का शी वि श्वना थज्यो वि र्लिं ग : वि सपरएका टा गग चढ़ ही प्रसन्न ही ही भग ना गग धर भ र का! सबस पवि त्र नादी गग का पवि%मी टा पर वि'थ र णस ( का शी , बना रस का ना मी) स भ र्णिण ) स+वि, का सबस वि प्र च ना मी शीहीर, म्ब.खंड का! स 'का+वि का र ध ना ही।इस र णस शीहीर का कान्द्र मी5 मी यो का बधना स मी6वि7 प्रदी ना कारना प्र च ना ' म्भरुप ज्यो वि र्लिं ग मीविन्दीर, वि स ब ब वि श्वना थ मीविन्दीर, वि श्वश्वर मीविन्दीरआदिदी ना मी स ना ही, दिका मीविहीमी का ण;ना दी, प6र ण, उपविनाषदी, ऋविष-मी6विना, दी का कार प ना मी5 सक्षमी नाही@ ही। योही मीध्यो गग घा टा मी5 पही प्रमी6खं शीहीर बवि' यो) मी5 स एका थ । अविस सम्भदी गना का शी स'थ ऽमी+ भ । दीहीत्यो ग ऽत्र दी ना दीहीत्यो ग ऽत्र प:॥ 'कादीप6र ण (2/53/7) मी5 र्णिण विनारन् रअपना आत्मी का ही स थ क्री!ड़ा कारना , सदी आत्मी का ही स थ यो ग 'थ विप रखंना थ अपना आत्मी मी5 ही स प्तरहीना व्यवि7 का यो ग का! विसविL प्र प्त कारना मी5 वि म्ब नाही@ ग । ही विसL उसस काभ दी.र नाही@ ही । पवि त्र का शी वि श्वना थज्यो वि र्लिं ग ना का भ र यो अविप वि दीशी पयो;टाका) का भ अपना ओरआकार्णिष कार ही। वि न्ही)ना सना ना औरअध्यो त्मी का मी ग; का च6ना दिकायो ही। प6र ण) मी5 वि श्वना थज्यो वि र्लिं ग का शी वि श्वना थ मीविन्दीर का इवि ही स
मीही
ण मी ही o दी दी प o अन्नका.टा o रगभर यो आमी का! एका दीशी o अक्षयो यो
का शी वि श्वना थज्यो वि र्लिं ग स ड़ा का6छ र चका थ्यो का शी वि श्वना थ मीविन्दीर का आसप स वि'थ मीविन्दीर o ग6रू दीत्ता त्रयो भग ना का मीदिदीर o का शी का सही र भर का मीविन्दीर का शी का प्रविसL घा टा o वि श्वप्रविसL अ'स घा टा o प ना थ;, दीशी श्वमीध घा टा o मीही श्मीशी ना, मीविणकार्णिणका घा टा o प्रथमी वि ष्ण6 थ; आदिदीकाशी घा टा o पच नादिदीयो) का विमी ना 'थ पचगग घा टा o अन्यो घा टा वि श्वना थग
का
वि
श्री
शी वि श्वना थ मीविन्दीर का
o
शी
श्वना थ मीविन्दीर का! ' स6दीर
का शी वि श्वना थ ध मी का ना भव्य ' रूप o मीविन्दीरपरिरसर o र णस ग र o विसटा म्यो.वि योमी o मी6मी6क्ष6 भ ना o दिदीका का5द्र o टा.रिर'टा फैविसवि टा स5टार o आध्यो वित्मीका ब6का 'टा र o गग व्य. काफै
का शी का मीहीत्
पच का शी यो त्र
का शी वि श्वना थ मीविन्दीर प. का समीयो
का
स 'का+वि का आयो ना
मीकार सक्री विन् o
विशी र वित्र o श्री
प6र ण) मी5 वि श्वना थज्यो वि र्लिं ग मीविणकार्णिणका घा टा ' ’ब्रह्म का ना का ई ना मी ही और ना रूप, इसवि ए ही मीना, ण आदिदी इविन्द्रयो) का वि षयो नाही@ बना ही। ही सत्यो ही, ज्ञा नामीयो ही, अनान् ही, आनान्दी' रूपऔरपरमी प्रका शीमी ना ही। ही विनार्णि का र, विनार का र, विनाग6;ण, विनार्णि काल्प थ स व्य प , मी यो स पर थ उपद्र स रविही परमी त्मी ..काल्प का अन् मी5 अका ही थ । काल्प का आदिदी मी5 उसपरमी त्मी का मीना मी5 ऐस सकाल्पउठा दिका 'मी_ एका स दी ही ऊँa '। योद्यविप ही विनार का र ही, दिकान् अपना शीवि7 का वि ' र कारना का उद्देश्यो स उसना स का ररूप ध रण कारभग ना विशी ना अपना शीवि7 औरआभ का स थ पचका शी ना मी का एका शीहीर का! 'थ पना का!। इस पचका शी शीहीर मी5 भग ना विशी ना एका स6दीर प6रुष का! रचना का!, इस प6रुष का ना मी उन्ही)ना वि ष्ण6 रखं ।इस प6रुष ना अनाका षd का उस 'थ परभग ना विशी का! आर धना का!। वि सका परिरण मी ' रुप पचका शी मी5 अनाका ध र ओं का विनामी ण ही गयो ।इना ध र ओं का दीखंकार वि ष्ण6 अत्योविधका वि वि'मी ही गए थ उन्ही)ना स ही अपना शी शी झु6का यो , उनाका का ना स विनाका कार मी67 मीयो (मीविणमीयो) का6ण्ड विगरगयो । वि स गही पर योही मी67 मीयो का6ण्ड विगर थ उस 'थ का ना मी मीविणकार्णिणका पड़ा ।भग ना विशी ना बअपना वित्रशी. मी5 पच का शी का मीविणकार्णिणका स भर क्षत्र का ग्रहीण कार वि यो । दी पर वि ष्ण6 का! ना विभ स एका कामी का प6ष्प का न्मी हुआ वि सपरएका प6रुषब्रह्म वि र वि थ।भग ना विशी ना ब्रह्म का पच स कार ड़ा यो ना का क्षत्रपर स+वि, का! 'थ पना का आदीशी दिदीयो थ वि ष्ण6 का उनाका द्वा र रविच स+वि, का प ना का का यो; दिदीयो ।अपना कामीd औरउसका बन्धना स ग) का बच ना का वि एभग ना विशी ना अपना पचका शी नागर का ब्रह्म का! इस स+वि, स अ ग कार वि यो । थ मीविणकार्णिणका स भर क्षत्र वि स उन्ही)ना वित्रशी. मी5 ग्रहीण कार वि यो थ का ब हीर विनाका कार ब हीररखं दिदीयो थ ' यो उL रका मी6वि7दी यो ज्यो वि र्लिं गरुप मी5 उस 'थ ना पर वि'थ ही गए। च.दिका का शी स+वि, स पही भ थ और अ का रहीग इसवि एइस अवि मी67श्वर क्षत्र औरज्यो वि र्लिं ग का अवि मी67श्वरज्यो वि र्लिं ग काही ही।
का शी वि श्वना थ मीविन्दीर का इवि ही स का शी वि श्वना थ मीविन्दीर का इवि ही ससमीयो मी5 वि ना शी और प6ना; विनामी ण का इदी; विगदी; घा.मी रही ही।११९४ मी5 पही ब र का6 ब-उदी-दी ना ऐबका का! सना का द्वा र मीविन्दीर का ना, दिकायो गयो थ । वि सका प6ना; विनामी णइल् विमीशी का शी सना का दीnर ना दिकायो गयो । वि स ब दी मी5 दिफैर स विसकादीर दी का शी सनाका मी5 दिफैर स ध् ' कार दिदीयो गयो ।अकाबर का शी सना का मी5 मीविन्दीर का एका ब र दिफैर स र मी ना सिंसही का द्वा र बना यो गयो । वि स ब दी मी5 मी6ग़ शी सका औरग ब ना ना, कार दिदीयो दिकान् काच्छ का! र ना का काहीना पर का! मीविन्दीर का प6नाr विनामी ण कार ए उसना अपना ध र्णिमीका वि श्व स का का रण ही पर मीवि' दी का विनामी ण कार यो थ मीविन्दीर मी5 वि'थ ज्ञा ना प का.प का ना मी पर मीवि' दी का ज्ञा ना प ना मी दिदीयो । का शी वि श्वना थ मीविन्दीर का! ' स6दीर र णस शीहीर मी5 वि'थ भग ना विशी का योही मीविन्दीर सिंहीदी6ओं का प्र च ना मीविन्दीर) मी5 स एका ही, दिका गग नादी का पवि%मी टा पर वि'थ ही। वि समी अनान् का स भग ना विशी का ज्यो वि र्णि ङ्ग ' रूप का! प. ही ही। मीविन्दीर मी5 मी6ख्यो दी का विशी सिं ग वि ग्रही 60 स5टा मी टार (24 इच) ब और 90 स5टा मी टार (35 इच) परिरविध मी5 एका च दी का! दी मी5 रखं गयो ही। मी6ख्यो मीविन्दीरएका च भ6; आका र मी5 विनार्णिमी ही औरअन्यो दी ओं का मीविन्दीर) स विघार हुआ ही।