PRATHAMIK SHIKSHA ME NAVACHAR

Page 1

Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language, Online ISSN 2348-3083, SJ IMPACT FACTOR 2019: 6.251, www.srjis.com PEER REVIEWED & REFEREED JOURNAL, FEB-MAR, 2021, VOL-9/44 प्राथमिक मिक्षा िें नवाचार हर्षवर्षन

शोध छात्र, शशक्षा शिभाग(शशक्षा शिद्यापीठ), महात्मा गा​ां धी अांतरराष्ट्रीय शहां दी शिश्वशिद्यालय, िधा​ा , महाराष्ट्र -442001. ई-मेल. harsh20692@gmail.com

Paper Received On: 25 MAR 2021 Peer Reviewed On: 30 MAR 2021 Published On: 1 APRIL 2021 Abstract प्रस्तुत शोध लेख शिशभन्न साशहत्य की समीक्षा के आधार पर शलखा गया है । इस शोध पत्र में प्राथशमक शशक्षा की समस्याओां का िर्ान शकया गया है तथा इन समस्याओां का समाधान करने एिां शशक्षा को गुर्ित्तापूर्ा बनाने के शलए शिन निाचारोां (िैसे- बाल सांसद, अशभनि युक्त शशक्षर्, छात्र प्रोफाइल, खेल-खेल में शशक्षा, सामुदाशयक सहभाशगता, सरल अांग्रेिी माध्यम एिां कान्सैप्ट मैशपांग आशद) का प्रयोग ितामान प्राथशमक शशक्षा में शकया िा रहा है उसका सांशक्षप्त िर्ान शकया गया है । निाचार से आशय कम से कम खचा पर शिद्यालय में उपलब्ध सांसाधनोां का अशधक से अशधक प्रयोग कर शशक्षा में गुर्ित्ता लाना है एिां शशक्षकछात्र के मध्य सौहादा पूर्ा सांबांध स्थाशपत करना, शिद्याशथायोां में रचनात्मकता का सृिन एिां शशक्षा को रुशचकर एिां सरल बनाकर शिद्याशथायोां को अशधगम के शलए प्रेररत करना है । िुख्य मिन्दु - प्राथशमक शशक्षा, समस्याएँ , निाचार

Scholarly Research Journal's is licensed Based on a work at www.srjis.com

प्रस्तवाना- प्राथशमक शशक्षा सम्पूर्ा शशक्षा व्यिस्था का आधार है । यह एक ऐसे प्रकाश की तरह है शिससे बालकोां की अांतशनाशहत शक्तक्तयोां का शिकास कर उसे एक सांतुशलत व्यक्तक्तत्व प्रदान शकया िाता है । बालक के उज्ज्वल भशिष्य के शनमा​ा र् में प्राथशमक शशक्षा की महत्वपूर्ा भूशमका होती है । यह मनुष्य के शिकास का मागा प्रशस्त करती है । प्रत्येक राष्ट्र के शनमा​ा र् में प्राथशमक शशक्षा का मुख्य योगदान होता है । यही िह प्रथम सोपान है शिसकी सहायता से प्रत्येक व्यक्तक्त, समाि एिां राष्ट्र अपने लक्ष्ोां की प्राक्तप्त कर सकते है । ितामान समय में कोई भी राष्ट्र प्रगशत के शशखर पर आसीन तब तक नहीां हो सकता है िब तक िह प्राथशमक शशक्षा की समुशचत व्यिस्था न कर ले (शिकास पीशिया, 2020)। ितामान समय में प्राथशमक शशक्षा का स्तर शनरन्तर शगरता िा रहा है । शकसी भी व्यक्तक्त से यह पूछा िाए शक शशक्षा के शगरते स्तर का क्या कारर् है ? तो िह इसके शलए कई कारर् बता सकता है । सिाल यह नहीां है शक शशक्षा का स्तर शगरता िा रह है सिाल यह है शक क्या हम हमेशा समस्या की ही बात करते रहें गे? यशद हम शसफा समस्या की बात करते रहे गें तो इसका समाधान नहीां हो सकता है । इसशलए हमें इसके समाधान की बात करनी चाशहए। क्योांशक शिस समस्या को हमने शचक्तित शकया है उसका समाधान भी हम स्वयां कर सकते है । िता मान समय Copyright © 2021, Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language


Turn static files into dynamic content formats.

Create a flipbook
Issuu converts static files into: digital portfolios, online yearbooks, online catalogs, digital photo albums and more. Sign up and create your flipbook.
PRATHAMIK SHIKSHA ME NAVACHAR by Scholarly Research Journal"s - Issuu