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कई नवयवक मानसिक रोगी होते ह वास्तव में उन्हें बीमारी नहीीं होती है चालाक और बाजारी हकीम इनकी कमजोरी से लाभ उठाकर इनके सन्देह को बढाते हैं और स्वस्थ परुष को रोगी बना देते हैं। ऐसे नवयवक अपनी अज्ञानता के कारण कभी कभी आत्महत्या कर लेते हैं। क्योंकक वे समझते हैं कक उनका जीवन अब व्यथथ हो गया है वे अपनी पण अवस्था पर नहीीं आ सकते। मगर यह

उनकी भल है ऐसे रोगगयो को हम बबना दवाई ददये खराक आदद के बारे में उगचत सलाह देकर उनको ठीक कर देते हैं। गचककत्सा सम्बन्धी ननिःशल्क परामशथ के ललए लमले या या फोन कर परामशथ लें। भमिका मैंने अपने अनभव के द्वारा अगधकतर नवयवकों को अज्ञानता के कारण गलत मागथ पर ननराशा के अींधकार में भटकते हए देखा है क्योंकक यौन ववषय तथा इसकी अच्छाई बराई न तो कोई माता वपता अपनी सींतान को बताते हैं और न ही हमारे देश में अभी इस लशक्षा का प्रचार ककया जाता है जजस कारण अगधकतर नवयवक सही ददशा से भटक जाते हैं तथा कई प्रकार की यौन सींबींधी स्वप्नदोष, प्रेमह, शीघ्रपतन, नपसकता आदद कमजोररयों के लशकार हो जाते हैं। इन रोगों से पीडि़त रोगों को घबराना नहीीं चादहए जजस प्रकार बखार, खाींसी जकाम आदद का इलाज कराने से रोग में आराम आ जाता है उसी प्रकार अच्छी गचककत्सा से सभी यौन रोगों की लशकायत दर होकर मनष्य को नया स्वास््य प्राप्त हो जाता है।

एक सच्चे गचककत्सक के नाते नवयवकों एवीं परुषों के मन में बैठी हई गलत धारणाओीं को ननकालकर उन्हें पण रूप से स्वस्थ बनाने में सहयोग देना ही हमारा उद्देश्य है। हमारा हाशमी दवाखाना सन! 1929 से अपनी वैज्ञाननक सलाह एवीं सफल इलाज से रोगगयों को अगधक से अगधक व्यजक्त ननरोग हों यही हमारी अलभलाषा है। मैंने यह वेबसाइट उन्हीीं भटके हए नौजवानों के ललए बनाई है ताकक वे इसे पढके अपनी असली शजक्त को पहचाने, अपने मन में बैठी हई हीन भावना को दर करके अपना स्वास््य ठीक कर सके जजससे वे भी अपने जीवन को सखी एवीं आनन्दमय बना सके। िफल जीवन का महत्व पर सींसार का चक्र स्री और परुष पर आधाररत होता है। कोई भी बालक अपने बचपन की सीमा लाींघकर जब व्यस्क होकर परुष कहलाने लगता है तो ही परुष की यही इच्छा होती है कक वह सन्र

स्री का पनत बन सके और उसके साथ अपना गहस्थ जीवन िखमय बबताए तथा स्वस्थ व ननरोग सींतान उत्पन्न करके अपनी वींश बेल को आगे बढाए मगर सींसार में चन्द व्यजक्त ही ऐसे भाग्यशाली होते हैं जो इस गहस्थ सख का आनन्द उठाने में समथथ होते हैं अन्यथा अगधकाींश व्यजक्त तो बचपन की कसगनत एवीं गलनतयों के कारण अपनी जवानी के ददनों में बढाप को गले लगा लेते हैं तथा जजन्दगी का असली आनन्द ललए बबना ही असमथथ एवीं ननढाल हो जाते हैं। प्रकनत ने परुष एवीं स्री को एक दसर का परक एवीं सहयोगी बनाया है तथा वे एक दसर के बबना अधर हैं। जब दोनों लमलकर एक होते हैं तथा दोनों ही अपने जीवन का वास्तववक आनन्द उठाते हैं तभी उनका जीवन सफल कहलाता है। स्री परुष के जीवन को िफल बनाने के सलए िैक्ि का बहत योगदान है। यदद पनत पत्नी का वैवादहक जीवन परी तरह से सन्तष्ट रहता है तो वे दोनों मानलसक व शारीररक रूप से परी तरह स्वस्थ एवीं ननराश रह सकते हैं। अन्यथा उनके बीच रोग, रोग कष्ट, कलह की दीवार खडी हो जाती है जो धीरे धीरे पनत पत्नी के मधर एवीं पववर ररश्तों की नीींव दहला देती है तथा अन्त में कई तरह के

भयानक पररणाम सामने आते हैं। इन सभी बातों का कारण कई बार सैक्स अींगों के प्रनत अज्ञानता होती है क्योंकक यह तो आपको मालम ही है कक जब भी बच्चों को सैक्स के प्रनत कछ जानने की जजज्ञासा होती है अगधकाींश माीं बाप इस ववषय को झठ मठ बातों से बच्चों को टाल देते हैं लेककन बच्चों के मन में इस ववषय को जानने के ललए उत्सकता ही बनी रहती है तथा वे अपने से बडे बच्चों एवीं गली मौहल्ले के बरी सींगत वाले लमरों आदद से सैक्स का बतका ज्ञान प्राप्त करके अपना कोमल मन मजस्तष्क गन्दा करके अपने जीवन को बबाथद कर लेते हैं। ध्यान रहे, सैक्स के प्रनत बच्चों को सही ज्ञान देने से इतना नकसान नहीीं होता है जजतना कक इस ववषय को नछपाने से होता है इसललए माीं बाप को चादहए कक वे बच्चों के व्यस्क होने पर उन्हें इस बात के बारे में अच्छी तरह से समझाएीं ताकक वे गलत रास्ते पर भटक कर अपने जीवन के साथ खखलवाड न कर सकें जजससे उनका जीवन हमेशा के ललए िखमय बन सके। यह वेबसाइट उन भटके हए नवयवकों के ललए ललखी गई है जो सैक्स की अज्ञानता के कारण गलत सींगत एवीं गलनतयों के कारण स्वयीं अपने ही हाथों अपने जीवन को बबाथदी के रास्ते पर

ि़ाल चक हैं तथा सही ददशा की तलाश में नीम हकीमों एव राजा महाराजाओीं वाले चकाचैंध ववज्ञापनों के चगल में फींसकर अपने जीवन को दखदायी बना चक हैं। सींसार में सभी व्यजक्त एवीं गचककत्सक एक जैसे नहीीं होते। हमारा भी यह पस्तक ललखने का एक मार यही उद्देश्य है कक आप अपने िैक्ि रोग एवीं कमजोरी दर करने के ललए सही गचककत्सा द्वारा अपने शरीर को स्वस्थ एवीं ननरोग बनाकर अपने भववष्य एवीं वववादहत जीवन को मधर एवीं आनन्दमयी बना सकें बचपन की भल जवानी का खन ईश्वर ने परूष को शजक्तशाली इींसान बनाकर इस सींसार में इसललए भेजा है कक वह नारी सौन्दयथ के सलमश्रण से नई पौध लगाकर कदरत का सौंपा काम परा कर सके ददन भर में इींसान को जो कष्ट और परेशाननयाीं लमलती हैं वह उन सबको रात की ववश्राम बेला में रनत सख के साथ भलकर हर नई सबह कफर से ताजा और चस्त होकर अपना कायथ प्रारम्भ कर सके। उगचत परामशथ एवीं सलाह ललए बबना शादी परेशानी का कारण बन सकती है। हमारे पास रोज बहत से पसथनल लैटर आते हैं जजनमें बहत से परुष अपनी कमजोरी एवीं वववाहहत जीवन की परेशानी

