अध्याय 1 के बा
1 एगो पत्र के प्रतितितप जेरेमी ओह िोग के भेजिे रहिे, जेकरा के बेतबिोन के राजा बंदी बना के बेतबिोन में िे जाए वािा रहिे, िातक उ िोग के प्रमातिि कईि जा सके , जईसे तकपरमेश्वरके आदेशरहे।
2 परमेस् वर के सामने
3 जब िू िोग बाबुि में अइबऽ ि िू िोग ओतहजा बहुि साि
िमहर समय िे, यानी साि पीढी िे रहबऽ आ ओकराबाद
4 अब िू िोग
तक हे प्रभु, हमनी के िोहार आराधनाकरे के पडी। 7 काहेतक हमार दूि िोहरा साथे बा आ हम खुद िोहनी के जानके परवाहकरिबानी।
8 रहि बाि ओह िोग के जीभ के काम करे वािा के द्वारा चमकावि जािा आ ऊ िोग सोना के रंग के चांदी से तबछावि जािा।िबोऊिोगखािीझूठबाआबोि नइखे पावि।
9 आऊ सोना िेके जइसे कवनो कुंवारी खातिर होिा जवन समिैंतगकहोखे
10 कबो-कबो पुजारी िोग भी अपना देविा िोग से सोना
बचावनाकरसके।
14 जे ओकरा के दोषी ठहरावे वािा के हत्या ना कर पावे, ओकरािगे राजदंडबा, जइसे तकऊदेशके न्यायाधीशहोखे।
15 ओकरा दातहना हाथ में खंजर आ कुल्हाडी भी बा, िेतकन युद्धआचोरसे बचावनाकरसकेिा।
16 एही से उ िोग के देविा ना होखे
29 मातसक धमत में रहे वािी औरि आ बच्चा के तबछौना पर बइठि मेहरारू आपन बतिदान खाि बाडी आ एह बाि से िू िोग जान सकीिे तक ऊ देविा ना हउवन, एकरा से मि डराई।
30 काहे तक ओह िोग के देविा कइसे कहि जा सकेिा? काहे तक मेहरारू िोग चााँदी, सोना आ िकडी के देविा िोग के सामने मांसरखेिी।
31 आ पुजारी िोग अपना मंतदर में बईठि बा, कपडा फाडके , माथाआदाढीमुंडवाके , माथापरकुछुओना।
32 ऊ िोग अपना देविा िोग के सामने गजतना करेिा आ रोवेिा, जइसे तकभोजमें
जवन पाप कइिे बानी, ओकरा चििे िोहनी के बेतबिोन के राजा नबूकोदोनोसोर बंदी बना के बेतबिोनमें िे
जाइब।
आ
हमिोहनीके शांतिसे ओतहजासे दूरकरदेब।
बेतबिोन में चााँदी, सोना आ िकडी के देविा िोग के देखब, जेकरा के कंधा पर उठावि गइि बा, जवन राष्ट्नके डेरावेिा।
के आराधना करि देखब ि िू कबो परदेसी िोग जइसन नाहोखींआनाहीओहिोगसे। 6 िेतकन िू िोग मन में कहऽ
5 एह से सावधान रहीं तक जब िू िोग के सामने आ पीछे के भीड
तसरखातिरमुकुटबनावेिा।
के शौकीनहोखे, उिोगअपनादेविािोगके
-चााँदी िे जाके अपनाके दे देिे। 11 हाँ, ऊ िोग आम वेश्या िोग के दे दीहें आ चांदी के देविा आ सोना आ िकडी के देविा होके कपडा से आदमी तनयर सजाईहें। 12 िबो ई देविा िोग बैंगनी रंग के कपडा से ढंकि होखे के बावजूदजंगआपिईसे
13 मंतदर के धूि के चििे उ िोग आपन चेहरा पोंछि बाडे
जबउिोगपबहुिकुछबा।
,
के जानि जािा, एहसे उ िोगसे मिडराई। 17 जइसे कवनो बितन टूटिा पर कवनो बितन के कवनो मोि ना होिा। इहे हाि उनकर देविा िोग के भी होिा, जब उ िोग मंतदर में खडा होिा ि उनकर आाँख भीिर आवे वािा िोगके गोडसे धूिसे भरिहोजािा। 18 जइसे राजा के ठेस पहुाँचावे वािा के हर िरफ से दरवाजा पक्का हो जािा, जइसे तक ओकरा के मौि के तशकार होखे के सजा तदहि जािा, ओइसहीं पुजारी िोग अपना मंतदरन के दरवाजा, िािा आ सिाख से जकड िेिा, कहींओह िोग के देविािोगके डकैिसे िूटनाहोखे। 19 ऊ िोग ओह िोग के दीया जरा के , हाँ, अपना खातिर से अतधका, जवनामें से ऊिोगएकोनादेखपावेिा। 