Shivganga Newsletter April'22

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Newsletter April'22


बाबादेव हर गाँव में भीलों की आस्था का कें द्र हैं। वर्ष भर में अनेक बार गाँव के लोग बाबादेव के स्थान पर एकत्रित होते हैं और परम्पराओं का वहन करते हैं। भील समाज भगवान शिव को बाबादेव के रूप में मानता हैं। उन्होंने बाबादेव के स्थान को भी फिर से हरा भरा करने का संकल्प लिया हैंI

ग्राम सड़क निर्माण

झाबुआ के गोमला गाँव के लोगों ने मिलकर बाबादेव की पहाड़ी पर हलमा करके 2 किलोमीटर लम्बा रास्ता बना दिया। 2 महीने पहले एक बैठक में गोमला गाँव के परमार्थी लोग शामिल हुए और मन में बाबादेव के स्थान को पुनर्जीवित कर सुगम बनाने का संकल्प लेकर गए। वापस गाँव लौट कर उन्होंने गाँव के प्रत्येक परिवार से 1000 रुपये का फाला (सामाजिक सहभागिता से कार्य करने की एक परंपरा) इकट्ठा किया और सड़क निर्माण की उचित व्यवस्थाएं जुटाकर यह कार्य कर दिया।


हलमा- तालाब निर्माण

इस माह ग्राम थुवादरा में हलमा से 200 फीट चौड़े और 20 फीट गहरे तालाब का निर्माण संपन्न हुआ। इस तालाब की जल ग्रहण क्षमता 3 करोड़ लीटर एवं के चमेंट एरिया 0.7 वर्ग किलोमीटर हैंI जन भागीदारी से बने इस तालाब को 40 ग्रामवासियों ने हलमा कर बनायाI सेवानिवृत्त प्रोफे सर श्री वी.के . डाँगे जी ने पेंशन से संग्रहित पाँच लाख रुपये का योगदान देकर, इस तालाब को अपनी बहिन और भाँजे की स्मृति में समर्पित कियाI हलमा से अब तक झाबुआ के वनवासियों ने 84 तालाब बनाए हैं, जिसमें वर्ष भर में 840 करोड़ लीटर पानी संग्रहित होता हैं। इस वर्ष भी उन्होंने 20 तालाब बनाने का लक्ष्य लिया हैं। झाबुआ के वनवासी निरंतर इसी प्रकार से पांचों देव - जल, जंगल, जमीन, जानवर, जन का संवर्द्धन कर झाबुआ को समृद्ध कर रहे हैं।

जल संवर्धन


नव विज्ञान कार्यशाला

शिवगंगा गुरुकल धरमपुरी में सामाजिक उद्यमिता एवं कौशल विकास में एक ओर उपक्रम - लेथ मशीन का प्रशिक्षण वर्ग का प्रारम्भ हुआ। लेथ मशीन के अनुभवी प्रशिक्षक इंदौर के श्री तुलसीराम डागुर एवं उनकी टीम द्वारा यह प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण में लेथ मशीन से हम क्या क्या बना सकते हैं, एवं उपयोग के तरीके के बारे में बताया गया। इसी क्रम में शिवगंगा झाबुआ संजीवनी कें द्र पर सामाजिक उद्यमिता बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें 3 गाँवों से 10 लोग सम्मिलित हुए। बैठक में श्री सत्यजीत पटेल जी ने सामाजिक उद्यमिता की प्रारम्भिक चर्चा की एवं आगे की योजना बनाई । दो अन्य बैठकों में 4 गाँवों से 69 महिलायें सम्मिलित हुई, जिसमें वर्गाथियों ने 'अनास' घट्टी की उपयोगिता एवं सामाजिक उद्यमिता में महिलाओं की सहभागिता के बारे में जानाI

सामाजिक उद्यमिता


हलमा

शिवगंगा झाबुआ द्वारा जल आन्दोलन विषय को लेकर झाबुआ कि श्रेष्ठ परम्परा हलमा के माध्यम से पानी बचाने कि शुरुआत 2009-10 से हुई। हलमा के माध्यम से सामाजिक सशक्तिकरण का प्रयास तब से लगातार झाबुआ की हाथीपावा पहाड़ी पर हो रहा हैं। हाथीपावा पर ग्रामवासियों ने 141000 कं टूर ट्रेंच बनाकर अब तक लगभग 1200 करोड़ लीटर जल का संरक्षण किया हैं। उस सामूहिक हलमा के परिणामस्वरूप गाँवों में 50-50 दिनों तक हलमा करके ग्रामवासियों ने 84 तालाब बना दिए, जिनकी कु ल धारण क्षमता 480 करोड़ लीटर है। इस जल धारण से सिंचाई होने लगी हैं, जमीन का जल स्तर बढ़ गया हैं, समाज में सामूहिकता, परमार्थ, स्वाभिमान जैसे संस्कारों का पुन: जागरण हो रहा हैं।

