सुलभ स्वच्छ भारत - वर्ष-2 - (अंक 07)

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महात्मा का पत्र हिटलर के नाम

गांधी स्मृति

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गणतंत्र का उत्सव

गांधी स्मृति 26

फोटो फीचर

सिनेमा में महात्मा

विश्व कैंसर दिवस कैंसर के खिलाफ युवी की जंग

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sulabhswachhbharat.com आरएनआई नंबर-DELHIN/2016/71597

वर्ष-2 | अंक-07 | 29 जनवरी - 04 फरवरी 2018

नदी पुनर्जीवन

चुनौती से ज्यादा सबक

खास बातें 2013 में मूसी नदी की सफाई के लिए 900 करोड़ रुपए की योजना 1032 एमएलडी सीवेज और गंदा पानी मूसी में बहाता है मूसी के साथ हुसैन सागर झील का भी प्रदूषण से बुरा हाल

सा

हैदराबाद शहर की पहचान चारमीनार के साथ एक नदी के साथ बी जुड़ी है। यह नदी है मूसी। दुर्भाग्य से यह नदी गंभीर प्रदूषण की शिकार हो गई । इस नदी की प्रवाह और सेहत को बहाल करने की चुनौती को लेकर अब जाकर लोग चेत रहे हैं। उम्मीद है सरकार और समाज की साझी पहल से मूसी के फिर से स्वच्छ होने की उम्मीद जगी है एसएसबी ब्यूरो

री दुनिया में आदिकाल से नदियां स्वच्छ जल का अमूल्य स्रोत रही हैं। पिछले कुछ सालों से भारत की अधिकांश नदियों के गैर-मॉनसूनी प्रवाह में कमी आ रही है, छोटी-छोटी नदियां तेजी से सूख रही हैं और लगभग सभी नदियों के किसी-न-किसी भाग में प्रदूषण बढ़ रहा है। यह स्थिति हिमालयी नदियों में कम तथा भारतीय प्रायद्वीप की नदियों में अधिक गंभीर है। नदी, प्राकृतिक जल चक्र का अभिन्न अंग है। इस जलचक्र के अंतर्गत, प्रत्येक नदी अपने कैचमेंट (जलग्रहण क्षेत्र) पर बरसे पानी को समुद्र अथवा झील में जमा करती है। वह अपने कछार में भूआकृतियों का निर्माण एवं परिमार्जन करती हैं। वह

पारिस्थितिक तथा जैविक विविधता से परिपूर्ण होती है। वह प्राकृतिक एवं प्रकृति नियंत्रित स्वचालित व्यवस्था है जो वर्षाजल, सतही जल तथा भूमिगत जल के घटकों के बीच संतुलन रख, कछार के जागृत इको-सिस्टम सहित आजीविका को आधार प्रदान करती है। नदी के बारहमासी बने रहने का संबंध बरसात बाद उसके कैचमेंट की जल प्रदाय क्षमता और जटिल ईको-सिस्टम के समुचित प्रबंध से है। प्रवाह को कम करने वाला पहला महत्वपूर्ण घटक, कैचमेंट में भूमि कटाव है। भूमि कटाव के कारण मिट्टी की परतों की मोटाई कम होती है तथा भूजल

भंडारण क्षमता घटती है। भूजल भंडारण क्षमता घटने के कारण मिट्टी की परतों में कम भूजल संचित होता है। यह पानी बरसात बाद बहुत जल्दी नदी में उत्सर्जित हो जाता है। परिणामस्वरूप, नदी का प्रवाह घटने लगता है। नदी तल से रेत के खनन के कारण, तल के नीचे के कणों की व्यवस्था गड़बड़ा जाती है। व्यवस्था के गड़बड़ाने के कारण नदी तल के नीचे के पानी का प्रवाह अवरुद्ध होता है। वह बाहर आ जाता है और नदी उसके योगदान से वंचित हो जाती है। तीसरे, नदी घाटी में होने वाले भूजल दोहन के कारण क्षेत्रीय वाटर टेबिल, नदी तल के नीचे उतर जाती है।

मूसी नदी का गौरवशाली इतिहास रहा है। हैदराबाद नगर मूसी नदी के तट पर बसा है। यह नदी नगर को पुराने शहर और नए शहर में बांटती है

परिणामस्वरूप, नदी सूख जाती है। कुछ स्थानों पर, स्थानीय घटकों के असर से भी प्रवाह कम होता है। मूसी को बचाने की पहल चेन्नई से हैदराबाद जाते समय रेलगाड़ी की खिड़की से मूसी नदी नजर आती है। नदी क्या है, आप नाले जैसी भी नहीं दिखाई देती। सिर्फ नदी की स्मृति भर रह गई है। अच्छी बात है कि इस नदी के उद्धार के भी प्रयास शुरू हो गए हैं। मूसी नदी का गौरवशाली इतिहास रहा है। हैदराबाद नगर मूसी नदी के तट पर बसा है। यह नदी नगर को पुराने शहर और नए शहर में बांटती है। पुराने समय में इसे मुछकुंडा नदी के नाम से जाना जाता था। कभी यह नदी हैदराबाद शहर के लिए पानी का मुख्य स्रोत हुआ करती थी। मूसी नदी रंगारेड्डी जिले के अनंत गिरी पहाड़ियों से निकलती है। आगे जाकर कृष्णा नदी में मिल जाती है। मूसी नदी की लंबाई 240 किलोमीटर है। पर हैदराबाद के शहरी सीमा में नदी अतिक्रमण का शिकार है। हैदराबाद में रहते हुए चादरघाट में कई बार मूसी नदी को पार करते हुए सोचता था कि नदी के साथ हमने ये कैसा व्यवहार किया है। 1908 में मूसी नदी में आई बाढ़ ने हैदराबाद में कहर बरपाया था। नदी का बुरा हाल इसमें करोड़ों लीटर सीवेज और गंदा पानी बहाए जाने के कारण हुआ। इसकी सफाई को लेकर अब संजीदगी दिख रही है। वैसे इस नदी की सेहत का फिर से बहाल होना एक बड़ी चुनौती है। 2013 में मूसी नदी की सफाई के ले 900 करोड़


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