वर्ष-1 | अंक-50 | 27 नवंबर- 03 दिसंबर 2017
वां
आरएनआई नंबर-DELHIN/2016/71597
अंक
sulabhswachhbharat.com
26 स्वच्छता के दूत
30 स्वच्छता के समूह
32 स्वच्छता के संदेश
स्वच्छता को बढ़ावा देने में सितारे भी पीछे नहीं
चार गांव को बच्चों ने खुले में शौच से मुक्त कराया
फिल्मकारों ने लघु फिल्मों के जरिए स्वच्छता का संदेश दिया
स्वच्छता के मोर्चे पर सितारे
‘वानर सेना’ की सीटी शार्ट फिल्म, बिग मैसेज
स्वच्छता के चैंपियन
भारत में स्वच्छता के परिदृश्य को बदलने वाले नायकों की दास्तां शौचालय, स्वच्छता और स्वास्थ्य। यह मुद्दा आजादी के पहले से अब तक सबसे जरूरी माना जाता रहा। महात्मा गांधी ने स्वच्छता को राष्ट्रीय आजादी, विकास और स्वास्थ्य से जोड़ा। उनके प्रयासों का असर भी उस दौर में दिखा, लेकिन आजादी मिलने की खुशी और उसके साथ उपजी दूसरी कई मुश्किलों और जरूरतों में देश कुछ ऐसे उलझा कि स्वच्छता का सवाल बहुत पीछे छूट गया, जिसका समाधान तभी और तत्काल किया जाना जरूरी था। लेकिन इतने बड़े और विविधवर्णी देश ने इस सवाल को भुलाया नहीं। करीब पांच दशक पहले प्रसिद्ध समाज सुधारक और गांधीवादी डॉ. विन्देश्वर पाठक को स्वच्छता के इसी सवाल ने बेचैन किया और वे निकल पड़े अकेले देश को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने की मुहिम पर। लोग साथ आते गए और स्वच्छता का कारवां बढ़ता गया। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी के सामने भी स्वच्छता का सवाल उठ खड़ा हुआ क्योंकि बगैर स्वच्छता के स्वास्थ्य नहीं और जब स्वास्थ्य नहीं तो विकास का कोई फार्मूला परवान नहीं चढ़ सकता। उन्होंने इस बात को
शिद्दत से महसूस किया और महात्मा गांधी के जन्म दिवस, 2 अक्टूबर 2014 को राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन की शुरूआत की। स्वच्छता अभियान को जन अभियान बनाए बिना इसके लक्ष्यों को पाना असंभव था। लेकिन उनके प्रयासों से स्वच्छता अभियान आजादी के बाद देश का पहला और सबसे बड़ा सकारात्मक जन अभियान बन गया। डॉ. विन्देश्वर पाठक का तो जैसे सपना ही साकार हो गया। दशकों से देश और दुनिया को स्वच्छ और स्वस्थ देखने का उनका सपना लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ चला। देश में गांधी जी और प्रधानमंत्री मोदी स्वच्छता के सबसे बड़े प्रेरणा स्रोत हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सुलभ प्रणेता डॉ. पाठक स्वच्छता के चैंपियन। इस महाअभियान में पूरे देश का योगदान है। हर क्षेत्र, हर वर्ग, हर तबके के लोग अपने स्तर पर इसमें योगदान दे रहे हैं। ‘सुलभ स्वच्छ भारत’ का यह अंक स्वच्छता के उन्हीं प्रेरणास्रोतों, महानायकों, नायकों और दूतों को समर्पित है, जिनके सहयोग से स्वच्छता अभियान हर किसी नागरिक का अभियान बना है-