श्री दर् ु गा चगलीसग नमो नमो दर् ु करनी। ु े सख
नमो नमो दर् ु े दुःु ख हरनी॥ ननरं कगर है ज्योनि िम् ु हगरी। निहं लोक फैली उजियगरी॥
शशश ललगट मुख महगविशगलग। नेत्र लगल भक ृ ु टट विकरगलग॥
रूप मगिु को अधिक सह ु गिे।
दरश करि िन अनि सुख पगिे॥
श्री दर् ु गा चगलीसग नमो नमो दर् ु करनी। ु े सख
नमो नमो दर् ु े दुःु ख हरनी॥ ननरं कगर है ज्योनि िम् ु हगरी। निहं लोक फैली उजियगरी॥
शशश ललगट मुख महगविशगलग। नेत्र लगल भक ृ ु टट विकरगलग॥
रूप मगिु को अधिक सह ु गिे।
दरश करि िन अनि सुख पगिे॥