कल्याण जी आनंद जी

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क याण जी आनंद जी eraclassic.blogspot.com/2021/08/kalyanji-anandji.html

कोहेनरू इस लए की ग ुजरात म एक िकराने की दक ु ान चलने वाले दो भाइय ने िफ़ म जगत के संगीत को अमर कर िदया अपने सीधे साधे संगीत से | चाहे वो िबनाका गीत माला का टॉप गाना हो "मेरा जीवन कोरा कागज़ कोरा ही रह गया",या िफर "खइके के पान बनारस वाला "| ये वो गीत है जो कभी व त की धूल से धुंधले नहीं हुए| Table Of Contents

पिरचय किरयर िन कष पिरचय क याण जी का ज म 30 जून 1928 म हुआ था और आनंदजी का ज म 2 माच 1933 म हुआ था| क याण जी के िपता जी गुजरात से मुंबई आ गए और एक िकराने के दक ु ान खोल ली, उनक दक ु ान पे एक ाहक उधार सामान ले जाता था, जब वीरजी शाह (क याणजी के िपता जी) ने उस से पै से मांगे तो उसने उधार की ऐवज़ म दोन बेट को संगीत सीखने की िज़ मेदारी ले ली | इस तरह उधार के पै सों की वसूली की वज़ह से दोन ने संगीत सीखा | संगीत सीखने के बाद दोन भाइय ने एक ओक टा पाट बनाई "क याण जी वीर जी एं ड पाट " के नाम से जो जगह जगह जाके कायकम करती थी | शु म क याणजी वीरजी शाह के नाम से संगीत देना शु िकया | पर बाद म ये जोड़ी क याण जी आनंदजी म नाम से ये जोड़ी मशहूर हो गई |

किरयर इस जोड़ी ने उस व त िफ म म कदम रखा जब "नौशाद","एस डी बमन ","हेमंत कु मार", "मदन मोहन" अपना मक़ाम बना चुके थे, ऐसे म एक जगह अपने लए बनाना बहुत मु कल था इसके तहत भी इस कोहेनरू जोड़ी ने 250 से यादा िफ म म संगीत िदया जसम से 17 िफ म गो डन जुबली, 39 िफ म स वर जुबली रही |

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कल्याण जी आनंद जी by Chhavi Srivastava - Issuu