अंग माधुरी, बर्ष-४७, अंक-१ - २

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सशु ीलय कय ्ह मनोियव आगे मीरय और उसके सांवयि में और स्पष्ट हो जयतय है – “एखनी जों िहेज ल ं॑ कं॑ हममें बेटय के शयिी करदतहयाँ त ं॑ ई सख ु हमरय नै दमल ं॑ पयरदतह ं॑ ।”सशु ीलय पत्रु वयसलय है । वे पत्रु वधू को िी खूब प्​्यर करती है । क्​्ों न करती, सयस जो ठहरी । कौशल्​्य जैसी सयस, दजन्होंने सीतय को असीम प्​्यर दि्य थय त्रेतय में । सशु ीलय ने मीरय के शील-स्वयियव और कतट व् परय्णतय की परख कर ली थी । वे एक आिशट सयस की आिशट उपदस्थत करती हैं । मीरय के कहे ग्े वयक्​्ों से उसके आिशट चररत्र कय ियव अदिव्ि हुआ है ।

“ आलोच्य नाटक का वं ाद बड़ा ही माममथक है । इ में आधमु नक मवचार व्यंमजत हैं । जै े – “एकरा त ॑ ग्राम धु ार करना छै , नया माज बनाना छै , मक ान क॑ जगाना छै ।” नाटक के कथावस्तु को गमत कथोपकथन े ममलता है । चकोर अंमगका के मथथ कमव और लेखक हैं । उनकी भाषा शुद्ध और भाव की अनुगाममनी हैं ।उनके वणथन में युग दशथन की झलक ममलती है । नाटककार ने नाटक में जहा​ाँ-तहा​ाँ महु ावरों एवं कहावतों का न्द्ु दर प्रयोग आलोच्​् नयटक कय सांवयि बडय ही मयदमट क है । इसमें आधदु नक दवचयर व्ांदजत हैं । जैसे – “एकरय त ं॑ ग्रयम सधु यर करनय छै , न्य समयज बनयनय छै , दकसयन कं॑ जगयनय छै ।” नयटक के कथयवस्तु को गदत कथोपकथन से दमलतय है । बयतचीत से मांगल, मखरू, बल ु यकी आदि पयत्र कय मनोियव दवकदसत हुआ है । चकोर अांदगकय के समथट कदव और लेखक हैं । उनकी ियषय शर्द् ु और ियव की अनगु यदमनी हैं ।उनके वणट न में ्गु िशट न की झलक दमलती है । नयटककयर ने नयटक में जहयाँ-तहयाँ महु यवरों एवां कहयवतों कय सन्ु िर प्र्ोग दक्य है – िोदग्य िोग िोगनय, समयन्है में प्रीत सोहै छै , उाँट आरो गिहय के िोस्ती अच्छय नै, चांि दिन के मेहमयन, आरयम हरयम छे कै आरो कयम िेवतय, कबीर ियस के उलटऽ बयनी बरसे कां बल िीजे पयनी, प़िे फयरसी बेचे तेल मांगल पयाँङे के चयले बेमेल, कौडी के तीन, चौबे गेलऽ छे लऽ छब्बे बनैल ं॑ िूबे बनी कं॑ ऐलऽ, दख्यली पोलयव, दबनय बयत के बयत, िगवयनें जेकरय िै छदथन मन्ु हय फयडी कं॑ िै छदथन, जेतनय चूतड पर तयल बोलै छै ओतनय ढोलक पर नै, दबनय खरचें खेती आरो दबनय िरबें िरबयर नै हअ,ं॑ तयली िोनऽ हयथऽ सें बजै छै , मखौल उडयनय, उत्तम खेती मध्​्म बयन दनदसध चयकरी िीख दनियन आदि । मखरू कय ‘की नयम कहै छै दक’ और बल ु यकी कय ‘मर तोरी’ की प्र्ोगयवदृ त्त में स्वियदवकतय समयकुल है । 54

अंि माधुरी ( बर्ष : ४७, अंक : ०१ - ०२, दिसंबर - २०१५ - जनवरी - २०१६)


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