ददभाग भें ववमबन्न रकाय के यासामतनक ऩदाथय उतयकय शयीय भें आ जाते हैं। इनसे अनेक फीभारयमां होती हैं। भन के नकायात्भक वविायों से भनोफर, आत्भफर कभजोय फन जाता है ।बगवान बाई ने कहा कक जहां तनाव है वहां अनेक सभस्माएं फढ़ जाती हैं। तनाव के कायण आऩसी भतबेद, टकयाव फढ़ जाते हैं। जहां तनाव है वहां भानमसक अशांतत के वश होकय भनष्ु म व्मसन, नशा, डिरेशन के वश हो जाता है । उन्होंने फतामा कक भन िरने वारे नकायात्भक वविायों के कायण ही भन भें घण ृ , नपयत, फैय, ववयोध, आवेश औय क्रोध उत्ऩन्न होता है ।