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सी यू ग्रीन

पर्यावरर्यावरण व्यवस्थावर शावरस्त

सी यू ग्रीन [आपर् कावर कल्यावरण भगवावरन प्रकृिति द्वावररावर करे ]

कृष्ण गोपर्ावरल िमिश

शी कृष्ण धावरमि, # 735, सेक्टर 39, गड ु गावरँव 122002 भावररति qualitymeter@gmail.com टे लीफोन 09312401302 [भावररति मिे ]

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सी यू ग्रीन

श्री गणेशाय नमः धम्मम शरणम ् गच्छािम, संघम शरणम ् गच्छािम, बुद्धम शरणम ् गच्छािम किपर्ल वस्तिु मिे जन्मिे , िसद्धावरथर्या गौतिमि, िजन्होंने धमिर्या (प्रावरकृितिक ज्ञावरन) और संघ (प्रेमि के सावरथ

सह अस्तिस्तित्व) और बद्ध ु त्व (सत्य की प्रावरिप्ति, यावर िनवावरर्याण) कावर सन्दे श िदयावर, बद्ध ु की िस्थिति प्रावरप्ति की।

वैज्ञावरिनक सोच आत्मि-बल है जो सवर्या-सुलभ, सरल, संवेदनशील, िनभर्याय और िवश्वव्यावरपर्ी है । जबिक कोई भी रावरजनैितिक संगठन, जो अस्तसुरक्षावर के कावररण बनतिे है, िस्थरतिावर के िलए िनयंतण

के कावरनून और सत्तिावर पर्र िनभर्यार रहतिे है। इन अस्तसुरों कावर संगठन मिजबूति तिो होतिावर है िकन्तिु उनमिे आत्मि-बल नहीं होतिावर। एक समिच ू ावर पर्वर्याति, आत्मिबल कावर प्रतिीक है और ईंटों और गावररे से

जुड़ कर बनी इमिावररति एक संगठन है । रावरजनीिति, पर्वर्याति के आत्मिबल को तिोड़ उसे पर्िहले ईंट

बनावरतिे है और िफर उसे अस्तपर्ने ही कावरनूनी गावररे से जोड़, एक इमिावररति बनावरई जावरतिी है । संगठन

इस तिोड़-जोड़ की िक्रियावर से ही िस्थर है । इन इमिावररतिों यावर संगठनों की रक्षावर यिद न की जावरय तिो ये िबखर सकतिे है। ये रावरजनैितिक िसद्धावरन्ति, जो भय, अस्तसुरक्षावर और शतति ु ावर के भावरव पर्र

आधावरिरति होतिे है, स्ट्रटे िजक (रण-नीिति, शतति ु ावर, अस्तसुरक्षावर, िरस्क यावर भय पर्र आधावरिरति) व्यवस्थावर कहलावरतिे है। स्ट्रटे जी यावर रणनीिति, िकसी भी कावरयर्या यावर व्यवस्थावर को, यद्ध ु -कलावर और शतु-भावरव से करने की एक िवस्मियकावररी सोच है ।

योद्धावर, शावरसक यावर व्यवसावरयी वे उदावरहरण है जो शतु को िमित से अस्तिधक मिहत्व इसिलए दे तिे है

क्योंिक वे शतु को हरावर कर ही शिक्तिशावरली बन सकतिे है। उनके िवचावरर मिे , केवल शतु ही इस योग्य है जो उनकी कमिजोिरयों को ठीक-ठीक जावरन सकतिावर है , जबिक िमित तिो उन कमिजोिरयों

को ढ़क ही दे गे। शतति ु ावर कावर लावरभ तिभी है जब उससे, िनष्पर्क्ष िविध से बल की तिल ु नावर कर कमिजोरी कावर पर्तिावर चले और उसे दरू िकयावर जावरय। शतति ु ावर यावर प्रितिरक्षावरत्मिक अस्तहं कावरर … मिन की वह अस्तशावरंति िस्थिति है जो िकसी के उकसावरने यावर जीवन पर्र संकट होने से ही पर्ैदावर होतिी है । सफलतिावर कावर कोई भी नशावर शतु यावर प्रितिस्पर्धी के िबनावर िस्थर नहीं रहतिावर। यह नशावर जब तिक

चावरय-कावरफी की तिरह रहे तिब तिक यह हावरिनकावररक नहीं है िकन्तिु शरावरब यावर हावरडर्या -ड्रग बन जावरय िजसके िबनावर जीिवति रहनावर संभव न हो तिब यह बीमिावररी है । आत्मिावर की िस्थिति िनिश्चंति और

गहरे जल की तिरह शावरंति है । तिप्ृ ति आत्मिावर के समिक्ष मिन की अस्तशावरंति तिरं गे , जल मिे लहरों की

तिरह उठतिी है और प्रिति​िक्रियावर कर वावरपर्स आ शावरंति हो जावरतिी है। बहुति बड़ी रावरहति यह है िक मिन की शावरंिति को नष्ट करने वावरले िवचावरर , अस्तहं कावरर यावर िनयंतण के कावरनन ू यावर अस्तन्य शतु-भावरव, कभी स्थावरयी नहीं रहतिे और इनकी गिति अस्तंतितिः आत्मिावर के सावरश्वति सत्य और प्रावरकृितिक धमिर्या मिे

ही िवलय हो जावरतिी है । आत्मि-ज्ञावरन स्थावरयी है िजसे कोई भी बद्ध ु यावर वैज्ञावरिनक, अस्तपर्ने आपर् खोजने मिे समिथर्या है और िजसके िलए िकसी शतति ु ावर, अस्तशावरंिति यावर अस्तसरु क्षावर से बने संगठनों की आवश्यकतिावर कभी नहीं होतिी।

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िसद्धावरन्ति यावर िनयमि कभी बनावरए नहीं जावर सकतिे क्योंिक ये पर्िहले से ही प्रावरकृ ितिक रूपर् मिे मिौजूद होतिे है और केवल उनकावर खोजावर जावरनावर ही बावरकी है । ईसावरक न्य ूटन िसद्धावरन्ति, जबिक एक व्यिक्ति की खोज है, िकन्तिु उससे

के गरु ु त्वावरकषणर्याण के

संसावरर के सभी प्रावरणी लावरभावरिन्वति है।

इसके िवपर्रीति, संगठनों यावर रावरष्ट्र के रावरजनैितिक कावरनन ू , जो चन ु े हुये प्रिति​िनिध यावर योद्धावर यावर व्यवस्थावर के अस्तिधकावररी िमिल कर बनावरतिे है, की उपर्योिगतिावर सीिमिति होतिी है । यही कावररण है िक स्ट्रटे जी यावर रण-नीिति कभी िस्थर नहीं होतिी और इसके कावरयावरर्यान्वयन मिे सरकावररों और उनके अस्तिधकावरिरयों की एक फौज भी कमि है । कावरनून के बल पर्र, एक छोटावर सावर घर भी नहीं चलावरयावर

जावर सकतिावर, तिब वह रावरष्ट्र यावर दे श िजसमिे मिनुष्यतिावर कावर िवकावरस हो चक ु ावर हो, कब तिक सफल होगावर? रावरष्ट्र यावर सरकावररे जो धन छावरपर्तिीं है, शावरसन करतिीं है, भ्रष्टावरचावरर के िलये कुख्यावरति भी है

और, इसके बावरवजूद वे आिथर्याक घावरटे मिे रहतिीं है। यिद संसावरर मिे मिनुष्यतिावर कावर िवकावरस हो गयावर तिब सरकावररों कावर अस्तिस्तित्व ही नहीं होगावर। मिहावरभावररति मिे , रावरष्ट्र यावर िकसी भी संगठन को धावररण

करने वावरले को नेत-हीन ‘धति ृ -रावरष्ट्र’ की संज्ञावर दी है जो कमिर्या -फल से मिोिहति हो उसकी रक्षावर के

िलए यद्ध ु कावर कावररण बनतिे है। धति ृ -रावरष्ट्र, िबनावर संयमि (सम्यक दृष्टिष्ट, संजय की दृष्टिष्ट) के मिहावरभावररति के सत्य को दे ख भी नहीं सकावर थावर।

प्लेटो के िवचावरर िरपर्िब्लक नावरमि के पर्ुस्तिक मिे पर्ढ़े जावर सकतिे है। पर्ावरिलिटक्स, अस्तसभ्य समिावरज के शावरसन-िविध की रचनावर है । भावररतिीय िजसे म्लेक्ष यावर अस्तिवकिसति सभ्यतिावर कहतिे थे प्लेटो ने उसे इम्पर्रफ़ेक्ट सोसावरइटी कहावर। इम्पर्रफ़ेक्ट सोसावरइटी मिे पर्ावरिलिटक्स कावर लक्ष्य जावरनवरों (अस्तसुरित क्षति िकन्तिु स्वतिंत) यावर अस्तिनयंितति व्यिक्तियों को ... पर्शु (पर्ावरश मिे बंधे िकन्तिु सुरित क्षति)

यावर िनयंितति व्यिक्तियों मिे बदलावर जावरनावर थावर। िनयमि और कावरनन ू से बंधे इन पर्शुओं को अस्तँग्रेजी मिे पर्िब्लक कहतिे है और िजनके लड़ने वावरले गुण के कावररण ही शावरसन की आवश्यकतिावर पर्ड़तिी है । पर्श-ु व्यवस्थावर यावर पर्िब्लक-िसस्टे मि को आज भी िरपर्िब्लक कहतिे आ रहे है, और पर्ॉलिलिटक्स

उसके ही शावरसन िविध कावर नावरमि है । मिनष्ु य िजसकावर मिन संयिमिति हो, कभी पर्शु नहीं होतिावर क्योंिक उसमिे लड़ने कावर स्वभावरव नहीं होतिावर इसिलये, पर्ॉलिलिटक्स से वे दरू रहतिे है। अस्तसभ्य

समिावरज मिे इस िरपर्िब्लक यावर संगठन से िनयंतण की स्थावरपर्नावर कर, जावरनवरों को पर्शु बनावरने की

प्लेटो की सोच अस्तिति सरावरहनीय है िकन्तिु यह व्यवस्थावर पर्शु यावर पर्िब्लक बनावरये गये जीवों को, मिनुष्य बनावर पर्ावरने मिे िबल्कुल भी समिथर्या नहीं है । आत्मिावर की पर्ुकावरर इन पर्शुओं को कभी न कभी मिनुष्य बनने पर्र िववश अस्तवश्य करे गी।

सोक्रिावरटीस (बीसी -469 से -399) के अस्तनुयावरइयों, प्लेटो–एिरस्टॉलटल-आलेक्सेद्र ने, रण के िलए

िवख्यावरति, ग्रीक मिे रावरजनैितिक संगठन बनावर, कावरनून के भय पर्र आधावरिरति, िरपर्िब्लक की स्थावरपर्नावर की। इस संगिठति सत्तिावर यावर सरकावररों ने , िनयंतण मिे रखे उन जीवों िजसे पर्िब्लक

कहावर गयावर को सशतिर्या जीने की स्वतिन्ततिावर कावर अस्तिधकावरर िदयावर। उनके ही समिकावरलीन, भावररति मिे गौतिमि बद्ध ु (बीसी -563 से -483) के अस्तनय ु ावरयी सम्रावरट अस्तशोक ने, शावरंिति की स्थावरपर्नावर के िलए,

धमिर्या की नींव पर्र मिनुष्योिचति संघ कावर िनमिावरर्याण िकयावर। भावररति, जब िवश्व कावर मिहावरन दे श थावर, तिब वहावरँ यह मिावरन्यतिावर थी िक धमिर्या (प्रावरकृितिक ज्ञावरन) से संघ (प्रेमि के सावरथ सह अस्तिस्तित्व) और, इस भयमिुक्ति समिावरज से ही बद्ध ु त्व (सत्य की प्रावरिप्ति, यावर िनवावरर्याण) संभव है ।

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म्लेच्छों मिे संगठन के कावरनूनों कावर उद्देश्य, प्रावरकृितिक ज्ञावरन की खोज नहीं, बिल्क उनके द्वावररावर

बनावरए गए कावरनून के सफलतिावर के अस्तहं कावरर, और स्ट्रटे जी (रण-नीिति) कावर प्रदशर्यान है । कावरनन ू , भय कावर ही उपर्करण है और दं ड व्यवस्थावर के दरु ु पर्योग से ही सरकावररों के बल की विृ द्ध होतिी है । रावरजनैितिक कावरनन ू , प्रिति​िक्रियावर करतिे है और िबनावर अस्तपर्ने स्वभावरव को बदले संसावरर को

बदलनावर चावरहतिे है। संगठन मिे आत्मि-बल मिे हुये िनरं तिर हावरिन कावर पर्यावरर्याप्ति प्रमिावरण यही है िक शावरसन िबनावर धन-बल, और धन-बल िबनावर शावरसन, नहीं चल सकतिे। धति ृ -रावरष्ट्र की तिरह संवेदनहीन हुये िबनावर यावर िबनावर धन, संगठन मिे शावरसन चलावरयावर ही नहीं जावर सकतिावर। िसद्धावरन्ति रूपर् मिे, जनतिावर और शावरसक, अस्तच्छे व्यावरवसावरियक शतु होतिे है और यही शतति ु ावर ही संगठन यावर

रणनीिति कावर आधावरर है । िबनावर िकसी शतु-भावरव, संगठन कावर बननावर संभव ही नहीं है क्योंिक अस्तसुरों पर्र भरोसावर तिभी िकयावर जावर सकतिावर है जब वे अस्तसुरित क्षति हों। यिद अस्तसुरों मिे एक दस ू रे

अस्तसुर से प्रितिस्प्रधावर कावर डर न हो तिब संगठन के शिक्ति से अस्तसुर शावरसक और भी िनरं कुश हो

सकतिे है। िरपर्िब्लक की व्यवस्थावर मिे सेनावर (defense), शावरसन (executive), संिवधावरन (parliament) और कावरनून-सम्मिति दं ड-नावरयक (judiciary) एक दस ू रे को पर्ैनी नजर से दे खतिे रहतिे है। अस्तिवश्वावरस और स्वावरथर्या के बलों मिे टकरावरव से बने शावरसन को दश्ु शावरसन इसिलए ही कहतिे है। धन यावर बल, को दय ु ोधन (दिू षणति धन/बल) इसीिलए कहतिे है।

कावरयर्या को रणनीिति की तिरह करतिे रहने से जीव की ब ुिद्ध कंु िठति हो जावरतिी है और उनकावर हर

एक िदन बरावरबर अस्तिनिश्चति रहतिावर है । िबनावर िनभर्यायतिावर यावर िनिश्चंति हुये िबनावर, क्यावर कोई िवकावरस हो सकतिावर है ? व्यवस्थावर (व्यय के िलए िस्थति) से बने संगठन, इस तिरह, अस्तसरु ित क्षति होने के सावरथ ही िनबर्याल हो, व्यय हो जावरतिे है। संगठन स्वयं ही अस्तपर्नावर शतु भी है जो यावर तिो उसे नष्ट

कर दे तिावर है यावर शावरसक को बदलतिे रहने के िलए यत्न करतिावर है । मिहावरभावररति मिे कौरव कावर इितिहावरस यह िसखावरतिावर है िक संगठन, व्यिक्ति के स्वभावरव को नहीं बदल सकावर बिल्क उसे और भी िनबर्याल और लावरलची बनावर, शावरसन के तिंत को मिजबूति करतिावर रहावर। आज भी यह स्पर्ष्ट है िक िनरं कुश संगठन जैसे

बैको

कावर आिथर्याक िनयंतण, और सरकावररों कावर कावरनन ू ी भय और

भ्रष्टावरचावरर, और व्यवसावरिययों और बड़े उद्योगों कावर नैितिक वचर्यास्व लगावरतिावरर कमि ही हो रहावर है ।

अस्तमिरीकावर और भावररति जैसे दे श जो प्रावरकृितिक संसावरधन और ज्ञावरन से भरे है , नावरहक ही बैको से

िनिमिर्याति आिथर्याक मिंदी, धन पर्र िनभर्यार मिावरँग-आपर्िू तिर्या, सट्टावर बावरज़ावरर की अस्तिस्थरतिावर, और कावरनन ू ी-

