Swarn-Aabha Kutumbkam : e-Magazine

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Swarn-Aabha Kutumbkam वण–आभा कटबकम

2022-23

From the Desk of the Founder From the Desk of the Co-Founder From the view of Organizer AKDhiman‘Veer’ Mr.VivekPandey MissWriter

Art & Craft

Mrs.BishakhaKumari Saxena(Mandalaart)

Mrs.BishakhaKumariSaxena(FoodBlogger)

Mr.VivekPandey(TravelBlogging) Ms.Navya&Mr.ManojSharma

Food Blogging & Travel Blogging Poetry, Stories or Shayari...
Mr.ManojSharma HindiRatnaoftheYear EnglishChampoftheYear
Author's Interview
Writers of the Year 2022-23

About e-Magazine & Acknowledgement

TodayI,“AKDhiman‘Veer’”presentingthisannualmagazine infrontofyounamedas‘Swarn-AabhaKutumbkam’onthe occasionof1stAnniversaryofourWritingCommunity. Iwanttosaythatthise-Magazineconsistsofnotonlywriteupsbutdifferent-differenttalentsofourwriterslike-Art& Craft,Food&TravelBloggingandalsoanAuthor'sInterview.

I'mverymuchthankfultotheAlmightyGodwhogivesme potentialtogatherthesediamondsonsamepagei.e.inthe fieldofWriting.I'mthankfultomyParents,myGrandparents &mentor‘Dr.VineetGera’whoseblessingswillkeepme energetictodoso.

Ipaymygratitudetowardseachandeverymemberwriters, Coreteam&PrimaryMembersORSheershSadasya(CoFounder&Gyaan-KoshHead).

Edition-2022-23(Vol.1)

Scripted&Editedby-AKDhiman‘Veer’

From the Desk of the Founder

SAWC

Thisis“AKDhiman‘Veer’”,findingthesewordstoallofyours well–being.Iwanttosaythatthiscommunitybelongstoallage groups,religionandcommunicationareas.Ipaymygratitude towardsallofyoutomakethiscommunity1yearold.This youngcommunitygenuinelyfocusesalltypesofwritingskills, learningsinneweraofwritingstylesoradaptingithumbly& respectfully.

AllIwanttosaythat,day-to-daywegotmatureinallphase. TodayIpresentthisannualmagazineinfrontofyounamedas ‘Swarn-AabhaKutumbkam’.

Iwanttodrawyourattentiontowardsourbeautifuljourney, westartedourjourneyon‘21stofMarch,2022’&ourDaily Challengegroupnamedas‘7AM-7PMClub-SAWC’started on‘23rdofMarch,2022',withtheconcepttobringthe unrecognizedornon-evaluatedwritersinfront-footto showcasetheirtalentofwritingtowardstheglobefrom differentpartsofIndia,whereweare50+innumbersfaces newdailychallengestogether,12episodesof‘Apnonse CharchaORTalkwithOurs'typeofMonthlyCommunity Meetings,3Competitionsinonlineorofflinemode,OpenMics,

To,

...specialday'schallenges,‘RatnaSabhaORMeetingwith WriteroftheMonth’whereourPublishingHead‘Dr.Vineet Gera’givessolobookofferstothem.Ourdaily&monthly appreciationincentiveslike-‘PerformeroftheWeek, EmergingWriteroftheWeek’;‘WriteroftheMonth, EmergingwriteroftheMonth’;‘SocialMediafeaturingof write-ups,PoetryrecitationonYoutubechannel’always cherishandlavishORboost-upthemotivationofevery writers. Wealtogetherladder-upourselvesinvariousaspects. IverymuchthankmyCore-Teamtobesupportiveeverytime.

Wepromisetomake‘Swarn-AabhaWritingCommunity’ona hugeleveltogether.

Specialthankstowards"GurucoolPublishing"andtheirkey people-mynavigator,mentor&Backendsupport‘Dr.Vineet Gera&team.’

