Maithili - Book of Baruch

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1 ई सभ ओहि पुस्तकक वचन अहि जे बरूक बेहबलोन मे हलखने िलाि।

2 पााँचम वर्ष आ सातम हिन कल्दी सभ यरूशलेम केाँ

पकह़ि कऽआहिमे

जरािेलक।

3 बरूक यहूिाक राजा योआकीमक पुत्र यकोहनयाि आ ओहिसभलोकककानमे

4 कुलीन लोक आ राजाक पुत्र सभ, बुजुिष सभ आ सभ

सुनबा मे, नीचााँ साँ ऊाँच धरर, सुि निीक कात मे

रिहनिारसभलोककसुनबामे।

5 तखन ओ सभ प्रभुक समक्ष कानैत, उपवास करैत आ

6 ओ सभ प्रत् येकक सामर््ष यक अनुसार धनक संग्रि सेिो बनौलहन।

7 ओ सभ ओकरा यरूशलेम मे सलोमक पुत्र चेल्कियासक पुत्र योआहकम

अध्याय

, अर्ाषत चानीक बतषन सभ, जे सेिेहसयासयौहसयासकपुत्रजािाराजाबनौने िलाि।

9 तकर बाि

3 मनुखअपनबेटाकमांसआअपनबेटीकमांसखाय।

4 ओ ओकरा सभ केाँ अपना सभक चारूकातक सभ राज्यक अधीन रिबाक लेल सौंहप िेलहन, जाहि साँ ओ सभ चारूकातक समस्त लोकक बीच अपमान आ उजा़ि जकााँ बनय, जतयप्रभु ओकरासभकेाँ हततर-हबतरकऽिेने िहर्।

5 एहितरिेाँअपनासभपरमेश् वरपरमेश् वरकहवरुद्धपाप कयलहुाँ आ हुनकर आवाजक आज्ञा नहि मानलहुाँ, ताहि कारणेाँअपनासभकेाँ नीचााँ खसािेलिेल।

6 िमरा सभक परमेश् वर परमेश् वर परमेश् वरक धाहमषकताअहि।

7 ई सभ हवपहि िमरा सभपर आहब िेलअहि जे प्रभु िमरा सभकहवरुद्धसुनौलहनअहि

8 तैयोिमसभप्रभुकसमक्षप्रार्षनानहिकेने िीजे िमसभ प्रत्येक केओ अपन िुर्् ट हृियक कल्पना सभ साँ मोह़ि सकब।