तिंत के भ्रष्टावरचावरर के भ्रमि को लेकर िचंितिति है। व्यवस्थावर मिे उथल-पर्ुथल तिो होगावर ही। ध्यावरन रहे िक संगठन जैसे सरकावररे, बैक और व्यावरवसावरियक संस्थावरएं, मिनष्ु य कावर सावरथ कभी भी छोड़ सकतिी है, िकन्तिु आत्मिावर कावर प्रेमि, प्रावरकृितिक िनयमिों कावर ज्ञावरन और पर्यावरव र्या रण ही उनके जीवन को बचावरएगावर।

भय यावर अस्तसुरक्षावर ही, संगठन को जोड़ कर रखतिी है । आिथर्याक बल और प्रावरकृितिक ज्ञावरन कावर

पर्ावररंपर्िरक उपर्योग, अस्तस्त शस्त और यद्ध ु के िलए ही हुये थे। पर्थ् ृ वी के अस्तिधकतिर भावरगों मिे , िमि​िलटरी कावर आदशर्या ही व्यवसावरय और शावरसन कावरयर्या मिे अस्तपर्नावर िलए गए। दष्ु टों कावर संगठन छोटावर होने पर्र भी, बहुति मिजबूति होतिावर है , इसिलए वे बहुसंख्यक, िकन्तिु प्रावरकृितिक जीवन शैली

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पर्र िनभर्यार अस्तसंगिठति और िनिश्चंति , लोगों पर्र आसावरनी से िनयंतण कर लेतिे है।

सी यू ग्रीन

आत्मिावर जो

सभी प्रावरिणयों मिे अस्तिभन्न है, कावर ज्ञावरन यावर सत्य ... लोगों को स्वावरभावरिवक प्रेमि और दयावर से जोड़ दे तिावर है । इसे कुल यावर संघ कहतिे है जो िनिश्चंति और अस्तसंगिठति रहने पर्र भी नष्ट नहीं

िकयावर जावर सकतिावर। जोड़ के यह दो ही प्रकावरर है... पर्िहलावर, िनयंतण और िनदर्या यतिावर से मिजबूति िकयावर गयावर िकन्तिु अस्तस्थावरयी; और दस ू रावर, अस्तिति-संवेदनशील िकन्तिु स्थावरयी है ।

ध्यावरन रहे िक संगठन के कावरनन ू , तिब तिक ही कावररगर है, जब तिक शतति ु ावर यावर प्रितिस्प्रधावर यावर लावरलच कावरयमि है । क्योंिक इस शतति ु ावर के भावरव से, उन कावरनूनों को शिक्ति िमिलतिी है जो उनके

बीच समिझौतिावर के आधावरर बनतिे है। पर्ंचतिंत की वह गावरथावर कभी नहीं भूलनी चावरिहए िक कैसे दो िबिल्लयों के बीच रोटी के बरावरबर बँटवावररे के िलए, बंदर ने वह सावररी रोटी इसिलए खावर ली क्योंिक रोटी को जब भी तिोड़ कर तिरावरजू पर्र रखावर जावरतिावर, कोई न कोई िहस्सावर बढ़ ही जावरतिावर

थावर। पर्ुरावरतिन कावरल से, सरकावररे मिनुष्यों की स्वावरभावरिवक लावरलच और उनके बीच की शतति ु ावर कावर लावरभ उठावरतिी है, और वे जनतिावर पर्र कावरनून और मिुद्रावर (धन के प्रतिीक) द्वावररावर शावरसन करतिी आयी है। कावरनून कावर भय, मिनष्ु यों मिे पर्रस्पर्र िवश्वावरस के न होने की दशावर मिे, और शतति ु ावर को

समिझौतिे मिे बदलने के िलए और उसे बनावरये रखने के िलए , एक आवश्यक व्यवस्थावर है । जबिक िकसी भी समिस्यावर कावर, यह, समिावरधावरन नहीं है ।

व्यवसावरय और रावरष्ट्र-िहति मिे ये समिझौतिे के रावरजनैितिक कावरनून कावररगर हो भी सकतिे है, िकन्तिु पर्यावरर्यावरण के धमिर्या प्रावरकृितिक और सनावरतिन है। इसिलए,

ध्यावरन रहे , िक व्यवसावरियक यावर

रावरष्ट्रीय शतति ु ावर िनवावरर्याह की व्यवस्थावर हे तिु बने कावरनन ू , अस्तथर्या-शावरस्त, लेखावर और गिणति, तिकनीक यावर बल द्वावररावर िनयंतण के सावरधन, उन प्रावरकृितिक पर्यावरर्यावरण की संवेदनशील

व्यवस्थावर से िभन्न

होतिे है। पर्यावरर्यावरण व्यवस्थावर, कावरनन ू कावर, कोई रावरष्ट्रीय खेल, यावर प्रितिस्प्रधावर, नहीं है और, इसे

िबनावर संवेदनशील और वैज्ञावरिनक समिझ के, कभी नहीं िकयावर जावर सकतिावर। पर्यावरव र्या रण व्यवस्थावर मिे हमिावररी सोच उस तिरह नहीं होनी चावरिहए जैसे िक व्यवसावरियक, रावरजनैितिक

यावर रण-नीितिक

शतु-व्यवस्थावर (strategic approach of management) मिे। इसिलए इस व्यवस्थावर शावरस्त

को सरल, संवेदनशील और बोधगम्य बनावरयावर जावरनावर (self and system awareness) ही उिचति है । इस शावरस्त कावर उद्देश्य, मिनष्ु यों के सोच मिे बदलावरव कावर है , िजससे वे प्रावरकृितिक िवज्ञावरन

मिे रूिच ले , और उनके द्वावररावर िकये जावरने वावरले कावरयर्या प्रावरकृितिक धमिर्या के अस्तनुकूल बने । यिद यह नहीं होतिावर है , तिब, उनकी रक्षावर िकसी भी रावरजनैितिक कावरनन ू यावर न्यावरयावरलय से नहीं हो सकतिी । अध्याय के क्रम (Index of Content)

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1। प्रावरथन र्या ावर, पर्िरभावरषणावर और शब्द ज्ञावरन

सी यू ग्रीन

िजस तिरह अस्तशद्द ु जल पर्ीने से पर्ीिलयावर कावर रोग हो जावरतिावर है , उसी तिरह शब्द और वावरणी के अस्तशुद्ध बोलने, िलखने, और समिझने से मिनष्ु य की आत्मिावर पर्ीिड़ति हो जावरतिी है । मिनुष्य कावर

शरीर ही वीणावर है और प्रावरथन र्या ावर के कमिर्या उनकी वावरणी है। बुिद्ध (शी गणेश), शरीर रूपर्ी वीणावर को झंकृति करतिी है और वावरणी (सरस्वतिी), आत्मिावर (शी रावरमि) के िवचावररों को संसावरर मिे व्यावरपर्क

करने कावर मिावरध्यमि है । वावरणी की िनमिर्यालतिावर (मिल-रिहति अस्तथर्या, शुद्द, िनिश्चति) िजतिनी अस्तिधक

होगी, संसावरर मिे वह उतिने ही दरू तिक जावर सकेगी। इस वावरणी कावर उद्देश्य (लक्ष्य, लक्ष्यमिी), जीवों मिे पर्यावरव र्या रण व्यवस्थावर के प्रिति आध्यावरित्मिक रुिच है । इस िवज्ञावरन की समिझ और िवश्वसनीयतिावर की हावरिदर्या क प्रेरणावर, भगवावरन िशव है।

1.1

पर्यार्यावरण = पर्िर+आवरण। 'पर्िर' अस्तथावरर्याति िवशेषण यावर अस्तसावरधावररण और, 'आवरण' अस्तथावरर्याति सरु क्षावर कवच।

पर्िरशमि, पर्िरत्यावरग आिद शब्दों मिे 'पर्िर' शब्द कावर अस्तथर्या 'िवशेषण' ही है । पर्यावरर्यावरण, वह िवशेषण सुरक्षावर कवच है , िजसे हमि दे ख नही सकतिे जबिक, वह अस्तसावरधावररण है । यिद यह प्रावरकृितिक कवच हट जावरए तिो सभी प्रावरणी िजसमिे मिावरनव जावरिति भी है , वह समिावरप्ति हो जावरयगावर और लोग बीमिावररी, भूख और प्रकृिति की आपर्दावर से मिर जावरयग े े।

1.2 शास्त्र = स + अस्तस्त । िवज्ञावरन की उस पर्िवत िस्थिति को कहतिे है जो उस अस्तस्त से युक्ति हो िजसके मिावरध्यमि से उसकी अस्तपर्नी अस्तशुिद्ध यावर प्रदषण ू ण लगावरतिावरर दरू होतिी रहे | धमिर्या (प्रकृिति के िनयमि), सनावरतिन है जो कावरयर्या करतिे ही रहतिे है चावरहे लोगों को इसकावर ज्ञावरन हो यावर नहीं। िकन्तिु जो इन िनयमिों को जावरन लेतिे है उनके िनणर्याय उनसे िभन्न हो सकतिे है िजन्हे इसकावर ज्ञावरन नहीं होतिावर। यही ज्ञावरन, मिनष्ु यों

मिे स्वभावरव, अस्तथावरर्याति िनणर्याय की दृष्टढ़तिावर, कावर कावररण

है । यिद खोज कावर उद्देश्य, िविध यावर प्रावरप्ति ज्ञावरन के प्रकावरशन दोषणपर्ूणर्या होंगे , तिो उस ज्ञावरन पर्र

िनभर्यार, उनके िनणर्याय कभी दृष्टढ़ और संवेदनशील हो ही नहीं सकतिे और इसे , चिरत यावर स्वभावरव कावर पर्ितिति होनावर कहतिे है। िकसी भी प्रावरणी मिे अस्तपर्नावर बल नहीं होतिावर। स्वभावरव कावर िवकावरस ही बल है । बल, प्रावरकृितिक िनयमिों के ज्ञावरन से प्रावरप्ति

िनणर्याय की क्षमितिावर से उत्पर्न्न होतिे है। ट्रे न कावर चावरलक इसकावर

उदावरहरण है िक वह िबनावर शमि िकए, िकस तिरह, ट्रे न पर्र बैठे हजावररों यावरितयों को, हजावररों िकलोमिीटर की यावरतावर करावर दे तिावर है । गावरंधी कावर बल उनकावर सावरमि​ियक रावरजनैितिक ज्ञावरन और आत्मि िवश्वावरस ही थावर िजसके द्वावररावर उन्होने भावररति के करोड़ों लोगों को, जो गल ु ावरमिी की अस्तसह्य पर्ीड़ावर

से ग्रस्ति थे, प्रेिरति िकयावर और भावररति मिे जन-तिंत बन सकावर। और, यिद प्रावरकृितिक िनयमिों कावर ज्ञावरन न हो, यावर अस्तशद्ध ु ज्ञावरन हो, तिो कठोर से कठोर शावरसन, भय यावर शमि इसकावर िवकल्पर् नहीं है ।

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1.3

सन्यास = स न्य । यह कत्तिर्याव्य कमिर्या के िनधावरर्यारण, मिन की शावरिन्ति कावर उद्योग अस्तथावरर्याति

लक्ष्य पर्र ध्यावरन और है ।

तिकर्या द्वावररावर प्रावरकृितिक ज्ञावरन की शुद्धतिावर के सावरथ िनणर्याय लेने, की िविध

सन्यावरस, न्यावरस और न्यावरयावरलय मिे भी 'न्य' कावर अस्तथर्या 'शोध' कावरयर्या ही है । धमिर्या की खोज ही शावरस्त यावर सन्यावरस कावर लक्ष्य है ।

धमिर्या , कावररण और उसके प्रभावरव कावर दृष्टढ प्रावरकृितिक सम्बन्ध

(involuntary network of cause and effect) है , और इसके िवशेषण ज्ञावरन (अस्तथावरर्याति िवज्ञावरन, science or system) के बल पर्र ही मिनुष्य तिरह तिरह के सावरहिसक िनणर्याय ले सकतिावर है ।

धमिर्या, प्रावरकृितिक, अस्तव्यय यावर सनावरतिन है , और यह कभी नष्ट नहीं िकयावर जावर सकतिावर। इसिलए

बुिद्धमिावरन मिनष्ु य, धमिर्या की खोज और उसके शुद्ध ज्ञावरन के िलए सदै व ही प्रयत्न करतिे है। प्रकृिति के िनयमिों कावर ज्ञावरन, रावरित मिे दीपर्क की लौ है जो तिब तिक ही उपर्योगी है जब तिक

सत्य, सूयर्या कावर प्रकावरश नहीं िमिलतिावर। सत्य की इस खोज मिे प्रावरप्ति कमिर्या-फल, प्रावरकृितिक ज्ञावरन के वैसे प्रमिावरण है जैसे यावरती के पर्द-िचन्ह। पर्द-िचन्हों को िगनने वावरलावर यावरती, कभी आगे नहीं बढ़ सकतिावर। कमिर्या-फल से मिोह

कावर त्यावरग , सन्यावरस है ; क्योंिक ज्ञावरन की यावरतावर और कमिर्या -फल कावर

मिोह सावरथ-सावरथ नहीं हो सकतिे। भौितिक शावरस्त के एक ऋषिषण न्यूटन ने गरु ु त्वावरकषणर्याण के िसद्धावरंति यावर धमिर्या की खोज की, जो उनके जन्मि से पर्िहले भी थावर, और उनकी मित्ृ यु की बावरद आज भी

है । ज्ञावरन, ज्ञावरनी कावर स्वभावरव बन जावरतिावर है । प्रावरकृितिक ज्ञावरन की ठीक-ठीक समिझ यावर शद्ध ु तिावर, से

स्वभावरव िनरं तिर िवकिसति होतिावर रहतिावर है ; और आत्मिावर के सत्य की प्रावरिप्ति पर्र वह स्वभावरव , शावरंति (संति यावर अस्तंितिमि) हो जावरतिावर है । उसके कमिर्या-फल भी कहीं नहीं जावरतिे िफर उससे मिोह क्यों? ज्ञावरन कावर दरू ु पर्योग केवल वही कर सकतिावर है , िजसकावर स्वभावरव िवकिसति नहीं हो सकावर और वह कमिर्या फल से आसक्ति है । कमिर्या-फल के मिोह कावर त्यावरग और सत्य के मिावरगर्या पर्र िनरं तिर यावरतावर ही सन्यावरस है , इस से ज्ञावरनी, स्वभावरव यावर चिरत से, पर्ितिति नहीं होतिावर। 1.4 सत्य, सभी प्रावरिणयों मिे अस्तिभन्नतिावर कावर स्वतिः बोध है । जबिक प्रावरकृितिक ज्ञावरन, प्रावरिणयों मिे िभन्नतिावर कावर कावररण है । प्रेमि और अस्तिहंसावर, सत्य के ही अस्तनुभव है।

गुलावरब कावर फूल लावरल रं ग कावर इसिलए िदखतिावर है क्योंिक कोई दो दे खने वावरले उसे समिावरन प्रकावरश मिे दे खतिे है। रं ग गुलावरब मिे नहीं है वह सूयर्या कावर प्रकावरश के सावरति रं गों मिे से एक है । यिद उसे

गुलावरब को अस्तलग अस्तलग प्रकावरश मिे दे खे तिो गल ु ावरब कावर रं ग िभन्न हो जावरयगावर। प्रकृिति के प्रभावरव

अस्तथावरर्याति प्रकावरश के कावररण ही गल ु ावरब, लावरल रं ग कावर िदखतिावर है , और प्रकावरश के न रहने पर्र, उसकावर रं ग वह नहीं होतिावर। गुलावरब और वह व्यिक्ति दोनों ही सत्य है िकन्तिु प्रकावरश यावर

प्रावरकृितिक प्रभावरव के रहने व न रहने से , दे खने और िदखने वावरले दोनों को, िस्थितियावरँ िभन्न

िभन्न लगे गी। एक मिावरँ, अस्तपर्ने पर्त ु को पर्िहचावरन ही लेतिी है जबिक उसके पर्त ु कावर शरीर, आय,ु उसके बावरल के रं ग, व्यवहावरर, और वेश-भूषणावर कैसे भी हों। मिावरँ, अस्तपर्ने पर्ुत के सत्य कावर वणर्यान

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नहीं कर सकतिी और िभन्नतिावर िजसकावर वणर्यान संभव है वह, गल ु ावरब के लावरल रं ग की तिरह, सत्य नहीं है ।

प्रकृिति के प्रभावरव और ज्ञावरन यद्यिपर् िभन्नतिावर कावर भ्रमि पर्ैदावर करतिे है िकन्तिु सत्य अस्तथावरर्याति

आत्मिावर, सभी प्रावरिणयों मिे अस्तिभन्न है । ब्रह्मिावरंड मिे ग्रहों की दरू ी यावर समिीपर्तिावर, यावर समिय के नावरपर्, भावरषणावर और इितिहावरस की िभन्नतिावर भी प्रावरकृितिक प्रभावरव ही है, सत्य नहीं। सत्य से प्रकृिति के सभी प्रभावरव अस्तथावरर्याति,

तिीनों गुणो (सति रज तिमि ) कावर क्षय हो जावरतिावर है , और इस तिरह अस्तन्वेषणी

क्षितय (क्षय ित) योग द्वावररावर िनगुण र्या –सत्य अस्तथावरर्याति ब्रावरह्मिण बनतिावर है । सत्य, संवेदनशीलतिावर की चरमि अस्तवस्थावर है ।

जो सत्य को नहीं जावरनतिे और िजन्हे िकसी न िकसी प्रावरकृितिक प्रभावरव ने अस्तपर्ने ज्ञावरन से भ्रिमिति

कर िदयावर है वे, अस्तहं कावरर के कावररण मिहावरन उद्योग, यद्ध ु और घोर कमिर्या करतिे है। आत्मिावर के सत्य की प्रावरिप्ति, सभी प्रावरकृितिक प्रभावरव िजसमिे जीवन-मित्ृ यु के शावररीिरक और

मिावरनिसक

अस्तनुभव भी है, से मिुक्ति िस्थिति है । 1.5

व्यवस्था = व्य + स्थ । अस्तथावरर्याति व्यय के िलए िस्थति यावर अस्तस्थावरयी।

व्यवस्थावर, मिनष्ु यों द्वावररावर धमिर्या के ज्ञावरन के उपर्योग यावर दरू ु पर्योग को कहतिे है । उदावरहरण के िलए, भौितिक शावरस्त के िनयमि यावर प्रावरकृितिक धमिर्या यद्यिपर् नहीं बदलतिे , िकन्तिु मिशीन जो उससे

बनी एक व्यवस्थावर है , कभी स्थावरयी नहीं रह सकतिी और उसकी मिरम्मिति और बदलावरव जरूरी है । धमिर्या यावर प्रावरकृितिक ज्ञावरन के प्रयोग यावर दरू ु पर्योग के िलए, केवल मिनष्ु य कावर िववेक ही िजम्मिेवावरर

है , प्रकृिति यावर सनावरतिन धमिर्या नहीं । आग यावर पर्ावरनी कावर भी अस्तपर्नावर अस्तपर्नावर एक धमिर्या है जो जीवन के िलए आवश्यक है, िकन्तिु वे िवपर्दावर कावर कावररण भी है।

धमिर्या और व्यवस्थावर मिे िभन्नतिावर कावर यह ज्ञावरन बहुति आवश्यक है । जीव िवज्ञावरन और िचिकत्सावर व्यवस्थावर िभन्न िभन्न है। अस्तथर्या शावरस्त और अस्तथर्या-व्यवस्थावर (धन िनयंतण व्यवस्थावर, बैिकं ग) िभन्न िभन्न है । भौितिक िवज्ञावरन और तिकनीक भी िभन्न िभन्न होतिे है। धमिर्या की स्वावरभावरिवक िदशावर सत्य की ओर उन्मिुख है , जबिक व्यवस्थावर कावर उद्देश्य, धमिर्या की िदशावर को मिोड़, उसे

उपर्योिगतिावर तिक सीिमिति करनावर है । व्यवस्थावर इसी िलए, अस्तस्थावरयी रहतिी है और उसकी लगावरतिावरर

मिरम्मिति

की जावरतिी है , जबिक धमिर्या, स्वतिंत और सनावरतिन यावर स्थावरयी है ।

1.6 तापर् व्यवस्थावर मिे धमिर्या के अस्तसंति​िु लति होने से तिावरपर् यावर पर्यावरव र्या रण मिे मिल िजसे प्रदषण ू ण कहतिे है, उत्पर्न्न होतिे है। उदावरहरण के िलए, स्टीमि-इंिजन एक तिकनीकी व्यवस्थावर है जो मिेटलजी (धावरतिु के गुण), मिकेिनक्स (भौितिक बल) और थमिोडावरइनावरिमिक्स (ऊष्मिावर के िसद्धावरन्ति) जो प्रावरकृितिक

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िनयमि यावर धमिर्या है, से िमिल कर बनावर है । स्टीमि इंिजन के दघ र्या नावर के सभी कावररण, इन धमिों के ु ट अस्तसंतिुलन से ही हो सकतिे है। यही तिावरपर् यावर व्यवस्थावर कावर िवघटन है । अस्तवगुण, मिावरनिसक अस्तसंतिुलन और उससे होने वावरले दै िहक रोग, अस्तपर्रावरध, दध र्या नावरओं के कावररण को कहतिे है। ु ट पर्यावरर्यावरण मिे बदलावरव से रोग, अस्तपर्रावरध, दघ र्या नावरएं, और व्यवस्थावर की अस्तसंवेदनशीलतिावर कावर सीधावर ु ट सम्बन्ध है ।

धमिर्या के ज्ञावरन (यावर, प्रावरकृितिक िवज्ञावरन) द्वावररावर, जब मिनष्ु य अस्तपर्ने गण ु मिे हो रहे शभ ु और अस्तशभ ु पर्िरवतिर्यान िजसे वह बदल नहीं सकतिावर, के कावररण को जावरन लेतिावर है

तिब, वह पर्यावरर्यावरण को बदल

कर अस्तपर्ने गण ु ों मिे पर्िरवतिर्यान कर सकतिावर है और इससे, तिावरपर् और उसके दष्ु प्रभावरव समिावरप्ति हो जावरतिे है। पर्यावरर्यावरण की प्रावरकृितिक रचनावर ही, प्रकृिति है । प्रावरणी के गण ु भी पर्यावरर्यावरण पर्र ही िनभर्यार होतिे है ।

मिनुष्य के स्वभावरव मिे शावरंिति, आशमि (शमि रिहति), आत्मि बल, और स्थावरयी पर्िरवतिर्यान, िकसी

भी कावरयर्या कावर मिूल उद्देश्य है । तिावरपर् कावर होनावर इसके िवपर्रीति है , और यह अस्तसह्य है । मिावरनिसक

तिावरपर् यावर धमिर्या मिे अस्तसंतिुलन के अस्तभ्यस्ति शावरसक, औद्योगी और व्यवसावरयी, समिय बचावर कर, अस्तपर्ने िवशावरमि (शमि कावर िवकल्पर्) के िलए प्रयत्न

करतिे है, और पर्यर्याटन के िलए प्रावरकृितिक

स्थावरनों की खोज करतिे है। इसके िवपर्रीति कुछ लोग स्वभावरव से ही उद्योग और व्यवसावरय के उद्देश्यों मिे ही अस्तपर्ने

िवशावरमि, आशमि (शमि कावर न होनावर), और प्रसन्नतिावर और प्रावरकृितिक

पर्यावरर्यावरण को जीवन पर्द्धिति मिे अस्तपर्नावर लेतिे है।

यह दे खावर गयावर है , िक कुछ कावरयर्या, स्वमिेव ही आत्मि-बल के शोति होतिे है और िजतिनावर कावरयर्या

िकयावर जावरतिावर है , उतिनावर ही उत्सावरह और आत्मिबल बढ़तिावर है (work is source of energy), जबिक इनके िवपर्रीति िकन्ही अस्तन्य संतिावरपर् जनक कावरयों के करने से थकावरवट यावर आलस यावर आत्मिबल कावर ह्रावरस होतिावर है (work is sink of energy) और िजसे बावरहर से पर्ूितिर्या के िलए अस्तवकावरश और मिनोरं जन यावर नशे की आवश्यकतिावर होतिी है ।

2। प्राकृितक िसद्धांतों के ज्ञान से प्राप्त बल के उपर्योग और दरू ु पर्योग का रहस्य

मिावरनव, प्रकृिति कावर एक मिावरत ऐसावर जीव है जो अस्तन्य प्रावरिणयों की तिरह अस्तपर्नी रक्षावर के िलए शावररीिरक बल, गिति यावर घावरतिक िवषण पर्र नहीं, बिल्क बुिद्ध पर्र िनभर्यार है ।

जबिक प्रकृिति कावर

यह प्रयोग यावर चन ु ावरव, अस्तिति शेष्ठ है ; िकन्तिु मिनष्ु य इस िवशेषण बुिद्ध के द्वावररावर प्रकृिति के सनावरतिन िनयमिों की खोज कर, उसी के ज्ञावरन से, उसी प्रकृिति के संसावरधन और पर्यावरर्यावरण को

भी नष्ट कर सकतिावर है । इस तिरह, यह ज्ञावरन, मिनुष्य, प्रकृिति के प्रिति प्रेमि, शद्धावर यावर िवश्वावरस

की प्रेरणावर के बजावरय, उसकावर दरू ु पर्योग अस्तपर्ने ज्ञावरन के अस्तहं कावरर को बढावरने के िलए करतिावर है , और वही उसे पर्ितिति कर दे तिावर है ।

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मिनष्ु यों कावर इितिहावरस यह िसखावरतिावर है िक, ज्ञावरन पर्यावरर्याप्ति नहीं है और केवल ज्ञावरन से मिनष्ु य कावर स्वभावरव यावर चिरत नहीं बदल सकतिावर। जावरनवरों की तिरह, प्रावरकृितिक िनयमिों के ज्ञावरन के

दरू ु पर्योग से मिनुष्य आपर्स मिे , भय, अस्तसुरक्षावर और िनयंतण मिे जीतिे है, और मिर जावरतिे है । बुिद्ध के इस भयंकर दरू ु पर्योग के कावररण, सभी प्रावरिणयों मिे मिनष्ु य ही सबसे खतिरनावरक भी है ।

और वह प्रावरणी, मिनष्ु य होने पर्र भी, अस्तन्य जावरनवर की तिरह मिनोभूति 'किल्पर्ति' संसावरर मिे , प्रकृिति के िनयमि से अस्तसहावरय हो कर बंधावर ही रहतिावर है । आत्मिावर के सत्य और सभी जीवों मिे एक आत्मिावर कावर अस्तनुसंधावरन ही इष्ट है िजसके िलए ज्ञावरन एक सावरधन।

2.1 प्रावरकृितिक-ज्ञावरन के फल मिे आसिक्ति कावर कावररण, िनमिावरर्याण व्यवस्थावर और िनयंतण व्यवस्थावर मिे िभन्नतिावर, और व्यवस्थावरओं के अस्तसंति ु लन से क्लेश

1. एक पर्ावररंपर्िरक धावररणावर है िक प्रावरकृितिक िनयमिों के ज्ञावरन से शमि कमि िकयावर जावर सकतिावर

है । जैसे, भावररी वस्तिुओं को ढोने मिे पर्िहये के प्रयोग से आसावरनी होतिी है । इसी कावररण, लोगों की प्रावरकृितिक िनयमिों की खोज मिे, रुिच हुयी और, उनके प्रयोग से मिशीन बनावरए गए। यह व्यवस्थावर, िनमिावरर्याण कावरयर्या यावर वैज्ञावरिनक व्यवस्थावर है ।

2. चंिू क, मिशीन यावर तिकनीक के आिवष्कावरर से शमि कमि होतिावर है , इसिलए इनकी मिावरग ं भी

बढ्ने लगतिी है । और इस तिरह, अस्तिधक से अस्तिधक लोग, मिशीन पर्र िनभर्यार हो जावरतिे है, और, िजसके िबनावर जीवन किठन सावर हो जावरतिावर है । जो प्रकृिति के उस कावररण को नहीं

जावरन पर्ावरतिे िजससे जीव को आरावरमि तिो िमिलतिावर है िकन्तिु वह क्यावर है िजससे उसकी स्वतिन्ततिावर िछन जावरतिी है । जीव के कमिर्या की िदशावर यिद सत्य की ओर है तिब प्रकृ िति शमि भी हर लेतिी है और स्वतिन्ततिावर भी बढ़तिी है िकन्तिु अस्तसत्य की िदशावर मिे बढ़ने पर्र

प्रकृिति के िनयमि िबरोध मिे खड़े हो जावरतिे है , िजनसे शमि बढ़तिावर है , स्वतिन्ततिावर कमि होतिी है , और शतति ु ावर और िबरोध बढ़तिावर है ।

3. प्रावरकृितिक ज्ञावरन, जब िकसी तिकनीक यावर वस्तिु कावर रूपर् ले लेतिावर है तिब उसके उपर्योग

और दरु ु पर्योग पर्र उस वस्तिु यावर तिकनीक के िनमिावरर्याण-कतिावरर्या कावर वश नहीं होतिावर। अस्तस्त के आिवष्कतिावरर्या कावर उस अस्तस्त के उपर्योग यावर दरु ु पर्योग पर्र िनयंतण नहीं होतिावर। इसिलए

यह ध्यावरन दे नावर चावरिहए िक मिनष्ु यों की मिशीन यावर िकसी भी व्यवस्थावर पर्र अस्तत्यिधक िनभर्यारतिावर से उनके स्वतिन्ततिावर मिे कमिी यावर उनकावर

स्वभावरव नष्ट न हो। िनभर्यार प्रावरणी,

कभी चिरतवावरन नहीं होतिावर क्योंिक उसके िनणर्याय मिे प्रावरकृितिक स्वतिन्ततिावर और दृष्टढ़तिावर अस्तपर्ेित क्षति नहीं होतिी।

4. तिकनीक की एक और समिस्यावर यह भी है िक िकसी भी वस्तिु , मिशीन (िवशेषण रूपर् से

बड़े उद्योग) और अस्तथर्या-व्यवस्थावर, मिे जड़तिावर (inertia) होतिी है , और वे कभी भी ठीकठीक उतिनावर नहीं बनावर सकतिे िजतिनी आवश्यकतिावर (just-in-time) है , और वे यावर तिो मिावरंग से अस्तिधक, यावर कमि उत्पर्ावरदन करतिे है। जब मिावरंग, आपर्ूितिर्या से अस्तिधक होगावर तिब

लोग क्रिुद्ध (conflict) होंगे और यिद आपर्ूितिर्या, मिावरंग से अस्तिधक है तिब बरबावरदी (waste) होगी। घर मिे ठीक ठीक िजतिनी और जब आवश्यकतिावर होतिी है तिभी खावरनावर बनतिावर है

इसिलए खावरनावर बरबावरद नहीं होतिावर जबिक उद्योग, होटल की तिरह होतिावर है जहावरं मिावरंग-

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आपर्िू तिर्या मिे संतिुलन न रहने से मिल् ू य भी अस्तिधक होतिावर है , खावरनावर भी बरबावरद होतिावर है और व्यवस्थावर को संभावरलने की भी मिुसीबति।

5. आत्मि​िनभर्यारतिावर मिे अस्तसफलतिावर, और मिावरंग-आपर्ूितिर्या मिे अस्तसंतिुलन के कावररण, संसावरधनों की बरबावरदी, आपर्सी भरोसे मिे कमिी के कावररण आिथर्याक गिति मिे हतिोत्सावरह और अस्तिधक

लावरभ कमिावरने के कावररण भंडावरर करने से मिावरग ं -आपर्ूितिर्या की अस्तिस्थरतिावर और भी बढ़तिी है ।

व्यवस्थावर के यही दोषण है। व्यवस्थावर अस्तपर्नी रक्षावर करने मिे और भी अस्तसंवेदनशील हो जावरतिी है और उन मिल ू कावररण पर्र ध्यावरन नहीं दे तिी िजसके कावररण यह दग ु िर्या ति है ।

