक हजार व््ग सें जादा की है । वारकरी संम्प्रदाय पंढरपुर की यात्रा प्रदक्क्िा कषे मबना अिुरी ही मानी जाती है । कोसदों
कषे माध्यम सें प्राप् होतषे है, परंतु प्रदक्क्िा का इमतहास वास्व में इस सषे अधिक व्वों का हो सकता है । मनुष्य कषे जन्म सें लकर मत् ू तक यह मवरासत, संस्ारदों कषे स्वरुप हमारषे साथ चल रही है । भलषे ही अब जामत , िम्ग, समुदाय व समाज पर अिमनकता का बहत रहरा प्रभाव नजर आता है। परंतु यही संस्ारदों सषे क्लप् सांसकमतक पररवश ही मनुष्य को पररवार व समाज सें बांिकर रखता है । प्रदक्क्िा मात्र सामाक्जक आथिा का प्रमतक ही नही है सांस्मतक परंपराओं कषे साथ क्जवन क्जनषे कक दद शा, दशा तय करती है । इसीक्लए सनातन िम्ग में प्रदक्क्िा का बहत रहरा तथा महत्वपूि्ग असर दृकष्रत होता है
दर की यात्रा करिषे कषे बाद वारकरी पंढरपुर में मवठोबा मंदीर की प्रदक्क्िा अवश्य करतषे है । इ.स. 1291 में सव्गप्रथम यात्रा प्रारंभ ककयषे जानषे कषे प्रमाि तत्ालीन ग्रंथो

हो प्रार।। ि्रंगी सेना ललए, िल् िाजीराव। ्थर - ्थर काँपे शत्र गर, हो् ्न पर घाव।। नारी गौरव की क्था, कर कर म अलभमान। महाराष्ट्र का मान है, नारी शजक् महान।। जीजा साववत्री फले, रानी लक्मी जान। ्ाक् नारी शजक् की, िनी देश की शान।। उनन् भाषा ज्ान का, अ्ल भरा भंडार।

वर्ष : 2, अंक : 2 46 िाहिली लशवरा्य, राजे दहंदवी स वराज्य, झकने कभी न दद्या देश के सममान को। वीर्ा का लोहा माने, शत्र काँपे ्थर ्थर, लशवा की खडग देख, छोड़् मैदान को। जीवन प्रजा के ललए, मा् भलम मां के ललए, प्रारपर सेवा दे ्े, न् िललदान को। मगराज के समान, कीत् शौ्यणा जजनका है, नमन हे ! लशव रूप, लशवाजी महान को। मनहरर घनाषिरी माना िा मजरा ज्यश्ीकां् पण्य भलम िललदान की, सं्ो का आवहान । प्रार तनछावर कर ददए, रखी राष्ट्र की आन ।। लशव जी का आशीष ले, जी् ्यद् अनेक। राष्ट्र भक् लशवराज जी, वीर मराठा एक।। वीर लशवाजी की क्था, लसखला्ी ्यह ज्ान। देश प्रेम ऐसा करो, न्यौछावर
पावन ग्ं्थ प्रिर ्यहांँ, िने ्मणा आ्ार।। त्लक गोखले रानडे, िाफेकर से ्ीर। सावरकर लशविा सदह्, देश भक् ्थ वीर।। नमन भलम को आज है, िारं िार प्रराम। दहंदी भाषा का स ््, ्यहांँ हो रहा नाम।। ्न्य मराठी संसकत्, ्न्य ्न्य ह लोग। ्यगों ्यगां्र ्क रहे, ऐसे पावन ्योग।। दोहे : महाराष्ट्र ववशेष

िम िम िमक्ा, ठहरा हआ िाँद देख रहा एकटक, लशखर छ्ी िलंद इमार् के पीछे से शहर की खलिल, ्न - मन की हलिल! हर पल न्यी इिार्, ललख रहा शहर िाँद भी अववरल, िाँि रहा ्य आखर िदल् ददन - रा्, शाम - ओ - सहर, आठ पहर, मशीन हो्ी ्ड़कनों पर भी है नज़र! रोटी, कपड़ा, मकान म जटा आदमी प्रकत् की, म्र पनाह से छटा डडजजटल लाइफ ने, िाँद को भी आ घेरा अि गी्ों म भी, दतन्यावी िा् कहाँ िाँद और िाँदनी रा्ों का डेरा कवव की कलपनाओं का सफ़र भी ठहर ग्या सममान और पैसों पर आकर !

