LOK SAHITYA KE VIVIDH AAYAM

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Research Paper

Social Science

E-ISSN No : 2454-9916 | Volume : 7 | Issue : 2 | Feb 2021

LOK SAHITYA KE VIVIDH AAYAM

लोक सिह य के िविवध आयाम Dr. K. Anita सहायक ा यािपका, गाय ी िव याप रषद कालेजफरिड ी ए डपी. जी.कॊरसेसे[ए],िवशाखपटनम,आ

दशे

ABSTRACT

साधारण जनता से सबंिंधत सािह य कॊ लॊक सािह य कहना चािहए।इस सािह य म जनजीवन क सभी कार क भावनाएं िबना िकसी किृ मता के समाई रहती है। लॊक सािह य क मा म से ही िकसी समाज क यथा ि थित व उसक सं कित ृ क अपण ू झलक िमलती है।यह मानव जीवन क अमू य अमानत है ।लोक सािह य याकरण और िश ता के बधंन कॊ भले ही तॊड द,ेसामािजक जीवन क अिभ यि का सश मा यम बना रहना ही इसक िविश ता है।लॊक सािह य सामा य जीवन के सवागीण त य कॊ उ ािटत करता है। लॊक सािह य अपने यापक प रवेश म सम त दशे के जीवन क धािमक,सामािजक तथा सदाचार स ब धी िवशेषताओ ं को सरि ु त रखता है। लॊक सािह य एक ऎसा सािह य िव ान है िजसम मौिखक और भौितक दॊन ही सामि य का अ ययन िकया जाता है। लॊक सािह य ाचीन सािह य हॊते हए भी नया है।डां. वणतता के अनसार-"लॊक ु का े बडा िवशद है॥अ यतं आिदम,जगंली अिभ यि य से लेकर िश सािह य क सीमा तक पहचंने वाली सम त अिभ यि लॊक सािह य के अ तगत आती है।-१ मल ू श द: अथ, प रभाषा, व प एवं िवशेषताए,ं लोक सािह य के कार, मह व. भिमकाू इस सािह य म जनजीवन क सभी कार क भावनाएं िबना िकसी किृ मता के समाई रहती है। लॊक सािह य का अिभ ाय उस सािह य से है िजसक रचना लॊक करता है।साधारण जनता से सबंिंधत सािह य कॊ लॊक सािह य कहना चािहए। लॊक सािह य म कित है।लॊक-सािह य म िनिहत स दय का मू यांकन सवदा ृ वयं गनगनाती ु ु अनभितज य है । परप रागत लॊक सािह य िकसी एक यि क रचना का प रणाम नह ं ु ू है। वैसे तो इसके कई माण िदए जा सकते ह िक एक ही गीत ,कथा या कहावत एक थल पर िजस प म हॊता है दसर ू े थल पर पहचंते -पहचंते उसका वह प बदल ितभाषाओ ं से िनिमत हॊने के कारण िव ान ने जाता है।परपंरागत एवं सामिहक ू लॊक सािह य कॊ "अपौ षेय"क सं ा दी है । उ े य: "लॊक सािह य के िविवध आयाम िवषय" को िव तार प से ततु करना । लॊक सािह य -अथ एवं प रभाषाए-ं- लॊक सािह य श द,लॊक और सािह य दॊ श द का िमलावट है। लॊक श द का अथ -जन सामा य से है । जन सामा य के सािह य ही लॊक सािह य है।लॊक जीवन क अिभ यि को वाणी दनेा ही लॊक सािह य है । प रभाषाए:ं 1. धीरे वमा के अनसार-"वा तव म लॊक सािह य वह मौिखक अिभ यि है जॊ ु भले ही िकसी यि ने गढी हॊ पर आज इसे सामा य लॊक समहू अपनी मानता है।इसम लॊकमानस ितिबिंबत रहता है।"--२ 2. डा.रवी मर के अनसार-"लॊक सािह य जनमानस के सहज और वाभािवक ु अिभ यि है।यह बहधा अिलिखत ही रहता है और अपनी मौिखक परपंरा ारा एक पीढी लॊकगीत का रचनाकार अपने यि व को लॊक समिपत कर दतेा है।३ व प एवं िवशेषताएं : इस सािह य म लॊक जीवन क स ची झलक दख े ने को िमलती है।साधारण जन जीवन िविश जीवन से िभ न हॊता है अत: जन सािह य का आदश िविश सािह य से पथक ृ हॊता है|िकसी दशे अथवा े का लॊक सािह य वहां क आिदकाल से लेकर अब तक क उन सभी विृ य का तीक हॊता है जॊ साधारण जन वभाव के अतंगत

आती ह।लॊक सािह य को सव दशेीर, सवकालीन प म वीकार िकया जाता है,इसक परपंरा िमटती नह है बि क यह सदवै पीढी दर पीढी मौिखक प से ह तांत रत हॊते रहती है। लॊक सािह य एक ऎसा सािह य है जॊ लोग के मनोरज ं न के िलए रचा गया है।लॊक सािह य क भाषा सीधी,सादी, सरल, यावहा रक और आड बर रिहत हॊती है।लॊक सािह य िकसी िवशेष यि क रचना नह बि क परू े जन समहू क रचना है।लॊक सािह य ाचीन सािह य हॊते हए भी नया है। लॊक सािह य के कार: िकसी भी समाज के इितहास और सं कित ृ को भली- ांित समझने के िलए लॊक सािह य का अ ययन आव यक है।लॊक सािह य जनता के कं ठ म दशे के सभी रा य ,भाषाओ,ंऔर छोटी-छॊटी बॊिलय के प म भरा हआ है।इस लॊक सािह य के अनेक प ह िजनका वणन इस कार है1. लॊक गीत : अं ेजी श द "फॊक सॊं स" का िह दी पांतर है 'लॊक गीत"।लॊकगीत मौिलक पर परा म जीिवत रहते ह ।सामा यत:लॊक म चिलत ,लॊक ारा रिचत एवं लॊक के िलए िलखे गए गीत कॊ लॊकगीत कहा जा सकता है।िकसी भी दशे क स यता एवं पहचान लॊकगीत म समािहत हॊती है।लॊक सािह य का लगभग अिधकांश भाग लॊक गीत म समािहत है।लॊक गीत म िकसी कार के अलंकार या उि वैिच य के िलए थान नह है।ये धरती से उगते ह और िकसी एक यि ारा रचे हॊने पर भी िनवयि क हॊते ह।तकां ु त हॊने के साथ-साथ इनका िश प िवधान व छ द रहता है।लॊक गीत को िन निलिखत कार वग कत ृ िकया गया है।-१.सं कार २. त गीत ३. म गीत ४. रतु गीत ५.जाित गीत 2. लॊक कथा : लॊक सािह य के अ ययन म लॊक कथाएं मह वपण ू थान रखती है।लॊक कथाओ ं क ज म -भिम ं ार पर ू भारत वष है।इन कथाओ ं का भाव परू े सस पडा है। ऋ वेद िव का ाचीनतम थ के प म शन:शे ं है,इसम सू ु प आ यान, वण और शक ं े त सू ु या क कथा ाचीनतम कथाओ ं के सक ह।उपिनषदॊं म निचके तना का आ यान िवल ण है।पचंतं क कथाएं अपने म अनठी ू है।बौ पिंडत ारा जातक कथाएं भी ाचीनतम लॊक कथाओ ं का ही एक प है। लॊक कथाओ ं को िन निलिखत भाग म बांटा गया है- १.प र कथा २. त कथा ३. ेम कथा ४.दतं कथा ५. पौरािणक कथा ६.नाग कथा ७.बॊध कथा

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