DIVYANG JAN KE ATIT, VARTMAN AUR BHAVISHYA KI SANKALPNA ME DIVYANG JAN ADHINIYAM

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Research Paper

Social Science

E-ISSN No : 2454-9916 | Volume : 6 | Issue : 2 | Feb 2020

DIVYANG JAN KE ATIT, VARTMAN AUR BHAVISHYA KI SANKALPNA ME DIVYANG JAN ADHINIYAM

द ांग जन के अतीत, व मान और भिव य क संक पना म द ांग जन अिधिनयम 1

Dr. Deepak Tripathi | Dr. Neela Visha Lakshmi 1 2

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Assistant Professor, Special Education Department, Nehru Gram Bharti Deemed to be University, Prayagraj, U. P., India. Assistant Professor, Special Education Department, Nehru Gram Bharti Deemed to be University, Prayagraj, U. P.

ABSTRACT

मानव जीवन के ार भ से लेकर हमारे समाज म िविभ कार क िवचार धाराऐ या है सभी अपने तर के जीवन के बारे म िवचार करते ह हमारे समाज म िविभ वग के लोग ह इन वग म छोटे बड़े उ - िन ,सामा य व् िवशेष होते ह िवशेष से यहाँ स दभ हमारे द ांग ब से है द ांग ब से स ब ध हमारे ाचीन भारत से चली आ रही है िह दी के महा का य काल के चिलत थ रामायण और महाभारत के समय से इनके स ब ध म कु छ कथाय चिलत ह पर तु आज के वत भारत म इनके िलए हमारे दश े म इनके िश ा, रोजगार एवं अिधकार पर तेजी से चचा चल रही है द ांग ब के िलए व मान इनके िश ा और अिधकार के िलए नये क़ानून बनाये जा रहे ह मु य श द- द ांग जन , द ांग जन के इितहास, िश ा,रोजगार,क़ानून एवं सुझाव भारत एक ऐसा दश े है जो अवसर और आशा से प रपूण है भारत पूरे िव का सबसे बड़ा लोक तं वाला दश े है तथा िविभ सं कृ ितय वाला है इस दश े म तेजी से उ िमता अनुकुलनशीलता एवं आ म िनभरता का फै लाव हो रहा है आज के वतमान समय म तेजी से प रवतन आ रहा है सब तेजी से िवकास और गित कर रहे ह इसी भारत को सोने क िचिड़या कहा जाता था आज भारत िजस गित से िवकास कर रहा है वह आज िव के आ थक पटल पर सातव थान पर है िवकास के इस दौर म िश ा,रोजगार तथा तकनी कय का इ तेमाल िवकास म सहयोग दान करता है I वेद से लेकर उपिनषद , पुराण , महाका के अ ययन करने से पता लगता है क द ा ग के बारे म वणन िमलता है और उनके िश ा जैसे काय का भी अ ययन िमलता है उस समय िश ा जैसा गूढ़ िवषय समाज के हांथो से ही िनयंि त और संचािलत होता था िश ा पूण प से वाय थी िश ा के काय म या रा य का ह त ेप िबलकु ल नही था या फर नाम मा का था और भी आ थक प मदद करने तक ाथिमक िश ा से लेकर उ िश ा और अनुसंधान काय तक िश ा के सम त दािय व क पूत समाज के ारा ही क जाती थी I राज प रवार के ब े भी इसी िश ा यव था का होते थे िश ा का क नगर से ारं भ होकर अर य तक जाता था ाथिमक िश ा का क नगर म रहती थी और बाद म ये क उ िश ा के दिृ कोण से अर य म थानांत रत हो जाते थे I

िश ा के को गु कु ल कहा जाता थाI इनगु कु ल म बालक और बािलका सभी को समान प से िश ा दी जाती थी कसी भी कार का भेद भाव नही था ारं िभक तर पर सह िश ा एवं अलग-अलग दोन कार के िश ा यव था का उ लेख िमलता है I पाठय म भी अलग-अलग तरीके से िवभािजत रहते थेI कु छ पाठय म म लौ कक और कु छ पा म म पारलौ कक आ करता था I िजसको िजस कार के िवषय म िच होता थी उसी िवषय का चयन कया करते थे I िश ा का ार भ गु कु ल म क िश ा दी ा लेने से ार भ होती थी I

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