Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies, Online ISSN 2278-8808, SJIF 2019 = 6.380, www.srjis.com PEER REVIEWED & REFEREED JOURNAL, JAN-FEB, 2021, VOL- 8/63 अंग्रेजी व्याकरण एवं रचनावादी शिक्षण की प्रासंशिकता दे वेन्द्र कुमार यादव
शोध छात्र, शशक्षा शिद्यापीठ. महात्मा गााँ धी अंतरराष्ट्रीय शहं दी शिश्वशिद्यालय िधाा , महाराष्ट्र Email: devendrayadav2514@gmail.com
Paper Received On: 21 FEB 2021 Peer Reviewed On: 28 FEB 2021 Published On: 1 MAR 2021 Abstract ितामान समय में शिस प्रकार से शिद्यालयों में शिद्यार्थी बेमन से शशक्षण पाते हैं िह उनको सीखने में और समझ पैदा करने में सक्षम नहीं हैं । शिद्यालय में अध्यापकों को पाठ्यक्रम पूरा करना होता है , इसशलए मशीनीकृत तरीके से अध्ययन-अध्यापन होता है लेशकन िहां सीखना नदारद ही रहता है । शिद्यार्थी कक्षा में बैठे रहते हैं । उन्हें अपने शिचारों को कक्षा में व्यक्त करने एिं प्रश्न पूछने की भी स्वतंत्रता नहीं होती है । हम यह कह सकते हैं शिद्यालय का अर्था ही यह लगा शलया गया शक िहााँ अध्यापक एिं पुस्तकें ही सब कुछ हैं , पुस्तकों में िो कुछ भी शलखा गया है िह पत्थर की लकीर है । िो पुस्तक में शलखा गया है उसी भाषा में अध्यापक कक्षा में सम्प्रेषण करने के शलए शििश है । शिद्याशर्थायों को िो आनंद खेलने में आता है िैसा कक्षा में पढ़ते समय क्ों नहीं आता? शिद्यार्थी अपने आसपास की िस्तु को लेकर आश्चया करता है , िैसा आश्चया शिद्यालय की कक्षा में क्ों नहीं करता है ? इन प्रश्नों का उत्तर हमारी शशक्षण-प्रशक्रया से ही शमलता है । शशक्षण का मुख्य उद्दे श्य शिद्यार्थी के व्यिहार में पररितान लाना होता है । यह तभी संभि है िब शशक्षण शनयोिन में ऐसी व्यूह रचनाओं का समािेश हो शिससे शिद्यार्थी में शिज्ञासा बनी रहे । इसशलए हमें निाचारी शशक्षण पद्धशत का अनुप्रयोग करना चाशहए । निाचारी शशक्षण पद्धशत में रचनािादी शशक्षण का सबसे प्रमुख स्र्थान है । शिशभन्न शिषयों में िैसे शिज्ञान, गशणत में रचनािादी शशक्षण का सकारात्मक पररणाम रहा है । इसी तरह यशद अंग्रेिी व्याकरण रचनािादी शशक्षण के माध्यम से पढ़ाया िाए तो लाभदायक शसद्ध होगा । अंग्रेिी शशक्षण एिं रचनािादी शशक्षण से संबंशधत शोध में कोकसाल (2009), शयिीत (2011), नोघाभी और अशरफ (2017), बाड़ोला (2017), शमाा एिं पूनम (2017), रामदास और शमाा (2018) ने रचनािादी उपागम के प्रभािशीलता का अध्ययन शकया । शिसमें उन्होंने ने पाया शक रचनािादी उपागम का शिद्याशर्थायों की उपलब्धि पर सार्थाक प्रभाि पड़ता है । अतः प्रस्तुत शोध पत्र में अंग्रेिी व्याकरण शशक्षण में रचनािाद के शैशक्षक महत्व का उल्लेख शकया गया है । प्रमुख प्रत्यय/ िब्दावली : रचनािादी शशक्षण, निाचार एिं अंग्रेिी व्याकरण ।
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प्रस्तावना आधुशनक युग शिज्ञान, सूचना तकनीकी तर्था पररिता न का युग है । इस शिकासशील युग में शशक्षण शसद्धां तों तर्था शशक्षण व्यिस्र्था के प्रशत पु रानी धारणाएं शशशर्थल पड़ रही हैं । अशभनि प्रयोग को सिाा शधक उपयु क्त शशक्षण पद्धशत माना िाने लगा है । ितामान में शशक्षण प्रशक्रया को सैद्धां शतक एिं व्यािहाररक रूप से कला ि शिज्ञान दोनों ही रूपों में मान्यता प्राप्त है । आि बालकेब्धित शशक्षा प्रणाली में बालक की अशभरुशच, मनोिृ शत्त, शारीररक एिं मानशसक क्षमता के अनु रूप ही शशक्षण काया सम्पाशदत करना उशचत होता है । अपारम्पररक शशक्षण साधनों के बढ़ते चरण Copyright © 2021, Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies