गीतकार इन्दीवर

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गीतकार इंदीवर ने गीतों को असल िज़ दगी के साथ जोड़ा जैसा इनका एक गीत कुदरत क स ाई को यान करता है िक "निदया चले चले रे धारा,चंदा चले, चले रे तारा तुझ को चलना होगा "

प रचय गीतकार इंदीवर का ज म 15 अग त 1924 को उ र देश के झाँसी के ब वा सागर नामक क बे म हुआ था। उनका वा तिवक नाम यामलाल बाबू राय था। उनके िपता का नाम हरलाल राय था। बचपन म ही उनके माता िपता का देहांत हो गया। िजसके बाद उनक बड़ी बहन और बहनोई उ हे अपने साथ लेकर चले गए। लेिकन कुछ समय बाद ही वे वहाँ से वापस आ गए। बचपन से ही उनक गीत लेखन म काफ च थी। िजसके चलते वे एक फ कड़ बाबा के संपक म आए।वो बाबा ब वा सागर म ग ुलाब बाग़ म एक िवशाल पेड़ के नीचे अपना डेरा जमाकर रते थे । वे कह भ ा माँगने नह जाते थे। धूनी के पास बैठे रहते थे। बहुत अ छे गायक थे। फ कड़ बाबा के स पक म इ दीवर को गीत लखने व ृ हुई। इंदीवर बाबाजी का चमटा लेकर राग बनाकर व ल खत गीत, भजन गाया करते थे।यवु ाव था गाने क च जागत म उनका िववाह उनक मज के िबना झाँसी क रहने वाली ‘पावती’ नाम क लड़क से करा िदया गया। उसी बीच िबना मज के अपनी शादी से ठकर एक िदन वह मुंबई भाग गए। उस समय उनक उ केवल बीस साल थी। वहां िफ म िनदशक , किव-सािह यकार क प र मा करते रहे। आ खरकार 1946 म िफ म ‘डबल फेस’ म उनका पहला गीत दशक तक पहुंचा। गीत चला नह । वह िफर ब वा सागर लौट गए लेिकन मु बई आते -जाते रहे। इधर दांप य जीवन सहज होने लगा था। दोबारा जाकर मुंबई म संघष करने लगे|

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