Be Social with Priyanka by Swapnil Saundarya ezine

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SWAPNIL

SAUNDARYA e-zine

( Vol- 05, Year - 2018, SPECIAL ISSUE ) Presents

Be Social with Priyanka

Published by : Aten Publishing House





Swapnil Saundarya ezine : An Intro वि नल स दय ई-ज़ीन – प रचय कला , सा ह य, फ़ैशन व स दय को सम पत भारत क पहल ह द लाइफ टाइल ई- प का के पँचम चरण अथात पँचम वष म आप सभी का

वागत है .


फ़ैशन व लाइफ टाइल से जुड़ी हर वो बात जो है हम सभी के लये खास, पहु ँचग े ी आप तक , हर पल , हर व त, जब तक

वि नल स दय के साथ ह आप. गत वष क सफलता और आप सभी पाठक के अपार

के बाद अब वि नल स दय ई-ज़ीन ( Swapnil Saundarya ezine ) ला ल य के साथ

म े व

ो साहन

के पँचम वष को एक नई उमंग, जोश व

तु त कया जा रहा है ता क आप अपनी िज़ंदगी को अपने सपन क दु नया बनाते रह. सु ंद र

सपने दे खते रह और अपने हर सपने को साकार करते रह .तो जुड़े र हये ' वि नल स दय' लॉग व ई-ज़ीन

के साथ

.और .............. बनाय अपनी िज़ंदगी को अपने सपन क दु नया . ( Make your Life just like your Dream World ) Launched in June 2013, Swapnil Saundarya ezine has been the first exclusive lifestyle ezine from India available in Hindi language ( Except Guest Articles ) updated bi- monthly . We at Swapnil Saundarya ezine , endeavor to keep our readership in touch with all the areas of fashion , Beauty, Health and Fitness mantras, home decor, history recalls, Literature, Lifestyle, Society, Religion and many more. Swapnil Saundarya ezine encourages its readership to make their life just like their Dream World . www.issuu.com/swapnilsaundaryaezine Founder - Editor ( सं थापक - संपादक ) : Rishabh Shukla ( ऋषभ शु ला )

Managing Editor (कायकार संपादक) : Suman Tripathi (सु मन

पाठ )

Chief Writer (मु य ले खका ) :

Swapnil Shukla ( वि नल शु ला ) Art Director ( कला नदे शक) :

Amit Chauhan (अ मत चौहान) Marketing Head ( माक टंग

मु ख ) :

Vipul Bajpai ( वपुल बाजपई)

' वि नल स दय - ई ज़ीन ' ( Swapnil Saundarya ezine ) म पूणतया मौ लक, अ का शत लेख को ह कॉपीराइट बेस पर

वीकार कया जाता है . कसी भी बेनाम लेख/ योगदान पर हमार कोई िज़ मेदार नह ं होगी . जब तक

क खासतौर से कोई नदश न दया गया हो , सभी फोटो ा स व च

केवल रे खां कत उ े य से ह इ तेमाल कए

जाते ह . लेख म दए गए वचार लेखक के अपने ह , उस पर संपादक क सहम त हो , यह आव यक नह ं है. हालां क संपादक

का शत ववरण को पूर तरह से जाँच- परख कर ह

िज़ मेदार उनक नह ं है . ो

टस , ोड

का शत करते ह, फर भी उसक शत-

स से संबं धत जानका रयाँ, फोटो ा स, च , इल

' वि नल स दय - ई ज़ीन ' को िज़ मेदार नह ं ठहराया जा सकता .

तशत क

े शन आ द के लए


कॉपीराइट : ' वि नल स दय - ई ज़ीन ' ( Swapnil Saundarya ezine ) के कॉपीराइट सु र

त ह और इसके

सभी अ धकार आर ह

.

इसम

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या अथ म अनु वा दत करके इले यां क

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कसी भी

ह से म का शत करना नषेध है . ' वि नल

स दय - ई ज़ीन ' के सवा धकार

'

शु ल'

Rishabh

(

Shukla ) सु र

त ह . इसका कसी भी

कार से पुन : काशन नषेध है.