वनीकरण जल संवर्धन


हलमा

इस बार झाबुआ जिले के ग्रामीण कार्यकर्ताओं ने विचार किया कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर हलमा कर समाज में बड़ा बदलाव लाया जा सकता हैं। इसी हेतु रामा विकासखंड के लिमखोदरा गाँव में 17-18 अप्रैल को हलमा का आयोजन किया गया। जिले के 300 गाँवों से 4000 ग्रामवासी सपरिवार हलमा में शामिल हुए। यह हलमा झाबुआ के पारंम्परिक बाबा देव में से एक विशिया डूँगर पहाड़ी पर संपन्न हुआ। जहाँ ग्रामवासियों ने कं टूर ट्रेंच बनाकर विशिया डूंगर को अगले 5 सालों में पुनः हरा भरा करने का संकल्प लिया। इस कार्यक्रम की तैयारी के लिए शिवगंगा के 300 गठनायकों द्वारा पिछले 15 दिनों से समय दान करके लगभग 11000 परिवारों को हलमा में आने का निमंत्रण दिया गया। ग्रामीणों में हलमा परम्परा को लेकर अत्यंत उत्साह हैं। हलमा ग्राम समृद्धि की एक नई गाथा लिख रहा हैं।

जल संवर्धन


हलमा

विशिया डूँगर हलमे में ग्रामवासियों के साथ-साथ इंदौर शहर से नगरवासियों की टीम, इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला कें द्र- नई दिल्ली ( Indira Gandhi National Centre for the Arts ), ऋषिहुड यूनिवर्सिटी (Rishihood University) - सोनीपत से विद्यार्थियों की टीम, (National Commission for Scheduled Tribes ) राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के माननीय सदस्य श्री अनंत नायक उपस्थित रहे। इस प्रकार 'हलमा' ग्राम और नगर वासियों के अद्भुत संगम का भी माध्यम बना। कार्यक्रम में पद्मश्री श्री महेश शर्मा ने कहा की भील, भिलाला, पटेलिया जनजाति समाज उपदेश देकर नहीं कर्म करने से भारत का गुरु हैं। परमार्थ मानवता की सबसे ऊँ ची चोटी हैं, उस ऊँ ची चोटी पर जनजाति समाज पहले से ही पहुँचा हुआ हैं। उसे किसी की भलाई करने का उपदेश देना सूरज को दीपक दिखाने जैसा हैं।

जल संवर्धन


कार्यक्रम एक झलक............


कार्यक्रम एक झलक............


कार्यक्रम एक झलक............


इस माह ग्राम गोमला, उमरकोट, झकनावद एवं बामनिया करवड में कें द्र बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें 39 गाँवों के 79 ग्रामवासी सम्मिलित हुएI भाबरा, थांदला, पिटोल, रामा, रानापुर एवं भाभरा कत्तीवाडा में विकास खंड बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें 119 गाँवों के 254 कार्यकर्ता सम्मिलित हुएI

विकासखंड एवं कें द्र बैठक

बैठक में श्री महेश शर्मा जी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए मानगढ़ पर्वत पर शहीद हुए भीलों के बलिदान गाथा सुनाई। गाँव के कार्यकर्ताओं को हलमा का निमंत्रण दे कर अपने अपने गाँव में हलमा के लिए संपर्क की योजना बनाई गई । विकास खंड बैठक में प्रत्येक विहार से आने वाले लोगों की संख्या, वाहन व्यवस्था व विहार बैठकों की तारीखें तय की गई।


अटल बिहारी वाजपई सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान, भोपाल द्वारा 8-9 अप्रैल को सतत विकास में भागीदारी एवं अनुभवों को साझा करने हेतु स्वयंसेवी संस्थाओं का सम्मेलन आयोजित किया गया। उद्घाटन सत्र मध्यप्रदेश के माननीय राज्यपाल महोदय श्री मंगुभाई पटेल की गरिमामयी उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में पद्मश्री श्री महेश जी शर्मा ने

अन्य कार्यक्रम

उद्बोधन में कहा कि भारतीय समाज की विशेषता हैं कि भारत का समाज सरकार मुखापेक्षी नहीं हैं, सरकार की ओर नहीं देखता, समाज अपने दम पर अनेकानेक काम करता रहता हैं,ऐसे स्वाभिमानी समाज के साथ सरकार की यह विशेषता हो कि वह समाज और संस्थाओं के साथ सहभागी बनकर काम करें I शिवगंगा समग्र ग्राम विकास परिषद की ओर से सम्मेलन में सामाजिक कार्यकर्ता श्री राजाराम कटारा, सामुदायिक वनाधिकार को लेकर कार्य कर रहीं सुश्री पूनम साय, झाबुआ में जमीन संवर्धन एवं नव-विज्ञान संवर्धन को लेकर कार्य कर रहे श्री सत्यजीत पटेल सम्मिलित हुए।


इस मकर सक्रांति An initiative of Sustainable

Development needs

Sustainable Support.

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