AKDhiman‘Veer’

From the Desk of the CoFounder

सवा म, वण–आभा लखन समह म, ववक पाडय ; यागराज का नवासी । म इलाहाबाद ववालय स नातक । वतमान समय म म एक शक क प म काय कर रहा । मर शौक ह शायरी और कवताए लखना, सगीत सनना और नई जगह पर याा करना मझ पसद ह। म आप सभी का वागत करता हमारी वाषक पका “वण–आभा कटबकम” म जो क हमार परवार क एक वष क सफ़रनाम को आप सभी क सम तत कर रही ह। अगर बात क हमार इस लखन परवार क तो SAWC म मरा अब तक का सफ़र बत ही सनहरा रहा ह, म इस परवार स श स ही साथ , यहा तदन कछ न कछ हमशा सीखन को मला ह और बत खशी ह इस सान न मझ एक सह–सापक क प म चना। यह मर लए एक बत बड़ी उपल ह। हमार सापक ‘अमत जी’ क साय म मन इस परवार क बागडोर एक ‘सह–सापक’ क प म सभाली ह जसका नवहन म बखबी कगा। आशा कगा आप सभी को मर साथ काय करन म और सफलताए ात ह। ववक पाडय सह–सापक वण–आभा लखन समह

Organizer's View

ThedayIjoinedthisgroupatfirstIwasn'tinterestedin writingbutsincethenmymood&mindchangedbecauseI've gotsuchanawesomecommunity.ActuallyIwassearchingfor aplatformforwritingbutIgotthisone&joinedit.Iwas firstlyafraidformyprivacyassomedetailsI'dtogivewhile registrationbutthankstoAKSirthatheagreedonmytwo points.Ihavebeenthankfultohimsincethefirstday.Inever thoughtthatI'llwritesonicely&I'llbethismuchpopularby mywriting.Iwasn'tawareofsomesocialproblemswhichIgot toknowbyjoiningthiscommunity.I'vejoinedmany communitiesbuthaven'texperiencedthosemomentswhichI've gotfromthiscommunity.I'mverymuchblessedthatI'vegot anopportunitytoworkforthee-magazine.I'vebeenstaying inthiscommunityfor5months&above.Thise-magazineis beingmadewiththehelpofoursenior‘AKSir’,who'savery cooperative,cool&kindperson.He'sthepersonwhohelped mealotinmybadtimes&alsohassupportedmealot.From mycolleaguestoowithwhomI'mcompetingbutstillthey'rein thiscommunity,bythemI'vegotmanyhelpswhichmademe happysometimes.It'sbeenagreattimethatI'vejoinedthis group,asI'vegotmanyfriendswithwhomI'mnowworking...

GodGracethatday,

here.Fromhere,I'vegotsomanyopportunitiesforwriting,but couldn'tusemanyofthem.ThedaywhenIjoinedthis community,Iwouldsaythatitwasmymostmemorableday, whichchangedmylifedrastically.I'mimprovingmyselfnowin everyfieldespeciallyinwriting.Thiscommunityshouldgetan award&alsoto‘AKDhimanSir’thathe'smanagingmany thingstogether&alsothattoowithoutanyone'shelp.He'sthe onewhocameintomylifeatasuddenbythiscommunity& changedme&mylifeveryunexpectedly.I'mgratefulto‘AK Sir&alsotothiscommunity’thatIgotanopportunitytowrite myfeelings,emotions&gratitudewhichIfeeltowardsthis community&theirworks. Thankyou!!!

Art & Craft

MandalaArt

MandalaArt

Food Blogging By-BishakhaKumariSaxena

Daliya_Paneer_Kebabs ++++++++++++++++++++

IngredientsDaliya-1bowl

Paneer-100gms

Kasoorimethi-1tablespoon

Redchillipowder-1teaspoon

Garammasalapowder-1teaspoon

Saltaspertaste

Method-

Firstlysoakeddaliyafor1hour.Nowcrushedthepaneerina differentbowl.Thendraineditandputinbowladdpaneer,red chillipowder,garammasalapowder,salt,Kasoorimethiand mixitnicely.

Nowgiveheartshapedwithheartshapecutter.

TheninnonstickpanShallowfryallKebabswithoutusing muchoilandservewithyourchoiceofsauceandchutney. Thanks!!!