6. बावरज़ावरर मिे लेन-दे न की िक्रियावर, ठीक वैसे ही होतिी है जैसे िकसी सच ु ावरलक धावरतिु के तिावरर

(conductor) मिे िवद्युति कावर प्रवावरह (electric conduction, supply)। मिावरग ं कावर कावररण अस्तसमिावरनतिावर (voltage difference, demand) है जो

आपर्ूितिर्या (current,

supply) से पर्रू ी होतिी है । वस्तिु के लेन-दे न के इस कावरयर्या मिे रे गुलेशन, व्यवधावरन यावर प्रितिरोध (resistance) को ही मिूल्य (price) कहतिे है। जब मिावरंग (demand) और आपर्िू तिर्या (supply) समिावरन होतिे है तिब मिल् ं ू य िस्थर (fixed price) रहेगावर। जब मिावरग (demand) और आपर्ूितिर्या (supply) समिावरन नहीं होंगे तिब वही मिूल्य मिावरंग के बढ्ने से

बढ़े गावर और आपर्ूितिर्या बढ्ने से मिूल्य कमि हो जावरएगावर। जब आपर्ूितिर्या यावर मिावरग ं की मिावरतावर, अस्तनंति हो जावरयगी तिब मिल् ू य यावर तिो अस्तमिल् ू य हो जावरयगावर, यावर शन् ू य हो जावरयगावर। यही

कावररण है िक प्रावरकृितिक पर्दावरथर्या यावर वस्तिु यावर कावरयर्या , दोषण-मिुक्ति (zero defect) होतिे है वे अस्तमिूल्य है।

7. मिूल्य केवल उसी वस्तिु कावर हो सकतिावर है िजसके मिूल्यावरंकन के िलये कोई िविध हो। िजस वस्तिु कावर मिूल्यावरंकन ही नहीं हो सकतिावर है उसकावर मिूल्य भी नहीं होतिावर। मिावरँ -िपर्तिावर यावर प्रेमि सम्बन्धों कावर मिूल्य नहीं हो सकतिावर िकन्तिु िकसी शीषणर्या व्यावरवसावरियक यावर

शावरसकीय पर्द पर्र सदै व बनावर रहनावर कभी सरल नहीं होतिावर। मि ल् ू यावरंकन की आवश्यकतिावर

केवल तिभी होतिी है जब उस वस्तिु यावर व्यिक्ति को बदलनावर हो। अस्तवमिूल्यन कावर यह

भावरव ही मिूल्यावरंकन, है । वस्तिु यावर व्यिक्ति को बदलने कावर अस्तथर्या है िक वह, मिावरंग के अस्तनरू ु पर् अस्तब नहीं रह गयी। बावरज़ावरर के लेन -दे न मिे अस्तनपर् ु यक् ु ति वस्तिु यावर व्यिक्ति को बदलावर जावर सकतिावर है और लेनदावररी यावर दे नदावररी की यह मिावरतावर ही मिूल्य है । बावरज़ावरर मिे

मिूल्यावरंकन की इस िविध से लोगों मिे यद्ध ु नहीं होतिे और मिूल्य यावर मिूल्यावरंकन िविध ही समिझौतिे कावर आधावरर है । तिु ट-रिहति वस्तिु यावर व्यिक्ति िजसे बदलने की कोई आवश्यकतिावर नहीं होतिी, वह अस्तमिूल्य है । मिूल्य उसी कावर होतिावर है िजसके तिु टपर्ूणर्या पर्ावरये जावरने पर्र उसे बदलावर जावर सके और बावरज़ावरर मिे मिल् ू य यावर दे नदावररी इसी से तिय होतिी है ।

वस्तिु यावर उसकी उपर्योिगतिावर कुछ भी हो, मिल् ू य (price) कावर िनधावरर्यारण, उस व्यवस्थावर की िस्थरतिावर पर्र िनभर्यार है । मिूल्य यावर आिथर्याक-प्रितिरोध के मिूल्यावरंकन के 5 िसद्धावरन्ति है।

1. व्यवस्थावर मिे िनिहति जड़तिावर (inertia) से मिावरग ं -आपर्ूितिर्या कावर बरावरबर होनावर संभव नहीं है ।

एक मिशीन एक िदन मिे एक िनिश्चति मिावरतावर मिे ही कावरयर्या करतिी है जबिक मिावरग ं की

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मिावरतावर िनिश्चति नहीं होतिी। इस अस्तसंतिल ु न को बरबावरदी (waste) कहतिे है। यह िजतिनी अस्तिधक होगी, मिूल्य, उसी की भरपर्ावरई के िलए, उतिनी ही बढ़े गी। यह मिूल्य विृ द्ध, बरबावरदी को रोकने मिे सहावरयक है।

2. जो कावरयर्या प्रसन्नतिावर और िबनावर िकसी मिावरनिसक दबावरव मिे िकए जावरतिे है , उनको करने मिे शमि (effort) नहीं होतिावर। मिहावरन कावरयर्या, शमि से कभी नहीं हो सकतिे। िकन्तिु वे कावरयर्या जो

मिनुष्य की इच्छावर यावर प्रकृिति के िनयमिों के िवरुद्ध होतिे है , उनके मिूल्य, भय, लावरलच, िदखावरवावर यावर प्रितिस्प्रधावर, तिय करतिे है । एक भावररतिीय अस्तसहावरय मिजदरू के जीवन और िवश्व-िवख्यावरति अस्तमिेिरकी नतिर्याक और गावरयक मिावरइकेल जैक्सन की मित्ृ यु के उदावरहरणों मिे मिूल्य की िभन्नतिावर होतिे हुये, व्यावरवसावरियक िलप्सावर और शोषणण की यही सैद्धावरंितिक समिावरनतिावर है ।

3. वस्तिु कावर मिूल्य, उस वस्तिु से होने वावरली िबपर्ित्ति की संभावरवनावर (potential risk) और

भरपर्ावरई (risk liability, hostility) कावर नावरपर् है । इसी िसद्धावरन्ति के कावररण, अस्तस्त और िवषणैले पर्दावरथर्या, कावर मिल् ू य अस्तिधक होतिावर है । यह मिल् ू य विृ द्ध, िबपर्ित्ति को रोकने मिे

सहावरयक है। हवावरई यावरतावर मिहं गी इसिलए होतिी है िक एयर लावरइंस के पर्ावरस , दघ र्या नावर होने ु ट पर्र मिरने वावरलों के क्षिति की भरपर्ावरई के िलए धन होनावर चावरिहए। िचिकत्सकों पर्र

िवश्वावरस नहीं रहावर इसिलए क्षितिपर्िू तिर्या की िचंतिावर ने िचिकत्सावर को मिहं गी कर दी। सरकावररों के स्वावरिमित्व वावरले रे ल मिे रे लयावरती के यावरतावर कावर मिूल्य बहुति कमि होतिावर है क्योंिक वहावरँ यावरितयों के मिरने पर्र भरपर्ावरई नहीं दे नावर होतिावर।

4. मिूल्य िकसी वस्तिु यावर उसकी उपर्योिगतिावर की नहीं , बिल्क भूख की होतिी है । जो िजतिनावर

भूखावर होगावर, अस्तिधक मिूल्य दे गावर। जल उपर्योगी है िकन्तिु उसकी सुलभ प्रावरिप्ति, मिावरग ं को

बढ्ने नहीं दे तिावर; जबिक दल र्या हीरे कावर मिूल्य उस जल से अस्तिधक होतिावर है । इसी तिरह, ु भ जो लोग हमिेशावर नए नए वस्तिु कावर प्रयोग करतिे है, वे मिावरग ं इसिलए बढावरतिे है क्योंिक उनको अस्तपर्नी आवश्यकतिावर कावर सही-सही ज्ञावरन नहीं होतिावर। इसके िवपर्रीति, भावररति मिे िनिश्चति वेतिन पर्ावरने वावरले व्यिक्ति यावर खेितिहर िकसावरन की मिावरग ं िनिश्चति होतिी है और वस्तिओ ु ं के मिल् ू य कावर िस्थर रहनावर उनके िलए आवश्यक है । मिद्र ु ावर के िगरने यावर अस्तन्य कावररणों से हुयी मिूल्य विृ द्ध, इन पर्िरिस्थितियों मिे अस्तिधक िचंतिावर जनक है । मिूल्य, वस्तिु के मिावरंग-आपर्ूितिर्या मिे अस्तसमिावरनतिावर यावर अस्तसंतिुलन (demand-supply mismatch) को

िनयंितति करने कावर एक सावरधन है । प्रावरकृितिक आवश्यकतिावरये सीिमिति है और इन्हे पर्रू ी

करने के िलये बावरज़ावरर यावर सरकावररे नहीं बनतिीं। बावरज़ावरर बनने कावर कावररण अस्तसुरक्षावर, अस्तनावरवश्यक भख ू , अस्तसमिावरनतिावर यावर तिल ु नावर यावर िनयंतण की भख ू है जो अस्तन्तिहीन है।

5. भख ू , अस्तसमिावरनतिावर और िबपर्ित्ति और चावरिरितक पर्तिन (अस्तिवश्वावरस) को संभावरलने के िलए, िनयंतण की एक नयी रण-नीितिक व्यवस्थावर बनतिी है । यह िनयंतण व्यवस्थावर, कावरयर्या, सज ृ न यावर वस्तिु के िनमिावरर्याण की व्यवस्थावर से िबलकुल िभन्न होतिी है । और इसमिे अस्तिवश्वावरस, भय-लावरलच-प्रितिस्प्रधावर की िचंतिावरएँ मिख् ं यावर ु य है। यहावरँ मिल् ू य कावर आधावरर मिावरग

आपर्ूितिर्या नहीं होतिे, बिल्क उसकावर कावररण िनयंतण व्यवस्थावर की रक्षावर है । कावरनून-दं ड, तिावरपर्-तिौल,

दे न-लेन

measurement

12

मिे

मिुद्रावर

के

चलन,

और

सरकावररी

तिंत

(monetary

or

regulation and law enforcement) बावरज़ावरर मिे िबचौिलये है।


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इनके पर्ावररदशी और िनश्छल रण-नीितिक व्यवस्थावर न रहने से अस्तथर्याव्यवस्थावर कावर

खेल

उन लोगों से संचावरिलति होतिावर है जो पर्ितिति (चिरत हीन) ज्ञावरनी और मिहत्वावरकावरंक्षी अस्तपर्रावरधी है। शावरसन इसीिलये दश ु ावरसन कहलावरतिावर है । इसी डर से , गावरंधी, भावररति मिे और अस्तल्बटर्या आइन्स्टावरइन इसरावरईल के रावरष्ट्रपर्िति बनने के प्रस्तिावरव को स्वीकावरर न कर सके।

इस िनयंतण व्यवस्थावर की िस्थर सफलतिावर को क्वावरिलटी कहतिे है। व्यावरवसावरियक अस्तथों मिे , क्वावरिलटी, इस कमिर्या-क्षेत यावर धमिर्या-यद्ध ु मिे, मिूल्य पर्र आिशति समिझौतिे की सफलतिावर है ।

1. वस्तिु यावर कावरयर्या के क्वावरिलटी कावर अस्तथर्या अस्तब अस्तमिूल्य होनावर यावर दोषण-मिुक्ति होनावर नहीं रहावर

बिल्क मिल् ू य (उपर्रोक्ति पर्ावरंचों िसद्धावरन्ति के जोड़) दे कर ही वस्तिु की भख ू , िनमिावरर्यातिावरभोक्तिावर के पर्रस्पर्र अस्तिवश्वावरस और िबपर्ित्ति से रक्षावर हो सकतिी है ।

2. वस्तिु के मिहं गे होने कावर कावररण उपर्योिगतिावर नहीं होतिी बिल्क रक्षावर होतिी है । बोतिल-बंद पर्ावरनी कावर मिूल्य िकतिनावर भी बढ़ सकतिावर है क्योंिक जब जल के प्रावरकृितिक शोति न होंगे

तिब यही जल मिहं गी दवावर से भी अस्तिधक मिूल्यवावरन होगावर। मिहं गी कावरर इसिलए आवश्यक नहीं होतिी िक यावरतिावरयावरति मिे सुख हो, बिल्क यह व्यिक्ति के आिथर्याक यावर शावरसकीय पर्द के अस्तहं कावरर की रक्षावर है । शौक यावर शत ति ु ावर यावर प्रितिस्प्रधावर मिे सफलतिावर कावर

नशावर की रक्षावर की मिावरंग और आपर्ूितिर्या, प्रावरकृितिक नहीं होतिे और उनके मिूल्य को िनधावरर्यािरति करनावर भी सरल नहीं होतिे।

3. अस्तमिूल्य कावरयर्या यावर वस्तिुएं, यावर प्रावरकृितिक संसावरधन जो इस िनयंतण व्यवस्थावर से अस्तलग है, इसिलए लट ू यावर बबावरर्याद कर िदये गए क्योिक उनकावर मिल् ू य लेने वावरलावर कोई नहीं थावर।

पर्यावरर्यावरण के नष्ट होने से अस्तथर्या -व्यवस्थावर के खचे और शमि िनरं तिर

बढ्तिे रहतिे है , और िजन्हे

कमि करनावर इसिलए संभव नहीं है , िक मिनुष्यों कावर प्रावरकृितिक संवेदनशील स्वभावरव और संसावरधन नष्ट हो गए और वे पर्रू ी तिरह अस्तथर्या-व्यवस्थावर और मिशीनों पर्र िनभर्यार है।

इस अस्तवस्थावर मिे , प्रावरिणयों कावर न तिो क्लेश कमि हो सकतिावर है , और न िनयंतण व्यवस्थावर से उन्हे कभी स्वतिन्ततिावर ही िमिल सकतिी है । कुशावरसन, आतिंक, दघ र्या नावरएँ, आत्मि-हत्यावर आिद, ु ट व्यवस्थावर के दष्ु पर्िरणावरमि है। बीमिावरर अस्तथर्या-व्यवस्थावर के िवकावरस से कोई भी अस्तनथर्या संभव है ।

िजस िवज्ञावरन को मिनुष्यों ने कभी अस्तपर्नावर िमित समिझावर थावर, और शमि से बचावरव के िलए उसकावर उपर्योग िकयावर, अस्तब वे अस्तपर्ने ही कमिर्या-फल के बंधन मिे बन गए। इससे उसकावर शमि भी

बढ़

गयावर, अस्तसमिावरनतिावर और द्वेषण बढ़ गयावर, और यद्ध ु की िस्थिति आ गयी। इन अस्तप्रावरकृितिक बंधनों और अस्तसह्य िनयंतण व्यवस्थावर से मिनुष्यों मिे उत्सावरह, बुिद्ध, बल और प्रेमि कावर ह्रावरस होतिावर है । 2.2

ज्ञावरन की पर्ूणति र्या ावर, ज्ञावरन प्रावरिप्ति से अस्तिधक मिहत्वपर्ूणर्या है ।

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1. जब कावरयर्या सम्पर्ण ू र्या होकर शावरंति नहीं हो जावरतिे तिब तिक कावरयर्या अस्तधरू ावर रहतिावर है , और यह ही प्रदषण ू ण है ।

2. फ्लावरयी-व्हील की तिरह, प्रकृिति के वही िनयमि तिब, उलटे यावर प्रितिकूल िदशावर मिे चलने लगतिे है, और िफर, मिनष्ु य को प्रकृिति की िवपर्दावर कावर अस्तनुभव होतिावर है ।

3. यिद, इस िवपर्दावर कावर पर्व र्या मि ू ावरन ु ावरन नहीं िकयावर गयावर, और मिनष्ु य कावर स्वभावरव शद्ध ु नही हो

सकावर, तिब यही प्रदषण ू ण से बनी िवपर्दावर, पर्यावरर्यावरण के िलए खतिरावर बन सकतिी है , और िजससे सभी प्रावरणी नष्ट भी हो सकतिे है।

4. इस सिृ ष्ट अस्तथावरर्याति ब्रह्मि को मिनुष्य अस्तपर्ने ही बुिद्ध और ज्ञावरन के दरू ु पर्योग से प्रकृिति

के बल द्वावररावर ही समिावरप्ति कर सकतिावर है , और इन प्रितिकूल पर्िरिस्थयों को रोकनावर चावरिहए।