के कारण आत्महत्या करने का जजक्र करते है। लेककन जो आत्महत्या नहीीं करते वे घर से भाग जाते हैं और उनकी पजत्नयाीं लाज शमथ छोडकर पराए परुषों का सहारा लेने पर मजबर हो जाती हैं। यह सब इसललए होता है कक समय पर उन्हें सही मागथ दशथन नहीीं लमलता । स्कलों में उन्हें यह बात तो बताई जाती है कक गन्दे नाखनों को मह से नहीीं काटना चादहए क्योंकक गन्दे नाखनों के जररए गन्दी पेट में जाकर बीमाररयाीं पैदा करती है लेककन यह कोई नहीीं समझता कक गन्दे ववचारों से मनष्य का शारीररक व मानसिक रूप से ककतना बडा नकसान होता है जजसके ककतने भयींकर पररणाम ननकलते हैं। फलस्वरूप नतीजा यह होता है कक जजस अींग से मनष्य को सबसे अगधक सख लमलना ननजश्चत है उसी अींग को कच्ची अवस्था में तककए या हाथ की रगड से ववकत कर ददया जाता है उसको इन्हीीं साधनों द्वारा कष्ट करके अपने जीवन को मझधार में छोड ददया जाता है। जीवन रत्न-वीयय जवानी जीने का सबसे सहावना समय है। कई नौजवान तो सीधे ही बचपन से बढाप की तरफ चले जाते हैं, उन्हें पता ही नहीीं

होता कक जवानों की कीमत व जवानी का सच्चा आनन्द क्या है? अगधकतर नवयवक गलत सींगत के कारण अपने शरीर से स्वयीं ही खखलवाड करते हैं तथा सही रास्ते से भटककर वे यौन िम्बन्धी अनेकों रोगो से नघरकर अपनी सनहरी जजन्दगी को तबाह कर देते हैं। आजकल लगभग 75 प्रनतशत नौजवान ककसी न ककसी रूप से यौन रोगों से पीडि़त हैं तथा अपने जीवन के वास्तववक आनन्द से अींजान हैं। आज के नवयवक क्षखणक आनन्द के ललए अपने ही हाथों अपनी जजन्दगी खराब करने पर तल हए हैं। वे इधर उधर के गन्दे वातावरण अश्लील कफल्में व सैक्सी उपन्यास व पबरकाएीं देखकर व पढकर अपने जीवन का अनमोल रत्न वीयथद्ध बबाथद कर देते हैं। वे इधर उधर केक गन्दे वातावरण अश्लील कफल्में व सैक्सी उपन्यास व पबरकाऐीं देखकर व पढकर अपने जीवन का अनमोल रत्न वीयथद्ध बबाथद कर देते हैं। तथा कई प्रकार के घखणत रोगों से नघरकर अपनी जजन्दगी बबाथद कर लेते हैं। यही शरीर की जान है जजसे व्यजक्त ननकालने में आनन्द प्राप्त करता है। इसी वीयय को अपनी शरीर में सींग्रह ककया जाये तो आप स्वयीं ही सोगचए ककतना आनन्द प्राप्त होगा। वीयथ नष्ट होने के बाद भटके हए नवयवक सही ददशा के आस मकें चकाचैंध वाले ववज्ञापनों व प्रचार वाली

फामलसयों एव जक्लननकों के चक्कर में पडकर अपना धन समय व स्वास््य गवाींकर अपने जीवन से ननराश हो जाते हैं। वीयथ ककस प्रकार से नष्ट होता है और उससे शरीर को क्या क्या हानन उठानी पडती है उसका वववरण आगे ददया जा रहा है उन ननराश रोगगयों को हम सच्चे हृदय से अपना परामशथ देंगे तथा सही ददशा का ज्ञान कराएींगे। हस्तमथन हाथ से अपने वीयथ को नष्ट करने को हस्थमथन कहते हैं, कछ नवयवक व ककशोर गलत सींगत में बैठकर, उत्तेजक कफल्मे देखकर या अश्लील पस्तक पढकर अपने मन को काब में नहीीं रख पाते तथा ककसी एकान्त में जाकर सबसे आसान तरीका अपने ही हाथों से अपना वीयथ ननकालने को अपनाते हैं उन्हें यह नहीीं पता कक वे ऐसा काम करके अपनी जजन्दगी में जहर घोल रहे हैं जजसका पररणाम यह होता है कक इन्री ननबयल हो जाती है पतलापन, टेढापन, छोटापन व नीली निें उभरनी शरू हो जाती हैं और अन्त में व्यजक्त नपसकता की ओर बढ जाता है। शरीर में अत्यगधक कमजोरी आ जाती है।

थोडी सी बातचीत करके ददमाग चकरा जाता है तथा चाहकर भी इस कक्रया को छोड नहीीं पाता। हम अपने सफल इलाज से ऐसे अनगगनत नौजवानों की हस्थमथन की आदत छडा चक हैं जो यह कहते थे कक यह आदत छटती नहीीं है। स्वप्नदोष सोते समय ददन या रात कोई भी समय हो अपने मन में बर व गन्दे ववचारों के कारण सोते समय स्वप्न में ककसी सन्दरी स्री को देखकर या अपनी कसगनत का ख्याल आते ही अपने आप वीयथ ननकल जाता है इसी को स्वप्नदोष कहते हैं। यदद स्वप्नदोष महीने में दो-तीन बार हो तो कोई बात नहीीं ककन्त हर रोज़ या सप्ताह में दो तीन बार हो जाये तो यह रोग भी कम भयींकर नहीीं है। य तो स्वप्नदोष प्रायिः सोते हए इन्री में तनाव आने के बाद ही होता है ककन्त यह रोग बढ जाने पर इन्री में बबना तनाव भी हो जाता है जो कक गींभीर जस्थनत है। इस प्रकार वीयथ का नाश होना शरीर को खोखला बना देता है जजसका असर ददमाग पर पडता है। याद्दाश्त कमजोर हो जाती है वीयथ पतला हो जाता है।

अन्त में नपिकता की नौबत आ जाती है लेककन हमारे पास ऐसे नस्ख हैं जजनके सेवन से उपरोक्त सभी ववकार नष्ट होकर शरीर को शजक्त सम्पन्न बनाते हैं। शीघ्रपतन सम्भोग के समय तरत वीयथ का ननकल जाना शीघ्रपतन कहलाता है। अत्यगधक स्री-प्रिुंग, हस्तमथन, स्वप्नदोष, प्रमेह इत्यादद कारणों से ही यह रोग होता है। सहवास में लगभग 1020 लमनट का समय लगता है लेककन 3-4 लमनट से पहले ही बबना स्री को सन्तष्ट ककए अगर स्खलन हो जाए तो इसे शीघ्रपतन का रोग समझना चादहए। जब यह रोग अगधकता पर होता है तो स्री से सींभोग करने से पहले ही सम्भोग का ख्याल करने पर या कपडे की रगड से ही गचपगचपी लार के रूप में वीयथपात हो जाता है। यदद थोडी सी उत्तेजना आती भी है तो इन्री

प्रवेश करते ही स्खलन हो जाता है। उस समय परूष को ककतनी शलमथन्दगी उठानी पडती है तथा स्री से आींख लमलाने का भी साहस नहीीं रहता। स्री शमथ व सींकोच के कारण अपने पनत की इस कमजोरी को ककसी के सामने नहीीं कहती लेककन अन्दर ही अन्दर ऐसे कमजोर पनत से घणा करने लगती है जजस कारण उसका वववादहत जीवन दखमय बन जाता है। मदथ की कमजोरी और शीघ्रपतन की बीमारी से औरत भी बीमार हो सकती है। ऐसे रोग का समय रहते उगचत इलाज अवश्य करना लेना चादहए ताकक रहा सहा जोश एवीं स्वास््य भी समाप्त न हो जाए। हमारे पास ऐसी लशकायतें दर करने के ललए ऐसे शजक्तशाली नस्खों वाला इलाज है जजसके सेवन से जीवन का वास्तववक आनन्द लमलता है। सम्भोग का समय बढ जाता है शरीर हस्टपष्ट तथा शजक्त सम्पन्न हो जाता है। स्री को पण रूप से सन्तजष्ट होकर सम्भोग की चमथसीमा प्राप्त होती है। वववादहत जीवन का वास्तववक आनन्द प्राप्त होकर उनका जीवन िखमय बन जाता है।

