Hindi - Joseph and Asenath by E.W. Brooks

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जोसेफ और असेनाथ राजा के बेटे और कई अन्य लोगो​ों द्वारा वि​िाह के वलए असेनाथ की तलाश की जाती है। 1. पहिले वर्ष के बहुतायत के दू सरे मिीने के पा​ां चवें हदन को हिरौन ने यूसुि को सारे हमस्र दे श में घूमने को भेजा; और पहिले वर्ष के चौथे मिीने के अठारिवें हदन को यूसुि िे ल्योपुहलस के हसवाने पर आया, और उस दे श का अन्न समुद्र की बालू के समान इकट्ठा करने लगा। और उस नगर में पेंतेफ्रेस नाम एक पुरूर् या, जो िे हलयोपोहलस का याजक और हिरौन का अहिपहत, और हिरौन के सब अहिपहतयोांऔर िाहकमोांमें प्रिान था; और वि मनुष्य अत्यांत िनी, बुद्धिमान और सज्जन था, और हिरौन का सलािकार भी था, क्ोांहक वि हिरौन के सब िाहकमोां से अहिक बुद्धिमान था। और उसकी असेनाथ नाम अठारि वर्ष की एक कु​ुँवारी बेटी थी, जो लम्बी, सुडौल, और पृय्वी भर की सब कु​ुँवाररयोां से बढ़कर दे खने में सुन्दर थी। आसनत स्वयां हमहस्रयोां की कुांवाररयोां के समान निी ां थी, परन्तु सब बातोां में इहियोां की बेहटयोां के समान थी; वि सारा के समान लम्बी, ररबका के समान सुन्दर और रािे ल के समान सुन्दर थी; और उसकी सुन्दरता की कीहतष उस सारे दे श में और जगत की छोर तक िैल गई, यिा​ां तक हक उसके कारण सब िाहकमोांऔर अहिपहतयोांके पुत्र भी उसे मोहित करना चािते थे, वरन राजाओांके भी। सब जवान और शूरवीर थे, और उसके कारण उन में बडा झगडा हुआ, और वे एक दू सरे से लडने को उतारू िो गए। और हिरौन के पहिलौठे पुत्र ने भी उसके हवर्य में सुना, और अपके हपता से हबनती करने लगा, हक वि उसे ब्याि दे , और उस से किने लगा, िे हपता, आसनत, जो पेंतेफ्रेस की बेटी िै , और िे हलयोपोहलस का पहिला पुरूर् िै , मुझे ब्याि दे । और उसके हपता हिरौन ने उस से किा, जब तू इस सारे दे श का राजा िै , तो तू अपने से छोटी स्त्री क्ोां ढू ां ढ़ता िै ? निी,ां लेहकन दे खो! मोआब के राजा योआहकम की बेटी की मांगनी तुझ से हुई िै , और वि रानी और अहत सुन्दर िै । हिर इसे अपनी पत्नी के पास ले जाओ।" वजस मीनार में असेनाथ रहता है उसका िर्णन वकया गया है। 2. परन्तु आसनत ने घमण्ड और घमण्ड करके सब मनुष्योांको तुच्छ जाना और तुच्छ जाना, और हकसी मनु ष्य ने उसे कभी न दे खा, यिा​ां तक हक पेंतेफ्रेस ने अपने घर में एक मीनार बनाई, जो बहुत बडी और ऊांची थी, और मीनार के ऊपर दसोांवाली एक छत थी। कक्ष. और पहिला कक्ष बडा और अहत मनमोिक था, और बैंजनी पत्थरोां से जडा हुआ था, और उसकी दीवारोां के ऊपर बहुमूल्य और रां ग हबरां गे पत्थर लगे थे, और उस कक्ष की छत भी सोने की थी। और उस कक्ष के भीतर हमहस्रयोां के दे वता, हजनमें हगनती निी ां थी, सोने और चा​ां दी, स्थाहपत हकए गए थे, और आसनथ उन सभी की पूजा करती थी, और वि उनसे डरती थी, और वि प्रहत हदन उनके हलए बहलदान करती थी। और दू सरे कक्ष में आसनथ का सारा आभूर्ण और सन्दू कें भी थी,ां और उस में सोना, और बहुत सी चा​ां दी और सोने के बुने हुए अनहगनत वस्त्र, और अच्छे और बडे मू ल्य के पत्थर, और सनी के कपडे के बहढ़या वस्त्र, और उसके कौमायष की सारी सजावट थी। विाुँ था। और तीसरा कक्ष आसनत का भण्डार था, हजसमें पृय्वी की सारी अच्छी वस्तुएां रखी हुई थी।ां और शेर् सात कोठररया​ां उन सात कुांवाररयोां ने जो आसनत की सेवा टिल करती थी,ां उन पर कब्जा कर हलया, प्रत्येक में एक िी कक्ष था, क्ोांहक वे एक िी उम्र की थी,ां और आसनत के साथ एक िी रात में पैदा हुई थी,ां और वि उनसे बहुत प्यार करती थी; और वे आकाश के तारोां के समान अहत सुन्दर थे, और कभी कोई पुरूर् वा कोई बालक उन से बातें निी ां करता था। अब असेनाथ के मिान कक्ष में जिा​ां उसके कौमायष का पालन-पोर्ण हकया गया था, उसमें तीन द्धखडहकयाुँ