9 तेाँपरमेश् वर िमरा सभ केाँ अधलािक लेल िेखैत रिलाि आप्रभु

अध्याय
एहिपुस्तककवचनपढ़लहन।
बाबुलमे
लोकक
प्रार्षनाकयलहन।
सभ आ यरूशलेम मे हुनका संि भेटल सभलोककलिपठौलहन। 8 हसवान मासक िसम हिन जखन ओ प्रभुक घरक बतषन सभ केाँ मन् हिर साँ बािर हनकाहल कऽ यहूिा िेश मे वापस करबाक लेल ग्रिण कयलहन
आपुरोहित
बेहबलोनक राजा नबूकोिोनोसोर यरूशलेम साँ यकोहनया, राजकुमार सभ, बंिी सभ, पराक्रमी सभ आ िेशक लोक सभ केाँ यरूशलेम साँ लऽ कऽ बेहबलोन लऽ िेलाि। 10 ओ सभ किलहर्न, “िेखू, िम सभ अिााँ सभ केाँ िोमबहल, पापबहल आ धूप कीनबाक लेल पाइ पठेने िी आ अिााँ सभ मन्ना तैयार कऽ कऽ अपन परमेश् वर परमेश् वरकवेिीपरचढ़ाबऽचािैतिी। “ 12 प्रभु िमरा सभ केाँ सामर्थ्ष िेहर्न आ िमरा सभक आाँल्कख केाँ िल्लुक करताि, आ िम सभ बेहबलोनक राजा नबूकोिोनोसोरक िाया मे आ हुनकर पुत्र बल्थासरक िाया मे रिब आिमसभबहुतहिनधररहुनकासभकसेवाकरब आहुनकासभकनजररमे अनुग्रिपाहबजायब 13 िमरा सभक लेल सेिो अपन परमेश् वर परमेश् वर साँ प्रार्षना करू। आ आइ धरर प्रभुक क्रोध आ हुनकर क्रोध िमरासभसाँ नहिभ’ िेलअहि। “ 15 अिााँ सभ किब जे, “धमष परमेश् वर परमेश् वर परमेश् वरक अहि, मुिा िमरा सभक मुाँिक भ्रम, जेना आइ भऽ रिल अहि, यहूिाआयरूशलेमकहनवासीसभकलेल।” 16 िमरा सभक राजा सभकेाँ , िमरा सभक मुल्कखया
सभक
आिमरासभकपूवषजसभकेाँ। 17 िमसभप्रभुकसमक्षपापकयलहुाँ। “ 19 जाहि हिन परमेश् वर िमरा सभक पूवषज सभ केाँ हमस्र िेश साँ बािर अनने िलाि, तहिया साँ आइ धरर िम सभ अपन परमेश् वर परमेश् वरक आज्ञा नहि मानलहुाँ आ हुनकरआवाजनहिसुनबामे लापरवाि िी। 20 एहि लेल िमरा सभ केाँ ओ िुर्् टता आ श्राप जे प्रभु अपन सेवक मूसा द्वारा ओहि समय मे हनयुक्त कयलहन, जाहि समय मे ओ िमरा सभक पूवषज केाँ हमस्र िेश साँ बािर अनने िलाि, जाहि साँ िमरा सभ केाँ एकटा एिन िेश िेल जायजे िूधआमधु साँ बिैतअहिईहिनिेखबाकअहि। 21 तैयो िम सभ अपन परमेश् वर परमेश् वरक आवाज नहि सुनलहुाँ, जेना ओ िमरा सभ लि पठौलहन प्रवक् ता सभकसमस्तवचनकअनुसार। 22 मुिा परमेश् वर परमेश् वरक आलोक मे अधलाि काज करबाक लेल प्रत् येक मनुर्् य अपन िुर्् ट हृियक
सभ केाँ , िमरा
पुरोहितसभ केाँ , िमरासभकप्रवक् तासभकेाँ
कल्पनाकपालनकरैतिल।
हवरुद्ध, इस्राएलक न् याय करयवला िमरा सभक न्यायाधीश सभक हवरुद्ध, िमरा सभक राजा सभक, िमरा सभक मुल्कखया सभक हवरुद्ध आ इस्राएल आ यहूिाक लोक सभकहवरुद्धकयलहन। 2 मूसाकधमष-हनयममे हलखलबातकअनुसारजे यरूशलेम मे भेलिल, से िमरासभपरएिनपैघहवपहिआनय।
2 1 तेाँ परमेश् वर अपन वचन केाँ पूरा कयलहन, जे ओ िमरा सभक
िमरासभपरईबातअनलहन। 10 तैयो
सभ
सुनलहुाँ जे प्रभुक आज्ञाक अनुसारचलबजे ओिमरासभकसोझााँ राखने िहर्। 11 आब, िे इस्राएलक परमेश् वर, जे अपन प्रजा केाँ हमस्र िेश साँ पराक्रमी िार्, ऊाँच बााँहि आ चमत् कार आ चमत् कार आ मिान सामर््ष य साँ हनकाहल कऽ अपना केाँ नाम पाहबलेलहुाँ।जेनाआइिेखारिल अहि। 12 िे िमर परमेश् वर, िमसभ पाप केलहुाँ, अभल्कक्त केलहुाँ, अिााँकसभहवहध-हवधानमे अधमष कयलिेल।
िम
हुनकर बात नहि

हिह़ियािेलहुाँ।

14 िे प्रभु, िमरा सभक प्रार्षना आ िमरा सभक हवनती सुनू, आ अपना लेल िमरा सभ केाँ बचाउ, आ िमरा सभ केाँ जे सभ िमरा सभ केाँ लऽ िेल अहि, हुनका सभक नजरर मे