मिनुष्यों की सोच मिे यही बदलावरव, पर्यावरव र्या रण की व्यवस्थावर कावर एक मिावरत लक्ष्य है ।

2.3 तिकनीक यावर उद्योग, िवज्ञावरन कावर एक मिजबरू ी मिे िकयावर गयावर प्रयोग है । मिनष्ु य के बिु द्ध के िवकावरस मिे यह, एक बड़ी बावरधावर है ।

1. िजस तिरह, एक अस्तंग-हीन व्यिक्ति को व्हील-चेअस्तर िदयावर जावरतिावर है , उसी तिरह िवज्ञावरन, दयावरलुतिावर यावर मिोह के कावररण, बुिद्ध-हीन व्यिक्तियों को तिकनीक यावर उद्योग द्वावररावर, उनके कष्टों को दरू करतिावर है । यह िवकावरस नहीं है , बिल्क एक कृपर्ावर है ।

2. शेष्ठ वैज्ञावरिनक, उद्योग यावर व्यवसावरय यावर गोपर्नीय रण-नीिति के िलए ज्ञावरन कावर प्रयोग करने से बचतिे है । और

सत्य कावर आभावरस प्रावरप्ति होतिे ही

वे

दावरशिर्या नक यावर सरल

हृदयी किव यावर िशक्षक बन, प्रावरकृितिक जीवन के अस्तनुभव और ज्ञावरन को यथावर शिक्ति बावरँटतिे है।

3. िकन्तिु वे वैज्ञावरिनक, जो मिमितिावर वश दयावरलु होतिे है, वे मिनुष्यों के िलए तिकनीक कावर िवकावरस इसिलए करतिे है, िजससे लोग िवज्ञावरन यावर प्रकृिति के िनयमिों की सरावरहनावर करे

और प्रकृिति से प्रेमि और उस की शिक्तियों पर्र िवश्वावरस करनावर सीखे। और प्रकृिति के िनयमिों से प्रावरप्ति उस बल कावर प्रयोग अस्तपर्ने अस्तहं कावरर को बढावरने मिे न करे ।

4. दभ ु ावरर्याग्य से, जब, मिनष्ु य को तिकनीक यावर उद्योग पर्र िनभर्यार बनावर िदयावर जावरतिावर है , तिब उसे बुिद्ध के िवकावरस की आवश्यकतिावर नहीं रहतिी। और तिब, उससे क्रिूर, अस्तसंवेदी, और लावरलची समिावरज बन जावरतिावर है । धमिर्या कावर ज्ञावरन , शावरस्त यावर िवज्ञावरन, मिनुष्य की बुिद्ध को

तिीव्र और संवेदनशील बनावर दे तिावर है ; िकन्तिु उसकावर दयावरलु पर्त ु , तिकनीक, मिनष्ु य को अस्तप्रावरकृितिक सुरक्षावर दे , उसे और भी अस्तिधक अस्तसुरित क्षति और मिूखर्या बनावर दे तिावर है ।

5. तिकनीक के प्रयोग की अस्तबावरध स्वतिंततिावर, हावरिन-रिहति नहीं हो सकतिी, क्योंिक वह एक व्यवस्थावर है , धमिर्या नहीं। वह िदन दरू नहीं, जब कम्पर्ुटर यावर कल्कुलेटर के िबनावर लोग िगनतिी नहीं कर सकेगे , और िबनावर कलैडर यावर घडी के उन्हे रोज की ऋषतिुएं और िति​िथ कावर प्रावरकृितिक ज्ञावरन भी नहीं होगावर।

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िबजली के िबनावर, जीवन की कल्पर्नावर भी नहीं की जावर सकेगी । इसी तिरह, मिनष्ु यों कावर सावररावर प्रावरकृितिक ज्ञावरन और िवज्ञावरन, तिकनीक और उद्योग और िकितमि व्यवस्थावर से ढक जावरयेगावर और वे सदावर के िलए उस पर्र िनभर्यार बन जावरयग े े।

बुिद्ध के प्रयोग की यह िस्थिति, अस्तप्रावरकृितिक व्यवस्थावर और अस्तसंतिुलन कावर कावररण है । व्यिक्ति

िजसके पर्ावरस बन्दक ू है , क्यावर उसे िवकिसति कहनावर उिचति होगावर? बन्दक ू को बनावरने वावरले ने दयावरलति ु ावर के वशीभति ू , िवज्ञावरन कावर प्रयोग कर, बन्दक ू तिो बनावर िदयावर, िकन्तिु, इसके उपर्योग यावर

दरू ु पर्योग के िलए वह िनणर्याय नहीं ले सकतिावर। ज्ञावरन कावर यह अस्तधरू ावर कावरयर्या ही प्रदषण ू ण है , जो

प्रकृिति के िनयमि को इस तिरह बावरँध दे तिावर है , िक वही शिक्ति, प्रकृिति यावर सिृ ष्ट के प्रितिकूल भी हो सकतिी है । आज पर्रमिावरणु बोम्ब से डरने वावरले वही दे श है , िजन्होंने कभी उसकावर उत्पर्ावरदन िकयावर थावर। उद्योग के िवकावरस के कावररण हुए दध र्या नावरओं की संख्यावर, प्रावरकृितिक मित्ृ यु, यावर यद्ध ु मिे ु ट हुए मित्ृ यु से अस्तिधक है । उद्योग और मिल द्वावररावर निदयों कावर दिू षणति जल, मिनष्ु यों और अस्तन्य प्रावरिणयों के जीवन को नष्ट कर रहावर है । पर्थ् ृ वी पर्र शुद्ध जल के प्रावरकृितिक शोति समिावरप्ति हो रहे

है, और जल के बँटवावररे को लेकर िववावरद और यद्ध ु की संभावरवनावर बढ़ गयी है । वावरयु मिण्डल मिे तिावरपर्मिावरन विृ द्ध से, प्रावरकृितिक ऋषतिए ु ं बदल रही है, और मिनष्ु य उन िवपर्दावरओं कावर िशकावरर है ।

व्यवसावरय (िजसकावर नावरमि व्यय से ही बनावर है ) और धमिर्या (िजसकावर अस्तिस्तित्व सनावरतिन और जो अस्तव्यय है ), िकस तिरह पर्रस्पर्र सहयोगी बन सकतिे है, व्यवस्थावर के शावरस्त की आज यही चन ु ौतिी है ।

2.4 िजन दे शों मिे पर्ुरावरतिन कावरल से ही प्रावरकृितिक ज्ञावरन (धमिर्या) द्वावररावर मिनुष्य संवेदनशील और

प्रकृिति के िनयमिो को समिझ कर, िनरावरपर्द जीवन पर्द्धिति िवकिसति कर ली थी, उनमिे भी अस्तज्ञावरनतिावर के कावररण, उद्योग और तिकनीक को िवकावरस कावर प्रमिावरण मिावरन िलयावर है , और वे भी अस्तधमिर्या यावर अस्तप्रावरकृितिक औद्योिगक-मिावरनस के रोगों से पर्ीिड़ति हो रहे है।

िवज्ञावरन की खोज और

उद्योग द्वावररावर प्रावरकृितिक िवपर्दावर के अस्तनभ ु व द्वावररावर, जावरपर्ावरन यावर योरोपर् के दे शों मिे, प्रावरकृितिक जीवन दशर्यान के िवकावरस की अस्तिधक सम्भावरवनावर है , क्योंिक वे उद्योग, व्यवसावरय, तिकनीक के भयावरवह रहस्यों से अस्तब पर्िरिचति है। आज भी, भावररति के बचे-खुचे पर्ावररंपर्िरक ज्ञावरन और िनरावरपर्द जीवन पर्द्धिति उनके िलए सख ु द आश्चयर्या है।

3। पर्यार्यावरण के ५ तत्व और उनका लक्ष्य 3.1 पर्यार्यावरण के ५ तत्व पर्यावरर्यावरण के ५ तित्व होतिे है , प्रदषण ू ण िकसी एक यावर सभी मिे हो सकतिावर है । इन पर्ावरँच तित्वों को प्रदषण ू ण से बचावरनावर चावरिहए।

िछित जल पर्ावक गगन समीरा, पर्ञ्च रिचत यह अधम शरीरा || तुलसी दास

1. िछिति -> मिदृ ावर यावर जमिीनी प्रदषण ू ण, रावरसावरयिनक यावर अस्तिनयंितति जैवीय तित्व जो पर्थ् ृ वी के जीवनी शिक्ति को नष्ट कर दे तिी है िजससे तिरह तिरह के प्रावरणी और वनस्पर्ितियावरँ नष्ट हो जावरतिी है।

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2. जल -> जल कावर प्रदषण ू ण, पर्ावरनी के शोति को पर्ीने और खेतिी यावर अस्तन्य जीवनोपर्योगी कावरयों के िलए अस्तनुपर्योगी बनावर दे तिी है और उसकी उपर्लब्धतिावर कमि हो जावरतिी है ।

3. समिीरावर -> वावरयु प्रदषण ू ण, िजससे सावरँस लेनावर सम्भव नहीं होतिावर और, गैसों के वावरतिावरवरण मिे

फैलने से पर्थ् ृ वी को सूयर्या से प्रावरप्ति गमिी वावरपर्स नहीं जावर सकतिी, और पर्थ् ृ वी गमिर्या हो जावरतिी है ।

4. गगन -> ध्विन यावर हावरिनकावररक िविकरण, िजससे मिनुष्य सुन नही सकतिावर और बहरावर हो सकतिावर है ।

ध्विन यावर िवद्युति ् चम् ु बकीय तिरं गे, शरीर के अस्तंगों पर्र बरु ावर अस्तसर डावरलतिे है,

और ध्यावरन से कोई कावरमि नहीं िकयावर जावर सकतिावर ।

5. पर्ावरवक -> ऊष्मिावर - आग, िजसके के िनयंितति न रहने से आपर्ावरतिकावरल की िस्थिति हो जावरतिी है । 3.2 पर्यार्यावरण व्यवस्था का लक्ष्य - प्राकृितक शियोक्तयों का संतुलन पर्यावरर्यावरण व्यवस्थावर शावरस्त कावर मिूल उद्देश्य तिकनीक, व्यवसावरय यावर उद्योग की

व्यवस्थावर की

सुचावररू दे ख भावरल है , िजससे वह अस्तिनयंितति दशावर मिे न रहने पर्ावरए।

1. धावरिमिर्याक अस्तथावरर्याति प्रावरकृितिक िनयमिों मिे यद्ध ु स्वावरभावरिवक है । आग और जल कावर िवपर्रीति

स्वभावरव उन्हे एक सावरथ नहीं रहने दे नावर। इसी तिरह, पर्यावरर्यावरण के तित्व (िछिति - जल पर्ावरवक - गगन - समिीर) धमिर्या ही है, जो अस्तपर्ने-अस्तपर्ने िनयमि नहीं तिोड़ सकतिे इस िलए पर्रस्पर्र युद्ध करतिे है।

2. िकन्तिु उन पर्ावरँच तित्व िजनके धमिर्या िभन्न िभन्न है, उनसे बनी व्यवस्थावर अस्तथावरर्याति शरीर, सभी धमिर्या को िनयंितति िस्थिति मिे रखतिी है। क्योंिक, शरीर अस्तथावरर्याति व्यवस्थावर के लक्ष्य मिे ही धमिों कावर भी िहति है ।

3. प्रकृिति द्वावररावर मिनुष्य कावर शरीर और उसकी बिु द्ध, उन धमिो के भी मिूल कावररण की खोज के

िलए ही बनावर है । इसी मिजबूरी मिे , सभी धमिर्या, उस पर्रमि सत्य को प्रावरप्ति करने के िलए, व्यवस्थावर से बंध जावरतिे है। मिनष्ु य कावर शरीर भी एक व्यवस्थावर है िजसकावर मिख् ु य लक्ष्य सत्य की प्रावरिप्ति है और धमिर्या उसके सावरधन।

4. ध्यावरन रहे , िक धमिर्या अस्तथावरर्याति प्रावरकृितिक िनयमि यावर उनकी शिक्तियों को कभी भी बावरंधावर नहीं

जावर सकतिावर िकन्तिु यिद व्यवस्थावर कावर उद्देश्य सत्य हो, तिब व्यवस्थावर और धमिर्या कावर लक्ष्य अस्तलग अस्तलग नहीं होतिावर और

यह समिस्यावर नहीं आतिी; क्योंिक, सभी धमिर्या स्वतिः ही

अस्तनुकूल हो जावरतिे है।

5. शेष्ठ वैज्ञावरिनक यावर संति यद्यिपर् शतति ु ावर, आतिंक यावर कावरनून पर्र िनभर्यार नहीं होतिे; िफर भी, उनकावर जीवन संतिष्ु ट और प्रसन्नतिावर से भरावर होतिावर है , और यह प्रावरकृितिक (मिावरनिसक और शावररीिरक) पर्यावरर्यावरण की दे न है ।

6. इसकावर अस्तथर्या है , िक सफलतिावर के िलए दष्ु ट होनावर, और तिकनीक यावर धन के लावरलच मिे , प्रावरकृितिक संसावरधन और उसकी िक्रियावर कावर दरू ु पर्योग करनावर

आवश्यक नहीं है ।

धमिर्या यावर प्रकृिति, िक्रियावर और प्रिति​िक्रियावर (network of cause–effect) कावर िसद्धावरंति है ।

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1. भौितिक, मिनोिवज्ञावरन, जीव िवज्ञावरन, अस्तथर्याशावरस्त इत्यावरिद, मिावरत इसके उदावरहरण है। िकसी भी प्रभावरव को बल पर्ूवक र्या रोकनावर अस्तत्यंति किठन कावरयर्या है , िकन्तिु (cause of effect) यिद उनके कावररण मिे बदलावरव िकयावर जावरय, तिो प्रभावरव को तिुरंति और सरलतिावर से बदलावर जावर सकतिावर है ।

2. िवज्ञावरन के सावरधक, कभी भी, प्रभावरव को दे ख कर िवचिलति नहीं होतिे , क्योंिक वे उसके कावररण को खोज कर, उसकावर समिावरधावरन करनावर जावरनतिे है।

3. हर एक कावररण भी िकसी अस्तन्य कावररण कावर प्रभावरव है , इसिलए, कावररण के कावररण की िनरं तिर खोज करने की िजज्ञावरसावर और िनणर्याय की दृष्टढ़तिावर (analysis for determining the root cause) से उस मिूल कावररण को प्रावरप्ति िकयावर जावर सकतिावर है , िजसे जावरन कर, सावररे दष्ु प्रभावरव समिावरप्ति हो जावरतिे है।

4. मिूल कावररण (root cause, causeless cause, truth of self) स्वयं िसद्ध है , उसकावर कोई कावररण नहीं होतिावर, इसिलए, वह प्रावरकृितिक िनयमिों यावर धमिर्या से पर्रे है , और सभी धमिों के िलए एक ही है । अस्ततिः इसे सत्य कहतिे है।

5. सत्य, को अस्तिहंसावर (non-violation of natural laws) भी कहतिे है, क्योंिक यह (अस्तथावरर्याति मिल ू कावररण), एक यावर अस्तद्वैति ही हो सकतिावर है ; और जो सभी धमिों (कावररण -कमिर्याफल से बने द्वैति ) को िमिलावरने से ही

बनावर

है । और जब

यावर िहंसावर यावर दघ र्या नावर की सम्भावरवनावर कहावरँ से होगी? ु ट

दस ू रावर हो ही नहीं सकतिावर, तिो टकरावरव

यिद व्यवस्थावरएं, सत्य के खोज के प्रिति सपर्िपर्र्याति नहीं है , तिो धमिर्या यावर प्रकृिति के िनयमि और

बल, उन व्यवस्थावरओं को नष्ट करने के िलए सदै व ही स्वतिंत है। प्रदषण ू ण, प्रकृिति की ही वे

शिक्तियों है जो व्यवस्थावर के दरू ु पर्योग यावर उसकी अस्तिनयंितति िस्थिति मिे , उसे नष्ट करने के िलए बनी होतिी है।