Travel Blogging By-VivekPandey

मनाली सफ़रनामा कहत ह ज़दगी एक सफ़र ह चलत जाना ह कभी मीठा कभी खा मलत इसम तराना ह।। नमकार दोत... मरा य सफ़र भी कछ इसी तरह क ख मीठ बात स, यार सग श होन वाला ह। ल चलता म आपको अपन सग इस नए रोमाचकारी सफ़र पर…… न क टकट बक हो गई और जब यागराज रलव टशन स हमारी न छक-छक करक रवाना ई, अभी कछ ही कलोमीटर गए थ क टट भाई साहब आ गए और टकट चक कया तब पता चला मरी दोत क दोन यारी बहन साधारण टकट क साथ याा म चल पड़ी ह फर या था टट साहब खशी म झम गए, पर इसस पहल वो यादा झम पात मन अपन एक भया को कॉल लगाया जो क रलव म ही नौकरी करत ह कछ नयम कानन क दलील क बाद हम य जग जीत गए, टट साहब को खाली हाथ जाना पड़ा। सबन अपनी चादर तानी और सो गए सबह नद खली हम दली टशन पचन वाल थ फटा-फट सबन जप मारा और टशन स बाहर आ कर पट पजा कया। उसक बाद हम नकल पड़ मॉल रोड़ क लए जहा हमन खब सारी खरीददारी क। फर हमन शाम को बस पकड़ी जो सीधा हम हमारी मज़ल मनाली पचाती ह। सरज क सनहरी करण क साथ पहाड़ पर बफ क सफद चादर मानो एक अलग ही नया का एहसास कराती ह।
मानो इन पहाड़ म ही बस जाओ, जद-जद हमन होटल लया, थोड़ी थकान मटा कर नकल पड़ अपन ही रोमचकारी सफर पर, मॉल रोड स होत ए सीधा हम सोलग वली पच जहा महसस आ अगर जत ह तो यह ह चार तरफ बफ ही बफ और उस पर मानो हम जस छोट मोट कड़ रग रह ह। बफ का गोला बना मारत, एक ज को हम सब सतात। इसक साथसाथ हमन कई सार एडवचर भी कए मनाली उन लोग क लए वग ह जह कत क हसीन वादय को दखन क च हो और साथ ही साथ जीवन क अनमोल लह को याद क प म सहजना चाहत ह। इसक साथ-साथ हमन पहाड़ क कग, राटग, परालाइडग, नोफॉल और कइग क तरह बत स एडवचर का मज़ कए और फर सर दन हम नकल पड़त ह अटल टनल क ओर यह नया क सबस लबी सरग म स एक ह जो लह को मनाली स जोड़ती ह। जो हर-भर जगल और बफ स ढक चोटय स घरा आ ह। यास नद कब स होकर बहती ह, जो इसक सदरता म चार चाद लगाती ह। मानो कलकल करक मधर सगीत सनाती ह। जोगनी वाटरफॉल, रोहताग पास और लाल इसक आकषक क रह ह। जो मनाली क वादय म चार चाद लगात ह। इसक साथ ही हडबा दवी मदर, मन टपल, गम पानी का कड दखन योय ह। इसी तरह कल म परालाइडग मर इस सफ़र का सबस रोमाचक पल रहा ह। और इसी उसाह क साथ मरा यह एक सताह का सफ़र खम होता ह।
अब यहा स नकलन क तयारी ह। उमीद ह आपको भी इस सफ़र म मर साथ आनद आया होगा। ववक पाडय

Poetry, Shayari & Stories

By-Navya&ManojSharma
शायरया 1. दल लगाकर दल दखा दती ह वो अपन होन का पता दती ह वो दखती ह ऑनलाइन जब मझ अपनी डीपी को हटा दती ह वो 2. बीच म अपन आख़र रा ा ह? सनना ह सबको, त कहता ा ह? तन भी माग दो वाद जान-ए-जा एक तो समझा म, पर दजा ा ह? 3. मत इतज़ार करत ह सोचए कतना ार करत ह ब-वफ़ाई न उनस कजए जो आपको होशयार करत ह
4. म खलकर मराना चाहता कसी का ग़म भलाना चाहता मरा मक़सद त पाना नह ह मगर मा स मलाना चाहता शायर -: मनोज शमा ‘चदन’
ग़ज़ल : ज़ालम स भरी ज़दगी ह तो ह ज़ालम स भरी ज़दगी ह तो ह दद ह ज़ ह बबसी ह तो ह सब तो ह पास मर मगर ा क मा बना ज़दगी म कमी ह तो ह एक घर म सभी क ख़शी क लए भागता सफ़ इक आदमी ह तो ह मौत स भागकर जाओग तम कहा मौत का ही सफ़र आख़री ह तो ह य ग़ज़ल ख़द महकन लगगी यहा गध "चदन" क अब फलती ह तो ह ग़ज़लकार -: मनोज शमा ‘चदन’

AplaceIwanttoVisit

AplaceIsurelywanttovisitisDubai, Causeit'ssuchanamazingplacetovisit, TherearemanythingsonecandoinDubai, Likeshoppingintheshoppingmalls, Gotrekking,gototouristspotsliketheBurjKhalifawhichis thetallestbuildinginDubai, It'sthebestplacetohaveanicevacation, Ihavebeenplanningtogowithmyfamilyforalongtime now,

Butthingsdon'tmaterializewell, Sowedroppedtheplan,maybeiftimepermits ThisMaywemightgotoDubai, IamjustwaitingtoseeTheamazingcityofDubai, ftheplacesinmybucketlist.

Author's Interview ManojSharma‘Chandan’

-: आपन अपनी लखन याा कब श क?

उर -: आज स करीब 8 साल पहल, जब म और मरा परवार

भाड़ क घर स नकलकर ख़द

-: आपका नाम और/या उपनाम (अगर उपल ह तो)। उर -: मनोज सदानद शमा "चदन" -: पछल वष/वष म आपक मख उपलया ा थ (SAWC या अ कह और)? उर -: मरी सबस बड़ी उपल ह, पछल वष मझ दो बार "राइटर ऑफ़ दी मथ" चना गया और सानत भी कया गया।
मनोज शमा ‘चदन’
क घर म आय। अपन सब यजन स दर तो म बत अकला महसस करन लगा था क यहा अपना तो कोई नह ह, न कोई दो, न पड़ोसी। इसी अकलपन न मझ लखन का सझाव दया तब मन लखन क शआत क पर म कवल कवता लखता था। म जो भी लखता उ सहज कर रखता अपनी पक म।

तरह स लखा जाता ह। तबस हम साथ ह और भगवान कर इसी तरह हमारा साथ बना रह। दखय, एक कव को जो पयावरण चाहए, जो माहौल चाहए वो मझ ण आभा लखन समह म ही ा होता ह। ना-ना कार क कव ह, लखक ह यहा और तदन क तयोगता। जनस तदन कछ न कछ नया सीखन को ा होता ह मझ। मन बत कछ सीखा ह यहा इस

मन स हो जाता था जब भी म कवता लखता था और उस पढ़ता था। कछ कवताए मन अपन कॉलज म भी अपन दो को सनाई और जब कॉलज म कोई आयोजन होता था तो म उसम सलत होता था ताक म अपनी कवताए दखा और सना सक सभी को। -: आप SAWC म कब शामल ए और आप यहा कसा महसस कर रह ह? उर -: एक अोलॉजी म सह-लखक क प म जड़ा था। उसी अोलॉजी म मरी मलाक़ात अमत भईया स ई थी। दरअसल करन क लए जब मन अपन लख को सामन वाल कपायलर को भजा था तो उस कवता म एक श था "भखी" जस मन करन क लए नह कहा। इसी श न मझ अमत भईया स मलवाया, उन मझ बताया और समझाया क "भखी" इस
समह म आकर। म मा शारद को नमन करता और य ाथना करता , "इस समह पर और इस समह म उपत सभी कवय एव लखक पर अपनी कपा बनाय रखयगा। हम अबोध बालक समझ कर हमारी टय को, हमारी ना समझी को ठीक करयगा और अपन ान क ोत स हम सदव स का माग दखाइयगा ताक हम उस पर चल सक और टक रह।"

ह जनस सीखन क इा और बल होती ह एव और सीखन का, जानन का

मन करता ह।

-: आप यवा या नवोदत लखक क लए ा सझाव

दग?

उर -: आजकल क लखक को म इतना कहना चागा

क अपन स बड़ लखक एव कवय क रचानाओ को

पढ़ए और सीखए।

-: आपक सबस बहतरीन पशकश और उसक पीछ

क कहानी।

-: SAWC या कसी अ मीडया क माम स आप खद को लखन क म कहा पात ह ? उर -: "ण आभा लखन समह", म आकर मझ जो ा आ ह उसक ाा म कर नह सकता क एक कव, एक लखक और साह स जड़ हर एक को जतना ान ा हो वो उस कम ही पड़ता ह। पर यहा आकर मन अपनी कवताओ पर पकड़ बनाना सीखा और ना ना कार क कवताओ क वधा और उ कस कार लखना ह य जाना और समझा भी। य सब साथक आ ह अमत भईया क तदन समह म आत तयोगता स, जहा हम तदन कछ नया और आकषक लख एव वषय ा होत

उर -: यह कवता मन ‘शहीद दवस’ क अवसर पर

लखी ह। इसक पीछ क कहानी हमार दश क सीमा

सरा कर रह हरय पर दन-ब-दन बढ़त हमल स

परशान मरा मन जो एक ऐस बालक क श स बाहर

आ रहा ह जो खद एक सनक बनन क ज़ पाल बठा

ह। उीद ह आपको पस आएगी -

शीषक

तो बता दो, कहकर बड़ अफ़सर स; पापा! सनक मझ बना द समाचार म दखा दन क क-कम को, ब प भी दया नह आती

: "पापा! सनक बना दो" हर मन ल मरा नाम ऐसा काम भी तो करना ह बचपन का ह सपना मरा सनक मझको बनना ह सनक बनक भारत मा क हर दन स लड़ना ह मरना भी ह पर दन को मार-मार कर मरना ह बनत ह सनक कस? मझको कोई
ह उन ब-शम को, म तो यही चाहता बस जगत क ामी स, इसानयत को नभाए जग भला क इन धम को पजा क थाली लाओ माई सर पर तलक लगा द कहकर बड़ अफ़सर स; पापा! सनक मझ बना दो।।

म भी लड़त-लड़त एक दन मर जाऊगा शान स, फर धरती म मल जाऊ और जड़ा र हदान स,

मर घर का हर एक रहगा यहा सीना तान क, कहग सबस था मरा पोता, बटा, भाई ाभमान स, मोह क बधन छोड़ो सार, दाद वीर क कवता सना दो, कहकर बड़ अफ़सर स; पापा! सनक मझ बना दो।।

-: अब तक क अपन लखन कौशल क लए आप

कसा महसस कर रह ह?

उर -: जब म इस समह स जड़ा था तब क आप मर लख दख और इस समय क लख दख तो आपको य य पता चल जायगा क कतना बदलाव आया ह मझम। नई

क जानकारी, तदन नय वषय पर लखना, टय को सधारन का पल, और अपन म नरतर

आग बढ़ना, इन सब कारण स ही एक

वधाओ
वा,
कव को नई पहचान ा होती ह। जो क मझम आ ह, इसका य अमत भईया को जाता ह। जब आप कसी अनभवी ग या कसी अनभवी स मलत ह तो उनक सारी
सार गण आपम समाहत होकर आपको अपण स पण करन लगत ह।
-: आपका कोई वशष सदश SAWC क लए? उर -: म चाहता , "म लख, चाह न लख मगर इस समह स जड़ा र"। अमत भईया क यास को नमन ह, वो तदन कछ न कछ समह क लए करत ही रहत ह। जस, नय लखक को ल आना, नय-नय वषय पर तयोगता करवाना, हर महीन क अत म एक मीटग रखना रचनाकार स बातचीत का मौका दना, हर महीन म शआत क दन म ान कोष स नय-नय वषय क जानकारी दना, हर एक सभव यास करत ह भईया, समह को एक नय ऊचाई पर लकर जान क। य चाहता म भी क अपन ान को बाक रचनाकार तक पचा सक क ान बाटन स ही बढ़ता ह न क कम होता ह। दजा य क मझ जो भी काय ा हो उस म परा कर सक समह क लए।

Writer's of the Year 2022-23...

End Note

Iwiththehelp&supportofCo-founderandmagazinecontent organizerfeelsverydelightfultohandoverittoyouall.Hope youallwillenjoyallthecontents.

Thankyou!!!

Thank Yoy...

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