काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग : जिस पर एक लोटा गंगाजल चढ़ते ही प्रसन्न हो जाते है भगवान गंगाधर

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अपनी आत्मा में ही सतप्त रहने िाले व्यश्तत को योग की र्सद्धध प्राप्त करने में विलम्ब नहीं लगता। िह र्सद्ध उससे कभी दर नहीं होता। पवित्र काशी विचिनाि ज्योततर्लिंग

काशी विश्वनाथ ज्योविवलिंग : विस पर एक लोटा गगािल चढ़िे ही प्रसन्न हो िािे है भगिान गगाधर भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा के पश्चिमी तट पर श्थित िाराणसी ( काशी, बनारस के नामों से भी िर्णित ) सश्टट का सबसे जीवित प्रािीनतम शहर, जो जम्बखड की
है।
शहर के केन्द्र में माया के बंधनो से मश्तत प्रदान करने िाला प्रािीन थतम्भ रुपी ज्योततर्लिंग मश्न्द्दर, श्जसे बाबा विचिनाि मश्न्द्दर, विचिेचिर मश्न्द्दर आदद नामो से जाना जाता है, कक मदहमा का िणिन िेद, पराण, उपतनषद, ऋवष-मतन, देि तक कर पाने में सक्षम नहीं है। यह मध्य गंगा घाटी में पहली प्रमख शहरी बश्थतयों में से एक िी। असि िम्भेदतोगेन काशीिस्थोऽमतो भवेत्। देहत्यागोऽत्रवैदानं देहत्यागोऽत्रवैतप:॥ थकदपराण (2/53/7) में िर्णित तनरन्द्तर अपनी आत्मा के ही साि क्रीडा करने िाले, सदा आत्मा के ही साि योग थिावपत रखने िाले तिा
न केिल भारतीय अवपत विदेशी पयिटकों को भी अपनी ओर आकवषित करता है। श्जन्द्होंने सनातन और अध्यात्म के मागि का िनाि ककया है।
साथकततक राजधानी
इस िाराणसी
• पराणों में विश्वनाथ ज्योविवलिंग • काशी विश्वनाथ मवन्िर का इविहास • काशी विश्वनाथ मवदिर की िास्ि सिरिा •
काशी
धाम का नि भव्य स्िरूप o
यात्रा • काशी विश्वनाथ मवदिर पिा का समय • काशी विश्वनाथ मवदिर के सास्कविक आयोिन o मकर सक्रावदि o महा वशिरावत्र o श्रािण माह o िेि िीपािली o अदनकट o रगभरी या आमलकी एकािशी o अक्षय ििीया • काशी विश्वनाथ ज्योविवलिंग से िड़ कछ रोचक िथ्य
श्री
विश्वनाथ
मवदिर पररसर o िाराणसी गैलरी o वसटी म्यवियम o ममक्ष भिन o िैविक केंद्र o टररस्ट फैवसवलटी सेंटर o आध्यावममक बक स्टोर o गगा व्य कैफे
काशी का महमि
पच कोशी
• काशी विश्वनाथ मवदिर के आसपास वस्थि मवदिर o गरू ित्तात्रेय भगिान का मविर o काशी के सहार भैरि का मवदिर • काशी के प्रवसद्ध घाट o विश्व प्रवसद्ध अस्सी घाट o पािन िीथथ, िशाश्वमेध घाट o महाश्मशान, मवणकवणथका घाट o प्रथम विष्ण िीथथ आविकेशि घाट o पच नवियों का वमलन स्थल पचगगा घाट o अदय घाट • विश्वनाथ गली पराणों में विश्वनाथ ज्योविवलिंग मर्णकर्णिका घाट ' ब्रह्म’ का ना िो कोई नाम है और न रूप, इसवलए िह मन, िाणी आवि इवदद्रयों का विषय नहीं बनिा है। िह िो समय है, ज्ञानमय है, अनदि है, आनदिस्िरूप और परम प्रकाशमान है। िह वनविथकार, वनराकार, वनगण, वनविथकल्प िथा सिथव्यापी, माया से परे िथा उपद्रि से रवहि परमाममा कल्प के अदि में अकेला ही था। कल्प के आवि में उस परमाममा के मन में ऐसा सकल्प उठा वक 'मैं एक से िो हो िाऊँ ' । यद्यवप िह वनराकार है, वकदि अपनी लीला शवि का विस्िार करने के उद्देश्य से उसने साकार रूप धारण कर भगिान वशि