िमरासभकेाँ अनुग्रिहिअ।

15 एहि लेल

19 तेाँ िे िमर परमेश् वर, िम सभ अपन पूवषज आ राजा सभक

िेलहुाँ, जेनाअिााँ अपनसेवकभहवष्यवक्तासभकद्वाराकिने िी।

21 प्रभु ई किैत िहर्, “बाबुलक राजाक सेवा करबाक लेल अपनकान्हझकाउ।”

22 मुिा जाँ अिााँ सभ बाबुलक राजाक सेवा करबाक लेल प्रभुकआवाजनहिसुनब।

23 िम यहूिाक शिर आ यरूशलेमक बािर साँ िाँसीखुशीक आवाज आ आनन्दक आवाज, वर आ कहनयााँक आवाजकेाँ समाप्तकऽिेबहनवासी।

24 मुिा िम सभ बाबुलक राजाक सेवा करबाक लेल

अिााँक आवाज नहि सुनय चािैत िलहुाँ, तेाँ अिााँ अपन

सेवक प्रवक् ता सभक द्वारा

ठंढा मे फेकल जाइत िहर् आ अकाल, तलवार आ मिामारी साँ बहुत िुुःख मे मररिेलाि।

26 जे घर अिााँक नाम साँ बजाओल िेल अहि, तकरा अिााँ इस्राएलक वंश आ यहूिाक वंशजक िुर्् टताक कारणेाँ

3 अिााँ अनन्तकालधररहटकैत िी, आ िम सभ सवषर्ानाश

भऽजाइतिी।

4 िे सवषशल्कक्तमान प्रभु, िे इस्राएलक परमेश् वर, आब मृत इस्राएली सभ आ ओकर संतान सभक प्रार्षना सुनु, जे अिााँक सामने पाप कएने िहर् आ अिााँक परमेश् वरक आवाजनहिसुनलहन

5 िमरा सभक पूवषज सभक अधमष सभ केाँ नहि मोन पा़ि, बल् हक एखन एहि समय मे अपन सामर््ष य आ अपन नाम परहवचारकरू।

6 अिााँ िमर सभक परमेश् वर प्रभु िी, आ िे प्रभु, िम सभ अिााँकप्रशंसाकरब।

7 एहि लेल अिााँ िमरा सभक हृिय मे अपन भय केाँ एहि लेल राल्कखिेलहुाँ जे िमसभअिााँक नामकेाँ पुकारबआबंिी

