Chronological Quran: Early Meccan Period [क़ुरआन : पूर्व मक्का काल] ..मो. जावेद मज़हर

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क़ुरआन : काल- म के अनस ु ार : Chronological Quran क़ुरआन को समझने के कई तर क़े हो सकते ह. एक तो जो पारं प रक तर क़ा है क पहल सरू ह से लेकर 114 वीं सरू ह तक म से पढ़ा और समझा जाए. इसम द क़त यह होती है क यह सरू ह चंू क अलग-अलग समय म उतर थीं, इस लए उसक प ृ टभू म समझने के लए पाठक को बार-बार समयकाल म पीछे और आगे जाना पड़ता है , िजससे समझने म मिु कल होती है . दस ु ार [Theme ू रा तर क़ा यह हो सकता है क क़ुरआन को वषय के अनस based] समझा जाए, जैसा क हम कोई भी कताब पढ़ने क आदत रह है . कसी एक वषय पर क़ुरआन म कई जगह पर ववरण मलता है , उन सार बात को एक जगह लाकर उसे समझने क को शश क जाए. इस तरह क को शश अँ ेज़ी म हो रह ह, मगर उद ू या हंद म अभी तक कोई अ छ कताब सामने नह ं आयी है . तीसरा तर क़ा यह हो सकता है क क़ुरआन को उस म से समझने क को शश क जाए िजस म से यह सरू त 23 साल म थोड़ी-थोड़ी उतर थीं. इसम आप उन घटनाओं और बात क प ृ टभू म सल सलेवार ढं ग से समझ सकते ह. मगर इसम सबसे बड़ी द क़त यह है क कोई भी व वान परू े यक़ न से नह ं बता सकता है क क़ुरआन क सभी 114 सरू त के उतरने का सह म या था. व वान म इसके सह म को लेकर मतभेद रहा है . 1924 ई.म म से क़ुरआन क जो त छपी थी उसे ह मिु लम जगत म मा णक माना जाता है , और उसम उस समय क घटनाओं और कुछ रवायत और हद स को आधार बना कर हर सरू ह के उतरने का एक म नधा रत कया गया है . इसे यादातर मिु लम व वान कुछ एक मतभेद के साथ ठ क मानते ह. इस वषय म जमन व वान नो दे क और उनके अ य सा थय ने भी काफ़ काम कया है , और उनलोग ने इन सरू त का एक अलग ह म बनाया है . उनके म का आधार परू तरह भाषा व सा ह य है , एक समय पर िजस तरह क भाषा म और िजस अंदाज़ म बात कह गयी ह, उनको यान म रखकर इन सरू त का काल नधा रत कया गया है . चंू क 23 साल के ल बे अंतराल म भाषा क शैल म अंतर आया है , इस लए इसका अ यन भी दलच प है . बहरहाल, मने म के ामा णक म को यहाँ पर अपनाते हुए क़ुरआन क सरू ह को chronologically सजाने क को शश क है . आम तौर से इसको दो भाग म बांटते ह : (1) म क [Meccan] : वे सरू त जो म का से ( हजरत कर के) मद ना जाने से पहले के 13 साल के अंतराल म उतर ं.


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