Research Paper
Education
E-ISSN No : 2454-9916 | Volume : 3 | Issue : 5 | May 2017
CURRANT SCENARIO OF HIGHER EDUCATION IN INDIA भारत म उ ा िश ा का वतमान र - एक प रपे Dr. Narendrakumar Pal Assistant Teacher, Bharkunda Primary School, Khathlal, Kheda. ABSTRACT In this article, we have discussed the ambiguous concepts of higher education that is used in the literatures all over world. The study has tried to trace the higher education in India form the long past. Then we have discussed present status of higher education in India and the recent trend in Indian higher education. The issues like Quantity of Institutions, Fields of Education, Teacher Availability, Constitutional Provisions on Higher Education, Disparity in Access to Higher Education, Governance Practice, Quality Control Mechanism, Trend in Finance has been discussed briefly. Recent trends like privatization and globalization emerging in the field of Indian higher education was also highlighted in this analysis. KEYWORD: Higher Education, current scenario. िश ा के े म अभी तक जमीनी र पर सहयोगा क और ित धा क फेडे रिल का िवचार नही ं अपनाया जा सका है। इसकी वजह से के ीय और रा िव िव ालय आपस म भावी सम य थािपत नही ं कर पा रहे ह िजसका सीधा असर िश ा की गुणव ा पर पड़ा है। गुणव ायु िश ा, िश ण और शोध का गहन और ापक भाव होता है िवशेषकर ान आधा रत अथ व था के दौर म। और नई ौ ोिगकी और नवाचार के चलते यह बढ़ता ही जाता है। संसाधनो ं की उवरता चाहे वह ाकृितक हो या िव ीय, ब त ही नाजुक प से तकनीकी एवं ोफेशनल िश ण तथा मानवश की द ता पर िनभर है। वैि क अथ व था होने के चलते िव म भारत को िजन दे शो ं से मुकाबला करना है, कई चीज भारत के ही प म नही ं है। यहां मु त: ू ली िश ा की भारी कमी है, वोकेशनल टेिनंग और शोध के इनपुट र, के काय दशन की गुणव ा पर सवाल उठते रहते ह। शै िणक िवकास की साथकता को िकसी भी हालत म कम नही ं िकया जा सकता है िवशेषकर तब, जबिक उ ादक गितिविधयो ं के े म भारत हब बनने की ओर अ सर है। दु भा पूण बात तो यह है िक शैि क व था को उस नीित के तहत आगे नही ं बढ़ाया जा रहा है िजस नीित के तहत "मेक इन इं िडया" को आगे बढ़ाया जा रहा है। दे श की जो शै िणक व था है, वह गुणव ायु िश ा दान करने म ग ीर चुनौितयो ं का सामना कर रही है। भारत म उ िश ा िजन चुनौितयो ं का सामना कर रही है, वे िकसी से िछपी नही ं ह। िश ा के र को िगराए िबना हम अिधक से अिधक छा ो ं को िशि त करना होगा। यह उतना ही मह पूण है, िजतना गुणव ा के औसत र को बेहतर बनाना। समावेशन ज री है और इसके िलए िश ा की प ंच बढ़ानी होगी। ज रत यह भी है िक कुछ ऐसे सं थान बनाए जाएं , जो उ ृ ता के मामले म दु िनया के बेहतरीन सं थानो ं को ट र दे सक। दु खद है िक ऐसी उ ृ ता का अपने यहां अभाव है। टाइ हायर एजुकेशन ारा तैयार िव िव ालयो ं की साल 2015-16 की वैि क सूची म शीष के 200 म हमारे यहां का कोई सं थान नही ं है। शीष 400 म भी हमारे िसफ दो इं ी ूट हइं िडयन इं ी ूट ऑफ साइं स (बगलु ) और आईआईटी, बॉ े। 401 से 600 तक की रिकंग म हमारे पांच अ आईआईटी ह, जबिक 601 से 800 की रिकंग म िसफ छह िव िव ालय ह। जािहर है, हमारे िव िव ालयो ं को वैि क मानको ं पर खरा उतरने के िलए अभी लंबा रा ा तय करना है। दु खद यह है िक कुछ भारतीय िव िव ालयो ं के कारण हम जो तुलना क लाभ हािसल था, वह भी हमने व के साथ गंवा िदया। तीन दशक पहले की तुलना म थित ादा िबगड़ गई है। दे श म िव िव ालयो ं की सेहत लगातार िगरी है। आज की त ीर यह है िक िति त सावजिनक िव िव ालयो ं म दा खले के िलए छा ो ं के बीच जबद होड़ मची रहती है। मगर उनम कुछ छा ो ं को ही, िजनके 12वी ं म बेहतर अंक होते ह, दा खला िमल पाता है। शेष बचे छा ो ं म ादातर िनजी सं थानो ं का ख करते ह, िजनकी