दो साधु |Hindi kahaniya|Hindi kahani|Moral stories in Hindi

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दो साधु दो साधुओ ं की कहानी का संक्षिप्त क्षि​िरण|दो साधुओं की कहानी|Hindi kahaniya|Hindi kahani|Moral stories in Hindi दो साधुओ ं की कहानी |Hindi kahaniya|Hindi kahani|Moral stories in Hindi : यह कहानी दो साधुओ ं की है.. [Hindi kahaniya] एक जो मुश्किल के समय में सकारात्मक रहता है िही दू सरा क्षनराश हो जाता है। | [Hindi kahaniya] किसी ग ाँ व में दो स धू रहते थे। वे कदन भर भीख म ां गते और मांकदर में पूज िरते थे। एि कदन ग ाँ व में आां धी आ गयी और बहुत जोरोां िी ब ररश होने लगी। दोनोां स धू ग ाँ व िी सीम िे प स एि झोपडी में कनव स िरते थे। , श म िो जब दोनोां व पस पहुां चे तो दे ख कि आां धी-तूफ न िे ि रण उनिी आधी झोपडी टू ट गई है ।

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दे श्किये चालाक क्षसयार की दु र्गक्षत कैसे हुई

यह दे खिर पहल स धू क्रोकधत हो उठत है और क्रोध में बोलने लगत है ,[Hindi kahaniya] ” भगव न तू मेरे स थ हमेश ही गलत िरत है… मै कदन भर तेर न म लेत हाँ । मांकदर में तेरी पूज िरत हाँ , किर भी तूने मेरी झोपडी तोड़ दी। ग ाँ व में चोर – लुटेरे झूठे लोगो िे तो मि नोां िो िुछ नहीां हुआ , कबच रे हम स धुओां िी झोपडी ही तूने तोड़ दी।


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