13 अिााँक
क्रोध िमरा सभ साँ िहट जाउ, हकएक ताँ िम सभ ओहि जाहत सभक बीच हकिुए िोटे बचल िी, जतऽ अिााँ िमरासभकेाँ
सभ पृर्् वी केाँ ई जाहन लेत जे अिााँ िमरा सभक परमेश् वर परमेश् वर िी, हकएक ताँ इस्राएल आ ओकरसंतानअिााँकनामसाँ बजाओल िेल अहि। 16 िे प्रभु, अपन पहवत्र घर साँ नीचााँ िेखू आ िमरा सभ पर हवचारकरू। 17 आाँल्कख खोहल कऽ िेखू। कारण, जे मृतक कबर मे अहि, जकर प्राण अपन शरीर साँ िहट िेल अहि, ओ प्रभु केाँ ने स्तुहतिेतआने धमष। 18 मुिा जे प्राणी बहुत परेशान अहि, जे झहक कऽ कमजोर भऽ जाइत अहि, आ आाँल्कख क्षीण अहि आ भूखल प्राणी, िे प्रभु, अिााँकप्रशंसाआधाहमषकतािेत।
धाहमषकताक लेल अिााँक समक्ष हवनम्र हवनती नहि करैतिी। 20 अिााँ अपन क्रोध आ क्रोध िमरा सभ पर पठा
किल िेल बात सभ केाँ नीक कऽ िेलहुाँ जे िमरा सभक राजा सभक िड्डी आ िमरा सभक पूवषज सभक िड्डी सभ केाँ नीक करबाक चािी अपन जििसबािरहनकाललजाय। 25 िेखू, ओ सभ हिनक िमी आ राहत मे
उजाह़ििेलहुाँ, जेनाआइिेखलजारिल अहि। 27 िे िमर सभक परमेश् वर, अिााँ अपन सभ भलाई आ अपन सभटा ियाक अनुसार िमरा सभक संि व्यविार केलहुाँ। 28 जेना अिााँ अपन सेवक मूसाक द्वारा ओहि हिन किने रिी जखन अिााँ हुनका इस्राएलक लोकक समक्ष धमष-हनयम हलखबाकआज्ञािेलहुाँ। 29 जाँ अिााँ सभ िमर आवाज नहि सुनब ताँ हनहित रूप साँ ई बहुत पैघ भी़ि जाहत सभक बीच कम संख्या मे बिहल जायत, जतयिमओकरासभकेाँ हिह़ियािेब। 30 िम जनैत िलहुाँ जे ओ सभ िमर बात नहि सुनत, हकएकताँ ईकठोरििषनबलालोकअहि। 31 ओ ईजाहनलेतजे िमहुनका सभकपरमेश् वर प्रभु िी, हकएक ताँ िम हुनका सभ केाँ सुनबाक लेल मोन आ कान िेबहन। 32 ओ सभ अपन बंिी िेश मे िमर स्तुहत करत आ िमर नामपरहवचारकरत। 33 अपन कठोर िरिहन आ िुष्कमष साँ घुरर जाउ, हकएक ताँ ओ सभ अपन पूवषज सभक बाट मोन पा़ित जे प्रभुक समक्ष पाप केने िलाि। 34 िम हुनका सभ केाँ ओहि िेश मे फेर साँ आहन िेब, जकर प्रहतज्ञा िम हुनका सभक पूवषज अब्रािम, इसिाक आ याकूब केाँ शपर् ग्रिण कएने रिी, आ ओ सभ ओहि िेशक माहलकबनताि. 35 िम हुनका सभक संिहुनका सभक परमेश् वर बनबाक अनन्तवाचाकरब, आओसभिमरप्रजाबनत। अध्याय 3 1 िे सवषशल्कक्तमान प्रभु, इस्राएलक परमेश् वर, हवपहि मे प़िलप्राणीअिााँ केाँ पुकारैतअहि। 2 िे प्रभु, सुनू, िया करू। हकएक ताँ अिााँ ियालु िी, आ िमरा सभ पर िया करू, हकएक ताँ िम सभ अिााँक समक्ष पाप केलहुाँ।
मे अिााँकस्तुहतकरी।
-हबतर कऽ िेलहुाँ, एकटा अपमान आ अहभशापआभुितानकअधीनरिबाकलेल। 9 िे इस्राएल, जीवनक आज्ञा सुनू, बुल्कद्ध केाँ बुझबाक लेल कानकरू। “ 11 की अिााँ चबर मे उतरय बला लोक सभक संि हिनल िेल िी? 12 अिााँ बुल्कद्धकफव्वारािोह़ििेलहुाँ।
8 िेखू, िम सभ आइयो अपन बंिी मे िी, जतऽ अिााँ िमरा सभ केाँ हततर

जाँ अिााँ परमेश् वरक बाट पर चलैत रहितहुाँ ताँ अनन् त काल धररशान्‍तमे रहितहुाँ।

14 ई जाहन हलअ जे बुल्कद्ध कतय अहि, बल कतय अहि आ बुल्कद्ध कतय अहि। जाहि साँ अिााँ ईिो जाहन सकब जे हिनक लम्बाई कतय अहि आ जीवन कतय अहि, आाँल्कखक इजोत

आशाल्कन्तकतयअहि।

15 ओकर स्र्ान के बुहझ िेल अहि? आहक ओकर खजाना मे के आहबिेलअहि?

16 जाहत-जाहतक राजकुमार सभ कतऽ बहन िेल िहर् जे पृर्् वीपरपशु

सभपरराजकरैतिलाि।

17 जे सभआकाशक हच़िै सभक संि शिलकरैतिल, आ चानी आ सोना जमा करयवला सभ, जाहि पर लोक भरोसा करैतअहिआअपनलाभकअंतनहिकरैतिल?