उदावरहरण के िलए, गंदगी से मिच्छर पर्ैदावर होतिे है , मिच्छर से मिलेिरयावर, मिलेिरयावर िमिटावरने के िलए, औषणिध िनमिावरर्यातिावर। औषणिध िनमिावरर्यातिावर तिभी बनावर जावर सकतिावर है , जब जीव िवज्ञावरन और रसावरयन िवज्ञावरन की खोज की जावरय।

इस तिरह, प्रावरकृितिक िनयमिों के ज्ञावरन के बढ़ने से भी, समिस्यावर दरू

नहीं की जावर सकतिी । एक िवद्वावरन के रोगी बनने की सम्भावरवनावर अस्तिधक होतिी है , क्योंिक उसकी रुिच रोग की पर्िरभावरषणावर बनावरने और िचिकत्सावर ज्ञावरन मिे व्यावरवसावरियक रूिच, उसे स्वयं के स्वस्थ होने से अस्तिधक होतिी है । स्वस्थ होने के िलए, गंदगी को दरू करनावर सरल भी है , और शेष्ठ भी, क्योंिक यह मिच्छर, रोग, औषणिध, और वैद्य, कावर मिल ू कावररण (सत्य) है । धमिर्या से

लड़ कर जीतिनावर कभी संभव नहीं। मिच्छर (सन्दे श वावरहक) मिावररनावर, औषणिध कावर खोज और प्रयोग, रसावरयन शावरस्ती यावर िचिकत्सक की व्यवस्थावर, आिद .. रोग को िमिटावरने कावर समिावरधावरन नहीं है।

औषणिध से मिनष्ु य को रोग के प्रिति अस्तसंवेदनशील बनावर िदयावर जावरतिावर है , जो रोग को रोकतिावर

नहीं, बिल्क, जीवन की स्वावरभावरिवक प्रणावरली को नष्ट कर हमिे , उसकावर ज्ञावरन नहीं होने दे तिावर ।

4। प्राकृितक बलों मे असंतल ु न, प्रदष ू ण के श्रोत : दैह िहक, दैह िवक और भौतितक तापर्

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4.1 वे अवांिछत कायर्या जो प्राकृितक बलों मे असंतल ु न का कारण बनते है, प्रदष ू ण के श्रोत है और दैह िहक, दैह िवक और भौतितक, तीन तरह के तापर् ।

प्रकृितिक कावररण और उसके प्रभावरव के सम्बन्ध के ज्ञावरन को ही िवज्ञावरन कहतिे है । िवज्ञावरन यावर प्रकृिति के िनयमिों की खोज और उपर्योग, मिनुष्य के शमि मिे कमिी लावरने और कष्ट से बचावरने

के िलए है । पर्िहये की खोज इसकावर उदावरहरण है । मिशीनों कावर िनमिावरर्याण भी िवज्ञावरन के प्रयोग है। जब व्यिक्ति प्रकृिति के िनयमि के िवरुद्ध कावरयर्या करतिावर है , उसकावर शमि बढ़तिावर है , और िवज्ञावरन के

इस खोज से मिनष्ु यों को प्रकृिति कावर धन्यवावरद दे नावर चावरिहए िक उसके ही ज्ञावरन से , प्रकृिति को िमित बनावर,

शमि कैसे कमि िकयावर जावरय। प्रकृिति के कुछ िनयमि जावरन, प्रकृिति को नष्ट करनावर

यावर उस पर्र िनयंतण संभव नहीं है , बिल्क उस कावरयर्या को करने वावरलावर ही नष्ट हो जावरएगावर। 4.2 तापर् अथार्यात प्रदष ू ण

पर्ावरपर् (सत्य के िवरुद्ध कावरयर्या) के प्रभावरव को तिावरपर् (अस्तसहनीय अस्तवस्थावर ) कहतिे है. व्यवस्थावर के धमिर्या के अस्तनुकूल न होने से तिावरपर् बढतिावर है । तिावरपर् की मिावरतावर बढ़ने की शावररीिरक और मिावरनिसक

शेणी के अस्तनुसावरर,

दःु ख को दै िहक, संगठन और व्यवस्थावर मिे अस्तिनिश्चतितिावर के दःु ख को

दै िवक तिावरपर्, और धमिर्या की क्षिति अस्तथावरर्याति प्रावरकृितिक रोषण को भौितिक तिावरपर् कहतिे है। दैह िहक दैह िवक भौतितक तापर्ा, राम राज निह काहुिह व्यापर्ा || तुलसी दास

रावरमि रावरज अस्तथावरर्याति सत्य और स्नेह द्वावररावर पर्ोिषणति व्यवस्थावर, मिनुष्यों के द्वावररावर धमिर्या के ज्ञावरन के दरू ु पर्योग को रोक लेतिी है , और िजसके कावररण, धमिर्या कावर बल मिनष्ु यों कावर अस्तिहति नहीं करतिावर। तिावरपर् अस्तथावरर्याति प्रदषण ू ण भी तिीन तिरह के होतिे है। 1. उद्योग यावर व्यवसावरय के प्रदषण र्या नावर, ू ण से हुए शरीर के मिावरनिसक और जैिवक रोग और दध ु ट जैसे जावरपर्ावरन मिे हुए नुक्लेअस्तर प्लावरंट की क्षिति यावर भोपर्ावरल गैस तावरसदी, ही दै िहक तिावरपर् है । [व्यिक्तिगति जीवन यावर स्वावरस्थ्य मिे प्रदषण ू ण कावर प्रभावरव ]

2. दै िवक तिावरपर्, प्रावरकृितिक िवपर्दावर जैसे सुनावरमिी, बावरढ़, भूकंपर्, यद्ध ु , दै िवक तिावरपर् है। [ व्यवस्थावर और संगठन के दरू ु पर्योग से प्रावरप्ति सावरमि​िू हक स्तिर पर्र हुए दष्ु पर्िरणावरमि ]

3. भौितिक तिावरपर् वह तिावरपर् है िजससे िवश्व के सभी प्रावरणी नष्ट हो सकतिे है। उदावरहरण के िलए, ग्रीन हॉलउस गैस द्वावररावर पर्िृ थवी के तिावरपर् कावर संग्रह, िजससे पर्थ् ृ वी के प्रावरणी हावरिनकावररक िविकरण,

तिावरपर् और जलवावरयु पर्िरवतिर्यान से िवचिलति हो जावरतिे है। [ प्रावरकृितिक संसावरधन और िनयमि के रुष्ट होने पर्र, िवश्वव्यावरपर्ी संहावरर की िक्रियावर]

5। पर्यार्यावरण का प्रदष ू ण से बचाव 5.1 श्रद्धा : मनष्ु यों मे प्राकृितक ज्ञान के अभाव के कारणों पर्र ध्यान प्रावरकृितिक चक्रि मिे कभी मिल नहीं होतिावर, क्योंिक इसकावर ज्ञावरन प्रावरिणयों के स्वभावरव मिे िनिहति है

और वह मिल िकन्ही अस्तन्य प्रावरिणयों के द्वावररावर उपर्योग मिे लावरने की वस्तिु होतिी है । इस तिरह हर

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एक प्रावरणी यावर प्रावरकृितिक वस्तिु और उसके द्वावररावर िकये गए कावरयर्या और उत्सिजर्याति मिल कावर अस्तिस्तित्व और उनकावर उपर्योग एक वैिश्वक प्रणावरली यावर जीवन-मित्ृ यु के चक्रि पर्र िनभर्यार है । ज्ञावरन प्रावरिप्ति की पर्ावररंपर्िरक िविध मिे कुछ दोषण है।

1. मिनुष्यों ने ज्ञावरन, भौितिक और मिावरनिसक अस्तस्तों के प्रयोग यावर प्रावरकृितिक िनयमिों से , प्रिति​िक्रियावर करके उन्हे सीखावर। इसिलए जब िकसी से , कोई जावरनकावररी, बल पर्ूवक र्या यावर चावरलावरकी से िलयावर जावरतिावर है , तिब दे ने वावरलावर उसे पर्रू ी जावरनकावररी कभी नहीं दे तिावर।

2. शद्दावर (शी को धावररण करने): प्रावरकृितिक ज्ञावरन (यावर धमिर्या), जीव के कल्यावरण, यावर शी

प्रावरिप्ति,

कावर मिावरध्यमि है । पर्रमिावरत्मिावर पर्र जीव के समिपर्र्याण ‘शद्धावर-भिक्ति’ के िबनावर प्रावरकृितिक ज्ञावरन (धमिर्या के पर्ूणर्या ज्ञावरन) की प्रावरिप्ति अस्तसंभव है ।

3. इसके िवपर्रीति, मिनुष्यों ने प्रिति​िक्रियावर यावर प्रयोगों द्वावररावर प्रावरकृितिक ज्ञावरन के अस्तंशों को थोडावरथोडावर कर, सावरंकेितिक भावरषणावर मिे िलख कर अस्तध्ययन करने की वह िविध ढूंढ ली, िजससे उनकावर सम्पर्ूणर्या प्रावरकृितिक चक्रि से सम्बन्ध सीधावर नहीं रहावर।

4. ज्ञावरन की शावरखावरएँ बहुति बढ़ गयी है, और उनके एक मिूल कावर ज्ञावरन न होने से वे आपर्स मिे

टकरावरतिी है। ज्ञावरन की पर्ूणति र्या ावर के अस्तभावरव मिे , सावरंसिरक ज्ञावरनी, पर्ितिति हो जावरतिे है और िभन्न

िभन्न ज्ञावरिनयों कावर अस्तहं कावरर उनकावर सत्य से िबमिख ु होने कावर प्रमिावरण है । जबिक शेष्ठ ज्ञावरनी ... बुद्ध, आइन्स्टावरइन और अस्तन्य दावरशिर्या नक यह कहतिे पर्ावरये गए की ज्ञावरन िजतिनावर बढ़्तिावर है

उतिनावर ही उन्हे अस्तपर्नी अस्तज्ञावरनतिावर कावर बोध होतिावर है । ज्ञावरन की पर्ूणति र्या ावर, और सत्य (आत्मिावर) के अस्तनभ ु व को शद्दावर–भिक्ति कहतिे है।

5. अस्तधरू े ज्ञावरन को िवषणय (िवषण यक् ु ति) यावर सबजेक्ट (आधीन होनावर) कहतिे है जो एक सीमिावर मिे

बंधावर हो। बंधे हुये जल ही की तिरह, ज्ञावरन जब स्वतिः शुद्ध होने, यावर आत्मिावर की स्वतिंत िस्थिति मिे नहीं होतिावर है , तिब उसकावर उपर्योग नहीं करनावर चावरिहए। यह िवषण है । ज्ञावरन मिे तिु ट के भयावरनक पर्िरणावरमि होतिे है और प्रावरकृितिक शिक्तियावरं, अस्तपर्ने द्वावररावर पर्यावरव र्या रण की रक्षावर के उत्तिर दावरियत्व को छोड़ने लगतिी है।

6. सावरंकेितिक भावरषणावर, जैसे शब्द, गिणति यावर तिकर्या के सावरधन, प्रयोग के प्रमिावरणों द्वावररावर िसद्ध िकये जावरतिे है और इसी से अस्तस्वावरभावरिवक िवज्ञावरन कावर जन्मि होतिावर है ।

7. इस व्यवसावरियक यावर अस्तपर्ण ू र्या िवज्ञावरन से कोई भी अस्तप्रावरकृितिक सिृ ष्ट की जावर सकतिी है , और इस ज्ञावरन मिे तिु ट के कावररण हावरिन कावररक प्रभावरव भी होतिे है। इस व्यव्सावरन्मिुखी ज्ञावरनोद्योग से प्रावरप्ति ज्ञावरन कभी पर्ण ू र्या नहीं होतिावर और उस अस्तपर्ूणर्या ज्ञावरन से बने वस्तिु यावर व्यवस्थावर मिे

प्रावरकृितिक चक्रि कभी स्वतिः िक्रियावरशील नहीं हो सकतिे , और उन व्यवस्थावरओं (व्यय के िलए िस्थति) को बनावरये रखने के िलए शमि (यावर सत्य के िवरुद्ध अस्तपर्िवत कावरयर्या यावर मिल) करनावर पर्ड़तिावर है । ज्ञावरन, संवेदनशील जीिवति िवचावरर की सत्तिावर है । प्रावरिणयों के शद्धावरहीन सावरध नावर से प्रावरप्ति अस्तधरू े

ज्ञावरन यावर िवषणय मिे तिु ट को दरू करनावर किठन है । क्योंिक दै िहक, दै िवक और भौितिक तिावरपर् प्रावरकृितिक शिक्तियावरँ ही है, जो ज्ञावरन की इस सावरधनावर िविध के िवरुद्ध है। इसकावर उदावरहरण

है िक

िकस तिरह जैव-िविवधतिावर (यावर बावरयो- डावरईविसर्याटी) की क्षिति, पर्यावरर्यावरण की प्रावरकृितिक चक्रि को © Krishna Gopal Misra 2013 qualitymeter@gmail.com


तिोड़ दे तिी है , िजसे व्यवसावरियक

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ज्ञावरनोद्योग से पर्रू ावर करनावर संभव नहीं। उद्योग यावर तिकनीक से

प्रदषण ू ण फैलने कावर कावररण भी, उसकावर यही अस्तिनयंितति मिल है जो प्रावरकृितिक प्रावरणी-चक्रि मिे स्वतिः

नहीं बदलावर जावर सकतिावर। तिकनीकी िशक्षावर कावर व्यवसावरय, िवज्ञावरन और तिकनीक के सदपर् ु योग तिक

ही सीिमिति नहीं रहावर। आज अस्तिधकतिर युद्ध, शब्द और अस्तथर्या और ज्ञावरन के प्रावररूपर् को लेकर है, और एक ही बावरति को अस्तलग अस्तलग लोग अस्तलग अस्तलग कहतिे है , और अस्तपर्नी भावरषणावर यावर शब्द को लेकर झगड़तिे

है और ज्ञावरन की इस पर्ावररंपर्िरक िविध से मिावरनिसक प्रदषण ू ण की िवभीिषणकावर बढ़ने

की सम्भावरवनावर कमि नहीं हो सकी।

5.2 प्रकृित का अपर्ना प्रयास और श्रम-रिहत प्रसन्नता प्रकृिति, पर्यावरव र्या रण को बनावरये रहने के िलए, प्रदषण ू ण को सावरफ़ करने की क्षमितिावर रखतिी है । समिुद्र

के सूक्ष्मि जीव, जंगल, जंगली पर्शु पर्क्षी और पर्ावरनी की निदयावरँ, पर्यावरव र्या रण को प्रदषण ू ण और

संतिावरपर् को बचावरतिी है। इन प्रावरकृितिक तित्वों के िबनावर, प्रदषण ू ण की समिस्यावर कावर िनवावररण, िकसी भी उद्योग द्वावररावर संभव नहीं है । लेिकन इन प्रावरकृितिक संसावरधनों कावर नावरश, उद्योग, िनवावरस, और भूख मिे इस्तिेमिावरल होने के कावररण, बचावरयावर नहीं जावर सकावर। प्रदषण ू ण की पर्ूवर्या सूचनावर है।

और प्रावरकृितिक आपर्दावर, पर्यावरव र्या रण मिे

कावरयर्या कावर अस्तमिूल्य (zero defect) होनावर तिभी संभव है जब वे कावरयर्या , प्रसन्नतिावर और प्रकृिति के िनयमिों के अस्तनुकूल होने से शमि-रिहति (effortless) हों। अस्तथर्या-व्यवस्थावर यावर व्यावरवसावरियक

पर्िरिस्थितियों मिे मिल् ू यावरंकन के जो पर्ावरँच िसद्धावरन्ति अस्तध्यावरय 2.1 मिे विणर्याति है, उनसे सावरवधावरन रहनावर चावरिहए।

कमिर्याफल पर्र आसिक्ति से सुख-सुिवधावर की प्रावरिप्ति संभव है िकन्तिु प्रसन्नतिावर और िनभर्यायतिावर नहीं। प्रकृिति के प्रभावरव कावर ज्ञावरन और सत्य मिे सावरमिंजस्य ही ... पर्यावरव र्या रण की आध्यावरित्मिक व्यवस्थावर है ।