20 ऊ िोग मंतदर के एगो बीम तनयर बा, िबो ऊ िोग कहि बा तक धरिी से रेंगि चीजन से उनकर तदि चीर-फाड हो गइि बा। आ जब ऊ िोग ओह िोग के आ ओह िोग के कपडाखािबािओहिोगके ईनािागेिा 21 मंतदर से तनकिे वािा धुाँआ से उनकर चेहरा कररया हो गइिबा। 22 ओह िोग के देह आ माथा पर चमगादड, तनगि आ तचरई आतबिारभीबइठिबाडीस। 23 एही से िू िोगजानि होखब तक ऊिोग कवनो देविानाह, एहसे ओहिोगसे मिडराई। 24 भिे ही ओह िोग के सुंदर बनावे खातिर सोना के आसपास बा, जब िक तक उ जंग के ना पोंछी, िब िक उ िोग चमकि ना होई, काहेतक जब उ िोग तपघि गईिे ि उ िोग के सोना नामहसूसभईि। 25 जवना चीज में सााँस ना होखे, उ चीज़ बहुि जादा दाम में खरीदिजािा। 26 ओह िोग के कंधा पर उठावि जािा आ ओह िोग के कवनो गोड नइखे जवना से ऊ िोग आदमी के बिावे तक ऊ िोगकवनोमोिनइखे 27 ओह िोग के सेवा करे वािा िोग भी शतमिंदा होिा, काहे तक अगर उ िोग कबो जमीन पर तगर जािा ि उ िोग खुद से उठ ना सकेिा, आ अगर केहू ओकरा के सीधा कर देिा ि उ खुद से तहि सकेिा। उ िोग अपना के सीधा कर सकेिे, िेतकन उ िोग अपना सोझा मुअि आदमी तनहन वरदान देवेिे। 28 जहााँ िक ओह िोग के बतिदान तदहि जािा ि ओह िोग के याजक बेचेिे आ दुरुपयोग करेिे। ओइसहीं उनकर मेहरारूओ ओकर कुछ तहस्सा नमक में डाि देिी। िेतकन गरीबआनपुंसकके उिोगएकरामें से कुछनादेवेिे।
आदमीमरिापरकरेिा। 33 पुजारी िोग भी आपन कपडा उिार के आपन मेहरारू आ िइकनके कपडापतहरादेिा। 34 चाहे केहू ओकरा साथे बुराई होखे भा अच्छाई, ओकर बदिानादे पावेिा। 35 ओइसहींऊ िोग ना ि धन दे सकेिा ना पइसा, भिे केहू ओह िोग से व्रि कर िेव आ ओकरा के पूरा ना कर िेव ि ऊ ओकरमााँगनाकरी. 36 ऊ िोग केहू के मौि से ना बचा सकेिा आ ना ही कमजोर के िाकिवरनसे बचासकेिा।
40 जब कल्दी िोग भी ओह िोग के बेइज्जि करेिा ि आदमी कइसे सोचे आकहे
तकऊिोगदेविाहवें?
41 अगर उ िोग कवनो गूंगा के देख के जवन बोि ना पावेिा ि ओकरा के िेके आके बेि के तनहोरा करेिे
काहेंकीउनुकािगे
?
45 इ बढई आ सोनार से बनि बा, इ सब कुछ अउर ना हो सकेिा, जवनतकमजदूरके
चाहिहोई।
पिाचिजाईतकईझूठह।
ह, बिुक आदमी के हाथ के काम ह आ ओह िोगमें भगवानके कवनोकामनइखे।
52 िबके नाजानिहोईतकउिोगकवनोदेविानाहवें?
53 ना ि उ िोग ओह देश में राजा बना सकेिा आ ना ही आदमीके बरखाकरसकेिा।
54 ना ऊ िोग अपना मुद्दा के न्याय कर सकेिा आ ना ही कवनो गििी के सुधार कर सकेिा, काहे तक ऊ िोग आकाश आधरिीके
बीचकौआतनयरहोिा।
55 जब िकडी के देविा िोग के घर पर आग िागी, भा सोना भा चांदी से ढंकि
37 ऊ िोग आन्हर के नजर में वापस ना िे सकेिा आ ना ही केहूके संकटमें मददकरसकेिा। 38 उ िोग तवधवा पर कवनो दया ना कर सकेिे, ना अनाथ पर भिाईकरसकेिे।
ओह िोग के िकडी के देविा आ सोना चााँदी से ढंकि देविापहाडसे कटिपत्थरतनयरहवें।
39
तक उ बोिे, जईसे उसमझे में सक्षमहोखे। 42 िबो उ िोग खुद एकरा के ना समझ पावेिे अवुरी उ िोग के छोडके नाछोडेिे,
कवनोज्ञाननईखे। 43 रस्सी में बईठि मेहरारू िोग भी इत्र खातिर चोकर जरावेिी, िेतकन अगर उ िोग में से केहु ओतहजा से गुजरि आदमीके खींचके ओकरासंगे िेटजािािउअपनासाथीके तनंदा करेिे तक उ अपना तनहन योग्य ना मानि
