GUTNIRPEKSH ANDOLAN KE MADHYAM SE BHARAT KI VIDESHNITI

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Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies, Online ISSN 2278-8808, SJIF 2019 = 6.380, www.srjis.com PEER REVIEWED & REFEREED JOURNAL, NOV-DEC, 2020, VOL- 8/62 गुटनिरपेक्ष आन्दोलि के माध्यम से भारत की निदे शिीनत के.बी.पाटील, Ph. D.

सहयोगी प्राध्यापक, विभागप्रमुख, संरक्षण एिं सामररक शास्त्र विभाग, श्रीमती एच्.आर.पटे ल कला मवहला महाविद्यालय, वशरपु र वि. धुळे

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प्रस्ताि​िा : गु टविरपे क्ष आन्दोलि तीसरी दु विया का सबसे सशक्त ि महत्वपू णण आन्दोलि है |

इसवलए

शायद एक विदे शी अली मिरुई िे उवचत हो वटप्पणी की है वक, बीसिी शताब्दी के उत्तराधण में छोटे राज्ों ि बडी शक्तक्तयों के सम्बन्ों के बीच वकसी भी विदे शिीवत के वसध्दान्ों िे इतिा प्रभाि िही डाला वितिा वक गु टविरपे क्षता की िीवत िे | इस आन्दोलि के िन्मदाता के रुप में पं वडत िेहरु तथा इसके संस्थापक के रुप में भारत को मािा िाता

है | ि​िाहरलाल िेहरु िे भारत की स्वतन्त्रता से

पू िण ही अपिे प्रथम रे वडओ भाषण में ७ वसतम्बर १९४६ को इस भारत के वलए उपयु क्त िीवत का बताया | यह घोषणा अिश्य १९४६ में हुई परन्ु भारत की आिादी के आन्दोलि के दौराि भी इसकी झलक दे खी िा सकती है | तब से लेकर आि तक भारत अपिे विदे शी सम्बन्ों में इस िीवत का अिुसरण करता रहा है | विवभन्न प्रशासिों के पररितणिों के बाद भी यह िीवत शाश्वत रुप से िारी है | भारत की विदे श िीवत से एक आन्दोलि बि​िे की प्रविया में इसे १५ िषण लगे ,

क्ोंवक 1961

में बे लग्रे ड में अपिे प्रथम वशखर आन्दोलि शुरु हुआ विसका मूल उद्दे श तीसरी दु विया के दे शों को सैन्य गठबं धिों में शावमल होिे से बचािे के साथ-साथ स्वतन्त्र िीवत अपिािे की प्रे रणा दे ता रहा है | (i) जन्मदाता के रुप में : भारत का सबसे महत्त्वपू णण योगदाि इस िीवत के िन्मदाता के रूप में है । सिणप्रथम िेहरू िे इस िीवत को भारत के वलए उपयु क्त समझा तथा विर इसे एवशया ि अफ्रीका के दे शों से सम्बद्ध वकया। इस दृवि से िेहरू िे एवशया ि अफ्रीका के दे शों की 1947 ि 1949 में वदल्ली में बै ठकों का आयोि​ि वकया। इसके बाद 1955 में बाण्डु ग में इिका सम्मेलि बु लाया। 1956 में वियोिी में िासर (वमस्र) एिं टीटो (युगोस्लाविया) के साथ वमलकर इसे विश्व आन्दोलि बिािे पर सहमवत कराई विसके पररणामस्वरूप 1961 में बे लग्रे ड में प्रथम वशखर सम्मेलि हुआ। यद्यवप कुछ विशेषज्ों का माि​िा है वक इि एवशयाई दे शों के इि सम्मेलिों को बे लग्रे ड का पू िणि िहीं मािा िा सकता बक्ति बाण्डु ग ि बे लग्रे ड सम्मेलि “समप्रिृवत्तयों का िवभन्न मुखररत रूप है ।* परन्ु इस वटप्पणी के बाद भी भारत की Copyright © 2020, Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies


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