Khirkee Voice (Issue 7) Hindi

Page 1

खिड़की आवाज़

पतझड़ संस्करण

अंक #7

अध्याय 7- जबरन समुद्र में ले जाया गया

4

अ क्टू ब र - द ि सं ब र 2 0 1 8

आबिजान, ऐवेरी कोस्ट ने व ल ा

अनु व ाद- वेदि का सिंघानिया युक्त राष्ट्र की ‘वर्ल्ड है प ्पीने स रिपोर्ट 2018’ के अनु स ार भारत 133वें पायदान पर है । यह एक द :ु खद सं के त है क्योंकि 156 दे शों की इस सू ची में पाकिस्तान (75) भू ट ान (97), ने प ाल (101) , बां ग ्लादे श (115) और श्री लं क ा (116) जै से पडोसी दे श हमसे बे ह तर हैं । हाल ही के वर्षों में सं युक्त राष्ट्र ने ‘आर्थिक विकास’ को किसी भी दे श के समृद् धि के सू च क के रूप में नकार ‘है प ्पीने स ’ को अपनाना शु रू किया है । यदि सरल शब्दों में ‘है प ्पीने स ’ को समझा जाए तो खुश रहना जीवन की गु ण वत्ता का आधार है , जिसके कई सू च क हो सकते हैं , जिनमें से अच्छी आमदनी, स्वस्थ लम्बी आयु, सामाजिक सहयोग (सरकार द्वारा ), आज़ादी ( ज़िन्दगी से जु ड़े फै सले ले ने की), विश्वास ( आपसी और व्यवस्था पर) और उदारता (द स ू रों के प्रत ि) शामिल हैं । इन्हें हासिल करने लिए सामाजिक उपायों में अच्छी शिक्षा और स्वास्थय से व ाओं के साथ-साथ सामाजिक

गर्म और नम, दिसंबर में ठं डा

ह ि म तें दु आ

काबुल, अफगानीस्तान

सुहावना और धूप, सर्द और बारिश दिसम्बर में

किन्शासा, कॉन्गो ल् ला

सुहावना और लगातार गर्म छिटपुट आं धी-तूफ़ान

लेगोस, नाइजीरिया

नरेश कु मार जो खिड़की में पिछले 15 वर्षों से रह रहे हैं , कहते है , ”देखि ये , शहरों की ज़िंदगी मुश्कि ल होती है । हम छोटी-छोटी चीज़ों में ख़ु शी ढू ँ ढ ते हैं । अगर हमारा परिवार ख़ु श है , तो हम ख़ु श हैं । हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे अच्छे से पढ़-लिख लें । आजकल दिल्ली के सरकारी स्कू लों की शिक्षा में सु ध ार हु आ है । मे र ा छोटा बे ट ा वहीं पढ़ता है । हमें अच्छा लगता है , वो अभी स्कू ल जाने में दिलचस्पी ले त ा है । ” हमने जानना चाहा कि दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने ऐसे क्या उपाय किए हैं कि सरकारी स्कू लों को कोसने वाले अभिभावकों की राय बदली है ।

पड़ताल करने पर पता चला कि दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने अपने कार्यकाल में बुनि यादी ढाँ चे में सु ध ार के साथ, पहली से आठवीं कक्षाओं में एक ‘है पीने स करिकु लम’ की शु रु आत की है । इससे पहले मध्य प्र दे श और आं ध्र प्र दे श की सरकारों ने इसी तरह के प् रो ग् रा म की घोषणा की थी। इन घोषणाओं में ज़िक्र किया गया कि इन योजनाओं का मकसद शिक्षा के साथ-साथ बच्चों का चौतरफा विकास हो, साथ ही मानसिक विकास पर विशे ष ध्यान दिया जाए। ‘है प ्पीने स ’ को समग्र विकास से जोड़ने और समझने के लिए भारत जै से दे शों को सटीक आँ कड़े एकत्रित करने की प्रणाली और इसे लागू करने के लिए विशे ष ज्ञों और प्रक्रि याओं की एक सू ची तै य ार करनी होगी ताकि विधिवत तरीके से इसे मु ख ्यधारा में लाया जा सके । असर 2017: शिक्षा रिपोर्ट के अनु स ार आज भी हमारे दे श में 1418 साल की उम्र के वर्ग में 25 % किशोरों को अपनी भाषा में सरल वाक्य पढ़ने में परेश ानी होती है , और 57% किशोर सरल गु ण ा-

प श् चि म ी अ फ़ ्री क ी शे र

कलाकार बलबीर कृ ष्ण की ज़िन्दगी कई उतार चढ़ावों से गु ज री है, फिर भी उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और हमे श ा लड़कर वापस आये हैं, बे ह तर और मजबू त बनकर। खिड़की आवाज़ प्यार, साहस और कला की अद्भुत कहानी आपके सामने ला रहा है। महावीर सिंह बिष्ट

मोगदिशु, सोमालिया

अनुवाद-नेहा सुयाल हिरोल हिरण

लुप्तप्राय जंतु, रेखाचित्र: अरु बोस

विकास से जु ड़ी नीतियों पर सरकारों का योजनाओं की घोषणा कर; सशक्त रूप से लागू करना अति आवश्यक है । बुनि यादी स्तर पर किसी भी नागरिक की सामाजिक गु ण वत्ता को शिक्षा से जोड़ा जा सकता है । एक जागरूक, शिक्षित और खुश किशोर, एक सक्षम और उपयोगी युव ा और नागरिक बन सकता है । ‘है प ्पीने स ’ और शिक्षा के मायनों को खिड़की गाँ व जै से क्षेत्र में सू क् ष्म स्तर समझने के लिए हमने यहाँ के लोगों से बात की।