नपिकता यवा अवस्था में स्री सम्भोग या सींतान पैदा करने की अयोग्यता को नपिकता कहते हैं। इस दशा में सींभोग की कामना होते हए भी परूष की इन्री में उत्तेजना नहीीं होती इन्री बेजान माींग के लोथडे की तरह गगरी रहती है। उसका आकार भी कम ज्यादा, पतला या टेढा हो सकता है। नसें उभरी प्रतीत होती हैं। कामेच्छा होते हए भी इन्री में तनाव नहीीं आता यदद परूष के अपने भरसक प्रयत्न से थोडी बहत उत्तेजना इन्री में आती भी है तो सम्भोग के समय शीघ्र ही स्खललत हो जाता है। ऐसे परूष को न तो स्री ही प्यार करती है और न ही सींतान पैदा होती है। हमारे सफल नस्खों वाले इलाज से नपिकता के सभी ववकार ठीक हो जाते हैं तथा रोगी को कफर से परुषत्व व सम्भोग क्षमता प्राप्त होकर एक नई शजक्त, स्फनत, उत्साह व स्वास््य प्राप्त हो जाता है। इुंहरय-आकार के भेद

अब स्री और परूष के गह्या स्थानो के आकार प्रकार पर ववचार करेंगे। परूष का ललींग लींबाई से और स्री की योनन गहराई से नापी जाती है। सींभोग का सम्बन्ध मन और काया दोनों से होता है। जहाीं तक मन के सम्बन्ध का ज्ञान है, इसमें स्री और परूष का पारस्पररक आकषथण और परस्पर शरीर लमलने की प्रबल आकाींक्षा है। जहाीं तक काया अथाथत शरीर के सम्बन्ध का प्रश्न है, इसमें परूष के लशश्न अथाथत ललींग और स्री की योनन के सम्भोग की तीव्र इच्छा है, जजसमें एक या दोनों पक्षों का ववशेष ववगध से ननज जननेजन्रयों का परस्पर नघसना या रगडना, फलस्वरूप परूष का वीयथपात होना और स्री को एक ववशेष प्रकार के सख या आनन्द की अनभनत होना, मथन कायथ में काल की अगधकता और इस कायथ की ववगध ही मख्य कारण है। सलुंग के आकार के अनिार परूष के तीन भेद ह। 1. शश (खरगोश), 2. वष (बैल) और 3. अश्व (घोडा) । यदद परूष का लशश्न छोटा है तो वह ‘शश’, यदद मध्यम हो तो ‘वष’ और यदद बडा हो तो ‘अश्व’ कहलाता है।

इिी प्रकार स्री के तीन भेद होते ह। 1. मगी (हररणी), 2. बढवा (घोडी) और 3. हजस्तनी (हगथनी)। यदद स्री की योनन छोटी यानी कम गहरी हो तो वह ‘मगी’, यदद मध्यम गहरी हो तो ‘बढवा’ और यदद अगधक गहरी हो तो वह ‘हजस्तनी’ कहलाती है। सलुंग की मोटाई और लम्बाई म कमी आते जाना उत्तेजजत अवस्था में सशश्न की लम्बाई ओर मोटाई बहत हद तक इस बात पर ननभथर करती है कक उत्थान केन्र ककतना सशक्त है। जैसे ही मजस्तष्क में काम जाग्रत होता है वैसे ही सेरीब्रम (cerebrum) उत्थान केन्र को ललींग के स्पींजी दटश में रक्त भेजने का आदेश भेजता है। यदद उत्थान केन्र सशक्त है तो वह उसी अनपात में उतना ही अगधक रक्त ललींग में एकबरत करने में समथथ होता है जजसके फलस्वरूप सलुंग का आकार उसी अनपात में बडा हो जाता है। अगर उत्थान केन्र दबल हो चका है तो ललींग की लम्बाई, चैडाई अपक्षाकत कम होती है। नपसकता की ओर बढ रहे यवकों में जहाीं काम केन्र दबल पड जाते हैं वहाीं उत्थान

केन्र ववशेष रूप से प्रभाववत होता है और दबल उत्थान केन्र पयाथप्त मारा में ललींग में रक्त एकबरत करने में असमथथ होने के कारण ललींग का आकर प्राकत रूप में नहीीं आ पाता है। जैसे-जैसे उत्थान केन्र की दबलता बढती जाती है वैसे-वैसे सलुंग की लम्बाईर और चैडाई कम होती जाती है। उत्तेजजत ललींग के सामान्य से कम आकार को देखकर ननष्कषथ ननकालना चादहए कक उत्थान केन्र ननबथल हो चका है। यदद यह दबलता बढती रहती है तो एक अवस्था ऐसी आती है जब उत्थान केन्र में बबल्कल रक्त नहीीं भर पाता और पररणामस्वरूप ललींग में उत्थान नहीीं होता। इसको ही पण नपसकता कहते हैं। ऐसी अवस्था उत्पन्न हो इसललए उत्तेजजत सलुंग के आकार में कमी देखते ही उगचत गचककत्सा समय रहते ही करा लेनी चादहए। सलुंग म वद्धध कैिे िम्भव है? जब कोई व्यजक्त सैक्स से सम्बजन्धत कामक गचन्तन करता है या कोई अश्लील ककताब, या उसके बारे में सोचता है, या स्री से सम्भोग की इच्छा रखता है तो उसके मजस्तष्क कछ ववशेष

हामोन का स्रवण करते हैं जो ललींग में रक्त के प्रवाह को तीव्र कर देता है और कॉपथस केवेरनोसम (Corpus Cavermosum) नामक ऊतक में रक्त इकट्ठा होकर ललींग का आकार बढा देता है। पण उत्तेजजत अवस्था में सलुंग के इन उतकों में रक्त अपनी अगधकतम मारा में होता है। इस अवस्था में ललींग अगधक ठोस, दृढ व सीधा हो जाता है। वीयथ स्खलन के समय जब व्यजक्त मानलसक रूप से सतष्ट हो जाता है तो दसर हामोन कॉपथस स्पोजन्जयोसम को उत्तेजजत करते है जो वीयथ को वेग व गनत प्रदान करते हैं। इस परी प्रकक्रया में ककसी भी कमी की वजह से परा तींर ही गडबडा जाता है। पतले, टेढे, छोटे व आगे से मोटे व पीछे से पतले ललींग उक्त परी प्रकक्रया में ककसी न ककसी दोष से पीडि़त होते हैं। इस प्रकार के ललींग वाले लोगों में केवेरनोसम और स्पाजन्जयोसम की कोलशकाऐीं परी तरह से सगदठत नहीीं होती जजनसे इनमें अगधक रक्त ग्रहण करने की क्षमता व इन कोलशकाओीं में अगधक समय तक रक्त रोके रखने की क्षमता नहीीं होती। हमारे हबथल खाने व लगाने के इलाज से कॉपथस केवेरनोसम और कॉपथस स्पाजन्जयोसम ऊतकों में वद्गध होती है, इन ऊतकों की

कोलशकाओीं का आकार बढ जाता है जजनमें रक्त इकट्ठा होता है जजसके फलस्वरूप सलुंग के आकार में वद्धध होती है और इिके िाथ-िाथ सलुंग में उत्थान क्षमता भी बढ जाती है। इि इलाज िे 20-30 प्रनतशत सलुंग आयतन वद्धध िम्भव है तथा सलुंग में .5 इुंच िे 2 इुंच तक की वद्धध हो जाती है। सलुंग के इन ऊतकों व पेशी को िगहित करने के सलए हबयल इलाज की आवश्यकता होती है जजििे शीघ्र लाभ होता है। इि इलाज िे शीघ्रपतन दर होता है, नपिकता व यौन िमस्याओुं िे मजक्त, सलुंग की लम्बाई व मोटाई में वद्धध, वीयय में शक्राणओ की वद्धध, प्रोस्टेट ग्रजन्थ की काययक्षमता को बढाता है, बार-बार पेशाब िे छटकारा होता है, यौन क्षमता बढाता है, सलुंग में पण किोरता व उत्तेजना होती है, आत्मववश्वाि बढाता है, टेस्टोस्टेरोन हामोन की वद्धध करता है। इि इलाज का कोई िाईड इफैक्ट भी नहीुं होता है। शक्रहीनता कई परुषों को यौन सम्बन्धी कोई रोग नहीीं होता तथा सहवास के समय उनके लशशन में उत्तेजना व तनाव भी सामान्य व्यजक्त

