VANCHIT VARG KE ABHIBHAVAKO KI SHIKSHA SE JUDI APEKSHAON ENAV CHUNOTIYON KA VISHESHANATMAK ADHYAYAN

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Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language, Online ISSN 2348-3083, SJ IMPACT FACTOR 2017: 5.068, www.srjis.com PEER REVIEWED & REFERRED JOURNAL, JUNE-JULY, 2019, VOL- 7/34

वंचित वर्ग के अचि​िावकों की चिक्षा से जुड़ी अपेक्षाओ ं एवं िुनौचतयों का चवश्ले षणात्मक अध्ययन । िरत कुमार पंडा1, Ph. D. & कुमारी यिवन्ती यादव2 1

सहायक प्राध्यापक, म. गं. अ.ं हह.ं हि. हि. िधा​ा (महाराष्ट्र)

2

पीएच.डी(शोध छात्र), म. गं. अं. हह.ं हि. हि. िधा​ा (महाराष्ट्र)

Abstract

शिक्षा शकसी भी समाज के सर्ा​ांगीण शर्कास का सर्ा​ाशधक महत्र्पणू ां उपागम होती है । शकसी भी र्गा समदु ाय, समाज ऄथर्ा राष्ट्र के शर्कास के शिए सबसे पहिी सीढ़ी शिक्षा ही होती है । शजसके द्वारा व्यशि दीनता, दासता, गरीबी, और ऄज्ञानता से मशु ि प्राप्त कर सके । शिक्षा शर्कास और समाज का अपस मे घशनष्ठ संबंध होता है । समाज के प्रत्येक र्गा के ऄशभभार्क ऄपनी सामाशजक अशथाक पररर्ेि के ऄनसु ार शिक्षा से ऄपेक्षाए रखते है , हर व्यशि की ऄपनी पाररर्ाररक पृष्ठभशू म पररशथथशत, समाज,समय एर्ं अर्श्यकताओ ं के बदिते पररदृश्य के अधार पर शिक्षा से ऄपेक्षाए भी ऄिग-ऄिग है जैसे की शिशक्षत होकर अशथाक शथथशत सदृु ढ़ करे , समाज में सम्मान जनक थथान प्राप्त हो शिक्षा से ऄपने र्तामान जीर्न को समृद्ध बनाना चाहते है । शिक्षा मानर् जीर्न का सबसे अर्श्यक संथकार , सामाशजक पररर्तान का अधार और अशथाक उन्नशत का एक सि​ि साधन है । ऄतः मि ू भतू सशु र्धायों से र्ंशचत, शर्कास की मख्ु य धारा से भटके र्गों को शिक्षा की सि ु भता एर्ं िैशक्षक ऄपेक्षाओ ं की पतू ी हेतु सरकार द्वारा शर्शभन्न िैशक्षक कायाक्रमों का अयोजन शकया जा रहा है । शर्शभन्न कायाक्रमों का अयोजन उपरांत भी पणू ता या सफिता न शमिपाने से शर्शभन्न चनु ौशतयों की ओर ध्यान कें शित होता है । प्रकृ त िोध मे उि चनु ौशतयों को उजागर करने का प्रयास शकया गया है । Keywords - र्शं चतर्गा, िैशक्षक ऄपेक्षाएँ, चनु ौशतयाँ Scholarly Research Journal's is licensed Based on a work at www.srjis.com

प्रस्तावना वंचित एक ऐसा रूढ शब्द है , चिसको शब्द की सीमाओ ं से पररभाचषत नहीं चकया िा सकता है । शब्द की ईत्पचत के अधार पर देखा िाय तो वंचित का ऄथथ है चकसी व्यचि से कोइ वस्तु छीन लेना या ईसे चकसी ऄचधकार से बेदखल कर देना । सक्ष्ू म रूप से देखा िाय तो समाि में ऐसा वगथ िो अधचु नक मल ू भतू सचु वधाओ ं से ऄब तक दरू है

,ईसे वचं ित कहा िा सकता है । लेचकन

शैचिक दृचिकोण से देखा िाय तो समाि का ऐसा वगथ चिसे चशिा प्राप्त करने का पयाथप्त ऄवसर नहीं चमला या चमला भी तो वह ईस ऄवसर का लाभ नहीं ईठा सका, वचं ित कहा िा सकता है । शैचिक ऄवसर का प्राप्त न होना या आसका लाभ न ईठा पाने का कारण पाररवाररक, सामाचिक तथा अचथथक हो सकता है । ईसकी पाररवाररक पृष्ठभचू म ऐसी हो सकती है िो चशिा के प्रचत िागरूक न हो । वचं ित वगथ को चशिा से दरू करने में अचथथक चस्थचत भी एक प्रमख ु कारण है । अचथथक रूप से चपछड़े लोग सामाचिक ऄवसरो की समानता का लाभ नही ईठा पाते हैं । ऄतः समाि का यह कतथव्य है चक चशिा के माध्यम से ऐसे लोगों को चवकास के समान Copyright © 2017, Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies


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