ने अपनी शवि और आभा के साथ पचकोशी नाम के एक शहर की स्थापना की। इस पचकोशी शहर में भगिान वशि ने एक सिर परुष की रचना की, इस परुष का नाम उदहोंने विष्ण रखा। इस परुष ने अनेको िषों िक उसी स्थल पर भगिान वशि की आराधना की। विसके पररणाम स्िरुप पचकोशी में अनेक िलधाराओ का वनमाथण हो गया। इन िलधाराओ को िेखकर विष्ण अमयवधक विवस्मि हो गए िथा उदहोंने िैसे ही अपना शीश झकाया, उनके कान से वनकल कर मक्तामय (मविमय) कण्डल वगर गया। विस िगह पर यह मिामय कण्डल वगरा था उस स्थल का नाम मविकवििका पड़ा। भगिान वशि ने िब अपने वत्रशल में पच कोशी के मवणकवणथका िल से भरे क्षेत्र को ग्रहण कर वलया। ििोपराि विष्ण की नावभ से एक कमल के पष्प का िदम हुआ विस पर एक परुष ब्रह्मा विराविि थे। भगिान वशि ने ब्रह्मा को पचास करोड़ योिन के क्षेत्र पर सवि की स्थापना का आिेश विया िथा विष्ण को उनके द्वारा रवचि सवि के पालन का कायथ विया। अपने कमों और उसके बदधन से लोगों को बचाने के वलए भगिान वशि ने अपनी पचकोशी नगरी को ब्रह्मा िी की इस सवि से अलग कर वलया। िथा मवणकवणथका िल से भरा क्षेत्र विसे उदहोंने वत्रशल में ग्रहण कर वलया था को बाहर वनकाल कर बाहर रख विया िथा स्िय उद्धारकिाथ मवििाय ज्योविवलिंग रुप में उसी स्थान पर वस्थि हो गए। चवक काशी सवि से पहले भी थी और अि िक रहेगी इसवलए इसे अविमक्तश्वर क्षेत्र और ज्योविवलिंग को अविमक्तश्वर ज्योविवलिंग कहा िािा है। काशी विश्वनाथ मवदिर का इविहास काशी विश्वनाथ मवदिर का इविहास समय में विनाश और पन वनमाथण के इिथ वगिथ घमिा रहा है। ११९४ में पहली बार किब-उि-िीन ऐबक की सेना के द्वारा मवदिर को नि वकया गया था। विसका पन वनमाथण इल्ििवमश के शासन के िौरान वकया गया। विसे बाि में वफर से वसकिर लोिी के शासनकाल में वफर से ध्िस्ि कर विया गया। अकबर के शासन काल में मवदिर को एक बार वफर से रािा मान वसह के द्वारा बनिाया गया। विसे बाि में मग़ल शासक औरगिब ने नि कर विया वकदि कच्छ की रानी के कहने पर की मवदिर का पनः वनमाथण करिाए िो उसने अपने धावमथक विश्वास के कारण िह पर मवस्िि का वनमाथण करिाया िथा मवदिर में वस्थि ज्ञानिापी कप के नाम पर मवस्िि को ज्ञानिापी नाम विया। काशी विश्वनाथ मवदिर की िास्ि सिरिा िाराणसी शहर में वस्थि भगिान वशि का यह मवदिर वहिओ के प्राचीन मवदिरों में से एक है, िो वक गगा निी