5.3 व्यवस्था के द्वारा ही व्यवस्था के प्रदष ू ण पर्र िनयंत्रण पर्यावरर्यावरण को प्रदषण ू ण से बचावरने के िलए, मिनुष्यों के िलए केवल ५ िनम्निलिखति रावरस्तिे है। 1. प्रदषण ू ण पर्ैदावर करने वावरले कावरयर्या न िकए जावरए। उस िवकल्पर् की खोज करे िजससे उन वस्तिुओं की खपर्ति ही न हो यावर कमि से कमि हो, िजससे प्रदषण ू ण पर्ैदावर होतिे है। [ AVOID DOING]

2। वह तिकनीक प्रयोग हो, िजससे प्रदषण ू ण न हो । इस िलए इस लक्ष्य से नए तिकनीक को

िवकिसति करे और अस्तनुपर्योगी तिकनीक को इस्तिेमिावरल न करे । [ DO BUT PREVENT ALL WASTE] 3। प्रदषण ू ण पर्ैदावर होने के बावरद, उसके हावरिनकावररक तित्व को िनयंितति िकयावर जावरय और उसको

फैलने से रोकावर जावरय। रोक कर उस तित्व को िनष्प्रभावरवी कर, उस जगह डावरले जहावरँ खतिरावर कमि

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से कमि हो। जैसे रावरसावरयिनक तित्त्व, जैिवक कचरावर, यावर मिल। [ALLOW WASTE BUT CONTROL HARMFUL DECAY ] 4। प्रदषण ू ण से िनकले हावरिनकावररक तित्व कावर िकसी अस्तन्य उद्योग मिे इस्तिेमिावरल हो, िजससे वह

एक चक्रि मिे बावरर-बावरर घूमितिावर हुआ, िस्थर रहे । दीघर्याकावरल तिक नष्ट न होने वावरले पर्दावरथर्या जैसे िवषणैले धावरतिु, प्लावरिस्टक, खिनज आइल यावर, ग्लावरस, मिशीन के पर्ज ु े, यावर पर्ैिकं ग बावरर-बावरर इस्तिेमिावरल िकए जावर सकतिे है। [ RECYCLE / REUSE IT]

5। प्रदषण ू ण और गमिी को सोखने वावरले प्रावरकृितिक व्यवस्थावर जैसे जंगल, निदयावरँ, वक्ष ृ ों, और मिति ृ

शरीर को खावरकर सफावरई करने वावरले प्रावरणी जैसे िगद्ध, सूक्ष्मि जीव, अस्तन्य प्रावरणी को नष्ट न करे , और उसे बढावरये। [ ALLOW NATURAL HEALING]

उद्योग की व्यवस्थावर की वे ५ प्रावरथिमिकतिावर िजसमिे प्रदषण ू ण की सम्भावरवनावर होतिी है । 1। कच्चे मिावरल के बनने मिे होने वावरले प्रदषण ू ण, 2। बने हुए मिावरल की िबक्रिी और ग्रावरहकों को उसके इस्तिेमिावरल से होने वावरले प्रदषण ू ण, और 3। िनमिावरर्याण यावर ग्रावरहक सेवावर के कावरयर्या जो उसके अस्तपर्ने िनयंतण मिे है । 4। िनमिावरर्याण के दौरावरन उत्सिजर्याति कचरावर/ अस्तनुपर्योगी पर्दावरथर्या, 5। भण्डावररण और मिशीनों के रख रखावरव मिे अस्तसावरवधावरनी। प्रदषण ू ण को दरू करने के िलए इन पर्ावरँचों पर्र अस्तलग अस्तलग ध्यावरन दे नावर होगावर। 1. उद्योग यावर कावरयर्या मिे जो वस्तिुएं इस्तिेमिावरल के िलए खरीदी जावरतिी है , उनके बनावरने मिे जो भी प्रदषण ू ण होतिावर है , उसकी मिावरतावर खरीद के मिावरतावर से बढे गी। इसिलए, उस वस्तिु की खरीद नही यावर

कमि करनी चावरिहए िजस से प्रदषण ू ण के बढ़ने और पर्यावरर्यावरण को हावरिन पर्हुंचावरने मिे योगदावरन न दे । जैसे िबजली जो कोयले को जलावर कर प्रावरप्ति की जावरतिी है , उस िबजली के अस्तिधक इस्तिेमिावरल से वावरयु मिे प्रदषण ू ण बढे गावर। कावरगज कावर इस्तिेमिावरल करने से जंगलों को खतिरावर होतिावर है , इसिलए, इन वस्तिुओं के इस्तिेमिावरल मिे कमिी यावर वैकिल्पर्क व्यवस्थावर से पर्यावरव र्या रण बचावरयावर जावर सकतिावर है ।

2। जो वस्तिु बेचीं जावरतिी है , और िजसके इस्तिेमिावरल से प्रदषण ू ण होतिावर है , उसे कमि करनावर चावरिहए। पर्ेट्रोल डीज़ल से चलने वावरली गावरिड़यों के िनमिावरर्यातिावर बेहतिर तिकनीक के प्रयोग से पर्यावरव र्या रण को

कमि नक् ु सावरन पर्हुँचावर सकतिे है। जो लोग इन वस्तिुओं को वावरपर्स ले लेतिे है वह ठीक है । बैटरी यावर पर्ैिकं ग के समिावरन, उपर्योग के बावरद िनमिावरर्यातिावर इन्हे वावरपर्स लेतिे है।

3। िनमिावरर्याण के िविभन्न कावरयों मिे होने वावरले प्रदषण ू ण के शोति, उसकी मिावरतावर और पर्यावरर्यावरण मिे उसके प्रभावरव को नावरपर् कर दे खे। इस अस्तध्ययन से हो रहे प्रदषण ू ण को हावरिनरिहति करने की एक योजनावर बनावर कर, उसे व्यवस्थावर मिे लावरकर सही िकयावर जावरय।

4। रख-रखावरव और भण्डावररण मिे अस्तसावरवधावरनी से मिशीनों से कच्छावर मिावरल पर्ूरावर इस्तिेमिावरल नहीं हो पर्ावरतिावर है, और यह प्रदषण ू ण पर्ैदावर करतिावर है। गावरिड़यों मिे समिय समिय पर्र प्रदषण ू ण की जावरंच की

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जावरतिी है, और यिद रख रखावरव मिे कमिी होगी तिो प्रदषण ू ण बढ़तिावर है। बोइलर मिे अस्तिधक ऊजावरर्या की खपर्ति होतिी है। भण्डावररण मिे अस्तसावरवधावरनी से मिावरल खरावरब हो जावरतिावर है और यिद वे पर्दावरथर्या ज्वलनशील हो, तिो वह प्रदषण ू ण के सावरथ ही खतिरे कावर कावररण भी बन जावरतिावर है। ख़रावरब हुए दवावरएं, डीज़ल के भंडावरर इसके उदावरहरण है। 5। कचरावर यावर उत्सिजर्याति पर्दावरथर्या जो उद्योग कावर मिल है। यह ध्यावरन दे नावर चावरिहए िक औद्योिगक कचरावर फैले नहीं, और उसे ध्यावरन पर्व र्या वैज्ञावरिनक ढं ग से उसके दग ू क ुर्या को दरू कर, पर्न ु ः िकसी ु ण उपर्योग मिे लावरयावर जावरयावर।

यिद यह संभव न हो सके, तिो इसके उत्पर्ावरदन पर्र रोक लगनी

चावरिहए क्योंिक इस से बीमिावररी और अस्तन्य नए दष्ु प्रभावरव हो सकतिे है िजसके िलए कोई भी

मिआ ु वजावर दे नावर संभव नहीं है । न्यिू क्लयर प्लावरंट के मिल को संभावरलने की िजम्मिेवावररी की समिस्यावर ही इस ऊजावरर्या के शोति के व्यावरपर्क न होने कावर कावररण है ।

6। पर्यार्यावरण व्यवस्था पर्र जन-तंत्र की िवश्वसनीयता 6.1 संगठन की िवश्वसनीयता पर्यावरर्यावरण व्यवस्थावर और उसके संरक्षण हे तिु बनावरये गए संगठन की िवश्वसनीयतिावर, प्रावरकृितिक अस्तथावरर्याति धमिर्या- चक्रि को स्वतिः और सुचावररू रूपर् से चलने मिे िसद्ध होतिावर है ।

धमिर्या अस्तथावरर्याति प्रकृिति

की शिक्तियावरं ही दै िहक, दै िवक और भौितिक तिावरपर् िमिटावरने मिे सफल हो सकतिी है , व्यवस्थावर और संगठन उसके मिावरध्यमि है जो उन प्रावरकृितिक शिक्तियों को उस उद्देश्य की पर्िू तिर्या के िलए एकितति करतिावर है ।

व्यवस्थावर यिद िकसी व्यिक्तिगति स्वावरथर्या यावर प्रकृिति के िनयमिों के िवरुद्ध यावर

व्यावरवसावरियक उद्देश्य के िलए बनावरयी जावरएगी

तिब, उसके द्वावररावर प्रावरकृितिक धमिर्या-चक्रि टूटने कावर

भय रहतिावर है , और प्रावरिणयों कावर दै िहक, दै िवक और भौितिक तिावरपर् दरू नहीं हो सकतिावर।

व्यवस्थावर (व्यय स्थ) पर्र भरोसावर करनावर इसिलए भी किठन होतिावर है क्योंिक यह प्रकृिति यावर धमिर्या की तिरह अस्तव्यय नहीं होतिी।

व्यवस्थावर पर्र भरोसावर तिभी िकयावर जावर सकतिावर है , जब वे संगठन

जो व्यवस्थावर की दे खभावरल करतिे है , िकसी भय, लावरलच यावर प्रितिस्प्रधावर से प्रभावरिवति न हों । अस्तथावरर्याति, संगठन मिे लगे मिनुष्यों के चिरत की पर्िवततिावर पर्र भरोसावर करनावर व्यवस्थावर पर्र भरोसावर

करने की एक शतिर्या है । संगठन केवल तिभी व्यवस्थावर के उद्देश्य की पर्ूितिर्या, और समिावरज के भरोसे को बनावरये रख सकतिावर है । इितिहावरस यह िसखावरतिावर है , िक संगठन कावर स्वयं को संभल पर्ावरनावर ही

अस्तपर्ने आपर् मिे ही एक चन ु ौतिी है , और इस कावररण, व्यवस्थावर के उद्देश्य कभी पर्रू े नहीं होतिे और अस्तपर्ने नावरमि के अस्तनुसावरर ही वह व्यय हो जावरतिी है ।

1. संगठन से चलने वावरली व्यवस्थावर, एक औटोमिोबील कावरर की तिरह है जो यावर तिो अस्तच्छे गिति से चलतिी है , यावर उसकावर कोई एक पर्ुजावरर्या भी खरावरब हो तिो पर्रू ी बंद पर्ड़ जावरतिी है । जबिक, अस्तसंगिठति और भयमिुक्ति समिावरज, उस वक्ष ृ की तिरह है , िजसकी एक टहनी जहावरं कहीं टूट कर िगर जावरए, तिो वहावरँ धीरे धीरे एक नयावर वक्ष ृ ,

उग कर तिैयावरर हो जावरतिावर है । इसकावर

उदावरहरण है िक औद्योिगक रावरष्ट्र कावर कोई भी संकट िवश्व-व्यावरपर्ी होतिावर है जबिक आत्मि​िनभर्यार प्रावरकृितिक दे श िकसी के िलए कभी कोई समिस्यावर नहीं होतिे।

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2. दस ू री समिस्यावर यह भी है िक, पर्यावरर्यावरण मिे सुधावरर करने से प्रकृिति की शिक्ति बढ़तिी है ।

उत्पर्ावरदन के प्रावरकृितिक ढं ग से बढ्ने से लोगों मिे अस्तसमिावरनतिावर कमि होगी, और अस्तमिूल्य प्रावरकृितिक संसावरधन की इस उपर्लब्धतिावर से, जीवनोपर्योगी वस्तिुओं के मिूल्यों मिे कमिी

आएगी, िजससे लावरभ और आिथर्याक िवकावरस, जो संगठन और व्यवस्थावर के मिावरपर्दं ड है, उन पर्र बरु ावर अस्तसर पर्ड़ेगावर। सावररे िवश्व मिे , औद्योिगक रावरष्ट्र, पर्यावरव र्या रण के खतिरे

को जावरनतिे हुये भी, इस आिथर्याक क्षिति के भय से आगे नहीं आ रहे है। जो रावरष्ट्र अस्तभी तिक औद्योिगक प्रगिति मिे पर्ीछे है, वे भी पर्यावरर्यावरण की रक्षावर मिे संकोच करतिे है क्योंिक उनके पर्ावरस उपर्लब्ध अस्तमिूल्य प्रावरकृितिक संपर्दावर को मिूल्यवावरन बनावर, उसकावर सौदावर करने से उन्हे लावरभ होगावर। 6.2 तकनीकी नापर् तौतल, िवश्वसनीयता का ज्ञान और अनभ ु व तिकनीकी नावरपर्-तिौल और आंकड़े, व्यवस्थावर के अस्तपर्ेित क्षति मिावरनदं डों

पर्र सफलतिावर की पर्रीक्षावर के

िलए होतिे है , िकन्तिु िवश्वसनीयतिावर की कसौटी के िलए पर्यावरप्र्या ति नहीं है। जब पर्यावरव र्या रण के प्रभावरव को जन-तिंत अस्तपर्ने अस्तनुभव से जावरन लेतिावर है , केवल तिब, उसे व्यवस्थावर और उसके

उद्देश्यों की पर्ूितिर्या हे तिु बने संगठन की िवश्वसनीयतिावर कावर ज्ञावरन होतिावर है । यह िसद्धावरंति मिहत्व पर् ूणर्या है , और इसकावर प्रयोग पर्यावरव र्या रण व्यवस्थावर को जन-तिंत से प्रमिावरिणति करने कावर एक सरल मिावरगर्या है । पर्यावरव र्या रण व्यवस्थावर, संगठन जैसे सरकावरर यावर व्यवसावरियक संस्थावरन द्वावररावर बनावरयी तिो जावर सकतिी है , िकन्तिु उद्देश्य की पर्ूितिर्या के मिावरपर्दं ड, समिावरज को ही बनावरने चावरिहए। यह सरल होनावर चावरिहए और प्रमिावरिणति भी।

प्रातकाल सरयू किर मज्जन, बैहठे सभा संग िद्वज सज्जन || तल ु सी दास जन-तिंत मिे, सरयू नदी के जल कावर हर िदन प्रयोग शी रावरमि के द्वावररावर रिचति पर्यावरर्यावरण व्यवस्थावर

के उद्देश्य की पर्ूितिर्या कावर प्रमिावरण है । उसी पर्रं पर्रावर के कावररण, निदयों कावर जल भावररति मिे, आज भी पर्िवत मिावरनावर जावरतिावर है , और प्रावरकृितिक धमिर्या और, वैज्ञावरिनक संगठन द्वावररावर की गयी व्यवस्थावर पर्र

लोगों की आज भी आस्थावर है । यिद भावररति मिे , शी रावरमि और उनके सभावरसद की तिरह पर्यावरव र्या रण व्यवस्थावर मिे लगे व्यिक्ति और संगठन अस्तपर्नी वैज्ञावरिनक बिलदावरन की मियावरर्यादावर कावर िनवावरर्याह करे और जल कावर सावरवज र्या िनक प्रयोग पर्ीने और स्नावरन मिे हो, तिो निदयों मिे जल कावर प्रदषण ू ण तिरु ं ति रुक जावरयेगावर। इस तिरह, बोतिल बंद पर्ावरनी जो पर्ैसावर दे कर खरीदावर और बेचावर जावरतिावर है , और जो केवल

धनवावरन व्यिक्ति को ही जल के प्रदषण ू ण से बचावर सकतिावर है , उसकी क्षिति होगी, और जल शोतिों की स्वावरभावरिवक पर्िवततिावर से, दे श की आिथर्याक प्रगिति के कमि होने कावर भी भय है । रावरमि रावरज्य मिे , इस तिरह की आिथर्याक प्रगिति, दे श कावर आदशर्या नहीं थावर । जन-तिंत की िकसी भी व्यवस्थावर पर्र िवश्वसनीयतिावर, प्रावरकृितिक संसावरधन की विृ द्ध और समिावरनतिावर