जैसा ही होता है। सम्भोग शजक्त भी पण होती है ककन्त उनके वीयथ में सींतान उत्पन्न करने वाले शक्राण या तो बबल्कल ही नहीीं होते या बहत कमजोर एवीं मींदगनत से चलने वाले होते हैं जजससे परुष सींतान उत्पन्न करने योग्य नहीीं माना जाता सकता। कई बार इस रोग के साथ व्यजक्त की वपछली गलनतयों के कारण या अत्यगधक वीयथ नाश के कारण और भी कई रोग लगे हए होते हैं तो ऐसे रोगों के ललए यनानी एवीं शजक्तशाली नस्खों द्वारा तैयार इलाज सबसे बेहतर माना जाता है। हमारे ऐसे ही सफल इलाज में असींख्य रोगी भाई जो ननराश होकर सींतान पैदा करने की चाहत ही मन में से ननकाल चक थे अब व ननराशा को आशा में बलकर सींतान पैदा करने योग्य बन चक हैं। िजाक : यह रोग भयानक एवीं छत का रोग है यह रोग गन्दी जस्रयों व वेश्याओीं के साथ सम्भोग करने से होता है। इसकी ननशानी यह है कक िम्भोग के कछ ददन बाद रोगी के पेशाब में जलन होनी शरू हो जाती है। पेशाब लाल और गमथ आता है पेशाब करते इतनी जलन होती है कक रोगी सचमच कराहने लगता है। कछ ददनों के बाद गप्त इींरी में से पीप ननकलनी शरू हो जाती है और

कभी कभी पेशाब के साथ खन भी आना शरू हो जाता है। ज्यों ज्यों यह रोग पराना होता है ददथ जलन एवीं चभन घटती जाती है। केवल पीप बहता रहता है। यह पीप इतना जहरीला होता है कक यदद बेध्यानी में ककसी रोगी की आींख पर लग जाए तो अन्धा होने की आशींका रहती है। इस रोग के कीटाण धीरे धीरे रक्त मे प्रवेश करके अन्य अींगों पर भी असर ि़ालते है। यदद रोग के जरा भी लक्षण ददखाई दें तो आप तरत गचककत्सा कराएीं। हमारे इलाज से इस रोग के अनेकों रोगी ठीक होकर तन्दरूस्त जीवन व्यतीत कर रहे हैं। गमी (आतशक) यह रोग भी सजाक की तरह अत्यन्त भयानक रोगों में से एक है। यह भी बाजारू औरतों के सींसगथ से होता है। इस रोग में िम्भोग के कछ ददन बाद इन्री पर एक मसर के दाने की तरह फन्सी होती है जो जल्दी ही फैलकर जख्म बन जाता है। आतशक दो प्रकार का होता है। एक का प्रभाव इन्री पर होता है तथा दसर का प्रभाव रक्त पर होता है। शरीर के ककसी भी भाग पर फट ननकलता है। इसका पहला भाग मामली होता है। यदद इसके

इलाज में देरी या लापरवाही की जाए तो यह रोग व्यजक्त की कई पीदढयों तक पीछा नहीीं छोडता। पहली श्रेणी का घाव इन्री पर होता है लेककन दसरी श्रेणी में आतशक का जहर रक्त में फैलने के कारण शरीर पर काले काले दाग तथा खजली व ताींबे के रींग की छोटी छोटी फजन्सया उत्पन्न हो जाती है। जब यह रोग बढ जाता है तो इसका प्रभाव हड्डि़यों में चला जाता है। कोदढयों की तरह बडे बडे घाव हो जाते हैं। नाक की हड्ि़ी गल जाती है। यदद इस रोग के कीटाण ददमाग पर असर करें तो अींधा भी हो सकता है तथा अन्त में मत्य तक सींभव है। इसललए इस रोग के जरा भी प्रकट होते ही तरन्त इसका इलाज करा लेना चादहए क्योंकक ययह छत का रोग है ककसी और से लगकर ककसी ओर को लगता रहता है। हमारे सफल इलाज से ऐसे रोगों से ननराश रोगी स्वस्थ होकर अपना ननरोगी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। स्री रोग माललक ने स्री और परुष को एक दसर के ललए बनाया है लेककन दोनों की शरीर सींरचना अलग अलग होती है। जो लोग केवल

स्री सींरचना में केवल स्री को ही होते हैं उन्हें स्री रोग कहते हैं। ये रोग भी काफी कष्टकारी होते हैं। कमर, शरीर में ददथ होता है, शरीर थका थका सा रहता है, कामकाज में मन नहीीं लगता तथा स्री अपनी आय से पहले ही स्वास््य व सौन्दयथ खो बैठती है। अपनी उम्र से बडी ददखाई देने लगती है मथन शजक्त भी कम हो जाती है तथा अपने पनत को परी तरह से सहयोग नहीीं दे पाती, जजस कारण पनत पत्नी दोनों का वववादहत जीवन दखमय हो जाता है। इसका असर आने वाली सन्तान या बच्चों पर भी पडता है। पाररवाररक ढाींचा चरमरा जाता है। स्री रोग कई प्रकार के होते हैं। लेककन कछ रोग जस्रयों में अगधकतर खानपान, रहन, सहन, जलवाय या वातावरण के कारण होते हैं। जो लभन्न लभन्न प्रकार के होते ह मासिक-धमय िम्बन्धी दोषः स्री योनन के प्रत्येक मास जो रक्त आता है उसे मालसक धमथ कहते हैं। स्री की सेहत व सन्तान उत्पवत्त इसी मालसक धमथ के चक्र पर आधाररत है। मालसक धमथ ठीक समय पर बबना कष्ट व उगचत मारा में आने से गभाथधारण की क्षमता रहती है और सम्भोग भी आनन्दपण होता है लेककन यदद मालसक धमथ

ननयलमत मारा या अवगध से कम ज्यादा हो तथा अगधक कष्टपण हो तो इससे स्री के स्वास््य पर बरा असर पडता है तथा तरह तरह के रोग लग जाते हैं। स्री ननबथल और कमजोर हो जाती है। यौवन समाप्त हो जाता है। हमारे सफल इलाज से अननयलमत मासिक धमय ननयलमत होकर बबना कष्ट के खलकर आने लगता है। बन्द मालसक धमथ चाल हो जाता है तथा मालसक का अगधक आना ठीक होकर स्री का चेहरा ननखरकर खोया सौन्दयथ पनिः लौटने लगता है। कष्टपण मासिक धमयः य तो यह लशकायत ककसी भी स्री को हो सकती है लेककन ववशेषकर कम उम्र की यवनतयों में अक्सर पाई जाती है उन्हें मासिक धमय आने पर इतना कष्ट व ददथ होता है जो कहा नहीीं जा सकता। एक दो ददन पहले से ही बैचेनी होने लगती है तथा मसकक के ददन पेट व टाींगों में ददथ के कारण शरीर बेजान हो जाता है। तथा मालसक अननयलमत हो जाता है। अधधक स्रावः

इस दशा में मालसक धमथ ननयलमत होता है लेककन रक्त स्राव मारा से काफी अगधक होता है। साधारणतिः मालसक स्राव 4 5 ददन में ही बन्द हो जाना चादहए ककन्त इस ववकार में 6 से 8 ददन तक या कभी कभी इससे भी अगधक होता है। ऐसी हालत में स्री के स्वास््य पर बहत बरा असर पडता है। कमजोरी, चक्कर, अींधेरा, हाथ, पैर, शरीर में ददथ आदद की लशकायत हो जाती है। उगचत इलाज द्वारा ऐसी हालत ठीक हो जाती है। श्वेत प्रदर (सलकोररया) यह रोग जस्रयों के स्वास््य पर बरा असर ि़ालता है। सामान्य रूप से योनन का गीला रहना कोई दोष नहीीं है लेककन कछ जस्रयों को गभाथशय की खझल्ली व योनन मागथ से तरल रव्य का स्राव इतना अगधक होता है कक पहने हए अन्दर के कपडों पर भी दाग या धब्बे पड जाते हैं। यह स्राव पानी जैसा पतला भी हो सकता है और अींि़े की जदी जैसा गाढा भी। स्री की जब कामेच्छा बढती है तथा सम्भोग के प्रनत लालसा अगधक होती है तो स्राव और अगधक होता है। योनन मागय में खजली भी रहती है। यदद अगधक खजलाया जाये तो उस स्थान पर सजन भी आ जाती है जब यह