िाँद से
उस
हम हमसफ़र कल - कल सी जज़ंदगी म नहीं दो पल मगर! साषिी है िाँद, पशेमाँ ववकास ्ो हो्ा ग्या पर ख़द म लसमट ग्या इनसां ! ठहरा सा िाँद अनपमा अनश्ी भोपाल, मध्यप्रदेश ज्ान है नहीं लेककन ज्ान का प्रदशणान कक्ना है! सि नेक का्यणा छोड़, वववाद उतपनन करना वववादों म िने रहना, सत्य से वाम िलना इनका ्ो शौक फक् इ्ना है।। भौत्क्ा की मीनार िढ़्ी जा रही ह नैत्क्ा की दीवार चगर्ी जा रही ह दराग्ह से पररपर आवररों म छपी मानलसक ववक्षिप् इन ववभत््यों की मदहमा का मंडन कैसे कर ! शबदकोश के ककन शबदों से इस दससाहस की भतसणाना कर! पहले लोगों पर ्ंज पस्कों पर, देवी - देव्ाओं ्मणा पर अशलील छींट! िह् उगे ह इनके िदन म नफर् और अज्ान्ा के काट!! कहाँसे ला् ह इ्नी कजतसक्ा! कैसे घदट्या ददमाग की िनावट है भ्रम म डिी हई ्य िौदच्क्ा! खद को समझे नहीं सवणाव्यापक ईश को समझाने का उपकम है खद को श्ेष्ठ, दसरे को कम्र श्ेरी म रखने का दष्कमणा है सि ही ्ो है जैसी दृजष्ट वैसी सजष्ट जैसा खाओ अनन वैसा िन्ा मन है ।। व्यंजग्यका - प्रदशणान
रोशन रा्, िारु िाँद की िा्
उजास का िन
वर्ष : 2, अंक : 2 48 कमला मलानी सी्पर, जजला पाटर हम अकसर अपना पररि्य दे ् ह जि कभी ककसी ने स्थान ्या न्य पररवेश म शालमल हो् ह । आज म आपका पररि्य महाराष्ट्र की राज्ानी मिई शहर से करवा्ी ह । ्य ्ो हमारा देश िलमसाल है कक्ने ही िड़े शहर ्यहां िस् हए ह ,कफर भी ववलभनन व्यजक््यों की भांत् ववलभनन शहरों का अपना ही इत्हास और ववशेष्ा हो्ी है ।एक शहर पर लेख पढ़ कर हम घर िैठे ही उस शहर से पररचि् हो जा् ह । अथाह सारर ककनारषे बसा एक अथाह शहर - मुंबई
मैं कपछलषे ३४ व््ग सषे मुंबई में रह रही ह और बहद प्ार हो रया है इस शहर स , माना कक मुंबई बावरी कहलाती है अच्षे भलषे इंसान को दीवाना बनाती है परंतु यषे हर अजनबी को अपना भी बनाती है। इस शहर सषे मरा पहला पररचय १९७१ में हआ था, उन ददनदों हमारषे कालज अमनक्चितकालीन समय सषे बंद थषे तलंराना आंदोलन अपनषे चरम पर था, यहां आतषे ही पाकक स्ान का आक्रमि हआ था ब्क आउट और सायरन की आवा्ज़ में भी पूरा क्जंदाद दल शहर न कहीं घबराहट न कहीं डर था सामान्य सी ददनचयमा रहती थी। ऐसषे माहौल में भी काफी घूमना कफ रना हआ।