Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies, Online ISSN 2278-8808, SJIF 2016 = 6.17, www.srjis.com UGC Approved Sr. No.45269, SEPT-OCT 2017, VOL- 4/36 10.21922/srjis.v4i36.10023
कै दी महहलाओ ं के बच्चों की शैहिक हथिहि का अध्ययन उषा वामनराव चिकाटे 1 & गोपाल कृष्ण ठाकुर2 1 एम. फिल.- फिक्षािास्त्र, म. गा.ां अां.फह.ां फि. फि., िधाा-442001(महाराष्ट्र) 2सह आचाया – फिक्षा फिभाग, म. गा.ां अां.फह.ां फि. फि., िधाा-442001(महाराष्ट्र)
प्रस्तुत िोध पत्र भारतीय सांदभा में कै दी मफहलाओ ां की फस्थफत, फिफभन्न प्रकार के अपराधों में उनकी सांफलप्तता की फस्थफत एिां सांभाफित कारणों का फिश्लेषण करने की चेष्टा करता है. यह िोध पत्र बच्चों की फिक्षा एिां उनके व्यफित्ि के फिकास में उनकी माता की भफू मका को रे खाफां कत करते हुए उन बच्चों की ओर ध्यान आकृ ष्ट करने की चेष्टा करता है फजनकी माताएँ फिफभन्न अपराध में कै द में हैं. भारत में मफहलाओ ां की साक्षरता की फस्थफत का कालक्रमानसु ार उल्लेख करते हुए इस आलेख में फिक्षा एिां जीिनयापन की फिफभन्न फिधाओ ां में मफहलाकफमायों के फनरािाजनक प्रफतफनफधत्ि का तथ्यात्मक फििरण प्रस्तुत फकया गया है फजसके आधार पर सांकल्पनात्मक रूप से यह स्थाफपत करने का प्रयत्न फकया गया है फक भारतीय समाज अपने फिकास एिां उत्तरआधफु नकता के अकादफमक ि सैद्ाांफतक प्रभाि के बािजदू अभी भी मफहलाओ ां को बराबरी का दजाा नहीं पाया है. प्रस्तुत आलेख अफिक्षा एिां िोषण के पररणामस्िरूप उत्पन्न मफहलाओ ां की कांु ठा का आक्रामकता में रूपाांतररत होने की प्रफक्रया को मफहला अपराध के प्रमख ु कारण के रूप में देखते हुए उनके बच्चों की फिक्षा के प्रफत उनकी जागरूकता पर ध्यान देने की आिश्यकता को रे खाफां कत करता है. फिफभन्न िोध अध्ययनों एिां बाल सरां क्षण एिां फिकास हेतु सचां ाफलत फिफभन्न सरकारी ि गैर-सरकारी योजनाओ ां का उल्लेख करते हुए इस िोध पत्र के द्वारा यह फसद् करने का प्रयत्न फकया गया है फक यह एक महत्िपणू ा सामाफजक उत्तरदाफयत्ि है फक हाफिये पर पड़े हुए उन बच्चों की तरि ध्यान देते हुए, फजनकी माताएां फिफभन्न कारणों से कै द में हैं, उनकी फिक्षा के सबां ांध में तथ्यपरक जानकारी एकफत्रत की जाए. उनकी पररफस्थफतयों के यथाथा का व्यािहाररक आकलन करते हुए यथोफचत नीफतयाँ बनायी जाए फजससे फक उनके जीिन पर सकारात्मक प्रभाि डाला जा सके एिां उन बच्चों को उफचत फिक्षा प्रदान करने की व्यिस्था करते हुए उन्हें नयी फदिा दी जाए. जब हम कहते है फक सभी बच्चे हमारे देि का भफिष्ट्य हैं, तो हमारी यह फजम्मेदारी बनती है फक हम इन बच्चों को अच्छी फिक्षा दें और उन्हें देि तथा समाज में अपनी सकारात्मक भफू मका फनभाने के फलए तैयार करे . प्रमुख प्रत्यय/शब्दावली: कै दी मफहलाएां, कै दी मफहलाओ ां के बच्चों की फिक्षा, कै दी मफहलाएँ ि उनके बच्चों का सामांजस्य, मफहला अपराधी एिां उनकी िैफक्षक आकाांक्षाएां, कै दी मफहलाओ ां की िैफक्षक जागरूकता Scholarly Research Journal's is licensed Based on a work at www.srjis.com
प्रथिावना यह एक स्थापित तथ्य है पक भारतीय समाज मख्ु यतः एक िरुु ष प्रधान समाज है पजसमें कुछ ऄिवादों को छोड़कर मपहलाएँ प्रायः ऄधीनस्थ की भपू मका में रहती हैं. ईनसे यह ऄिेक्षा की जाती है पक वे ऄिने जीवन, िररवार एवं समाज से संबंपधत सभी मद्दु ों िर िरुु षों द्वारा पलए गए पनणणय से ऄिनी सहमपत व्यक्त करें एवं ईन पनणणयों को पबना पकसी तकण , सोच ऄथवा पचंतन के स्वीकार करें . एक स्वतंत्र ऄपस्तत्व के रूि में मपहला की पस्थपत ऄभी भी देश के व्यािक भ-ू भाग में प्रतीकात्मक मात्र ही है. यद्यपि वतणमान समय में ख़ास कर शहरी जन समदु ाय में, पवशेषतः महानगरों में, मपहलाओ ं की स्वतंत्र ऄपस्मता पवपभन्न माध्यमों से िररलपक्षत होती हैं और जीवन के पवपभन्न Copyright © 2017, Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies