मेरी कहानी - गुरमेल सिंह भमरा - भाग 3

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भी लोग बैठे उन लोगों की बातें कर रहे थे क्योंकक गाूँव में रहते हुए वोह उन को िानते थे। घबराए हुए हम भी िाने के सलए तैयार हो गए। एक बात और भी मैं सलखना चाहूिंगा कक समिंदर स हिं की दक ू ान पर दो लड़ककआिं भी कभी कभी आया करती थीिं िो कहीिं कक ी प्राइमरी टकूल में अगधआपका लगी हुई थी। िब उतहोंने अपने

ाइकलों में हवा भरणी होती तो कक ी ऐ े शस

अच्छा हो। इ

े मझ ु े एक बात याद आती है कक उ

को कहतीिं िो उन के खखयाल

ज़माने में गाूँव की लड़ककओिं को

ककतनी मस्ु श्कल पेश आती थी। आि तो लड़ककआिं बहुत आगे िा चक् मय ु की हैं लेककन उ तो कोई कोई लड़की ही िे बी का कोे​े ग करके प्राइमरी टकूल में अगधआपका लगती थी। उ वक्त लड़ककओिं का अगधआपका होना अच्छा भी नहीिं

मझा िाता था। अभी कुछ वर्षग पहले

ही तो गाूँव की लड़ककआिं टकूल भी नहीिं िाती थीिं। पहली दफा हमारी क्ला

में ही चार

लड़ककआिं पड़ती थीिं। अक् र लोग उन अगधआपका लड़ककओिं पर लािंछन लगाते रहते थे कक इन लड़ककओिं का चालचलन ठीक नहीिं था। लेककन यह स फग खु र फु र ही होती थी और कक ी में हौ ला नहीिं होता था कक कक ी लड़की को कुछ कह

कें। लोग प्पछड़े हुए िरूर थे लेककन लड़ककआिं कहीिं भी िाएूँ महफूज़ थीिं। आि िो हो रहा है ,उ की बात करके ही शमग आती है कक इ

े तो उ

ज़माने के कम पिे लोग ही अच्छे थे।

आि प्लाही गाूँव बहुत त ु दर गाूँव है । यहािं समिंदर स हिं की दक ू ान होती थी वहािं अब बड़ी बड़ी दक ु ाने और बैंक बन गए हैं,भट्िी वाली बुड़ीआ के पीछे तो उ गिंदे तालाब को मट्िी े भर कर एक प्वशाल कालि बना हुआ है . समिंदर स हिं की यहािं दक ू ान होती थी वहािं ही ब है िो बहुत बबज़ी रहता है । चारों तरफ के गाूँवों े ब ें आती हैं। स्ि नहर के ाथ

अड्डा ाथ

हम िाया करते थे वहािं एक हाइवे बना हुआ है िो बहुत बबज़ी है और इ को क्रॉ करने के सलए बहुत दे र तक इिंतज़ार करना पड़ता है लेककन अब हुसशआर पुर रोड को िाने की कोई िरुरत नहीिं क्योंकक यह हाइवे क्रॉ

करके

ीधे ही दो ककलोमीिर पर फगवाड़ा आ िाता है ।

उन ढ़दनों में फगवाड़ा बहुत अच्छा होता था। बेशक आि बड़े बड़े रै टिोरैंि बन गए हैं,बड़े बड़े बैंक बन गए हैं लेककन उ मय िीिी के दोनों ओर बहुत खल ु ी िगह होती थी। शूगर समल स्ि

का नाम उ

वक्त िगतिीत शूगर समल होता था (इ

वक्त इ

का मालक कोई और

है ) के आगे िीिी रोड तक बबलकुल खल ु ा होता था और यहािं कुछ लोग मिमें लगाया करते थे और गतने

े लदे हुए छकड़े भी खड़े होते थे। कारें तो बहुत कम ढ़दखाई दे ती थी, स फग िक और ब ें ही ज़्यादा होती थी। आगे िा कर पैराडाइज़ स ननमा होता था स्ि में बहुत रौनक होती थी, अब यहािं दक ु ानें बनी हुई हैं और कुछ ाल पहले िब भी कभी मैं इन दक ु ानों को दे खता तो ऐ ा लगता था कक इन दक ु ानों ने उ शग ू र समल था और

े आगे िीिी रोड पर चौक होता था स्ि

पर उ

िंद ु रता को बबागद कर ढ़दया है । मय ब

अड्डा हुआ करता ड़क के एक तरफ ड्राइवरों के लेिने और आराम करने के सलए छै ात फ़ीि चौड़ा


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