गईि , ना ओकरडोरीटूटगइि। 44 ओहिोग के बीचजवनकुछ भी होिाउ झूठ ह, िब कइसे ईसोचिजासकेिातकईिोगदेविाहवें
46 आ ऊ खुदे जे ओह िोग के बनविे बा ऊ कबो ढेर तदन िे ना रह सके िब जवन चीज ओह िोग से बनि बा ऊ देविा कइसे होखे के चाहीं? 47 काहेतक उ िोग ओकरा बाद आवे वािा िोग खातिर झूठ आतनंदाछोडदेिे। 48 जब ओह िोग पर कवनो युद्ध भा महामारी आवेिा ि पुजारी िोग अपना से सिाह िेिा तक ऊ िोग कहााँ िुकाइि रहसके . 49 िब आदमी कइसे ई ना बुझ पाई तक ऊ कवनो देविा ना हउवें जवन ना ि अपना के युद्ध से बचा सकेिा आ ना तवपति से? 50 काहे तक ई सब िकडी के ह आ चांदी आ सोना से ढंकि बा, एहसे बादमें
51 आ सब जाति आ राजा िोग के ई साफ िउकी तक ऊ िोग कवनो देविा ना
56 एकरा अिावे उ िोग कवनो राजा चाहे दुश्मन के सामना नईखन क सकि, िब इ कईसे सोचि जा सकिा तक उ िोग देविाहवे? 57 ना ि ऊ िकडी के देविा आ चांदी भा सोना से तबछि देविा, नािचोरभाडकैिसे बचे में सक्षमबाडे। 58 जेकर सोना चााँदी आ कपडा पतहनिे बा, ऊ मजबूि िोग िे के चिजािाआनाहीअपनाके बचावे में सक्षमबा। 59 एह से अइसन झूठा देविा िोग से बेहिर बा तक राजा होके आपन शक्ति देखावे, ना ि घर में फायदेमंद बितन होखे, जवना के मातिक के उपयोग होखे। या घर में दरवाजा होखे के , जवना में अइसन चीज रखे के , अइसन झूठा देविा िोग के िुिना में। या महि में िकडी के खंभा, अइसन झूठा देविा िोगसे। 60 काहे तक सूरज, चााँद आ िारा उज्ज्वि होके आपन काम करे खातिरभेजिआज्ञाकारीहवें। 61 ठीक ओइसहीं तबजिी जब फूटेिा ि ओकरा के देखि आसानहोिा।आओहीिरहसे हरदेशमें हवाबहिरहेिा। 62 जब परमेश्वर बादि के पूरा दुतनया में घूमे के आदेश देि बाडे िउिोगजइसनकहिजािा, ओइसने करेिा। 63 ऊपर से पहाडी आ जंगि के भस्म करे खातिर भेजि आग जइसन कहि गइि बा, उहे काम करेिा, िेतकन इ िोग ना ि देखावामें ओिोगतनहनबा, नाहीशक्तिमें। 64 एह से ना ि ई मानि जा सकेिा ना कहि जा सकेिा तक ऊ िोग देविा ह, काहे तक ई िोग ना ि कारि के न्याय करे में सक्षमबाआनाआदमीके भिाईकरे में सक्षमबा।
घर पर आग िागी ि ओकर पुजारी भाग के भागजइहें।िेतकनउिोगखुदबीमतनहनजराजईहे।
देविा ना हवें, एह से ओह िोगसे मिडराई। 66 काहेतक उ िोग ना ि राजा के गारी दे सकेिा ना आशीष दे सकेिा।
ना ि ऊ िोग आकाश में गैर-यहूदी िोग के बीच कवनो तनशानी देखा सकेिा, ना सूरज तनहन चमक सकेिा, ना चााँद तनहनरोशनीदे सकेिा। 68 जानवर ओह िोग से बतढया बा, काहे तक ऊ िोग एगो आडमें जाके अपनाके मददकरसकेिा। 69 िब हमनी के ई कबो ना बुझािा तक ऊ देविा हवें, एहसे ओहिोगसे मिडराई। 70 जइसे तक खीरा के बगइचा में तबजूका कुछ ना राखेिा, ओइसहीं ओकर िकडी के देविा िोग चांदी आ सोना से तबछिहोिा। 71 ओइसहींओह िोग के िकडी के देविा आ चांदी आ सोना से तबछि बगइचा के सफेद कााँटा जइसन होिें जवना पर हर तचरई बइठि रहेिा जइसे तक एगो मृि शरीर के भी, जवन पूरबसे अन्हारमें बा। 72 आ ओकरा पर सडि चमकदार बैंगनी रंग से िू िोग ओह िोग के कवनो देविा ना होखे के जानब आ ओकरा बाद ऊ िोगखाइिजाईआदेहािमें तनंदाहोजाई. 73 एह से धमी आदमी के बतढया होिा जेकर कवनो मूतित ना होखे, काहे तकऊतनंदासे दूररही।
65 ई जान के तक उ िोग कवनो
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