सुबह ४ बजषे सषे रात कषे दो बजषे तक लोकल राकडयां चलती थीं । अथाह समुद्र सी भीड़ हर वक्त जैसषे भारती प्रतीत होती थी । कब सुबह हई कब शाम ढली कब हफ्ा रया कुछ आभास ही नहीं होता, भारमभार इस शहर को रमत दती है एक कोनषे सषे दसरषे कोनषे तक जाना सामान्य ददनचयमा होती है न दरी परशान करती है न उत्साह कम होता है । उस समय लरभर पूरा शहर दखा जाना परंतु पहचान न हो पाई । वषेस्न्ग , सेंटल, हाब्गर लाइन कषे अनगरनत स्शन अनक रास्षे आनषे जानषे क , हर स्शन ईस् और वषेस् में बंटा हआ, अथाह टट्रैकफक, अनगरनत सािन सुमविा कषे वाहन, दखकर घबराना लाक््ज़मी था पहलषे इतनी भीड़भाड़ सषे पाला नहीं जो पड़ा था। बचपन में जब रषेकडयो पर मबनाका रीत माला सुनतषे थषे तो फरमाइश में अलर अलर नाम सुनकर कौतूहल होता था जैसषे अंिषेरी बांद्रा माहीम दादर वरैरह, तब यषे नहीं समझ में आता था कहतषे तो बम्ई हैं कफ र यषे नाम अलर अलर कैसषे हैं । पहली बार तो कोई न कोई साथ था घूम कफ र क्लए बस उतना ही महत्वपूि्ग था। शहर को समझनषे का अवसर तो यहां आकर बसनषे कषे बाद ममला । यहां हर एक स्ल में क्शफ्ट क्सस्म होता है एक सुबह सात बजषे सषे १२-३० तक दसरी १-५ -३० तक क्शफ्ट होती है बड़ी कक्ाएं सुबह और छोटी दोपहर को ।कालज भी इसी तज्ग पर चलतषे हैं उच् क्शक्ा ग्रहि करनषे वालषे मवद्ाथथी दोपहर तक फ्ी हो जातषे हैं ककतनषे ही बच्षे उस समय का सदपयोर पाट्ग टाइम जॉब करकषे करतषे हैं क्शक्ा काल में ही बच्षे आत् मनभ्गर होनषे लरतषे हैं यहां की सरजमीं ऐसी है कक महनती कभी भूखा नहीं मरता कदम कदम पर आपको कोई न कोई खोमचषे वाला ममल जाएरा यहां यषे भी कमा सकतषे हैं और फाइव स्ार होटल भी, क्जसनषे जूतषे चटकाए वो कभी न कभी सफलता प्राप् कर लता है । दश कषे हर कोनषे कषे लोर आपको यहां ममल जाएं रषे । सभी अपनषे आप में हरफन मौला न काह सषे दोस्ी ना काह सषे बैर सबको अपनषे काम सषे काम । आपनषे क्ा पहना है कहां जा रहषे हो क्ा कर रहषे हो कक सी को कोई लना दना नहीं होता । ऊंची ऊंची ररनचुंबी इमारतें क्सर उठाए खड़ी हैं तो पास में कहीं झोपड़ पट्ी ममल जाय तो कोई आचिय्ग नहीं होता । पुरानषे जमानषे का चाल क्सस्म भी अभी तक बरकरार है तो रो्ज़ नया मनममाि भी अभाव रमत सषे चलता है । जन संख्ा अधिक है रोज ही कहीं न कहीं सषे कोई न कोई रहनषे बसनषे पढ़नषे कषे क्लए आ जाता है जमीन तो उतनी ही है और रहनषे वालषे अनगरनत इसक्लए यहां मकान मंहरषे दामदों में ममलतषे हैं । बालीवुड यहां का मुख् आक््गि केंद्र है। प्रत्क सप्ाह नयी कफल्म ररलीज होती है ककतनषे ही कफल्मी क्सतारषे मनममाता मनददेशक यहां रहतषे हैं उनकषे साथ काम करनषे वालषे असंख् लोरदों को यहां रोटी रो्ज़ी का जुराड़ ममल जाता है । यहां ककतनषे ही प्रक्सद्ध मंददर हैं जैसषे क्सणद्ध मवनायक मंददर, महालक्ष्मी मंददर, बाबुलनाथ मप्न्दर, इस्ॉन मंददर जीवदानी मंददर वरैरह वरैरह। अनगरनत चच्ग, हाजी अली दरराह, रुरुद्ार , जुह बीच, चौपाटी, नशनल पाक्ग , अरषे ममल् कालोनी, पवईलक, जैसषे थिान पाक्ग धथयटर
