CHHAATRAADHYAAPAKON (B.ED. VIDYAARTHEE) KE VYAVAHAAR PAR NYAASAYOG URJA UPACHAAR KA PRABHAAV

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Research Paper Education E-ISSN No : 2454-9916 | Volume : 8 | Issue : 5 | May 2022
(RegistrationNo.-16220091)Research
96 InternationalEducation&ResearchJournal[IERJ] भिमका भारतीय दशन म हमशा से ग दवो भव: क अवधारणा रही ह। ग गोिवद दोन खड़, काक लाग पाय ग बिलहारी आपनो, गोिवद िदयो बताय अथात ग और गोिवद दोन सामने हो तो गोिवद का परचय बताने वाले ग को थम पजन करना चािहए। ईर तव से भी ऊपर ग का थान ह। ऐसे म, वभािवक तौर पर िशक िनमाण एक बहत बड़ी िया ह। वतमान म यह महती िजमदारी बी एड पाठयम क मायम से सपन हो रही ह। यह पाठयम ना िसफ एक िशक को िनिमत कर रही ह बिक यह रा क भिवय का यविथत कर रही ह। 1 “हरवाट क अनसार िशा का एकमा उय नैितकता का िवकास ह।” महामा गाँधी जी क कहा िक “िशण काय को कवल यवसाय क प म वीकार करने वाला यि कभी आदश िशक नह हो सकता ह”। “रॉस ने िलखा ह “यि क िवकास क िलए िशा का वप आयािमक मय िवकिसत करने 2 का होना चािहए।” ाबेल ने अपनी परभाषा म आयािमक मय को थािपत िकया, “ िशक बालक को सद माग क ेरणा दत हए आयािमक मय िवकिसत करते हए 3 अितम लय पर पहचने का माग शत करता ह।” भारतीय िशा ारभ से मय पर आधारत िशा रही ह। भारतीय िशा का ारभ वेद ह। वैिदक कालीन िशा यि क सवागीण िवकास पर जोर दती थी। यहा िविभन अयास ारा नैितकता क मय का िशण िदया जाता था। यह िशण यि क यवहार को मानवता से य करती थी। यवहार म नैितकता क थापना ही वैिदककालीन िशा क नव थी। वतमान क सामािजक आिथक तनाव क वातावरण म नैितकता क थापना थोड़ी किठन ह, पर असभव नह। आज िशा रोजगार परक होने क कारण नैितकता क िवशष िशण से दर हो रही ह, लेिकन यवहार का िशण न नह हआ ह । आवयक ह, जो िशक तैयार हो रह ह, उनक पाठयम म नैितकता क िशण को अिनवाय प से डाला जाए। यान दन वाली बात यह ह िक अभी कोरोना काल म नैितकता क िश क आवयकता िशत से महसस क गई। बैले ही िशा का वप रोजगार परक ह, पर उसका मल उदय बच म यवहारगत नैितकता का िनमाण ही ह।बच म यह यवहारगत नैितकता क थापना तभी सभव ह, जब िशक-िशण म छाायापक क यवहार को नैितकता आधारत िनिमत िकया जाय। आज िशक पर शिणक यवथा का दबाब बढ़ा ह।मय आधारत िशा हर बच तक पहचा सक, यह आज, चनौती बना हआ ह। ऐसे म िशक क यवहार गत नैितकता पर दबाब बढ़ाह। यही कारण ह िक आज िशण का िशण ले बी.एड. िवािथय क पाठयम म नैितकता क िशण को गभीरता क साथ समलट िकया गया ह । िवालयीय बधन क साथ साथ-साथ तनाव बधन का भी िशण िदया जा रहा ह । अडरटिडग द सेफ क ारा छाायापक वय क नैितकता को समझ पा रह ह। यासयोग भी तनाव बधन का एक िविवालयीय पाठयम ह
शोधन कई तर पर होता ह। यवहार का शोधन िवचार का शोधन िया का शोधन शरीर का शोधन आिद। इस िया से शोिधत यि दवमय हो जाता ह और दव-यवहार से य होकर सार काय करता ह। इस यास िया म सबसे महवपण यास मातका यास ह, िजसम सकत/िहदी भाषा क वणमाला से शरीर िथत ऊजा को जागत िकया जाता ह। “कठ पर िथत िवशि-च म सोलह वर अ आ ई इ उ ऊ ऋ ॠ ल ल ए ऐ ओ औ अ अः’ का यास पवक थापना कर। दयथ अनाहत च म क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ बारह यजन का यास कर। नािभदशथ मिणपर क दस दल म ड ढ ण त थ द ध न प फ का यास कर। िलगमल म िथत वािधान च क छः दल म ब भ म य र ल का यास कर। रीढ़ क नीचले भाग 4 म िथत मलाधार च क चार दल म व श ष स का यास कर।” यासपवक वणमाला को धारण करना वाणी और यवहार का ही शोधन ह। यवहार गत नैितकता क थापना ह। उय छाायापक (बी एड िवाथ) क यवहार पर यासयोग ऊजा उपचार का भाव को मापना इस शोध का उय ह। इसका उय यह भी हौ िक बी एड िवािथय क यवहारगत नैितकता को जाना जा सक। Copyright©2022,IERJ.Thisopen-accessarticleispublishedunderthetermsoftheCreativeCommonsAttribution-NonCommercial4.0InternationalLicensewhichpermitsShare(copyandredistributethematerialinany mediumorformat)andAdapt(remix,transform,andbuilduponthematerial)undertheAttribution-NonCommercialterms. CHHAATRAADHYAAPAKON (B.ED. VIDYAARTHEE) KE VYAVAHAAR PAR NYAASAYOG URJA UPACHAAR KA PRABHAAV छाायापक (बी.एड.िवाथ) क यवहार पर यासयोग ऊजा उपचार का भाव