के पविमी िट पर वस्थि है। विसमे अनदि काल से भगिान वशि के ज्योविवलङग स्िरूप की पिा होिी है। मवदिर में मख्य िेििा का वशिवलग विग्रह 60 सेंटीमीटर (24 इच) लबा और 90 सेंटीमीटर (35 इच) पररवध में एक चािी की िेिी में रखा गया है। मख्य मवदिर एक चिभि आकार में वनवमथि है और अदय िििाओ के मवदिरों से वघरा हुआ है। पररसर में विवभदन छोटे-छोटे मवदिर विनके िेििा काल भैरि, काविथकेय, अविमिश्वर, विष्ण, गणेश, शवन, वशि और पािथिी है, वस्थि हैं। मवदिर के उत्तर में एक छोटा कआ है विसे ज्ञानिापी कप कहा िािा है। ज्योविमथय वशिवलग काशी विश्वनाथ मविर के गभथ द्वार के भीिर िािे ही चााँिी के ठोस हौिे के बीच सोने की गोरी पीठ पर ज्योविमथय काशी विश्वेश्वर वलग का अलभ्य िशथन वमलिा है। श्री काशी विश्वनाथ मवदिर के पररसर के भीिर ही नहीं अवपि बाहर और भी अनेक िेि- मविया हैं। विश्वनाथ मवदिर के पविम में बने मण्डप के बीचो- बीच भगिान िेंकटेश्वर की वलग मवि है। िवक्षण ओर के मवदिर में अविमिश्वर वलग है। वसह द्वार के पविम में समयनारायणावि िेि विग्रह हैं। समयनारायण मविर के उत्तर में शनेश्वर वलग है। इनके समीप िण्डपाणीश्वर पविम के मण्डप में ही हैं। इसके उत्तर एक मवदिर में िगममािा पािथिी िेिी की विव्य मवि है। इसी गवलयारे के अविम कोने में श्री विश्वनाथ िी के ठीक सामने मााँ अदनपणा विरािमान हैं।
इविहास के पदनों को पलटने पर ज्ञाि होिा है वक श्री काशी विश्वनाथ मवदिर का िीणोद्धार 11 िीं सिी में रािा हररिद्र के द्वारा करिाया गया था। सन 1777-80 में औरगिब द्वारा नि मवदिर इिौर की महारानी अवहल्याबाई द्वारा इस मवदिर का अपने पि स्थल से हट कर पनः वनमाथण करिाया गया। बाि में पिाब के महारािा रणिीि वसह ने स्िणथ पत्रों से मवदिर के वशखरों को ससवज्िि करिाया। ग्िावलयर की महारानी बैिाबाई ने ज्ञानिापी के मडप का वनमाथण करिाया और महारािा नेपाल ने िहा विशाल निी प्रविमा स्थावपि करिाई। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी को िििाओ का िास स्थान माना िािा है। यहा बाबा विश्वनाथ के अविररि अदय महमिपण मवदिरों की भी स्थापना समय-समय पर की गई विनका बनारस के िनमानस के विलों में अमयि पवित्र स्थान है। विनमें से कई में बाबा विश्वनाथ के िशथन उपराि िशथन करना शभ एि अवनिायथ माना िािा है। श्री काशी विश्वनाथ धाम में मािा अदनपणा का मविर भी वस्थि है। िो अमयि महमिपण मवदिर है। विनाक 15-11-2021 को कनाडा के सग्रहालय से प्राप्त मािा अदनपणा की मवि िो 108 िषथ पहले भारि से िहा ले िाई गयी थी, िेश के यशस्िी प्रधानमत्री श्री नरेंद्र मोिी िी के अथक प्रयासो से भारि िापस लाई गई, विसकी स्थापना प्रिेश के लोकवप्रय मख्यमत्री श्री योगी आविमयनाथ िी महाराि ने 15-11-2021 