रोग बढ जाता है तो कमर व पि़ में ददथ, भख न लगना व चेहरा मरझा जाना, चेहरे पर धब्बे, ददल धडकना, लसर चकराना आदद अनेकों लशकायतें स्री को हो जाती है। जजससे गभथधारण की क्षमता कम हो जाती है। इसका इलाज समय पर ही करा लेना आवश्यक है। अन्यथा रोग बढ जाता है तथा कफर गचककत्सा में कदठनाई पैदा होती है। ननिुंतान लोगों के जरूर परामशय वववाह के बाद हर स्री परूष की यही इच्छा होती है कक उनके घर भी एक नन्हा मन्ना लशश फल के रूप में उनकी गहस्थी की बगगया में खखले। परुष की कामना यही रहती है कक उस लशश के रूप में उसकी वींश बेल ववकलसत हो तथा पीढी दर पीढी उसका भी नाम चलता रहे लेककन सींतान न होने पर घर की खशी, कलह और अशाींनत में बदल जाती है। कई भोले भाले लोग तो ढोंगी साध सींतों व ताबीज गण्ि़ों के चक्कर में पडकर अपना समय और पैसा व्यथथ में ही गवाीं देते हैं। जजनके यहाीं सींतान नहीीं होती

उन्हें पहले सन्तान न होने के कारण स्री को ही दोष देते हैं लेककन दोष स्वयीं में ही होता है और व सींतान के ललए दसरी शादी भी कर लेते हैं। ऐसी जस्थनत जजन्दगी को और भी अगधक अस्त व्यस्त कर देती है। ननिन्तान लोगों को हमारा यही परामशथ है कक सबसे पहले पनत पत्नी दोनों अपना भली भाींनत शारीररक जाींच व जरूरी टेस्ट करवाएीं ताकक असली दोष का पता चल सके कफर उसी दोष का उपयक्त इलाज ककसी योग्य गचककत्सक से कराएीं ताकक उनको जल्दी ही सन्तान सख प्राप्त हो सके। यमीं तो जह जगह आपको सींतान प्राजप्त के बडे बडे ववज्ञापन देखने को लमल जाएींगे लेककन असली इलाज वही जजससे कछ लाभ की आशा लमले इसके ललए हम आपको सही और उगचत परामशथ देंगे तथा हमारा यही उद्देश्य रहेगा कक आप इधर उधर न भटकें व्यथ में अपना समय और पैसे बबाथद न करें तथा सही लाभ व सही ददशा ज्ञान प्राप्त कर सकें। स्री रोग जननत िन्तान हीनता

ऐसी अवस्था में परुष तो सन्तान पैदा करने योग्य होता है तथा उनमें शक्राण भी सामान्य अवस्था में पाये जाते हैं। लेककन उनकी पत्नी की गभथधारण क्षमता कम या समाप्त हो जाती है। कभी कभी स्री गभाथशय में सजन होती है जजससे नलों व पि़ में ददथ बना रहता है, मालसक चक्र अननयलमत हो जाता है। प्रत्येक स्री के गभाथशय के साथ दो डि़म्ब नली होती है जजसमें से प्रत्येक मास मालसक धमथ के बाद गभथ धारण करने वाले डि़म्ब ननकलते हैं तथा परुष सींसगथ से ननकले हए वीयथ में लमले हए शक्राणओ की प्रतीक्षा करते हैं। ध्यान रहे, परुष के वीयथ में असींख्य शक्राण होते हैं यदद स्री स्वस्थ व ननरोग हो तो उसके डि़म्ब के ललए एक ही शक्राण काफी होता है जो डि़म्ब नललका में ही डि़म्ब से लमलकर तथा नली के आन्तररक नसों में प्रवादहत होकर गभाथशय में पहच जाता है जहाीं वह अकररत होने लगता है जजससे सींतान की नीींव पड जाती है। गभाथशय के मख से लेकर योनन मख तक कई प्रकार की ग्रजन्थया होती हैं, जजनमें कई प्रकार के रस बनते हैं जो परुष द्वारा रोवपत शक्राणओ को लेकर डि़म्ब तक सरक्षक्षत पहचात हैं

तथा स्री को गभथवती होने से परा सहयोग देते हैं। यदद इन ग्रजन्थयों में कोई खराबी होगी तो इनमें शक्राण एवीं डि़म्ब रक्षक रस नहीीं बनेंगे फलस्वरूप शक्राण योनन एवीं गभाथशय के बीच ही नष्ट हो जाने पर गभथ नहीीं ठहरेगा। ऐसी हालत में स्री को ककसी योग्य व अनभवी गचककत्सक से उगचत परामशथ एवीं जरूरी टैस्ट के बाद अपना इलाज करा लेना चादहए स्री के प्रजनन ग्रजन्थयाीं ठीक प्रकार से काम करने लगे गभाथशय में यदद सजन हो तो समाप्त हो सके , नलों व पि़ का ददथ आदद दर होकर मालसक चक्र ननयलमत हो जाए तथा गभथधारण शजक्त बढकर गभायधान हो सके। हमारे पास भी ऐसा सफल इलाज है जजनके सेवन से स्री सन्तान उत्पवत्त में बाधक सभी ववकारों को दर करके अपनी गभथधारण क्षमता बढ सकती है तथा गभथवती हो सकती है। कामयाबी का राज हाशमी दवाखाना ववश्व में अपनी तरह का एक मार अत्याधननक दवाखाना है जजसमें स्री परुषो की शारीररक व मदाथना कमजोररयों का अपने तजब के आधार पर हबथल इलाज

ककया जाता है। रोगी की जस्थनत, प्रकनत, उम्र और मौसम को ध्यान में रखकर परी हमददी व गींभीरता के साथ रोगी के ललए जडी-बहटयों, रस, रव्य एवीं भस्मों से यक्त नस्खों से तैयार इलाज चना जाता है ताकक रोगी को अपनी समस्याओीं व कमजोररयों से हमेशा के ललए जल्दी ही छटकारा लमल जाए। इसी कारण से रोगी बहत दर-दर से हमारे दवाखाने में स्वयीं इलाज प्राप्त करने के ललए आते हैं। हम रोगी को असली व शीघ्र गणकारी औषगधयों से बना हआ हबथल इलाज देते हैं और उसमें सौ फीसदी असली जडी बदटयों, भस्मों का इस्तेमाल करते हैं। हमारे पास अनगगनत रोगी भाईयों पर आजमाए हए गप्त प्राचीन नस्ख है जो रोगी को ननरोग व तन्दरूस्त बनाकर जजन्दगी भर सखी बनाए रखते हैं। धात, स्वप्नदोष, नामदी, शीघ्रपतन, िुंतानहीनता, स्री रोग आदद रोग कोई घखणत व लाइलाज रोग नहीीं ह इसललए इन रोगों से पीडि़त रोगगयों को घबराना नहीीं चादहए बजल्क समझदारी से काम लेना चादहए, उत्तम गचककत्सा से यह रोग हमेशा के

ललए दर हो जाते ह। इन रोगों से पीडि़त होना कोई पाप नहीीं है, इसललए कभी भी शमथ सींकोच नहीीं करनी चादहए। वास्तव म अज्ञानतावश भटके हए रोगगयों के मन म से गलत धारणाओ को ननकाल कर ननरोग बनाना और सही इलाज करना ही हमारा उद्देश्य है। अनेक रोगों की दवा-िैक्ि सैक्स अनेक रोगों की दवा भी है। जहाीं पर वववादहत जीवन में िैक्ि एक दज के बीच सख, आनींद, अपनापन लाता है, वहीीं एक दज के स्वास््य एवीं सौन्दयथ को भी बनाए रखता है। सैक्स से शरीर में अनेक प्रकार के हामोन्स उत्पन्न होते हैं, जो शरीर के स्वास््य एवीं सौन्दयथ को बनाए रखने में सहायक होते हैं। सैक्स में एींि़ाकफथन हामोन की मारा बढ जाती है, जजससे त्वचा सदर, गचकनी, व चमकदार बनती है। एस्टोजन हामोन शरीर के ललए चमत्कार है, जो एक अनोखे सख की अनभनत कराता है। उनमें उत्तेजना, उत्िाह, उमुंग और आत्मववश्वाि भी अगधक होता है।