ReetaSingh
Scholar,JJT University,Jhunjhunu,Rajasthan,India.
। यास भारतीय आयािमक िया क वह यवथा ह, िजसक अयास से यि का सपणता म शोधन होता ह। यह
Research Paper E-ISSN No : 2454-9916 | Volume : 8 | Issue : 5 | May 2022 उनम शोधन क यह उचतम परपवता थािपत हो पाय और छाायापक नैितकता क उचतम पर पहच पाय। इसी लय क पित क उय से मन अनह नारायण कॉलेज क बी एड िवभाग क बच पर यह शोध काय िकया । उह इस पाठयम का िशण िदया। जानकारी दी िक यासयोग एव तनाव बधन िचिकसा क ारा मानवीय यवहार क नकारामक प एव सकारामक प पर समानातर म काय होता ह। 15 िदन क िवशष स क ारा ए एन कॉलेज, पटना क बी एड क 20 िवािथय पर इस पित क भाव क जाच क गई। टस दखा जाय तो यवहार क यारोपण म शद क अहम भिमका ह। 5 “शा -वचन से ात होता ह िक शद ही सि-जगत का मल ह।” “िशण, जगत क एक मानिसक िया ह, िजसम मितक का मितक से सबध थािपत िकया जाता ह।सय रा अमरका म डॉ. एफ. एल. लैप ने सन 1913 म एक अययन िकया िजसक आधार पर उहने अछ िशक क 6 यिव क दस गण का उलेख िकया।” इसम थम थान पर उहने सबोधन को रखा। सबोधन यानी शद का वाह। शद-अिभयि ही यि क यवहार को िदखाते ह । नकारामक शद का योग यि क नकारामक होने का माण दता ह। ऐसा यि अपने सपक क सभी यि को नकारामकता से भर दता ह। सकारामक शद का योग, यि क सकारामक होने का माण दता ह। ऐसा यि अपने सपक क सभी यि को सकारामकता से भर दता ह। एक िशक को हमशा सकारामक होना आवयक ह । बी एड पाठयम म नामािकत छाायापक िकतने सकारामक ह और यासयोग अयास क बाद उनक सकारामकता और िकतनी यादा बढ़ती ह, यही इस शोध म दखने का यास ह। टस क प म अयास हत यासयोग क कछ मलभत सकप िदए गए। 1. आज क िदन म कट शद नह बोलगी/ नह बोलगा। 2. आज क िदन म िकसी क ित आोश नह कगी/नह कगा। 3. आज क िदन म िकसी क हसी नह उड़ाऊगी/नह उड़ाऊगा। 4. आज क िदन म िकसी क आलोचना नह कगी/नह कगी। 5. आज क िदन म अपने काम क ित ईमानदार रहगी।रहगा। 6. आज क िदन म सभी क ित आभार कट कगी/कगा। 7. आज क िदन म सभी को मा कगी/कगा। 8. आज क िदन म सभी को ेम कगी / कगा। ितिदन एक घट क अयास म उह इन वाय पर यवहारक िशण िदया गया। दो िवशष िशण िदए गए। पहला सकारामक यवहार का अशदान दसरा सकारामक यवहार परवतन क यास अयास क साथ-साथ उह एक गितबक तैयार करवाया गया, िजसम उह हर राि अपनी ितिदन क गित िलखनी थी। सभी ितभागी ने ईमानदारी पवक उसाह क साथ अपनी ितभािगता िनभाई। डाटा इस अयास म कल 20 छाायापक शािमल हए। ितिदन क अयास लास म सभी छाायापक सिय रह। उपरो आठ िनदश को समझा और उसक िलए िदए गए दो सकप वाय पर िनरतर अयास िकया। परणाम इस अयास म भाग लेने वाले ितभागी का ितशत और गित ितशत गित लेखन म ितभागी टबल :1 टबल.1 म गित लेखन म भाग लेने वाले ितभागी ितशत दशाया गया ह । कल 20 ितभागी म से 18 ितभागी ने ितिदन गित
बक पर
गित रपोट नह भरने क बात बताई। पर उहने िशण लास म अपनी 100 ितशत उपिथित दज क। यवहार म परवतन ितशत टबल :2 टबल 2 म उनक पहले िदन क िथित और 15 व िदन क गित को दशाया गया ह। इस गित रपोट से प ह िक छाायापक ने अपनी नकारामक वित को िनयित िकया एव सकारामक वित का िवतार िकया। िवषण 15 िदन क अयास म ही कटता, ोध, आलोचना, हसी उड़ाने क वि म सत-ितशत सधार हआ। 15 िदन क इस अयास म छाायापक ने सोचने क तरीक पर काय िकया। िवचार को कसे अनशािसत कर यवहार को सतिलत करना ह, इस तकनीक पर काय करते हए यवहार क िनयण पर परी सफलता पाई। 97 InternationalEducation&ResearchJournal[IERJ] चयिनत भाग िलया ितशत 20 18 90 म सया यवहार थम िदन क औसत सया 15 व िदन क औसत सया 1 कटता क शद 5 0 2 आोश क शद 5 0 3 आलोचना क शद 6 0 4 हसी क शद 2 0 5 ईमानदारी 3 6 6 आभार गट 0 8 7 मा भाव 0 10 8 ेम भाव 3 10 9 यवहार का अशदान 1 7 10 बदलाव क यास 1 10
लेखन
अपने गित को अिकत िकया । दो ितभागी ने समय क कमी बताकर

