हिंदी संबंधित महापुृ​ृरूषों के विचार-लघु संकलन

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मुंबई उत्तर अुं चल

ह दिं ी सबिं हिं ित म ापरू ु षों के हिचार-लघु सक िं लन प्रतिवर्ष 14 ति​िंबर को पूरे भारिवर्ष में तहं दी तदवि के रूप में मनाया जािा है । स्विंत्रिा प्राप्ति िे लेकर आज िक तहं दी दे श का जोड़ने का कायष कर रही है । यह भी उल्लेखनीय है तक तहं दी आज तवश्वमंच पर मजबूि स्थान बना चुकी है । तहं दी तवकाि की इि यात्रा में दे श के कई महापुरूर्ों ने अपने तवचार व्यक्त तकए तजि​िे हमें तहं दी को राष्ट्रभार्ा के रूप में आगे बढाने की प्रे रणा तमलिी है । यह िंकलन महत्वपूणष है । मुझे तवश्वाि है आप िभी इन महापुरूर्ों द्वारा व्यक्त तवचारों को ध्यानपूवषक पढें गे और इनिे प्रोत्सातहि होकर तहं दी के तवकाि में अपना योगदान दें गे। गिरीश कमार ग ुंह आुं चगलक प्रबुंधक

तहं दी तदवि 2018 पर तवशे र् रूप िे प्रकातशि ई-िंकलन


अगर हमारे दे श का स्वराज्य अंग्रेजी बोलने वाले भारिीयों का और उन्ीं के तलए होने वाला है िो तन:िंदेह अंग्रेजी ही राजभार्ा होगी ले तकन अगर हमारे दे श के करोड़ों भूखों मरने वालों, करोडों तनरक्षर बहनों और दतलि जनों को है और इन िबके तलए होने वाला है िो हमारे दे श में तहं दी ही एकमात्र राजभार्ा हो िकिी है । - महात्मा िाुंधी

तहं दी मैं इितलए तलखिा और प्रवचन करिा हं तक इि भार्ा में तवचारों की स्पष्ट्िा को िामने लाने की अदभुि क्षमिा है । मैं िो चाहिा हं तक दे वनागरी तलतप में ही दे श की िब भार्ाएं तलखी जाएं । इि​िे दू िरी भार्ाएं िीखना बहुि आिान हो जाएगा। – गिनोबा भािे

तहं दी एक जानदार भार्ा है । वह तजिनी बढे गी दे श का उिना ही नाम होगा। -पुं गित जिाहरलाल नेहरू

भार्ा के माध्यम िे िंस्कृति िुरतक्षि होिी है । चुंतक भारिीय एक होकर िामान्य िां स्कृति​ि तवकाि करने के आकांक्षी हैं , इितलए िभी भारिीयों का अतनवायष किष व्य है तक वे तहं दी को अपनी भार्ा के रूप में अपनाएं । - भारतरत्न बाबा

ाहेब भीमराि अुंबेिकर

'प्रान्तीय ईर्ष्ाष -द्वे र् को दू र करने में तजिनी िहायिा इि तहन्दी प्रचार िे तमले गी, उिनी दू िरी तकिी चीज िे नहीं तमल िकिी। अपनी प्रान्तीय भार्ाओं की भरपूर उन्नति कीतजए, उिमें कोई बाधा नहीं डालना चाहिा और न हम तकिी की बाधा को िहन ही कर िकिे हैं । पर िारे प्रान्तों की िावषजतनक भार्ा का पद तहन्दी या तहन्दु स्तानी को ही तमला है । – नेताजी

भाष चन्द्र बो

तहं दी अब िारे दे श की राष्ट्रभार्ा हो गई है । इि भार्ा का अध्ययन करने और इिके उन्नति करने में हमें गवष अनुभव होना चातहए। - लोहपरूष

रदार िल्लभभाई पटे ल


राजनीति, वातणज्य िथा कला के क्षेत्र में दे श की अखंडिा के तलए तहं दी की महत्ता की और िभी भारिीयों को ध्यान दे ना चातहए। चाहे वे तकिी भी क्षेत्र के रहने वाले और अपनी अपनी प्रां िीय भार्ाएं बोलनेवाले हों। - चक्रिती राजिोपालाचारी

तहं दी दे श की एकिा की ऐिी कड़ी है तजिे मजबूि करना प्रत्येक भारिीय का किष व्य है । इिने बड़े दे श में जहां इिनी भार्ाएं हैं वहां दे श की एकिा के तलए आवश्यक है तक कोई भार्ा ऐिी हो तजिे िब बोल िकें, जो एक कड़ी की िरह िबको तमलजुल कर रख िकें। इितलए तहं दी को बढाना हमारा किष व्य है । – इुं गदरा िाुंधी

राष्ट्र के एकीकरण में िवषमान्य भार्ा िे अतधक बलशाली कोई ित्व नहीं। मेरे तवचार में तहं दी ऐिी ही भार्ा है । िरलिा व शीघ्रिा िे िीखी जाने योग्य भार्ाओं में तहं दी िवोपरर है । - लोकमान्य गतलक

तकिी भार्ा का तवकाि िब होिा है जब वह जनिाधारण के हृदय में स्थान पािी है । हमने अपने िंतवधान में तहं दी का राजभार्ा के रूप में स्वीकार तकया है । इितलए हमें दे खना है तक इिका प्रयोग िरकारी कामकाज में अतधक िे अतधक हो। - राजीि िाुंधी राष्ट्र के एकीकरण के तलए िवषमान्य भार्ा िे अतधक बलशाली कोई ित्व नहीं। मेरे तवचार में तहं दी ऐिी ही भार्ा है । िरलिा व शीघ्रिा िे िीखी जाने योग्य भार्ाओं में तहं दी िवोपरी है । – लोकमान्य गतलक