सैक्स से परहेज करने वाले शमथ, सींकोच व तनाव से पीडि़त रहते हैं। ददमाग को तरोताजा रखने व तनाव को दर करने के ललए ननयलमत सैक्स एक अच्छा उपाय है। सैक्स हृदय रोग, मानलसक तनाव, रक्तचाप और ददल के दौरे से दर रखता है। सैक्स से दर भागने वाले इन रोगों से अगधक पीडि़त रहते हैं। सैक्स एक प्रकार का व्यायाम भी है। इसके ललए खास ककस्म के सट, शज या मींहगी एक्सरसाइज सामग्री की आवश्यकता नहीीं होती। सैक्स व्यायाम, शरीर की माींसपेलशयों के खखींचाव को दर करता है और शरीर को लचीला बनाता है। एक बार सींभोग कक्रया करने से, ककसी थका देने वाले व्यायाम या तैराकी के 10-20 चक्करों से अगधक असरदार होती है। सैक्स ववशेषज्ञों के अनसार मोटापा दर करने के ललए सैक्स काफी सहायक लस( होता है। सैक्स से शारीररक ऊजाथ खचथ होती है, जजससे कक चबी घटती है। एक बार की सींभोग कक्रया में 100 से 500 कैलोरी ऊजाथ खचथ होती है। आह, उह, आउच, कमरददथ, पीठ ददथ, गदथन ददथ से परेशान पत्नी आज नहीीं, अभी नहीीं करती हैं, लेककन यदद वह बबना ककसी भय के पनत के साथ सींभोग कक्रया में शालमल हो जाए तो उसके ददथ

को उडन छ होने में देर नहीीं लगती । लसर ददथ, माइग्रेन, ददमाग की नसों में लसकडन, उन्माद, दहस्टीररया आदद का िैक्ि एक िफल इलाज है। अननरा की बीमारी में बबस्तर पर करवट बदलने या बालकनी में रातभर टहलने के बजाए बेि़ पर बगल में लेटी या लेटे साथी से सैक्स की पहल करें, कफर देखें कक खराथटें आने में ज्यादा देर नहीीं लगती। ननयलमत रूप से सींभोग कक्रया में पनत को सहयोग देने वाली स्री माहवारी के समस्त ववकारों से दर रहती है। राबर के अजन्तम पहर में ककया गया सैक्स ददनभर के ललए तरोताजा कर देता है। सैक्स को लसफथ यौन सम्बन्ध तक ही सीलमत न रखें। इसमें अपनी ददनचयाथ की छोटी-छोटी बाींते, हींसी-मजाक, स्पशथ, आललींगन, चबन आदद को शालमल करें। सींभोग कक्रया तभी पण मानी जाएगी। सैक्स के बारे में यह बात ध्यान रखें कक अपनी पत्नी के साथ या अपने पनत के साथ ककया गया सैक्स स्वास््य एवीं सौंदयथ को बनाए रखता है। इस प्रसींग में यह बात ववशेष ध्यान देने योग्य है कक जहाीं वववादहत जीवन में पत्नी के साथ सींभोग कक्रया अनेक तरह से लाभप्रद है, वहीीं अवैध रूप से वेश्याओीं व बाजारू औरतों के साथ बनाए गये सैक्स सम्बन्धों से अननरा, हृदय रोग, मानसिक ववकार, िुंडापन, सिफसलि, िजाक, गनेररया, एड्ि

जैसी अनेक प्रकार की बीमाररयााँ उत्पन्न हो सकती हैं। यदद आप सफल व सतजष्टदायक सैक्स करने में असमथथ हैं और सैक्स से सम्बजन्धत ककसी भी कमजोरी या लशकायत से परेशान हैं तो बेखझझक लमलें। िम्भोग का िमय ककतना होना चाहहए यह एक ऐसा प्रश्न है है जो प्रायिः रोगी भाई हमसे पछत रहते हैं कक सम्भोग का समय ककतना होना चादहए? इस सम्बन्ध में अलग अलग गचककत्सकों की अलग अलग राय है, कछ गचककत्सक यह मानते हैं कक िम्भोग की अवधध 3-4 समनट होनी चाहहए, जबकक कछ यह मानते हैं कक योनन में ललींग प्रवेश के बाद 15 लमनट तक सम्भोग ककया जाना चादहए। इस सम्बन्ध में हमारी राय यही है कक सम्भोग की आदशथ अवगध वह होनी चादहए जजसमें स्री व परुष दोनों उत्तेजना की चरम सीमा पर पहच जाए और दोनों ही सम्भोग का शारीररक व मानलसक आनन्द प्राप्त कर सके। यदद ककसी स्री व परूष के बीच सम्भोग के समय दोनों के आनन्द की चरम सीमा तक पहचन के पहले ही जस्ख्लत

हो जाता है और सम्भोग में ककसी एक को परा आनन्द प्राप्त न हो तो उन दोनों का वववादहक जीवन बेकार हो जाता है। ऐसे में ककसी योग्य गचककत्सक की सलाह लेनी चादहए, जजससे स्थायी इलाज कराने क ेेबाद पनत पत्नी दोनों परी तरह सन्तष्ट होकर अपने वैवादहक जीवन का वास्तववक आनन्द उठाते हए सखमय जीवन व्यतीत कर सके। शास्रोक्त-यनानी नस्ख सददयों से यनानी इलाज को हर वगथ की तरफ से यहााँ तक कक देश ववदेश में भी मान्यता लमलती आ रही है क्योंकक आज की आधननक ऐलोपैगथक गचककत्सा मनष्य की जजन तकलीफों का इलाज नहीीं कर सकती उन्हीीं तकलीफों का इलाज यनानी गचककत्सा से सलभ है। यनानी इलाज से जदटल से जदटल शारीररक व्यागधयों का भी सफल इलाज हो सकता है। हजारों वषथ पहले ऐलोपैथी इलाज का चलन नहीीं था तब मनष्य के सभी रोगों का इलाज यनानी पद्धनत से ही होता था। जजससे मनष्य परी तरह से आराम पा जाता था। आज के यग में भी वही

नस्ख, जडी-बदटया, खननजों, रव्यों, कश्तों, रसायनों एवीं कीमती भस्मों आदद से पररष्कत वैज्ञाननक प(नत द्वारा तैयार ककये जाते हैं जजनका असर भी काफी तेज व प्रभावशाली होता है। कछ लोगों ने लालचवश अगधक धन बटोरने के ललए शद्ध जडी बदटयों व रव्यों के बदले नकली रींगो व रसायनों का प्रयोग करके अपने इलाज को राजा महाराजा व नवावों वाला इलाज बताकर यनानी को बदनाम कर ददया है इसका मतलब तो यही है कक पहले यनानी इलाज लसफथ राजा महाराजाओीं का ही ककया जाता था, साधारण जनता का नहीीं। इन्हीीं सब बातों को ध्यान में रखकर हमनें शद्ध यनानी तरीके से दलभ असली जडी-बटी, असली रव्यों व रसायनों तथा कीमती भस्मों, कश्तों से इलाज तैयार करके उन ननराश रोगगयों की सेवा करने का सींकल्प ललया है जो कई प्रकार के रोगों से नघरकर अपने जीवन को नकथ बना चक हैं। तथा राजा महाराजा व नवाबों वाले इलाज की सामथ्र्य नहीीं रखते। ऐसे रोगी ननराश न हों हमसे लमलें या ललखें उन्हें सही रास्ता बताकर भटके हए तथा ननराश हए रोगगयों को स्वास््य लाभ प्राप्त कराकर उन्हें सही ददशा प्रदान करेंगे।