चेतावनी : ' वि नल स दय - ई ज़ीन ' ( Swapnil Saundarya ezine )

ऋषभ के पास

म घरे लु नु खे , स दय नखार के लए

ट स एवं व भ न च क सा प तय के संबध ं म त यपू ण जानकार दे ने क हमने पूर सावधानी बरती है . फर

भी पाठक को चेतावनी द जाती है क अपने वै य या च क सक आ द क सलाह से औष ध ल , य क ब च , बड़ और कमज़ोर यि तय क शार रक शि त अलग अलग होती है , िजससे दवा क मा ा नधा रत करना ज र है.

मता के अनु सार



नार सशि तकरण और सरकार नी तय क

वफलता


वतमान

धानमं ी

ी नर

दामोदरदास मोद ने वष 2015 म श क दवस

के अवसर पर अपने भाषण म यह य त कया क य द प रवार क एक श

त होगी तो वह दो प रवार को श

वतमान समय तक ि

त करती है.

ाचीन काल से लेकर

य क ि थ त म बहु त प रवतन आ गया है .

भारत दे श हमेशा से ह आ या म से जु ड़ा है , यहाँ धा मकता व नै तक मू य को अ धक मह व दया जाता है ले कन पा चा य स यता के भारतवा सय क

वचारधारा को बहु त

भाव ने

भा वत कया है.

आज के समय म लगभग हर जगह चाहे वह गांव हो या शहर हर जगह म हला सशि तकरण पर चचा हो रह है.....हम 8 माच को अंतररा

य म हला दवस

मनाते ह........ ले कन इसके वा त वक मायने कतने लोग समझ पाते ह यह कहना मुि कल है . हमारे भारतीय समाज म इसको कतनी मा यता मल रह है, यह अनुसध ं ान करना बेहद क ठन है , हालां क हमारे भारतीय समाज म

म हलाओं क अव था म काफ सुधार हु आ है ले कन िजस तरह

व थ

से सुधार क क पना क जाती है , सु धार हो सकता था वैसा सुधार नह ं हु आ है, आने वाले समय म म हलाओं को सश त बनाने के लए इस दशा म अभी

बहु त कु छ करने क आव यकता है. पहले क अपे ा म हलाओं क दशा म

सु धार तो हु आ है ले कन अभी भी दे श क आधी आबाद अपने अनेक अ धकार से वं चत है। 'नार सशि तकरण' भौ तक या आ याि मक , शार रक या मान सक सभी तर पर म हलाओं म आ म व वास पैदा कर उ ह सश त बनाने क

या है .

हम यह भी कह सकते ह क म हला सशि तकरण के अंतगत म हलाओं से जुड़े सामािजक, आ थक, राजनै तक और कानूनी मु

पर मु य


से संवेदनशीलता और सरोकार य त कया जाता है िजसम म हलाओं क ि थ त हमेशा से ह कमतर रह है.

सरल श द म प रभा षत कर तो हम यह कह सकते ह क म हलाओं म अपनी िजंदगी के हर छोटे -बड़े हर काम का खु द नणय लेने क सशि तकरण है.

मता होना ह


वैि वक

तर पर नार वाद आंदोलन और

ति ठत अंतररा

य सं थाओं ने

म हलाओं क सामािजक उ न त, वतं ता , याय व राजनै तक अ धकार के लए अ यंत मह वपू ण भू मका नभाई है. यह कहना कसी भी कार से गलत

न होगा क ि

य ने ह सव थम स यता क नींव डाल है और उ ह ने ह

जंगल म भटकते पु ष का हाथ पक कर उ ह ि थर जीवन

दान कया है

, उनका घर बसाया है ........समाज , स यता व सं कृ त के वकास म म हलाओं का योगदान पु ष से कम नह ं रहा

फर भी वतमान समय म नार

सशि तकरण का वषय इतना अ धक चचा म

य है ?