थी;ां और पिली द्धखडकी बहुत बडी थी, जो पूवष की ओर आां गन की ओर दे खती थी; और दू सरे ने दहक्षण की ओर, और तीसरे ने सडक की ओर दे खा। और कोठरी में पूवष की ओर मुख हकए हुए सोने का एक हबछौना खडा था; और हबछौना सोने से गूांथे हुए बैंजनी कपडे से हबछाया गया, और वि हबछौना लाल और गिरे लाल रां ग के कपडे और बहढ़या सनी के कपडे से बुना गया। इस हबस्तर पर असेनाथ अकेला सोता था, और उस पर कभी कोई पुरुर् या अन्य महिला निी ां बैठी थी। और भवन के चारोां ओर एक बडा आां गन भी था, और आां गन के चारोां ओर बडे आयताकार पत्थरोां की बनी हुई एक बहुत ऊांची दीवार थी; और आुँ गन में लोिे से मढ़े हुए चार िाटक भी थे, और उन पर अट्ठारि िहथयारबांद जवान जवान पिरा दे ते थे; और शिरपनाि के पास सब प्रकार के और सब प्रकार के िल दे नेवाले सुन्दर वृक्ष लगे हुए थे, और उनके िल पके हुए थे, क्ोांहक िसल का समय था; और उसी आां गन के दाहिनी ओर से पानी का एक समृि झरना भी िूट रिा था; और सोते के नीचे एक बडा िौज था, हजस से उस सोते का जल हनकलता था, और जिा​ां से मानो आां गन के बीच में एक नदी बिती थी, और उस से उस आां गन के सब वृक्षोां को सीच ां ा जाता था। जोसेफ ने पेंटेफ़्रेस में अपने आने की घोषर्ा की। 3. और सातोांवर्ोंकी बहुतायत के पहिले वर्ष के चौथे मिीने के अट्ठाईसवें हदन को ऐसा हुआ, हक यूसुि उस हजलेका अन्न बटोरने के हलथे िे ल्योपुहलस के हसवाने पर पहुां चा। और जब यूसुि उस नगर के हनकट पहुां चा, तब उस ने िे हलयुपोहलस के याजक पेंतेफ्रेस के पास बारि पुरूर्ोां को अपने आगे यि किकर भेजा, हक मैं आज तेरे पास आऊांगा, क्ोांहक दोपिर और दोपिर के भोजन का समय िो गया िै , और विा​ां भोजन िै । सूरज की बहुत गमी िै , और मैं ते रे घर की छत के नीचे अपने आप को ठां डा कर सकता हुँ ।" और पेन्तेफ़्रेस ने ये बातें सुनीां, और बहुत आनद्धन्दत हुआ, और किा, यूसुि का परमेश्वर यिोवा िन्य िै , क्ोांहक मेरे स्वामी यूसुि ने मुझे योग्य समझा िै । और पेंटेफ़्रेस ने अपने घर के अध्यक्ष को बुलाया और उससे किा: "जल्दी करो और मेरा घर तैयार करो, और एक मिान राहत्रभोज तैयार करो, क्ोांहक भगवान का शद्धिशाली यूसुि आज िमारे पास आता िै ।" और जब आसनत ने सुना, हक उसके माता-हपता अपने हनज भाग से लौट आए िैं , तब वि बहुत आनद्धन्दत हुई, और किा, मैं जाकर अपने माता-हपता से हमलूांगी, क्ोांहक वे िमारे हनज भाग से लौट आए िैं । िसल का मौसम था)। और आसनथ झट से अपनी कोठरी में गई, जिा​ां उसके वस्त्र पडे थे, और लाल रां ग के कपडे से बना और सोने से बुना हुआ एक बहढ़या सनी का बागा पिना, और सोने का करिनी बान्ध हलया, और िाथोां में कांगन बान्ध हलया; और उसने अपने पै रोां के चारोां ओर सोने की बुद्धिनें डालीां, और अपनी गदष न के चारोां ओर बहुमूल्य और बहुमू ल्य पत्थरोां का आभूर्ण डाला, जो चारोां ओर से सुशोहभत थे, और उन कांगनोां पर भी हमहस्रयोां के दे वताओां के नाम िर जगि खुदे हुए थे। और पत्थर; और उसने अपने हसर पर एक मुकुट भी रखा, और अपनी कनपटी के चारोां ओर एक मुकुट बाुँ िा और अपने हसर को एक लबादे से ढुँ क हलया। पेंटेफ़्रेस ने असे नाथ की शादी जोसेफ से करने का प्रस्ताि रखा। 4. तब वि िुती करके अपनी छत से सीहढ़या​ां उतरकर अपने माता-हपता के पास आई, और उनको चूमा। और पेंटेफ़्रेस और उसकी पत्नी अपनी बेटी असेनात के कारण बहुत प्रसन्न हुए, क्ोांहक उन्ोांने उसे परमेश्वर की दु ल्हन के समान सजी-िजी और सुशोहभत दे खा था; और उन्ोांने अपनी हनज भूहम में से जो अच्छी अच्छी वस्तुएां अपने पास ले आए थे सब हनकालकर अपनी बेटी को दे दीां; और असेनात ने सब अच्छी वस्तुओां पर आनन्द हकया, अथाष त् ग्रीष्म ऋतु के िलोां और अांगूरोां और खजूरोां पर,


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