Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies, Online ISSN 2278-8808, SJIF 2019 = 6.380, www.srjis.com PEER REVIEWED & REFEREED JOURNAL, SEPT-OCT, 2020, VOL- 8/61
माध्यममक स्तर पर कार्य रत मिक्षक ों की ममिला अमिकार ों के प्रमत अमिवृ मि का अध्यर्न िमे न्द्र ना. िोंिरकर1 & अों जमल कुमारी2
सहायक प्रोफेसर, म.गाां .अां .हहां .हि.हि., िर्ाा महाराष्ट्र
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शोर्ार्थी, बी.एड - एम.एड.(एकीकृत) म.गाां .अां .हहां .हि.हि., िर्ाा महाराष्ट्र
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Abstract
कुछ मू लभू त अहर्कार प्रत्ये क व्यक्ति को जन्म सार्थ ही हमल जाते है और उसके अांहतम क्षणोां तक उसके सार्थ ही रहते हैं । जैसे,जीिन जीने की स्वतां त्रता, समता का अहर्कार, हिकास के अिसर प्राप्त करने के समान अहर्कार या अन्य प्रकार के अहर्कार,ले हकनप्रत्ये क अहर्कार में महहलाओां के सार्थ भे दभाि हकया जाता है । अहर्कार होने के बािजूद उन्हें कई बार अहर्कारोां के प्रयोग से िांहित होना पड़ता है । सांहिर्ान द्वारा हलां ग-भे द की समस्त परां पराओां को दरहकनार रखते हुए महहलाओां को समान अहर्कार और समान सहभाहगता के अिसर हदए गए हैं , ले हकन महहलाएां अपने अहर्कारोां का प्रयोग र्रातल नहीां कर पा रही है ,इसका एक कारण इनका राजनीहत ि समाहजक िे तना की कमी होना भी है और िे तना का सीर्ा सीर्ा सांबांर् हशक्षा से होता है । अगर महहलाएां हशहक्षत होगी तो िे अपने अहर्कारोां के प्रहत सजग भी होांगी और जागरूक भी। इस प्रकार महहला हशक्षा बहुत ही महत्वपूणा है । Scholarly Research Journal's is licensed Based on a work at www.srjis.com
हशक्षा एक ऐसा सशि उपकरण है जो नई समाज व्यिस्र्था का सृ जन करने के हलए महहलाओां को बनाता है ।आज हमारे दे श को एक हिकासशील दे श का दजाा हदया जा रहा है । पू रे हिश्व में भारत का नाम सभ्यता ि सां स्कृहत के नाम से भी जाना जाता है ।दे शभर में नारी उत्थान की बात एक ििाा का हिषय बनी हुई है , परां तु इस दे श की भािी पीढी हजसके गिा से जन्म लेती है उसी स्त्री को सही मायने में उसके सां िैर्ाहनक अहर्कारोां की जानकारी सही एिां नही ां है ।भारतीय महहलाओां की क्तस्र्थहत प्रारां भ से ही उतार-िढाि के दौड़ से गुजरती रही है । यही कारण है हक महहला हिकास यात्रा Copyright © 2020, Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies