सिधी बाहर आबी कं॑ िह ं॑ टेमपो िुं ं॑ बैठलै आरो कहलकै , “चलऽ अपोलो अस्पताल ।” िहााँ जाय कं॑ देखै छ ं॑ मक हुनकी िाँझली बेटी-दिाद िहीं छै । दिाद कहलकै , “पापा हिरऽ दोस्त के गाडी खडी छै , ओहो मसनी यहीं छै । आपन ं॑ कं॑ राती इसटेसन छोडी देतै ।” सिधी बाहर आबी कं॑ टेमपो बाला सुं ं॑ मबल िााँगलकै । टेमपो बाला न ं॑ मबहान स ं॑ तखनकऽ तलक के मबल बताय कं॑ कहलकै , “सर िैं पैसा मसन्हा साहब से ले लूगाँ ा । िे हिेशा िेरा टेमपो िाँगाते हैं ।” सिधी कहलकै , “तोहें हुनका सुं ं॑ पैसा नञ िााँमगहऽ, आपनऽ पेिेंट ल ं॑ आरू जा ।” हय कही कं॑ सब पैसा चकता करी कं॑ हुनी छोटका सिधी कं॑ फोन करी कं॑ कही देलकै , “हमिुं ं॑ मदन भरी के रऽ टेमपो के भाडा के भगतान करी देल ं॑ मछयै । फोन ई लेली करी देमलयै मक कहीं आपन्हौं सुं ं॑ भी पैसा नञ ल ं॑ मलअ ं॑ ।” हय कही कं॑ सिधी फोन काटी देलकै । सिधी कं॑ याद छै शादी के सिय बराती िुं ं॑ नञ त ं॑ हुनकऽ कोय भाय, नञ
“ सिधी उठी क॑ तैयार हुअ ॑ लागला । कपडा मपन्द्हतुं ॑ – मपन्द्हतुं ॑ सनलका सिमधन के रऽ आवाज फे रू जोरऽ–जोरऽ सुं आबी रहलऽ छेलै । जानै छै परकलऽ मगदराुं ककडी – फूट खाय छै । महनकऽ महसकऽ लागी जैतै । महसकऽ त ॑ छोडैये पडतै । आब ॑ महनका सुं ॑ हिरा की सरोकार । मबयाह होय गेलै । आब ॑ खाली बेटी – दिाद सुं ॑ ररस्ता । महनका सुं ॑ की । छोडऽ हटाबऽ । ” बहनोय, नञ गोमतया । कोय नञ । पछलुंऽ छे लै, “आपन ं॑ के कोय भाय, बहनोय नञ ऐलऽ छै की ?” हुनी कहलुं ं॑ छे लै, “सब्भे हिरा सुं ं॑ जरै छै । हिरऽ तरक्की देखी कं॑ हिरा सुं ं॑ सब्भे दरू होय गेलऽ छै ।” ितरमक सिधी देखन ं॑ छे लै मक बराती िुं ं॑ हुनकऽ खाली सा़ि़ू, पााँच सा़ि़ू सपररिार उपमस्थत छऽथ । आब ं॑ सिधी कं॑ सिझ िुं ं॑ ऐलै मक जेना सिमधन हिरा कही कं॑ आपनऽ घरऽ सुं ं॑ जाय ल ं॑ मििश करन ं॑ छै , िह ं॑ रुं हुनी आपनऽ सब पररिारऽ सुं ं॑ वयिहार करी कं॑ भगैल ं॑ होतै । तहीं सुं ं॑ कोय नञ च़िै छै महनकऽ घऽर । िुंझला सिधी कं॑ देखै ल ं॑ बेटी दिाद के साथुं ं॑ सिधी अस्पताल के भीतर गेला । िहााँ िुंझला सिधी के ओपन हाटष सजष री होलऽ छे लै । हुनका नसें कपडा बदली कं॑ 20
अंि माधरी (बर्ष : ४७, अंक : ०3 - ०४, फरवरी - मार्ष - २०१६)