VI.

VII.

VIII.

IX.

नकारामक भावना म कमी आई। मन म सौहाद का िवकास हआ। सामािजकता क ेम प क भावना िनिमत हई। 1. छाायापक अपने तनाव को समझ पाए। 2. अपने यवहार क नकारामक एव सकारामक प को समझ पाए। 3. यासयोग तकनीक िशण क बाद तनाव कम कर पाए। 4. नकारामक और सकारामक शदावली पर उनक यवथा बदली। 5. दसर क यवहार को समझने लगे। 6. यवहार म सकारामक परवतन आया। 7. एक िशक क प म अपनी सामािजक भिमका समझ पाए। सझाव जैसा िक ो एव ो ने कहा ह, “ कोई समाज यथ म िकसी बात क आशा नह कर सकता। यिद वह चाहता ह, उसक तण यि अपने समदाय क भलीभाित सेवा कर तो उसे उन सब शिक साधन को जटाना चािहए, िजनक तण 7 यिय को यिगत एव सामिहक प से आवयकता ह।” कोठारी आयोग ने अपनी तावना म कहा, “ भारत क भाय का िनमाण उसक 8 का म जोता ह।” आई क डिवस क अनसार, अयापक का का मय घटक होता ह । अयापक को का िया-कलाप का िनयोजन, सगठन, शासन, पयवेण था 9 मयाकन अथवा िनयण करना पड़ता ह। “भावनामक एकता सिमित ने अपने ितवेदन म कहा ह िक, भावनामक एकता को सढ़ बनाने म िशा महवपण भिमका अदा कर सकती ह। यह अनभव िकया गया ह िक िशा का उय ान दना ही नह ह वरन छा क यिव क 10 सभी प का िवकास करना ह।” इसक िलए एक आदश िशक को बेहतर मानवीय गण, यवसाियक गण और सामािजक गण से य होना आवयक ह। "िशािवद का मानना ह िक उस कार का िशण काय अिधक भावी होता 11 ह, िजसम बालक व अयापक दोन गितशील व ियाशील रहते ह।” प ह िक इन आवयकताओ क पित क िलए तनावरिहत, नैितक एव ऊजावान िशक को तैयार करना होगा। ऊजा सवरण वाले पाठयम यासयोग एव तनाव बधन जैसे पाठयम को िशण-िशण से जोड़कर यह लय आसानी से ा िकया जा सकता ह। सदभ I. मदान पनम पाडय रामशकल (2019/2020), समसामियक भारत एड िशा, अवाल पिलकशन, आगरा, प- 290 II. “प -291 III. नारायण किपलदव (2007), महािनवाणतम, चौखभा काशन, वाराणसी, प -78 IV महामहोपायाय डॉ. ीगोपीनाथ किवराज (2009), तािक साधना और िसात, िबहार राभाषा परषद, पटना, शोभा ििटग ेस, पटना, प -340 V यादव क.क. सिखया एस. पी.(2012/2013), िवालय शासन, सगठन, पयवेण तथा बधन, अवाल पिलकशन, आयन िटस, आगरा, प -125
, ठाकर पिलकशन ा. िल, पटना, प
भात पी.राज कमारी ितमा (2020) ान एव पाठयचया
-39
डॉ आर ए
आर लाल बक िडपो
मरठ
शमा
,(2009),
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, प-439
माथर
.पी.(2013/14), अवाल पिलकशन, आगरा, प-40
98 InternationalEducation&ResearchJournal[IERJ] Research Paper E-ISSN No : 2454-9916 | Volume : 8 | Issue : 5 | May 2022
शमा डॉ खमराज, शमा डॉ जराज (2012), अवाल पिलकशन, आगरा,प-185

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