Maithili - The First Epistle of Peter

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१ पत्र अध्य 1 1 यीशु मसीहक प्रेर पतुस पोनुस, गलातरया, कप्ोतसया, एतशया आ तितितिया म् तित़याएल पेद् शी सभ क्ँ पठौलति। 2 तपरा पेम्श् वेक पूव्वािक अिुसाे आर् माक पतवतीकेकक दाेा यीशु मसीहक आवापालि आ खूि ति़किाक ल्ल चुिू। 3 हमेा सभक पभु यीशु मसीहक तपरा पेम्श् वेक धन होअय, ज् अपि पचुे दयाक अिुसाे यीशु मसीहक मृर् यु म् सँ जीति उठला सँ हमेा सभ क्ँ एकटा जीवंर आशाक ल्ल पुिज्ज द् लति। 4 अतविाशी आ अशुद आ कीक ितह होमय िला उतेातधकाे ज् अहाँ सभक ल्ल स् वग् म् सुेतकर अति। 5 ओ सभ पेम्श् वेक सामि्​् य दाेा तवश् वास दाेा उदाेक ल्ल ेाखल ग्ल अति ज् अंतरम समय म् पगट होमय ल्ल रैयाे अति। 6 अहाँ सभ एतह िार पे िहर आिन्र िी, यदतप आि तकिु समयक ल्ल, जँ आवशकरा प़य रँ अहाँ सभ अि्क रेहक पेीका म् भाेी पत़ ेहल िी। 7 एतह ल्ल ज् अहाँ सभक तवश् वासक पेीका आतग म् पेखल ग्लाक िादो िाश होमय िला सोिा सँ िहर ि्सी कीमरी अति। 8 अहाँ सभ ओकेा ितह द् नख कऽ प्म केै र िी। अहाँ सभ हिका पे भल् आि हिका ितह द् खैर िी, मुदा तवश् वास केै र िी, मुदा अहाँ सभ अकि​िीय आ मतहमा सँ भेल आि् सँ आिन्र िी। 9 अहाँ सभक तवश् वासक अि् र आ पाकक उदाे पाति। 10 पवक् रा सभ ओतह उदाेक तवषय म् सोतच-तचंरि आ खोजख कयलति अति, ज् अहाँ सभ पे ज् अिुगह आओर, रातह पे भतवषवाकी कयलति। 11 मसीहक आर् मा ज् हिका सभ म् िल, स् क्हि समयक संक्र दै र िल, जखि ओ मसीहक कष आ ओके िादक मतहमा क्ँ पतहि् सँ गवाही दै र िल। “ ज्केा पे सग्दूर द् खै क् इचा ेखै िै । 13 र् ँ यीशु मसीहक पगट भ्ला पे ज् अिुगह अहाँ सभ पे आिल जायर, रातह पे अन धरे आशा ेाखू। 14 आवाकाेी सि् राि जकाँ अपिा क्ँ अवािरा म् पूव्क वासिा जकाँ ितह ि​िाउ। 15 मुदा जतहिा अहाँ सभ क्ँ िजौि् िति, रतहिा अहाँ सभ सभ रेहक गप-सप म् पतवत ेह। 16 तकएक रँ धम्शास्‍त म् तलखल अति, “पतवत ेह। तकएक रँ हम पतवत िी। 17 जँ अहाँ सभ तपरा क्ँ पुकाेै र िी, ज् कोिो वनयक काजक अिुसाे नाय केै र िति, रँ अहाँ सभक पवासक समय एतह ठाम भयभीर भऽ कऽ तिराउ। 18 तकएक रँ अहाँ सभ जिैर िी ज् अहाँ सभ क्ँ चािी आ सोिा जकाँ िाशवाि वसु सभ सँ मुनय ितह भ्टल अति। 19 मुदा मसीहक अिमोल खूि सँ, ज्िा कोिो तिद्ष आ तिद्ष म्मिाक खूि। 20 ओ संसाेक सृतष सँ पतहि् पतहि् सँ तिधा् रेर िलाह, मुदा एतह अंतरम समय म् अहाँ सभक ल्ल पगट भ्लाह।

