
1 बाबुलमें योआसिम नाम एकपुरूषरहताथा;
2 और उि ने िुिन्ना नाम एक स्त्री ब्याह ली, जो चेल्कियाि की बेटी, और बहुत िुन्दर और यहोवा का भयमाननेवाली
स्त्रीथी।
3 उिके माता-सपता भी धमी थे, और अपनी बेटी को
मूिाकीव्यवस्थाके अनुिारसिक्षादेते
थे।
4 योआसकम बडा धनवान पुरूष या, और उिके घर के पाि एक िुन्दर
असधकप्रसतसित
अध्याय 1
बारी थी; और यहूदी उि में िरण लेते थे; क्ोोंसकवहिबिे
था। 5 उिी वषष प्रजा के पुरसनयोों में िे दो को न्यायी सनयुक्त सकया गया, जैिा सक यहोवा ने कहा था, दुष्टता बाबुल िे प्राचीन न्यासययोों िे आई, जो लोगोों पर िािन करते प्रतीत होते थे। 6 और उन्ोोंने योआसकम के घर में बहुत कुछ रखा; और सजतनोों का कोई मुकद्दमा था, वे िब उनके पाि आए। 7 दोपहर को जब लोग चले गए, तो िुिन्ना अपके पसत कीबारीमें टहलने कोगई। 8 और दोनोों बुजुगों ने उिे प्रसत सदन भीतर आते-जाते देखा; सजििे उनकीवािनाउिके प्रसतभडकउठी। 9 और उन्ोोंने अपना मन टेढा कर सलया, और अपनी आोंखें फेर लीों, सक वे स्वगष की ओर न देखें, और न्याय कीबातें स्मरणनरखें। 10 और यद्यसप वे दोनोों उिके प्रेम िे घायल हुए, तौभी सकिी को अपना दुुःख दूिरे को सदखाने का िाहि न हुआ। 11 क्ोोंसक वे अपनी असभलाषा प्रगट करने में लल्कित हुए, सकउन्ोोंने उििे कुकमष करनाचाहा। 12 तौभी वे प्रसत सदन उिके देखने की यत्न िे चौकिी करते रहे। 13 और एक ने दूिरे िे कहा, आओ, हम घर चलें: क्ोोंसकभोजनकािमयहोगयाहै। 14 िो वे सनकलकर एक दूिरे िे अलग हो गए, और सफर उिी स्यान पर लौट आए; और इिके बाद उन्ोोंने एक दूिरे िे कारण पूछा, और उन्ोोंने अपनी वािना को स्वीकार सकया: सफर उन दोनोों ने एक िाथ एक िमयसनधाषररतसकया, जबवे उिे अकेले पािकें। 15 और वह सनकल गई, और उन्ोोंने ठीक िमय देखा, और वह पसहले की नाई केवल दो दासियोोंके िाथ भीतर गई, और बारी में अपने आप को धोना चाहा; क्ोोंसकधूपबहुतथी। 16 और उन दोनोों बुजुगों को छोड और कोई न था, जो सछपकरउिकीदेखभाल करते थे। 17 तब उि ने अपक्की िहेसलयोोंिे कहा, मेरे सलथे तेल और धोवन की वस्तुएों ले आओ, और बारी के द्वार बन्द करो, सकमैं अपनामुोंहधोऊों। 18 और उन्ोोंने उि की आज्ञा के अनुिार ही सकया, और बारी के द्वार बन्द सकए, और जो कुछ उि ने उनको देने की आज्ञा दी थी उनको लाने के सलये आप ही गुप्त द्वारोों िे सनकल गए; परन्तु उन्ोोंने पुरसनयोों को नदेखा, क्ोोंसकवे सछपे हुएथे। 19 जब दासियाों चली गई, तो दोनोों बुजुगष उठे, और उिके पािदौडकरकहने लगे, 20 देख, बारी के द्वार बन्द हैं, सक कोई हमें देख नहीों िकता, और हम तुझ िे प्रेम रखते हैं; इिसलथे हम िे िम्मसतलो, औरहमारे िायिोओ। 21 यसद तू न चाहे, तो हम तेरे सवरूद्ध गवाही देंगे, सक एक जवान तेरे िाय या, और इि कारण तू ने अपक्की दासियोोंकोअपने पाििे सनकालसदया। 