नारायण देसाई

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ट"टना एक प(ल का ० क+मार .श0त तारीख बताती ' (क २४ (दस.बर १९२४ को ग3जरात 5 वलसाड 9 जन; नारायण >साई की मABय3 १५ माचE २०१५ को ग3जरात 9 ही, सHरत 5 (नकट Jडछी 5 स.पHणE MN(त (वOालय 9 Pई. तो उR Pई ९० साल की - एकदम पकी उR ! इस उR 5 (कसी भी अादमी की मABय3 न तो अकाल मABय3 मानी जा सकती ' अौर न ऐसी मABय3 पर शोक का कोई कारण होना चा(हए. अौर यह जान[ 5 बाद तो हर(गज नह\ (क (पछ] १० (दस.बर ^ J मि`तaक अाघात 5 कारण cाय: dतना शHeय ही f. अाध3(नक िच(कBसा की ताकत उeh तब ^ अब तक ख\d जा रही थी. सHरत 5 एक अ`पताल 9 तब ^ उनकी मौत को टाल[ अौर dतना 9 लौट[ की उनकी तमाम कोिशशj को मदद >[ का उपMम (कया जा रहा था. अभी-अभी उeh अ`पताल ^ उन5 घर Jडछी वापस लाया गया था (क उeहj[ वापस जा[ का अ.(तम फlसला (कया. नाक ^ लगी सNस अौर भोजन की निलयN ख3द ही (नकाल द\ अौर (फर जीवन व स.सार ^ अल(वदा कह (दया. यह तो nयिoत की कहानी Pई. ](कन जीवन उनका ऐसा था (क जpसा (वरलj का होता ' अौर जब ऐसा भी लगता हो (क भगवान 5 कारखा[ 9 अब ऐ^ इ.सान बन[ ब.द भ] न Pए हj, कम तो बPत हो गq r, तब इस अवसान का अवसाद मन पर भारी पड़[ लगता '. नारायण >साई गNघी 5 कारखा[ 9 गढ़u गq एक अनोv इ.सान f. इ(तहास 9 बड़u शHरमाअj, (वwानj अौर (वराट हि`तयj की कमी नह\ '. कमी ' तो प3लj की, ^त3अj की. प3ल, जो (दलj को, मनj को, धाराअj को, cवाहj को अौर एका(धक बार इ(तहास 5 कालख.डj को जोड़x r. नारायण >साई ऐ^ ही एक प3ल f अौर उनका (नधन वp^ ही एक प3ल 5 टHट[ जpसा '. `वत.yता अNदोलन की (कतनी ही हि`तयj 5 बाz 9 हमारा इतना िलखना पय{|त होता ' (क उन5 (नधन ^ गNधी-य3ग का एक `त.भ ढह गया. नारायण >साई 5 बाz 9 ऐसा क~छ िलखना उन5 बाz 9 हमाz अ•ान का प(रचायक होगा. सच तो यह ' (क J उन (बर] लोगj 9 f जो महाBमा गNधी, (वनोबा भाJ अौर लोकनायक जयcकाश नारायण जpसी (वराट व मौिलक c(तभाअj 5 बीच ^त3ब.ध का काम करx f. गNधी 5 प3yवत (नजी सिचव महा>व >साई 5 प3y नारायण >साई गNधी 5 ‘बाबला‘ f अौर उनकी गोद 9 v]-पढ़u-बढ़u f. गNधी 5 यहN पढ़ाई का मतलब (कताब या `क€ल की पढ़ाई कम अौर जीवन की, जीवन ^ पढ़ाई •यादा होती थी. तो नारायण >साई भी इसी तरह पढ़u - (कसी अौपचा(रक िश‚ा-स.`थान 9 गq (बना ही J िश‚कj 5 िश‚क ब[. ग3जराती, ƒहदी, उ(ड़या, बNग„ा अौर अ.…uजी उनकी अपनी भाषाए. थ\ अौर इन सब9 उनका (वप3ल ]खन भी मौजHद '. ग3जराती सा(हBय 5 अBय.त समादAत रचनाकारj 9 उनकी (गनती होती थी अौर ग3जराती सा(हBय 5 (कत[ ही मान-स‡मान उन5 नाम दजE r. सा(हBय अकादमी, मHˆत>वी जp^ सा(हिBयक प3र`कारj ^ ] कर (व‰शN(त 5 स(Mय ^नानी 5 Šप 9 भी J प3र`क‹त-स‡मा(नत Pए. गNधी की हBया हो[ तक उeहj[ वह जीवन-(दशा खोज ली थी िजसकी तलाश 9 हम जीवन भर भटकx ही रहx r. इसिलए गNधी 5 बाद, गNधी की अƒहसक MN(त की प(रकŒपना को ] कर जब (वनोबा भाJ [ अपना भHदान अNदोलन श3Š (कया तो नारायण >साई उस9 उतनी ही सहजता ^ समा


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नारायण देसाई by aflatoon afloo - Issuu