18 जे चानीक काज करैत िल आ एतेक सावधान रिैतिल आहजनकरकाजअनजानअहि।

19 ओ सभ हवलुप्त भऽ कबर मे उतरर िेल अहि आ ओकर बिलामे िोसरोलोकऊपरआहबिेल अहि।

20 युवक सभ इजोत िेल्कख पृर्् वी पर रिलाि, मुिा ज्ञानक बाटनहिजनैतअहि।

21 आने ओकरबाटबुझलहनआने

ओकरापक़िलहन।

22 कनान मे ई बात नहि सुनल िेल अहि आ ने र्ेमन मे

कोनोपरिेशीकेाँ अपनलाभकवस्तु नहिहियौक।

4 िे इस्राएल, िम सभ धन्य िी, हकएक ताँ

बाट केओ नहि जनैत अहि आ ने ओकर बाट के बारे मे सोचैतअहि। 32 मुिा जे सभ हकिु जनैत अहि से

13
िेखलिेल अहि।
बुल्कद्धक खोज
,
आ र्ेमनक व्यापारी, िंतकर्ाक लेखक आ बुल्कद्धक खोज करयवला। एहि मे साँ हकयो बुल्कद्धक बाट नहि जनने अहि, आने ओकरबाटमोनपा़िने अहि। 24 िे इस्राएल, परमेश् वरक घर कतेक पैघ अहि! आ ओकरसम्पहिकस्र्ानकतेकपैघअहि! 25 पैघ, आएकरकोनोअंतनहि।ऊाँच, आअर्ाि। 26 शुरूए साँ प्रहसद्ध हिग्गज सभ िल जे एतेक पैघ कि आ युद्धमे एतेकहनपुणिल। 27 प्रभु हुनका सभ केाँ नहि चुनलहन आ ने हुनका सभ केाँ ज्ञानकबाटिेलहन। 28 मुिा ओ सभ नष्ट भऽ िेलाि, हकएक ताँ हुनका सभ लि कोनो बुल्कद्ध नहि िलहन आ ओ सभ अपन मूखषता साँ नाश भऽिेलाि। 29 के स् विष मे जाकऽओकरालऽकऽमेघसाँ उतारलक? 30 समुद्रक ओहि पार जा कऽ ओकरा पाहब कऽ ओकरा शुद्धसोनाकबिलामे आनत? 31 ओकर
ओकरा हचन्हैत अहि आओकराअपनबुल्कद्धसाँ पाहबलेलक। 33 जे इजोत पठबैत अहि आ ओ चहल जाइत अहि, से ओकरा फेर साँ बजबैत अहि आ ओ डर साँ ओकर आज्ञा मानैत अहि। 34 हुनका सभक चौकी मे तारा सभ चमकैत िल आ आनल्कन्दत िोइत िल। आ एहि तरिेाँ ओ सभ िाँसी-खुशी साँ ओकरासभकेाँ बनौहनिारकेाँ इजोतिेखौलहन। 35 ई िमर सभक परमेश् वर िहर्, आ हुनकर तुलना मे िोसरकेओनहिमानलजायत 36 ओ ज्ञानक समस्त बाट ताहक लेलक आ ओकरा अपन सेवकयाकूबआअपनहप्रयइस्राएल केाँ िऽिेलक। 37 तकर बाि ओ पृर्् वी पर अपना केाँ िेखौलहन आ मनुर्् यकसंििप्प-सप्पकयलहन। अध्याय 4 1 ई परमेश् वरक आज्ञाक पुस्तक आ धमष-हनयम जे अनन्त काल धरररित।मुिाजे िोह़ििेतसे मररजायत। 2 िे याकूब, अिााँ घुहमकऽओकरा पकह़िहलअ। 3 अपनआिरिोसरकेाँ नहिहियौकआने
23 पृर्् वी पर
करय बला अिारेन्स
मेरन
परमेश् वरक प्रसन्नताकबातिमरासभकेाँ बुझाओल जाइतअहि। 5 िे िमरप्रजा, इस्राएलकस्मरणकरऽवलािौसलाबढ़। 6 अिााँ सभ अपन हवनाशक लेल नहि, मुिा अिााँ सभ परमेश् वर केाँ क्रोहधत करबाक कारणेाँअिााँ सभ शत्रु सभक िार्मे सौंपलिेलहुाँ। 7 हकएक ताँ अिााँ सभ परमेश् वरक बहलिान नहि बहल कऽ िुर्् टात् मा सभक लेल बहलिान िऽ कऽ जे अिााँ सभ बनौलहन। 8 अिााँ सभ अनन्त परमेश् वर केाँ हबसरर िेलहुाँ जे अिााँ सभक पालन-पोर्ण कयलहन। अिााँ सभ यरूशलेम केाँ िुखी कऽिेलहुाँ जे अिााँ सभकेाँ पोसने िल।” 9 परमेश् वरक क्रोध अिााँ सभ पर आहब रिल िेल्कख ओ बजलीि, “िे हसयोनकआसपासरिहनिारसभ, सुनू। 10 िम अपन बेटा-बेटी सभक बंिी बना कऽ िेखलहुाँ जे अनन्तकालहुनकासभपरअनने िलाि। 11 िम िर्ष साँ हुनका सभक पोर्ण केलहुाँ। मुिा हुनका सभ केाँ कानैत-कानैतआशोककरैत हविाक’ िेलहन। “ हकएकताँ ओसभपरमेश् वरकव्यवस्र्ासाँ िहटिेलाि। 13 ओ सभ हुनकर हनयम-हनयम नहि जनैत िल आ ने हुनकर आज्ञाक बाट पर चलैत िल आ ने हुनकर धाहमषकता मे अनुशासनकबाटपरचलैतिल। 14 हसयोनक आसपास रिहनिार सभ आहब कऽ िमर बेटाबेटी सभक बंिी केाँ मोन पा़ि, जे अनन्त काल हुनका सभ परअनने िहर्। 15 ओ हुनका सभ पर िूर साँ एकटा एिन जाहत अनने िहर्, जे हनलषज्ज जाहत आ परिेशी भार्ाक अहि, जे ने बूढ़क आिरकरैतिलआने बच्चापरियाकरैतिल। 16 ई सभ हवधवाक हप्रय संतान सभ केाँ लऽ िेल अहि आ बेटीकहबनाअसिरे उजा़ििोह़ििेलक। 17 मुिािमअिााँककीमिहिकऽ सकैतिी? 18 जे ई हवपहि अिााँ सभ पर अनलक से अिााँ सभ केाँ शत्रु सभकिार्साँ बचाओत। 19 िे िमर सन्तान सभ, जाउ, जाउ, हकएक ताँ िम उजा़ि भऽिेल िी।

