कहानी लोकजीवन का-लोकात्मा का प्रतिबिम्ब है। इसका उद्देश्य मानवीय आत्मा की साहित्य
विषयक कला को व्यक्त करना है। संगीत ध्वनि-प्रधान कला है, चित्र रूप-प्रधान कला है; साहित्य काव्य-प्रधान कला है; कहानियाँ अनेक
रसों का भंडार होती हैं। विविध रसों के भोक्ता इन रसों का पान करके आनंद व तृप्ति प्राप्त कर सकते हैं। साहित्य का यह रस-विभाग
कहानी में जितने अधिक परिमाण में प्रकट होता है, उतने परिमाण में कहानी एक कला-कृति है तथा उतने ही परिमाण में कहानी कहने
का उद्देश्य आनंद प्रदान करना है।
कहानी का उद्देश्य
गिजुभाई बधेका की पुस्तक ‘‘कथा-कहानी का शास्त्र’’ से साभार