फीस तो काफी ादा होती है, मगर गुणव ा आमतौर पर खराब होती है। ऐसे छा बेहद कम ह, िजनके माता-िपता इतने धना ह िक उ पढ़ने के िलए िवदे श भेज सक। िव िव ालयो म अनाव क दखल का दु भाव इसी पृ भूिम के चलते भारत के उ िशि त वग के लोग मानव संसाधन िवकास मं ालय पर सवाल उठाते रहते ह। इसी मं ालय पर िश ा व था म सुधार का दारोमदार है। इस मं ालय के उ रदािय ो ं म यह िनिहत है िक वह दे श की िवशाल जनसं ा को िश ा का लाभ िदलाए। भारत के नामी-िगरामी सं थान िजसम िव िव ालय अनुदान आयोग, आईआईटी समेत अ िव िव ालय भी शािमल ह, अंद नी उठापटक और दखलंदाजी
की सम ा से जूझ रहे ह। उदाहरण के तौर पर दे खा जाए तो िद ी िव िव ालय ने भारत और िवदे श के कुछ िव िव ालयो ं की तज पर अंडर ेजुएट िड ी ो ाम को लेकर जो नवाचार िकया, उससे िद ी िविव को लोगो ं के कोपभाजन का िशकार होना पड़ा। िद ी िविव ने चार वष य अंडर ेजुएट ो ाम (एफवाईयूपी) शु िकया था तािक कम समय म नई चुनौितयो ं मसलन-द युवाओ ं की कमी को दू र िकया जा सके, जॉब माकट म दखल बढ़ाया जा सके और उ िश ा व था को वैि क ढांचे के अनु प बनाया जा सके। अकादिमक र पर इस ो ाम का बारीकी से िनरी ण िकए िबना ही इसके िचथड़े उड़ा िदए गए। सरकार ने यूजीसी पर दवाब डाला िक वह िव िव ालय को इस ो ाम को र करने के िलए कहे, नही ं तो यूजीसी जो अनुदान दे ती है, उसे वापस ले िलया जाएगा। सरकार की इस तरह की दं डा क कारवाई से ऎसे म सं थानो ं के मु खया नवाचार करने म कोई िच नही ं लेते ह। आव क सुझावो ं पर ि या य नही ं िव िव ालय अनुदान आयोग के ढांचे के पुनगठन और उ िश ा की चुनौितयो ं से िनपटने के िलए सरकार ने ह र गौतम सिमित का गठन िकया था। सिमित ने अपनी रपोट सौप ं दी है। पर सिमित ने जो सं ुितयां की थी, उसे ि या त करने के िलए अभी तक कुछ नही ं िकया गया। उ िश ा के िवकास के िलए सरकार के उदासीन रवैये को यह दशाता है। इसके अलावा के ीय िव िव ालयो,ं आईआईटीज/आईआईएम, मेिडकल सं थाओ ं आिद को मजबूत बनाने के िलए जो आव क सुिवधाएं चािहए, उसे मुहैया नही ं कराया जा रहा है। उ िश ा के कम से कम आधे सं थान आव क ज रतो ं के अभाव म चल रहे ह। इसम ाफ की कमी भी शािमल है। िव िव ालयो ं के भिव को लेकर मानव संसाधन मं ालय अिनणय की थित म ह िजसका भाव उ िश ा पर पड़ रहा है। नीितया लागु करने म भिव को ान म न लेना मानव संसाधन मं ालय का एक उदाहरण दे खए, यूजीसी ने िबना िकसी आव क तैयारी या िश ािवदो ं की सलाह के ही वाइस बे े िडट िस म (सीबीसीएस) को लागू कर िदया। पूरे दे श के कॉलेजो ं और िव िव ालयो ं म पढ़ाने और शोध कराने का तरीका अलग-अलग है। इसका भाव उन छा ो ं पर पड़ता है जो एक जगह से दू सरी जगह पर जाते ह। अिधकांश सं थानो ं म सेिम र िस म नही ं है और वे ोफेशनल और तकनीिक प से द अ ापको ं की कमी की सम ा से जूझ रहे ह। सीबीसीएस अपने उ े म सफल हो, इसके िलए सरकार ने मु ल से ही िव ीय सहायता सुलभ कराई है। ज री िव ीय सहायता के अभाव म वे अपने ढांचे को मजबूत नही ं कर सके ह। पहले इस काय म म सहभािगता िनभाने वाले कॉलेजो,ं िव िव ालयो ं की मूल ज रत जैसे वेश की ि या, ढांचागत सुलभता, हो ल, लैब, फैक ी, अ ापन और शोध की गुणव ा का आकलन करना चािहए था। तदनुसार सरकार को ज रतो ं के िहसाब से िव ीय और ढांचागत समथन दे ना चािहए था। कहने का अथ यह है िक िबना िकसी समुिचत तैयारी और िकसी को शािमल िकए िबना ही अपने ही इनपुट के आधार पर इस काय म को लागू कर िदया गया। डी ड िव िव ालयो ं पर और ंका इसके अलावा डी ड िव िव ालयो ं की साख पर हमेशा सवाल उठते रहते ह। यहां की पढ़ाई और शोध के कमजोर र, िश ा के ापारीकरण, ाचार की िशकायतो ं के चलते मानव संसाधन मं ालय ने 44 डी ड िव िव ालयो ं की िफर से मा ता के िलए सं ुित की है। पर इसका भी भाव नही ं पड़ा है।
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International Education & Research Journal [IERJ]
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