Research Paper
Social Science
E-ISSN No : 2454-9916 | Volume : 7 | Issue : 7 | Jul 2021
ALPANA MISHRA KA STREE VIMARSH: SAAJHEE DUNIYA KA SWAPN
वन अ पना िम का ी िवमश: साझी दिनया का ु Dr. Sophia Rajan Associate Professor, Govt Arts & Science College, Tanur, Kerala, India. ABSTRACT
ी लेखन, ी के सघन सामािजक सरोकार का लेखा जोखा है । उ र-आधुिनक िवक ण बताते ह क 'पाठ' सबका अलग-अलग होता है । ी ववादी पाठ और पु षवादी पाठ रचना के टे ट के भीतर िछपे समाजशा , मनोिव ान और धमशा को अपने-अपने ढंग से अनू दत और िति त करते चलते ह । कसी भी रचनाकार के सािह य पर सम तः िवचार करने का अथ है उसक रचना क के ीय संवेदना को उ ा टत करना । उसके वैचा रक, भावना मक, कला मक िवकास क िमक ऊ वगामी अव था को िचि हत करना । अ पना िम का मह व इसिलए नह क उ ह ने िवपुल मा ा म सािह य रचा ह,ै वे के वल इसिलए ासंिगक और पठनीय नह है क उ ह कई पुर कार से स मािनत कया गया है । अ पना िम क शि इस बात म िनिहत है क उ ह ने नारी मन के भीतर झांककर उसके भीतर क परत-दर-परत खोल डाली है । उ र-आधुिनक सै ांित कयाँ ी ववादी िवमश को नए प म प रभािषत करती है । नए लोबल जनतं म और नए पूँजीवादी उ र-आधुिनक दौर म लंग-क त िवमश को जगह िमलने लगी । एक नई िवखंडना मक ि थित पैदा हो गई है । ी ववादी िवमश 'पाठ' क िजस िविश ता और अि तीयता को थािपत करता है उससे अब तक चली आ रही स दयशा िहलने लगी है । कसी भी अनुभव के कथन का 'सावभौिमक' ित िनधान असंभव हो जाता है । KEY WORDS: वच ववादी मानिसकता, सावभौिमक, फे िमिन म, िपतृस ा मक औ ोिगक यथाथ , उपभो ा सं कृ ित 'भीतर का व ' (२००६) कहानी सं ह के साथ अ पना िम का सािह य जगत म बेआहट वेश एक धमाके दार गितिविध है । धमाके दार इसिलए क ी के भीतर झांकने का उनका अ दाज वाकई उ लेख यो य है । दरअसल ी मन के भीतर क अतल गहराई तक संपृ होने क यह ताकत ही अ पना क कहािनय को अनंत-ऊजि वता दत े ी है । िवपरीत प रि थितय के भीतर से सजना मकता और आ मिवकास क संभावना को चुनकर अपनी मानवीय पहचान के िलए पूरी सामािजक व था को झंझोड़ डालना २००० के बाद के ी कथा लेखन क एक मह वपूण उपलि ध ह,ै िजसे दभ ु ा य वश ी-िवमश का नाम दक े र बहस के ऐन बीचोबीच रखा जाता ह,ै ले कन यादातर हािशए पर धके ल दया जाता है । यह सच है क कालखंड म बाँधकर समय और सािह य को सम ता म नह समझा जा सकता । क तु इ सव सदी के थम दशक कथा े म कई अिव सनीय गुणा मक बदलाव के साथ आया है । आज का समय नारी िवमश के तीसरे चरण का समय माना जाता है । आज क नारी अपने अिधकार से अपे ाकृ त अिधक अवगत है । वतमान म नारी िवमश सािह य क दशा और दशा बदल रही है । अिधक मा ा म नारीकृ त लेखन सजन है । नारी िवमश पर शा ीय, समी ा मक वत िच तन तुत हो रहा है । ी के अि त व के दृ यमान हो उठने के पीछे िव के तर पर उस
व था, िवखंडना मक ि थित, उ र-
उ र-औ ोिगक यथाथ का योगदान है जो औ ोिगक स यता और युग के थािपत जीवन मू य को बदल रहा है । ी का इस अथ म एक उ र-आधुिनक है । उ र-आधुिनक ि थितय ने उन के को थ कर दया जो मूलतः पु ष के थे । बीसव शता दी के उ रा म फे िमिन ट ने लंग भेदी िवचार को नया आयाम दया और इस कार लंग संबंधी उ र-आधुिनक मु ा सामने आया । उ र-आधुिनक प रदृ य का एक िह सा होकर ी िवमश ने सं कृ ित के मद क त सामा य िस ांत को लात मारी है । उससे तमाम सां कृ ितक िवमश क चूल िहल गई ह । फे िमिन म एक नया उ र-आधुिनक सामािजक े है और उसक अनदख े ी संभव नह । नए ी- े का वीकार हमारी अथ- व था के नए चरण का ही वीकार है । इस अथ म ी े और उ र-आधुिनकता क अपनी 'अथ- व था' ह ै । यानी क ी क के जागरण के पीछे ठोस, क तु अित-चंचल उ रआधुिनक कारण स य है । उ र-आधुिनक दौर म फे िमिन ट ने लंग भेदी िवचार को नया आयाम दया । इस कार लंग संबंधी एक उ र-आधुिनक मु ा सामने आया । ी िवमश के जागरण के पीछे दो उ र-आधुिनक प रदृ य स य ह । एक ी का दृ य म अिधक होना और दृ य म उसक दह े का होना । ये दोन प रदृ य अित पूँजीवाद के प रणाम ह िज ह हम उपभो ा सं कृ ित के उपादान के प म, मा यम म
Copyright© 2021, IERJ. This open-access article is published under the terms of the Creative Commons Attribution-NonCommercial 4.0 International License which permits Share (copy and redistribute the material in any medium or format) and Adapt (remix, transform, and build upon the material) under the Attribution-NonCommercial terms.
International Education & Research Journal [IERJ]
22