हमें प्यार की ज़रूरत है

सुहावना और गर्म, छिटपुट बारिश और आं धी

धूप और हलकी बारिश दिसंबर में ठं डा

10 11

6

सं

गं ग ा न द ी क ी डॉलफिन

सिंगिंग ट्री के आर्ट क्लास से बच्चों में नीचे चाय ख़ुशी की लहर

हॉस्टल के जीवन की झलकियाँ

महावीर सिंह बिष्ट

दिल्ली, भारत ग ौ रै य ा

पटना, भारत

के सहयोग से

दिल्ली सरकार ने हाल ही में सरकारी स्कू लों में ‘है प ्पीने स करीकु लम’ की शु रु आत की । खिड़की आवाज़ ने पता लगाने का प्र य ास किया कि यह कार्यक्र म किस बारे में है और इसपर बच्चों की प्रत िक्रि या क्या है ।

सुहावना और गर्म, छिटपुट बारिश और आं धी

गर्म और नम बीच-बीच में बारिश

सतता और समुदाय विशेषांक

सीखिए हैप्पीनेस

मौसम की रिपोर्ट

ग ो रि

12 पन्ने

“इ

तिहास इन सब लोगों और इनके परिवारों से क्षमा प्रार्थी है। समलैंगिगता मानव यौनिकता का हिस्सा है। उन्हें इज़्ज़त और बिना किसी भेदभाव के ज़िन्दगी जीने का पूरा हक़ है। एल.जी.बी.टी. समुदाय को सह-संवेदी संबध ं बनाने की पूरी आज़ादी है।” 6 सितम्बर 2018 को भारतीय दंड संहिता की धारा 377 हटाए जाने पर जस्टिस इंद ु मल्होत्रा के इन शब्दों ने एल.जी.बी.टी. समुदाय में ख़ुशी की लहर भर दी। यह एक ऐसा संघर्ष था, जिनमें कईयों ने साहसिक निजी लड़ाईयाँ लड़ी हैं, उस समाज से जो उन्हें स्वीकारना नहीं

चाहता था। यह लड़ाई अभी जारी है, उन बहुत-सी आवाज़ों के लिए जो छोटे शहरों में रूढ़िवादी सोच से रोज़ संघर्ष कर रहे हैं। बलबीर कृष्ण एक कलाकर हैं, जो अपने पार्टनर माइकल के साथ वर्तमान में न्यू यॉर्क में रह रहे हैं। उनकी कहानी कोई साधारण कहानी नहीं है। उनकी पेंटिंग जितनी भी शांत, गूढ़ और मन को सुकून देने वाली नज़र आती हों, उनका जीवन उतना ही उथल-पुथल और संघर्ष भरा रहा है। वे एक मंझे हुए कलाकार हैं और एल.जी.बी.टी. समुदाय के अधिकारों के मज़बूत अधिवक्ता हैं। बलबीर का जन्म 1 दिसंबर, सन 1973 े के एक छोटे से गाँव बिजरौल में उत्तर प्रदश के एक जाट परिवार में हुआ था। उनके गाँव के युवा लड़के पुलिस या फ़ौज में जाने की चाह रखते थे। लेकिन बलबीर का भविष्य कला के क्षेत्र में नाम कमाना था। उन्हें 9

बलबीर अपने स्टूडियो में एक पेंटिंग पर काम करते हुए।

भाग भी नहीं कर सकते । ये आं कड़े हमारी शिक्षा व्यवस्था की अक्षमता को दर्शाता है । ऐसे में ‘है प ्पीने स करिकु लम’ को बच्चों और अभिभावकों ने खुले मन से स्वागत किया है । 2018 के बोर्ड के नतीजों में दिल्ली के सरकारी स्कू लों ने प् रा इवे ट स्कू लों को पीछे छोड़ दिया। साथ ही दक्षिणी दिल्ली, जिसमें खिड़की और उसके आसपास के स्कू ल भी शामिल हैं , का मानो ढाँ च ागत रूप से भी कायाकल्प हो गया हो। स्कू लों में क्लासरूम में नए टे ब ल और बें च के साथ साफ़-सफाई और उर्जित माहौल नज़र आता है । शिक्षकों को अपने पढ़ाने के तरीकों में बदलाव के विशे ष निर्दे श दिए गए हैं । पवन भार्गव, जो दक्षिणी दिल्ली के एक सरकारी स्कू ल में पढ़ाते हैं , कहते हैं , ” शिक्षक होने के नाते हमनें अन्य अध्यापकों के साथ मिलकर यह तय किया है कि हम छात्रों के शिक्षा के अनु भ व को एक्टिविटी और इं ट्रक्टिवि टी के माध्यम से सीखने लायक बनायें गे और रटने और पाठ याद करने पर ज़ोर नहीं दें गे । ” इस तरह की सोच में बदलाव के नतीज़े; बच्चों के सु ध रे हु ए परीक्षा फल पर नज़र आने लगा है ।

8


Turn static files into dynamic content formats.

Create a flipbook
Issuu converts static files into: digital portfolios, online yearbooks, online catalogs, digital photo albums and more. Sign up and create your flipbook.