शाल्कन्तक वस्त्र उतारर कऽ अपन प्रार्षनाक बोरा पहिरने िी।

21 िे िमर सन्तान सभ, िौसला राखू, प्रभु साँ पुकारू, ओ अिााँ

शत्रु सभकसामर््ष यआिार्साँ मुक्तकरताि।

22 िमर आशा अनन्त काल मे अहि जे ओ अिााँ सभ केाँ उद्धार

उद्धारकताष

साँ जल्कल्दये अिााँ

सभपरआओत।

23 िम अिााँ सभ केाँ शोक आ कानैत-कानैत बािर पठौने

िऽिेताि।

पर आयल अहि, से धैयषपूवषक सहू, हकएक ताँ अिााँक शत्रु अिााँ सभ केाँ सताबैत अहि। मुिा जल्कल्दये

लेल पहिरू।

जे महिमाअबैतअहि, ओकरसुन्दरतासिाक

2 परमेश् वरकधाहमषकताकिोबरवस्त्रअपनाचारूकात फेहकहियौक।आअनन्तकमहिमाकमुकुटअपनमार्पर लिाहियौक।

3 परमेश् वरस् विषकनीचााँकसभिेशमे अिााँकतेज

िेखाओत।

4 हकएकताँ अिााँकनामपरमेश् वरद्वारासिाकलेल धाहमषकताकशाल्कन्तआपरमेश् वरकआराधनाकमहिमा

किल जायत।

5 िे यरूशलेमउहठकऽऊाँचठाढ़भऽपूबहिसिेखू, आ िेखू, पहवत्रपरमेश् वरकवचनद्वारापहिमसाँ पूबहिस

रहू, आ परमेश् वर साँ पुकारू, हकएक ताँ अिााँ सभ केाँ ओहि बातक स्मरण कयल जायतजे

28 हकएक ताँ जहिना अिााँ सभ परमेश् वर साँ भटबाक हवचारिल

29 हकएक ताँ जे केओ अिााँ सभ पर ई हवपहि अनने अहि, से अिााँ सभकउद्धारकसंिअनन्तआनन्दआनत।

