Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies, Online ISSN 2278-8808, SJIF 2019 = 6.380, www.srjis.com PEER REVIEWED & REFEREED JOURNAL, SEPT-OCT, 2020, VOL- 8/61
घटता बाल ललिंग अनु पात: एक गिंभीर समस्या (DECLINE CHILD SEX RATIO: A SERIOUS PROBLEM) Manisha Rani1 & Jyoti Tiwari2, Ph. D. 1 Research Scholar, Department of Home Science, Birla Campus, H.N.B.G.U. Srinagar (Uttarakhand) 2 Associate professor, Department of Home Science, Birla Campus, H.N.B.G.U. Srinagar (Uttarakhand)
Abstract
“दे खो चारोों ओर वैश्वीकरण का शोर है , पर रास्ते में इसके बाधाएों घनघोर है | ना होगा चहुँ ववकास, जनावधकार भी कमजोर है , जब हर घर-पररवार में, व ोंगानुपात डाों वाडो है ||” मानव आबादी में 0-6 सा (जन्म से ेकर 6 वर्ष) की उम्र में प्रवत 1000 बा कोों पर बाव काओों की सोंख्या के अनुपात को ‘बा व ोंगानुपात’ अथवा ‘वशशु व ोंगानुपात’ कहते हैं | वजसमें कमी होने अथवा वनम्नता व असोंतु न की स्थथवत को ‘घटता बा व ोंग अनुपात’ (Decline Child Sex Ratio) कहा जाता है , इसके प्रभावी होने से वकसी भी दे श के व ए वैश्वीकरण का नारा, मात्र एक खूबसूरत ख्वाब बनकर रह जाये गा| वैश्वीकरण की प्रविया समाज में पररवार व व ोंग, वशक्षा व सावहत्य, आवथषक, राजनीवतक आवद समान ताकतोों के ववकास का सोंयोजन है | वजसमे समाज के प्रत्येक मानव के ववकास में आने वा ी बाधाओों को दू र वकया जाता है| ईश्वरकृत इन अनुपम कृवतयोों (स्त्री-पु रुर्) के बीच मानवकृत वनयम भेदभाव व शोर्ण पै दा करते हैं | वजसकी आड़ में मानव अवधकारोों व मवह ावधकारोों का हनन शुरू होता है | इन सब में गातार बाव काओों का घटता व ोंगानुपात वैवश्वक ववकास की बाधाओों में मुख्य जड़ का काम कर रहा है | वास्तव में यह वकसी भी दे श की शमषनाक स्थथवत है | भारत में 1961-2011 तक की जनगणना के आों कड़ोों से यह स्पष्ट हो जाता है वक हमारे दे श में बा व ोंगानुपात गातर घट रहा है , वजसके च ते कदम-कदम पर मवह ाओों को पु रुर्ोों से कम आों का जाता है | अतः बा क तथा बाव काओों के मध्य व ोंग अनुपात में सोंतु न होना आवश्यक है , अन्यथा वह वदन दू र नहीों जब वैश्वीकरण के थथान पर दे श में मवह ा ववहीन समाज की स्थथवत आ जाएगी| वपछ े 65 वर्ों में भारतीय जनसोंख्या में व ोंग अनुपात गातार कम हआ है । जोवक वचन्ता का ववर्य है , भारत में व ोंग अऩुपात में वगरावट का प्रमुख कारण ड़कें और ड़वकयोों के प्रवत भेदभाव पू णष मानवसकता का होना है । सरकार द्वारा वववभन्न वनवतयाुँ च ाकर वनम्न व ोंगानुपात को उठाने हे तु प्रयास वकयें जा रहे हैं । ेवकन, चूोंवक यह एक सामावजक समस्या है अतः इसे जड़ से खत्म करने के व ए प्रत्येक व्यस्ि को अपनी पुरूर् वादी मानवसकता को बद ना अवनवायष है । मुख्य शब्द: वैश्वीकरण, ववकास, मानव, व ोंगानुपात, घटता बा व ोंगानुपात| Scholarly Research Journal's is licensed Based on a work at www.srjis.com
पररचय समाज में मानव के सामावजक, आवथष क, शैवक्षक, तथा
ैं वगक आवद प्रत्ये क क्षे त्र में होने वा ी
प्रगवत, समृ स्ि, सुदृढ़ता और बेहतर होने या बनाने वा ी प्रविया ववकास कह ाती है वजसके फ स्वरूप प्रत्ये क व्यस्ि उत्तम जीवन जी सके| परन्तु एक ओर जहाों मनुष्य जावत में जन्म
े ने वा े
प्रत्ये क प्राणी को मानव कहा जाता है , मावन के तहत स्त्री-पुरुर् दोनोों को सस्िव त वकया जाता है | दोनोों ही सृवष्ट के सृजनकताष हैं , तथा मानव जन्म
े ते ही मानवावधकारोों का हक़दार हो जाता है | वहीुँ
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