परिरसर मी5 वि विभन्न छ टा-छ टा मीविन्दीर वि नाका दी का भर , का र्णि कायो, अवि मी67श्वर, वि ष्ण6, गणशी, शीविना, विशी और प ही, वि'थ ही_। मीविन्दीर का उत्तार मी5 एका छ टा का6आ ही वि स ज्ञा ना प का.प काही ही।ज्यो वि मी;यो विशी सिं ग का शी वि श्वना थ मीदिदीर का गभ; द्वा र का भ र ही च दी का ठा स हीnदी का ब च स ना का! ग र प ठा परज्यो वि मी;यो का शी वि श्वश्वर सिं ग का अ भ्यो दीशी;ना विमी ही। श्री का शी वि श्वना थ मीविन्दीर का परिरसर का भ र ही नाही@ अविप ब हीरऔर भ अनाका दी - मी.र्णि यो ही_। वि श्वना थ मीविन्दीर का पवि%मी मी5 बना मीण्डप का ब च - ब चभग ना काटाश्वर का! सिं ग मी.र्णि ही। दीविक्षणओर का मीविन्दीर मी5 अवि मी67श्वर सिं ग ही। सिंसही द्वा
मी5 सत्योना र योण दिदी दी वि ग्रही
मी5 शीनाश्वर सिं ग ही।इनाका समी प दीण्डप ण श्वरपवि%मी का मीण्डप मी5 ही ही_।इसका उत्तारएका मीविन्दीर मी5 गत्मी प दी का! दिदीव्य मी.र्णि ही।इस गवि यो र का अवि मी का ना मी5 श्री वि श्वना थ का ठा का स मीना मी अन्नप.ण वि र मी ना ही_।
र का पवि%मी
ही_।सत्योना र योण मीदिदीर का उत्तार
इवि ही स का पन्न) का प टाना पर ज्ञा ही ही दिका श्री का शी वि श्वना थ मीविन्दीर का णvL र 11 @ सदी मी5 र हीरिर%द्र का द्वा र कार यो गयो थ ।सना 1777-80 मी5 औरग ब द्वा र ना, मीविन्दीर इदीnर का! मीही र ना अविहील्यो ब ई द्वा र इस मीविन्दीर का अपना प. 'थ स हीटा कार प6नाr विनामी ण कार यो गयो । ब दी मी5 प ब का मीही र रण सिंसही ना ' ण; पत्र) स मीविन्दीर का विशीखंर) का स6सविw कार यो ।ग् वि योर का! मीही र ना ब ब ई ना ज्ञा ना प का मीडप का विनामी ण कार यो और मीही र नाप ना ही वि शी नादी प्रवि मी 'थ विप कार ई। ब ब वि श्वना थ का! नागर का शी का दी ओं का स 'थ ना मी ना ही। योही ब ब वि श्वना थ का अवि रिर7 अन्यो मीहीत् प.ण; मीविन्दीर) का! भ 'थ पना समीयो-समीयो पर का! गई वि नाका बना रस का नामी नास का दिदी ) मी5 अत्यो पवि त्र 'थ ना ही। वि नामी5 स काई मी5 ब ब वि श्वना थ का दीशी;ना उपर दीशी;ना कारना शी6भए अविना यो; मी ना ही। श्री का शी वि श्वना थ ध मी मी5 मी अन्नप.ण का मीदिदीर भ वि'थ ही। अत्यो मीहीत् प.ण; मीविन्दीर ही। दिदीना का 15-11-2021 का काना ड का सग्रही यो स प्र प्त मी अन्नप.ण का! मी.र्णि 108 ष; पही भ र स ही ईगयो थ , दीशी का योशी' प्रध नामीत्र श्री नार5द्र मी दी का अथका प्रयो स स भ र पस ईगई, वि सका! 