आज के यग में पहले तो असली वस्त को प्राप्त करना ही कदठन है यदद प्राप्त भी हो गई तो कौन गचककत्सक इतना कदठन पररश्रम या पैसा खचथ करता है लेककन हमारे पास लसफथ रोगी का कल्याण है, रोगी का रोग दर हो तथा वह जीवन भर सखी रहे ताकक हमें भी यश प्राप्त हो हम इसी उद्देश्य को लेकर उत्तम से उत्तम इलाज तैयार करते हैं। इलाज वही जजससे रोग उम्र भर के ललए कट जाये और रोगी को एकदम स्वस्थ व ननरोग बना दे। ऐसे प्रभावशाली इलाज का वणथन प्राचीन शास्रों व ग्रन्थों में है। हमारे इलाज का भी मल आधार यही ग्रन्थ हैं। जडी-बहटयों एवुं भस्मों का महत्व य तो इलाज में प्रयोग होने वाली अनगगनत जडी-बदटया, खननज व भस्में हैं यदद हम सभी का वणथन करने तो इसके ललए एक मोटी पस्तक अलग से ललखनी पड जाएगी लेककन हम यहाीं आपकी जानकारी के ललए कछ चनी हई जडी बहटयों एवीं भस्मों के नाम ललख रहे हैं जजनके गण अलग-अलग हैं तथा ये सब रोगी की परी हालत, रोग, उम्र व मौसम के अनसार इलाज में प्रयोग की जाती हैं।

हीरक भस्म, मक्ता भस्म, स्वणथ भस्म, अभ्रक भस्म, लोहा भस्म, यस्त भस्म, लस( मकरध्वज, कहरवा, वपष्टी,जाफरान, अम्बर, मश्क, जायफल, जाववरी, वींशलोचन, अश्वगींधा, लशलाजीत, छोटी इलायची, हरड, बहेडा, आाँवला, गोखरू, कोंच बीज, मसली, शतावरी, सालब लमश्री, मलहठी, अकरकरा, सेमल की जड, ववधारा आदद अनेकों ऐसे रस-रसायन हैं जजनके प्रभाव अलग-अलग होते हैं तथा इनके सेवन से ददमागी नाडि़यों और ग्रजन्थयों की शजक्त बढती है,वीयथ पष्ट होता है। ददमाग, जजगर, गदा, मसाना, अण्ि़कोष आदद अींगों की कमजोरी दर हो जाती है। थकावट, ि़र, वहम, घबराहट, क्रोध, चक्कर, बैचेनी, गचडगचडापन, काम में मन न लगना, टाींगों, बाींहों व कमर में ददथ, थोडा सा काम करने से साींस फलना, भख कम लगना, कब्ज, पेट गैस, रक्त की कमी, शीघ्रपतन,स्वप्नदोष, प्रमेह, पेशाब का बार बार आना, नपसकता, कमजोरी आदद सभी लशकायतें दर हो जाती हैं इसमें ऐसी जडी-बदटया व भस्में भी हैं जजनसे खायावपया शीघ्र ही पच जाता है शरीर को भी लगने लगता है, नया खन बनता है, जजससे चेहरे पर नई रौनक व चमक आ जाती है ददल में उत्साह और शरीर में स्फनत पैदा होती है खोई हई मदायना व शारीररक ताकत वापि लौट आती है शरीर उमींगों व जवानी

की बहारों में लह लहा उठता है। व्यजक्त को पण रूप से परूष कहलाने का अगधकार प्राप्त होता है। िफल जीवन का रहस्य 1. सबह सवेरे उठकर प्रनतददन सैर करें यदद हो सके तो कछ व्यायाम करें। भोजन हल्का, सन्तललत व जल्दी ही हज़म होने वाला करें। राबर को भोजन सोने से 2-3 घींटें पहले ही कर लें। कब्ज न रहने दे। 2. हस्तमथन न करे, गन्दे उपन्यास तथा अश्लील सादहत्य न पढे मन के ववचार शद्ध अच्छा सादहत्य पढे जब भी मन में बर ववचार आयें तो अपने प्रभ को याद करें। 3. सोने से पहले मर त्याग अवश्य कर लें तथा रात में जब भी नीींद खल तो पेशाब कर लें, सबह शौच समय पर जायें। अपनी गप्तन्री की सफाई हर रोज नहाते समय करें। अन्यथा मैल जम कर खजली उत्पन्न करेगी। 4. वेश्याओीं के सींपकथ से हमेशा दर रहें उनका सम्पकथ ही अनेक रोगों का मल कारण है। एड्स जैसी प्राण घातक बीमारी भी हो सकती है तथा तन,मन धन तीनों का ही नाश होता है।

5. मालसक समय में स्री से सींम्भोग कदावप न करें इससे कई तरह की बीमाररयााँ हो जाती है। अगधक सम्भोग न करे। ददन प्रनतददन के सम्भोग से न तो स्री को सतजष्ट होती है तथा न ही परूष में शजक्त रहती है। याद रखें, जस्रया अगधक सींम्भोग से प्रसन्न नही रहती जब भी सम्भोग करें जी भर के करे ताकक स्री को परम सतजष्ट प्राप्त हो। 6. कभी-कभी शरीर में तेल की माललश करें। माललश करने से शरीर सगदठत होगा कमजोेेरी सस्ती दर होगी तथा चेहरे पर चमक आयेगी राबर को अगधक कपडे पहन कर नहीीं सोना चादहए। 7. वववाह से पहले शारीररक ननरीक्षण ककसी अनभवी व योग्य गचककत्सक से अवश्य करा लेना चादहए क्याींेेकक थोडी सी कमी आपके पर वववादहत जीवन में दरार ि़ाल सकती है। 8. ककसी रोग का सींक्रमण होते ही तरन्त अपना इलाज कराना चादहए क्योंकक समय पर इलाज न होने पर रोग के अगधक बढ जाने का ि़र रहता है कफर रोग को परी तरह दर करने के ललए अगधक कदठनाई उठानी पड सकती है। 9. बाद एक पश्चात एक ठीक ननजश्चत अन्तराल पर भोग ववलास करना गहस्थ जीवन का ब्रह्मचायथ है। सम्भोग का

उत्तम समय राबर 12 बजे से 4 बजे तक है। सम्भोग से पहले ककसी प्रकार का नशा न करें। 10. प्रत्येक व्यजक्त में एक अमतकण्ि़ है जो इन्री द्वारा टपक-टपक कर बह जाता है। इन्री के ऊपर ननयन्रण रखकर इस अमतकण्ि़ की रक्षा की जा सकती है। पनत-पत्नी का पहला समलन िहागरात सहागरात का यह प्रथम लमलन केवल शारीररक लमलन ही नहीीं होता बजल्क मानलसक व आजत्मक लमलन है। इस घडी में दो जजस्म एक जान हो जाते हैं तथा दो जाने अब तक अलग अलग थीीं। इस रात को पहली बार एक हो जाती है तथा यही घडी वैवादहक जीवन की नीींव का पत्थर बन जाती है। तथा सफल जीवन के सनहरी भववष्य का ननमाथण करती है। इस रात की नीींव बहत ही मजबत हो जानी चादहए ताकक कभी भी थोडी हलचल के कारण वैवाहहक जीवन में दरार पड जाये। यह रात एक दसर को समझने की रात होती है यही कारण है कक कछ लोग शादी होने पर शादी में आए हए ररश्तेदारों व अन्य पररवार जनों से भरे घर पर पनत पत्नी एक दसर को समझने में

कदठनाई महसस करते हैं तथा व कहीीं पवथतीय स्थान या ककसी रमणीक स्थल पर एकान्त में जाकर एक दसर को गहराई से जानने की जजज्ञासा रखते हैं। हनीमन या िहागरात सभी देशों व सभी जानतयों में प्रचललत है तथा सभी जगह इसका समान महत्व है। यदद आप अपनी नई दल्हन के सच्चे जीवन साथी न बन पाए तो सेज के साथी भी न बन पाएींगे। नई दल्हन केवल आपको एक कामी व्यजक्त व वासना का लोभी भींवरा समझकर स्वयीं को बलल का बकरा समझने लगेी इसललए प्रथम लमलन की घडि़या जीवन की बहत ही अनमोल घडि़या होती है। यदद अपने रूखे व्यवहार पर जल्दबाजी से कोई परूष अपने को सींभाल नहीीं पाता तो उसकी सहागरात दभाग्य राबर में बदल जाती है। आज के यग में लडककयाीं भी लशक्षक्षत होती हैं तथा समाज में वातावरण को भली प्रकार से समझती हैं इसी के फलस्वरूप प्रत्येक लडकी अपने वववादहत जीवन का एक शखहाल गचर अपने ददल ददमाग में रखती है तथा उसी गचर के अनसार ही अपना पनत चाहती है। यदद पनत अपनी नई दल्हन के हृदय को जीत लेने में सफल हो जाता है तो ननश्चय ही यह उनके वैवादहक

