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Babur kon tha | बाबर का जीवन परिचय 2 months ago Tanishsaifi51
History of Babur | बाबर कौन था ? Babur kon tha : बाबर का जन्म 14 फरवरी 1483 में उज्बेकिस्तान में हुआ था। बाबर का पूरा नाम जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर था। उनके बारे में सबसे खास बात यह है कि वह अमीर तैमूर और चंगेज खान के वंशज थे जहीरूद्दीन बाबर को अमीर तैमूर और चंगेज खान की बहादुरी विरासत में मिली थी अमीर तैमूर की बहुत बड़ी सल्तनत थी लेकिन जब अमीर तैमूर का इंतकाल हुआ तो उसके बेटों ने अमीर तैमूर की सल्तनत को टु कड़ों में बांट लिया उन्हीं बटी हुई सल्तनत में से एक सल्तनत उज़्बेकिस्तान के इलाके में थी यह सल्तनत अमीर तैमूर के पांच वंशजों के बाद आकर जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर के बाप के हिस्से मै आई थी और फिर बाबर के वालिद के मर जाने के बाद यह सल्तनत बाबर के हिस्से में आई थी।
बाबर का जीवन परिचय | babur ka shuruati jeevan Zahiruddin Muhammad Babur पूरा नाम – Zahiruddin Muhammad Babur (जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर) जन्म – 14 फरवरी 1483, उज्बेकिस्तान मौत – 26 दिसंबर 1530, (उम्र 47) आगरा, Mughal Empire, India साम्राज्य – Mughal Empire (मुग़ल साम्राज्य) माता-पिता – कु तुलुग निगर खानुम, उमर शैख़ मिर्ज़ा शासन – Kabul (काबुली), Samarkand (समरक़ं द), Ferghana (फरघाना), Mughal
जिस वक्त बाबर सल्तनत की गद्दी पर बैठा उस समय उसकी उम्र सिर्फ 13 साल थी लेकिन फिर अचानक से बाबर के चाचा ने उसके खिलाफ बगावत कर दी ना चाहते हुए भी बाबर को अपने चाचा से लड़ाई करनी पड़ी और फिर बाबर के हाथ से वह सल्तनत चली गई उसके बाद वह कई सालों तक जंगलों में फिरता रहा बाबर ने अपनी 30 साल तक की उम्र जंगलों में भटक भटक कर ही गुजार दी थी उनके लिए कई दिन तो ऐसे मुश्किल से भरे हुए गुजरे थे कि बाबर को जंगलों में दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हुआ करती थी लेकिन बाबर ने कभी हार नहीं मानी बाबर को जब महसूस हुआ कि वह अपने वालिद की सल्तनत को वापस नहीं ले पाएगा तो उसने अपनी सल्तनत को वापस लेने के बजाय अफगानिस्तान को फ़तेह करने का इरादा बनाया बाबर ने सबसे पहले अफगानिस्तान के कु छ इलाकों को फ़तेह किया और इलाकों को फ़तेह करने के बाद हिंदुस्तान की तरफ रवाना हुआ।
Battle of Panipat | पानीपत का पहला युद्ध
Empire (मुग़ल साम्राज्य) कब्रगाह – बाबर गार्डन, काबुल, (अफगानिस्तान) पत्नी – Maham Begum (महाम बेगम) औलाद – Humayun (हुमायूँ), Kamran Mirza (कामरान मिर्ज़ा)………
Babur Entry in India
First Battle of Panipat – जिस वक्त बाबर हिंदुस्तान को फतेह करने के लिए हिंदुस्तान में दाखिल हुआ था उस वक्त बाबर के पास सिर्फ 13 हजार की ही फ़ौज़ थी। और उसका मुकाबला पठान सल्तनत के सरदार यानि इब्राहिम लोधी से था। इब्राहिम लोदी के पास तकरीबन एक लाख फ़ौज़ थी इब्राहिम लोदी को भी यही लग रहा था कि वह बाबर को आसानी के साथ हरा सकता है क्योंकि इब्राहिम लोधी के पास एक लाख सिपाही के साथ-साथ हजारों की तादाद में हाथी भी मौजूद थे हर चीज इब्राहिम लोदी के मुकाबले में बाबर के पास कम थी। सिपाही भी कम से हथियार भी कम थे और हाथी भी नहीं थे। लेकिन उसके बावजूद भी बाबर को पूरा कॉन्फिडेंस था की वो इब्राहिम लोधी को आसानी से हरा देगा क्योंकि बाबर के पास एक ऐसा हथियार था जो आज से पहले हिंदुस्तान में किसी ने नहीं देखा था और ना ही आज से पहले हिंदुस्तान की किसी जंग में ऐसा हथियार इस्तेमाल किया गया था और वो हथियार था बाबर की खतरनाक तोपे। फिर 1 दिन पानीपत के मैदान में जहीरूद्दीन बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच 21 अप्रैल, 1526 ई० को (First battle of Panipat) पानीपत का पहला युद्ध हुआ । पानीपत के युद्ध में इब्राहिम लोदी ने जब देखा कि मेरी फौज बाबर के मुकाबले में हद से ज्यादा ताकतवर है तो उसने अपनी पूरी फौज को एक साथ खुले मैदान में हमला करने का आर्डर जारी किया लेकिन शायद ये इब्राहिम लोदी की सबसे बड़ी गलती थी बाबर ने जब देखा कि इब्राहिम लोधी की पूरी फौज खुलकर एक साथ हमला कर रही है तो बाबर में भी अपनी सारी तोपे चलाने वालों को तोप चलाने का ऑर्डर दे दिया बाबर के पास तकरीबन 10 तोपे थी बाबर ने एक साथ तोपे बरसाना शुरू किया तोपो की तेज आवाज़ से इब्राहिम लोदी के सारे हाथी पागल हो गए तोपो की खतरनाक आवाज़ सुनकर इबराहीम लोधी के सारे हाथी उल्टे पांव भागने लगे और भागते हुए हाथियो ने इब्राहिम लोधी के हजारों सिपाहियों को कु चलते चले गए जिसकी वजह से लोधी की पूरी फौज में भगदड़ मच गई।