SAFAR KI DUA

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आज आप इस पैग़ाम में सफर की दआ हहदी म और स़ाथ ही इहलिश भ़ाष़ा म भी पढग, हम़ार बीच बहत मोहमन बन्द जब भी सफर करत ह तो इस पहि दआ पढत ह म़ािम ऩा होन पर वो इटरनट पर सफर की दआ सच करत ह इसक ब़ाद वो भी सफर की दआ को पढत ह। आज हम आपको सफ़र की दआ बत़ाएग हजसस आपको सफ़र म ज़रूर पढऩा च़ाहहए, जब भी हम में से कोई अपने वतन य़ानी अपऩा इि़ाक़ा छोड़ कर कहीं य़ा हकसी और जगह ज़ात़ा ह उस मस़ाहफ़र कह़ा ज़ात़ा ह और मस़ाहफर खद को हर बि़ा आफत स महफज़ रहऩा च़ाहत़ा ह। एक ज़रूरी ब़ात हकसी भी दआ को पढन स कब्ि एक मरतब़ा हबहममल्ि़ाह हहरहम़ान हनरहहम पढ ि और इस सफर की दआ पढन स पहि भी पढ हफर कम से कम 3 तीन ब़ार दरूद प़ाक भी पढ ि इश़ाअल्ि़ाह आप हर आफत व बररय़ाद स अपन आप म महफज रहगे। सफर की दआ का तर्मा प़ाक व बिन्द ह वह खद़ा हजसन इसको हम़ार बस म कर हदय़ा ह़ाि़ाहक हम इसको क़ाब म करन व़ाि न थ यहकनन हम अपन परवरहदग़ार की तरफ िौट ज़ानें व़ािे हैं। सफर को रव़ाऩा होते वक्त जब हकसी भी तरह की सव़ारी ब़ाइक क़ार बस ट्रेन य़ा जह़ाज पर सव़ार हो ज़ाए और सव़ारी चि पड़ तो उपर हिखी सफर की दआ पढें। क्योंकी हज़रत अब्दल्ि़ाह हबन उमर स ररव़ायत ह हक नबी ए अकरम सल्िल्ि़ाह अिहह वसल्िम सफर पर जब भी तशरीफ फरम़ा होत तो 3 तीन ब़ार 'अल्ि़ाह अकबर’ कह कर दआ को पढत इसहिय दआ क़ा पढऩा सन्नत ह। जब आप सफर करत हए महजि पर पहच य़ानी सफर स अपन महजि य़ा बस अडड़ा मटशन य़ा हव़ाई अडड़ा पर पहच ज़ाए तो नीच हिखी महजि की दआ पढें।

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