वर्ष : 2, अंक : 2 50 माल्स घूमनषे कषे क्लए बाहें फैलाए ममल जाएं रषे । मुंबई का आक््गि रषेट आफ इं कडया ताज महल होटल : एलीफेंटा रुफाएं चच्गरषेट स्शन छत्रपमत क्शवाजी टममथिनस हवाई अड्षे हैं तो अनक उपनरर बसषे हए हैं अब तो फैलती आबादी नषे नवी मुंबई भी बना डाली है ।अथाह समुद्र की भांमत आपको यहां अथाह प्रषेम भी दखनषे को ममलषेरा । प्रत्क उपनरर अपनषे आप में एक शहर प्रतीत होता है जहां आपको हर सुख सुमविा उपलब्ध कराई जाएरी ।जंरल में मंरल तुंरत हो जाता है नया कोई प्रोजक्ट शुरू होतषे ही माकदे ट स्ल मंददर धथयटर हर सुमविा तैयार हो जाती है । सािारितः कक सी को कक सी सषे कोई मतलब नहीं होता परतिु आपात स्थिमत में यहां आपको हर व्यगक्त सहायता करता ममल जाएरा मबना कक सी भदभाव कषे साथ सषे हाथ ममलाकर सभी सहायता को दौड़षे चलषे आएं रषे । एक में अनक और अनक होकर भी एक यषे है हमारषे शहर की शान जान और पहचान । मिई नगरी यषे है मुम्ई मरी जान कहलाती है स्वप्न नररी महनत जी तोड़ की क्जसन यहां न रहा भूखा कभी वो कुछ न कुछ राह पा जाता यषे है ऐसी सरजमीं दती राह क्जसनषे ज्यादा जूतषे चटकाए उतना ही अपना भमवष्य संवार वड़ा पाव, भाजी पाव,मूंर दाल भज्ी सवपूरी,भलपूरी, सैंडमवच खास हर शहर का स्वाद यषे संर लषे आए नैशनल पाक्ग , कान्री कव ज रांिी स्ारक अरषे ममल् कालोनी,पवई लक , जुह बीच अरनाला बीच, महालक्ष्मी मंददर, क्सणद्ध मवनायक रषेट वषे ऑफ इं कडया, एलीफेंटा रुफाएं, ताजमहल होटल चच्गरषेट स्शन छत्रपमत क्शवाजी टममथिनस मरीन लाइंस अनगरनत लोकल स्शन मटट्रो स्शन की भरमार यहां नया कोई यात्री जब भी यहां पहली बार है आया लरता जैसषे भूल भुलैया में आया न ओर छोर पाया क्ीन्स नकलस की छटा मनराली चौपाटी घूमनषे आया आनषे वाला हर शख़्स इसकी रौनक में खो सा जाता रो्ज़ी रोजरार की नररी है यषे मुंबई प्ार दलार अपनपन की है यषे मुंबई बालीवुड की प्ारी नररी खींच लाती अनगरनत उभरतषे क्सतारषे ,रायक लखक दती है बांहषे खोलकर यषे सहारा सबको एक बार जो आ रया यहां रहनषे हर मुण्किल आसान हो जाती यहीं का हो रया वह बंदा।।

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