30 िे यरूशलेम, नीक मोन राखू, हकएक ताँ जे अिााँ केाँ ई नामिेलहन, से अिााँ केाँ सान्वनािेत।

31 ओ सभ ियनीय िहर् जे अिााँ केाँ कष्ट िेलहन आ अिााँक पतनपरआनल्कन्दतभेलाि।

33 हकएक ताँ जहिना ओ अिााँक हवनाश पर आनल्कन्दत भेलीिआअिााँकपतनपरप्रसन्नभेलीि।

34 हकएक ताँ िम ओकर ब़िका भी़िक आनन्द केाँ िूर कऽ िेबआओकरघमंडशोकमे बिहलजायत।

35 कारण, अनन्त काल साँ आहि ओकरा पर आहब जायत, जकरा सिन करबाक लेल तरसैत अहि। ओ बहुत काल धररशैतानसभकहनवासरितीि।

भररिेलजाय, जाहिसाँ इस्राएलपरमेश् वरकमहिमामे सुरहक्षतभऽजाय।

8 परमेश् वरकआज्ञाककारणेाँजंिलआिरेकसुिल्कित िािसेिोइस्राएल परिाएत।

9 परमेश् वरइस्राएलकेाँ अपनमहिमाकइजोतमे आनल्कन्दत भऽकऽनेतृवकरताि, जाहिियाआधाहमषकताहुनका हिससाँ भेटैतअहि।

20 िम
सभकेाँ
करत। आ िमरा पहवत्र परमेश् वरक हिस साँ आनन्द आयल अहि, कारण जे िया िमरा सभक अनन्त
रिी
24 जेना एखन हसयोनक प़िोसी सभ अिााँ सभक बंिी केाँ िेल्कख लेने अहि, तहिना ओ सभ जल्कल्दये अिााँक उद्धारक िमरा सभक परमेश् वर हिस साँ िेल्कख लेत जे अिााँ सभ पर बहुतमहिमाआअनन्तकालकचमककसंिआओत। 25 िमर बच्चा सभ, परमेश् वरक हिस साँ जे क्रोध अिााँ सभ
अिााँ ओकर हवनाशिेखबआओकरिरिहनपरपैरराखब।” 26 िमर सुकुमार लोक सभ उर्ल-पुर्ल पर चहल िेल अहि, आशत्रु सभकपक़िलझडजकााँ लऽ िेलअहि। 27 िे िमर सन्तान सभ, सान्वना
अिााँ
, मुिा परमेश् वर अिााँ सभ केाँ अनन्त काल धरर िर्ष आ िर्षकसंििमराफेरसाँ
सभपरईसभबातअनने िहर्।
,
तेनाघुररकऽहुनकािसिुनाबेसीताकब।
केने
32 ओ शिर ियनीय अहि जकर सेवा तोिर सन्तान सभ
िल।
36 िे यरूशलेम, अपन चारू कात पूब हिस िेखू, आ िेखू जे परमेश् वरकहिससाँ अिााँ केाँ जे आनन्दअबैतअहि। 37 िेखू, अिााँक पुत्र सभ अबैत अहि, जकरा अिााँ हविा कएने िी, ओ सभ पहवत्र परमेश् वरक वचन द्वारा पूरब साँ पहिम हिस जमा भ’ कऽ परमेश् वरक महिमा मे आनल्कन्दतभऽअबैतअहि। अध्याय
5 1 िे यरूशलेम, शोकआक्लेशकवस्त्रउतारू, आपरमेश्
वरकहिससाँ
अिााँकसंतानसभजमाभऽिेल अहिआपरमेश् वरक स्मरणमे आनल्कन्दतभऽिेलअहि। 6 ओसभपैिले अिााँ साँ हविाभऽ िेलािआअपनशत्रु सभ साँ िूरभऽिेलाि। 7 परमेश् वरईहनयुक् तकयलहनअहिजे िरेकऊाँच पिा़िीआनम्हर-नम्हरहकनारसभकेाँ नीचााँ फेहकिेलजाय आघाटीसभकेाँ

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