BAHUSANKRUTIK KAKSHA-KAKSH KI SHIKSHAN ADHIGAM PRIKRIYAME SHIKSHAK KI BHUMIKA

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Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies, Online ISSN 2278-8808, SJIF 2016 = 6.17, www.srjis.com UGC Approved Sr. No.45269, SEPT-OCT 2017, VOL- 4/36

बहु-सा​ांस्कृतिक कक्षा-कक्ष की तिक्षण अतधगम प्रतिया मे तिक्षक की भतू मका अतमि रत्न तिवेदी (Ph.D. शोधाथी), शशक्षाशिभाग, शशक्षाशिद्यापीठ, महात्मा गा​ाँधी अतं रराष्ट्रीयशहदं ी शिश्वशिद्यालय, िधा​ा (महाराष्ट्र) amitrdwivediau@gmail.com प्रस्तुत शोध अध्ययन गुणात्मक शोध उपागम पर आधाररत है, शजसका प्रमख ु उद्देश्य बहुसांस्कृ शतक कक्षा-कक्ष की शशक्षण अशधगम प्रशिया में शशक्षक की भशू मका को ज्ञात करना है । बहुसांस्कृ शतक कक्षा - कक्ष की शशक्षण अशधगम प्रशिया में शशक्षक की भशू मका परंपरागत कक्षा कक्ष की भशू मका से अलग होती है | राष्ट्रीयपाठ्यचया​ा की रूपरे खा-2005 में कहा गया है शक एक बहुसांस्कृ शतक कक्षा -कक्ष में शशक्षक द्वारा शशक्षण -अशधगम से सम्बंशधत िातािरण इस प्रकार शनशमात शकया जाना चाशहए शजसमें बालक को अपनी योग्यता , क्षमता, मानशसक स्तर तथा स्िागशत के अनसु ार सीखने का अिसर प्राप्त हो सके । जॉन डीिी के अनसु ार शशक्षा एक शिधिु ीय प्रशिया है , इसमे एक छोर पर एक शशक्षक होता है तथा अन्य छोरों पर शशक्षाथी तथा पाठ्यिम | शशक्षण-अशधगम प्रशिया में शशक्षक की भशू मका उतनी ही महत्िपणू ा होती है, शजतनी की शशक्षाथी तथा पाठ्यिम की। एक कक्षा में ही शिशभन्न संस्कृ शतयों के शिद्याथी शशक्षण -अशधगम की प्रशिया में सशम्मशलत होते हैं ,इसशलए शशक्षक के सामने यह चनु ौती होती है कीिह शिद्याशथायों की संस्कृ शत तथा अशधगम क्षमता के अनरू ु प शशक्ष ण का आयोजन कर सके | प्रस्तुत शोध में शोधाथी के द्वारा यह जानने का प्रयास शकया गया है की एक बहु - सांस्कृ शतक कक्षा कक्ष शकशशक्षण अशधगम प्रशिया में शशक्षक शकन-शकन भशू मकाओ ं का शनिाहन करता है। Keywords- बहुसांस्कृ शतक, शिध्रिु ीय, संपोषक Scholarly Research Journal's is licensed Based on a work at www.srjis.com

प्रस्तावना “एक प्रभावी शिक्षक वह है जो बालकों की रुशियों , अवश्यक्ताओ ,ं मानशिक स्तर,ऄशभवृशि अशद को ध्यान में रखकर शिक्षण ऄशधगम प्रशिया के शलए ईशित वातावरण का शनमा​ाण करता है िाथ ही िाथ बालकों की व्यशक्त गत शवशभन्नताओ ं को ध्यान में रखकर ईनको स्वयं िीखने के ऄविर प्रदान कर ईन्हें अगे बढ़ने में मदद करता है |” - शमश्रा (2016). शिक्षण ऄशधगम प्रशिया में शिक्षक, शिक्षाथी तथा पाठ्यिम तीनों का महत्वपणू ा स्थान होता है। शिक्षक तथा शिक्षाथी पाठ्यिम को ध्यान में रखकर शवशभन्न प्रकार की गशतशवशधयां िंपाशदत करते हुए शिक्षा के ईद्देश्यों को प्राप्त करते हैं । जॉन डीवी के ऄनिु ार शवद्यालय िमाज का लघु रूप है , Copyright © 2017, Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies


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