जीवन का शभारभ है। पहली रात में पनत को सम्भोग के ललए कभी भी उतावला नहीीं होना चादहए बजल्क उसके प्रत्येक वस्त जैसे रूप रींग, आींखें, होंठ, नाक, चेहरे की बनावट, कपडों की आदद की खब प्रशींसा करनी चादहए। अपनी नई दल्हन के सामने भलकर भी ककसी दसरी लडकी या स्री के सौन्दयथ, गणों व कपडों आदद की प्रशींसा न करें इसके आपकी पत्नी में हीनभावना आ जाएगी तथा आपके साथ परा सहयोग दे पायेगी। पहले आप पत्नी के मन को वश में करे और अपने ऊपर एक सीमा तक ननयींरण रखें, जब उसे आपका यह प्रेमी व सफल परूष का रूप मग्ध कर देगा तो वह आपको खशी व पण सहयोग के साथ अपना सवथस्व अपथण कर देगी। नई दल्हन के ललए पहला सहवास कष्टदायक होता है इसललए पहले शरू में उसके कष्ट का ध्यान रखते हए धीरे धीरे ही उसका सींकोच खझझक दर करने की चेष्टा करें। प्रत्येक नववववादहता के ललए यह अत्यन्त आवश्यक है कक वे अपनी सहागरात की घडी में कोई शराब या नशे की वस्त का सेवन न करें जजससे उनके आगामी वववाहहत जीवन पर बरा प्रभाव पडे। यह रात जीवन में केवल एक ही बात आती है। इसी

रात की यादें स्री परुष अपने जीवन भर के ललए गाींठ में बाींध लेते हैं तथा कछ अज्ञानी लोग यही समझते हैं कक पहली रात सम्भोग में रक्त आना जरूरी है जो नववध के कौमायथ की ननशानी होती है उनकी यह धारणा बबल्कल गलत है क्योंकक कछ लडककयों में योननच्छेद की खझल्ली बहत सख्त होती है तथा कछ की यह खझल्ली बहत पतली व कोमल होती है जो बचपन में खलकद, बस, गाडी में चढते उतरते समय साधारण चोट से भी फट जाती है। फलस्वरूप सम्भोग से पहले ही फट चकन के कारण रक्त आने का प्रश्न ही पैदा नहीीं होता इसललए रक्त न आने पर अपनी नई दल्हन के चररर का व्यथथ ही शक नहीीं करना चादहए अन्यथा वववादहत जीवन एक दखों की ज्वाला बनकर सारी जजन्दगी आपको जलाती रहेगी। एक अिफल परुष का दख, हस्तमथन कई ददन पहले मैं अपने दवाखाने में हमेशा की तरह अपने रोगी भाइयों को देख रहा था तो उनमें एक रोगी काफी ननराश उदास व सहमा हआ सा बैठा था। जब उसकी बारी आई तो मैंने उससे सबसे पहले यही पछा कक तम इतने घबराये हए क्यों हो तो उस यवक रोगी का सब्र बाींध टट गया तथा उसकी आींखें में आस

छलछला आए। मैंने उसे परी तसल्ली दी तथा मैंने कहा कक अपनी परेशानी बताओ तथा गचन्ता की कोई बात नहीीं है तब उसने बताया कक मैं एक सम्माननत मध्यवगीय पररवार से सम्बन्ध रखता ह तथा अभी थोडे ही ददन हए अपनी कॉलेज की पढाई परी की है। अतिः अपने ववद्याथी जीवन में गलत सींगत में पड गया। हस्तमथन भी ककया। जब कछ समझ आई तो हस्तमथन की इच्छा को दबाया तथा स्वप्नदोष होने लगा कफर पेशाब में लार सी ननकलने लगी जजससे मझ बेहद कमजोरी महसस होने लगी। उठते बैठते शरीर ददथ, चक्कर, अींधेरा व साींस फलन तथा ददन भर सस्ती छायी रहती है, ककसी काम में मन नहीीं लगता। चकक अब मैं व्यस्क हो या ह मेरे माता वपता मेरी शादी करने पर जोर दे रहे हैं लेककन न जाने क्यों मैं शादी के नाम से परेशान हो गया ह क्योंकक मैं अपने आपको उपरोक्त कमजोररयों के कारण वववाह योग्य नहीीं समझता और न ही यह चाहता ह कक मेरी कमजोरी व हालत की वजह से मेरी आने वाली पत्नी का जीवन भी दखमय हो जाये अतिः मैं आपका नाम व इलाज की प्रशींसा सनकर आपके पास आया ह। मैंने उसकी परी हालत जानकर उसकी परी तरह शारीररक जाींच की। अब वह बबल्कल ठीक बोल रहा था। वास्तव में ही वह अपनी अज्ञानता

वश अपनी जवानी को दोनों हाथों से लटाकर अपने परुषत्व में घन लगवा चका था। मैंने उसे अपना परामशथ नया तथा परी लगन व मेहनत से असली व नायाब नस्खों द्वारा उसका इलाज तैयार करवाया जजसके सेवन से उसकी खोई हई शारीररक व मदाथना शजक्त उसे दोबारा लमलनी शरू हो गई। एक महीने के बाद ही उसकी शादी हो गई तथा पहली रात से अब तक परी तरह सन्तष्ट है तथा अपने वववादहत जीवन का भरपर लफ्त उठा रहा है। इसी प्रकार के अनेकों रोगी भाई स्वयीं हमारे पास आकर या अपनी परी हालत पर में ललखकर अपना इलाज प्राप्त करते हैं जजनके सेवन से व परी तरह से स्वस्थ व ननरोग होकर हमारे इलाज की प्रशींसा करना नहीीं भलत। आ भी लमले या ललखें, पर व्यवहार पणतिः गप्त रखा जाता है। प्रत्येक पर को ध्यान से पढकर रोगी की परी हालत पर ववचार करने के बाद ही परामशथ या इलाज सींभव होता है। मदायना कमजोरी का इलाज

केसर कस्तरी वाला हाशमी हाई पावर कोसथ नया खन पैदा करके न केवल कमजोरी दर करता है, बजल्क प्रेमह रोग, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन नष्ट कर कमर, गदो व जजस्म में जबदथस्त ताकत बढाता है, खोई हई सेहत, ताकत जवानी वापस लाने के ललए दननया के कोने कोने में हाशमी हाई पावर कोसथ के पासथल रोजाना जाते हैं तथा लाखों लोग हाशमी हाई पावर इलाज से नया जीवन व्यतीत कर रहे हैं कमजोरी चाहे ककसी भी कारण हो कमजोर से कमजोर इींसान बढ तथा वववादहत भी सेहत, ताकत, जवानी प्राप्त कर सकते हैं, स्वस्थ नवयवक भी हाशमी हाई पावर कोसथ का प्रयोग करके अपनी ताकत कई ेुना बढ सकते हैं। वीयथ शहद की तरह गाढा हो जाता है शरीर की सारी कमजोरी दर होकर शरीर हष्टपष्ट होकर ताकतवर व फतीला हो जाता है, मदा से मदा नसों, नाडि़यों में खोई ताकत कफर से प्राप्त करने के ललए नतला इरानी हाशमी हाई पावर कोसथ के साथ होने पर सोने पर सहाग का काम करता है यह कोसथ बबल्कल शद्ध मौललक एवीं

अत्यन्त बहमल्य औषगधयों से तैयार ककया जाता है हाशमी हाई पावर कोसथ का मल्य मौसम, आय, रोग अनसार। समस्त हाल व पता गप्त रखा जाता हैं समलने का िमय: प्राप्त: 10 बजे से साींय 6 बजे तक दवाखाना प्रनत ददन खलता हैं हमारी कही कोई ब्राींच नही हैं हाशमी दवाखाना , मौह ० काजीजादा, अमरोहा ननिःशल्क स्वास््य परामशथ के ललए

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