सं वधान, सरकार से लेकर सामािजक संगठन तक म म हला सशि तकरण क बात तो होती है ले कन म हला सश त नह ं हो पाई ह. म हला सशि तकरण

क नी तय म वफलता के पीछे का एक बड़ा कारण तो म हलाएं वयं ह ह. उ ह वभ न

म व भ न अ धकार ा त ह ले कन आज भौ तकवा दता

के दौर म भी म हलाएं खु द को अपने धा मक व वास , परं पराओं से खु द को बंधा हु आ महसूस करती ह.बहु त सी म हलाएं खासतौर पर

ामीण व घरे लू

म हलाएं अपने अ धकार के लए जाग क ह नह ं ह िजसके

प रणाम व प सरकार क नी तयां भी नरं तर असफल हो रह ह. म हलाओं का राजनै तक सशि तकरण इस समाज के वकास क एक कुं जी है व अ यंत आव यक है. राजनै तक भागीदार से घर , समुदाय व रा

य तर

तक वह अपना नणय लेने म स म हो सकती ह. आज सरकार के म हलाओं को 33

वारा

तशत आर ण दया गया है. वतमान समय म भारत

सरकार म हलाओं के आ थक , राजनै तक, सामािजक वकास व सशि तकरण के लए व भ न नी तयां बना रह ह पर इन नी तय का सफल

या वयन


संभव नह ं हो पा रहा है. इसके अलावा सामािजक

े म ववाह, ववाह व छे द

, दहे ज उ पीड़न ,घरे लू हंसा, श ा से संबं धत अ धकार जो उ ह सरकार वारा ा त ह , उनके

त भी कु छ म हलाओं का नीरस रवैया दे खने को मलता

है. दूसर तरफ वे म हलाएं जो अपने सामािजक अ धकार के लए जाग क ह उ ह समाज क

ढ़वाद वचारधारा

पी बे ड़य म जकड़ लया जाता है.

भारत म पतृस ता मक वचारधारा के कारण ऐसी म हलाओं का हर तर पर शोषण होता है.


समाज म म हलाओं क ि थ त म सुधार हे तु श ा एवं जाग कता का वशेष मह व है ... श ा के मा यम से म हलाएं अपनी सामािजक ि थ त ,उनके

होने वाले अ याय , अ याचार को समझ सकती ह और उनसे नपटने हे तु उ चत नणय लेने म स म बन सकती ह......... हंद ू कोड

बल जो कानून के मा यम

से संपि त का अ धकार, ववाह, ववाह व छे द , उ तरा धकार आ द मु यान क त करता है.यह म हलाओं के लए

आ थक

वतं ता

भी

म हलाओं

ां तकार

को सश त

आव यक है......... पर हमारे दे श क

पर

वधेयक है.

बनाने के

लए

वडंबना तो दे खये, आ थक

बेहद े

म हलाएं पु ष के साथ कंधे से कंधा मलाकर चल रह ह पर फर भी अपनी मेहनत क कमाई को वे अपनी मज से खच करने के लए

वतं

नह ं.

यह भी एक बड़ा दुभा य है क म हलाओं को सश त बनाने के उ े य से बनाई गई नी तय को लागू करने वाले यि त भी म हलाओं का स मान नह ं करते


ह. जब नी तयां बनाने वाले और लागू करने वाले लोग ह सह को

कार से नी तय

याि वत नह ं करगे तो आ खर कैसे म हलाएं सह मायन म सश त

हो पाएंगी.

य द हम म हलाओं के उ थान से संबं धत नी तय के सह प रणाम ा त करने ह तो इसके लए यह आव यक है क हम भारतीय सं कृ त के मू य को सह मायने म लोग तक पहु ंचाएं िजसके प रणाम व प राजनै तक प र

य म


शास नक नी तयां सह

कार से लोग तक पहु ँच सक और सकारा मक

प रवतन दे खने को मल सके.

श ा के मा यम से सं कृ त का क अ त भौ तकवाद

सार कया जाए िजसके फल व प लोग

वृि त जो पा चा य स यता से

प रवतन लाया जा सके .समाज म ि हो

य क म हलाओं के के

य के

भा वत है , उसम

त स मान क भावना जागृत

त तंग नज़ रया व अस मान क भावना ,म हलाओं

त आपरा धक

वृि तय को ज म दे ती है.