21 ओ हिका दाेा पेम्श् वे पे तवश् वास केै र िति ज् हिका मृर् यु म् सँ तजया कऽ हिका मतहमा द् लति। जातह सँ अहाँ सभक तवश् वास आ आशा पेम्श् वे म् ेहय। 22 अहाँ सभ आर् मा दाेा सर् य क्ँ आवा मािैर अपि पाक क्ँ शुद कयलहँ , जातह सँ भाय सभक पतर अशुद प्म भऽ ग्ल। 23 हम पेम्श् वेक वचिक दाेा, ज् जीतवर अति आ अि​ि् र काल धरे ेहर, िाशवाि िीया सँ ितह, िल् तक अतविाशी िीया सँ िव जज ल्ि् िी। 24 तकएक रँ सभ पाकी घास जकाँ अति आ मिुष् यक समस मतहमा घासक फूल जकाँ अति। घास मुेझा जाइर अति आ ओके फूल खतस प़ै र अति। 25 मुदा पेम्श् वेक वचि सदाक ल्ल तटकैर अति। ई ओ वचि अति ज् सुसमाचाे दाेा अहाँ सभ क्ँ पचारेर कयल ग्ल अति। अध्य 2 1 र् ँ अहाँ सभ दु ष् टरा, सभ िल-पपंच, पाखं्, ईषा् आ सभटा अधलाह िार क्ँ एक कार ेाखू। 2 िवजार तशशु जकाँ वचिक तिशल दू धक इचा कर जातह सँ अहाँ सभ एतह सँ ित़ सकि। 3 जँ अहाँ सभ ई द् खलहँ ज् पभु कृपालु िति। 4 हिका सभ क्ँ जीतवर पािे जकाँ आिय सँ मिुष् य सभक अिुमतर ितह िलति, मुदा पेम्श् वेक चुिल आ अिमोल। 5 अहाँ सभ स्हो जीवंर पािे जकाँ आर् मक घे, पतवत पुेोतहरक दल ि​िाओल ग्ल िी, जातह सँ आर् तमक ितलदाि च़ाओल जाय, ज् यीशु मसीहक दाेा पेम्श् वे क्ँ सीकाे कयल जाय। 6 र् ँ धम्शास् त म् स्हो कहल ग्ल अति ज् , “द् खू, हम तसयोि म् एकटा पमुख कोिाक पािे ेानख ेहल िी, ज् चुिल आ अिमोल अति। 7 र् ँ अहाँ सभ ज् तवश् वास केै र िी, ओकेा ल्ल ओ िहमू​ू अति, मुदा ज् सभ आवा ितह मािैर अति, ओकेा ल्ल ज् पािे ि​िौतिहाे सभ असीकाे कऽ द् लक, रकेा ल्ल ओ कोिकोिक तसे ि​िा द् ल ग्ल अति। 8 ओ सभ ठोकेक पािे आ पािेक पािे, ज् सभ वचि पे ठोके खाइर अति, आ आवा ितह मािैर अति। 9 मुदा अहाँ सभ चुिल पी़ी, ेाजपुेोतहर, पतवत जातर, तवतशष पजा िी। ज् अहाँ सभ क्ँ अनाे म् सँ अपि अद् भुर इजोर म् िजौि् िति, हिके सुतर अहाँ सभ क्ँ द् खि। 10 ओ सभ पतहि् कोिो पजा ितह िल, िल् तक आि पेम्श् वेक पजा अति। 11 तपय तपयरम, हम अहाँ सभ क्ँ पेद् शी आ रीि्याती जकाँ तविरी केै र िी ज्, शाेीरेक वासिा सँ पेह् ज कर ज् आर् मा सँ ल़ै र अति। 12 गैे-यहदी सभक िीच अहाँ सभक गप-सर् यपूक् ेह, जातह सँ ओ सभ अहाँ सभक तवेोध म् दु षम्क रप म् िजैर अति, रखि ओ सभ अहाँ सभक िीक काज सभ सँ, ज् ओ सभ द् खराह, रातह दाेा पेम्श् वेक मतहमा केति। 13 पभुक ल्ल मिुष्‍यक प्​्क तियमक अधीि ेह। 14 वा ेाजपाल सभ क्ँ, ज्िा हिका दाेा दु षम्क सजा आ िीक काज केयवला सभक पशंसा केिाक ल्ल पठाओल ग्ल अति। 15 पेम्श् वेक इच् िा एहि अति ज् िीक काज कऽ कऽ अहाँ सभ मूख् लोकक अवािरा क्ँ चुप कऽ सकि।


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