ABHIBHAVKIY AAKANKSHA EANV SHAIKSHIK UPALBDHI KE SAMBNDH KA ADHYAYAN

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Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language, Online ISSN 2348-3083, SJ IMPACT FACTOR 2016 = 4.44, www.srjis.com PEER REVIEWED JOURNAL, APR-MAY 2018, VOL- 6/27

अभि​िावकीय आका​ांक्षा एवां शैभक्षक उपलभधध के सम्बन्ध का अध्ययन देवेन्र कुमार यादव शोधछात्र, म. गा. अं. , हहन्दी हि. हि. िधा​ा Abstract

आज के इस प्रहियोगी यगु में प्रत्येक नागररक सफलिा के उच्चिम हशखर िक पहचुँ ना चाहिा है| परन्िु सफलिा प्राहि के हलए िह हकन साधनों का का उपयोग करिा है, यह बाि मायने रखिी है | यहद हम अपने बच्चे की रुहच एिं योग्यिा को नजरअंदाज करिे हए अपने आकांक्षा के अनसु ार उसे डॉक्टर या अहभयांहत्रक के रूप में देखना चाहिे हैं,िो यह बहि ही असंभि काया है | हमें अपने बच्चे की रूहच एिं योग्यिा के अनसु ार काया करने देना चाहहए िभी हमारा बच्चा सफल होगा | प्रस्िुि शोध में अहभभािकों की आकांक्षा एिं शैहक्षक उपलहधध का अध्ययन हकया गया है |अहभभािकीय आकांक्षा जानने हेिु स्िहनहमाि उपकरण एिं शैहक्षक उपलहधध हेिु हिद्याहथायों के स्कोर काडा का प्रयोग हकया गया है | अध्ययन के मख्ु य पररणाम में पाया गया हक ग्रामीण एिं शहरी हिद्याहथायों की उपलहधध ग्रेड में कोई हिशेष अंिर नहीं है यहाुँ दोनों क्षेत्र के हिद्याहथायों ने अपनी उपलहधध में अच्छा हनष्पादन हकया है | ग्रामीण एिं शहरी हिद्याहथायों की शैहक्षक उपलहधध में कोई साथाक अिं र नहीं है | ग्रामीण एिं शहरी अहभभािकों के बच्चों की शैहक्षक उपलहधध सम्बंहधि आकांक्षा में साथाक अंिर है | हिद्याहथायों की शैहक्षक उपलहधध एिं उनके अहभभािकों की आकांक्षा के मध्य हनम्न स्िर का सहसंबंध है |इस शोध के माध्यम से शोधाथी इस िथ्य पर समाज का ध्यान आकहषाि करना चाहिा है हक हमें अपनी आकाक्ष ं ा अपने बच्चों पर नहीं थोपना चाहहए बहकक उनकी रुहच के अनसु ार िे जो बनना चाहिे हैं, उन्हें स्िछन्द छोड़ देना चाहहए िभी हमारे बच्चे एक सफल नागररक बन पायेंगे| Scholarly Research Journal's is licensed Based on a work at www.srjis.com

प्रस्तावना अज की दनु नया नदन प्रनि-नदन प्रनिस्पधी होिी जा रही है | प्रदर्शन की गणु वत्ता व्यनिगि प्रगनि के निए महत्वपणू श कारक बनिी जा रही है । ईत्कृ ष्टिा नवर्ेष रूप से , ऄकादनमक और प्रायःऄन्य सभी क्षेत्रों में एक महत्वपणू श पहिू के रूप में दे खी जािी है । प्रत्येक मािा–नपिा की आच्छा होिी है नक ईनके बच्चे ईत्कृ ष्ट प्रदर्शन करें | आस ईपिनधध के ईच्च स्िर की आच्छा से हमारे बच्चों, छात्रों, नर्क्षकों, संस्थाओ ं और सामान्य नर्क्षा प्रणािी में बहुि ही दबाव पड़िा है िथा ऐसा प्रिीि होिा है नक नर्क्षा की परू ी व्यवस्था र्ैनक्षक ईपिनधध के आदश–नगदश ही घमू िी रहिी है | आस प्रकार, हम देखिे हैं नक ऄनधकांर् स्कूिों में के वि यही प्रयास रहिा है नक वे बच्चों की र्ैनक्षक ईपिनधध की वृनि कै से करें ? र्ैनक्षक र्ोधकिाशओ ं के निए यह र्ोध का नवषय है नक कौन- से कारक छात्रों की ईपिनधध को बढावा देिे हैं | कौन से कारक ऄकादनमक ईत्कृ ष्टिा की नदर्ा में योगदान करिे हैं ? ऐसे प्रश्नों के ईत्तर देना मानव व्यनित्व की जनि​ि​िा के कारण असान नहीं हैं । ईत्कृ ष्टिा में सधु ार के निए हम प्रायः प्रयास करिे हैं एवं िरहCopyright © 2017, Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies


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