यह स य है क म हला सशि तकरण तब तक संभव नह जब तक हमारे समाज

के पु ष धान रवैये म यह सोच पैदा न हो जाये क म हला भी पु ष से कम नह ं है साथ ह म हलाओं को भी अपने अ धकार के लए आगे आना होगा और अपनी काय मता से अपनी शि त का, खु द के सश त होने का प रचय दे ना होगा. म हलाओं को दखाना होगा क नार

सफ भोग क व तु नह है

बि क वह भी समाज का अहम ह सा है. म हलाओं को जागना होगा और

दखाना होगा क वह लाचार नह ं ह ,उ ह लाचार बनाया गया है. अब जाग कता

क परम आव यकता है, नार को खु द को पहचानने क , अपने-आप को जानने क ज रत है. अपने वकास, उ न त, ग त समृ

और अ धकार के लए नार

हर पल चौक ना रह, जाग क बने और दूसर नार सशि त को भी े रत कर. समाज का संतु लत वकास नार के सश त होने पर ह स भव है.

सहा.

- यंका संह

व ता ( समाजशा

)

म हला महा व यालय


वन थल व यापीठ , राज थान से जीव व ान वषय म गो ड मेडल के साथ बी.एस.सी और समाज शा

म परा नातक व बी.एड क उपा धय से अलंकृ त

यंका ( Priyanka Singh ) , सी ट ई ट ( CTET ) व नेट ( NET ) क पर

भी सफलतापूवक उ तीण कर चुक ह . वतमान समय म म हला महा व यालय म समाजशा

वभाग म सहा.

व ता व एन.सी.सी का कायभार सँभालने


के साथ -साथ महा व यालय क वाल

पो स कनवेनर ह. योगा म वशेष

यंका का मानना है क वतमान समय म लोग म श ा का

च रखने तशत

तो ब ता जा रहा है कं तु उनक सोच व उनके वचार म अभी भी संक ण व

द कयानूसी वचारधाराओं का समावेश है जो हमारे समाज के लए हतकर नह ं . लोग क सोच म सकारा मक प रवतन उनके करता है.

वयं के चंतन पर ह

नभर










FIGHT AGAINST BREAST CANCER


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य पाठक ! आपक ओर से नरंतर

ा त हो रह सकारा मक

याओं के लए ' वि नल स दय ई ज़ीन' क पूर ट म क

तरफ से आप सभी को ्दय से आभार . अपने आशीवाद, ेम व

ो साहन क वषा हम पर सदै व करते रह . आपक

ट प णय , सलाह एवं मागदशन का हम बेस ी से इतंज़ार रहता है . प का के लए आपके लेख, रचनाय आ द

सादर आमं त ह. कृ ् या अपने प के साथ अपना पूरा नाम ,पता, फोन नंo व पासपोट साइज़ फोटो अव य संल न कर. ई- मेल : swapnilsaundarya@gmail.com shuklarishabh52@gmail.com वि नल स दय ई- ज़ीन म रचनाय भेजने व वि नल स दय ई- ज़ीन ( ई- प का ) म रचना

का शत कराने हेतु नयम :

े षत करते समय कृ ् या न न बात का

- रचना साफ - सु थर हो व Word Text Format अथवा Rich Text Format

यान रख -

पे लखी गई हो .

- भेजी गई रचना मौ लक , अ का शत व अ सा रत होनी चा हये. कसी भी प - प का से चु र ाई गई रचना कृ ् या न भेज. य द रचना चु राई गई है, और यह सा बत हो गया तो उ त यि त पर कोट म कारवाई क जाएगी. - रचना के साथ आपका पूरा नाम, पता, पनकोड व पासपोट साइज़ फोटो अव य भेज. - रचना पर शीषक के ऊपर मौ लकता के संबध ं म साफ - साफ लख अ यथा रचना पर वचार नह ं कया जाएगा. - रचना संपल फांट ( Font ) म लखी गई हो . - रचना भेजते समय अपने बारे म सं

त योरा ज र द . य द

लए रचना भेज रहे ह तो उस -

वि नल स दय ई-ज़ीन के कसी

थायी

तंभ के

तंभ का शीषक लखना न भूल .

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