22 तब िुिन्ना ने आह भर कर कहा, मैं तो चारोोंओर िे िोंकट में हूों; क्ोोंसक यसद मैं यह काम करूों , तो मेरे सलये मृत्यु है; और यसद ऐिा न करूों , तो तेरे हाथ िे बच नहीों िकूोंगा। 23 मेरे सलये तेरे हाथ में पडना और ऐिा न करना इि िे भलाहै, सकमैं यहोवाके िाम्हने पापकरूों। 24 इि पर िुिन्ना ऊोंचे िब्द िे सचल्लाई: और दोनोों पुरसनयोोंने उिके सवरूद्धसचल्लाकर कहा। 25 तबवहदौडा, औरबारीकाद्वारखोला। 26 जब घर के िेवकोों ने बारी में सचल्लाना िुना, तो वे गुप्त द्वार पर दौड पडे, यह देखने के सलए सक उिके िाथक्ासकयागयाहै। 27 परन्तु जब पुरसनयोों ने अपनी बात बतायी, तो िेवक बहुत लल्कित हुए, क्ोोंसकिुिन्ना के सवषय में कभी ऐिी चचाष नहुईथी। 28 और दूिरे सदन ऐिा हुआ, सक जब लोग उिके पसत योआसिम के पाि इकट्ठे हुए, तो दोनोों पुरसनया भी दुष्ट कल्पना करके िुिन्ना को मार डालने की इच्छा िे उिके पािआए; 29 और लोगोों के िाम्हने कहा, चेल्किय्याह की बेटी और योआसकम की पत्नी िुिन्ना को बुलवा भेजो। और इिसलएउन्ोोंने भेजा 30 िो वह अपके माता-सपता, और बालकोोंऔर अपके िबभाइयोोंिमेत आई। 31 िुिन्ना बहुत कोमल स्त्री थी, और देखने में िुन्दर थी। 32 और उन दुष्टोोंने उिका मुोंह उघाडने की आज्ञा दी, (क्ोोंसक वह ढाोंपे हुए थी) सक वे उिकी िुन्दरता िे तृप्त होजाएों।
61 और वे दोनोों पुरसनयोों के सवरूद्ध उठ खडे हुए, क्ोोंसक दासनय्येल
33 इि कारण उिके समत्र और सजतनोों ने उिे देखा, वे िबरोने लगे। 34 तब दोनोों प्राचीन लोगोों के बीच में खडे हुए, और उिके सिरपरहाथरखे। 35 और वह रोती हुई स्वगष की ओर देखने लगी; क्ोोंसक उिकामनयहोवापरभरोिारखताया। 36 और पुरसनयोों ने कहा, जब हम बारी में अकेले घूम रहे थे, तो वह स्त्री दो दासियोोंके िाथ भीतर आई, और बारीकाद्वारबन्दकरके दासियोोंको सवदाकरसदया। 37 तब एक जवान पुरूष जो वहाों सछपा या, उिके पाि आकरउिके िायिोगया। 38 तब हम जो बारी के कोने में खडे थे, यह दुष्टता देखकर उनके पािदौडे। 39 और जब हम ने उन को इकट्ठे देखा, तो उि पुरूष को हम रोक न िके ; क्ोोंसक वह हम िे असधक बलवन्तथा, औरद्वारखोलकरबाहरसनकलगया। 40 परन्तु हम ने उि स्त्री को पकड कर पूछा, सक वह जवान कौन है, परन्तु उि ने हम िे न कहा; हम इन
हैं। 41 तब मण्डली ने उन पर सवश्वाि सकया, जो लोगोों के पुरसनये और न्यायी थे: इिसलये उन्ोोंने उिे मार डालने कीिजादी। 42 तब िुिन्ना ने ऊोंचे िब्द िे सचल्लाकर कहा, हे िनातन परमेश्वर, जो भेदोोंको जानता है, और िब कुछ होने िे पसहले भीजानताहै; 43 तू जानता है, सक उन्ोोंने मेरे सवरूद्ध झूठी गवाही दी है, और देख, मैं मरूोंगा; जबसक मैंने कभी ऐिे काम नहीोंसकये जो इन लोगोोंने मेरे सवरुद्ध दुभाषवनापूवषक गढे हैं। 44 औरयहोवाने उिकी िुनली। 45 इिसलथे जब वह मार डालने के सलथे पहुोंचाई गई, तब यहोवा ने दासनय्येल नाम एक जवान लडके में पसवत्र आत्माजगाया; 46 और ऊोंचे िब्द िे सचल्लाकर कहा, मैं इि स्त्री के खूनिे िुद्धहोगयाहूों। 