'थ पना प्रदीशी का काविप्रयो मी6ख्योमीत्र श्री यो ग आदिदीत्योना थ मीही र ना 15-11-2021 का श्री का शी वि श्वना थ ध मी मी5 का!। श्री का शी वि श्वना थ ध मी का ना भव्य ' रूप श्री का शी वि श्वना थ ध मी का मी6ख्यो आकाष;ण मीविन्दीरपरिरसर का अवि रिर7 विनार्णिमी भ ना) थ आध्यो वित्मीका ध र्णिमीका मीहीत् का! सरचना ए ही_। काyरिरड र विनामी ण / वि ' र का दीnर ना आसप स का घार) का अदीर वि'थ 27 मीविन्दीर) का उनाका वि ग्रही का सविही प्र प्तहुए।इना सभ 27 मीविन्दीर) का प6र ना भव्य का स थ णvL र कारका एका अमी.ल्यो मीविणमी का! रही प6ना'थ विप – दिकायो गयो ही। विनार्णिमी ना ना परिरसर का! वि शीष ए विनाम्न ही का शी वि श्वना थ मीविन्दीर मीविन्दीरपरिरसर श्री का शी वि श्वना थ ध मी का मी6ख्यो आकाष;ण मीविन्दीरपरिरसर ही वि सका प्रदीविक्षण पथ मी5 च रभव्य द्वा र) का विनामी ण दिकायो गयो ही। ' का का दी+वि,ग का शी का! ' का थ आध्यो वित्मीका भ का समी विही कार हुएपरिरसर का मीहीर ब, ब ब.टा, ' भ) का! बना टा, प्रदीविक्षण मी ग; थ प्र' र का! वि यो) स स6सविw दिकायो गयो ही।
र णस ग र इसभ ना का क्षत्रफै 375 ग; मी टार ही।उ7 भ ना मील्टा परप्स हीy और विसटा म्यो.वि योमी का ब च कारुणश्वर मीही दी मीविन्दीर का प स वि'थ ही।उ7 भ ना का! आ रिरका दी र) पर विचत्र) का मी ध्योमी स आध्यो वित्मीका ध र्णिमीका आख्यो ना) का उल् खं दिकायो गयो ही। विसटा म्यो.वि योमी इसभ ना का क्षत्रफै 1143 ग; मी टार ही, र णस ग र मी6मी6क्ष6 भ ना का ब च मी5 वि'थ ही। योही भ ना यो वित्रयो) का प्र च ना ' ओं का ब र मी5 नाका र प्र प्त कारना का! स6वि ध का दी+वि,ग बना यो गयो ही। मी6मी6क्ष6 भ ना उपर 7 भ ना 1161 ग;मी टार मी5 विनार्णिमी ही मीविन्दीर चnका का भव्य द्वा र का ठा का ब दी वि'थ ही।इस आना सभ L यो वित्रयो) अ' 'थ ग) का! दीखंभ का वि ए विनार्णिमी दिकायो गयो ही। मीदिदीरप्र शी द्वा र दिदीका का5द्र योही भ ना 986 ग;मी टार मी5 विनार्णिमी ही।भ ना का विनामी णआध्यो वित्मीका प्रदीशी;ना , सभ / समी र ही आयो वि कारना ही दिकायो गयो ही। टा.रिर'टा फैविसवि टा स5टार योही भ ना 1061 ग;मी टार मी5 विनार्णिमी ही।भ ना का विनामी ण का उद्देश्यो मीविणकार्णिणका घा टा पर काविड़ायो) का एका ही बना कार व्य वि'थ कारना थ ऊँपर मीवि पर यो वित्रयो) ही स6वि ध का5द्रबना कार वि विभन्नप्रका र का! नाका रिरयो) का उप ब्ध कार ना ही।उ7 भ ना सप.ण; घा टा परिरक्षत्र मी5 आना यो वित्रयो) का वि ए ना का स6वि ध का5द्र ही ग बविल्का घा टा) का विनाकाटा ही ना का का रण व्य स वियोका रूप स भ मीहीत् प.ण; ही ग । आध्यो वित्मीका ब6का 'टा र योही भ ना 311 ग; मी टार मी5 विनार्णिमी ही।उ7 भ ना विसटा म्यो.वि योमी र णस ग र का स थएका प् मी5 बना यो गयो ही, वि समी5 आध्यो वित्मीका प6' का का भड र यो दी6का ना ही ग ।
गग व्य. काफै इसभ ना का विनामी ण यो वित्रयो) श्रीL ओंपयो;टाका) का का शी ए मी गग का वि हीगमी दी+श्यो अ दिका कार ना का स थ-स थ अल्प प ना का दी+वि,ग कार यो गयो ही।