तहं दी उन िभी गुणों िे अलं कृि है तजनके बल पर वह तवश्व की िातहप्तत्यक भार्ाओं की अगली श्रेणी में िभािीन हो िकिी है । - मैगिलीशरण िप्त


तहं दी भारिवर्ष के हृदय-दे श प्तस्थि करोड़ों नर-नाररयों के हृदय और मप्तस्तष्क को खुराक दे ने वाली भार्ा है । - हजारीप्र ाद गि​िेदी

दतक्षण की तहं दी तवरोधी नीति वास्तव में दतक्षण की नहीं, बप्ति कुछ अंग्रेजी भक्तों की नीति है । - के. ी. ारुं िमठ

तहं दी भारिवर्ष के हृदय-दे श प्तस्थि करोड़ों नर-नाररयों के हृदय और मप्तस्तष्क को खुराक दे ने वाली भार्ा है । - हजारीप्र ाद गि​िेदी

तवदे शी भार्ा का तकिी स्विं त्र राष्ट्र के राजकाज और तशक्षा की भार्ा होना िां स्कृतिक दाि​िा है । - िॉल्टर चेगनुंि

अपनी मािृ भार्ा बां ग्ला में तलखकर मैं बंग बंधु िो हो गया, तकंिु भारि-बंधु मैं िभी हो िकूंगा जब भारि की राष्ट्रभार्ा में तलखूंगा। - बुंगकमचुंद्र चटजी

िमस्त भारिीय भार्ाओं के तलए यतद कोई एक तलतप आवश्यक हो िो वह दे वनागरी ही हो िकिी है । - (जस्टि ) कृष्णस्वामी अय्यर

राष्ट्र के एकीकरण के तलए िवषमान्य भार्ा िे अतधक बलशाली कोई ित्व नहीं। मेरे तवचार में तहं दी ऐिी ही भार्ा है । िरलिा व शीघ्रिा िे िीखी जाने योग्य भार्ाओं में तहं दी िवोपरी है । – लोकमान्य गतलक

तहं दी ही भारि की राष्ट्रभार्ा हो िकिी है । - िी. कृष्णस्वामी अय्यर

िंस्कृि मां , तहं दी गृतहणी और अंग्रेजी नौकरानी है । - िॉ. फादर कागमल बल्के


तहं दी तवश्व की महान भार्ा है । - राहुल

ाुंकृत्यायन

मैं दु तनया की िब भार्ाओं की इज्जि करिा हूँ , परन्तु मेरे दे श में तहं दी की इज्जि न हो, यह मैं नहीं िह िकिा। - गिनोबा भािे भार्ा के उत्थान में एक भार्ा का होना आवश्यक है । इितलए तहन्दी िबकी िाझा भार्ा है । - पुं . कृ. रुं िनाि गपल्लयार राष्ट्रभार्ा के तबना आजादी बेकार है । - अिनी ुंद्रकमार गिद्यालुं कार

तहन्दी का पौधा दतक्षणवालों ने त्याग िे िींचा है । - शुंकरराि कप्पीकेरी

राष्ट्रभार्ा तहन्दी का तकिी क्षेत्रीय भार्ा िे कोई िंघर्ष नहीं है । - अनुंत शेिडे तहं दी हमारे दे श और भार्ा की प्रभावशाली तवराि​ि है । - माखनलाल चतिेदी

राष्ट्रीय एकिा की कड़ी तहं दी ही जोड़ िकिी है ।- बालकृष्ण शमा​ा 'निीन'

तहं दी को िु रंि तशक्षा का माध्यम बनाइए। - बेरर

कल्येि

िंस्कृि की तवराि​ि तहन्दी को िो जन्म िे ही तमली है । - राहुल

ाुंकृत्यायन

तहं दी द्वारा िारे राष्ट्र को एक िूत्र में तपरोया जा िकिा है – स्वा. दयानुंद

रस्वती

िंकलन: िरिाज मोहम्मद शकील, वररष्ठ प्रबंधक (राजभार्ा), मुंबई उत्तर अंचल।


अपनी भाषा-अपना मान- अपना स्िागभमान पराई भार्ा िे कभी कोई द्वे र् नहीं, अपनी भार्ा िे बढकर कोई वेश नहीं िीने में इक आग, मन में िंकल्प तलए आगे बढो अपनी भार्ा के मान- अपने स्वातभमान के तलए अपनी भार्ा में काम करो। िोचो इि भार्ा ने हमें क्या नहीं तदया िु म मुझे खून दो, मैं िु म्हें आजादी दू ं गा स्वरा्‍य मेरा जन्मति्ध अतधकार है , मैं इिे पाकर रहं गा इन नारों को याद करो तजन्होंने गुलामी की जंजीरों को िोड़ा था िभी भारिीयों को एक मंत्र और एक िूत्र में जोडा था यही वह भार्ा है जो क्ां तिकाररयों का हतथयार बनी उिरकर जन-जन के कंठों में, हमारी स्विं त्रिा का आधार बनी क्यों भूल गए आज हम अपनी भार्ा की कुबाष नी को क्यों उदािीन हैं हम अपनी भार्ा को ही अपनाने को।

मेरा मन आज यह आह्वान करिा है दे शवातियों को यह िुंदर पैगाम करिा है भारिीय भार्ाओं के मध्य तहं दी िदा तिंहािन पर तवराजिी रहे हम तिर िे यह गीि गुनगुनािे रहें िारे जहां िे अच्छा तहं दोस्िां हमारा हम बुलबुले हैं इिके यह गुलति​िां हमारा। जय तहं द, जय भारि रचनाकार:

रताज मो. शकील


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