की भावरवनावर से पर्ैदावर होतिी है , अस्तसमिावरनतिावर और आिथर्याक गिति के आंकड़ों यावर व्यवस्थावर पर्र हुए खचर्या से नहीं । आिथर्याक बल पर्र खड़ी सरकावररे तिब यह पर्ूछतिी है , िक आपर् प्रदषण ू ण के प्रभावरव से बचने के िलए धनवावरन क्यों नहीं बन सके, और वे ही समिावरज मिे लोगों को धन के िलए, पर्यावरव र्या रण को नष्ट करने के िलए उत्सावरिहति करतिी है। यह खोज कावर िवषणय नहीं है िक िकस तिरह सरकावररी यावर व्यवसावरयी व्यवस्थावरये, िबनावर कुछ िकये, जंगल, पर्हावरड़, निदयों को उन्ही लोगों से © Krishna Gopal Misra 2013 qualitymeter@gmail.com


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नष्ट करावर दे तिी है, जो पर्रु ावरतिन कावरल से उनकी पर्ज ू ावर करतिे थे, और िजनसे उनकावर पर्ावरलन पर्ोषणण होतिावर थावर।

भावररति के पर्वर्यातिीय क्षेत इसके उदावरहरण है िक जब स्थावरनीय लोग जलावरने के िलए और घरों के िनमिावरर्याण के िलए वक्ष ृ ों पर्र िनभर्यार थे। वक्ष ृ ों से उनकावर संबंध पर्रस्पर्र प्रेमि कावर थावर, क्योंिक वे एक दस ू रे पर्र िनभर्यार थे। वक्ष ृ ों कावर पर्ोषणण और रक्षावर उनकावर, पर्वर्यातिीय िनवावरिसयों कावर, पर्रमि धमिर्या थावर और वे सरल और स्वतिन्ततिावर िप्रय प्रावरणी, िकसी अस्तथर्या-व्यवस्थावर यावर बावरज़ावरर यावर सरकावररों पर्र िनभर्यार न थे। सरकावररों ने, पर्यावरव र्या रण की रक्षावर के नावरमि पर्र, स्थावरनीय लोगों को वक्ष ृ ों की लकड़ी

कावरटने और उसके घरे लू प्रयोग पर्र पर्ावरबंदी लगावर दी। उन्हे , खावरनावर पर्कावरने और गमिी के िलए, भूगभीय गैस, जो िवदे शों से आयावरति की जावरतिी है , उसके व्यावरपर्ावरर पर्र िनभर्यार बनावर िदयावर गयावर। घर बनावरने के िलए, उनको लकड़ी के स्थावरन पर्र, सीमिेट और कावरंक्रिीट जो पर्यावरव र्या रण के िलए हावरिनकावररक है, उन पर्र िनभर्यार बनावरयावर गयावर। िकन्तिु, गैस यावर सीमिेट के िलए उनके पर्ावरस धन कहावरँ से आएगावर? उन पर्वर्यातिीय लोगों को धन के िलए, उन्हे उन्हीं वक्ष ृ ों को मिशीन से कावरटने कावर कावरमि िदयावर गयावर िजसकी वे पर्ूजावर करतिे थे और उनके हर कोपर्ल और उनकी ऊंचावरई बढ्ने

से, उन्हे कभी खश ु ी होतिी थी। पर्वर्यातिीय िनवावरसी अस्तब लकड़ी के कावररखावरने मिे मिजदरू है यावर

लकड़ी यावर पर्यर्याटकों को ढोने के िलए वावरहन चलावर कर, दे श की अस्तथर्याव्यवस्थावर के भावरग है। पर्यावरर्यावरण की क्षिति के सावरथ ही वे, उस व्यवस्थावर पर्र िनभर्यार हो गए, जो आिथर्याक िवकावरस की ऊंची गिति के आंकड़े को, प्रगिति कहतिे है। अस्तब यह कोई रहस्य नहीं है , िक बल यावर धन कावर प्रयोग प्रावरकृितिक पर्यावरव र्या रण को नहीं बचावर सकतिावर, क्योंिक यह एक िवज्ञावरन है व्यवस्थावर यावर संगठन नहीं। सरकावरर के अस्तरबों रूपर्ये खचर्या हो गए, िकन्तिु

गंगावर की सफावरई मिे भावररति

वह प्रदिू षणति होने से न बचावरयी जावर सकी ।

प्रावरकृितिक संसावरधन और वैज्ञावरिनक बिलदावरन, मिनुष्यों के स्वस्थ िवकावरस के िलए बहुति आवश्यक है। आिथर्याक व्यवस्थावरएं जो लावरलच, शतति ु ावर और रक्षावर पर्र आधावरिरति है, उनसे अस्तसमिावरनतिावर, यद्ध ु और प्रदषण ू ण बढ़तिे है । तिकनीक कावर ज्ञावरन तिभी उपर्योगी है , जब वह सवर्या सुलभ हो, और उसके खतिरे और बचावरव के सावरधन के प्रयोग मिे, सभी स्वतिः समिथर्या हों ।

भावररतिीय पर्रम्पर्रावर मिे, जन-तिंत की धावररणावर, वैज्ञावरिनक यावर प्रावरकृितिक-धमिर्या पर्र आधावरिरति संगठन और व्यवस्थावर की एक आश्चयर्याजनक और िस्थर सोच है जो जन-तिंत की उस धावररणावर से िभन्न है जो ग्रीक पर्रम्पर्रावर मिे रण-नीिति यावर पर्ोिलिटकल संगठन की अस्तिस्थर सोच से बनी है । भावररति मिे, निदयों के जल की पर्िवततिावर के आधावरर पर्र ही रावरजावर और उसके प्रशावरसन पर्र शद्धावर बनतिी है । भावररति कावर एक नावरमि िहंदस् ु तिावरन यावर इिण्डयावर भी है िजस मिे , िहन्द ू यावर इंडी जो िसन्धु (अस्तथावरर्याति जल के अस्तथावरह सावरगर यावर समिद्र ु ) शब्द कावर अस्तपर्भ्रंश है । 6.3 प्राकृितक संसाधन और उनका

िवकास

भावररति मिे कुएं, तिावरलावरब, पर्वर्याति, जंगल, पर्शु-पर्क्षी

और सावरमिावरिजक सदभावरव न केवल प्रावरकृितिक

संसावरधन है, बिल्क जन-तिंत की वे वैज्ञावरिनक उपर्करण भी है, िजससे सावरमिावरिजक व्यवस्थावर और

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प्रशावरसिनक संगठन की िस्थिति की सावरवज र्या िनक पर्रीक्षावर होत्तिी है । कुएं मिे घटतिावर हुआ जल, समिावरज के िलए खतिरे की धंटी है , और इस ज्ञावरन की प्रमिावरिणकतिावर के िलए आत्मि िनभर्यार है। सूचनावर कावर प्रमिावरिणति होनावर, उसके प्रावरिप्ति मिे सरलतिावर और शीघ्र प्रावरिप्ति से ही व्यवस्थावर मिे सुधावरर संभव है ।

यिद कुए यावर तिावरलावरब न होंगे तिो, जन-तिंत को भूगभीय जल कावर सहज और

प्रमिावरिणक ज्ञावरन कैसे हो सकतिावर है ? िबनावर वक्ष ृ ों के, वावरतिावरवरण मिे वावरयु की जीवनी शिक्ति कैसे स्थावरिपर्ति रह सकतिी है ?

रिहमन पर्ानी रािखिये िबनु पर्ानी सब सून| पर्ानी शुद्ध जल के प्रावरकृितिक शोति

िबना न ऊबरे मोती, मानुस, चन ू ||

जो सभी प्रावरिणयों को सभी समिय मिे उपर्लब्ध हों, पर्यावरव र्या रण की

व्यवस्थावर मिे िवश्वसनीयतिावर के प्रमिावरण है। पर्वर्याति, जंगल, निदयावरँ, तिावरलावरब, और कुओं के दे ख रे ख

कावर ध्यावरन रखनावर उन प्रावरकृितिक िनयमिों यावर धमिर्या की आरावरधनावर है , िजसके िबनावर शुद्ध वावरयु और जल संभव नहीं होतिावर । दिु नयावर के िवकिसति क्षेत, जल के न होने से, दिरद्र हो गए। भावररति के शहरों मिे जल िबकतिावर है क्योंिक वहावरं प्रावरकृितिक शोति से प्रावरप्ति

जल अस्तब पर्ीने योग्य ही नहीं

रह गयावर। जल की अस्तथर्याव्यवस्थावर के आंकड़े और इसके आिथर्याक िवकावरस की गिति, पर्यावरर्यावरण पर्तिन के संवेदी सच ू नावरंक है। अस्तथर्या व्यवस्थावर के आंकड़े , अस्तमिूल्य वस्तिु को मिूल्यवावरन बनावर दे तिे है िजससे मिनुष्य को धन कावर

दावरस बननावर पर्ड़तिावर है । जल जबिक अस्तमिूल्य है , और इसकावर मिूल्य इसके न होने पर्र जावरन पर्ड़तिावर है । वस्तिु यावर व्यिक्ति कावर जब कोई मिूल्य यावर कीमिति तिय होतिावर है तिो यह उसकावर अस्तपर्नावर िनणर्याय

नहीं होतिावर, और इससे उसकी गिरमिावर और प्रावरकृितिक धमिर्या, नष्ट हो जावरतिावर है । इसके िवपर्रीति, पर्यावरर्यावरण व्यवस्थावर, िकसी भी मिल् ू यवावरन वस्तिु को उसकी प्रावरकृितिक और िनरावरपर्द

उपर्लब्धतिावर से

अस्तमिूल्य बनावर दे तिी है , िजससे धन और उसके आंकड़े मिहत्वहीन हो जावरतिे है । 6.4 धमर्या और व्यवस्था का टकराव अनुिचत

प्रावरकृितिक धमिर्या द्वावररावर भोजन, वावरयु, जल, प्रकावरश और पर्थ् ृ वी पर्र िनवावरस, सदै व ही उपर्लब्ध

है

और ये बावरज़ावरर यावर व्यवसावरियक प्रितिस्प्रधावर के खेल यावर रण-नीिति की वस्तिुएं िबलकुल नहीं है। अस्तथर्या व्यवस्थावर यावर शावरसन व्यवस्थावर व्यय होने के िलए ही िस्थति है, अस्ततिः प्रावरकृितिक/ सनावरतिन

धमिर्या ही व्यवस्थावरओं के पर्रीक्षावर कावर शेष्ठ आधावरर है , इसकावर उल्टावर संभव नहीं है । धमिर्या और व्यवस्थावर कावर टकरावरव उिचति नहीं है । व्यवस्थावरओं के अस्तसफलतिावर कावर मिूल्य, बेरोजगावररी, दघ र्या नावर, ु ट यद्ध ु और बीमिावररी द्वावररावर चक ु ावरए जावर सकतिे है, िकन्तिु प्रावरकृितिक धमिर्या-चक्रि जैसे जल-वावरयु यावर भोजन-चक्रि के दष्ु पर्िरणावरमि पर्थ् ृ वी के जीवनी शिक्ति को ही नष्ट कर सकतिे है।

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कृ ष्ण गोपाल िमिश, 1958 मिें भारत मिें जन्मिें, और पंतनगर िविश्वविविद्यालय से इं जीनिनयिरग की िशिक्षा और आईआईटीन कानपुर से औद्यिगक प्रबंधन मिें मिास्टसर्स की िशिक्षा प्राप्त की। अब व्यविसाय, उद्योग और समिाज-िनमिार्सण मिें मिनुष्यता या मिैंनेजमिेंट के िसद्धांतों के खोज और प्रयोग के स्वितंत्र मिागर्स-दर्शिर्सक हैं। .............

पर्यावरर्यावरण वह िविशष्ट और प्रावरकृितिक आवरण है िजसे हमि दे ख नहीं सकतिे िकन्तिु उसके न रहने से हमिावररी पर्थ्ृ वी, जीवन को धावररण नहीं कर सकतिी। िजस तिकनीकी और उद्योग से हमि सभी

लावरभावरिन्वति है और उन पर्र हमि िनभर्यार हो चुके है यिद उन प्रावरकृितिक िसद्धावरंतिों को समिझ कर उसकावर सदपर् ु योग नहीं िकयावर गयावर, तिब वही प्रावरकृितिक िसद्धावरन्ति उल्टी िदशावर मिे चल, सावररी पर्थ्ृ वी को नष्ट

कर दे गे। प्रकृिति के िसद्धावरन्ति, यंत है। यंत जब तिक सही हावरथ मिे रहतिे है तिब तिक उससे लावरभ होतिावर है और जीव स्वतिंत है िकन्तिु जब उन यंतों कावर दरु ु पर्योग होतिावर है तिब वही यंत अस्तनथर्या करतिे है।

िवज्ञावरन और तिकनीक मिे मिौिलक िभन्नतिावर है। िवज्ञावरन (व्यिक्तिगति ज्ञावरन से पर्रे ) वह अस्तध्यावरत्मि है

िजससे बुिद्ध प्रकावरिशति हो जावरतिी है। इससे जीवों को प्रकृिति के िसद्धावरंतिों मिे शद्धावर होतिी है और वे इस ब्रह्मिावरंड के अस्तदति ु -समिझ कर आत्मितिप्ृ ति हो जावरतिे है। जबिक तिकनीक, ु स्वचावरिलति कमिर्या को दे ख-सन दब र्या मिन के जीवों पर्र िवज्ञावरन की कृपर्ावर है। तिकनीक उसी तिरह है जैसे एक अस्तंगहीन व्यिक्ति को ु ल ह्वील चेयर दे नावर। एक दब र्या व्यिक्ति को बंदक ु ल ू दे नावर उसकावर िवकावरस नहीं है बिल्क वह कृपर्ावर है

िजससे उसकी रक्षावर हो सके। िकसी तिकनीक से लावरभ लेने के िलये के िलये ब ुिद्ध आवश्यक नहीं

होतिी। तिकनीक कावर अस्तपर्नावर कोई लक्ष्य ही नहीं होतिावर और उसकावर उपर्योग और दरु ु पर्योग दोनों हो

सकतिे है। आज हावरलति यह है िक पर्यावरर्यावरण की समिस्यावर और प्रकृिति कावर क्रिोध अस्तब पर्थ्ृ वीवावरिसयों के िलये अस्तसह्य होतिावर जावर रहावर है क्योंिक उद्योग, तिकनीक और धन वे हिथयावरर है िजसे लावरलच,

अस्तहं कावरर और प्रितिस्प्रधावर ने कंु िठति कर िदयावर है , और ये उस प्रकृिति के िसद्धावरन्ति के ही शतु हो गये िजनसे इनकावर जन्मि हुआ है।

यह ग्रंथ पर्यावरर्यावरण के प्रिति सजगतिावर और हमि सबके द्वावररावर अस्तपर्ने वैज्ञावरिनक कतिर्याव्य कावर बोध करावरने के िलये है। इसे ध्यावरन से पर्ढ़ावर जावरनावर आवश्यक है िजससे बुिद्ध को सद्मावरगर्या िमिलेगावर। यह पर्ुस्तिक

िबनावर िकसी मिल् ू य के, संवेदनशील मिनुष्यों द्वावररावर दावरन से उपर्लब्ध करावरई जावर रही है इसिलये इसे

पर्ढ़ कर अस्तपर्ने िकसी िमित को दे दे जो इनमिे िलखे िवचावररों को आत्मिसावरति करने कावर पर्ावरत हो। आपर्

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यिद अस्तपर्ने जीवन मिे यावर उद्योग मिे इसकावर लावरभ लेतिे है यावर इन िवचावररों से सहमिति भी है तिो, आपर् यिद चावरहे तिो अस्तपर्ने अस्तनुभव हमिे िलखे।

कृष्ण गोपर्ावरल िमिश

शी कृष्ण धावरमि, # 735, सेक्टर 39, गुडगावरव ँ 122002 भावररति । ईमिेल qualitymeter@gmail.com टे लीफोन 09312401302 [भावररति मिे ]

© Krishna Gopal Misra 2013 qualitymeter@gmail.com


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