को श्री काशी विश्वनाथ धाम में की। श्री काशी विश्वनाथ धाम का नि भव्य स्िरूप श्री काशी विश्वनाथ धाम का मख्य आकषथण मवदिर पररसर के अविररि वनवमथि भिनों िथा आध्यावममक ि धावमथक महमि की सरचनाए हैं। कॉररडोर वनमाथण / विस्िार के िौरान आसपास के घरों के अिर वस्थि 27 मवदिरों को उनके विग्रह के सवहि प्राप्त हुए। इन सभी 27 मवदिरों का परािन भव्यिा के साथ िीणोद्धार करके एक अमल्य मवणमाला की िरह पनस्थावपि वकया गया है। वनवमथि निीन पररसर की विशषिाए वनम्न है –
काशी विचिनाि मश्न्द्दर मवदिर पररसर श्री काशी विश्वनाथ धाम का मख्य आकषथण मवदिर पररसर है विसके प्रिवक्षणा पथ में चार भव्य द्वारों का वनमाथण वकया गया है। िास्िकला के दृविगि काशी की िास्ि कला िथा आध्यावममक भाि को समावहि करिे हुए पररसर को मेहराब, बलबट, स्िभों की बनािट, प्रिवक्षणा मागथ िथा प्रस्िर की िावलयों से ससवज्िि वकया गया है। िाराणसी गैलरी इस भिन का क्षेत्रफल 375 िगथ मीटर है। उि भिन मल्टीपरप्स हॉल और वसटी म्यवियम के बीच करुणेश्वर महािेि मवदिर के पास वस्थि है। उि भिन की आिररक िीिारों पर वचत्रों के माध्यम से आध्यावममक ि धावमथक आख्यानों का उल्लेख वकया गया है। वसटी म्यवियम इस भिन का क्षेत्रफल 1143 िगथ मीटर है, िो िाराणसी गैलरी ि ममक्ष भिन के बीच में वस्थि है। यह भिन यावत्रयों को प्राचीन िस्िओ के बारे में िानकारी प्राप्त करने की सविधा के दृविगि बनाया गया है। ममक्ष भिन उपरोि भिन 1161 िगथमीटर में वनवमथि है िो मवदिर चौक के भव्य द्वार के ठीक बाि वस्थि है। इसे आने िाले सभी िद्ध यावत्रयों ि अस्िस्थ लोगों की िेखभाल के वलए वनवमथि वकया गया है।
मंददर प्रिेश द्िार िैविक केंद्र यह भिन 986 िगथमीटर में वनवमथि है। भिन का वनमाथण आध्यावममक प्रिशथनी, सभा / समारोह आयोविि करने हि वकया गया है। टररस्ट फैवसवलटी सेंटर यह भिन 1061 िगथमीटर में वनवमथि है। भिन के वनमाथण का उद्देश्य मवणकवणथका घाट पर लकवड़यों का एक हाल बना कर व्यिवस्थि करना िथा ऊपरी मविल पर यावत्रयों हि सविधा केंद्र बनाकर विवभदन प्रकार की िानकाररयों को उपलब्ध कराना है। उि भिन सपण घाट पररक्षेत्र में आने िाले यावत्रयों के वलए न केिल सविधा केंद्र होगा बवल्क घाटों के वनकट होने के कारण व्यािसावयक रूप से भी महमिपण होगा। आध्यावममक बक स्टोर यह भिन 311 िगथ मीटर में वनवमथि है। उि भिन वसटी म्यवियम ि िाराणसी गैलरी के साथ एक प्लािा में बनाया गया है, विसमें आध्यावममक पस्िक का भडार या िकान होगी। गगा व्य कैफे इस भिन का वनमाथण यावत्रयों श्रद्धालओ पयथटकों को काशी एि मा गगा का विहगम दृश्य अिलोवकि कराने के साथ-साथ अल्प िलपान के दृविगि कराया गया है।

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