47 तब िब लोगोोंने उन्ें उिकी ओर घुमाकर कहा, ये बातें जोतू ने कहीहैं उनकाक्ामतलबहै? 48 तब उि ने उनके बीच में खडे होकर कहा, हे इस्राएल के बेटोों, क्ा तुम ऐिे मूखष हो, सक सबना जाोंचे और िच्चाई को जाने सबना इस्राएल की बेटी को दोषी ठहराते हो? 49 न्याय के स्यान पर सफर लौट आओ; क्ोोंसक उन्ोोंने उिके सवरूद्धझूठीगवाहीदीहै। 50 तब िब लोग झटपट लौट आए, और पुरसनयोोंने उि िे कहा, आ, हमारे बीच बैठ, और हमें सदखा, क्ोोंसक परमेश्वर ने तुझे प्राचीनकाआदरसदयाहै। 51 तबदासनय्येलने उन िे कहा, इनदोनोोंको एकदूिरे िे अलगकरदो, औरमैं उन्ें जाोंचूोंगा। 52 िो जब वे एक दूिरे िे अलग हो गए, तो उि ने उन में िे एक को बुलाकर उि िे कहा, हे दुष्ट दुष्टता में बूढे हो गए हो, अब तेरे पाप जो तू ने पसहले िे सकए थे प्रगट होगएहैं। 53 क्ोोंसक तू ने झूठा न्याय िुनाया, और सनदोष को दोषी ठहराया, और दोषी को स्वतोंत्र कर सदया; यद्यसप यहोवाकहताहै, सनदोषऔरधमीकोघातनकरना। 54 िो यसद तू ने उिे देखा हो, तो मुझे बता, सक तू ने उन्ें सकिवृक्षके तले इकट्ठे होते देखाहै? सकिने उत्तर सदया, मस्तूलके पेडके नीचे। 55 और दासनय्येल ने कहा, बहुत अच्छा; तू ने अपने ही सिर के सवरूद्ध झूठ बोला है; क्ोोंसक अब भी परमेश्वर के दूतकोतुम्हें दोटुकडे करने कादण्डसमल चुका है। 56 तब उि ने उिे अलग करके दूिरे को लाने की आज्ञा दी, और उि िे कहा, हे यहूदा के नहीों परन्तु कनान के वोंि, िुन्दरता ने तुझे धोखा सदया है, और असभलाषाने तेरे मनकोभ्रष्टकरसदयाहै। 57 तुम ने इस्राएल की ल्कस्त्रयोोंिे ऐिा ही व्यवहार सकया है, और वे डर के मारे तुम्हारे िोंग हो गई; परन्तु यहूदा कीबेटीने तुम्हारीबुराईकरनानचाहा। 58 इिसलये अब मुझे बताओ, तू ने उन को सकि वृक्ष के नीचे इकट्ठे सकया? सकिने उत्तर सदया, एक होम वृक्ष के नीचे। 59 तब दासनय्येल ने उि िे कहा, अच्छा; तू ने भी अपने सिर के सवरूद्ध झूठ बोला है; क्ोोंसक परमेश्वर का दूत तलवार सलये हुए तुझे टुकडे टुकडे करने की बाट जोह रहाहै, सकतुझे ित्यानािकरडाले। 60 तब िारी मण्डली ने ऊोंचे िब्द िे सचल्लाकर परमेश्वर की स्तुसत की, जो अपने भरोिा रखनेवालोों का उद्धारकरताहै।
बातोोंकीगवाहीदेते
ने उन्ीोंके मुोंह िे उनको झूठी गवाही देने कादोषीठहरायाथा। 62 और उन्ोोंने मूिा की व्यवस्था के अनुिार उनके िाथ वैिा ही व्यवहार सकया जैिा उन्ोोंने अपने पडोसियोों के िाथ करना चाहा था; और उन्ोोंने उन्ें मार डाला। इि प्रकार उिी सदन सनदोष का खून बचायागया। 63 इिसलये चेल्कियाि और उिकी पत्नी ने और उिके पसत योआसकम और िब कुटुल्कियोों ने अपनी बेटी िुिन्ना के सलये परमेश्वर की स्तुसत की, क्ोोंसक उि में कुछभीकपटनपायागया। 64 उि सदन िे दासनय्येल लोगोों की दृसष्ट में बहुत प्रसतसित होगया।