Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies, Online ISSN 2278-8808, SJIF 2019 = 6.380, www.srjis.com PEER REVIEWED & REFEREED JOURNAL, NOV-DEC, 2020, VOL- 8/62
कला मूर्त और अमूर्त गीर्ा अग्रवाल , Ph. D.
असिस्टें ट प्रोफेिर एवं प्रभारी, सित्र कला सवभाग, िाहू राम स्वरूप मसिला मिासवद्यालय बरे ली (उत्तर प्रदे श)
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कलाएं अंतरात्मा की रूप सवधान की िृसि है । गायक उिे स्वर ् या ध्वसन से, सित्रकार रं ग और रे खाओ से, कसव शब्द या वाक्यो िे और नृर्क भंगगमाओ से उिे व्यंजिर् करता है । अमू ततन 20 वीं िदी के आत्मत्मक और िामासिक िं घर्त के बदलाव की पििान है । अमू तत कला की अवधारणा कोई नई बात निीं िै बत्मि िम सिि तरि के िमाि में रिते िैं और िमारी िो परं पराएं मान्यताएं और धासमत क सवश्वाि िैं उनमें यि अमू तत भावनाएं व सौन्दयत िसदयों िे व्याप्त रिे िैं ।बि िमने उिे उि रूप में दे खने व परखने की कोसशश निीं की है । यसद िम गां व के सकिी शासलग्राम की प्रसतमा या सकिी घर के बािर के द्वार पर स्थासपत सकए गए गणेश की प्रसतमा या सकिी दे वी के रूप में स्थासपत पूिा के पत्थर या कथा किासनयों को किते हुए गां व की त्मियों को दे खें िो माता यानी दे वी के रूप की कल्पना छोटे -छोटे पत्थरों में कर रिी िोती िैं तो अमू तत की उपत्मस्थसत निर आने लगती है । हर्तट रीड ने गलखा है 'All Art is abstract art ' दे खा िाए तो अमू तत कला िमारी भावनाओं और िंवेग का एक दृसिगत िंयोिन है , सििे कलाकार कोई नाम निीं दे ना िािता।ले सकन उिकी उत्ते िना कुछ सवंबो व आकारों में ढलकर सित्र स्पेि में सदखाई दे ने लगर्े हैं । सििमें कभी पििाने हुए िे आकार भी स्पि व अस्पि रूप में िले आते हैं । प्रारं भ िे िी कलाकार ने यि अनु भव करना शुरू कर सदया था कक, कलाकृसत को उिके अमू तत स्वरूप िे िी ि द ं यत प्राप्त िोता है । वि कला सकिी भी शैली या सकिी भी Copyright © 2020, Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language